Episode 35
जितेश और उसकी दीदी की चूत चुदाई की कहानी सुनकर रीमा को बुखार चढ़ने लगा | उसके हाथ चादर के अन्दर उसकी तौलिया को खोलते हुए गुलाबी चूत के लाल चूत दाने तक पंहुच गए | रीमा की एक उंगली उसके उस गुलाबी लाल दाने पर थिरकने लगी |
जितेश भी अब सीधे लेट गया | उसके मन में भी सुरूर चढ़ने लगा था | उसने भी अपने ऊपर चादर डाल ली और उसका हाथ भी उसके मुसल लंड तक पंहुच गया | चूँकि मोमबती खाना गरम करने वाली जगह पर रखी थी इसलिए जितेश की हरकत तो रीमा देख सकती थी लेकिन रीमा क्या कर रही है ये जितेश नहीं देख सकता था | दुसरे रीमा बेड पर लेती थी और जितेश जमीन में इसलिए रीमा के लिए जितेश को देखना बहुत आसान था | रीमा समझ गयी जितेश क्रिस्टीना को याद कर रहा है, उसका लंड उसकी दीदी की याद में अकड़ने लगा है | इसलिए वो ऊपर से चादर डालकर अब उसे मसलने लगा है रीमा की चूत दाने पर फिसलती उंगली से रीमा की आवाज में मादकता आने लगी |
रीमा - फिर क्या हुआ | जितेश ने आगे कहानी सुनानी शुरू की |
मैंने फिर से कमर हिलाने शुरू कर दी थी लेकिन इस बार दीदी की उंगलियों का छल्ला बहुत सख्त था इसलिए मेरा लंड उसने फंस जा रहा था दीदी ने ढेर सारी लार मुंह से निकाल कर मेरे लंड पर मसल दी और फिर मेरा लंड आराम से दीदी के उंगलियों के बनाए छल्लो के बीच से फिसलने लगा था मैं धीरे-धीरे जोर जोर से झटके लगाने लगा था | दीदी ने भी हाथों से जोर जोर से झटके लगाकर मेरे लंड को मसलने लगी थी | दीदी ने अपने उंगलियों के छल्लों के आखिरी सिरे पर अपने ओंठ सटा दिए | जिससे कि उनके दोनों हाथों की उंगलियों के बने छल्लो से लंड फिसलता हुआ ऊपर की तरफ निकल जाए और उसका सुपाडा सीधे दीदी के मुहँ की रसीले ओठो की जकड़न में समां जाए | अब मैं नीचे से धक्का मारता था तो दीदी की दोनों हाथो की उंगलियों के छल्लों को चीरता हुआ . . फिसलता हुआ लंड दूसरी छोर पर निकल जाता था और दीदी के नरम ओंठो की सुरंग में समां जाता | दीदी कसकर लंड के सुपाडे को चूस लेती | काफी देर तक यही सिलसिला चलता रहा मैं नीचे से जोर-जोर से बड़े-बड़े धक्के लगाता रहा | सांसे मेरी धौकनी बन चुकी थी लेकिन मैं पूरी तरह से जोश में भरा हुआ था इसलिए मुझे थकान महसूस नहीं हो रही थी कुछ देर बाद दीदी ने फिर से मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया था और अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को कसके मसल रही थी और सुपाडे को चूसने लगी थी और जैसे जैसे लंड के ऊपर दीदी अपनी सख्त जकड़न बढ़ाती जा रही थी मेरे लंड में सनसनाहट पड़ने लगी थी मेरा बदन अकड़ने लगा था और मेरे हाथ पांव सब कांपने लगे थे और एकदम से जैसे लगा जैसे कोई तेज लहर आई और मै उसमे बहता चला गया |
जल्द ही मेरा दिमाग और बदन दोनोई मेरे काबू में नहीं थे तेजी से मेरे लंड से पिचकारिया छूटने लगी थी मैं स्खलन की इस भंवर मदहोश हो गया था | मेरे लंड से निकलने वाली पिचकारी दीदी के चेहरे पर जाकर लगी थी उनकी आंख पर जाकर लगी थी उनकी नाक पर जाकर लगी थी और कुछ सीधे उनके मुंह में चली गई थी दीदी उन्हें तुरंत गटक गई और उसके बाद भी उन्होंने मेरे लंड को मसलना और चाटना नहीं छोड़ा था | तब तक मसलती रही जब तक कि उसके अंदर से एक एक बूंद उन्होंने नहीं निकाल दी | दीदी धीरे-धीरे करके सब चट कर गई उन्होंने अपने चेहरे के ऊपर लगी हुए सफ़ेद मलाई को भी चाट नहीं डाला | अपनी उंगलियों को चाट गई और मेरे लंड को भी चाट गई थी मैं तो बिल्कुल निढाल होकर पर पड़ गया था मेरा लंड सूखने लगा था लेकिन दीदी को बहुत मजा आया और मुझे भी बहुत मजा आया था मैं अपनी तेज सांसों को काबू कर रहा था और दीदी मुझे देख रही थी
कुछ देर तक दीदी मुझे निहारती रही और फिर पूछने लगी - कैसा लगा लंड चूसना मजा आया |
मैंने एक लंबी साँस ली और बोला - हां दीदी बहुत मजा आया |
दीदी बोली - जवानी के खेल में ऐसे ही मजा आता है अभी तो मैंने सिर्फ तुझे जवानी का एक खेल का दर्शन कराया है ऐसे जवानी के हजारों खेल हैं जिनको खेल करके तू हमेशा जन्नत की सैर करेगा |
मैंने दीदी से पूछा - दीदी इससे पहले भी आपने किसी का लंड चूसा है |
दीदी बोली - हां कॉलेज में दो लड़के थे और दोनों लड़कियों से बहुत परेशान करते थे | इसलिए मुझे उनसे बचने के लिए मैंने उनके लंड चूसने शुरू कर दिए थे |
मै - दीदी आपने मेरा लंड क्यों चूसा मैंने तो आपसे कहा भी नहीं था |
दीदी - अरे पगले एक बार लंड चूसने की लत लग जाए तो फिर हमेशा लंड की तलाश ही लगी रहती है | पहले पहले तो मुझे मजा नहीं आता था और मुहँ में भी दर्द होता था लेकिन अब लंड चूसते चूसते मेरी आदत पड़ गई थी | मुझे मजा भी आने लगा था |
