Episode 36


मै - दीदी क्या लडकियों को भी चूत चुदवाने में मजा आता है |
दीदी - हाँ आता है अगर कोई उन्हें ढंग से उनका ख्याल रखकर उनके हिसाब से चोदे तो उन्हें भी बहुत मजा आता है |
मै - दीदी तो मै आपको आपके हिस्साब से चोदुंगा | जैसा आप कहोगी मै बिलकुल वैसा ही करूंगा |
दीदी ने मेरा लंड छोड़ दिया | दीदी अपने को आगे आने वाले उनकी जिंदगी के सबसे खास पल के लिए तैयार करने लगी |

दीदी ने ढेर सारी लाल अपनी चूत पर रखें और अपनी उस गुलाबी चूत को कस के उसी लार से लगा लगा कर सहलाने लगी और मसलने लगी थी मैं दीदी को बस देखता रहा था | उसके बाद दीदी ने ढेर सारी लार मेरे लंड पर उड़ेल दी और अपने हाथों से मुझे लंड सहलाने को कहा | मैं अपने हाथ से अपने लंड को सहलाने लगा था और दीदी अपनी चूत को लगातार मसलने लगी |
दीदी बोली - अगर मैं इस चूत दाने को रगड़कर अपने बदन को गरम नहीं करूंगी तो मुझे बहुत तकलीफ होगी | इसीलिए मै अपनी चूत और चूत दाने को रगड़ रही हूँ | इससे मेरी चूत गरम हो जाएगी और लंड के घुसने में आसानी होगी | कुंवारी चूत बहुत टाइट होती है इसलिए तू भी अपने लंड को मसलता रह | अगर तेरा लंड पत्कथर की तरह ठोस कड़ा नहीं हुआ तो मेरी कुंवारी चूत को चीर नहीं पायेगा | अगर तू इसे मसलना छोड़ देगा तो यह धीरे-धीरे नरम होने लगेगा और मेरी फिर चूत में घुसेगा नहीं | कुंवारी चूत में लंड घुसाने में बहुत ताकत लगती है इसलिए पूरी तरह से तैयार हो जा लंड को पत्औथर की तरह सख्त कर ले | |
दीदी जो भी कह रही थी मैं वैसा ही कर रहा था मैं अपने लंड को मसलने लगा था दीदी भी अपनी चूत को कस के मसलने लगी थी | उसके बाद में दीदी ने अपने दोनों हाथो की उंगलियों को फंसाकरके अपनी चूत के अंदरूनी गुलाबी पंखुडियां पूरी तरह से खोल दिए और मुझसे करीब आने को कहा | मै लंड को मसलता हुआ दीदी के करीब गया |
दीदी - देख यह जो इतना छोटा छेद है और आसपास है जो झिल्ली दिख रही है | यही मेरी कुंवारी चूत का छेद है जो अभी पूरी तरह से बंद है | जब तू यहाँ लंड घुसेड़ेगा तो ये झिल्ली फट जाएगी और मेरी चूत का छेद खुल जायेगा |

मैं करीब से दीदी की कुंवारी सील चूत देखने लगा लेकिन दीदी ने मेरे सर के बाल पकड़कर अपने ऊपर गिरा लिया और जांघों से कस लिया था अब मेरा लंड दीदी कि उस गुलाबी लार से सनी गीली चूत पर रगड़ खाने लगा था दीदी सिसकारियां भरने लगी थी | दीदी एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ रही थी और दूसरे मुझे दूसरा हाथ मेरी गर्दन फसाए मुझे कसके चूम रही थी | मेरा सीना दीदी के बड़े-बड़े उठे हुए स्तनों पर रगड़ खा रहा था | काफी देर तक दीदी मेरे लंड से अपने चूत दाने को रगडती रही | उसके बाद मुझे अपनी जांघो के बीच जाकर बैठने को कहा |

दीदी ने एक बार फिर अपनी उंगलियां फंसा करके अपनी चूत के अंदरूनी ओंठो को आखिरी तक फैला दिया | इसके बाद शायद उनकी चूत के ओंठ नहीं फ़ैल सकते थे | दीदी ने मुझसे करीब से अपनी कुंवारी चूत के दर्शन करने को कहा |

दीदी - अच्छे से देख लो इसके बाद तुमारी दीदी की ये कुंवारी चूत तुम्हे कभी देखने को नहीं मिलेगी | अपनी दीदी की कुंवारी चूत आखिरी बार देख लो | इसके बाद इसका कुंवारापन तुम ही लूट लोगे | मै बहुत ही करीब से दीदी की कुंवारी चूत को अपने दिलो दिमाग में उतारने लगा | पता है रीमा मैडम आज तक मुझे दीदी की कुंवारी चूत याद है | सब कुछ, वही गुलामी रंगत लिए उनकी पतली पंखुडियां | और जब दीदी ने उन्हें खीच कर फैला दिया था | तो अन्दर से एक बहुत ही संकरा पेन्सिल जितना छेद नजर आया जिसके चारो तरह सफ़ेद झिल्ली लगी हुई थी | मैंने कभी नहीं सोचा था किसी लड़की की कुंवारी चूत इतना करीब से देखने को मिलेगी | चारो तरह से गोल छल्ला बनाती हुई उनकी गुलाबी चूत बस एक सकरे छेद में खुल रही थी |

दीदी - अभी कुछ देर बाद तू इसे फाड़कर एक बड़ा सा छेद कर देगा यहाँ |
मै - दीदी क्या और कोई तरीका नहीं चोदने का, जिससे आपकी झिल्ली भी न फाटे और चूत की चुदाई भी हो जाये |
दीदी हंस पड़ी - पागल है क्या, चूत चुदेगी तो फिर कुंवारी थोड़े न रहेगी |
मै - दीदी आपका छेद तो बहुत छोटा है ये इतना मोटा लंड इसमें घुसेगा कैसे |
दीदी - जैसे मुहँ में घुस गया था | चूत में एक बार लंड घुसने तो दे |
मै - दीदी आप क्या कह रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है |

