Episode 39
रीमा के बड़े बड़े उठे हुए सुडौल उन्नत नुकीले उरोज जितेश की चौड़ी छातियों से रगड़ खाकर दो जवान जिस्म के पाटो के बीच पिस रहे थे | दो जिस्मो की इस कशमकश में रीमा के अरमान और जितेश की हवस अपनी तरुणाई छोड़कर जवान हो रही थी | दोनों जिस्म एक दुसरे में गुथमगुथा होकर अपनी वासनाओं की आग को और भड़काने में लगे हुआ थे | रीमा पूरी तरह से जितेश के ऊपर उल्टा लेटी हुई थी, उसके मांसल सुडौल चूतड़ ऊपर की तरफ उठे हुए थे | जितेश के हाथ उनकी अच्छे से मालिश कर रहे थे | रीमा और जितेश एक दूसरे को कस कर चूम रहे थे जितेश और रीमा के बदन की गर्मी बढने लगी थी | दोनों के जिस्मो की धड़कने अब साफ़ एक दुसरे को महसूस होने लगी थी | जितेश का लंड पूरी तरह से फूलकर तन गया था | उसमे दौड़ रहा तेज खून का बहाव उसे कंपा रहा था | उसका लंड बिल्कुल रीमा की चूत के मुहाने पर रगड़ खा रहा था और खून से भरा होने के कारन उसका सुपाडा पूरी तरह से लाल हो गया था |
उस पर गीलेपन की बूंद छलक आई थी |
उसके बाद में रीमा जितेश से अलग हो गई और वह जाकर के जितेश के लंड के पास बैठ गई जितेश के लंड को चूमने लगी | उसके लंड के सुपाडे पर आई प्रिकम की बूंद को रीमा ने चाट लिया और गटक गयी | लेकिन रीमा के साथ साथ जितेश भी सीधा हुआ और उसने रीमा को अपने नीचे लिटा कर के खुद उसके ऊपर छा गया | जितेश ने रीमा के दोनों बड़े बड़े उठे हुए धवल स्वेत गुलाबी उन्नत उरोजो की नुकीली पहाड़ियों को अपने हाथों में ले लिया और कसके मसलने लगा, चूमने लगा था | उसकी नुकीली चुन्चियो को मुंह में भर कर चूसने लगा था | रीमा आनंद से मस्त हो गई | उसके अरमानो की ख्वाइशे सिसकारियां बनकर मुहँ से सिसक रही थी | उसकी हवस की आग की आंच उसके नथुनों से गरम भाप बनकर निकल रही थी | उसका जिस्म उसकी हवस की आग में तपने लगा था | उसने अपनी आंखें बंद कर ली | जितेश काफी देर तक रीमा के दोनों बड़े बड़े स्तनों को बारी-बारी से चूस कर उनका रस पीता रहा | फिर उसका एक हाथ धीरे-धीरे रीमा के सपाट चिकने पेट पर से फिसलता हुआ रीमा की चिकनी बाल रहित चूत घाटी का मुआयना करने लगा | रीमा की चिकनी चूत घाटी की फिसलन को जितेश का हाथ संभाल नहीं पाया और फिसलता हुआ उसकी जांघों के बीच में स्थित उसके मखमली जिस्म के सबसे से वर्जित इलाके में पंहुच गया | उसकी उंगलिया उसकी चूत घाटी के निचले हिस्से पर उसके चूत दाने पर पहुंच गयी | रीमा कसकर सिसक उठी | ये सिसक उसकी दबी हुई अनछुई हवस की ललक की पहली दस्तक थी | जितेश रीमा की चूत दाने को रगड़ने लगा था | रीमा के तन बदन में आग लगाने के लिए पहले से ही क्या कुछ कम था जो वह चूत दाने को रगड़ने लगा था | चूतदाने पर जितेश की उंगलियों का स्पर्श पाते ही रीमा के पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया और वह वासना से पूरी तरह नहा गई | चूत से उठकर पुरे शरीर में दौड़ गयी वासना की तरंग में उसका पूरा शरीर काँप गया | जितेश ने रीमा के चूत दाने को कसकर उंगलियों से मसल्ला शुरू कर दिया था | जितेश ने रीमा के तन बदनमें आग लगा दी | उसके अन्दर उमड़ रहे वासना के समन्दर के भंवर और तेज हो गए | उसकी लहरे रीमा के मुंह से सिसकारियां बनकर फूटने फूटने लगी थी | वासना की गर्मी में तप रहा रीमा जिस्म अब आग की भट्ठी बनने की तरफ बढ़ चला | उसके मुहँ से तेज होती मादक कामुक सिसकारियां इस बात की निशानी थी की उसके अन्दर वासना की समुद्र का तूफ़ान और तेज हो रहा है |
