Episode 38


रीमा ने जितेश के सीने पर अपना सर रख दिया और जितेश ने भी अपना हाथ रीमा की पीठ पर रख दिया | दोनों एक दूसरे के से चिपक कर अपनी अपनी सांसे काबू करने लगे | दोनों तेजी से हाफ रहे थे उनके शरीर पसीने से लथपथ थे | वह दोनों खुद को काबू करने की कोशिश करने लगे और अपनी लंबी लंबी तेज सांसों को नियंत्रित करने लगे | जितेश ने अपनी आंखें बंद कर ली थी उसे जो सुख प्राप्त हुआ था वह जिस आनंद के सागर में गोते लगाकर अभी अभी निकला था उसकी कल्पना भी उसने कभी नहीं की थी | वह आंखें बंद करके बस उसी पल को हमेशा के लिए अपने दिलो-दिमाग में सजा लेना चाहता था | रीमा भी खुद को काबू कर रही थी | रीमा जितेश जितेश के सीने पर हाथ रखकर उसे हल्के हल्के सहलाने लगी जितेश का हाथ रीमा के चूतड़ों पर चला गया और वह उसके चूतड़ों को सहलाने लगा था | दोनों छत की तरफ देख रहे थे इस लंड चूसाई से रीमा को प्रियम की याद आ गई जब उसने पहली बार प्रियंम का लंड चूसा था इसलिए रीमा अपने पुराने अतीत में चली गई | प्रियम का ख्याल आते ही उसे अपने घर का ख्याल आने लगा |

उसे प्रियम रीमा अनिल रोहिणी सब याद आ गए | आखिर वह कैसे होंगे ? कहां होंगे ? मेरे बिना वह किस हालत में जी रहे होंगे पता नहीं उन्होंने खाना खाया होगा नहीं खाया होगा कितने परेशान हो रहे होंगे मेरे लिए ? यही सब सोच सोच कर रीमा की जान निकली जा रही थी कुछ पल पहले वह खुशी और आनंद के सागर में गोते लगा रही थी और अब उसके मन में अवसाद और दुख भरा हुआ था वह समझ नहीं पा रही थी आखिर उन पर क्या बीत रही होगी, वह बस यही सोच सोच कर परेशान हो रही थी पता नहीं किस हालत में वो लोग होंगे और कहां-कहां हाथ-पांव मार रहे होंगे मुझे ढूंढने के लिए मैं यहां से कब निकलेगी मुझे लगता है जितेश से मुझे बात करनी चाहिए मुझे मेरे घर पहुंचा दे | न पंहुचा दे तो कम से कम एक फ़ोन कर दे | या मेरी फ़ोन पर बात करा दे | वो हैरान थी आखिर जितेश इस ज़माने में बिना फ़ोन के रहता कैसे है | यहाँ से निकलने में खतरा तो रहेगा लेकिन कम से कम में जितेश से बात तो कर ही सकती हूं जब भी जितेश को सही लगेगा मुझे यहां से निकाल कर बाहर घर पहुंचा देगा | सूर्य देव के आदमी चारो तरफ घूम रहे होगे | पर क्या करूं खतरा तो है ही है खतरे से डरकर कब तक इस कमरे में बंद रहूंगी |

उधर जब रीमा अनिल और रोहित को नहीं मिली | तो दोनों बेचारे पुरे सिक्युरिटी दल के साथ वापस अपने शहर आ गए हैं | हालांकि पोलिस ने अपना पूरा जाल बिछा दिया था | छोटे बड़े हर गुंडे के मूवमेंट पर नजर रखी जा रही थी | इधर रोहित ने भी अपने निजी जासूस को रीमा का पता लगाने में लगा रखा था लेकिन समस्या ये थी ये क़स्बा पूरी तरह से सूर्यदेव के कब्जे में था इसलिए इतनी जल्दी यहाँ रोहित के जासूसों के लिए घुसपैठ करना आसान नहीं था | रोहित उनसे बार-बार लगातार संपर्क कर रहा था लेकिन रीमा का कोई अता-पता नहीं था | रोहित कुछ भी कमी बाकि नहीं रखना चाहता था उसने रिटायर हो चुके एक जान पहचान के इंटेलिजेंस के ऑफिसर को रीमा की खोज के लिए लगाया, जिसकी खुद की अपनी जासूसी की एजेंसी थी | उसने रीमा के इस तरह गायब होने की वजह जानने की कोशिश करी, लेकिन इसका जवाब न तो रोहित के पास था न पोलिस के पास | ऊपर से विलास के बेटे की मौत का मामला भी टॉप सीक्रेट हो गया था इसलिए कड़ियाँ जोड़ना तो छोड़ो पकड़ना मुश्किल हो रहा था | विलास अपनी मौत के शोक में आग बबूला बैठा था |

अपने घर के क्रिया कर्म करते ही वो कहर बनकर सब पर टूटेगा ये, उसे जानने वाले सबको पता था | सूर्यदेव को भी ये बात पता थी इसलिए उसके पास ज्यादा दिन नहीं थे | उसे भी हर हाल में रीमा को ढूंढकर विलास के सामने करना था नहीं तो वो कुत्ते की मौत मारा जाता | सिक्युरिटी अपने स्तर हाथ-पांव मार रही थी लेकिन अब सिक्युरिटी कड़ियां जोड़ने पर और जिन लोगों पर शक था उनको उठा उठा कर पकड़ कर पूछताछ कर रही थी और यह काम लंबा था और इसलिए रातो रात रिजल्ट मिल पाना नामुमकिन था | यही सब समझते हुए अनिल और रोहित दोनों ही वापस अपने घर की तरफ लौट आए थे | रोहित के घर पर रोहिणी प्रियम अनिल और उनके दोनों बेटे और बेटी कमरे में बैठे हुए थे टीवी पर रीमा के गायब हो जाने की खबर चल रही थी और पूरे शहर को पता चल गया था कि रीमा गायब हो गई है | प्रियम को भी पता चल गया था रोहिणी को भी पता चल गया था और भी पूरे शहर को भी पता चल गया था | घर में सभी इस तरह से दुख में मायुस सा चेहरा बनाये थे जैसे घर में मातम मनाया जा रहा हो | सभी के मन में एक ही बात थी आखिरी रीमा ने किसी का क्या बिगाड़ा था वह तो इतनी सीधी और सरल थी | कभी किसी से तेज आवाज में बात तक नहीं करती थी | सभी शोक में डूबे हुए थे रोहित और अनिल ने दूसरे को देखा और रोहिणी की तरफ देख कर बोले - बच्चो इस तरह से परेशान होने की जरुरत नहीं है | पोलिस ने बोला है अगले 24 घन्टे में रीमा मिल जाएगी |
रोहित - मुझे लगता है दीदी बच्चों को खाना खिला कर सुला देना चाहिए |
रोहिणी ने भी हामी भरी |

वह प्रियम के साथ-साथ अपने दोनों बच्चों को ले करके खाना खिलाने के लिए ले जाने लगी |
इधर अनिल और रोहित दोनों आगे क्काया किया जाये इस बारे में सोचने लगे | काफी देर तक इसी बात की चर्चा करते रहे कि आखिर और कौन-कौन से तरीके हैं जिसे रीमा को जल्दी खोजा जा सके | तभी रोहित का फ़ोन बजा | वो शहर की ही एक बड़े सिक्युरिटी अधिकारी का फ़ोन था |
रोहित के साथ उसकी हाय हल्लो हुई फिर वो पोलिस क्या कर रही है ये अपडेट देने लगा | रोहित ने अपना फ़ोन स्पीकर पर कर दिया |
अधिकारी - रोहित तुम परेशान मत हो | हम रीमा को जल्दी ही खोज लेगें | अब तक मेरा जो अस्सेमेंट है रीमा वही उसी कस्बे में है | कस्बे के बाहर हमने नाकाबंदी कर रखी, वहां से निकलने वाले हर गाड़ी की जाँच की जा रही है | सूर्यदेव नाम के गुंडा वहां तस्करी और दुसरे काले धंधे करके खुद को उस कस्बे का माफिया घोषित कर रखा है | उसके हर आदमी और मूवमेंट पर हमारी नजर है | वहां की पोलिस भी बहुत सहयोग कर रही है | मैंने रीमा के कॉल डिटेल्स निकाल लिए है | उस पर ग्रोसरी स्टोर पर हुए हमले से भी इसका कोई न कोई लिंक हो सकता है | हम हर पहलू से जाँच कर रहे है | कल सुबह तक रीमा की पहचान बताने वाले को हम ढाई लाख का इनाम भी घोषित करवा देगें | इसके अलावा सारे ऑटो और रिक्शा वाले भी हमारे राडार पर है | सूर्यदेव पर हमारी नजर है जरुरत पड़ी तो सूर्यदेव को हिरासत में ले लेगे | असल में वो विलास और मंत्री जी खास आदमी है इसलिए अभी उस पर हाथ डालने का मतलब खुद के हाथ जलाना है | थोड़ा सा धैर्य रखो, अगर हमें एक भी सुराग मिला तो तुरत सूर्यदेव को धर दबोचे |