दीदी - लंड अपनी जगह खुय्द बना लेगा और चूत उसको खुद बखुद रास्ता दे देगी | पहली बार है इसलिए तुझे ज्यादा मेहनत करनी होगी और मुझे भी थोड़ा दर्द होगा लेकिन अब सवाल जवाब का टाइम नहीं है करके देख सब पता चल जायेगा |
अनायास ही मेरी जीभ मेरे मुहँ से निकल कर दीदी की चूत का रस पीने चल दी | मैंने अपनी जुबान दीदी की चूत में ठेल दी और दीदी की गुलाबी कुंवारी चूत चाटने लगा | दीदी तो जैसे वासना से नहा गयी | दीदी के एक लम्बी सिसकारी भरी, उनका बदन मेरी जीभ के उनकी कुंवारी कोरी चूत पर खुरदुरे स्पर्श से रोमाचित होकर काँप गया | उसके बाद दीदी ने मुझे अपना चूत दाना चूसने को बोला | मै मस्त होकर दीदी का चूत दाना चूसता रहा | दीदी की जांघो और उनकी चूत का मखमली नरम अहसास मेरे रोम रोम में उत्तेजना भरे दे रहा था | मै सर घुसाए बस दीदी के चूत दाने को चूसता रहा | दीदी की चूत पानी की धार बहाने लगी इससे दीदी की चूत और जांघो का इलाका गीला होने लगा | पहली बार मैंने भी दीदी की चूत का रस चखा | क्या स्वाद था मै तो दीदी की चूत का रस पीकर मस्त हो गया और जोश से दीदी का चूत दाना चूसने लगा |

दीदी की चूत लगतातर पानी छोड़ रही थी | कुछ देर तक मैं दीदी की चूत के दाने को ऐसे ही चूसता रहा फिर दीदी पीछे हट गई और उन्होंने अपनी फैले हुए चूत के होठों को भी समेत लिया | मैं बस दीदी की चूत की गुलाबी रंगत देख रहा था दीदी के चूत के बाहरी ओंठ पूरी तरह से अलग हुए थे और दीदी की चूत के अंदरूनी पतले ओंठ फिर से भी आपस में चिपक गए |
दीदी बोली - कैसी लगी मेरी कुंवारी चूत |
मै - दीदी ये तो जन्नत का द्वार है ये मिल जाये फिर कुछ जरुरत नहीं है |
दीदी बोली - तुझे पता है तूने जिस उम्र में तूने मेरी कुंवारी चूत का मुहाना देख लिया है इस उम्र में लड़के किसी लड़की को नंगी देखने को भी नहीं पाते हैं | रही बात इस चूत को देखने की बड़े बड़े अच्छे खासे मर्द तरसते है चूत के दर्शन को | तू बहुत लकी है क्योंकि तू मेरा बहुत खास है इसलिए मेरे सबसे वर्जित खास अंग को देखने को प् गया | तेरे लिए सब न्योछावर |
मै - हाँ दीदी मै सच में बहुत लकी हूँ | आपने मुझे अपना सबसे खास वर्जित अंग दिखा दिया | अपनी कुंवारी चूत दिखा दी |
दीदी - तुझे मैंने अपनी जिंदगी की सबसे खास चीज दिखा दी है |
मै - हाँ दीदी जब से आपकी कुंवारी गुलाबी चूत के दर्अशन किये है मै खुद को स्बपेशल समझने लगा हूँ |
दीदी - अभी तो कुछ भी नहीं है अब इसके बाद मै तुझे मेरी जिंदगी की सबसे खास चीज भी देने वाली हूं पता है वह क्या है|
मैंने पूछा - दीदी नहीं मुझे नहीं मालूम |

दीदी - पगले इतनी देर तो बोल रही हूँ वह मेरी कुंवारी चूत जो मैं तुझे देने वाली है | तू मेरी कुंवारी चूत चोदने वाला है|
मैं मासूम बना रहा - दीदी कुंवारी चूत इसी को कहते हैं जिसके ऊपर वो सफ़ेद झिल्ली होती है |
दीदी बोली - हाँ भोंदू अपनी इतनी देर से तुझे यही तो समझा रही हूं अगर किसी लड़की की चूत के छेद में यह झिल्ली है तो समझ लो वह कुंवारी है उसे किसी ने नहीं चोदा है | अब तू अपना लंड घुसेड़ कर जब इस कुंवारी चूत को देगा तो ये झिल्ली फट जाएगी |
और तू मुझे एक लड़की से औरत बना देगा |
मै - और दीदी मै क्या बन जाऊंगा |
दीदी - तू बच्चा से मर्द बन जायेगा | कुंवारी चूत चोदने वाला असली मर्द |
मै - मै मर्द बन जाऊंगा दीदी |
दीदी - हां रे अभी से तेरा लंड इतना मोटा लम्बा हो जाता है खड़ा होने के बाद, इसको कौन कहेगा यह लंड एक हाई कॉलेज के लड़के का है तेरा लंड तो मर्दों से भी पार है | पता नहीं जब बड़ा हो करके पूरी तरह से तो जवान होगा तो न जाने कितनी औरतों की चूत को फाड़ देगा उनकी रात की नींद उड़ा देगा | जब तू उनकी चूत में अपने लंड को पेलेगा तो उनकी चीखें आस-पड़ोस के गली मोहल्ले तक सुनाई देंगी | इतना मोटा और बड़ा लंड इतनी कम उम्र के किसी लड़के के पास मैंने नहीं देखा है | इसीलिए तो मैं तेरी दीवानी हो गई मैं एक तगड़े लंड से अपना कुंवारा पन खोना चाहती थी और वह भी ऐसे इंसान से जो सबसे खास हो तूने आज तक हमारे बीच का राज हमारे बीच रहने दिया है इसीलिए तो मेरा बहुत खास है |

मै - दीदी कुंवारी चूत को चोदते कैसे हैं इसके बारे में बताओ ना |
दीदी - धीरज रख सब बताती हूँ | तुझे सब कुछ बताऊंगी एक एक चीज बताऊंगी छोटी सी छोटी चीज़ दिखाऊंगी और तुझे सब कुछ सिखा दूंगी | मैं सब कुछ तेरे ऊपर लुटा दूंगी, मेरे पास जो कुछ भी है वह सब तेरा है तू सब कुछ लूट ले मेरा | मेरा जिस्म मेरी जवानी मेरा कुंवारापन |
उसके दीदी थोड़ा इमोशनल सी हो गई थी तब मुझे यह नहीं समझ में आया था दीदी क्या कह रही है लेकिन अब मुझे समझ में आ रहा है दीदी मेरे प्यार में पड़ गई थी और वह पूरी तरह से खुद को मेरे को बस समर्पित कर देना चाहती थी दीदी ने मुझे अपनी जांघो से कैद कर लिया और खुद से सटा लिया मेरा लंड उनकी चूत के ओठो पर जाकर सट गया था | इसके बाद दीदी ने पीठ के बल लेट गई और उन्होंने अपनी जांघें पूरी फैला दी और मुझे अपनी जांघों के सामने चूत के मुहाने पर घुटनों के बल बैठने को कहा |
दीदी बोली - सुन आराम आराम से करना मुझे दर्द होगा इसीलिए जब जब भी मैं मना करूं तब रुक जाना |
मैं खुद उत्तेजना के चरम पर था इसीलिए यह तो समझ में आया था दीदी क्या कह रही है लेकिन मुझे खुद नहीं पता था कि मुझे क्या करना है क्या नहीं करना है | मेरे घुटनों के बल बैठते ही दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और उसे अपनी चूत के होठों पर लगाने लगी थी |