रीमा - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई |
रीमा के मुहँ से मादक कराहे सुन जितेश का जोश भी बढ़ गया था | जितेश रीमा के उरोंजो को अपने मुंह में भर कर उनका सारा रस पी रहा था और नीचे अपनी उंगलियों से ही रीमां की चूत दाने को कस के रगड़ रहा था | रीमा अपने बदन में उठते गिरते वासना के भंवर में अपने पैर उठा गिरा रही थी | रीमा ने भी अपनी पीठ अपने हाथ जितेश की पीठ पर जमा दिए थे और उसके जिस्म से चिपक कर खुद के बदन को रगड़ने लगी थी | जितेश की उंगलियाँ किसी जादूगर की तरह रीमा के मखमली चूत इलाके में फिसल रही थी | जितेश की उंगलियों के जादू ने तो जैसे रीमा को मदहोश कर दिया | एक तरफ जितेश उसके सीने का सारा रस निचोड़े ले रहा था उसके ओंठ पूरी सख्ती से उसकी उठी हुई उन्नत नुकीली छातियों का रस निचोड़ने में लगे हुए थे | दुसरे उसकी चूत और चूत दाने पर फिसल रही उसकी उंगलियाँ उसकी चूत का सारा रस निचोड़ कर बाहर निकालने में लगी हुई थी | रीमा की सांसें बहुत तेज हो गई थी और वह मस्ती में आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह कर कराह रही थी |
जितेश ने रीमा के उन्नत उरोंजो का रस निचोड़ना छोड़कर धीरे-धीरे रीमा की गुलाबी चूत के इलाके में पंहुच गया | जितेश खुद को नीचे खिसकाता हुआ रीमा की जांघो के बीच जाकर बैठ गया | उसने अपना सर रीमा की नरम गुदाज जांघो में धंसा लिया | और कसकर उसकी जांघो को थाम लिया | उसके ओंठ रीमा की चूत घाटी के बीचो-बीच की मखमली दरार पर पहुंच गये | उसकी गीली जीभ का तीखा नम स्पर्श अपने गुलाबी जिस्म के सबसे सवेदनशील अंग पर पड़ते ही रीमा के मुहँ से जैसे सिसकारियों की बौछार निकल पड़ी |
रीमा - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई आआआआह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्ममा आआआआआआआआआआआअ |
उसने रीमा की चूत पर अपने होंठ रख दिए और रीमा की गुलाबी रसीली मखमली चूत का रस चूसने लगा, वो रीमा की चूत बिलकुल ऐसे चूस रहा था जैसे एक भौंरा किसी कली का रस चूसता है | उसकी एक उंगली चूत दाने को मालिश करने लगी | रीमा के जिस्रीम में उठने वाली वासना की मादक तरंगो ने रीमा को मदहोश कर दिया | रीमा तो जितेश की इस हरकत से अपना काबू ही खो बैठी, वो आनंद में पागल हुई जा रही थी |
रीमा जैसे अपने जिस्म में उठती वासना की तरंगो को अब संभाल नहीं पा रही थी - आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह बस करो जितेश मै मर जाउंगी |
रीमा - आआआआह्ह्ह्हआआआ आह्ह्ह्हआआआआह्ह्ह्ह ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह |
जितेश किसी समधिष्ट योगी की तरह बस अपने अधरों की रीमा की गुलाबी मखमली चूत पर फिसलाता रहा | उसकी गीली जीभ रीमा की गरम चूत पर अपनी ठंडी फुहारों की मालिश करती रही | जितेश के कानो तक रीमा की कामुक सिसकारियां और कराहे पंहुच रही थी लेकिन जितेश को पता था उसका ध्यान कहाँ रहना चाहिए | अभी रीमा की तरफ ध्यान गया तो सारी मेहनत बेकार जाएगी | जब तक फडफड़आती, तड़पती, मचलती, कराहती, सिसकती रीमा अपनी वासना की पहली फुहार नहीं छोड़ देती, तब तक उसे इसी तरह समाधिस्त रहना होगा | वासना का खेल भी किसी साधना से कम नहीं अगर सही से खेला जाये |
रीमा के मुहँ से सिसकारियां बन होने का नाम नहीं ले रही थी |
रीमा - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बबबससससससससस करो | ओह गॉड
आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् बहुत अच्छा लग रहा है . . . . . . . . . . . . . . ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऐसे चुचुचुचुचुचुचुचुसतेतेतेतेतेतेतेतेतेतेते आअहाआअहाआह्ह मेरे राराराराजाजाजाजाजाजाजाजाजा | बस चूसते रहो |
रीमा - बेबी ओओओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बेबी यस यस यस यस यस यस यस यस लाइक दैट लाइक दैट |
जितेश के कानो में जैसे रीमा शब्द पड़े ही नहीं | जितेश ने अपनी जीभ निकाली और रीमा के दोनों चूत के पलकों को फैलाया और नीचे से ऊपर तक चाट लिया रीमा | रीमा इस गीले खुरदुरे एहसास से सिहर उठी |
रीमा - ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह गागागागागागाडडडडडडडडडड ओह्ह्ह्ह माय गागागागागागाडडडडडडडडडड मार ही डालोगे क्या . . . . . . . . . . . . |
जितेश ने फिर से वही दुहराया |
रीमा - इट फील्स सो गुड मर ही जाउंगी मै ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बेबी बहुत मजा आ आया आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् |
उसके पूरे तन बदन में आग लग गई वह अपने पैर इधर-उधर हिलाने लगी | उसकी कमर झटके खाने लगी | रीमा के जिस्म में उठ रहे हवस के भंवर उसके जिस्म को हिलाने लगे थे | उसकी मखमली गुलाबी चूत बुरी तरह से पानी छोड़ने लगी | लेकिन जितेश ने उसकी जांघों को कस के पकड़ रखा था उसके बाद जितेश ने अपनी जीभ रीमा की चूत सुरंग में घुसा कर उसको अंदर तक चूसना चाटना शुरू कर दिया | वो रीमा की मखमली चूत से निकल रहे उसकी वासना के अमृत रस को उसकी चूत के बाहर निकलने से पहले ही पिए ले रहा था | रीमा के चूत रस ने तो जैसे जितेश को जोश से भर दिया | वो रीम की बहुत कसके चूसने लगा | रीमा के जिस्म में भी हवस की आग अपनी पूरी ताकत से धधक रही थी, जो उसके पुरे बदन को जलाये हुये तपाये हुए थी | रीमा उसकी वासना की आग की तपिश में बहुत तेजी से जलती हुई हवस की तरंगो में गोते लगाने लगी थी और जितेश रीमा के चुत दाने को भी कस के रगड़ रहा था रीमा का खुद पर काबू नहीं था उसके शरीर में जैसे वासना का महातूफ़ान आ गया हो रीमा खुद को संभाल नहीं पाई और बिखर गई | रीमा के बदन तेजी से ऐठ गया अकड़ गया और कांपने लगा और कांपते जिस्म के साथ वह झड़ गई | रीमा की चूत जब इतनी खूबसूरत है तो उसका रस कितना मीठा होगा ये सोचकर ही जितेश रोमांच से भर गया |
रीमा की गुलाबी चूत जैसे झरना बनकर बहने लगी | उसकी मखमली चूत के अंदरूनी ओंठ पूरी तरह फैला दिए और अपनी जीभ और ओंठो को उसकी मखमली गुलाबी चूत सुरंग के मुहाने से सटा दी, जितेश का मुहँ रीमा की झरना बनी चूत से चिपक गया | उसकी चूत से रिस रहे उसकी वासना के झरने की एक एक बूंद गटकने लगा | रीमा गुलाबी रसीली चूत का अमृत रस कौन मिस करना चाहेगा | जितेश घूँट दर घूँट रीमा की चूत का रसपान करता रहा | रीमा का बेकाबू जिस्म हिलता रहा | रीमा तो जैसे स्वर्ग में ही पहुंच गई हो उसने मुट्ठी भींच के बेड की चादर को पकड़ लिया और अपनी जांघों के बीच में उठ रही तेज वासनाओं के ज्वार को संभालने में लग गई थी हालांकि यह उसके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था | उसकी शरीर में उठने वाली वासना की तरंगे उसके मुंह से सिसकारियां बन निकलती रही |