रोहित - यार मिलन्द ये सूर्यदेव है कौन, इतने सालो से यहाँ हम रह रहे है | आसपास के आठ दस जिलो की तो सारी कुंडली हमें पता है | इसका नाम कभी नहीं सुना |
मिलिंद - हाँ सरप्राइज तो हमारे लिए भी है, सुना है विलास से इसकी कुछ खटपट भी हुई है हालिया बिज़नस को लेकर | फिलहाल इसका नाम तीन साल पहले ही हमारे राडार पर आय है जब हमने १० किलो कोकीन जब्त की थी | चूँकि हमारा जिला नहीं लगता इसलिए फिर ज्यादा कोशिश नहीं की गयी | ऊपर से बॉस का भी आदेश था मामले की जाँच बंद कर दो | लेकिन मै उस जिले से इसके सारे काले कारनामो का किस्सा निकलवा रहा हूँ |
रोहित -अच्छा एक बात बता मिलिंद ये विलास वही न जिसका रिवर लाउन्ज में मंत्री जी के साथ पार्टनर शिप है |
मिलिंद - हाँ वही, तू जानता है उन्हें |
रोहित - हाँ पैराडाइज का सेटअप तो मैंने ही किया था | तभी मुलाकात हुई थी |
मिलिंद - कभी उसके दर्शन हमें भी करा दे |
रोहित - उसमे क्या है कभी भी चला जा |
मिलिंद - हम सरकारी नौकर है, पैसो का पेड़ नहीं लगा है | इतना महंगा है, एक विजिट में दो महीने की सैलरी निपट जाएगी |
रोहित - भाई मजे लेगा तो जेब तो ढीली ही होगी | अच्छा ये सब छोड़ ये बता विलास के साथ कुछ त्रासदी हुई है क्या | शहर की हाई सोसाइटी सर्किल में घूम रहा है कुछ भयानक हो गया है विलास के साथ | उसके बेटे ने आत्महत्या कर ली है |
मिलिंद - टॉप सीक्रेट है बताना मत किसी को, उसके बेटे को किसी ने गोली मारी है वो भी जंगल के बीचो बीच में | उसकी लाश पूरी तरह से नंगी मिली है | किसी लड़की का चक्कर होगा पक्का बता रहा हूँ | आगे जाँच करने का आदेश नहीं वरना सब पता चल जाता | किसी उलटा खोपड़ी के आदमी की बेटी को चोदने की कोशिश की होगी या चुदाई के बीचो बीच पकड लिया होगा | तुरंत ही पेल दिया | ये मै इसलिए कह रहा हूँ वहाँ से एक साड़ी या दुप्पटे का कपड़े के धागे मिले है | मतलब वहां कोई लड़की आई या लायी गयी |
रोहित - ये कब की बात है |
मिलिंद - ये तो रीमा भाभी गायब हुई है | ओह शिट . . . . . . . . बुत जग्गू और रीमा के बीच कोई कनेक्शन नहीं है |
रोहित - ओह शिट शिट शिट ये मेरे दिमाग में अब तक क्यों नहीं आया |
मिलिंद - क्या नहीं आया ?
रोहित - रिवर लाउन्ज में बवाल हो गया था | जग्गू ने किसी लड़की के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करी थी और तुम्हे तो पता है रीमा कितनी आदर्शवादी है | उसने वहां हंगामा खड़ा कर दिया था | हालाँकि वो लड़की थी तो साली रंडी ही लेकिन रीमा को सब अपने जैसे लगते है | सच्चे आदर्शवादी . . . . . . . विलास को माफ़ी मांगनी पड़ी थी | लेकिन मुझे डाउट है विलास उस बात को लेकर आगे गया होगा |

मिलिंद - लेकिन वो नशेड़ी उसकी औलाद |
रोहित - लेकिन रीमा के खिलाफ जग्गू . . . . . . . वो तो मेरे बेटे प्रियम का भी अच्छा दोस्त था, लेकिन सच ये भी है रीमा की वजह से उसका कॉलेज छुट गया था |
मिलिंद - अब आगे क्या करना है, विलास पर सीधे सीधे हाथ डालने का मतलब है नौकरी गयी |
रोहित - मुझे लगता है कुछ न कुछ तो जग्गू और रीमा के बीच कनेक्शन है | मुझे कुछ पता चलता है तो तुझे बताता हूँ |
इतना कहकर फ़ोन काट गया |
थोड़ी देर बाद बच्चे जब खाना खाकर अपने अपने कमरों में चले गए तो रोहिणी भी वहां आ गई और वह भी जानकारियां लेने लगी थी | उसके बाद रोहिणी ने सबके लिए खाना लगा दिया | उसके बाद में बेमन से थोड़ा-थोड़ा खाना रोहित अनिल और रोहिणी ने खाया | अपने अपने कमरे में चले गए थे सबके दिमाग में इसमें बस एक ही बात घूम रही थी आखिर रीमा इस तरह से कैसे गायब हो गई क्या हुआ कैसे हुआ अभी उनको सारी बात नहीं पता चली थी इसीलिए वह इन सब रहस्यों से अनजान थे | सब कुछ बस अनुमानों पर टिका था, रोहित आखिर कैसे पता लगाये की जग्गू और रीमा की बीच क्या कुछ हुआ था | प्रियम से पूछता हूँ शायद कुछ पता चले | लेकिन जब वो प्रियम के कमरे की तरफ गया | तो बाहर की आहट सुनते ही प्रियम सोने का नाटक करने लगा | रोहित उसको सोता देख वापस आ गया और सुबह उससे बात करने की सोचने लगा |

काफी देर तक सभी लोग अपने-अपने कमरे में बिस्तर पर इधर उधर लुढ़कते रहे न रोहिणी की आंखों में नींद थी ना ही रोहित की आंखों में नींद थी ना ही अनिल की आंखों में नींदे और ना ही प्रियम की आंखों में नींद थी | प्रियम को लग रहा कही न कही उसकी वजह से तो चाची मुसीबत में नहीं फंस गयी | आखिर थी तो उसकी चाची ही | चाची से जो भी लड़ाई झगड़ा मारपीट गुस्सा मान मनोबल चलता था वो सब तो रिश्ते का हिस्सा था | उसकी चाची ने ही उसे वह जिंदगी के राज बताएं थे जो शायद उसको अपनी जवानी की दहलीज के आगे निकल जाने के बाद पता चलते | उन्होंने उसे वह सारे राज कच्ची जवानी में बता दिए थे | रीमा चाची की वजह से उसने उतना सब कुछ इस कच्ची उम्र देख लिया था जो शायद उसे अभी देखने की उम्र नहीं थी | चाची ने उसका लंड चूसा था, अपने खूबसूरत से गुलाबी जिस्म का कोना कोना दिखाया था | इसीलिए वह अपनी चाची के जवान गोरे जिस्म का दीवाना था | उसके दिलो-दिमाग मेरी रीमां चाची ही छाई रहती थी | उसे सही गलत न केवल समझती थी बल्कि जवानी के रहस्य भी बताती थी, उन्हें कर कर दिखाती थी | उसका लंड जब जब रीमा चाची के लिए खड़ा हुआ हर बार उसकी प्यास को उन्होंने चूस कर बुझाया था | अफसोस चाची अचानक से गायब हो गयी उनका कोई पता नहीं लग रहा | अपना गोरा बदन दिखाया, अपने दूध दिखाए न केवल दिखाये बल्कि पीने को भी दिया | अपनी गोरी गुलाबी चूत दिखाई और चुदने को भी दिया | नाराज होती थी तो प्यार भी करती थी | आखिर कौन अपने जिस्म का कोना कोना दिखाकर जवानी के गुर अब उसे समझाएगा | जो गलत होता था उसकी सजा देती थी डांटती थी | लेकिन अपने सीने से भी चिपका लेती थी | कौन करेगा इतना प्यार उसे | उसे चाची को दुःख नहीं पंहुचना चाहिए था | माँ की तो कभी शक्ल तक देखने की नहीं मिली अब चाची भी चली गयी | अब क्या करेगा चाची के बिना यही सब सोच सोच का उसकी आंखों में आसूं आ गए | आखिर कहाँ चली गयी तुम रीमा चाची |

