Episode 34


रीमा - मतलब तुमारी ख्वाइश थी कभी फुर्सत में उसे नंगी देखो सर से लेकर पैर तक लेकिन उन हालातों के कारन ये संभव नहीं हो पाया |

जितेश - मैडम आप तो औरत हो इसलिए आपका तो पता नहीं लेकिन औरत के जिस्म से ज्यादा उसकी गंध आदमी के अन्दर उसको चोदने की उसको पाने की लालसा जगाती है | फ़िजा के बदन की महक ही कुछ ऐसी थी | पहली बार ही उसे पूरा नंगा किया था उसके बाद इतना टाइम ही नहीं होता था की उसको सर से लेकर पैर तक पहले नंगा करू फिर चोदु | नीचे से उसका घाघरा उठा देता था और ऊपर से उसके मम्मे खोल लेता था लेकिन जब उसकी वो मदहोश करने वाली गंध नाक से घुसकर दिमाग पर चढ़ती थी लंड तभी पत्थर की तरह ठोस होता था | आज भी मन के किसी कोने में वो गंध महक रही है |

रीमा - मतलब आज भी उसको चोदने की ख्वाइश तुमारे मन में बैठी हुई है | लगता है वो तुमारी जिंदगी की पहली चूत थी |

जितेश चुप रहा |

रीमा - फिजा के बाद भी तो कुछ किया होगा या फिर हाथ से हिलाते रहे |

जितेश - आप तो सारा कच्चा चिट्ठा निकलवाने पर उतारू हो |

जितेश खाना गरम कर रहा था |

तभी रीमा ने आवाज दी - ये शर्मेट मै नहीं पहन पा रही हूँ | मेरे हाथ पीछे की तरफ नहीं पंहुच रहे, |

जितेश समझ गया | वो फिर से अपनी कमर में लगी तौलिये की गांठ को कसकर ठीक करता हुआ रीमा के पास में चला गया | सफ़ेद चादर जमींन पर पड़ी थी और रीमा का बदन उस सुनहरी पीली रौशनी में एक अलग ही छटा बिखेर रहा था | रीमा जितेश की तरफ पीठ करके खुद की हल्की रौशनी में शीशे में निहारने लगी |

मोमबत्ती की सुनहरी रौशनी में रीमा का दमकता गोरा गुलाबी बदन. . . क़यामत ढा रहा था | जितेश ने रीमा को देखकर एक लम्बी साँस ली, कैसे भी खुद को काबू किया | फिर रीमा के हाथ से शर्ट लेकर उसके बांहों में फ़साने लगा | जितेश के मनोभाव उसके नियंत्रण से बाहर थे - मैडम आप बहुत कमाल की हो . . . बहुत खूबसूरत हो आपको पता नहीं आपका गोरा गुलाबी बदन बहुत ही खूबसूरत है |

रीमा बस अंदर ही अंदर से खुश होकर रह गई वह कुछ बोली नहीं |

कुछ देर बाद रीमा - अच्छा ये बताओ जितेश तुमारा पहला क्रश कौन था |

जितेश - ये क्या होता है |

रीमा जितेश की अनभिज्ञता पर खिलखिला गयी - अरे बाबा मतलब जिसको देखकर पहली बार तुम्हे उसे चोदने का ख्याल आया हो या तुमारा लंड खड़ा हो गया हो |

जितेश - हमारे यहाँ ये सब नहीं होता था |

रीमा - मतलब तुमने पहली बार सीधे सीधे उस रंडी फिजा को चोदा इसलिए उसकी चूत का फितूर तुमारे दिमाग से नहीं निकल रहा है | जिदंगी की पहली चूत हो या किसी लड़की के लिए पहला लंड हो दोनों ही खास होते है | अब समझ गयी तुम्हे फिजा से इतना लगाव क्यों हो गया |

जितेश - नहीं मैडम आप गलत समझ रही है, फिजा से एक लगाव तो हो गया था लेकिन वो मेरा पहला प्यार नहीं था |

रीमा को हल्का सा आश्चर्य हुआ - अच्छा तो मतलब एक ज्यादा चूत का स्वाद ले चुके हो |

जितेश चुप रहा |

रीमा उसके कुरेदते हुए बोली - बतावो न अपने पहले अनुभव के बारे में |

जितेश - पहला एक्सपीरियंस कुछ खास ही होता है मैडम और मेरा तो कुछ ज्यादा ही खास था |

इस बार जितेश ने भी रीमा से दूरी बनाने की कोशिश नहीं की वह रीमा से बिल्कुल सट कर खड़ा हुआ था और उसकी तौलिये के अंदर से उसका तना हुआ लंड रीमा के चूतड़ों पर लग रहा था रीमा को भी इसका एहसास हो रहा था और जितेश को भी पता था लेकिन इस बार जितेश ने किसी तरह की भी आनाकानी या हिचकिचाहट से दूर रहकर बस रीमा को शर्ट पहनाता रहा | उसे अच्छे से पता था कि रीमा को भी इस बात का एहसास है कि उसके तौलिये में तने हुए मुसल लंड की उभार रीमा के चूतड़ों पर छू रही हैं पर अब तक जितेश भी समझ गया था यदि रीमा को भी इससे कोई विशेष आपत्ति नहीं है तो वो क्यों पीछे हटे | वह रीमा से थोडा और सट गया ताकि रीमा अपने नरम गुदाज चुताड़ो पर उसके मोटे मुसल लंड का अहसास ठीक से कर सके | उसने रीमा की शर्अट के बटन लगाने के लिए उसे पलटा नहीं बल्कि पीछे से ही बटन लगाने लगा |

रीमा भी समझ गयी जितेश के दिमाग में क्या चल रहा है लेकिन रीमा अपनी तरफ से कोई पहल नहीं करना चाहती थी | वह पीछे से ही सीमा के शर्ट के बटन बंद करता रहा | असल में हकीकत का अहसास होते हुए भी दोनों उलझन में थे | रीमा हैरान थी अगर जितेश के उसको लेकर अगर वासना का ज्वार उमड़ रहा है और जिसकी निशानी उसका तना हुआ लंड है तो वो आगे क्यों नहीं बढ़ रहा | ऐसी हालत में कोई भी मर्द पीछे नहीं हटेगा, वो भी यह जानते हुए की सामने एक औरत पूरी तरह नंगी है | ऐसे में तो मर्द औरतो की परवाह भी नहीं करते, सीधे उनकी जांघे हवा में उठा कर अपना लंड उनकी चूत में घुसा देते है और उनको चोद डालते है बाकि जो भी रोना धोना नखरे नाराजगी होती है बाद में झेल लेते है लेकिन जितेश अपने में ही खुद को संयमित किये हुए था | रीमा हैरान थी आखिर उसने रीमा को बदन को जानबूझकर छूने की कोशिश भी नहीं की | जहाँ भी स्पर्श हुआ सहज था | कोई अलग से खास प्रतिक्रिया नहीं कोई खास चाहत या कोशिश जितेश ने नहीं की | जब वो रीमा के पीछे आया तो जिस सहज भाव से उसका स्पर्श रीमा के पीछे चुताड़ो पर हुआ उससे उसने कुछ अलग प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही रीमा को महसूस होने दिया | इतना खुद पर नियंत्रण तो शायद रोहित का भी नहीं था | रीमा समझ नहीं पा रही थी आखिर कैसे रियेक्ट करे | उसके नरम चुताड़ो पर तौलिये का उभार रीमा की धड़कने बढाये हुए था | रीमा भी खुद को उसी के अनुसार भावहीन करने की कोशिश कर रही थी जैसे सब कुछ सहज हो | उसने भी जितेश को कोई अलग प्रतिक्रिया नहीं दी | जैसे ये उसके लिए कुछ मायने ही न रखता हो | जितेश के अन्दर भी वही भाव थे आखिर रीमा को अगर ऐतराज नहीं है तो खुलकर इशारा क्यों नहीं करती |

जवानी में सबकी हसरत होती है और रीमा के अन्दर भी हसरत होगी लेकिन उसे वो छिपा क्यों रही है | जितेश रीमा के जिस्म का कोना कोना देख चूका था तो शर्म हया वाली तो कोई बात नहीं थी | अगर किसी तरह की झिझक थी तो उसे लगता था की अब उनके बीच इतनी कम दूरी है की झिझक के लिए कोई जगह ही नहीं बची है | आखिर रीमा जरा ससा पीछे की तरह जोर डालती तो जितेश के उभार रीमा के चुताड़ो पर पूरी तरह से छप जाता | जितेश को भी पता चल जाता की रीमा को आगे बढ़ने में कोई एतराज नहीं है | लेकिन रीमा ने ऐसा कोई इशारा नहीं दिया | जितेश हैरान था की अगर रीमा के अन्दर चुदने की ख्वाइश है तो रीमा जैसी बोल्ड औरत इसे कहने में झिझक क्यों रही है | इधर रीमा के मन ने था की अगर जितेश को कुछ करना है तो आगे क्यों नहीं बढ़ रहा | सब कुछ तो मेरा देख चूका है अब भला मै उसे क्यों रोकूंगी | जब आगे ही नहीं बढ़ेगा तो क्या अपने आप चूत खोलकर बैठ जाऊ की आवो मुझे चोदो | जितेश भी बिलकुल ऐसा ही सोच रहा था, अगर इसको मै पसंद हूँ तो बस एक इशारा दे की मै चुदने के लिए राजी हूँ |