4 महीने हो गए वह दोनों लड़के तो कॉलेज चले गए आगे की पढ़ाई के लिए | मेरे को तो आदत लग गई थी, जब तक लंड चूसकर उसकी मलाई न पिऊ, मन में बेचैनी सी रहती थी |
दीदी एक लम्बी साँस लेती हुई - मुझे लगा तू समझेगा इसीलिए मैंने तुझसे यह सारी बातें बताएं और मुझे ख़ुशी है कि तूने सब कुछ बहुत अच्छे से सीख रहे हो और किसी को बता भी नहीं रहे हो | इसीलिए तो मेरे लिए तुम खास है और हमेशा खास रहोगे | यह सब चीजें अपने बहुत खास आदमी को सिखाई जाती हैं |
मैं - कितना खास हूं दीदी मै आपके लिए |
दीदी - तू बहुत खास है मेरे लिए, तू सोच तुझे अपनी चूत भी दे सकती है ये तेरी दीदी चोदने के लिए | चूत सिर्फ किसी बहुत खास आदमी को ही चोदने के लिए दी जाती है |
मै हैरानी से - ऐसा क्या होता है चूत चुदाई में | चूत इतनी खास क्यों है दीदी | चूत सिर्फ किसी बहुत खास आदमी को ही चोदने के लिए क्यों लड़कियां देती है |
दीदी मेरे बाल सहलाती हुई - तुझे पता नहीं है लड़की की चूत बहुत खास होती है, ये लड़की का सबसे अनमोल गहना होती है इसीलिए इसे लड़कियां छिपाकर बचाकर रखती है | चूत सबसे नाजुक होती है | किसी भी चूत का छेद किसी लड़की के लिए उसकी जिंदगी का सबसे बढ़ा उपहार होता है | तुझे पता है जब एक आदमी अपने लंड से चूत को चोदकर अपनी मलाई चूत की गहराई में छोड़ देता है तो इससे बच्चा पैदा होता है |
मै हैरानी से - बच्चा पैदा करने के लिए चुदाई करनी पड़ती है, तो अगर मै आपको चोदुंगा तो आपको बच्चा पैदा हो जायेगा |
दीदी मेरी मासूमियत पर हंसने लगी - हाँ हो भी सकता है |
मै डर गया - दीदी फिर मै आपको कभी नहीं चोदुंगा |
दीदी - अरे पगले, बच्चा पैदा करने के लिए एक खास टाइम पर चोदना होता है |
मै - अच्छा और वो टाइम का कैसे पता लगता है |
दीदी - हर समझदार लड़की को वो टाइम पता होता है |
मै - चुदाई इतनी खास है दीदी |
दीदी - हाँ |
मै - इसका मतलब आपकी चूत भी बहुत खास है बाकि सब लडकियों की तरह |
दीदी - हाँ इसीलिए पूरी दुनिया चूत के पीछे भागती रहती है |
मै - तो पूरी दुनिया बच्चा पैदा करने के लिए इस चूत के पीछे पड़ी रहती है |
दीदी - हाँ चूत का असली काम तो वही है लेकिन आदमी को नरम नरम कसी हुई चूत चोदने में मजा आता है | ऐसे समझ, जब एक लड़की पहली बार चुदती है तो उसका चूत का छेद कुंवारा होता है और जब लड़की किसी लड़के को वो कुवारी चूत चोदने को देती है तो वो लड़का पूरी जिंदगी के लिए उसका गुलाम बन जाता है, उसकी हर बात मानता है |
मै - तो मै भी आपका गुलाम बन जाऊंगा |
दीदी - मजे भी तो तू ही लूटेगा मेरी चूत भी तुझे बार बार चोदने को मिलेगी |
मै - ऐसा क्यों दीदी आपको मजा नहीं आएगा चुदाई में |
दीदी - आता है लेकिन जब कोई ठीक से चूत को चोदता है |
मै - ठीक से क्या मतलब |
दीदी - अरे बाबा इतनी जल्दी है तुझे सब जानने की , सब बताउंगी धीरे धीरे | तू इतना खास है की तेरे से अपनी जिस्म और रूह का कुछ भी नहीं छिपाउंगी | तुझे पता नहीं तुम कितना खास है तूने मेरी ४ महीनो की प्यास बुझा दी है |
मै - ये कौन सी प्यास है, प्यास लगती है तो पानी पीते है |
दीदी - तुझे नहीं पता, ये जिस्म की प्यास है जवानी की प्यास है ये सिर्फ पानी पीने से नहीं बुझती |
मै - दीदी अब आगे क्या है आगे का कल बताऊंगी |
तब तक एक काम कर | दीदी ने मुझे एक सीडी लगाई और मै उसे देखने लगा | उसी सीडी में दिखाया था कैसे लोग सेक्स करते हैं | मैंने और दीदी ने आधे घंटे बैठकर वह पूरी वीडियो देखें इसी बीच दीदी ने मुझे अपनी बाहों में भरके बैठाए रखा | मैं दीदी को सहलाता रहा और दीदी मुझे सहलाती रही | कभी मैं उनके दूधो को मसलता कभी मैं उनके पीठ को सहलाता था | दीदी पहले अपनी चूत सहलाती रही , फिर मेरे लंड और गोलियों को सहलाने लगी | मैं भी उनके पीछे जाकर उनके बड़े-बड़े मांसल चूतड़ों की मालिश करने लगा था | फिर दीदी पलट कर मुझे बांहों में भर लेती और मेरे सीने को सहलाती कभी वह मेरे गालों को सहलाती कभी चूमने लगती | कभी मेरे मुरझाये लंड को सहलाती कभी मेरी गोलियों से खेलने लगती |
हम लोग आधे घंटे तक यही करते रहे और उस ब्लू फिल्म को भी देखते रहे | इसके बाद पता नहीं दीदी को क्या हुआ वह उठकर के एक तरफ चली गई और दूसरी सीडी ले आई थी और उन्होंने वह सीडी लगा दी और उसके बाद में वह थोड़ा सा शहद और मक्खन भी ले आई | उन्होंने अपनी चूत के दोनों गुलाबी ओंठो को अच्छे से फैला दिया और उसमे शहद भर दिया |
दीदी - चल चाट इसे |
मैं आज्ञाकारी बालक की तरह उनकी जांघों के बीच में आ गया था उन्होंने अपने दोनों पैर हवा में उठा दिए थे और मैं कसकर के कुत्ते की जीभ निकालकर उनकी चूत को चाटने लगा था और चाटते चाटते मैंने उनके चूत पर लगे हुए शहद की एक एक बूंद को अच्छे से चाट गया था | दीदी पूरी तरह से मदमस्त हो गई थी | दीदी अलग-अलग पोज में बैठ कि मुझे अपनी चूत दिखाती है और फिर उस पर मक्खन लपेट देती |