रोहित की भी आंखों में नींद नहीं आ रही थी वह बार-बार इधर-उधर बिस्तर पर करवट बदल रहा था और रीमा के बारे में सोचा था | आखिरी में इस तरह से कैसे गायब हो गई कि उसका कुछ भी सुराग नहीं मिल पा रहा है | सिक्युरिटी भी अपने हाथ-पांव मार रही है | उसके अपने खुद के आदमी भी रीमा को खोजने में लगे हुए हैं | कुछ तो क्लू मिले, कुछ तो सुराग मिले | रीमा की किसी से दुश्मनी भी नहीं थी आखिर अचानक से क्या हो गया | अगर जग्गू से कुछ प्रॉब्लम होती तो रीमा जरुर बताती | पता नहीं वो जिन्दा भी ई या किसी ने . . . . . नहीं नहीं ये मै क्या उल्टा सीधा सोच रहा हूँ | लेकिन अगर किसी ने सच में उसे मार दिया हो तो | अगर ऐसा होता तो अब तक कहीं न कहीं लाश सिक्युरिटी को मिल गई होती | यही सोचकर ही रोहित के रोंगटे खड़े हो गए | उसके बाद में उसने खुद को समझाया और फिर से रीमा के बारे में सोचने लगा |

कितनी खूबसूरत थी कितनी प्यारी सी थी और कितनी सुशील थी जब तक कि उनके बीच की शर्म और लिहाज से पर्दा नहीं हटा | रीमा अपनी मर्यादा में ही रही और वो उसे देख कर बस अपने अरमानो की आहें भरता रहा था | जब एक बार उसके रीमा के बीच की रिश्तो की शर्म का पर्दा हटा , फिर तो गजब हो गया | उसके बाद जिस भी रूप में रीमा को रोहित ने देखा था वह हर बार पहले कि रीमा से बहुत ही अलग थी लेकिन जैसी भी थी कयामत थी कहर ढाती थी | रोहित को वह चरम सुख दिया जो शायद ही कोई औरत दे सकती थी | रोहित के लिए वह बहुत स्पेशल थी भले ही उसके स्वर्गीय भाई की पत्नी हो लेकिन क्या हुआ | रोहित भी रीमा के लिए बहुत खास था और रोहित के लिए रीमा बहुत खास थी | जो सुख उसे रीमा दे सकती थी या दिया था वो शायद ही उसकी आसपास मडराती औरतों के झुंड में से , जो उसके जिंदगी में आई शायद ही कोई कर सकता हो | रीमा से जो उसे सुख मिला जो अपनापन मिला, उसे बाहर की वन नाइट स्टैंड वाली लड़कियां कहां दे सकती थी | कभी-कभी सज धज के ऐसे तैयार होकर निकलती थी तो जब मन करता था बस उसे ही देखता रहा हूं सारा कामकाज भूल जाऊं | रोहित तो उसके चेहरे को काफी देर तक निहारता रहता था | इतनी खूबसूरत इतनी कोमल रीमा कहां होगी, कितनी मुसीबत में होगी, कैसे जी रही होगी पता नहीं | गुंडे बदमाश कौन उठाकर ले गया है पता नहीं | उसके साथ क्या-क्या करेगा ? रीमा को सुरक्षा की चिंता भी रोहित को खाए जा रही थी |

अनिल भी इसी सोच में डूबे हुए अपने बिस्तर पर इधर-उधर लुढ़क रहे थे और उसके दूसरी तरफ करवट करके लेती रोहिणी भी रीमा के बारे में सोच रही थी | आखिर रीमा के साथ क्या हुआ, कुछ किसी को नहीं पता था | दोनों ही अपने अपने खयालो में रीमा के बारे में ही सोच रहे थे | रोहिणी तो जैसे रीमा की दीवानी हो गई थी | इतनी प्यारी और खूबसूरत औरत का कौन दुश्मन हो सकता है | जो थोड़ी सी देर बात करने के बाद अपना पूरा दिल खोल के सामने रख देती थी इतनी भोली सुंदर सुशील दिल की साफ़ लड़की से किसी की क्या दुश्मनी हो सकती है | रोहिणी अपनी भावनाओं के सागर में डूबी हुई यही सब सोच रही थी | इधर अनिल भी रीमा के बारे में ही सोच रहे थे और उनके रात में आने वाले रीमा के सपनों को सोच समझकर लग रहा था कि अब शायद रीमा उनके लिए बस सपना बनकर ही रह जाएगी | आखिर इस तरह से कैसे गायब हो सकती है 3 दिन से ज्यादा होने को आए थे और रीमा का अभी कुछ पता नहीं चल पा रहा था | वो रीमा के हुस्धीन के जाल में अभी भी फंसे हुए थे | धीरे-धीरे अनिल का हाथ खिसकता हुआ उनकी पैंट के अंदर चला गया | वह रीमा की खूबसूरती, अदा और उसकी लटके-झटके आंख बंद करके इमेजिन करने लगे और अपने लंड को सहलाने लगे | रीमा उनकी फेंटेसी थी उनकी सपनों की सौदागर थी | उनके सपनों की अप्सरा थी | उनके ख्वाबों की मलिका थी |

आखिर रीमा आज किसी मुसीबत में है तो अनिल को कैसे चैन हो सकता है लेकिन अपनी उस ख्वाबों की मलिका सपनों की अप्सरा को बारे में सोच समझकर ही अनिल के पेंट में तनाव आने लगता था और अभी भी वही हो रहा था | पड़ोस में दूसरी तरफ मुहँ किए हुए करवट से रोहिणी लेटी हुई थी लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था उनका हाथ अपने लंड पर चलने लगा था और वह रीमा के उस खूबसूरती के स्वप्न में आंखें बंद करके डूबने लगे थे | रोहिणी को भी रीमा याद आ रही थी कैसे दोनों ने पूरी रात हंसी ठिठोली करें और एक दूसरे को ना केवल नंगा किया न केवल एक दुसरे के जिस्म को छुआ बल्कि मन की गहराइयों को भी छुआ था | जिस्म का स्पर्श जब मन की गहराइयो को छु लेता है तो वो दिलो दिमाग में हमेशा के लिए अंकित हो जाता है | उसने रीमा को एक नई चीज सिखाई | वह दोनों ने एक दूसरे के नाजुक से नाजुक प्राइवेट अंगों को छुआ, चुम्मा चाटी और एक दूसरे को वह सुख दिया जो शायद ही एक औरत ही दूसरे औरत को दे सकती है | रीमा कितनी भोली है जैसा रोहणी बताती गई थी रीमा वैसा करती गई | एक दूसरे के स्पर्श ने पनी जवानी के उस सुख को महसूस किया जो शायद ही किसी मर्द के साथ एक औरत को मिल सकता था| औरत का अनुभव ही अलग होता है औरतों का स्पर्श हल्का होता है औरतों का स्पर्श मादक होता है औरतों का स्पर्श सहज होता है औरत का स्पर्श कीमल होता है उस कोमलता के एहसास को याद करके रीमा के जिस्म की उस नरमी को और बदन की गर्मी को याद करके भी रोहिणी मदहोश हुई जा रही थी | आखिरी रीमा चीज ही ऐसी थी | उसके दिमाग पर भी रीमा का नशा पूरी तरह से चढ़ा हुआ था | उसका गुलाबी चिकना दमकता बदन और चिकनी चूत घाटी अभी तक रोहिणी भूली नहीं है | जब पहली बार रीमा को नंगा किया था तो अपलक उसकी खूबसूरती देखती रह गयी थी | आज भी उसकी वो सूरत उसके दिलो दिमाग में बसी है |