रीमा बस चुताड़ो पर हो रहे उस तौलिये के अन्दर के कठोर उभार को महसूस करती रही और अपनी मन की उलझनों में खोयी रही | जितेश भी अपनी हद में रहा | उसने भी आगे बढ़ने की कोशिश नहीं की | उसके बाद में रीमा जो घूम गई और उसने जितेश की तरफ देखा और उसके तौलिये की उठान को लेकिन बिना कोई भाव लिए वह बिस्तर पर जा करके बैठ गई | नीचे अभी भी उसने कुछ नहीं पहना हुआ था और उसकी चिकनी गोरी सफाचट चूत अलग ही रंग दिखा रही थी | जितेश ने उसे एक नजर देखा वह भी कुछ नहीं बोला और चुपचाप जाकर के खाना गरम करने चला गया | रीमा बिस्तर में घुस गई और उसने अपने ऊपर सफेद चादर डाल दी हल्की आवाज में बोली - तो बताओ ना अपने बारे में फिर क्या कहानी है तुम्हारी | मै भी तुमारी खास कहानी सुनना चाहती हूँ |
जितेश ने भी अपनी कहानी सुनानी शुरु की

जितेश चूल्हे के नजदीक बैठा अपनी कहानी सुनाने लगा - मैडम बहुत पहले की बात है शायद कक्षा 9 में था | मेरी गली में पड़ोस में एक पादरी का परिवार रहता था | पादरी पति पत्नी दोनों दिन भर चर्च में रहते थे उनकी दो बेटियां थी | छोटी बेटी तो मेरे उम्र की थी और बड़ी बेटी मुझे पांच साल बड़ी थी | छोटी बेटी से मेरी कभी नहीं पटती थी | हम सब साथ में ही मोहल्ले में खेलते थे | मेरा ज्यादा दिमाग पढने लिखने में लगता नहीं था | मेरे भाई बहन और पादरी की दोनों बेटियां हम सब एक ही कॉलेज में पढ़ते थे | जब मै मैथ में बार बार फ़ैल होने लगा तो पादरी की बड़ी बेटी जिनका नाम क्रिस्टीना था लेकिन मै पड़ोस की वजह से दीदी कहता था उनके पास मुझे ट्यूशन पढ़ने भेजा जाने लगा | वो मोहल्ले की और लडको को भी ट्यूशन पढ़ाती थी | शुरुआत में में से काफी शर्मीला था और दीदी के यहाँ जाकर सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान देता था | उनसे बस जरुरी बाते ही करता था | लेकिन दीदी ने धीरे धीरे मुझे सहज कर दिया और मै उनसे खुलकर बाते करने लगा | दीदी पढने में तेज थी जल्दी ही, उन्होंने मुझे भी अच्छे से मैथ समझनी शुरू कर दी | मेरी मैथ ठीक होने लगी | 9 मै आसानी से पास हो गया | 10 में और कठिन मैथ थी इसलिए मै एक घंटे ज्यादा उनसे कोचिंग लेने लगा | जब सारे बच्चे चले जाते तो दीदी एक घंटा मुझे और पढ़ाती थी |

हम बच्चे सभी मिलकर शाम को छुपम छुपायी खेलते थे | अक्सर मेरा नंबर दीदी के साथ ही होता तो हम दोनों साथ साथ में छिप जाते | एक दिन दीदी के साथ साथ मै भी छिपने के लिए भागा लेकिन कोई जगह नहीं मिली तो दीदी ने मुझे अपनी फ्रांक में छिपा लिया | मुझे तो कुछ पता नहीं था लेकिन दीदी को उस उम्र से बहुत कुछ मालूम था | उसके बाद से अक्सर दीदी मेरे साथ ही छिपती थी, जब भी जरुरत होती मुझे अपनी लम्बी फ्रांक में घुसाकर छिपा लेती | वो ऐसी उम्र थी की बस जवानी की पौ फटनी शुरू होती है | दीदी अपनी फ्रांक में घुसाकर मुझे जांघो के बीच दबा लेती | मै साँस बांधे उसमे छिपा रहता | एक दिन मेरा हाथ दीदी की जांघो के ऊपर चला गया मेरी बहन फ्रांक के नीचे चड्ढी पहनती थी लेकिन उनकी जांघो के बीच में मुझे कोई चड्ढी नहीं दिखी | मुझे लगा बड़े लोग नहीं पहनते होंगे | अगले दिन मै भी बिना चड्ढी के सिर्फ हाफ पेंट पहने खेलने चला गया | जब दीदी के साथ मै छिपने को भागा तो पकड़ने वाला मुझे देख न ले इसलिए दीदी ने जल्दी से मेरी पेंट की ज़िप के सामने हाथ लगा कर मुझे जल्दी से अपने से सटा लिया और ऊपर से फ्रांक डाल दी |
दीदी ने लेकिन हाथ नहीं हटाया बल्कि ऐसा लगा मुझे जैसे वो कुछ ढूंढ रही हो | उसके बाद उन्होंने दूसरा हाथ भी अपने पहले हाथ पर रख दिया और कसकर दबा दिया और मुझे किसी तरह की कोई आवाज न करने के लिए इशारा किया | मै उनकी अंधेरी फ्रांक में चुपचाप साँस बांधे छिपा रहा | जब खेल खतम हो गया तो उन्होंने मुझे इशारा करके एक कोने में बुलाया |
दीदी - मुझे एक चीज देखनी है किसी को बताएगा तो नहीं |
मैंने इनकार में सर हिला दिया |

दीदी ने अपना हाथ मेरी पेंट में घुसेड दिया और कुछ टटोलने लगी | अच्छे से पेंट के अन्दर सब कुछ टटोलने के बाद पूछने लगी - आज चड्ढी क्यों नहीं पहनी |
मैंने यू ही बोल दिया - बस यू ही, रोज तो पहनता हूँ |
फिर कुछ सोचकर मैंने उनसे पुछा - मै तो रोज पहनता हूँ लेकिन आपको कभी पहने नहीं देखा | आप हमारी तरह चड्ढी क्यों नहीं पहनती |
दीदी थोडा शर्मा गया - बदमाश मेरी फ्रांक में घुसकर यही सब देखता है | हमारे यहाँ इसका रिवाज नहीं है |
मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ी - दीदी नाराज न हो तो एक बात पूंछु |
दीदी को लगा मै उनसे ये पूछुंगा की वो मेरी पेंट में क्या टटोल रही थी इसलिए पहले ही सफाई देने लगी - अरे वो मै बस ये देख रही थी कि तू चड्ढी पहनकर आया है या नहीं |
उनकी दोनों के बीच में जांघो के सबसे ऊपर कोने में ढेर सारे बाल थे | मुझे नहीं पता था वो क्या था लेकिन एक दिन मैंने देखा मेरे बहन के तो बाल नहीं है | बहुत दिन से मेरे दिमाग में ये सवाल घूम रहा था तो मैंने हिम्मत करके पूँछ लिया - दीदी ये आपकी दोनों जांघो के बीच में बाल है लेकिन मेरी बहन के तो नहीं है |
दीदी कुछ नहीं बोली | कुछ देर तक हम यू ही चुपचाप बैठे रहे | फिर दीदी ये कहते हुए चली गयी - अब धीरे धीरे जवान हो रहे हो अन्दर कुछ न कुछ पहन लिया करो | मुझे दीदी की बात का बिलकुल भी मतलब समझ नहीं आया |