मक्खन लपेटने के बाद मुझे आदेश देती - चल खा मेरी मक्मुखन मलाई जैसी चूत को , चाट इसे |
मै दीदी की जांघो के बीच में घुसकर दीदी की चूत और आसपास के सारे इलाके को तब तक चाटता रहता जब तक मक्उखन ख़त्सेम न हो जाये | इसी बीच में मेरे लंड में फिर से हरकत होने लगी थी यह सब करते करते लगभग एक घंटा हो गया था | मुझे लग रहा था कहीं कोई आ ना जाए | हो सकता है दीदी की छोटी बहन ही आ जाये | हम दोनों को ऐसी हालत में पकड़ ले |
मुझे डर भी लग रहा था मैंने दीदी ने पूछा - दीदी आपको नहीं लगता को ज्यादा देर हो गई है दीदी बोली नहीं कोई दिक्कत नहीं है | छुटकी अभी भी कार्आटून देख रही है और आधे घंटे तक वो वहां से नहीं उठने वाली | जब तक मम्मी पापा नहीं आते तब तक वो टीवी के सामने से उठने से रही | तू चुपचाप बस मेरी चूत चाटता रह | दीदी की मक्खन लगी चूत को मैंने अच्छे से चाटा था इसके बाद दीदी ने और ढेर सारा मक्खन लगा दिया | दीदी को बड़ा मजा आ रहा था | वो मेरे चूत चाटने से बिलकुल मदमस्त हो गयी थी | उनकी नशीली आँखे देख ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने कोई नशा कर रखा है लेकिन असल में वो वासना के नशे में बुरी तरह से डूबी हुई थी |
मैं उनकी चूत को फिर से चाटने लगा | दीदी बार बार मख्खन लगाती रही और मैं उसे बारी-बारी से चाटता रहता था , दीदी बीच बीच में एक दो बार कांपी भी जबदस्त |
उस कांपने का रहस्य मुझे बाद में पता चला | ये सब करते थे काफी देर हो गई थी और मेरा लंड फिर से पूरी तरह से खड़ा हो गया था दीदी अब बिस्तर पर लुढ़क गई थी और उन्होंने अपने पास में मुझे बुलाकर तेजी से अपने हाथ से मेरे लंड को मसलना और मुठियाना शुरू कर दिया था और वह एक हाथ से मेरे लंड को मुखिया रही थी और दूसरे हाथ से वह अपने बड़े-बड़े दूधों को मसल रही थी उसके बाद दीदी ने मेरे लंड को छोड़ा और बोली - चल तू मेरी चूत को देख करके मुठ मार |
मैं दीदी के जांघो के बीच में उनके चेहरे के सामने आ करके बैठ गया | दीदी ने पूरी तरह से जागे फैला दी थी उनकी गुलाबी चूत के दोनों गुलाबी फाके भी अलग हो गए थे और मुझे उनकी कसी हुई गुलाबी मखमली चूत की सुरंग की गुलाबी लालिमा के दर्शन होने लगे थे | क्या चूत थी बिलकुल गोरी चिकनी सफाचट | कही कोई दाग नहीं, कही कोई बाल नहीं | गोरेपन और गुलाबी लालिमा लिए दीदी की चूत खूबसूरती की एक मिसाल थी | जिसे बस महसूस किया जा सकता था | चूत के अंदरूनी ओंठ भी होते है ये मुझे तब पता चला जब मैंने दीदी से पुछा - दीदी ये आपके चूत के ओंठो के अन्दर गुलाबी पंखुडियां कैसी है | क्या यही गुलाबी चूत होती है |
दीदी - नहीं पगले ये तो मेरी चूत के अंदरूनी ओंठ है | जब ये ओंठ खुलते है तब चूत का छेद दीखता है | अभी जितना कहाँ है उतना कर, आगे सब बताउंगी |
दीदी अपने दोनों हाथों से अपने दोनों दूधो को मसलने लगी थी | और उन्होंने मुझे अपने दोनों हाथों से अपने लंड को कस के मुठीयाने को कहा था | मैं दीदी के चूत के बिल्कुल सामने बैठकर तेजी से अपने लंड को मुठिया रहा था, लेकिन मेरी नजर दीदी की गुलाबी करिश्माई हसींन चूत से हट ही नहीं रही थी | मेरा हाथ मेरे लंड को बुरी तरह मसले जा रहा था, दीदी बड़े ही कामुक अंदाज में मुझे देख रही थी | मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन दीदी के पूरे बदन को देख कर पूरी तरह से पागल हो गया था | मैं तेजी से अपने लंड को हिला रहा था |
मै हांफता हुआ - दीदी अपनी चूत के बारे में और बताओ न |
दीदी अपने दूध को मसलना छोड़ कर अपनी चूत को सहलाने लगी | दीदी ने अपनी चूत के उपरी सिरे को उंगली से रगड़ने लगी |
दीदी - पहले ये बता तुझे क्या क्या पता चल गया है |
मै अपनी तेज सांसो को संभालता हुआ तेजी से लंड पर अपनई हथेली की मुट्ठी को फिसलाता हुआ बोला - दीदी आपकी चूत देख ली, चूत के ओंठो को पहचान गया हूँ | चूत का चीरा भी आपने बता दिया | अब आगे भी बताइए |
दीदी ने आपनी उंगलियों से अपनी गुलाबी चिकनी चूत को फैलाया, दीदी की आपस में चिपकी हुई चूत की पंखुड़िया खुल गयी | उनके दोनों फांके अलग हो गए | दीदी ने चूत के उपरी हिस्से को कसकर पीछे को खीचा तो एक लहसुन के इतना लाल लाल दाना उनकी खाल से बाहर आ गया | दीदी उस पर उंगली लगाती हुई बोली - इसे चूत दाना कहते है | और ये नीचे की तरफ जा रही पंखुडियो की चूत के अंदरूनी ओंठ कहते है |
मै हैरानी से दीदी की खुली चूत की गुलाबी चमत्कारिक रंगत देखने लगा | इससे मेरा लंड पर फिसल रहा हाथ रुक गया |
दीदी तेज आवाज में - अगर लंड को मसलना रोका तो कुछ नहीं बताउंगी | मुझे मेरी गलती का अहसास हुआ |