उसके बाद दीदी ने मुझसे मेरे अपने लंड को कसकर जड़ से पकड़ने को कहा | मैंने अपने लंड को कसकर जड़ से पकड़ा |
उसके बाद दीदी ने मेरे लंड के सुपाडे को सहारा देकर अपनी चूत के निचले हिस्से पर लगाया और दीदी बोली - चलो अब धीरे-धीरे इसको अंदर की तरफ ठेलो |
मैंने लंड को अन्दर लंड ठेलने की कोशिश की | लंड को अन्दर घुसने की कोशिश की में पहली बार में लंड रपट करके नीचे की तरफ चला गया क्योंकि दीदी की चूत बहुत गीली,चिकनी और टाइट थी | मेरा लंड दीदी की गांड के छेद पर जा कर डाला गया था |
दीदी बोली - झटका मत मारो, चुदी हुई चूत नहीं है की एक बार में लंड घुस जायेगा | चुपचाप इसे चूत के मुहाने पर सटाओ और हल्के हल्के से अंदर की तरफ ठेलते रहो |

इसके बाद मैंने अपने फूले मोटे लंड को फिर से दीदी की चूत पर सटाया | इस बार दीदी ने ऊपर की तरफ उठ करके मेरे चूतड़ों पर अपने हाथ जमा दिए और धीरे-धीरे मेरे चूतड़ों को अपनी तरफ खींचने लगी थी | मेरा लंड दीदी की चूत के मुहाने पर कस के सट गया था और लंड का सुपाड़ा अंदर की तरफ घुसने लगा था | दीदी के चेहरे पर हल्की सी दर्द की रेखाए तैर गयी | लेकिन मैंने आगे की तरफ अपना जोर बनाए रखा और दीदी भी पीछे से मेरे चुताड़ो को अपनी तरफ ठेलने में लगी थी | दीदी आंखें बंद होने लगी थी | मैंने कमर का जोर लगाये रखा | मेरा सुपाडा दीदी की चूत में गायब होने लगा | दीदी अब कुछ नहीं बोल रही थी बस कसकर मेरे चूतड़ थामे मुझे अपने से चिपकाये हुए थी | कुछ देर तक मै उसी तरह से दीदी की कुंवारी चूत में लंड घुसाने की कोशिश करता रहा लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी | मेरा लंड भी नरम होने लगा था | दीदी ने मेरे चुताड़ो पर से हाथ हटा लिया और अपने चूत दाने को मसलने लगी | कुछ ही देर में उन्हें अहसास हो हया की मै उनकी चूत में लंड नहीं घुसा पा रहा हूँ | दीदी ने नीचे मेरे लंड को टटोला और तेजी से उठकर बैठ गयी | वो समझ गयी थी अब मेरे बस का कुछ नहीं है | दीदी ने मेरा लंड सीधे मुहँ में ले लिया और बेतहाशा चूसने लगी | कुछ ही देर में लंड की नरमी गायब हो गयी | ददीदी फिर से पीठ के बल लेट गयी और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत को सहलाने लगी | कुछ ही देर में दीदी की चूत फिर से पानी का झरना बन गयी तो दीदी ने मेरा ;लंड अपनी सील बंद चूत के मुहाने पर लगा दिया |
दीदी - चलो जोर लगाकर इसे अन्दर घुसेड़ो | डर डर कर धक्के मरोगे तो कभी चूत की सील नहीं तोड़ पावोगे |
मै - दीदी धक्के मारू |
दीदी - कुछ सोचकर - ठीक है तू कमर हिलाकर धक्के ही मार, जो होगा बर्दास्त कर लूंगी |

रीमा बेतहाशा अपनी चूत में दो उंगली अन्दर बाहर कर रही थी | इतनी देर की मेहनत आखिर रंग लायी | आखिर रीमा की चूत से पानी का झरना बह निकला | रीमा के बदन में बहती तरंगे अपने मुकाम पर पंहुच गयी | रीमा की हल्की सी सिसकारी से जितेश रुक सा गया | वो भी अब बेतहाशा लंड मसल रहा था | ये बात रीमा को भी पता थी | बस घनघोर अँधेरे में आवाज ही एक सहारा था इसलिए दोनों अपने अपने बिस्तर पर क्या कर रहे है इससे किसी कोई कोई मतलब नहीं था |
जितेश - मैडम क्या हुआ |
रीमा - कुछ नहीं हिचकी आई लग रहा है कोई अपना याद कर रहा है | तुम आगे कहानी सुनावो |
रीमा को अपने से रोहित, अनिल प्रियम और रोहिणी की याद आ गयी | रीमा भावुक हो गयी | जितेश ने आगे कहानी सुनानी जारी रखी |

जैसे ही मैंने कमर का एक झटका लगाया , लंड फिसल कर दीदी की चूत के ऊपर से उनके दाने को रगड़ता हुआ आगे की तरफ चला गया |
दीदी हलके गुस्से में - इस लंड को पकड़ने के लिए क्या तेरे बाप को बुलाऊ | पिक्चर में देखा नहीं था पहली बार लंड चूत में घुसेड़ते समय वो जड़ से लंड को कसकर पकड़ता है फिर चूत में घुसेड़ता है |

जैसा दीदी बोली मैंने बिलकुल वैसा किया | पहले लंड को दीदी चूत पर सटाया, फिर कसकर कमर को जोर लगा कर अन्दर ढेल दिया | लंड अपने सुपाडे सहित दीदी की चूत में गायब हो गया | लंड थोडा सा आगे खिसक करके करके फस गया | ऐसा लगा किसी ने दीदी की चूत के अन्दर मेरे सुपाडे को जकड लिया है | मैं थोड़ा सा डर गया था और मेरा सुपाड़ा पीछे बाहर निकालने की कोशिश करी लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे मेरा सुपाडा कही जाकर अटक गया है | मैं समझ नहीं पा रहा था यह क्या हो रहा है मेरा पूरा का पूरा लंड बाहर था | सिर्फ सुपाडा घुसा था और वो भी फंस गया | आखिर ये लंड दीदी की चूत में जायेगा कैसे | ये सब कुछ मेरी सोच से परे था | इधर दीदी को दर्द होने लगा था, शायद मेरा लंड उनकी चूत की झिल्ली में जाकर अटक गया था | मैंने जब जोर से दीदी की चूत में लंड घुसेड़ा था तो दीदी को हल्का सा दर्द हुआ था क्योंकि मेरे लंड की ठोकर से उनके झिल्ली फैलने लगी थी दीदी ने आंखें बंद कर ली थी और दर्द से सिसकारियां भरने लगी थी | यह देखकर मैं और डर गया एक तो मेरा लंड दीदी की चूत में फस गया था दीदी भी दर्द से सिसकारियां ले रही है |
मैं डर गया मैंने लंड को बाहर खींच लिया दीदी के अरमानों के पानी फिर गया था |
दीदी - क्या हुआ, लंड बाहर क्यों निकाल लिया |