जब अगले दिन मै छुपने के लिए उनकी फ्रांक में घुसा तो वहां सब सफाचट था | मैंने फ्रांक के अन्दर से ही पुछा - दीदी आपके बाल तो गायब हो गया |
दीदी ने मेरा सर अपनी जांघो के बीच में कसकर दबा लिया | वहां से रोज ही एक मदहोश करने वाली गंध आती थी लेकिन आज तो वहां से ऐसी उस गंध के साथ खुसबू भी आ रही थी | मेरी नाक में घुसती उस खुसबू से मै मदहोश होने लगा | एमी आज दीदी की तरफ को छुपकर बैठा था | मेरा सर उनकी जांघो के बीच में फंसा था और मेरी नाक बिलकुल दीदी की जांघो के चीरे के सामने थी | उस समय मुझे पता नहीं था ये क्या है | लेकिन मैंने अपनी बहन को कई बार बिना कपड़ो के नहाते देखा था इसलिए दीदी की जांघो की बनावट भी बिलकुल वैसी थी | आज वहां बाल नहीं थे इसलिए समझ गया की लडकियों की बनावट ही ऐसी होती है बस बाल जम आते है | दीदी ने मेरे सर के पीछे हाथ लगाकर कसकर मुझे अपनी जांघो और बाल वाले इलाके में रगड़ दिया | अगर मै सर बाहर नहीं निकलता तो मेरा दम घुट जाता |

खाना गरम हो गया था और जितेश ने रीमा को खाना परोस दिया | रीमा को खाने से ज्यादा इस समय जितेश की कहानी में दिलचस्पी थी | रीमा ने खाने की थाली अपनी तरफ खिसका ली और खाने लगी | सामने आकर जितेश भी बैठ गया | जितेश ने अभी भी चड्ढी नहीं पहनी वो तौलिया बांधे ही बैठा रहा | रीमा उसके तौलिये के ऊपर से उसके लंड का उभार देखती रही | जितेश को ऊपर से उसका तौलिये से झांकता लंड भले ही नजर नहीं आ रहा था लेकिन सामने बैठी रीमा को न केवल अब उसके तौलिये का उभार दिख रहा था बल्कि उसका मुसल लंड भी बाहर झाकता हुआ दिख रहा था | रीमा की तो जैसे मन्नत पूरी हो गयी | कब से वो जितेश के लंड को देखने की लालसा पाले बैठी थी | उसकी चूत में कुछ हलचल हुई लेकिन रीमा ने दूसरी तरफ नजरे फेर ली | उसका जितेश का मुसल लंड देखने का अरमान पूरा हो गया था | इन हालातों में भी रीमा की अपनी वासनाए तृप्त होने का कोई मौका नहीं छोडती | ऐसा लग रहा था जैसे रीमा को जितेश का लंड देखकर ओराग्स्म हो गया हो लेकिन उसने जल्दी ही खुद को संभाल लिया | रीमा जितेश की तरफ देख रही थी | जितेश का ध्यान रीमा पर नहीं था वो तो अपनी अतीत के यादो में खोया हुआ था | जबकि उसका लंड ऐसा लग रहा जैसे तौलिये से झांक कर रीमा की गुलाबी चूत के दर्शन करने को आतुर हो | रीमा ने कमर के नीचे खुद को चादर से ढक रखा था इसलिए वहां से कुछ नजर आने की उम्मीद नहीं थी |

रीमा कभी जितेश को देखती कभी उसके तौलिये से झांकते मुसल लंड को |
इधर जितेश इस हकीकत से दूर अपने ही अतीत में खोया हुआ था उसने एक लम्बी साँस ली और आगे की कहानी सुनाने लगा |

धीरे-धीरे दीदी के साथ मेरा चिपकना लिपटना बढ़ने लगा | दीदी भी मेरे साथ अजीब अजीब हरकते करने लगी | कभी वो फ्रॉक ऊपर जांघो तक खींच कर बैठ जाती और उनके काले काले बाल हलके हलके दिखने लगते, तो कभी वो अपने कंधे के ऊपर से उसकी डोरी नीचे खींच दी थी हालांकि इन सब से मुझे कोई मतलब नहीं था और मैं अपनी गणित के सवालों में ही उलझा रहता था | अक्सर जब मै अकेला दीदी के साथ होता तो उन्हें जांघ के ऊपऋ सिरे पर कोई न कोई कीड़ा काट लेता और वो मुझे उस कीड़े को ढूँढने के लिए कहती | मै उनकी फ्रांक में घुस जाता और सब कही ढूंढता रहता | पहले दीदी की जांघो से आने वाली गंध मुझे कुछ खास नहीं लगती थी लेकिन अब उनकी गंध दिलो दिमाग में घुस जाती | मै अब अक्सर सिर्फ दीदी की उस गंध को सूघने के लिए बेताब रहता था | दीदी भी मुझे एक बार अपनी वो मादक गंध सुंघाकर ही घर वापस भेजती थी | कुछ दिन बाद ट्यूशन पढने के बाद अक्सर दीदी किसी न किसी बहाने मुझे रोक लेती और अपनी बहन को बाहर खेलने भेज देती | कोई न कोई घर का काम मेरे से करवाने लगती, ये उठकर यहाँ से वहां रख दो वो उठकर वहां से यहाँ रख दो और ऐस करने के बीच बीच में मेरे ऊपर गिर पड़ती लिपट जाती या चिपक जाती | एक बार तो सीधे मेरी पेंट में हाथ घुसेड़ कर मेरे लंड को ही सहलाने लगी थी | मै कुछ कर भी नहीं पाता था आखिर मेरी टीचर थी और अच्छे से पढ़ाती थी | ऊपर से मुझे भी अब मजा आने लगा था | वो अलग बात है अभी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की दीदी क्या कर रही है लेकिन मजा आ रहा था |
एक दिन दीदी ने मुझे कुछ सवाल लगाने को दिए और फिर अन्दर चली गयी | काफी देर तक बाहर नहीं आई | कुछ देर बाद जब बाहर निकली तो ऐसा लग रहा था की नहाकर निकली हो | बाहर निकलते ही छोटी बहन को डाटने लगी जिससे वो झुंझलाकर बाहर खेलने भाग गयी | दीदी फिर से कमरे में घुस गयी |

कुछ देर बाद जब दीदी वापस आई तो मै देखकर हैरान रह गया | जो कुछ पहन कर आई उसे देख कर के मेरे होश उड़ने लगे मैंने देखा दीदी ने फ्रॉक नहीं पहनी है दीदी ने आज चड्ढी पहनी है और उसी सेम कपड़े की टॉप ऊपर पहनी है |
मै हैरानी से दीदी को देख रहा था - आज तो आपने चड्डी पहन ली |
मै - आप तो कह रहा थी ना कि मैं चड्डी नहीं पहनती हूं |
दीदी - इसीलिए आज मैंने चड्डी पहन ली अब बताना कैसी लग रही हूँ मै |
मेरी कुछ समझ में नहीं आया मुझे लगा दीदी कपड़ों की बात कर रही थी |
मै- बहुत अच्छी लग रही हो गई | उसके बाद उन्होंने अपनी थोड़ी सी चड्ढी नीचे की तरफ खिसकाई | वहां कोई बाल नहीं थे | उसके बाद वह मेरी पेंट के ऊपर अपना हाथ रखकर कुछ टटोलने लगी | ऐसा लग रहा था जैसे कुछ ढूंढ रही हो | उसके बाद उन्होंने मेरी पेंट की जिप खोली और अपना हाथ अन्दर घुसेड दिया | मेरे लंड को पकड़कर सहलाने लगी | इतना तो पता था की जो मेरे पास है वो लडकियों के पास नहीं होता |
मै हैरानी से - दीदी ये क्या कर रही है |
दीदी - कुछ ढूंढ रही हूँ |
मै - क्या |

दीदी - वही जो मेरे पास नहीं है और अभी मेरी मुट्ठी में है |
मै - जिसे आपने पकड़ रखा है दीदी मै इससे सुसु करता हूँ |
दीदी खिलखिला पड़ी - तू बहुत भोला है इससे और भी कई काम होते है, जल्दी ही सीख जायेगा | इसके बाद दीदी ने अपना हाथ बाहर निकाल लिया |
मेरी आँखों में आंखे डाल पूछने लगी- एक चीज दिखाऊं किसी को बताएगा तो नहीं |
मैंने पुछा - क्या दीदी |
दीदी बोली - पहले कसम खा की इस बारे में किसी से कोई बात नहीं करेगा किसी को कुछ बताएगा | ये सिर्फ हमारे दोनों के बीच की भी बात है हमारे दोनों के बीच में ही रहेगी |
मैंने हामी भर दी - ठीक है दीदी |
दीदी ने मेरा मेरा हाथ अपने सर पे रखा - सोच ले अगर किसी को भी बताया तो दीदी तेरी मर जाएगी और फिर तुझे टूशन कौन पढ़ायेगा | मै थोडा सा डर गया - दीदी मुझे आपकी कसम कभी मुहँ नहीं खोलूँगा |
मै हैरान था की ऐसी कौन सी चीज है जिसके लिए दीदी इतनी भयंकर खसम खिलवा रही है |
उसके बाद दीदी खड़ी हो गयी और धीरे से अपनी चड्डी में दोनों छोर अंगूठे में फंसा कर के अपनी चड्डी नीचे की तरफ खिसका दी |