मेरे हाथ ने लंड पर फिर से स्पीड पकड़ ली |
दीदी - स्पीड कम नहीं होनी चाहिए |
मै दीदी की गुलाबी चूत देखकर उत्तेजना से नहा गया | मैंने लंड को और तेज मुठियाना शुरू कर दिया |
दीदी - तो बोल इस गुलाबी दाने को क्या कहते है |
मै हांफते हुए - चूत दाना दीदी |
दीदी - ये औरत की वासना का बटन होता है | अगर तुम्हे कोई लड़की चोदनी है और उसका मन नहीं है तो बस जाकर हलके हलके इस दाने को मसलने लगाना | लड़की अपने आप ही गरम हो जाएगी और ख़ुशी ख़ुशी चुदने को राजी हो जाएगी |
मै - दीदी इसीलिए आप इसे रगड़ते हो |
दीदी - हाँ जिन औरतो को चुदवाने के लिए लंड नसीब नहीं होता वो इसी चूत दाने को रगड़कर अपनी प्यास बुझाती है |
मै - दीदी आपने भी इसे रगड़कर अपनी प्यास बुझाई है |
दीदी - हाँ पगले यही तो कर रही हूँ अब तक |
दीदी - जब लंड चूत में जाता है ये चूत के पतले ओंठ लंड को सहलाते है |
मेरी उत्तेजना का ज्वार अब चरम पर पंहुचने लगा था | फिर दीदी ने नीचे की तरफ उंगली ले जा करके बताया, जहाँ पर ये चूत के अंदरूनी ओंठ ख़त्म होते है वहां से चूत की मखमली गुलाबी सुरंग का मुहाना शुरू होता है |
मै गौर से दीदी की चूत की गुलाबी मखमली सुरंग का छेद देखने लगा | लेकिन मुझे तो छेद कही दिखा नहीं |
मै - दीदी आप बोल रही थी चूत में छेद होता है लेकिन मुझे तो कही नहीं दिख रहा |
दीदी - अरे पगले छेद होता है लेकिन अभी मेरी चूत के दीवारों ने उसे कसकर बंद कर रखा है | इसलिए वो बंद है |
मै - दीदी - आपकी चूत में से पानी निकल रहा है क्या |
दीदी - हाँ जब लड़की को चुदास चढती है और वो चूत दाने को रगडती है तो चूत से पानी रिसता है जिससे चूत गीली हो जाती है |
मै - दीदी अपनी चूत की दीवारे फैलावो न मुझे आपकी चूत का छेद देखना है |
दीदी - चूत की दीवारे मै नहीं फैला सकती, उन्हें सिर्फ लंड फैला सकता है, जब मेरी चूत में लंड घुसेड़ोगे तब खुद ब खुद चूत की दीवारे फ़ैल जाएगी तब देख लेना मेरी चूत का छेद |
मै अपनी उत्तेजना के आखिर पड़ाव की पार करने लगा था | दीदी की चूत को देखकर तो जैसे मेरी उत्तेजना समय से पहले बह निकली |
मै अपने चरम के कुछ आखिरी पल में बेतहाशा लंड मुठीयाने लगा | कुछ ही देर में मेरी पिचकारी छूटने वाली थी, मेरे हाथ की स्पीड और कांपती टांगो को देखकर दीदी समझ गई थी मेरी पिचकारी छूटने वाली है मेरे शरीर की अकड़न से ही उन्हें अंदाजा हो गया था | उन्होंने कहा था मै पानी मलाई उनकी चूत के मुहाने पर निकाल दू | मै दीदी की चूत के पास लंड ले गया और तब तक मेरी वासना का बांध टूट चूका था | मै बस तेजी से कराहने लगा | मैंने दीदी चूत के जस्ट ऊपर अपनी पूरी पिचकारी निकाल दी | उनकी पेट के नाभि के नीचे और चूत के ऊपरी हिस्से पर मैंने सारी मलाई निकाल दी | यह देखकर वह बहुत खुश हुई | मै तेजी से हांफता हुआ निढाल सा वही बैठ गया | दीदी एक उंगली से उस मलाई को उसी इलाके में धीरे-धीरे से घुमाने लगी थी | मैं पूरी तरह से पस्त गया था | दीदी की चूत भी बहने लगी थी | दीदी तो जैसे जन्नत में पहुंच गई थी | एक ही घंटे के अंदर उन्होंने मेरी दो बार मलाई निकाल दी थी और मेरे अंदर हिम्मत नहीं थी कि मैं ठीक से खड़ा हो सकूं मैं वहीं बैठे बैठे बिस्तर निढाल होकर लुढ़क गया |
जितेश को लग रहा था रीमा नीचे उसकी तरफ नहीं देख रही है और सिर्फ उसकी कहानी सुन रही है इसलिए वो तेजी से अपनी चादर के अन्दर अपने लंड को मसल रहा था | रीमा भी चूत में दो उंगलियाँ करके खुद की चूत में मची सनसनाहट मिटाने की असफल कोशिश कर रही थी | जितेश की हिलती चादर देख रीमा समझ गयी की अन्दर क्या चल रहा है | इधर मोमबत्ती अपनी आखिरी सांसे ले रही थी | कुछ ही देर में भभक कर बुझ गयी | अब कमरे में घनघोर अँधेरा था |
रीमा - छुप क्यों हो गए जितेश, आगे बतावो फिर क्या हुआ |
रीमा की आवाज खुद वासना में लड़खड़ा रही थी, उसकी सांसे तेज हो चली थी | इधर जितेश का तो और भी बुरा हाल था | उसकी तेज सांसे और हांफता सीना अभी इस हालत में नहीं था की वो आगे की कहानी सुना सके | उसने एक लम्बी साँस ही और हल्की आवाज में आगे की कहानी सुनानी शुरू कर दी | रीमा उसकी तेज सांसे सुन सकती थी लेकिन रीमा खुद अपनी लगायी आग में घिरी थी वो कहाँ से जितेश के बदन में लगी आग की फिक्र करती | दोनों को साधने वाला बस एक कहानी ही थी | जितेश ने आगे कहानी सुनानी शुरू कर दी | इसी के साथ जितेश का हाथ लंड पर फिसलने लगा और रीमा की उंगलियाँ उसकी चूत में अन्दर बाहर होने लगी |