मै - दीदी आप सी सी करके कराह क्यों रही हो | आपको दर्द हो रहा है |
दीदी - हाँ तो पहली बार में दर्द होता है तुझे बताया तो था | तुमने क्या इसी वजह से लंड के बाहर निकाल लिया |
मै - मेंरा लंड आपकी चूत में फस गया था और आगे नहीं जा रहा था | अगर आपकी चूत में मेरा लंड फंस गया तो मैं सुबह घर कैसे जाऊंगा |
दीदी को मेरी बात पर बहुत गुस्सा आ गया - कितना फट्टू लड़का हुई चूत मेरी फटने वाली है और गांड तेरी फट रही है | इतना तो दूध पीते बच्चे को नहीं समझाना पड़ेगा चोदने के लिए | चुपचाप आ करके चोद मुझे, वर्ना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा | कितनी देर तक तेरी फत्तुगिरी को झेलती रहूंगी |
मैंने कहा - दीदी आपको दर्द होगा |
दीदी - तो क्या हुआ, दर्द मुझे होगा तुझे नहीं, होने दे, नौटंकी छोड़कर तू बस ढंग से चूत चोद | इसमें नया क्या है दर्द सब को होता है दुनिया की हर औरत को होता है | दुनिया की हर औरत पहली बार जब चुदती है तो सबको दर्द होता है | तेरी मां को भी जब पहली बार किसी ने चोदा होगा तेरी मां भी को भी दर्द हुआ होगा | अब चुपचाप आकर भोसड़ीवाले मुझे चोद नहीं तो सुबह तेरी माँ को मै चोडूंगी |

मैं दीदी के मुंह से गालियां सुन कर हैरानी में था |
मै - आप गाली दे रही हो |
मै - अरे हां भोसड़ी के, अब आकर मुझे चोदना शुरू कर, नहीं तो तेरी बकचोदी सुनकर मै तेरा ,मर्आडर कर दूँगी |
इतना कहकर के दीदी ने मेरा हाथ पकड़ कर खुद अपने ऊपर खींच लिया और मुझे पलट दिया और मेरे को नीचे धकेल दिया और खुद ऊपर आ गई | इसके बाद उन्होंने खुद ही मेरे लंड को अपनी चूत पर सटाके लगा दिया और धीरे से नीचे की तरफ खुद को ठेलती चली गई | उसके बाद दीदी ने पलटकर मुझे ऊपर कर लिया और कहा चुपचाप मेरी चूत में पूरा का पूरा घुसेड़ दे | मै चीखू चिल्लाऊ हाथ पैरों पटकु, अपनी चूत से लंड निकालने बोलू | मत निकालना | कान खोलकर सुन ले , कुछ भी कंहू मत सुनना | जब तक तेरा लंड पिचकारी नहीं छोड़ देता मुझे चोदते रहना | समझ में आया | मैंने हाँ में सर हिला दिया |

दीदी - क्योंकि मुझे दर्द होगा इसलिए मै चीखूंगी चिल्लाऊनगी लेकिन तुझे लंड नहीं निकालना है समझ में आया या नहीं आया |
दीदी का इतना कहना था और मैंने पूरा जोर लगाने की सोची | मै दीदी की चूत में लंड घुसाने लगा लेकिन मैं बहुत डर रहा था इसलिए मेरी हिम्मत नहीं हुई मैंने बस हल्का सा ही जोर लगाया और इससे लंड फिर वही जाकर फस गया जहां पहले फंसा हुआ था |

अब दीदी को गुस्सा आ गया दीदी ने कसके मेरे चूतड़ों को पकड़ा और अपनी तरफ मुझे ठेल दिया और नीचे से भी अपनी कमर उठा दी | यह क्या हुआ मुझे लगा जैसे किसी ने मेरे लंड को अंदर से छील लिया हो और मेरा लंड घुसता हुआ दीदी की चूत में अन्चदर तक चला गया | दीदी एक लम्बी चीख से कराह गयी | दीदी के चेहरे पर दर्द की लकीरे तैर गई | दीदी दर्द से दोहरी हो गई ऐसा लग रहा था जैसे मैंने उनकी कसी हुई नरम सुरंग के अंदर मेरे लंड को चीर के रख दिया गया हो | मेरा लंड दीदी की गरम गुनगुनी चूत में अंदर तक घुसता हुआ चला गया था दीदी दर्द के कारण परेशान हो गई थी |
उन्होंने मेरे चुताड़ो को छोड़कर मुट्ठियाँ भीच कर चादर को कस के पकड़ लिया था और उनकी आंखें कसकर दर्द के मारे बंद थी और उनके किनारों से आंसू बहने लगे थे | मैं बस दीदी के चेहरे को देख रहा था, क्या इतना दर्द होता है पहली बार चुदवाने में | इसी बीच मुहे दीदी की बात याद आ गयी | मैंने ने अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से अन्दर तक पेलता चला गया | ऐसा लग रहा था जैसे कोई संकरी मखमली सुरंग मेरे लंड को छील कर रखे दे रही है | दीदी का दर्द और बढ़ गया था |
मै - दीदी |

मेरा इतना बोलना था दीदी बोली - चल चोदना शुरू कर |
मैंने फिर से अपने लंड को पीछे खींचा और फिर अंदर को पेल दिया था दीदी का दर्द और ज्यादा बढ़ गया था | मैंने चार पांच बार उसी तरह से दीदी की कसी चूत में लंड आगे पीछे किया | मुझे लगा दीदी को ज्यादा दर्द हो रहा है इसलिए मैंने अपने लंड को बाहर निकालने की कोशिश करी लेकिन दीदी ने पीछे से अपनी जांघो से मुझे कस कर जकड़ रखा था मेरा लंड दीदी की चूत में आधे से ज्यादा घुसा हुआ था और दीदी उस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी | मुझे लग रहा था दीदी उस दर्द को भी इंजॉय कर रही थी | मै बस हल्की हल्की कमर हिलाता रहा | मेरे सुपाडे भर का लंड दीदी की चूत में आगे पीछे होता रहा | दीदी अपना चूत दाना कसकर रगड़ने लगी | मै हलके हलके कमर हिलाता रहा | अब मुझे लग रहा था की दीदी की चूत में मेरा लंड आराम से फिसल रहा था | कुछ देर बाद दीदी थोड़ा नॉर्मल हुई मैं तब तक उसी तरह से पड़ा रहा और कमर हिलाता रहा |