उसके बाद मैंने जो देखा मेरे होश उड़ गए, उस समय मुझे नहीं पता था की उसे ही चूत कहते है लेकिन दीदी की नंगी चिकनी सफाचट चूत मेरी आँखों के सामने थी | हालांकि यह में पहले भी देख चुका था लेकिन कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ अक्सर बहन बिना कपड़ों के ही नहाती थी तो मैं यह चीजें देखता था लेकिन दीदी को देख करके कुछ अलग ही एहसास हुआ दीदी की चूत के इलाके में एक भी बाल नहीं था | मै तो बस दीदी का गोरापन देख रहा था | दीदी के चड्डी के अंदर एक भी बाल नहीं है और जांघो के बीचो बीच एक तिकोना सा चिकना सफाचट इलाका नीचे की तरफ दो मोटे मोटे ओंठो की सटने से बनी दरार के साथ ख़तम हो रहा था | दोनों जांघों के जोड़ों के बीच में एक लंबी पतली सी दरार बनाते हुए दो बड़े-बड़े से ओठ आपस में चिपके हुए हैं |
दीदी बड़ी हसरत से मेरी तरफ देख रही थी और मुस्कुरा रही थी | मै वो सब देखकर पसीने पसीने हो रहा था |

मैंने दीदी से हल्के से पूछा दीदी यह क्या आप मुझे दिखा रही हो |
दीदी ने हल्की मुस्कराहट के साथ पुछा - कभी देखा है इसे |
मै - हाँ बहन जब नहाती है तब सारे कपड़े उतार देती है |
दीदी - मै बहन की बात नहीं कर रही हूँ | किसी जवान लड़की को बिना कपड़े का देखा है |
मै - जवान मतलब ??. . . नहीं | लेकिन ये पता है लडकियाँ यही से पेशाब करती है |
दीदी - पेशाब के अलावा कुछ नहीं पता तुझे | अच्छा बता इसका नाम क्या है |
मैंने दिमाग पर जोर लगाया - पता नहीं दीदी |
दीदी बोली - पगले इस चूत कहते हैं इसके अंदर लंड जाता है जो तेरे पास है |
मै - मैं कुछ समझ में नहीं दीदी |
दीदी - तू अभी न समझ तो ही ठीक है नहीं तो बिगड़ जायेगा |
दीदी ने हल्के से मेरे हाथ पकड़ा और अपने उस चूत के चिकने इलाके पर रखते हुए नीचे को फिसलती हुए चली गई | दीदी का वो इलाका बहुत ही नरम और गुनगुना था, मुझे एक झटका सा करंट सा लगा | दीदी समझ गई की इससे पहले मैंने चूत के दर्शन नहीं किए हैं |
मैंने दीदी से पूछा - दीदी यह क्या है और मुझे अजीब सा महसूस क्यों हो रहा है |
दीदी बोली - क्या पगले अब तू जवान होने लगा है इन चीजों के बारे में तुझे पता होना चाहिए | ये मेरी चूत है और यह जो ओंठ आपस में चिपके हुए नीचे तक एक पतली दरार बना रहे है इन्हें चूत के ओठ कहते हैं, जैसे मेरे मुहँ में ओंठ है ऐसे ही चूत के ओंठ है | इसके अंदर एक गुलाबी मखमली सा छेद होता है | जो इन ओंठो को खोलने पर दिखाई देता है | जिसमें घुसने के लिए दुनिया का हर जवान मर्द पगलाया रहता है, ये जो तेरी पेंट में है और जिससे तू पेशाब करता है इसको लंड कहते है | ये लंड ही चूत के छेद में अन्दर घुसता है |
मै - दीदी इसे तो माँ मुनिया कहती है |

दीदी खिलखिला पड़ी - जब तक तुम छोटे थे और सिर्फ इससे पेशाब करते थे तब तक इसे मुनिया कहते है | अब तुम बड़े हो गए हो, अब तुमारी मुनिया भी बड़ी हो गयी है और खड़ी होने लगी है | (मेरी पेंट में हाथ घुसेड़कर मेरा लंड पकड़ते हुए ) तेरी पेंट में जो ये लटकता हुआ लंबा सा है, ये अब मुनिया नहीं लंड कहलाता है |
फिर खुद कुछ रूककर पूछने लगी - अच्छा ये बताओ जब सुबह उठते हो तो जोर से पेशाब लगाती है तब ये तनकर खड़ा नहीं हो जाता | क्या इतना बड़ा ही होता है |
मै हैरानी से - दीदी ये तो बहुत बड़ा हो जाता है इसे तो छुपकर बाथरूम भागना पड़ता है |
दीदी - हाँ तो समझो जब ये खड़ा होता है तभी इस चूत के छेद में घुसता है | दीदी की बता मुझे कुछ समझ न आईओ बल्कि मै और ज्यादा परेशान हो गया | मेरे चेहरे के हव भाव देखकर दीदी बोली - तू अभी ज्यादा जोर मत डाल धीरे धीरे सब समझ में आ जायेगा |

दीदी ने जब से नीचे को अपनी चड्ढी खींची थी तब से मैं उनके उस चिकने गुलाबी त्रिकोण इलाके को देखता रहा | एकटक देखता रहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा था हालांकि मुझे समझ में कुछ नहीं आ रहा था फिर मैंने दीदी से पूछा - दीदी यह सब क्या है | ये सब आप मुझे क्यों बता रही हो और अपनी ये चूत मुझे क्यों दिखा रही हो |
दीदी मेरे पास आकर - अब तू जवान हो रहा है तुझे यह सब चीजें सीखनी चाहिए और तुझे मैं इसलिए बता रही हूं क्योंकि तू मेरा सबसे अच्छा स्टूडेंट है और मै तेरी टीचर | अगर तुझे मै ये सब नहीं बताउंगी तो कौन बताएगा | मै तुझे सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं देना चाहती हूँ इसलिए तुझे अपनी सबसे खास चीज दिखाई है | तू बहुत खास स्टूडेंट है मेरा इसलिए तुझे ये सब देखने को मिल रहा है | वरना लोग अपनी बीबी की चूत देखने को तरस जाते है |

मै थोड़ा उलझा हुआ - दीदी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है |
दीदी - ठीक है मै तुझे समझाती हूँ आदमी और औरत . . . . ऐसे समझ लड़का और लड़की | तू लड़का है और मै लड़की | ठीक है |
मै - हाँ दीदी मै लड़का हूँ |
दीदी - दोनों के चड्ढी के अन्दर वाली जगह पर अलग अलग बनावट होती है | जिसे तू भी देख भी रहा है (अपनी चूत की तरफ इशारा करके ) इसे हमारी भाषा में चूत कहते हैं और यह देख ये जो दरार है यह दरार इन दोनों को अलग कर रही है इन दोनों को चूत के ओंठ कहते हैं और यहां पर जो तू बाल देख रहा था इन बालों को झांटे कहते हैं मैं तुझे यह सब खुद को नंगा करके इसलिए बता और दिखा रही हूं ताकि तू समय रहते इन सब का ज्ञान ले ले वरना लोगों की शादी हो जाती है उन्हें इस बारे में पता नहीं चलता | अगर तुझे मै ये सब खोलकर नहीं दिखौंगी तो चार्अट और किताबो से तेरा ज्बञान अधूरा रह जायेगा और तू बस किताबी शेर बनकर रह जायेगा | तो समझ गया मैंने क्या बताया इसे क्या कहते हैं यह चूत है गुलाबी चिकनी चूत | अच्छा इसे छू कर देख तुझे कैसा लगता है |

दीदी ने दुबारा मेरा हाथ पकड़ा और अपनी गुनगुनी नरम चूत पर रख दिया जो कि बिल्कुल पूरी तरह से चिकनी और सफाचट थी | मुझे दीदी की गरम जवान बदन की गर्माहट गुना गुना सा महसूस हुआ और मेरे अंदर एक सनसनी सी दौड़ गई और मेरे पेंट में भी कुछ हरकत होने लगी | दीदी ने मेरे पैंट के ऊपर अपना हाथ जमा दिया और ऊपर नीचे करके सहलाने लगी मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि हो क्या रहा है | दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर चूत के ओठों और दरार पर सहलाने को बोला | दीदी ने मेरा दूसरा हाथ अपने सीने पर रख दिया और उन्होंने कहा इसे दबावों | मुझे फिर समझ में नहीं आया तो दीदी ने खुद ही अपनी उठी हुए उरोजो को मसल कर बताया की कैसे मम्मो को दबाते है | जब दीदी ने खुद दबाकर बताया तो मै भी सीख गया | मै दीदी के उभरे हुए बड़े बड़े मम्मो को दबाने लगा | दीदी की छाती दबाने में बहुत ही मजा आ रहा था | धीरे धीरे मेरी पेंट में तनाव बढ़ने लगा मुझे समझ में नहीं आ रहा था ऐसा क्हायों हो रहा है | हाँलांकि सुबह सुबह जब मैं पेशाब करने जाता था तब यह बिल्कुल तना हुआ मिलता था पर मुझे लगता था कि पेशाब भरी होने के कारण ऐसा होता होगा | लेकिन अभी तो मुझे पेशाब नहीं लगी थी फिर भी यह सीधा हो रहा था यह मेरे लिए एक हैरानी की बात थी | दीदी मेरे और करीब आ गई और उन्होंने मुझे बाहों में भर लिया और कहा - तूने मै कैसी लगी | तुझे रोज तो पूछता था दीदी यहां तुमारे बाल क्यों | तुझे चड्ढी क्यों नहीं पहनती | आज देख न तो मेरी चूत पर बाल है और आज मैंने चड्डी भी पहनी है |
मै - दीदी आपके बाल क्या हुए |