इसके बाद कई दिन बीत गए थे दीदी को मेरे मुझे दीदी और मुझे अकेले कभी मौका ही नहीं मिला था असल में दीदी की बहन बीमार हो गई थी जिसकी उसे दीदी को उसका ख्याल रखना था इसलिए मुझे सिर्फ चुपचाप की पढ़ कर वापस लौट आता पड़ता था | इधर दीदी को भी लग रहा था कहीं ऐसा ना हो कि रोज रोज मिलने के चक्कर में किसी दिन पकड़े जाएं इसलिए दीदी भी सावधान हो गई थी और शायद उनके मां-बाप को थोड़ा सा शक भी हो गया था | छोटे शहरो में गॉसिप वाली औरते कुछ भी अफवाह उड़ा देती है | मेरे केस में भी मोहल्ले की किसी औंटी ने दीदी की माँ के कान भर दिए | हालाँकि वो लाख कोशिशो के बाद कुछ भी नहीं जान पाए लेकिन उनके मन में संखा जरूर पैदा हो गई थी इसीलिए आजकल ऑफिस से जल्दी आने लगे थे | हालांकि कुछ दिनों बाद जैसे सब नॉर्मल हो गया और उनके मां-बाप भी चर्च से देर में वापस आने लगे थे और छुटकी भी बाहर खेलने जाने लगी थी |
1 दिन की बात है बाहर बहुत गर्मी थी और दीदी के बरामदे में कूलर भी नहीं था इसलिए मैं और बाकी बच्चे दीदी के कमरे में बैठकर ट्यूशन पढ़ रहे थे मुझे नहीं पता था कि आज दीदी के मां-बाप घर वापस आएंगे ही नहीं क्योंकि आज दीदी के मां-बाप किसी की शादी करवाने के लिए दूसरे शहर गए हैं | वहां पर उनकी एक रिश्तेदारी है तो वह छुटकी को भी ले गए थे | दीदी के एग्जाम चल रहे थे इसलिए उन्होंने जाने से मना कर दिया | अब तो रोज मन होता था दीदी को नंगा देखने के लिए लेकिन क्या करें मजबूरी थी कम से कम 10 दिन हो गए थे तब से और आज तक मैंने दीदी की एक झलक भी ठीक से नहीं देखी थी | रोज रात में लंड पकड़ कर दीदी के नाम पर मुथियाता था लेकिन दीदी का जिस्म देखने को तरस रहा था |
दीदी ने हालांकि बताया नहीं कि उनके मां-बाप किसी की शादी करवाने के लिए दूसरे शहर गए हुए हैं लेकिन जब ट्यूशन खत्म हुई और उसके बाद दीदी बोली - अच्छा एक काम करो आज तुम्हारी एक एक्स्ट्रा क्लास लगा देते हैं तब मेरी बुझी हुई उम्मीदों पर एक नई रोशनी पड़ी | मैं अंदर उत्साह से भर गया मैं समझ गया कि आज फिर से दीदी के साथ मुझे जवानी के नए गुर सीखने को मिलेंगे |
दीदी बोली - अच्छा ठीक है चलो मैं तुम्हें कुछ और सवाल बताती हूं उसके बाद में तुम जा सकते हो |
मुझे समझ में नहीं आया कि दीदी अभी तो एक्स्ट्रा क्लास की बात भी कर रही है उसके बाद जाने को भी कह रही हैं |
दीदी ने मुझे एक सवाल बताया और बोली - अब ऐसा करो तुम घर जाओ | अभी मुझे कुछ काम है इसलिए तुम्हें मैं थोड़ी देर बाद बुलाती हूं | उसके बाद मै किताब लेकर मायूस सा दीदी के घर से अपने घर की तरफ चल दिया था | शाम के आठ बजे थे मै अपना होमवर्क बस ख़त्म ही कर पाया था | बाहर झांक कर देखा तो मेरी माँ किसी से बाते कर रही थी | मैंने देखा कि दीदी मेरे घर आ गई है और मेरी मम्मी से बातें कर रही हैं |
दीदी ने मम्मी से बोला कि आज रात को अकेली हैं और उनके मां-बाप दूसरे शहर में शादी करवाने गए हुए हैं वह छुटकी भी उनके साथ घूमने के चक्कर में गई हुई है इसलिए क्या मैं आज रात उनके यहां रात में सो सकता हूं मेरे कानों में जैसे ही शब्द बड़े मेरी तो बांछें खिल गई थी | ना कि मैं अपना उत्साह छिपाए हुए चुपचाप अपनी किताबों को बैग में रखकर और तैयार हो गया |
मेरी मां बोली - ठीक है खाना खिलाने के बाद इसको आपके यहां भेज दूंगी खाना |
दीदी बोली - मेरे यहाँ खाना कुछ ज्यादा हो गया है तो कोई दिक्कत नहीं आज मेरे यहां खाना खा लेगा |
माँ को थोडा अचरज हुआ - ठीक है अगर तुम्हें लगता है तो चले जाओ इसी बहाने कुछ वहां पढाई भी कर लेगा |
दीदी ने बोला - वैसे मैथ में काफी अच्छा हो गया है लेकिन मैं चाहती हूं यह मैथ में डिस्टिंक्शन लाए |
यह सुनते ही मां खुश हो गई |
मै - हाँ बेटा तेरी टूशन से इसकी मैच बहुत अच्छी हो गई है मुझे बड़ी खुशी है |
इसके बाद दीदी ने मुझे पुकारा और मुझे अपनी मैथ और साइंस की सारी बुक्स बैंग में भर कर लाने को कहा |
दीदी - चलो आज रात मै ढेर सारा मैथ पढ़ाती हूं साइंस भी पढ़ाती हूं |
मै तो पहले से ही तैयार था, मैंने बैग में किताबे रखने का नाटक किया दीदी के साथ चल दिया था | दीदी ने घर में आते ही अपना मैंन गेट बंद कर दिया और लाइट बुझा दी | मेरे अंदर से खुशी का ठिकाना नहीं था मैं इतना खुश था कि10 फुट उछालना चाह रहा था आज फिर से दीदी के साथ में जवानी का मजा लूटूँगा | लेकिन वहां पहुंचते ही मेरा सारा जोश तब काफूर हो गया जब दीदी बोली अच्छा काम करो अपनी मैंथ और साइंस की किताब खोलो और पढ़ाई शुरू कर दो | तब तक मैं खाना गरम करके लाती हूँ | फिर साथ में खाना खाएंगे | मैं निराश होकर के अपनी किताबें खोल कर बैठ गया | दीदी उधर खाना गर्म करती रही और उसके बाद कुछ देर बाद वह खाना लेकर आ गयी | हम दोनों ने खाना खाया | उसके बाद ने दीदी मुझे फिर से कुछ सवाल समझाने लगी थी हालांकि मेरा मन बिल्कुल नहीं लग रहा था लेकिन मैं उन्हें नाराज नहीं कर सकता था | मेरी नजर बार-बार उनके चेहरे और सीने पर जा रही थी | कुछ देर बाद दीदी ने खुद ही किताबे हटाकर अलग रख दें और पता नहीं कौन सी एक सीडी लेकर आए और उसे लगा दिया और टीवी पर मूवी देखने लगी थी |