कांपती रीमा को देखकर भी जितेश नहीं रुका | उसके चूत रस से जितेश का मुहँ भीग गया | जितेश ने रीमा की चूत से बहते झरने का सारा रस पी लिया उसके बाद भी कुछ देर तक रीमा की चूत को कसकर चूसा | एक तरफ निढाल हो रीमा अपनी सांसे काबू करना चाहती थी लेकिन जितेश कहाँ उसे पल भर की फुर्सत दे रहा था | रीमा के मुंह से मादक सिसकारियां निकलना जारी रही | रीमा के दिल के अरमान उसकी चूत से चूत रस बनकर झर झर कर बह रहे थे | उसकी अनंत ख्वाइशो में कुछ अंश की तृप्ति वो अपने अंतर्मन में महसूस कर रही थी |
रीमा अब उत्तेजना के भंवर में बुरी तरह से फंस चुकी थी | उसका बदन आनंद से सरोबार हो खुद उसके काबू में नहीं था | इधर जितेश ने रीमां की चूत के मुहाने में से उसका जूस निचोड़ने के बाद अपनी जुबान घुसा उसे अन्दर ठेलने की कोशिश करने लगा
वो जीभ से ही रीमा की चूत चोद देना चाहता था लेकिन असफल रहा | फिर उसने बारी बारी से उसके पतले चूत ओंठो को चूमा और फिर चूत दाना चूसने लगा |
उसने रीमा की चूत के दोनों ओंठ फैला दिए और उसकी चूत के अंदरूनी ओंठो पर अपनी खुरखुरी जुबान फिराने लगा | रीमा तो जैसे आनंद से पागल ही हो गई थी |
रीमा - ओओओओओओओओओओओओ नोनोनोनोनोनोनोनोनोनो जितेश अब रुक जावो प्लीज , आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मेरी जान लेकर ही मानोगे क्या ? आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज |
रीमा के मुंह से फूटती वासना की सिसकारी देखकर जितेश का जोश और बढ़ गया | जितेश की जीभ रीमा की चूत के होठों पर और उंगली रीमा की चूत के दाने पर बहुत तेजी से आगे पीछे फिसल रही थी |
उसके बाद जितेश ने अपनी एक उंगली को लार से भिगोते हुए उसे रीमा की गुनगुनी गुलाबी रसीली चूत में अंदर तक घुसेड़ दिया | रीमा एक मादक कराह से सिसक कर रह गयी |
रीमा - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज ये मत करो, पागल कर दोगे तुम मुझे, ओओह्ह्हह्ह्ह्ह जितेश प्लीज् . . |
यह अहसास उसे रोहित की याद दिला गया | रीमा पूरी तरह से आनंद से नहा गई थी उसे पता था ऐसा काम सिर्फ रोहित ने ही उसके साथ किया है | वह बिल्कुल उसी ख्वाब में फिर से डूब गई | जितेश को मतलब ही नहीं था रीमा क्या बडबडा रही है | उसे सिर्फ एक चीज पता था रीमा मैडम को जितना हो सके उतनी गहराई तक वासना के सागर में डुबो कर उन्हें चरम सुख के किनारे तक ले जावो जहाँ आजतक उन्हें कोई न ले गया हो | वो चाहता था जिस शिद्दत से रीमा ने उसका लंड चूसा है और उसे वो जन्नत दिखाई है जिसका अहसास सालो साल उसके दिलो दिमाग में जिन्दा रहेगा | उसी शिद्दत से, दिलो जान से वो रीमा के जिस्म को छुकर सहलाकर चूमकर उसे बाकि औरतो से खासमखास का अनुभव कराना चाहता है | रीमा स्पेशल है, उसका जिस्म स्पेशल है उसकी वासना हवस स्पेशल है और इसलिए जितेश दिलो जान से रीमा को हर वो सुख देना चाहता है जो शायद रीमा के मन के कोने में दबा हुआ एक अनचाहा अरमान है | लंड चूत में घुसेड़ कर तो सभी चुदाई करते है लेकिन उससे पहले का सुख और अहसास सबसे खास होता है ये अहसास ऐसा है जो सालोसाल दिलो दिमाग में जिन्दा रहेगा | वो रीमा को एक ऐसी यादगार रात देना चाहता है जो उसके जीवन में सबसे खास बन जाये | वो न केवल रीमा के रोम रोम में वासना की आग लगाना चाहता है बल्कि उसके जिस्म के रोम रोम की आग बुझाना भी चाहता है | उसे एक ऐसी वासना की तृप्ति तक पहुचाना है जिसके बाद उसके मन में कोई शिकायत न रहे |