मेरा लंड दीदी की मखमली गरम चूत में घुसा हुआ उनकी चूत की चूत की झिल्ली को चीर के अन्उदर तक धंसा था | मैं अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन दीदी ने अपनी जांघों पर कसाव बढ़ाते हुए बोली लंड को बाहर मत निकालना और चुपचाप मेरी चूत में ही अंदर ही लंड डाल कर मुझे चोदते रहो |
मै - दीदी आपकी चूत में लंड तो घुस गया, लेकिन आपकी चूत को चोदु कैसे |
दीदी - लंड को चूत में पेलने को ही चोदना कहते है गधे |
मैं बस हलके से कमर हिला हिला करके ही लंड को अंदर बाहर करने की कोशिश करने लगा लेकिन दीदी को इसमें मजा नहीं आ रहा था | उनको पता था उनकी सील टूट चुकी है इसलिए वो अब जमकर चुदना चाहती थी | मुझे तो बस जो दीदी बता रही थी वो कर रहा था | अपनी कच्ची उम्र के हिसाब से बहुत कुछ देख लिया था | कर भी रहा था लेकिन समझ नहीं थी |
दीदी - चोदना नहीं आता है देखा नहीं था मूवी में कैसे वो उस लड़की की चूत में लंड पेल रहा था | उस तरह से जोर-जोर झटके मारो |

मैं जोर-जोर से कमर हिलाने लगा था और दीदी की चूत में मेरा लंड का आगे पीछे लगा था | अभी भी दीदी की चूत बहुत टाइट थी और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड को छीलकर रख देगी | दीदी ने मुझे कसकर अपनी बाहों के ऊपर जो कर रखा था |
उसके बाद में दीदी ने मुझे चूमते हुए बोली - अच्छा अब एक काम करो नीचे लेट जावो मै तुमको चोदती हूँ | ऐसा लग रहा है जैसे कि तुमने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया है|

दीदी ने मुझे अपनी बाहों और जांघों की गिरफ्त से आजाद कर दिया मैं तुरंत ही पीछे उठ कर बैठ गया और जैसे ही मैंने दीदी की चूत से लंड को बाहर निकाला मैंने देखा मेरे लंड का पूरा सुपारा खून से भीगा हुआ है मैं खून देखते ही मुझे चक्कर आने लगे लेकिन तब तक दीदी ने मुझे थाम दिया और बोली - अरे पगले ये खून तो एक वरदान की तरह है, तुझे नहीं पता है आज तूने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया है और पता है एक लड़की की जिंदगी में यह पल कितना खास होता है आज तूने मुझे पूरी की पूरी औरत बना दिया है अब मैं कुंवारी नहीं रही यह खून उसकी निशानी है कि अब मैं एक जवान औरत हूं | अगर ये नहीं निकलता तो मै कभी औरत नहीं बन पाती | तुझे नहीं पता है आज तूने मुझे क्या दिया है | ये बस एक लड़की ही समझ सकती है |
अब चुपचाप मेरी चूत में लंड को जमकर पेल और मेरी चूत का बचा हुआ कुंवारापन भी लूट ले | मुझे चोदकर पूरी की पूरी औरत बना दे जब तक तेरे लंड की पिचकारी मेरी चूत की सुरंग में फुहारे नहीं छोडती तब तक मैं पूरी औरत नहीं बनूंगी |

इतना कहते ही दीदी ने फिर से मुझे अपने ऊपर चिपका लिया और कमर हिलाने को कहने लगी लेकिन खून देखकर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी तो दीदी ने मुझे पलट दिया और मेरे ऊपर आ गई और लंड को अपनी चूत में घुसा कर खुद की कमर हिलाने लगी | अब मैं बिस्तर पर नीचे लेटा हुआ था और दीदी मुझे ऊपर बैठकर चोद रही थी लेकिन दीदी को अभी भी चूत में दर्द हो रहा था उनकी आंखें बता रही थी दीदी अपनी चूत फटने के दर्द से अभी उभरी नहीं है | ऊपर से दीदी को चोदना आसन नहीं था एक तो उन्हें ही धक्के लगाने थे और हर धक्के का दर्द भी उन्हें ही बर्दास्त करना था | इसलिए दीदी फिर से नीचे बिस्तर पर लेट गई और किनारे आ करके उन्होंने मुझे फिर से चोदने को कह दिया | दीदी ने इसके साथ ही अपनी दोनों जाने सटा के ऊपर की तरफ उठा दी मैंने दीदी की जांघो को पकड़कर उनकी चूत में लंड को घुसेड़ दिया और अपनी कमर को हिलाने लगा था |
दीदी ने पिक्चर की याद दिला दी और उसकी याद आते ही मैंने दीदी के चूत में लंड खेलने की स्पीड बढ़ा दी और दीदी को मज़ा आने लगा था हालांकि दीदी को दर्द भी बराबर हो रहा था मेरा लंड पूरी तरह से खून से सना हुआ था |

मैं उसे पोछना चाहता था लेकिन दीदी ने रोक दिया उसने कहा अरे पगले यह तो सुहागरात की निशानी होती है जब तक पूरा लंड और चूत खून और तेरी मलाई से सन नहीं जाएगी तब तक यह सुहागरात खत्म नहीं होगी | ऐसा समझ ले तू बस मेरे साथ सुहागरात मना रहा है | यह सब बातों से मेरा जोश बढ़ गया था और मैं दीदी को और जोर से धक्के मारने लगा था | मैंने अपनी जिंदगी की पहली चूत मारी थी वो भी कोरी कुंवारी | दीदी की चूत बहुत कसी हुई थी इसलिए लंड पेलने में पूरा जोर लगाना पड़ रहा था | इसलिए मैं जल्दी ही हांफने लगा था | इसी ताकन के कारन मै दीदी के ऊपर लेट गया था | दीदी समझ गई थी आखिर में कच्ची उम्र का लड़का था | दीदी नीचे से कमर में झटके देने लगी और मै ऊपर से | दीदी की नयी कोरी कसी चूत में मेरा लंड ज्यादा देर तक खुद रोक नहीं पाया और मेरा शरीर अकड़ने लगा था जल्द ही मेरे लंड से पिचकारिया छूटने लगी और दीदी की चूत की गहराई में अपने लंड की पर पिचकारियो से अपनी मलाई से भरने लगा था | दीदी चुपचाप मेरे लंड की मलाई को अपनी चूत में समाती रही और उसके बाद में मुझे बाहों में लेकर उसी तरह से लेट गई | मै और दीदी दोनों अपनी सांसे काबू करने लगे | हम दोनों की गरम सांसे एक दुसरे में घुल रही थी | दीदी मेरे बाल सहलाने लगी | मै उनके सीने में सर छिपाकर आराम करने लगा | मेरा लंड दीदी की कसी चूत में ही मुरझाने लगा | कुछ देर बाद जब हम दोनोई की सांसे काबू मे आई तो मैंने दीदी की चूत से लंड बाहर निकाला तो मेरा पूरा लंड लाल खून से सना हुआ था उसके साथ साथ में मेरे लंड से निकली मलाई का रस भी लगा हुआ था जैसे ही मैंने दीदी की चूत से लंड बाहर निकाला दीदी की चूत के चारों तरफ खून ही खून नजर आ रहा था | वह कर इधर-उधर जांघों पर चूतड़ों पर लग गया था थोड़ा खून मेरी जान ऊपर भी लग गया था |