मैं भी धीरे-धीरे उनके पास चल गया था | वह कोई रोमांटिक मूवी चाहिए मेरा उस मूवी में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था | दीदी के जब मैं पास गया तो दीदी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मैं अपने हाथ खिसकाते हुए दीदी के स्तनों पर ले गया | उनके बड़े-बड़े उठे हुए ठोस सुडौल उरोंजो को ऊपर से ही मसलने लगा था | दीदी ने मना नहीं किया | धीरे धीरे मै मै हाथ फिसलाते हुए दीदी के नीचे सलवार में घुसेड़ने लगा तो दीदी ने रोक दिया और बोली अभी नहीं |
मैंने कहा - क्यों क्या हुआ दीदी |
दीदी बोली - पिछले १० दिन में वहां बहुत जंगल हो गया है |
मैं कुछ समझा नहीं | मेरे बने मेरे कन्फ्यूज्ड चेहरे को देखकर बोली - झांटे बड़ी हो गई हैं उन्हें बनाना होगा |
मैं समझ गया कि वहां पर बाल उग आए हैं |
मैं - तो अब आगे क्या करना |
दीदी बोली नहीं - धीरज रखो, जंगल साफ़ करने में टाइम लगेगा तब तक सब्र करो | लेकिन मुझे सब्र नहीं था |
दीदी चाहती थी पहले मूवी खत्म करें उसके बाद आगे कुछ करे | लेकिन मुझे सब्र नहीं था मैंने अपना हाथ वहां घुसेड़ दिया और दीदी की चूत के जंगलों के बीच से जाकर के दीदी के चूत के दाने को सहलाने लगा था दीदी भी धीरे-धीरे उत्तेजित होने लगी थी | जैसे ही मूवी खत्म हुई दीदी ने तुरंत मेरे सारे शर्ट के बटन खोल दिए और मेरी पेंट उतार के अलग फेंक दी | अब मैं दीदी की तरह नीचे चड्डी नहीं पहनता था जैसे ही मेरी पेंट नीचे खिसकी मेरा तना हुआ मोटा तगड़ा लंड दीदी की आंखों के सामने था |
दीदी ने बिना देर किए मेरा लंड सीधे अपने मुंह में रख लियाऔर सुपाडे को कस के ऑटो से चूसने लगी थी| मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ था मैं सिसकारियां भरता रह गया था | दीदी कसके लंड को चूसने लगी और मसलने लगी | मैं आनंद के सागर में गोते लगाने लगा था लेकिन कुछ देर बाद दीदी ने मेरे लंड को चूसना छोड़ दिया और मेरी गोलियों से खेलने लगी थी | मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन इस तरह से दीदी के लंड छोड़ने का कारन मुझे समझ में नहीं आया था मेरा बहुत मन कर रहा था दीदी मेरा लंड चुसे|
मैंने दीदी का हाथ फिर से अपने लंड पर लगाने की कोशिश की लेकिन दीदी ने मुझे झटक दिया |
मैंने दीदी से पूछा - दीदी क्या हुआ, मेरा लंड चूसो न बहुत मन कर रहा है |
दीदी बोली - आज तुझे कुछ नया सीखना होगा | अब हर पुरानी चीज नहीं चलेगी | ठीक है तेरा मन जरूर कर रहा है लेकिन तुझे एक चीज याद रखनी चाहिए मेरा मन क्या कर रहा है, ये ज्यादा जरुरी है | मेरा मन तेरा लंड चूसने का नहीं है | तेरा लंड खड़ा था इसलिए मैंने चूस दिया था कि तुझे थोड़ा सा राहत मिल जाए हालाँकि तब भी मेरा मन तेरा लंड चूसने का नहीं है |
मै - ठीक है दीदी फिर आपका क्या मन है |
दीदी - मै आज बहुत थक गई हूं आज दिन भर बहुत सुबह से काम था क्योंकि मम्मी पापा सुबह ही निकल गए थे इसलिए मुझे सोना है |
इतना कहकर दीदी उठकर के बाथरूम की तरफ चली गई और जब वहां से वापस लौटी तो उनके बदन पर सिर्फ एक सफेद झीनी सी पैंटी थी |
मैंने देखा दीदी ऊपर से नीचे तक पूरी तरह से नंगी है सिर्फ एक सफेद झीनी चड्डी में घूम रही हैं | दीदी जिस तरह रूम में आई और वापस भी उसी तरह चली गई चूतड़ हिलाते हुए | देर तक मैं दीदी को देखता रहा और उनके बारे में सोचता था लेकिन ना तो इतनी समझती ना ही अकल | कुछ देर बाद उठकर करके सीधे बाथरूम की तरफ चला गया था बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं था मैंने देखा दीदी नहा रही है इतनी रात में कौन नहाता है लेकिन दीदी नहा रही थी | जैसे ही दीदी ने मुझे वहां दरवाजे के पास देखा उन्होंने इशारे से अंदर आने को कहा मैं अंदर चला गया मैं पूरी तरह से नंगा था इसलिए अंदर जाते ही दीदी ने मुझे शावर के नीचे खड़ा कर दिया और साबुन लगा कर के मुझे भी मलने लगी थी | दीदी की सफेद झीनी पैंटी पानी से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और बाहर से ही दीदी की चूत की दरार और उनके ओंठ साफ साफ दिख रहे थे | उसके ऊपर हलके हलके काले काले बालो का एक बड़ा सा इलाका भी दिख रहा था | साबुन लगाने के बाद दीदी ने मुझे फिर से शावर के नीचे खड़ा कर दिया और दूसरी तरफ से एक क्रीम उठाते हुए मुझसे बोली - पता है इसे क्या कहते हैं |
मैंने उसे देखते ही पहचान लिया और मै बोला - हां पापा लोग से दाढ़ी बनाते हैं |