इधर जितेश ने दूसरी उंगली भी रीमा की चूत में घुसा दी और तेजी से आगे पीछे करने लगा | रीमा तो ऐसे पागल सी हो गई थी वह अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी उसके शरीर में उठने वाली तरंगें अब काबू से बाहर हो रही थी और रीमा का शरीर में कंपन होने लगा रीमा की वासना अब टूटने लगी थी रीमा का वासना का तूफ़ान फिर से अपने चरम पर था | उसके जिस्म में जल रही वासना की आग का इधन अब खतम हो गया था | बुझाते दिए बुझाने से पहले भभकते है उसी तरह रीमा के जिस्म में हवस की आग वासना की तरंगे बनकर भभकने लगी | इन तरंगो में इतनी ताकत थी की रीमा का जिस्म कांपने लगा | आखिर रीमा के जिस्म में जल रही वासना की आग दरिया बह निकला | रीमा को जिस्म को तपाकर जलाकर रखी हुई उसकी वासना फिर से किसी पहाड़ से निकल कर बहती नदी की तरह बहने लगी थी | रीमा कांप रही थी झर रही थी बह रही थी, और बिलकुल वैसे ही तेज सिसकारियां का शोर करती हुई बह रही थी जैसे पहाड़ों के चंगुल से निकली हुई नदी तेज धार के साथ शोर मचाती बहती है |
इस बार रीमा का बदन काफी देर तक कांपता रहा हिलता रहा | रीमा झड़ती रही | रीमा के ओर्गास्म का शोर इस बार जितेश के कानो के अन्दर तक भी पंहुच गया | जितेश भी इस बार थम गया | रीमा कुछ देर तक कांपती रही उसके बाद में रीमा शांत हो गई | लेकिन जितेश को अभी कहां चैन था वह रीमा के पास आ गया और उसने रीमा के रसीले ओंठो से खुद के ओंठ सटाकर कसकर चूमना शुरू कर दिया था | उसके अन्दर धधक रही हवस की आग उसके जिस्सम को जलाये हुए थी | उसके बदन की आंच रीमा को अपने नरम पसीने से लथपथ बदन पर महसूस हो रही थी | उसने रीमा के चेहरे कान नाक आंख गला सबको चूम डाला, बारी बारी से चूमता रहा | रीमा झड़ चुकी थी, हांफ रही थी लेकिन न तो उसकी ख्वाइशो ने हार मानी थी न उसकी लालसा ने | रीमा की वासना का एक दौर उसके अन्दर से झरना बनकार बह चुका था लेकिन रीमा के जिस्म की अनंत प्यास तो अभी भी बरकरार थी | रीमा की वासना की चाहत तो अब तरुणाई पार कर जवान हो पायी थी | अभी तो रात ने भी अंगड़ाईयाँ लेना बस शुरू ही किया था | रीमा के जिस्म पर जितेश की फिसलती उंगलियों और थिरकते ओंठो से रीमा के जिस्म का रेस्पोंस बता रहा था उसके अन्रदर अभी कितनी वासना भरी हुई है इसीलिए जितेश के चुमते ही रीमा के अंदर फिर से लहरें उठने लगी और वह फिर से आनंद के सागर में गोते लगाने लगी थी |
औरत के जिस्म की यही खास बात है, वो बार बार झड़कर भी अनगिनत बार तक वासना में नहा कर अपनी जवानी की प्यास बुझाती रह सकती है | वो लगातार झड़ते हुए भी जवानी का मजा लूट सकती है | मर्द को ये सहूलियत नहीं मिली प्रक्रति से | वो एक बार झड गया तो उसे कुछ देर थमना ही होगा | जितेश को भी काफी देर हो गई थी रीमा के जिस्म से खेलते हुए उसकी चूत को चाटते हुए | अब जितेश से रहा नहीं जा रहा था तो जितेश ने अपने हाथ में ढेर सारी लार उड़ेली और अपने तने हुए गरम लंड पर मसल दी | वह अब रीमा को चोदने के लिए पूरी तरह से तैयार था | रीमा भी चुदने के लिए पूरी तरह तैयार थी या नहीं ये जानना भी जरुरी था |
कमरे में उठ रही गरम सांसो और तेज धडकनों की ख़ामोशी को तोड़ते हुए जितेश बोला - अब आगे क्या ?
रीमा उसकी तरफ देखने लगी, वो दो बार झड़ने से पूरी तरह मस्त थी ऊपर से जितेश ने फिर से उसके जिस्म में हवस का सूरूर भर दिया था | उसी मादकता और मस्ती में जितेश से अठखेलियाँ करती हुई बोली - अब क्या, मतलब क्या ?