दीदी - कभी अपने पापा को दाढ़ी बनाते देखा है |
मै - हाँ |
दीदी - उसी तरह चूत के बालो की भी सेविंग की जाती है | अच्छा अब बता तुझे मै चड्डी पहन के ज्यादा अच्छी लगती हूं या बिना चड्ढी के |
मै - दीदी सच कंहू तो अब से आप मुझे बिना चड्डी के ज्यादा अच्छी लगती हो | आप दूसरी लडकियों से बिलकुल अलग हो आपकी गुलाबी चिकनी चूत का मै दीवाना हो गया हूँ |
दीदी - अच्छा चल अब तू मुझे बता तुझे मेरी चूत कैसी लगती है क्या मैं भी तेरे लिए उतनी ही खास हूं इतना कह कर के दीदी बिस्तर पर लेट गई और उन्होंने अपनी टांगे उठा कर के मोड़ कर पेट से चिपका ली | इस दीदी की चूत बिलकुल साफ़ साफ़ चमकने लगी |
कमरे में बल्ब की आ रही हल्की सुनहरी रोशनी में दीदी का बदन देख कर के तो जैसे मैं हुस्न परियों के स्वर्ग में पहुंच गया हूं |
मै तो दीदी की खूबसूरती देख कर ही मदहोश हो गया | मुझे कुछ और याद ही नहीं रहा | मै बस दीदी की गुलाबी सुनहरे बदन की एकटक देखने लगा |
दीदी मेरी ख़ामोशी से बेचैन हो रही थी - बता न मेरी चूत कैसी लगी तुझे |

मै जैसे किसी सपने से बाहर आया - हाँ दीदी आपकी चूत किसी अप्सरा की जैसी मस्त और खूबसूरत है | बस नीचे के बाल बनाकर इसे ऐसी ही हमेशा चिकनी बनकर रहा करो | दीदी आप तो ऐसे लग रही है जैसे हुस्न परी हो मुझे इतनी हसींन कभी नहीं लगी | आपने इतना खूबसूरत बदन इन कपड़ो में छिपा रखा था उर मुझे भनक तक नहीं लगने दी | दीदी के चूतड़ और जांघे ऐसे चमक रहे हैं जैसे उनसे सुनहरी रोशनी निकल रही हो | दीदी के गुलाबी जिस्म से जैसे लग रहा हूं सोने की रंगत का की रोशनी अपने आप निकल कर चारो ओर फ़ैल रही हो |
मै - मुझे तो पता ही नहीं था दीदी कि चूत होती कैसी है उसको क्या कहते हैं लेकिन मुझे जो भी समझ में आ रहा है दीदी इस कच्ची उम्र में उसके हिसाब से आपकी चूत बहुत खूबसूरत है आपकी चूत बहुत बहुत बहुत खूबसूरत है | सिर्फ आपकी चूत ही नहीं आपके रसीले गुलाबी ओंठ आपकी चंचल हसींन आंखें आपके नरम गुलाबी गाल आपका पतला गला, सपाट पेट , आपके बड़े बड़े दूध से उठा हुआ सीना और आपके बड़े बड़े चूतड़, ये मांसल नरम गुदाज जांघे | दीदी मै आपका एदीवाना हो गया हूँ बस मन कर रहा है ऐसी ही आपको देखता रहू | हुए रोज आपकी पेट आप खाना भी आपकी कमर का पूरा बदन किसी हुस्न परी से कम नहीं है

आप इतनी खूबसूरत होगी इतनी गोरी होगी मुझे तो अंदाजा ही नहीं था आप बहुत ही खूबसूरत है इतनी खूबसूरत है कि मेरे पास उसको बयान करने के लिए शब्द नहीं है देखो ना दीदी आपकी कसी गुलाबी चूत इस बल्ब की रोशनी से किस तरह से सोने की तरह दमक रही है आपके चूतड़ से कैसे सुनहरी सी रोशनी निकल रही है | मेरे पेंट में झटके लगने लगे और मेरा लंड तनने लगा | मै हैरान था ये क्या हो रहा है | लेकिन ,मै दीदी के हुस्न में इतना मदहोश था की मैंने उधर ध्यान ही नहीं दिया |

दीदी अपनी तारीफ सुनकर बहुत खुश हो गयी | शायद उनकी तारीफ अभी तक किसी ने नहीं की थी |
दीदी - तो तू बता अब मैं तुझे कपड़े पहनकर ट्यूशन पढ़ाया करूं या पूरी तरह से कपड़े उतार के ट्यूशन पढ़ाया करू |
मै - दीदी इस समय आप मुझे बहुत अच्छी लग रही हो है मुझे लग रहा है आप मुझे कपड़े उतार के ट्यूशन पढ़ाया करो |
दीदी बोली जोश में आकर के - यह हुई ना बात |

इतना कहकर उन्होंने कस कर के मेरे पैंट के ऊपर बने हुए उभार को कस कर जकड़ लिया - मुझे समझ नहीं आया कि यह क्या है |
मैंने दीदी से पूछा - दीदी मुझे तो अभी पेशाब भी नहीं लगी है फिर यह मेरा लंड इस तरह से अकड़ कर तब क्यों गया है | वैसे तो ये बस सुबह सुबह होता है |
दीदी बोली- तेरा बहुत बड़ा है यह आदमी का लंड है अब तू मर्द हो गया है अब जैसे ही औरत की चूत तुझे दिखेगी, यह खड़ा हो जाया करेगा और उसको चोदने का तुझे मन करेगा |
मै - दीदी आप क्या कह रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा |
दीदी - तुम परेशान मत हो ठीक है धीरे धीरे धीरे सब बताऊंगी सब करके भी दिखाऊंगी तो हैरान मत हो |
इतना कह कर के दीदी ने मेरी पैंट के अंदर की ज़िप खोली और अपना हाथ अंदर घुसा करके मेरे लंड को थाम लिया और ऊपर नीचे करके हिला करके मुठ मारने लगी | मैंने आज तक कभी मुठ नहीं मरी थी इसलिए मुझे कुछ समझ में नहीं आया |
दीदी ने कहा - अब एक काम कर चल पीछे की तरफ झुक जा |
मै वैसे ही पीठ के बल जमीन पर लेटता चला गया | दीदी झट से उठी और अपनी चड्ढी निकाल फेंकी और मेरे मुहँ पर आकर बैठ गयी |
दीदी - कभी हथेली पर लगी आइसक्रीम चाटी है |
मै - हाँ दीदी |