इसी के साथ जितेश के लंड ने भी जवाब दे दिया | उसकी पिचकारियाँ निकलने लगी | हालाकि उसने मुहँ से निकलने वाली आह दबाने की बहुत कोशिश की लेकिन दबा नहीं पाया | रीमा समझ गयी वो निपट गया है | लेकिन रीमा को शक न हो इसलिए जितेश ने कहानी सुनानी नहीं रोकी| वो बस उठा और तय जगह पर रखे गिलास से अपनी पिया और अपनी जगह पर आकर लेट गया | उसकी तौलिया उसके बदन पर नहीं थी और उसका झूलता लंड का बस अनुमान ही रीमा लगा पाई | जितेश फिर से बिस्तर में घुस गया और अपनी आगे की कहानी सुनाने लगा | अब उसकी आवाज में ठहराव था |

दीदी ने उसे दिखा कर कहा - यह हमारे प्यार की निशानी है आज तूने मुझे औरत बना दिया है और इस से ज्यादा कोई खास पल मेरी जिंदगी में नहीं हो सकता है |
मै - दीदी आपने अपनी कुंवारी चूत देकर मुझे भी बहुत खाद बना दिया | मेरी जिंदगी की पहली चूत वो भी कुंवारी | बहुत मजा आया आपकी चूत को चोदकर |
दीदी - मजा आया |
मै - बहुत, बिलकुल मक्खन मलाई की तरह रसीली है आपकी चूत | शुरू में लगा जैसे मेरा लंड ही छील देगी लेकिन उसके बाद बहुत मजा आया | अब पता चला आप क्यों कहती थी चूत चोदने में मजा आता है |
दीदी - सच कहती थी न |
मै - हाँ दीदी इसके आगे कोई जन्नत भी दे तो ठुकरा दू |
दीदी ने मुझे बांहों में भरकर कसके चूम लिया - तू बाते बहुत प्यारी प्यारी करता है | इसके बाद दीदी काफी देर तक मुझे चूमती रही |
मुझे भी दीदी की कसी हुई कुंवारी चूत चोद कर बहुत मजा आया था मेरा मन कर रहा था दीदी को मैं एक बार और चोदू |

कुछ देर तक मैं वही दीदी के पास ही पड़ा रहा, मेरा खून से सना हुआ लंड दीदी की खून से सनी आपस में एक दुसरे को रंगते रहे | उसके बाद मै और दीदी उठे और उन्होंने एक साफ तौलिए से मेरे पहले लंड को पूछा और फिर अपनी चूत और उसके आसपास लगे खून को पूछा और फिर मुझे पकड़कर बाथरूम की तरफ चल दी | वहां जाकर उन्होंने पहले अपनी चूत को अच्छे से धोया और फिर मेरे लंड और मेरी जान हो पर लगे खून को अच्छे से धोया जब सबकुछ पूरी तरह साफ हो गया | उसके बाद हम कमरे में फिर वापस आ गए | उसके बाद दीदी ने अपनी चूत की अंदरूनी ओंठो में उंगलियां फंसा कर के अपनी चूत को फैलाकर मुझे अपनी चूत दिखाते हुए कहा - देख यह क्या किया, तूने मेरा कुंवारापन लूट लिया,मेरी कुंवारी चूत को चोदकर मुझे औरत बना दिया | देख इसे कहते हैं असली चूतजो एक औरत की चूत ऐसी होती है | मैंने कुछ देर पहले ही दीदी की चूत देखि थी अब तो वो पूरी तरह से बदल गयी थी |मैं देखकर हैरान रह गया दीदी की चूत की झिल्ली पूरी तरह से गायब हो चुकी थी वहां पर एक बड़ा सा छेद बन गया था और उसके अंदर से दीदी की पूरी गुलाबी मखमली चूत सुरंग नजर आ रही थी | अब मुझे समझ आया दीदी किस चूत के छेद की बात कर रही थी | मैं हैरान था आखिर मैंने दीदी का कुंवारापन लूट लिया अब दीदी कुमारी नहीं रही थी और वह एक औरत बन गई थी और दीदी ने मुझे भी एक मर्द बना दिया था | अब मुझे पता चल गया था एक औरत को कैसे चोदते हैं | अब मैं अगली बार दीदी को मर्द बंनकर चोदुंगा और दीदी एक औरत बनकर मुझसे चुदेगी | मैं बहुत ही फक्र महसूस कर रहा था इतनी कम उम्र में चूत चुदाई की बातों को सिखाने के लिए दीदी को कैसे थैंक्यू कहूं |

दीदी बेड पर बैठी मुझे अपनी चूत दिखा रही थी और मैं उनकी उसको देख रहा था | जिस चूत का कुंवारापन अभी-अभी मैंने लूटा था मैंने खुद अपने हाथों से उस दीदी की चूत को फैलाकर और करीब से देखा और दीदी से बोला - दीदी अभी अभी मैंने आपका कुंवारा पर लुटा है अब आप औरत बन गई हो |
दीदी बोली - हां मैं अब औरत बन गई हूं और तू भी पूरा का पूरा मर्द बन गया है
मैं - दीदी अगली बार हम औरत और मर्द बंन कर चुदाई करेंगे ना |
दीदी बोली - हां रे अब तो तेरी जैसे मर्जी हो जब मर्जी हो तब तुम्हें चोदना अब तो तूने मेरी चूत के बंद दरवाजे को खोल ही दिया है अब क्या है जब मर्जी हो तब चोदो |
मैंने दीदी से कहा - दीदी अब औरत बनकर आप चुदोगी और मैं मर्द बन कर आपको चोदुंगा है | दीदी आपने इतनी छोटी सी उम्र में यह सब सिखा दिया है औरत मर्द चूत चुदाई की बातें | मैं आपका एहसान कैसे उतार पाऊंगा |