जितेश अपने लार से सने लंड को मसलता हुआ बोला - मतलब आगे का क्या प्लान है |
रीमा भी अपने स्तनों को मसलते हुए - अब तो बस सोना है |
जितेश अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए - हम तो सो जायेगे और ये महाशय तो रात भर जागते रहेंगे |
रीमा - अब एक बार सुला तो दिया था |
जितेश - इन्होने कुछ ऐसा देख लिया है कि लेकिन इनको नीद नहीं आ रही |
रीमा - ऐसा क्या देख लिया |
जितेश - मखमली गुलाबी पनाहगाह |
रीमा - तो मै क्या करू, सुला दो जाकर उस पनाहगाह में |
जितेश - उसकी चाभी तो आपके पास है मल्लिकाए हुस्न |
रीमा - ये तो ज्यातती है, नीद इन महाशय को नहीं आ रही और सुलाऊ मै |
जितेश - जगाया भी तो आपने ही है |
रीमा - झूठ मत बोलो, मैंने किसी को नहीं जगाया | अपने आप ही जग रहे है मुझे देखकर |
जितेश - कितनी उम्मीद से तुमारी तरफ देख रहा है, मना मत करना बेचारे का दिल टूट जायेगा |
इतना कहकर जितेश ने अपना लंड रीमा के हाथ में थमा दिया | रीमा का हाथ अपने आप ही उस पर फिसलने लगा | रीमा को भी अहसास था की बिना मुसल लंड घोटे उसके अन्दर की भी प्यास पूरी तरह नहीं बुझेगी | लाख जतन अपना लो लेकिन असली प्यास तभी बुझती है जब लंड चूत को चीरता हुआ अन्दर तक जाता है | रीमा ने उसके लंड को मसलते हुए नीचे पीठ के बल बिस्तर पर लेट गयी और अपनी दोनों जांघे सिकोड़कर फैला दी |
रीमा ने दोनों हाथो की एक एक उंगली लगाकर अपनी चूत के ओंठो को हल्का सा फैला दिया और जितेश
के सामने एक अप्सरा की चूत थी | रीमा ने अपनी चूत को थोडा और फैलाया और उस गुलाबी सुरंग के मुहाने के सीधे दर्शन करा दिए जितेश का लंड कुछ देर में जिस पनाहगाह में आराम फरमाएगा |
रीमा की गुलाबी चूत देखकर जितेश का लंड जोर जोर से झटके मराने लगा | उसके लंड को भी शायद ये अहसास हो गया था की वो इस मखमली गुलाबी सुरंग की सैर करने वाला है | क्या चूत थी, गोरी चिकनी गीली बिल्कुल किसी स्वर्ग की अप्सरा जैसी गुलाबी चूत . . . . . उसके पतले पतले खुले हुए ओंठ और कसकर पूरी तरह से बंद उसकी चूत की गुलाबी सूरंग का मुहाना |
जितेश भी तो वासना से भरा हुआ था सिर्फ चूत देखकर ही उसका भला कहाँ होने वाला था | अब तक तो बस चूत देखि ही थी उसका अहसास करने का वक्त आ गया था | रीमा की गुलाबी चूत में अन्दर तक घुसने और उस स्वर्ग जैसी अनुभूति को दिलो दिमाग में उतारने का अहसास ही कुछ अलग होगा | उसकी कोमल मखमली चूत का सपर्श ही कितना सुखद होगा . . . . आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह् | जितेश का तो रीमा की चूत चोदने से पहले ही बुरा हाल हो गया था | इस समय उसके दिल और दिमाग में बस रीमा रीमा और रीमा की गुलाबी घुसी हुई थी | लेकिन इस स्वप्न लोक में घुमने से कहाँ काम चलने वाला था | उसे हकीकत में लौटकर उसे जीना भी तो था |
जितेश झुकता हुआ पूरी तरह से रीमा के नाजुक गुलाबी बदन के ऊपर आकर छा गया था | रीमा जांघे फैलाये नीचे बिस्तर पर लेटी हुई थी उसकी जांघें उठी हुई थी | जितेश पूरी तरह से रीमा के ऊपर था | उसने अपने एक हाथ से अपने लंड को रीमा की गुलाबी चूत के मुहाने से सटाया | रीमा ने भी खुद को पूरी तरह से उसके मुसल लंड के लिए तैयार कर लिया था | फिर रीमा जितेश को बांहों में भरते हुए अपने हाथों हाथ उसकी पीठ पर जमा दिए | रीमा भी जानती थी जितेश का लंड बहुत मोटा और तगड़ा है उसकी चीख ही निकल जाएगी इसीलिए उसने भी अपने आप को तैयार कर लिया था | उसने अपने पैरो का क्रॉस बनाते हुए उसे जितेश की कमर पर चिपका दिया | रीमा जानती थी जितेश का लंड उसकी चूत को चीर के रख देगा इसीलिए वह उसको भी बर्दाश्त करने के लिए पूरी तरह तैयार थी | आज तक रीमा सिर्फ रोहित और अपने पति के लंड से चुदी थी |