रोहिणी का हाथ भी अपने उरोजो को मसलते मसलते अपनी पैंटी के अंदर घुस गया | वह अपने चूत दाने को उंगली से मसलने लगी थी | आखिर रीमा चीज ही ऐसी थी किसी को भी अपनी वासना के सागर में डूबा कर मदहोश कर दें और रोहिणी को रीमा के साथ बिताया हुआ हर वह पल जब वह दोनों एक-दूसरे के शरीर से चिपके हुए थे और उनके बीच में कपड़ों का कोई पर्दा नहीं था एक दूसरे को स्पर्श करते हुए एक दूसरे को टच करते हुए एक-दूसरे के शरीर से शरीर को जोड़ते हुए एक दूसरे की गहराइयों की नाप लेते हुए दूसरे के होंठों को चूमते हुए एक दूसरे में खोई जा रही थी उस पल को याद कर करके और अपने अंदर की दबी हुई लालसा को अपने चूत दाने को मसल मसल करके दिमाग में जी रही थी

अनिल का मूड पूरी तरह से बन चुका था अब क्या करें रोहिणी को चोदे या फिर क्या करें लेकिन हालात ऐसे नहीं थी जो वो रोहिणी से कहें कि उन्हें उसे चोदना है | उन्हें पता था रोहिणी भी दुख से भरी हुई थी | अनिल भी अंदर से उदास थे लेकिन क्या करें हैं | रीमा के मादक जिस्म ने उनके दिलो-दिमाग में जो आग लगा दी थी | उन्उहें कुछ तो करना ही था | अपना लंड को हिला हिला कर के ही अंदर की हवस को बुझाने अनिल जी वहां से उठे और स्टडी रूम में जाकर लेट गए | रोहिणी अपने में खोयी हुई थी इसलिए उसका ध्रूयान उस तरफ गया हि नहि | स्टडी रूम में आकर के लाइट और कमरे के सारे परदे बंद कर दिए | इसके बाद में सोफा लेटकर अपने हाथ से लंड हिलाने लगे | उनके दिलो-दिमाग पर रीमा ही छाई हुई थी | रीमा उनके सपने में अक्सर आती रहती थी और वह सपने ऐसे होते थे कि अनिल को अपनी पिचकारी छोड़नी ही पड़ जाती थी | आज तो हो खुली आंखों से सपना देख रहे थे अपनी रीमां का जो उनकी सपनों की मल्लिका थी लेकिन आज पता नहीं इस अनहोनी के कारण उनसे दूर थी | उन्हें पता भी नहीं था वह कहां है लेकिन उसके नाम की मुठ तेजी से मारने लगे थे और अपने लंड पर हाथ को फिसलने लगे थे | रीमा को चोदने की ख्वाहिश उनके अंदर हमेशा से थी और जब उन्होंने पहली बार रीमा की गुलाबी गरम कसी हुई चूत के दर्शन किए थे तब से तो जैसे उनके ऊपर नशा सा चढ़ गया था | उस कसी हुई गुलाबी चूत को पाने की लालसा में तिल तिल कर घुट रहे थे | ना किसी से कह सकते थे ना किसी को बता सकते थे | बस उसकी गुलाबी चूत की ललक में पागल हुए जा रहे थे | रीमा का वो गोरा दमकता बदन और उसके बड़े बड़े चुताड़ो के बीच में वो गुलाबी चीरा और उसकी दो फांके, उन्ही दो फांको के छेद ने तो उन्हें पागल कर रखा था |

बस एक ही चारा था अपने लंड पर वह सारे अरमानों का गुस्सा उतार देते थे और अभी भी वही हो रहा था उनका हाथ उनके अपने लंड पर बहुत तेजी से फिसल रहा था अब उन्होंने पेंट खोल दी लंड पूरी तरह से तन गया था | कमरे में घनघोर अँधेरा और उस पर भी उनका काला मोटा मुसल लंड लार की चमक से चमक रहा था |

इधर रोहिणी भी अपनी प्यारी सी हंसती खिलखिलाती गुदगुदाती अठखेलियाँ करती रीमा को सोच समझकर के मदहोश हुई जा रही थी आखिरी में कहां होगी. . . किस हाल में होगी उसने कुछ खाया होगा नहीं खाया होगा पता नहीं किन जालिमों के हाथ में वह होगी | उसे हमारी याद आ रही होगी या नहीं आ रही होगी | हम उसके लिए कितने परेशान हैं या वह किन मुसीबतों में पड़ी होगी इसका कोई भी अंदाजा नहीं था | यही सब सोच सोच कर रोहिणी परेशान हो रही थी और उसकी पैंटी में उसकी चल रही उंगली थम गई | आखिर वह क्या करें इतनी असहाय कभी नहीं थी वह जान चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी | आखिर रीमा का पता कैसे लगाया जाए | रीमा की कल्पनाओं में खोई हुई रीमा को लेकर परेशान रोहिणी ने भी फिर से अपना हाथ अपनी पैंटी में घुसा दिया | उसने अपनी गर्दन घुमाकर देखी अनिल वहां नहीं थे | वह समझ गई अनिल भी रीमा के नशे में चूर हो गए हैं |

अब रोहिणी के सामने खुला मैदान था वह कुछ भी कर सकती थी | उसने अपना नाईट गाउन उतार फेंका | फिर धीरे से पैंटी भी खिसका दी | अब बस उसके जिस्म पर ब्रा रह गयी थी | उन्होंने तेजी से अपनी चूत दाने को रगड़ना शुरु किया | अपनी आंखें बंद कर वह बस रीमा के बारे में सोचने लगी जैसे रीमा अभी उसके पास ही हो | वो बिस्तर पर लेती हो और रीमा उसके ऊपर छाई हो | उसे चूम रही हो सहला रही हो उसके बड़ी-बड़ी उठी हुई छतिया उसकी छातियों से टकराकर के एक दूसरे में चूर हो रही हो | उसके बदन की नरम गर्माहट से रोहिणी की वासना का ज्वार भी बढ़ने लगा हो | दोनों के आपस में रगड़ते बदन एक ऐसी गर्मी पैदा कर रहे हो जो शायद उन दोनों को जलाकर के रख कर देगी | रोहिणी की चूत दाने पर तेज फिसलती उंगली की रगड़न से उसके पूरे शरीर में वासना की तरंगों बहने लगी | रोहिणी ने एक हाथ की उंगलियाँ अपनी चूत घुसा दी दुसरे से वो चूत दाने को मसल रही थी | उसकी कल्पना में ऐसा उसने सोच रखा था जैसे रीमा उसके ऊपर छाई हुई हो उसे चूम रही हो चाट रही हो और उसकी चूत में उंगली कर रही हो, उसके चूत दाने को मसल रही हो | जबकि एक हाथ से वह अपनी चूत दाने को रगड़ रही थी और दूसरे हाथ की उंगलियों से अपनी चूत को चोद रही थी |

रोहिणी कल्पना कर रही थी कि यह सब कुछ रीमा कर रही है आखिर रोहिणी की वासना का पारा पूरी तरह से चढ़ा हुआ था वह भी पूरी तरह से रीमा के हुस्न के जाल में मदहोश हुई पड़ी हुई थी आखिर क्यों हो रीमा ऐसी चीज ही थी | रोहिणी को मदहोश होना बनता था | रीमा की वासना के जाल में जाकर रोहिणी खुद को चोद कर रगड़ कर अपनी प्यास बुझाने की कोशिश कर रही थी ताकि उसके परेशान मन को थोड़ी सी शांति मिले |

उधर अनिल का भी यही हाल था उनका लंड पूरी तरह से अब कपड़ों के जाल से मुक्त था और पूरी तरह से सीधा ऊपर की तरफ तो ना हुआ था अंधेरे में भी अगर कोई नजदीक जाकर देखें तो ऐसा लग रहा था जैसे फुट भर का कोई डंडा उनके शरीर से निकलकर के छत की तरफ को सीधा तना हुआ है और उस पर तेजी से उनका हाथ फिसल रहा था | वह रीमा की कल्पना करके खुद का मुट्ठ मार रहे थे और सोच रहे थे जैसे वह रीमा की गुलाबी चूत को चोद रहे हो | रीमा के गुलाबी जिस्म को अपने सख्केत हाथो से थामे उसकी उन्नत नुकीली पहाड़ियों को मसलते हुए अपना मुसल लंड उसकी गुलाबी कसी चूत में पेल रहे हो | उसके गुलाबी जिस्म के उठे हुए उन्नत नुकीली पहाड़ियों का रस पी रहे हो | उसके मीठे रसीले गुलाबी नर्म होठों का रस चख रहे हो और उसके जिस्म को भोग रहे हो लेकिन असल में वह सिर्फ मुट्ठ मार रहे थे | रीमा को पाने की लालसा ने जो अनिल को पूरी तरह से अपनी काबू में ले रखा था उन्हें रीमा के अलावा कुछ नहीं सूझ नहीं रहा था | रीमा के किडनैप होने के बाद से जो जैसे वह बस दिन-रात रीमा के बारे में ही सोचते रहते थे और चिंता से घुले हुए गले जा रहे थे और वहीं उनकी चिंता कब उनकी वासना में बदल गई उन्हें खुद नहीं पता चला | रीमा की चिंता अब रीमा की वासना में बदलकर के उनके उनके दिलो-दिमाग में भर गई थी और उसी को बुझाने के लिए वह स्टडी रूम में तेजी से अपने लंड को मुठिया रहे थे