दीदी - हां बिल्कुल तूने सही पहचाना इसलिए सिर्फ दाढ़ी ही नहीं बनती है इसे झांटे भी बनाई जाती हैं अब मैं इसे अपनी झांटो पर लगा रही हूं और आज तुझे मैं चूत की सेव करना सिखाओगी समझ गया | जब भी किसी औरत की चूत पर ढेर सारी बाल हो और तुझे उसकी चिकनी चूत देखनी है तो तुझे उसके बालो की शेविंग करनी पड़ेगी | इसलिए झांटे कैसे बनाई जाती हैं यह तुझे आज मैं सिखाती हूं |
इसके बाद दीदी ने ढेर सारी सेविंग क्रीम अपने चूत और आसपास के इलाकों में लगा दी और उसके बाद में एक रेजर लेकर धीरे-धीरे उसे बनाने लगी थी | जैसे-जैसे दीदी अपने हाथों से रेजर घुमती जाती वहां के बाल साफ होते जाते | मैं उन्हें गौर से देख रहा था | दीदी धीरे-धीरे अपनी चूत के सारे बाल बनाती हुई चली गई और कुछ ही देर में उनकी चूत के ऊपर का इलाका पूरी तरह से साफ हो गए था | दीदी की गुलाबी चूत का इलाका फिर से चमकने लगा था |
दीदी ने फिर से एक बार क्रीम लगाई और दोबारा से सेव करने लगी थी | कुछ ही देर में दीदी ने अपनी रेजर मेरी तरह बढ़ाते हुए चलो एक दो बार मेरी चूत के ऊपर रेजर घुमावो |
तुम्हे भी तो पता चला जिस चिकनी चूत के तुम इतने दीवाने हो उसे इतना सफाचट और चिकना रखने में कितनी मेहनत लगती है | मै भी दीदी की चूत के इलाके में रेजर घुमाने लगा | जैसे जैसे दीदी बताती गयी मै बिलकुल वैसे वैसे ही करता गया | कुछ ही देर बाद दीदी की चूत पर बालों का नामोनिशान तक नहीं था ऐसा लग रहा था जैसे वहां कभी बाल थे ही नहीं | दो बार बाल सेव करने के बाद में दीदी की चूत एकदम से चिकनी और सफाचट हो गई थी और उनकी गुलाबी उस वाली चूत फिर से चमकने लगी थी उसके बाद दीदी ने मेरे लंड के आसपास के इलाकों में भी साबुन लगाई और अच्छे से धोया | इसके बाद दीदी मेरा हाथ पकड़ के चल दी मै भी उनके पीछे पीछे चल दिया | कमरे में आकर के दीदी ने मुझे अच्छी तरह से तौलिये से पोंछा और फिर खुद को भी अच्छी तरह से पोंछा | उसके बाद में दीदी बिस्तर पर लुढ़क गयी और चद्दर ओढ़ ली | मुझे भी एक चद्दर उढ़ा दी लेकिन कुछ ही देर बाद दीदी ने अपनी चद्दर फेंक दी और मुझे अपने सीने से चिपका दिया | आज दीदी का बर्ताव कुछ अलग लग रहा था वो आज बहुत कम बोल रही थी | कुछ देर तक मैं दीदी से चिपका रहा | दीदी के बदन की गर्माहट करके मेरा लंड से सीधा होने लगा लेकिन दीदी ने मुझे बाहों में भर कर खुद से चिपकाये रखा और कुछ देर बाद सो गई | उनकी सांसों की गर्माहट और आवाज से मैं समझ गया था कि वह पूरी तरह से सो चुकी है अब मैं इस खड़े लंड का क्या करूं मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता था जो दीदी को नागवार गुजरे | मै भी दीदी की नरम नरम बांहों में उनके साथ चिपके चिपके सोने की कोशिश करने लगा | दीदी के बारे में सोचते सोचते और उनके बदन से चिपके चिपके उनकी बदन की गरमाहट को महसूस करते करते कब मुझे खुद मेरी आंखें बंद हो गई मुझे पता ही नहीं चला |
दीदी के बिस्तर पर हम कितने घंटे गहरी नींद में सोए रहे मुझे भी अंदाजा नहीं था लेकिन नींद मुझे बहुत अच्छी आई और जब मेरी आंख खुली थी दीदी तब भी सो रही थी मैंने देखा नीचे दीदी की जांघों के पास मेरा लंड अभी भी पूरी तरह से बना हुआ है तो क्या मेरा लंड इतनी देर तक तना ही रहा कितने घंटे पूरी तरह से खड़ा रहा मैं हैरान था | क्या चीज है ये लंड | क्या इतनी देर तक किसी का लंड का खड़ा रह सकता है लेकिन मेरा लंड खड़ा हुआ था दीदी अभी भी गहरी नींद में सो रही थी अब आगे क्या करना है मुझे कुछ पता ही नहीं था आखिर मै करता भी तो क्या करता मैं चुपचाप वैसे ही लेटा रहा और दीदी के स्तनों को मसलता हालांकि मैंने टीवी में मूवी में देख लिया था कि एक आदमी कैसे एक औरत को चोद रहा था लेकिन यहां मुझे कुछ पता नहीं था इसीलिए जब तक दीदी कुछ बताएंगे नहीं मैं कुछ कर नहीं सकता था
मेरा लंड दीदी की जांघो के बीचो बीच उनके चूत के चिकने इलाके में झटके खा रह था | मैंने दीदी के बड़े बड़े दूध मसलने शुरू कर दिए | मेरी कमर भी दीदी के नरम बदन के खिलाफ अपने आप ही झटके मार रही थी | आखिर कार दीदी की गहरी नीद टूट ही गयी | उन्हें थोड़ा समय लगा माहौल को समझने में | मैंने उनके दूध को दबाना बंद नहीं किया | दीदी के जागते ही मेरा एक हाथ मेरे लंड पर चला गया और मै उसे मसलने लगा | दीदी ने मेरे लंड की तरफ देखा और पुछा - कितना बज गया |
मै - रात के दो बजे है |
दीदी - तुम अभी तक जग रहे हो, सोये नहीं |
मै - दीदी मै तो सो गया था लेकिन मेरा लंड शाम से अब तक नहीं सोया | दीदी अब बतावो न आगे मै क्या करू |
दीदी कुछ देर तक सोचती रही, कुछ बोली नहीं | फिर मेरे लंड से मेरा हाथ लेकर खुद मसलने लगी |
दीदी की ख़ामोशी मुझे अखर रही थी - दीदी आप कुछ बोल क्यों नहीं रही |