दीदी झट से बोली - अरे पहले इसमें एहसान कैसा है तू भी तो मुझे चोद रहा है ना इतनी इतने प्यार से | कौन लंड है जो किसी औरत को उसके इशारे पर चोदता है जब तक तू मेरी बात मानकर मुझे ऐसे चोदता रहेगा तब तक कोई एहसान नहीं | हम दोनों एक दूसरे पर एहसान नहीं कर रहे हैं हम दोनों एक दूसरे की जरूरतें पूरी कर रहे हैं | मैं तेरी टीचर हूं और तू मेरा स्टूडेंट है | टीचर और स्टूडेंट के बीच में कभी कोई एहसान नहीं होता है जो मैं तुझे सिखा दूं तो अच्छे से सीख लेना स्टूडेंट बनकर |
मै - अच्छा स्टूडेंट बनकर सीखूंगा आप जो भी सिखाओगी दीदी |
दीदी - अपनी टीचर का कहना मानेगा और ये बात किसी को बताएगा तो नहीं मेरा स्टूडेंट |
मै - जी कभी नहीं |

इतना सुनते ही दीदी ने मेरा हाथ पकड़ कर चूम लिया और वहां पर हम दोनों बिस्तर पर ढेर हो गए| इसके बाद में मैं दीदी की बाहों में समा गया और काफी देर तक हम एक दूसरे को आंखों में आंखें डाल देखते रहे थे मैं सीधा पीठ के बल लेटा था दीदी उल्टी लेती हुई थी दीदी अपना कुंवारापन खो चुकी थी और वह मुस्कुराते हुए मेरी आंखों में आंखें डाल लेती थी | मैं भी बहुत खुश था कि दीदी ने अपनी चूत में चोदने को दी और दीदी को एक औरत बनाया है हम सो गए हमें पता ही नहीं चला जब मेरी आंख खुली तब सुबह के 6:00 बज रहे थे मैंने देखा दीदी अभी भी सो रही हैं हालांकि जब मैंने नीचे की तरफ देखा तो मेरा लंड पूरी तरह से तना हुआ था अब मैं इसका क्या करूं अभी मुझे उठा घर भी जाना है क्योंकि कॉलेज जाना है इधर दीदी अभी भी सो रही थी मैं अपने लंड को थाम के बाथरूम की तरफ चला गया वापस आकर मैंने कपड़े पहने और चुपचाप अपने घर की तरफ ले कर के चला गया जब दीदी की आंखें खुली तब मैं वहां नहीं था इसलिए दीदी यह पता करने आई कि मैं घर पहुंचा हूं या नहीं पहुंचा |

दीदी माँ से बाते कर रही थी उसके बाद वह बोली- वहां से उसके मां-बाप का फोन आया है और वह आज भी नहीं आएंगे इसलिए क्या वह आज रात भी मेरे पास रुक सकता है हालांकि यह मुझे सुनाई नहीं पड़ा था कि मैं अपने कमरे में कॉलेज जाने की तैयारी कर रहा था | इतना कह कर दीदी वापस चली गई शाम को जब मैं ट्यूशन के लिए दीदी के यहां जाने लगा तो माँ ने मुझसे कहा कि अभी से क्यों जा रहा है |

मै - ट्यूशन पढ़ने जा रहा हूँ |
माँ - अरे मै तुझे बताना भूल गयी थी कि आज रात भी तुम ही रुकोगे कि वह अकेली है और उसके मां-बाप आज भी लौट के नहीं आ रहे हैं मैं समझ गया मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था लेकिन मैं अपनी खुशी छिपाते हुए ठीक है सुबह सुबह ही तो आई थी यह बताने के लिए | मुझे वापस बैग कमरे में रख आया उसके बाद खेलने चला गया | आया दीदी आज खेलने नहीं आई थी इसलिए मुझे थोड़ा सा निराशा लगी थी लेकिन 2 घंटे बाद जब मैं बैग दीदी के पास पंहुचा तो मैंने दीदी से पूछा - दीदी आज आप खेलने क्यों नहीं आई थी |
दीदी बोली - उसके यहां पे दर्द हो रहा था कल उसकी चूत की झिल्ली फटी थी उसका कुंवारे पन लूटा गया था इसलिए आज उसे हल्का हल्का दर्द हो रहा था और वह थोड़ा थकावट महसूस कर रही थी इसलिए आज नीचे नहीं आई |

जाते ही जाते मैंने दीदी को बाहों में भर लिया और दीदी के चूतड़ मसलने लगा तो दीदी भी मेरे चूतड़ों पर हाथ जमा कर मसलने लगी और मुझे कसके चूमने लगी थी मैं समझ गया था आग दोनों तरफ से बराबर लगी हुई है कुछ दिन पहले तक मुझे इस जवानी की आग का एहसास ही नहीं था लेकिन अब तो हर पल मैं चाहता था कि दीदी मेरे पास ही रहे और मै उन्हें चोदता रहू | दीदी का भी है बुरा हाल था वह भी अब चुदने के लिए तैयार ही बैठी रहती थी | मेरे जाते ही दीदी ने फटाक से बाहर का दरवाजा बंद किया और सोफे पर आकर बैठी थी और टीवी चला दी थी हालांकि मेरे से सब्र नहीं हो रहा था मैंने दीदी का पजामा नीचे की तरफ खींच दिया और मेरा लंड दीदी को देखते ही तन गया था मैंने अपने लंड को एंड से निकालकर दीदी के चूतड़ों और उसकी चूत पर मसलने लगा था |
दीदी - क्या हो गया इतना उतावला क्यों हो रहा है सब तेरा ही तो है, सब कुछ तुझे ही तो लूटना है आराम से जो मर्जी हो वह लूट , ये सारा हुस्न ये जवानी सब तेरे लिए तो है जैसे मर्जी हो वैसे लूट लेकिन मैं कहां दीदी की सुनने वाला था जब तक दीदी कुछ कहती सुनती समझती तब तक मैंने दीदी की पैंटी भी उतार दी थी |

उसके बाद में दीदी की कि वह गुलाबी कसी हुई चूत मेरे सामने नुमाया हो गई थी, मै देखना चाहता था की क्या चूत का छेद बिलकुल वैसा ही है | मैंने दीदी की चूत के ओंठो को फैला दिया | दीदी की चूत खुली हुई थी लेकिन चूत की दीवारों ने आपस में चिपककर सुरंग का रास्ता रोक रखा था | मै दीदी की चूत देखकर पागल सा हो गया था | दीदी टीवी पर कोई प्रोग्राम देख रही थी | उनका धयान मेरी तरफ बिलकुल नहीं था | जबकि मै बस दीदी की चूत के लिए पगलाया हुआ था |

मैंने आव देखा ना ताव और अपने खड़े हो रहे लंड पर लार उड़ेली और सीधे दीदी की चूत के मुहाने पर सटा के पेल दिया |