रोहिणी और अनिल दोनों एक ही गति को प्राप्त हो रहे थे एक अपनी चूत दाने को रगड़ रही थी, चूत में उंगली कर रही थी | वही दूसरा अपने लंड को मसल रहा था और काफी देर तक दोनों अपने अपने अपने जिस्म को मसलते हुए आखिर अपने अपने चरम पर पहुंच गए थे | रोहिली अपनी चूत से बरस कर ठंडी हो गई और अनिल अपनी पिचकारिया निकालकर के ठंडे हो गए | इसके बाद उनके मन को थोड़ी शांति मिली और वह अपनी-अपनी जगहों पर जहां लेटे हुए थे वहीं सोने की कोशिश करने लगे |

इधर रोहित की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी और प्रियंम का भी वही हाल था | आखिर रोहित और प्रियम रीमा के ज्यादा करीब थे | रोहित को न केवल रीमा की चिंता थी बल्कि उसकी सुरक्षा की भी उन्हें चिंता थी आखिर उनका रिश्ता अनिल और रोहिणी से ज्यादा गहरा था | जाहिर सी बात है उनका रिश्ता रीमा के साथ बहुआयामी था और उसमें वासना का एक डोर थी जो सबसे ज्यादा मजबूत थी लेकिन सिर्फ वासना की डोर का रिश्ता ही नहीं था रीमा के साथ | आत्मीयता का, लगाव का, प्यार का, दुलार का, वात्सल्य का, जो रिश्ता रोहित और प्रियम का था वह शायद और कोई नहीं समझ सकता था | आखिरकार प्रियम इधर-उधर लुढकता धीरे-धीरे सो गया और इधर रोहित भी खुद सोने की कोशिश करने लगा लेकिन उसको नींद नहीं आ रही थी | आखिर वो क्या करें | वह जाकर की एक एल्बम उठा लाया और उसमें अपने भाई और रीमा की शादी की फोटो देखने लगा था और उन्हीं को सोच सोच कर के अपनी यादों के भवर में खोने लगा था | कुछ देर तक वह एल्बम देखता रहा | उसके बाद जाकर बिस्तर पर लेट गया और उसके दिलो-दिमाग में बस एक ही सवाल घूम रहा था | रीमा तुम कहां होगी. कहां चली गई. . इस तरह से जैसे-जैसे वह रीमा के बारे में सोचता रीमा को ढूंढने के लिए उसका दृढ़ संकल्प और बढ़ता चला जाता आखिर उसने तुरंत ही अपने एक खास आदमी को फोन लगाया पत्नी और उससे रिपोर्ट लेने की कोशिश करने लगा वह आदमी पहले सिक्युरिटी ने था और अब रिटायर हो चुका था जाहिर सी बात है रोहित ने उससे पहले भी काम पर लगा रखा था लेकिन रोहित ने उसे कहा भाई मुझे किसी भी हाल में कोई न कोई क्लू तो दो आखिर वह कहां है कैसी है ताकि हम कुछ आगे बढ़ सके | 3 दिन से हम हाथ-पांव मार रहे हैं लेकिन हमें ये तक नहीं पता हमें किस जगह उसे ढूढना चाहिए | अब तक हम ऐसा लग रहा है जैसे जहां खड़े थे वहीं के वहीं खड़े हैं |

उस आदमी ने आश्वासन दिया कल सुबह तक कोई न कोई निकाल कर मुझे जरूर बताता हूं तो चिंता मत कर मैं पर्सनली खुद फील्ड पर निकला हुआ हूँ | उस आदमी ने रोहित को काफी देर तक दिलासा दी इसके बाद रोहित के अशांत मन को थोड़ी सी राहत मिली और वह आंख बंद कर सोने की कोशिश करने लगा जैसे ही उसने आंखें बंद करें सामने रीमा का खिलखिलाता हुआ मुस्कुराता हुआ चेहरा सामने आ गया | उसका वह खूबसूरत चेहरा, हँसते हुए तो और भी अप्सरा लगने लगती थी | रोहित जी रीमा को वो तस्वीर संजोये सोने की कोशिश करने लगा |

मनोविज्ञान का एक पहलू यह भी है कि जब आप किसी चीज के बारे में दिन-रात सोचते हो तो वह चीज आपके सपनों में भी आती है | तरह-तरह आपको उसी चीज का एहसास दिलाती रहती है | जब से उसने रीमा को नंगा देखा था उसकी गुलाबी चूत देखि थी | तब से उसे कुछ और सपने में आता ही नहीं | वही रीमा प्रियम को अपना गोरा बदन और गुलाबी चूत दिखाकर ललचाती हुई | प्रियम का रोज का यही हाल था | जिस तरह से वह अपनी रीमा चाची के बारे में दिन रात सोचता रहता अब उसकी नींद में भी रीमा चाची आने लगी थी | उसके सोते ही उसने जो सपना देखना शुरू किया | लेकिन आज का सपना रोज के सपनो से अलग था | आअज रीमा उसे नंगी होकर सिर्फ चूत दिखाने नहीं आई थी | प्रियम बहुत गहरी नींद में सो रहा था और वह एक सपना देख रहा था और सपना यह था कि रोहित विदेश में है तो वह उदास है और इसलिए उसकी उदासी मिटाने के लिए उसकी चाची उसके गूमने का प्वलान बनाती है | वह और उसकी रीमा चाची एक खुली जीप में बैठकर के एक जंगल की तरफ पिकनिक मनाने जा रहे हैं | रीमा चाची गाड़ी चलाती हुई एक पतली जंगल के रास्ते से होते हुए एक झील के किनारे जाकर गाड़ी रोक देती हैं और वहां पर एक चादर बिछा कर के अपना सारा सामान रख देती हैं प्रियम भी वही हल्की-हल्की गुनगुनी धूप में लेट जाता है और उसके बाद उसकी प्यारी चाची अपने सारे कपड़े उतारते हुए हुए धीरे-धीरे पानी में घुस जाती हैं और नहाने लगती हैं | प्रियम यह सब देखकर हैरान रह जाता है | चाची का नंगा गुलाबी बदन देखते ही उसकी पेंट में भी तंबू तने लगता है अपनी चाची को पानी में अठखेलियां खेलते हुए देखता रहता है उनके सौंदर्य को अपलक निहारता रहता है और उनकी खूबसूरती को देखकर खुश होता रहता है | पानी में भीगी हुई पानी से अठखेलियां करती हुई उसकी चाची किसी सपना सुंदरी से कम नहीं लगती है सपने का असर हकीकत पर भी पड़ता है और उसी सपने की उसी हकीकत के कारण प्रियम हाथ उसकी पेंट में घुस कर के उसके लंड को मसलने लगता है | प्रियम अपने लंड में आए तनाव को महसूस करते हुए सपने में जब अपनी पैंट की तरफ देखता है तो उसे महसूस होता है कि उसके बिना कुछ किए ही उसकी बिना पैंट की ज़िप और पेंट खोले उसका लंड उसकी पेंट से बाहर आ गया है और पूरी तरह से बना हुआ है |

यह देखकर कि वह हैरान है जाता है कि जब उसने पेंट खोली नहीं तो उसका लंड उसकी पेंट से बाहर कैसे आ गया और उसके बाद में वह अपने आप ही अपने लड को हिलाने लगता है | उधर पानी में अठखेलियां करती है रीमा जब यह देखती है तो पानी से बाहर निकल कर उसकी तरफ आने लगाती है | उसका पूरा बदन पानी से भीगा हुआ है | उसके गोरे जिस्म से टपकती हुई बूंदों के साथ हो प्रियम की तरफ आ जाती है |
उसके लंड पर हिलते हुए हाथ को थाम लेती है और उससे कहती है - यह क्या कर रहे हो |
प्रियम कहता है - यह मैं नहीं कर रहा हूं यह अपने आप हो रहा है |
रीमा पूछती है - लेकिन यह क्यों हो रहा है |
प्रियम - मेरे पास इसका जवाब नहीं है |
रीमा - सब चीज का जवाब नहीं होता है |
प्रियम - फिर क्या करू |
रीमा - जो होता है उसे होने देना चाहिए |