दीदी - बस उसी तरफ मेरी चूत चाट |
मै जीभ निकालकर दीदी की चूत चाटने लगा | दीदी की गरम नरम चिकनी चूत चाटने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था | दीदी भी मदमस्त होने लगी | उनके मुहँ से मादक आवाजे निकलने लगी | दीदी सी सी सी सी करने लगी थी मुझे लगा कि दीदी को तकलीफ हो रही है मैंने दीदी से मैंने पूछा - दीदी आपको कही दर्द हो रहा है | \
दीदी मेरे भोलेपन पर हंसने लगी - अरे पगले यह दर्द नहीं है ये तो मजे की सिसकारी है मुझे बहुत मजा आ रहा है तू और कस के मेरी चूत को चाटता रह | इतना कहकर दीदी ने अपनी चूत के ओंठ उंगलियों से फैला दिए और उसके अन्दर तक जीभ घुसेड कर चूत चटाने को कहने लगी | मैंने बिलकुल वैसा ही किया | दीदी अब आगे की तरफ झुक गयी और मेरे लंड को अपने हाथ से सख्ती से जकड लिया और मुठीयाने लगी | जैसे जैसे मै दीदी की चूत में जीभ घुसेड़कर चाटता , दीदी आनंद से मस्त हो जाती और मेरे लंड को और कसकर मसलने लगती | दीदी मेरे लंड को तेजी से मुठिया रही थी मेरी सांसें तेज होने लगी थी और मुझे पसीना आने लगा था मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या है जो भी हो रहा था उसने मुझे बहुत मजा आ रहा था | दीदी ने मेरे माथे पर पसीने की बूंदें देखि तो दूसरी तरफ को चल रहा टेबल फैन मेरी तरफ को कर दिया और इससे मुझे काफी राहत मिली थी | दीदी कुछ देर तक तेजी से अपने हाथ को हिलाती रही धीरे धीरे मेरी आंखें बंद होने लगी और मैं आनंद के सागर में डूबने लगा था मैं दीदी की चूत चाटना भूल गया था दीदी के हाथ तेजी से मेरे लंड पर आगे पीछे हो रहे थे और वह बहुत तेजी से मेरे लंड को मसल रही थी कुछ देर बाद मेरे शरीर में अजीब सी ऐठन होने लगी | मेरे लंड से तेजी से एक पिचकारी निकली और दीदी के हाथ और उनकी छाती को भिगो गई | दीदी उसके बाद भी नहीं रुकी | मेरी सांसे पूरी तरह उखाड़ चुकी थी मै अपनी सांसे काबू करने लगा | कुछ देर बाद उन्होंने मेरा लंड छोड़ दिया | उन्होंने अपने ऊपर पड़े हुए उस सफेद पदार्थ को चाट लिया और अपने हाथों को चाटने लगी फिर उन्होंने एक रुमाल से मेरे लंड को पूछा और मेरी पैंट के अंदर घुसेड़ कर चेंन बंद कर दी और अपनी उंगलियां को फिर से चाटने लगी | मै दीदी की तरफ देख रहा था | दीदी मेरी पेंट की तरफ |

दीदी हल्का सा बुदबुदाई - कितना बड़ा औजार है अभी से |
मै - दीदी कुछ कहा आपने |
दीदी - तेरा लंड अभी से जवान मर्दों से भी बड़ा है आगे चलकर तो तेरा हथियार मुसल ही बन जायेगा |
मै - दीदी ये सब क्या था वैसे |
दीदी - आज की ट्यूशन खत्म हो गई , कल एक नया पाठ सिखाउंगी | अब घर जा किसी को मत बताना तुझे मेरी कसम | मजा आया |
मै अपनी किताबे समेटता हुआ - बहुत |
दीदी भी अपने कपड़े पहनने लगी - अभी तो शुरुआत है |

खाना कब का ख़त्म हो चूका था रीमा उंगलियाँ चाट चाट कर जितेश की कहानी सुनती रही | जितेश ने बर्तन समेटे और रखने चला गया | रीमा भी उठकर हाथ धोने चली गयी | रीमा ने कमर के नीचे एक तौलिया लपेट ली | हाथ धोकर जब रीमा वापस आई तो उसके मन में बस आगे की कहानी सुनने की ललक बाकि थी | रीमा बिस्तर पर लेट गई और चादर से खुद को ढक लिया |
जितेश ने भी जमीन पर अपना बिस्तर लगा लिया | उसके बाद जितेश ने एक मोमबत्ती बुझा दी | अब कमरे में बस एक मोमबत्ती भर का उजाला था |
रीमा - आगे सुनावो |
जितेश बिस्तर पर आकर लेट गया और सर के किनारे दो तकिये लगा लिए और रीमा की तारफ मुहँ करके करवट लेकर आगे की कहानी सुनाने लगा |

आज जो भी हुआ उसे सोच सोच कर मेरी आंखों की नींद गायब हो गई थी मैं बस उसी के बारे में सोच रहा था दीदी के वह गुलाबी चूत और चिकनी सफाचट इलाका मेरी आंखों से वह हट ही नहीं रहा था धीरे-धीरे मेरे लंड में फिर से तनाव आने लगा था मुझे समझ में नहीं आया क्या करूं मैंने अपनी पैंट के अंदर हाथ को घुसेड़ा और तेजी से अपने लंड को मुट्ठी में भरकर बिलकुल वैसे हिलाने लगा जैसा दीदी ने किया था | मै बिलकुल दीदी की तरह अपना लंड हिलाने लगा | जैसे जैसे मैं दीदी के बारे में सोचता जाता था मेरे लंड में कड़ापन आने लगा था लेकिन लंड को हिलाते हिलाते दीदी के उस खूबसूरत जिस्म के सपनों में खोया हुआ सो गया | सुबह जब आंख खुली तो लंड उसी तरह से तना हुआ था | आंख खुलने के साथ ही सपना भी टुटा | जल्दी से भागकर बाथरूम में घुस गया और फिर कॉलेज के लिए तैयार होने लगा | शाम को जब कॉलेज से घर आया आया तो पता चला दीदी थी किसी काम से बाहर गई हुई है इसलिए टाइम पर नहीं आ पाएंगी इसलिए आज की ट्यूशन कैंसिल | शायद इसलिए आज कॉलेज भी नहीं आई थी | मै दीदी की सपनो में खोया अगले दिन का इन्तजार करने लगा | उसके अगले दिन मै जानबूझकर थोड़ा सा लेट गया था दीदी तीन बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रही थी | बाकि बच्चे ट्यूशन पढ़ने आए नहीं थे | दीदी ने जल्दी से उन बच्चों को निपटा दिया और उसके बाद मुझे पढ़ाने लगी थी | उन्होंने 2 घंटे लगातार जान करके मुझे मैथ पढ़ाई | उसके बाद में जब मेरा दिमाग जवाब देना शुरु हो गया |
मै - दीदी अब बस करो मेरा दिमाग थक गया है |
तो दीदी ने कहा - कमरे में चल मैं तेरे दिमाग की थकान दूर करती हूं | दीदी ने झांक करके अपनी बहन को देखा, वो कार्टून देखने में खोयी हुई थी | दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे खीचते हुए कमरे में लिए चली गयी |

दीदी ने ऊपर एक टी-शर्ट और नीचे एक लंबा सा लहंगा पहन रखा था | कमरे में जाते ही दीदी ने दरवाजा बंद किया और फटाक से अपनी टी-शर्ट उतार दी उन्होंने टी-शर्ट के अंदर कुछ भी नहीं रखा था दीदी के बड़े-बड़े सफ़ेद उरोज जिनको मैं तब दूध कहता था वह मेरे सामने थे | मै दीदी के दूध देखकर हैरान रहा गया | कितने गोरे और चिकने और बड़े थे | मैंने भी आप देखा ना ताव मैं भी जोश में था मैंने जाकर के उनके दोनों उरोजो को अपने हथेली में जकड़ लिया और उन्हें दबाने लगा था | बड़ा मजा आ रहा था मैं बार-बार उन्हें दबाने लगा था दीदी मेरे और पास आ गई और उन्होंने मुझे अपने से सटा लिया | दीदी ने अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को कस के पकड़ लिया और अपनी पेट से चिपका लिया था दीदी तेजी से अपनी कमर हिलाने लगी थी और मैं उनके दूध दबा रहा था धीरे-धीरे मेरी पैंट में तनाव बढ़ने लगा मुझे नहीं समझ में आ रहा था इसा क्यों हो रहा है लेकिन बड़ा मजा आ रहा था | दीदी के नरम नरम बदन से निकलती जवानी की गरम आंच से मेरे अंग का रोम रोम उत्तेजित होने लगा | दीदी ने मेरे चूतड़ को छोड़ कर नीचे की तरफ झुकती चली गयी और तेजी से मेरी पेंट खोल दी | मैंने जानबूझकर आज चड्ढी नहीं पहनी थी | जैसे ही दीदी ने मेरी पेंट को नीचे खीचा मेरा तना हुआ लंड हवा में उछल गया और दीदी की चेहरे से जा टकराया | | ये देख दीदी औत मै दोनों हंस पड़े | दीदी ने मेरे गरम लंड को अपने नरम हाथों से थामते हुए खिलखिलाते हुए कहने लगी - अरे आज तो यह बड़ी जल्दी तैयार हो गया क्या बात है तुम बड़ी जल्दी सीख रहे हो जितेश |
मैं कुछ कह नहीं पाया लेकिन मुझे बड़ा मजा आ रहा था |

दीदी ने एक हाथ से मेरे शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए और मेरी शर्ट उतार दी |
उसके बाद तेजी से लंड को मुठीयाने लगी थी उन्होंने मेरे लंड को पकड़ कर के उसके सुपाडे को खोल करके नंगा कर दिया | उसकी खाल को खीच करके नीचे की तरफ धकेल दिया | अब मेरे लंड का लाल फूला हुआ सुपाडा पूरी तरह से अनावृत था |