दीदी के मुहँ से एक मादक कराह निकल कर रह गयी | मैंने फिर से दीदी की चूत में लंड पेल दिया | दीदी फिर कराह उठी | उनकी चूत में जब मैंने ;लंड घुसेड़ा था तब उनकी चूत सुखी थी लेकिन दो धक्को में ही दीदी की चूत की दीवारों से पानी रिसनेलगा | इससे पता चल रहा था दीदी की चूत कितनी जोर से लंड की भूखी थी | उसके बाद में दीदी समझ गई थी कि मैं रुकने वाला नहीं हूं इसलिए मुझे कुछ कहने की बजाय दीदी उसी तरह से लेटी रही, और फिर से टीवी देखने लगी | उन्हें पता था आज मै उनके कहने से रुकने वाला नहीं हूँ | दूसरा वो भी चुदना चाहती थी इसलिए उन्होंने कोई प्रतिरोध नहीं किया | साथ ही साथ वो ये भी देखना चाहती थी की मै कितना सीखा हूँ | क्या मुझे ठीक से चूत चोदना आ गया है | दीदी सोफे पर पसरी हुई थी, उनका सर टीवी की तरफ था | जब मुझे चूत में लंड घुसेड़ते देखा | तो अपने अपने बड़े बड़े चुताड़ो को मेरी तरफ थोड़ा और खिसका दिया | मैं खड़े-खड़े जमीन से सोफे पर लेटी दीदी के चूतड़ों को थाम के उनकी चूत में लंड को पेलने लगा | आज दीदी की चूत में आराम से लंड जा रहा था | दीदी काफी देर तक टीवी देखती रही और मैं सटासट दीदी की चूत में लंड चलता रहा था, दीदी को भी वासना की तरंगे महसूस हो रही थी, वो भी सिसकारियो के साथ कराहने लगी थी | लेकिन आज दीदी मेरे मन का मुझे कर लेने देना चाहती थी | आज वो कोई टोका टोकी नहीं करना चाहती थी |

आज सच में लग रहा था चूत चोदने को जन्नत क्यों कहते है | जैसे जैसे मेरा लंड दीदी की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था मै भी एक एक करके स्वर्ग की सीढियाँ चढ़ रहा था | मै तेजी से दीदी की चूत में लंड पेल रहा था इसलिए जल्दी ही हफाने लगा | उधर दीदी की सांसे भी चढने लगी थी | लगातार चूत में जाते सटासट लंड से दीदी का बदन भी गरम हो गया था | उनकी सांसे भी भाप छोड़ने लगी थी | लेकिन दीदी इसके बाद भी टीवी की तरफ ही देखती रही | मै कमर हिलाकर दीदी को चोदता रहा | आह क्या चूत थी दीदी की बिकुल मख्खन मलाई की तरह नरम चिकनी और कसी हुई | सच में आज अहसास हो रहा था की दीदी ने मुझे अपनी कितनी अनमोल चीज दिखा दी है और अब चोदने को भी दे रही है | क्या कसी दीदी की चूत थी कल तो मेरी जान ही निकल गई थी दीदी की कुंवारी चूत को खोलने में लेकिन आज दीदी की चूत पहले से नरम थी और मेरे लंड को अपनी गर्माहट से, अपने गीलेपन से बहुत मजा दे रही थी |
मै बहुत तेज दीदी के चुताड़ो पर ठोकरे मार रहा था इसलिए बहुत तेज हांफ भी रहा था | मेरी साँस ऊपर तक चढ़ गयी थी | दीदी की चूत को चोदते चोदते में मदहोश हुआ जा रहा था हालांकि कल भी और आज भी दीदी की कसी चूत के कारण मेरी पिचकारी जल्दी ही छूटने को आई थी | मेरा बदन अकड़ने लगा था और पांव कापने लगे थे और मै अपने पर काबू नहीं रख पाया | मेरी पिच्मैंज्कारी दीदी की चूत की गहराई में फुवारे छोड़ने लगी थी | पांच छ झटको के साथ मेरी सारी मलाई दीदी की चूत में निचुड़ गयी |
मुझे कसकर हांफता देखा दीदी ने पीछे घूम कर देखा और बोली - बस इसीलिए कहती हूं ज्यादा जोश दिखाने की जरूरत नहीं है ज्यादा जोश दिखाओगे तो बस जल्दी ही निपट जाओगे |
मैं समझ गया दीदी का कहने का क्या मतलब है लेकिन मैंने दीदी की चूत से लंड नहीं निकाला था क्योंकि मेरा नही मन भरा था और मुझे लग रहा था दीदी भी शायद अभी इतनी कम चुदाई से खुश नहीं थी इसीलिए उन्होंने ताना मारा था - कल से समझा रही हूँ, आराम से चोदो, हट्टे कट्टे मर्द तो हो नहीं | ऊपर में मेरी नयी नवेली कसी चूत, मिनटों ने लंड का जूस निचोड़ लेती है | कितनी बार कहा आराम से चोदो, मुझे भी मजा आएगा और तुम्हे भी मजा आएगा | लेकिन तुम सुनते कहां हो, तुम्हे तो पता नहीं कहाँ की जल्दी पड़ी है |
दीदी की नाराजगी को सुनता हुआ मै उसी तरह खड़ा रहा | मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में घुसा हुआ था |
दीदी - तुमने तो अपनी पिचकारी छोड़ दी मेरी चूत में मेरी चूत में जो आग लगी है उसका क्या होगा |
मैं कुछ समझ नहीं पाया मैंने कहा - मतलब दीदी |
दीदी - मतलब जैसे तुम्हारे लंड से पिचकारी छूटती है और तुम्हे मजा आता है ऐसे ही मेरी चूत का पानी भी तो छुटता है तो मुझे मजा आता है लेकिन जब तुम जल्दी झड़ गए तो मेरी चूत तो प्यासी रह गयी |

दीदी ने क्मैंया कहा मुझे कुछ समझ नहीं आया |
मैंने कहा दीदी - अब मुझे क्या करना है |
दीदी बोली - अब क्या करोगे अब तो तुम झड़ चुके हो |
मै - नहीं दीदी आप जो बोलोगी मैं वह करने के लिए तैयार हूं |
दीदी बोली - कोई फायदा नहीं है इतनी जल्दी तुमारा लंड फिर से खड़ा नहीं होगा |
मै - मतलब दीदी ,
दीदी - अरे इतनी जल्दी तुम्हारा लंडदुबारा कहाँ से खड़ा होगा अच्छे-अच्छे लंड नहीं खड़े हो पाते तुम्हारा कहां से खड़ा होगा |
मै - लेकिन दीदी मेरा लंड तो अभी तक आपकी चूत में ही है |
दीदी - अच्छा ये बात है तो चोदो न दुबारा, आराम से चोदो, मुझे भी संस्तुष्टि चाहिए होती है | मेरी चूत भी पानी छोडती है लेकिन जब तक उसे देर तक नहीं चोदोगे तब तक वो पानी नहीं छोड़ेगी |
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