इतना कहकर रीमा प्रियम के कपड़े उतारने लगती है | प्रियम भी कोई विरोध नहीं करता है थोड़ी देर में ही रीमा प्रियम के सारे कपड़े उतार देती है और उसके बाद में उसका हाथ पकड़ कर के उसे झील की तरफ ले जाती है और पानी में जा करके उसे साथ नहाने लगती है अठखेलिया करने लगती है कभी वह पानी में उसको धक्का देती है कभी उसे पलट देती है कभी उसे पानी डूबा देती है | प्रियम भी शुरूआती झिझक से बाद अपनी चाची के साथ खेलने जाता है | दोनों पूरी तरह से नंगी होकर के पानी में एक दूसरे के साथ खेल रहे हैं एक दूसरे से चिपक रहे थे, एक दुसरे को चूम रहे थे | रीमा बीच बीच में प्भीरियम का लंड भी मसल देती | फिर से दोनों पानी में अठखेलियां करने लगते | इस खेल में प्रियम को बहुत मजा आ रहा था | झील के ठंडे पानी के तपते हुए लंड की गर्माहट कुछ कम कर दी थी लेकिन वो अभी भी तना हुआ था | रीमा भी उसे मुरझाने नहीं दे रही थी | अब वह चाची के साथ पूरी तरह से डूब जाता है काफी देर तक दोनों एक दूसरे से खेलते रहे | रीमा उसे चुमते हुए गोदी में उठा लेती और फिर पानी में छोड़ देती | फिर वो बदले में रीमा को उठाने की कोशिश करता है और और खुद ही साथ में रीमा के साथ में पानी में डूब जाता है | काफी देर खेलने के बाद दोनों झील से बाहर आते हैं | उसके बाद में अपने साथ लाए हुए खाने को खाने लगते हैं दोनों एक दूसरे के सामने पालथी मार के बैठे होते हैं | खाना खा रहे होते हैं | प्रियम अपने सामने अपनी चाची को इस तरह पूरी तरह नंगा देख देख कर खुश हो रहा होता है | उसे ऐसा लग रहा था जैसे यह सब कुछ बहुत सहज हो रहा था | रीमा के सामने वो पूरी तरह से नंगा बैठा है और रीमा चाची उसके सामने | दोनों के बीच का रिश्ता कितना सहज हो चुका है यह देखकर वह खुद हैरान हो रहा था | खाना खाने के बाद वहीं पर दोनों लेट जाते हैं और गुनगुनी धूप का मजा लेने लगते हैं | काफी देर तक वह धूप सेकते रहते हैं लेकिन पता नहीं कब धूप सेकंते सेकते प्रियम की कब आंख लग जाती है और जब उसकी आंख खुलती है तो वह देखता है उसका लंड रीमा चाची के हाथ में है | रीमा चाची उसे मसल रही है और चूस रही है प्रियम अपनी आंखें बंद कर लेता है |

ऐसा लग रहा था जैसे यह सब कुछ उसके लिए नॉर्मल हो और रीमा चाची जिस तरह से उसका लंड चूस रही थी वह कोई नई बात ना हो इधर रीमा उसके लंड को अच्छे से मालिश करती है और उसके बाद उसको चुस्ती है और चूसते चूसते फिर कुछ देर बाद उसके ऊपर आ कर के अपने दोनों घुटने दोनों तरफ टिका देती है और अपनी गुनगुने गर्म कसी हुई गुलाबी चूत के मुहाने पर उसके लंड को सटाती है और उस पर बैठती चली जाती है | उसका तना हुआ लंड रीमा की गरम गुलाबी कसी हुई चूत में धंसता चला जाता है | प्रियम जैसे स्वर्ग के चक्कर काट आया हो | उसकी रीमा चाची की गरम गुलाबी चूत में लंड के जाते ही प्रियम के मुंह से एक लंबी आह निकलती है | उसका तना हुआ लंड रीमा की कसी हुई गुलाबी मखमली चूत दीवारों को चीरता हुआ अंदर तक धंस जाता है | रीमा फिर से कमर उठाती है और फिर से जोर दे करके उस पर बैठ कर चली जाती है | लंड दुबारा से से रीमा की चूत में घुस जाता है | इसके बाद रीमा प्रियम के लंड पर बैठकर घुड़सवारी करने लगती है | प्रियम का लंड रीमा की चूत में आने जाने लगता है जमीन पर लेटा हुआ प्रियम रीमा की तरफ देखता हुआ अपने ही वासना में मदहोश हो जाता है |

रीमा उसके उसके हाथों पकड़ के अपने स्तनों पर रख देती है और उन्हें दबाने को दबाने का इशारा करती है | अपनी चाची का इशारा समझते ही प्रियम रीमा की उठी हुई उनकी छातियों को मसल मसल के उनसे खेलने लगता है | इधर रीमा अपनी तेजी से अपनी कमर हिलाने लगती है प्रियम लंड पूरी तरह से रीमा की चूत में गायब हो जाता है और रीमा तेजी से अपने कुल्हे हिला हिला के अपनी चूत को चोदने लगती है | कुछ देर बाद आगे की तरफ झुककर प्रियम को चूमने लगती है और प्रियम को नीचे से कमर हिलाने को कहती है | प्रियम नीचे से ठोकर मार कर रीमा की चूत में लंड पेलने लगता है |

काफी देर तक चोदने काऊ बॉय पोसिजन में चोदने के बाद रीमा थकने लगती है | तो वह आकर के नीचे बिस्तर पर लेट जाती है प्रियम उसके ऊपर आ जाता है रीमा उसे अपनी बाहों में भर लेती है और पीछे जांघो से उसके चुताड़ो को जकड लेती है |

उसके बाद में उसका लंड अपने हाथों से अपनी चूत पर सटाती है और जैसे ही वह अपनी चूत से प्रियम का लंड लगाती है प्रियम तेजी से अपनी कमर हिला देता है और उसका लंड की रीमा की चूत में घुस जाता है| प्रियम की तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं था | वो चाची को चोद रहा है यही तो उसका सपना था उसका सपना सच ही हो गया | अपनी चाची की चूत को चोद रहा है जिसके ख्वाब वो इतने दिनों से देख रहा था उसकी चाची उसको गुलाबी चूत को चोदने दे रही हैं और वह अपनी चाची की चूत को चोद रहा है आखिर इतने दिनों बाद उसकी चाची ने अपनी चूत उसको चोदने को दे ही दी थी | वह रीमा की बांहों में पूरी तरह से जकड़ा हुआ था | रीमा ने अब वो बंधन भी हटा दिया | वो चाहती थी अब प्औरियम उसे खुलकर चोदे | रीमा ने अपने पैर भी हवा में फैला दिए | उसकी जांघें फैली हुई थी और प्रेम का पूरा लंड रीमा की चूत में आराम से अंदर तक जा रहा था | प्रियम तेजी से कमर हिला रहा था | उसके लंड के झटको से अब रीमा की कराहे निकलने लगी थी |

बीच बीच में रीमा उसे अपने पास उसके ओंठो को अपने होंठों से सटा कर कसके चूम लेती | दोनों पसीने से तरबतर थे और दोनों के बदन की गर्मी उसके नथुनों से निकल कर एक दुसरे के ऊपर आ रही थी और भाप बन कर उड़ रही थी | प्रियम रीमा को चोदते चोदते जैसे अपने सपनों की रानी को पा गया हो | अपनी चाची की चूत को चोदते चोदते जैसे सपनों में पहुंच गया हो |
प्रियम हांफते हुआ - चाची चाची मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि मैं आपकी चूत को चोद रहा हूं |
रीमा हांफते हुए - तुझे यकीन नहीं आ रहा |
प्रियम हांफते हुए - मुझे नहीं पता था कब आप मुझे अपनी चूत चोदने को देगी आज आपने मेरी यह मुराद पूरी कर दी आप बहुत अच्छी हो चाची और चाची मुझे तो लग रहा था आपको भी मानोगी ही नहीं लेकिन आज आपने मुझे जन्नत की सैर करा दी | मैं कितना खुश हूं मैं आपको बता नहीं सकता |
रीमा बोली - तुम्हें अच्छा लग रहा है ना | यही तो तुम चाहते थे ना | मेरी चूत चोदना चाहते थे ना तुम लो आज मैंने तुम्हें चूत चोदने को दे दी अब खुश हो ना |
प्रियम जोश से भरा हुआ - हा हा हा चाची मैं बहुत खुश हूं |
रीमा - तुम्हें मजा आ रहा है मेरी चूत चोदने में |