दीदी ने मेरे लंड को जड़ से कसकर पकड़ा और दुसरे हाथ से मुझे बिस्तर पर पीछे की तरफ धकेल दिया | मै पीठ के बल बिस्तर पर लुद्जक गया | दीदी ने नीचे झुकते हुए मेरे जांघो के बीच मेरे लंड पर झुक गयी और मेरे खून से भरे लाल सुपाडे पर अपने गुलाबी रसीले ओंठ चिपका दिए | दीदी के गुलाबी नरम होठों का सुखद रेशमी स्पर्श बस एक अनुभव था जो मै शब्दों में बयां नहीं कर सकता | जैसे ही दीदी ने अपनी गीली खुरधुरी जीभ मेरे लंड के गरम सुपाडे पर घुमाई | वो गीला रसीला अनुभव मुझे मदहोश करता चला गया | मुझे समझ नहीं आया था की वो क्या था लेकिन जो भी था स्वर्ग का अनुभव कराने वाला था | दीदी मेरा लंड चूस रही थी | मुझे तो अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था | जिस उम्र में लोगो को औरत मरद के बीच का क ख ग नहीं पता होता उस उम्र में दीदी मुझे जवानी के उस सुख का अहसास करा रही थी जिसको मै शब्दों में बयां नहीं कर सकता | दीदी धीरे-धीरे मेरे लंड को अपने मुंह में लेने लगी थी और कस कर चूसने लगी थी | उनके मुंह की गीली खुरखुरी जीभ और उसके उस गीले रसीले एहसास की वजह से मैं बिल्कुल जैसे स्वर्ग में पहुंच गया हूं | मेरा लंड तेज खून के दौरान के कारण गर्म था और उस पल जब दीदी के मुहँ की लार की ठंडी चासनी लगी तो जैसे मैं आनंद से पागल हो गया था | दीदी ने मेरे लंड को जड़ से कस कर पकड़ा और सुपाडे को पूरी तरह से मुहँ में घोट कर चूसने लगी थी | मैं मदहोश होने लगा था हालांकि मैं ये सब दीदी सीखना चाहता था इसलिए मैंने दीदी से पूछा - यह क्या है |
दीदी मेरे लंड को मुहँ से निकाल कर बोली - कल तूने मेरी जांघों के बीच में घुस करके करके मेरी चूत को चूसा था तुझे याद है न |
मै- हाँ दीदी |

दीदी बोली - उसे चूत का चूसना कहते हैं जब कोई आदमी किसी औरत की चूत को चूसता है तो उसे चूत चूसाई कहते हैं |
मै - अच्छा दीदी |
दीदी - तूने कभी कंपट टाफी चुसी है | वो टॉफी जिस पर एक डंडी भी लगी होती है |
मै दीदी के लंड चूसने के कारन बहुत उत्तेजित था - हाँ दीदी बहुत बार चुसी है |
दीदी - तो समझ ले यह तेरा लंड है जो ये उसी टॉफी की तरह है | इसको चूसने में बहुत मजा आता है और आखिरी में इसमें से भी ढेर सारा रस निकालता है | इसे मै चूस रही हूं इसे लंड का चुसना कहते हैं |
मै - दीदी जैसे टॉफी मीठी होती है क्या लंड के रस में भी क्या मिठास होती है | इसमें क्या उसी तरह से मीठा मीठा रस आता है |
दीदी - इसमें कोई मीठा रस नहीं होता है, लेकिन इसका रस बहुत टेस्टी होता है | इसमें एक अलग सा स्वाद होता है, इसका स्वाद जिसने चखा है वही बस जानता है कितना टेस्टी स्वाद होता है | इसका एहसास सिर्फ उसी को होता है जो लंड को चूसता है |
मैं - दीदी क्या लड़के भी लंड चूसते हैं |
दीदी लंड चूसते चूसते अपनी हंसी को कंट्रोल नहीं कर पाई, फिर खुद को काबू करके बोली - जो लड़के गांड मरवाते हैं वह लंड चूसते हैं | लेकिन जो लड़के चूत चोदते हैं वो चूत चूसते है |

मै - इसका मतलब मैंने आपकी चूत चुसी थी तो क्या मै आपकी चूत को चोदुंगा |
दीदी - अब समझ में आया है तुझे |
मेरी शंका अभी दूर नहीं हुई थी - तो दीदी क्या मैं आपकी चूत को चोदने वाला |
दीदी - हाँ कभी न कभी तो जरूर चोदोगे, अगर मेरे अच्छे स्टूडेंट बने रहे |
मै - दीदी किसी की चूत को चोदते कैसे हैं | दीदी - अभी धीरे धीरे धीरे तुझे सब पता चल जायेगा क्यों परेशान है तू सबकी क्यों चिंता कर रहा है | मैं तुझसे सिर्फ बता नहीं रही हूँ मै तो करवा भी रही हूँ | हर चीज का प्रैक्टिकल भी करेगा | मै तुझे सिर्फ सिर्फ चूत लंड के बारे में ही नहीं बता रही रही बल्कि क्या होता है ये दिखा भी रही हूँ | तो समझ ले जब चूत चोदने के बारे में बताउंगी तो चूत चुदवा करके भी सिखाउंगी |
मै आनंद के सागर में गोते लगाता दीदी से सवाल पे सवाल किये जा रहा था मेरे सवाल अभी भी खतम नहीं हो रहे थे - अच्छा दीदी फिर भी एक सवाल है क्या आपने इससे पहले कभी चूत चुदवाई है |

दीदी बोली - नहीं पर मैंने दूसरों को चोदते हुए देखा है इसलिए मुझे पता है कैसे चूत चोदी जाती है |
मै - तो दीदी आपने कभी अपनी चूत चुदवाई नहीं मैंने कभी किसी की चूत चोदी नहीं तो हम आपस में चुदाई करेंगे कैसे |
दीदी - तू उसकी चिंता मत कर मेरे पास कुछ सीडी है उनमें अच्छे से बताया गया है कि किसी की चूत को पहली बार कैसे चोदना चाहिए और मैंने उसे एक बार नहीं दो बार नहीं 50 बार देखा है ठीक है | इतना ही नहीं उनको देख देख कर के मैंने अपनी चूत की कई बार प्यास बुझाई है, लेकिन उसमे चूत के अन्दर कभी कुछ नहीं गया | अब मैं चाहती हूं कि मेरी चूत में कोई लंड जाए | मै एक लम्ठीबे तगड़े लंड से चुदना चाहती थी | मै चाहती थी कोई मर्द का बच्चा मेरी सील तोड़े | फिर तेरे साथ खेलते खेलते मुझे तेरे लंड के साइज़ का अहसास हुआ तब से मै तेरे लंड की चाहत पाले बैठी हूँ लेकिन तेरा लंड मेरी चूत में जाएगा उससे पहले मैं तुझे अच्छी से ट्रेनिंग दूंगी ताकि चुदाई में कोई दिक्कत ना हो | यह कहते-कहते दीदी धीरे धीरे मेरे लंड को निगलने लगी थी और हर बार थोड़ा सा लंड मुहँ में और अन्दर लेकर के ऊपर चुस्ती हुई चली जाती थी मुझे बहुत मज़ा आ रहा था | दीदी के मुहँ से बेतहाशा लार बहने लगी थी उनकी आँखों में लालिमा छा गयी थी | मैंने देखा धीरे-धीरे दीदी ने पूरा लंड अपने मुंह में निगल दिया है दीदी मेरा पूरा लंड घोंट गयी | मेरा लंड पूरी तरह से गायब हो गया है मैं कुछ पल के लिए हैरान रह गया था क्या दीदी के मुंह में इतनी जगह है कि मेरा पूरा का पूरा मुसल लंड दीदी के मुहँ में समां गया |

फिर मैंने दीदी से पूछा - दीदी यह पूरा का पूरा लंड आपके मुंह में गायब हो गया क्या आपको दिक्कत नहीं हो रही थी |
दीदी बोली - अरे नहीं पगले इसके लिए इसके लिए थोड़ी मेहनत तो करनी पड़ती है पर मुझे बहुत मजा आ रहा है कि मैं तेरा लंड पूरा का पूरा चूस रही हो | जब कोई औरत पूरा का पूरा लंड मुहँ में लेकर चूसती है तो उसे भी बहुत मजा आता है और चूसवाने वाले को तो जैसे जन्नत ही मिल जाती है | दीदी की आंखे पूरी तरह से लाल हो गयी थी |
मै - दीदी आपकी आँखों की क्या हुआ |