उसकी चूत में कोई तीसरा लंड आज तक गया नहीं था | पता नहीं कौन सा नशा था जितेश के व्यक्तित्व में रीमा उसके जाल में फंस कर रह गयी | उसने जितेश के लिए अपने सारे मानसिक बन्धनों को, खुद से लिए गए वादों को किनारे रख दिया | जिस चूत को वो दुनिया भर से सहेज कर रखना चाहती थी और रोहित के अलावा शायद किसी को सौपने को राजी नहीं था फिर ऐसा क्या हुआ आज रीमा एक अनजान अजनबी के आगे अपनी जांघे फैलाये लेती है | उसके लंड से चुदने को बेताब है | उसके लंड को अपनी चूत में लेने को बेताब है | शायद जितेश के बलिष्ठ शरीर और मुसल लंड को देखकर रीमा बहक गयी है या फिर ये उसकी ही लालसा थी जिसका उसे खुद पता नहीं था | रीमा की फैली जांघो में जितेश समां चूका था, अब बस लंड के चूत में घुसने की देर रह गयी थी | एक अनजाना लंड रीमा की चूत को चीर के रख देगा, फाड़ कर रख देगा | उसकी मखमली गुलाबी सुरंग में अन्दर तक जाकर धंस जायेगा | लगातार ठोकरे मरेगा, दे दनादन ठोकरे मरेगा | सटासट उसका मुसल लंड उसकी मखमली चूत की संकरी सुरंग को चीरता हुआ उसके अनगिनत फेरे लगाएगा और तब तक उसे चीर चीर कर फैलाता रहेगा जब तक पूरा का पूरा उसके अन्दर तक धंस न जाये | फिर शुरू होगा सरपट अन्धी सुरंग में रेस लगाने का सिलसिला और ये चुदाई और ठुकाई तब तक नहीं रुकेगी जब तक उस मुसल लंड से उसके सफ़ेद लावे की लपटे न निकलने लगे | तब तक रीमा उस फौजी की बलिष्ट बांहों बांहों में उसी के भरोसे झूलती रहेगी | वो रीमा को हचक हचक के छोड़ेगा, ठोकरे मरेगा, मसलेगा, कुचलेगा, उसकी कमर पर झटके मार मार कर उसे बेहाल कर देगा | उसकी गिरफ्त में वो तड़पती मछली की तरफ फडफडाती रहेगी |
आखिर क्यों वो एक अनजान मर्द के हाथो अपना सबकुछ लुटाने को तैयार है | आखिर उसकी गुलाबी चूत सुरंग के अंतर की गहराई में उतरने के बाद उसके मन का कौन सा कोना बचेगा जिसे वो अनछुआ कह सकेगी | जब उसका लंड उसकी सुरंग के अंतर के अंतिम छोर तक का सफ़र तय कर लेगा, फिर उसका अपना क्या रह जायेगा, किस बात पर वो गर्व कर पायेगी | किस बात को लेकर वो शीशे में अपनी आँखों में आंखे मिला पायेगी | उसका वजूद ही क्या रह जायेगा | क्या उसका वजूद बस एक गुलाबी चूत सुरंग भर का है, क्या उसका वजूद बस मर्द की जांघ के नीचे लेती औरत भर का है | क्या इस तरह से चुदना ही उसकी नियति है, क्या औरत की बस यही नियति है | जितेश का लंड घोटने के बाद रोहित को क्या मुहँ दिखाउंगी, आखिर क्यों प्रियम के गिडगिडाने के बाद भी उसे अपनी चूत नहीं चोदने दी | आखिर फिर जग्गू को क्यों मना किया | प्रियम जग्गू या बाकि मर्दों से जितेश में क्या अलग है | सबके पास लंड है और सभी मुझे चोदना चाहते थे | जैसे जितेश का लंड अभी मेरी चूत में जायेगा वैसे ही बाकि सबका लंड भी तो मेरी चूत जाता फिर मैंने उन्हें क्यों मना किया | आखिर ये दोगलापन नहीं है तो क्या है | जितेश में ऐसा क्या है जो प्रियम राजू या जग्गू में नहीं था | उसका बाप भी मुझे चोदना चाहता था आखिर जितेश जैसे ही पराये तो थे | फिर जितेश को अपने जिस्म की सबसे अनमोल धरोहर क्यों लूटने दे रही हूँ | नहीं मेरी चूत बहुत खास है इस पर रोहित जैसे मेरे अपने का ही हक़ है |
जितेश ने अपने तने लंड को पकड़ कर उस पर हाथ दो-चार बार आगे पीछे किया और उसकी खाल को खींचकर पीछे कर दिया था | जितेश ने अपने लंड से रीमा की चूत की दरार और दाने पर दो चार बार रगडा, जिससे रीमा की चूत के ओंठ दोनों तरफ को फ़ैल गए | फिर जितेश ने अपने लंड के फूले लाल सुपाडे को रीमा की चूत के गुलाबी ओंठो के बीच सटा दिया | रीमा सिसक उठी | एक अनजान मर्द का मोटा लंड उसके जिस्म के सबसे नाजुक हिस्से को चीरने जा रहा था | नहीं ये कैसे हो सकता है |
जितेश के तने लंड के सुपाडे का अगला सिरा रीमा की गुलाबी गरम चूत की नरम ओंठो को बस छुआ ही था कि तब तक रीमा प्रतिरोध करके जितेश को पीछे ठेलने लगी | जितेश को कुछ समझ नहीं आया, कहाँ वो रीमा की चूत पर लंड सटाकर उसे चोदने का अरमान पूरा करने जा रहा था यहाँ रीमा ने पूरा जोर लगाकर उसे पीछे धकेल दिया - नहीं ये नहीं हो सकता |
रीमा के इस बर्ताव से हैरान सा जितेश - क्या नहीं हो सकता |
रीमा वासना के नशे में उलझन से भरी हुई - मै तुम्हे ये नहीं करने दे सकती |
जितेश झुन्झुलाता हुआ - क्या नहीं करने दे सकती क्या नहीं हो सकता ?