प्रियम - हां चाची बहुत मजा आ रहा है | आपकी चूत बहुत टाइट है और मुझे तो लग रहा है मेरी जल्दी ही मेरी पिचकारी छूट जाएगी | रीमा - कोई बात नहीं प्रियम बेबी जब कोई लंड पहली बार चूत चोदता है तो उसको ऐसा ही महसूस होता है |जब तुम बार बार चूत को चोदोगे तो धीरे-धीरे तुम्हें फिर आदत हो जाएगी और फिर तुम देर तक मेरी चूत को चोद पाओगे |
प्रियम - आप मुझे आगे भी अपनी चूत चोदने को देंगी |
रीमा - हाँ मेरे बच्चे | अभी जैसे मर्जी हो मेरी चूत को चोदो और झड़ने की चिंता मत करो | जब किसी को कसी चूत को चोदोगे तो यही होगा | ज्यादा से ज्यादा जल्दी झड जावोगे तो कोई बात नहीं यह तो नेचुरल है |
प्रियम - चाची मै बता नहीं सकता मुझे कितना मजा आ रहा है इसीलिए तो तुझसे चुदवा रही हूँ | इसीलिए तो तुझे अपनी गुलाबी चूत चोदने को दिया है ताकि तू अपने मन की मुराद पूरी कर ले | तू मुझसे अक्सर नाराज रहता था की मै तुझे अपनी चूत चोदने को नहीं देती हूं इसीलिए जल्दी आज तू मेरी चूत को ही चोद ले | जितना मर्जी हो उतना जमकर चोद ले आज तुझे नहीं न रोकूंगी न टोकुंगी | आज तू मेरी चूत की गहराइयो में जमकर गोता लगा ले |

प्रियम - आज आपने मुझे अपना दीवाना बना दिया है इसके बाद कुछ बचता नहीं है बस मन करता है आपको ऐसे ही चोदता रंहू |
रीमा - हां बेबी मेरा भी मन कर रहा है कि तू मुझे बस ऐसे चोदता रहे | ऐसे ही सुनसान जंगल में हम दोनों हो और कोई न हो | तू मेरी चूत की गहराइयों में अपना लंड उतरता रहे और मै ऐसे ही तुझसे चुदती रहू |
रीमा की चूत पर जोरदार धक्के मारता हुआ प्रियम - चाची आप बेस्ट हो, आप दुनिया की सबसे अच्छी चाची हो | चाची वह मैं बता नहीं सकता आप कितनी अच्छी हो |
रीमा - हाँ बेबी बोलो न कितनी अच्छी हूँ | लेकिन चोदन धक्के मारते रहो |
प्रियम - मैं जैसे जन्नत का सफ़र कर रहा हूं | चाची आपकी गरम गीली कसी हुई चूत इतना मजा दे रही है मैं बता नहीं सकता हूं |
रीमा - हां बेबी बस चोदो और चोदो और कुछ मत करो | बस धक्के पर धक्के मारते रहो और मेरी चूत को अपने लंड से मसलते रहो कुचलते रहो | जितना मेरी चूत को मसलोगे कुचलोगे उतना ही मुझे भी मजा आएगा |
प्रियम गहराई का पूरा लंड पेलने लगा और लम्बे धक्के लगाने लगा | रीमा - बस मुझे चोदते रहो प्रियम बेबी |
प्रियम के धक्के तेज हो गए थे और ऐसा लग रहा था जैसे अब बस झड जाने की कगार पर है |
रीमा - हाँ बेबी यस बेबी यश यस यस यस यस और चोदो और चोदो पूरी ताकत लगा कर चोदो | बस बेबी बस बेबी यही चाहती हूं |
प्रियम कराहता हुआ - आआआह्ह्ह्ह चाची मैं आप को चोद रहा हूं जीतनी तेज लंड पेल सकता हूँ पेल रहा हूँ |
रीमा - यस यस यस बेबी चोदो और चोदो रुकना नहीं, अपना लंड पेलते रहना |
रीमा के शब्द प्रियम में नया जोश भर रहे थे |

रीमा - बस इसी तरह चोदकर मेरी चूत के अंदर की सारी खुजली मिटा दो | पूरी गहराई तक लंड पेलकर चोदो मुझे मेरे प्रियम डार्लिंग | तुम मेरे सबसे करीब हो, इतना करीब कोई नहीं | अपनी रीमा चाची की प्यास चूत की सारी प्यास बुझा दो | अपनी जवानी का सारा दम लगा दो | यस बेबी यस बेबी ऐसे ही चोदो मुझे फ़क लाइक दैट |
रीमा के शब्दों ने जैसे प्रियम पर जादू सा असर किया | उसके थकने की बजाय प्रियम की कमर के झटके अपनी फुल स्पीड में पहुंच गए | उसका लंड रीमा की आग की भट्ठी बनी चूत में सटासट जा रहा था | ऐसे लग रहा था जैसे कोई इंजन का पिस्टन अपनी फुल स्पीड में अन्दर बाहर हो रहा हो | इतनी तेजी प्रियम अपनी कमर हिलाकर रीमा को चोद रहा था | इतनी स्पीड में लगने वाले झटको से रीमा का पूरा बदन बहुत तेजी से हिल रहा था | वह भी अपने चरम पर पहुंच गई थी | प्रियम के धक्कों से लगने वाली ठोकरों ने उसके पुरे शरीर को हिलाकर रख दिया था | तनी तेज झटको के बावजूद वो प्रियम का लंड अपनी चूत की गहराइयों में महसूस कर रही थी | उसे जो चाहिए था शायद मिल गया था | जवान होते खून की चुदाई का अहसास उसने कर लिया था | प्रियम भी लगातार तेज धक्कों के कारण बहुत बुरी तरह हंसने लगा था और एक लंबी ठोकर के बाद उसकी उसकी वासना का बांध टूट गया और वह रीमा की चूत की गुलाबी गहराइयों में झड़ने लगा था | जैसे ही उसके लंड से पहली पिचकारी निकली प्रियम जैसे थम सा गया था, उसकी कमर का हिलना बंद हो गया | रीमा ने उसके चूतड़ों पर अपनी जांघों को कसाव बढ़ा दिया था और रीमा ने उसे अपनी बाहों में कस कर पकड़ लिया |

रीमा - अपना सारा रस मेरी चूत की गहराइयो में उतार दो | अपने जिस्म की गर्मी से पिघल कर बह निकले सफ़ेद लावे को मेरी गुलाबी गहराइयों में भर दो |
प्रियम - आआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह चाआआआआअची - मैं झड रहा हूं |
रीमा - हाँ हां बेबी बिल्कुल अपने जिस्म से मेरे प्यार के नाम पर निकली एक एक बूंद मेरी चूत में निचोड़ दो | आखिर तुम मेरी चूत चोदना चाहते थे ना | अब अपने सारे अरमानों का रस सारे ख्वाहिश का जूस मेरी चूत में लंड रस के रूप में बूंद-बूंद कर निचोड़ दो |
प्रियम रीमा के ऊपर ही ढेर हो गया और रीमा की नरम सुडौल ऊंची छातियों पर सर रख कर के अपनी सांसे काबू करने लगा था | रीमा भी उसके बाल सहलाने लगी थी और उसकी चूतड़ों पर उसकी जांघों की कसावट ढीली हो गई थी और वो एक हाथ से प्रियम के बाल को सहला रही थी और दूसरे हाथ से उसकी पीठ को सहला रही थी | प्रियम लंड अभी भी रीमा की चूत में पड़ा हुआ था और प्रियम रीमा के ऊपर लेटा हुआ अपनी उखड़ी सांसे कर काबू कर रहा था | तभी प्रियम को अपने हाथ पर कुछ गिला गिला चिपचिपा सा महसूस हुआ था | उसका सपना टुटा और वो हकीकत में लौटा | उसने अपनी आंखें खोल दीं |