दीदी - ये औरत का नसीब है उसे मजा लुटने के लिए भी दर्द से गुजरना पड़ता है | आगे चलकर सब समझ जाओगे | अब बस लंड चूसने का मजा लूटो |
मैने धीरे धीरे आंखें बंद कर ली थी दीदी का साथ तेजी से मेरे लंड पर आगे पीछे होने लगा था उनके गुलाबी होंठ मेरे लंड पर कस के चिपके हुए थे और वह तेजी से अपना सर हिला रही थी | मेरा लंड सटासट दीदी के गीले मुहँ में आ जा रहा था | मुझे बहुत मज़ा आ रहा था मैं बिल्कुल ही बेहोश होने की कगार पर पहुंच गया था मैं पूरी तरह से मदहोश हो चुका था दीदी के मुंह से चपड़ चपड़ की आवाज आने लगी थी |

दीदी ने उस खामोशी को तोड़ते हुए उससे पूछा - जितेश कैसा लग रहा है तुझे मजा आ रहा |
मैं - हां दीदी बहुत मजा आ रहा है | बस ऐसे ही चूसती रहो | मुझे तो पता ही नहीं था दीदी कि लंड को चुसवाने में इतना मजा आता है आपने मुझे जन्नत की सैर करा दी |
दीदी समझ गई मैं पूरी तरह से वासना में डूब चुका हूं उसके बाद दीदी ने अपने होठों से और कसकर मेरे लंड को जकड़ लिटा और सर हिलाने लगी | दीदी तेजी से मेरे लंड को चूसने लगी थी उनका सर और उनके हाथ तेजी से मेरे लंडपर फिसल रहे थे | उसको कसकर जकड़कर मसल रहे थे | उनके गुलाबी होंठ और उनके हाथों की उंगलियां मेरे लंड पर बहुत ही सख्ती से तेजी से ऊपर नीचे फिसल रही थी | तभी मेरी कमर में एक झटका मारा मुझे समझ में नहीं आया यह क्यों हुआ लेकिन दीदी समझ गई |
दीदी ने कहा - ऐसा लग रहा है तुझे मेरा मुंह चोदने का मन हो रहा है तूने अभी अभी झटका मारा है अच्छा एक काम कर चल ठीक है मैं अपने को मुहँ के ओंठो को फैलाकर खोलकर चौड़ा कर देती हूँ फिर तू मेरे मुहँ चोद ले | इतना कहकर दीदी ने मेरे लंड की जड़ में अपनी उंगलियाँ का एक सख्तूत घेरा बना दिया | फिर मुहँ में ढेर सारी लार मेरे लंड पर उड़ेल दी | फिर पुरे लंड को लार से सान दिया |
फिर दीदी बोली - अब नीचे से कमर हिला मुझे समझ नहीं आया दीदी के कहने का क्या मतलब है |
मैने पूछ लिया - क्या मतलब है दीदी इसका |
दीदी बोली - अभी तेरी कमर हिली थी ना |
मैंने कहा - हाँ हिली थी तो |
दीदी - पगले तेरी कमर हिलाने का मतलब है तू मेरे मुंह को चोदना चाहता है तो अब एक काम कर अब मैं तेरा लंड चुसना बंद कर रही हूं और तू नीचे से अपनी कमर हिलाकर मेरे मुहँ को चोद |

मुझे कुछ समझ में नहीं आया - लेकिन दीदी मैं कैसे करूंगा |
दीदी - तू पूरी तरह से पागल है क्या या बिलकुल गधा है | क्या कैसे करेगा, मुहँ चोदना है . . . . . . . अच्छा चल ठीक है मैं तुझे बताती हूं एक काम कर तू अपनी कमर को हल्का सा ऊपर की तरफ उठा | और फिर नीचे ले जा |
मैंने बिलकुल वैसा ही किया | उसके बाद दीदी बोली अब जोर जोर से ऊपर नीचे कर | मै वैसे ही करने लगा |
दीदी बोली - ठीक है |
इसके बाद दीदी ने मेरे लंड के चारों तरफ कस कर के अपने होंठ चिपका दिए और फिर बोली चल अब
अपनी कमर हिला मैंने अपनी कमर को हल्के से ऊपर की तरफ उठाया मेरा लंड सरकता हुआ दीदी के मुंह में चला गया उसके बाद फिर से कमर जब नीचे आई तो लंड फिर से दीदी के मुंह से बाहर आ गया उसके बाद फिर से मैंने ऊपर की तरफ कमर हिलाई तो फिर से दीदी की मुंह में लंड तेजी से घुस गया मुझे बड़ा मजा आया तो मैंने तेजी से कुछ ज्यादा ही कमर उठा दी और मेरा तना हुआ लंड दीदी के मुंह में जा कर के बहुत तेजी से लगा था दीदी के दांत मेरे लंड पर लग गए थे | मैं चीख पड़ा और दीदी भी | दीदी के मुंह में जोर से ठोकर लगी थी तो दीदी भी चीख पड़ी |

दीदी बोली - पगले ऐसे नहीं करते हैं आराम आराम से धीरे धीरे करना है | आराम से कमर हिला |
मैंने हलके हलके से कमर हिलाने शुरू की और मेरा लंड दीदी के मुंह में धीरे-धीरे जाने लगा और बाहर आने लगा था पहले दीदी ने मेरे लंड के ऊपर अपने होठों को हलके से सटा रखा था लेकिन जैसे-जैसे मैं कमर हिला रहा था वैसे उसे दीदी अपने होठों को मेरे लंड पर कसके चिपकाती चली गई थी और अब उन्होंने मेरे लंड को अपने होठों से कसकर जकड़ लिया था मेरा लंड अब आसानी से दीदी के मुंह में नहीं जा रहा था तो मुझे कमर से जोर लगाना पड़ रहा था | मुझे बहुत मजा आ रहा था कुछ देर तक ऐसे ही कमर हिलाता रहा और दीदी मेरे लंड के चारो ओर कसकर अपने ओंठ चिपकाये रही और मेरे लंड को चूसती रही | दीदी न केवल मेरे लंड को अपने होठों की सख्ड़त जकड़ने से चूसती रही बल्कि अपना मुहँ भी चुदवाती रही | दीदी के मुहँ से लगातार लार बहती रही आयर मेरे लंड को जमकर भिगोती रही | हम दोनों ही बुरी तरह से हांफने लगे थे | शरीर पसीने पसीने हो चूका था | दीदी की आंखे बुरी तरह से लाल हो गयी थी | दीदी की आंखे और चेहरे को देखकर एक चीज तो समझ आ गयी थी लंड को अच्छे से चुसना कोई मजाक नहीं है | दीदी मेरे लंड को पूरा का पूरा चूसने के लिए कितनी मेहनत कर रही थी ये उनकी लाल आंखे ही बता रही थी | जब हम दोनों ही बुरी तरह हांफने लगे तो उसके बाद दीदी ने मेरे लंड को मुंह से बाहर निकाल दिया था और तेजी से मुठीयाने लगी और कुछ देर तक बुरी तरह से मुठियाती रही | उसके बाद फिर से चूसने लगी थी मै बस आनंद के सागर में गोते लगाता हुआ अपनी कमर अभी भी हिला रहा था |

और दीदी ने अपने दोनों हाथों की उंगलियों से एक छल्ला बना दिया था और उसी छल्ले में फंसा कर मेरे लंड को मसल रही थी | बार बार उस छल्ले को लार से भर देती ताकि मेरा लंड उस उंगलियों की बनी सुरंग में सरपट दौड़ता रहे | मै फिर से तेजी से कमर हिलाने लगा | मेरा लंड दीदी के उंगलियों की सुरंग की सख्त जकड़न में बुरी तरह मसल कर आगे पीछे होने लगा | जैसे जैसे मैं कमर हिला रहा था ऐसे की दीदी के उंगलियों के बने छल्ले में रगड़ खाकर होता हुआ लंड अपनी केचुल छोड़ दुसरे छोर पर बिलकुल नंगा होकर निकलता | उनके हाथ के बने छल्लों के बीच से मेरा लंड फिसलता हुआ दूसरी तरफ जाकर के खुल जाता था और उसके ऊपर की खाल पूरी तरह से खींची जाती थी और फुला हुआ लाल सुपाड़ा पूरी तरह से दूसरी तरफ छोर पर निकल जाता था मैंने कमर हिलाने बंद नहीं की थी दीदी ने धीरे धीरे कसके मेरे लंड को मसलना जारी रखा और उसके बाद में मेरे लाल गुलाबी सुपाडे को अपने मुंह में ले लिया और कस कर चूसने लगी थी |

इधर मैंने अपनी कमर हिलानी बंद कर दी थी जैसे-जैसे मैंने कमर हिलानी बंद करी दीदी ने अपने हाथों से हिला हिला कर मेरे लंड को मसलने लगी थी ऐसा लग रहा था जैसे दीदी जल्दी से जल्दी मेरे अंदर की मलाई को निकाल करके खाना चाहती हो |
दीदी - तूने कमर हिलानी क्यों बंद कर दी . . चोदना ऐसे ही सीखेगा क्या बिना कमर हिलाए चुदाई नहीं होती समझ में आया |
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