मैंने हिम्मत करके अपना हाथ दीदी की चूत की तरफ बढ़ा दिया | दीदी ने कोई प्रतिरोध नहीं किया |
मै - दीदी कुछ तो बोलो | उस दिन तो आप सब कुछ बता रही थी आज क्या हो गया |
दीदी मुझे खुद से अलग करती हुई बिस्तर से उठ गयी और बाथरूम तरफ चली गयी | वहां से मुहँ धोकर आई तो तारो तारो तारो ताजा लग रही थी |
फिर मेरे को मुखातिब होती हुई बोली - अब बता क्या पूछना है |
मै - दीदी आपने कहा था इस बार कुछ नया सिखाउंगी |
दीदी - क्या नया सीखना है | मेरे दूध देख चुके हो चूत देख चुके हो | अब बचा क्या है बताने को |
मै - चोदना तो आपने सिखाया ही नहीं और न ही चूत का छेद दिखाया | मै दीदी के चूत दाने को दूंढ कर मसलने लगा | ऐसा लगा जैसे दीदी को हल्का सा करंट लगा हो | दीदी के मुहँ से सिसकारी निकल गयी |
दीदी - तुझे पता है मै अभी तक कुंवारी हूँ |
मै - मतलब दीदी |
दीदी - जब तक किसी चूत में कोई लंड नहीं जाता है उसे कुंवारी चूत कहते है |
मै - दीदी इसका मतलब आपने कभी चुदाई नहीं करी है |
दीदी ने मेरा लंड थम लिया - हाँ अब तक मेरी चूत को किसी ने नहीं चोदा है | मै अपनी चूत किसी बहुत ही खास से चुदवाकर अपना कुंवारापन खोना चाहती थी | आज शाम को जब तुम मेरे पास करीब थे तो एक अनजाना सा डर लगने लगा | इतने दिनों की आस पूरी होने की खुशी से ज्यादा डर था की आज के बाद मै कुंवारी नहीं रह जाउंगी | इसलिए नर्वस थी | लेकिन अब अन्दर का डर निकल गया है, मै तुमसे चुदना चाहती हूँ | तुमारे इस बड़े से लंड से, जब से इसे देखा है तब से इसकी दीवानी हो गयी हूँ | तुमारी उम्र में इतना बड़ा लंड शायद ही किसी का हो | असल में इतना बड़ा लंड अच्छे खासे मर्दों का भी नहीं होता | ऊपर से तुम भी कुंवारे |
मै - दीदी जब आपने ने चुदाई नहीं करी तो आप मुझे कैसे बताओगे |
दीदी - मै तेरी तरह भोंदू नहीं हूँ | सब पता है मुझे | अब मेरी बात ध्यान से सुन |
मै दीदी के चूत दाने की छोड़कर दीदी की तरफ मुड़ गया | दीदी ने मुझे अपने पास खीचकर कसके चूम लिया |
दीदी - तुझे पता है तुझे मेरी चूत का छेद क्यों नहीं दिखा था |
मै -क्यों दीदी |
दीदी - क्योंकि मेरी चूत का छेद बंद है |
मै - मतलब |
दीदी - कुंवारी लड़की की चूत का छेद बंद होता है और उसके मुहँ पर एक पतली सी झिल्ली होती है | उस झिल्ली को कुंवारे पण की निशानी माना जाता | जिन लडकियों के वो झिल्ली नहीं होती समझ लो वो चूत में लंड ले चुकी है | कई बार झिल्ली यू ही फट जाती है लेकिन ज्यादातर लडकियों की झिल्ली पहली बात चुदने पर ही फटती है | जब पहली बार लंड चूत में जाता है तो झिल्ली को फाड़ता है और फिर बंद चूत के छेद को खोलता है | इसलिए जब पहली बार चूत चुदती है तो खून भी निकलता है क्योंकि झिल्ली फटने से खून निकलता है |
खून से ही मुझे बचपन से ही डर लगता था हालांकि अब फौज में जाने के बाद अब तो सब कुछ खत्म हो गया है अब मेरे अंदर कोई डर नहीं है लेकिन उस समय मेरा ऐसा नहीं था तब मुझे मुझे बहुत डर लगता है जब मैंने दीदी के मुंह से सुना कि उनके चुदाई करने पर उनके अंदर से खून निकलेगा तो मैं डर गया |
मै - नहीं दीदी मुझे ऐसी चुदाई नहीं करनी है जिसमें की खून निकलता हो |
दीदी - पहली चुदाई में खून तो हर लड़की के निकलता है |
मै - नहीं दीदी मै आपके अन्दर से खून बहाकर चुदाई नहीं करूंगा | आपको तकलीफ होगी |
दीदी - जब तू लंड चुसवा रहा था तकलीफ तो तब भी हुई थी थोड़ी सी | समझ ले बस उतनी ही तकलीफ होगी |
मै - जब दीदी चुदाई में तकलीफ होती है तो लंड चूत में घुसेड़ते ही क्यों है |
दीदी - क्योंकि कोई भी लड़की कुवारी नहीं मारना चाहती है | हर लड़की को कभी न कंभी चुदना ही है और जब भी चुदेगी तो खून तो निकलेगा ही | मै चाहती हूँ तू मेरे झिल्ली फाड़े, तू मेरा कुंवारापन लुटे | तू मुझे लड़की से औरत बनाये | मै चाहती हूँ तेरा लंड मेरे कुंवारेपन का खून बहाए |
दीदी थोडा भावुक हो गयी थी और मै भी खून सुनकर दुखी हो गया था |
इसी बीच में दीदी ने मुझे बाहों में भर लिया और कसके भींच लिया और दीदी ने एक बाह में मुझे भर लिया और दुसरे से मेरे लंड को सहलाने लगी | मै दीदी के नंगे बदन से यू ही उदास सा चिपका रहा |
दीदी - तू उदास मत हो, खून सिर्फ पहली बार चोदने पर निकलेगा | तुझे शायद पता नहीं लेकिन औरत को हर महीने खून निकलता है हालाँकि वो अलग वजह से निकालता हैऊ | इसलिए तू खून और दर्द की चिंता तो बिलकुल ही मत कर | हम सब लडकियो की किस्मत में ये दर्द पैदा होने के साथ ही किस्मत में लिख जाता है |
मै दीदी को देखने लगा | दीदी - अरे ये सब बर्दाश्त करने के लिए हमारा शरीर बना है तू मर्द है इसलिए नहीं समझ पायेगा | इसलिए मेरी चिंता छोड़, और सोच तुझे चूत चोदने में कितना मजा आने वाला है |