उसने देखा कि उसके हाथ उसके लंड रस से सना हुआ है और उसके लंड से निकली पिचकारी से उसका पूरा हाथ और पेट गीला हो गया है | क्या मैं सपना देख रहा था | क्चाया मैंने सपने में चाची को चोदा है | शिट . . . . प्रियम के चेहरे पर निराशा के भाव थे | उसने उठ करके अपने हाथ और हाथों को उंगलियों को और पेट को साफ किया अपने से लंड को अच्छे से पोछा और फिर से अपने बिस्तर पर ढेर हो गया | उसके लिए इस बात की खुशी थी सपने में ही सही उसने रीमा चाची को चोदने का अपना सपना पूरा कर लिया लेकिन सपना तो सपना ही था हकीकत नहीं यही बात उसके मन में निराशा का बन गयी | थके और निराश मन फिर से सोने की कोशिश करने लगा थोड़ी देर में फिर से गहरी नीद में चला गया |

जितेश और रीमा दोनों काफी देर तक एक दूसरे को सहलाते हुए एक दूसरे से चिपके रहे | जितेश के लंड से पिचकारी छूटने के बाद वह मुरझा गया था | बस लंड ही मुरझाया था अरमान नहीं | अरमान तो उसके अभी भी जिन्दा थे, रीमा के अरमान, उसके गुलाबी नाजुक कोमल जिस्म को भोगने के अरमान | उसके रसीले ओंठो का रस पीने के अरमान | उसके गुलाबी जिस्म की मखमली गुलाबी कसी हुई चूत चोदने के अरमान | रीमा को चोदने के अरमान | अब जब उसने रीमा के साथ यहाँ तक का सफ़र तय ही कर लिया है तो अब बिना चोदे रीमा को इस तरह से हाथ से जाने देना बेवखूफी होगी | रीमा के दिलो दिमाग में क्या है उसे पता नहीं था लेकिन उसने हर हाल में रीमा को चोदने का इरादा मजबूत कर लिया था | जितेश अपने मुरझाये लंड को अपने अरमानो के फौलादी इरादों से फिर खड़ा करने लगा | इन्ही अरमानो की लगायी आग उसके जिस्म में फिर से फ़ैलने लगी | उसका बदन रीमा के जिस्म से सटा हुआ था | धीरे धीरे रीमा के नाजुक गोरे गुलाबी बदन की गर्माहट और रीमा को चोदने के जिन्दा अरमानों ने उसके अंदर फिर से जोश भर दिया और रीमा की तरफ से बिना किसी वासना के उकसावे हरकत के ही जितेश का लंड फिर से तन्ने लगा था, फूलने लगा था |

रीमा अपनी ही दुनिया में खोयी हुई थी | प्रियम रोहित की याद में गहरे तक डूब गयी थी लेकिन उसकी भावनाओं के ज्वार में भी उसकी वासना ख़त्म नहीं हुई थी | उसे तो अहसास ही नहीं था की उसका जिस्म क्या चाहता है कितना चाहता है | उसे बस एक अपने अन्दर एक तड़प एक प्यास महसूस हो रही थी | ऐसा लग रहा था कुछ अधूरा है, कुछ है जो उसको खालीपन का अहसास करा रहा है | उसकी अपनी कामनाये थी वासनाये थी लेकिन उसकी वासनाये किसी मर्द की वासना या हवस से बिलकुल अलग थी | जितेश को पता था उसे क्या चाहिए लेकिन रीमा को बस एक अहसास था, असल में उसे क्या चाहिए ये तो उसे तभी पता चलता था जब वो वासना में डूब कर गोते लगाने लगती थी | उसकी वासना स्थिर नहीं थी निश्चित नहीं थी, पल पल के साथ उसकी चाहते और ख्वाइश बदल जाती थी | बढ़ जाती थी | उसे भी अहसास था जितेश इतने से मानने वाला नहीं है, उसे बिना चोदे वो छोड़ेगा नहीं | लेकिन उसे जितेश से ज्यादा खुद की चिंता थी आखिर उसे किस हद तक जाना है | किस हद तक उसे जितेश को अपने अंतर में जाने देना है | उसकी हद क्या है उसकी हसरत क्या है | रीमा की यही उलझन थी, हमेशा वो अपनी वासनाओं की हदों को लेकर सशंकित रहती थी | मन में हजारो सवाल थे | जवाब सिर्फ भविष्य में था | जितेश का फूलता तनता लंड रीमा की जांघ पर अपनी दस्तक देने लगा | रीमा को उसके कड़ेपन और गर्माहट का जब अहसास हुआ, तो उसने नीचे की तरफ नजर घुमाई |

रीमा ने जब उसका तनता हुआ लंड देखा तो उसे फिर अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगी , आखिर उसकी चूत की प्यास तो अभी भी बरक़रार थी | उसके अरमानो की सेज तो अभी सजनी बाकि थी | आखिर उसे अपनी हसरतों की दौड़ तो अभी लगानी थी | इस दौड़ में उसके साथ बराबर दौड़ने वाला भी उसके जिस्म से चिपका हुआ था और उसे उम्मीद थी वो उसे किसी भी हाल में बीच मझधार में नहीं छोड़ेगा | इसीलिए वो अपनी वासना का अंनत समुद्र उसके साथ तैर कर पार करना चाहती थी | वो ख्वाइशये वो हसरते वो अरमान वो ललक वो प्यास वो तड़प वो हवस सब कुछ मिटाने का वक्त आ गया था | जितना दिल दिमाग लगाकर वासना के समन्दर में उतरकर खुद को तृप्त करेगी | उतना ही उसके अनसुलझे सवालो के जवाब मिलते जायेगे | अभी सही गलत ऊपर नीचे कुछ भी सोचने का वक्त नहीं था | अभी बस जिदगी और उसकी जवानी की हसरतो में डूब जाने का वक्त था | वासना के सागर में कूद जाने का वक्त था, इस हवस के सागर में डूब जाएगी या तैर करके पार लग जाएगी ये तो वक्त बताएगा लेकिन उसे इसमें कूदने से अब डर नहीं लग रहा था | | जितेश के लंड पर फिसलता उसका नरम हाथ और रीमा के दिमाग में चल रहा उसका अंतर्द्वंद | रीमा दिल से कही और थी शरीर से कही और थी लेकिन दोनों की मंजिल एक थी | अपने अरमानों को जी भरकर जीने की | ताकि अपने अन्दर इतना आत्मविश्वास पैदा कर सके की दुनिया के सीना तान कर जी सके | आखिरकार मेरी अपनी हसरते है चूत की अपनी प्यास है, जिस्म की अपनी जरूरते है और अपने अरमानो की तृप्ति ही उसकी मंजिल है यही उसके अन्दर का खोया आत्मविश्वास लौटाएगी | उसे बेचारी, मजबूर नहीं, मजबूत और आत्मविश्वास से भरी हुई औरत बनकर रहना है | ये तभी होगा जब वो अपने मन की करेगी, अपने मन के अरमानो को पूरा करेगी, अपने फैसले खुद लेगी और दकियानुकुसी बातो को अपने दिमाग से कूड़े की तरह निकाल कर बाहर फेंक देगी |

रीमा के जादुई स्पर्श से जितेश के लंड को जैसे करंट लग गया हो, वह बिजली की तेजी से फूलने लगा और उसमें खून भरने लगा |
रीमा ने भी उसके लंड को तेजी से हाथ से हिलाना शुरू कर दिया था रीमा ने अपने ओंठो को जितेश के ओंठो पर रख दिया | जितेश भी रीमा को कस कर चूमने लगा था | दोनों के वासना की आग में सूखे ओंठ कांपते हुए फलकों के साथ एक दुसरे से चिपक गए | एक दुसरे के मुहँ का रस एक दुसरे के सूखे ओंठो को नमी देने लगा | जितेश ने रीमा को पूरी तरह से अपने ऊपर लिटा लिया और उसका लंड अब रीमा की चूत के चिकने त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था | जितेश और रीमा एक दूसरे को कस के चूम रहे थे रीमा की बाहें रितेश के सर के दोनों तरफ थी जबकि जितेश के हाथ रीमा के चूतड़ों पर जाकर जम गए और वह रीमा के बड़े-बड़े चूतड़ों की अपनी हथेलियों से मालिश करने लगा |
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