रीमा - नहीं जितेश ये सही नहीं है |
जितेश - क्या हुआ कुछ बोलोगी भी, अभी तो ख़ुशी खुसी जांघे फैलाकर लेट गयी थी |
रीमा - मै आवेश में बह गयी थी लेकिन ये गलत है |
जितेश - क्या गलत है कुछ खुलकर बताओगी |
रीमा - तुम मुझे नहीं चोद सकते |
जितेश झुंझलाता हुआ - ठीक है नहीं चोदुंगा तुम्हे लेकिन हुआ क्या ये तो बता दो , आखिर मेरी गलती क्या है ?
रीमा - तुम्हे अहसास है चूत औरत के जिंदगी का कितना अहम् हिस्सा होती है | चूत की औरत की जिंदगी के क्या कीमत है | उसकी चूत से उसका पूरा अस्तित्व इज्जत भविष्य पूरी जिंदगी जुडी होती है |
जितेश - हाँ इतना जानता हूँ मै |
रीमा - तो तुम्हे ये भी मालूम होगा, जब औरत अपना जिस्म किसी को सौपती है तो कितना भरोसा करती होगी |
जितेश - आगे बोलो |
रीमा - मेरी जिंदगी की सबसे खास चीज मै तुम्हे नहीं लुटने दे सकती | ये चूत ही तो है जिसके कारन सर उठाकर सम्मान से जीती हूँ | वो तुम लूट लोगे फिर मेरे पास क्या रह जायेगा गर्व करने के लिए |
जितेश - मतलब ?
रीमा - हर औरत का गहना होती है ये चूत | इस गहने को औरत तभी उतारती है जब कोई उसकी जिंदगी का गहना बनने को तैयार हो जाये | जब औरत चुदती है तो उसका चाहने वाला या उसका पति उसका गहना बन जाता है | जिस पर वह गर्व करती है फूली नहीं समाती | कम से कम मन में संतोष तो रहता है उसकी चूत न सही उसको लूटने वाला तो उस पर जान छिडकता है | जिसको उसने अपना जिस्म सौपा है वो हर पल उसका साया बनकर उसके साथ रहेगा | उसकी अपनी से ज्यादा चाहेगा और उसके सुख के लिए खुद सारे दुःख उठाएगा |
जितेश चूत रहा और रीमा की बात को समझने की कोशिश करने लगा |
रीमा - खामोश क्यों हो, न तो तुम मेरे आशिक हो , न चाहने वाले हो, मुझे चोदकर मेरा सब कुछ लूट लोगे बदले में मुझे क्या मिलेगा, तुमारे महाशय की पिचकारी का जूस |
जितेश को अभी भी समझ नहीं आय लेकिन ख़ामोशी गलत दिशा में जा सकटी थी - क्या चाहती हो ये भी बता दो |
रीमा - मै कोई रंडी नहीं हूँ, न मै छिनार हूँ जो हर जगह मुहँ काला करवाती फिरू | मै माडर्न हूँ लेकिन इतनी भी नहीं की कही भी किसी से चुदवाती फिरू |
जितेश - फिर वो गार्ड के साथ वाला किस्सा |
रीमा - क्या करती मै, सड़ती रहती सूर्यदेव के चंगुल में | वैसे भी उसने पीछे लंड घुसेड़ा था |
जितेश - वो तो अब समझ में आया पीछे करवाने में प्रॉब्लम नहीं है, चूत चुदवाने में ईगो हर्ट हो रहा है, तुमारी ऐसी की तैसी |
इतना कहकर वो रीमा की तरफ लपका और झपट्टा मार कर रीमा को बाहों में जकड लिया |
रीमा उसकी सख्त मजबूत बांहों में कसमसाने लगी - छोड़ो मुझे |
जितेश - छोड़ो नहीं चोदो मुझे कहना चाहिए |
रीमा - नहीं जितेश तुम ऐसा नहीं कर सकते |
जितेश - इस समय तुम मेरे रहमोकरम पर हो और मै कुछ भी कर सकता हूँ |
रीमा उसके चंगुल से खुद को छुड़ाती हुई - तुम मेरा रेप करोगे |
जितेश भी उसे सख्ती से जकड़ते हुए - अगर नहीं मानी तो सख्ती तो करनी पड़ेगी न |
रीमा - तुम तो बेहद शरीफ इंसान हो तुम ऐसा कैसे कर सकते हो |
जितेश - जब शरीफ इंसानों का लंड खड़ा होता है तो उनकी शराफत भी लंड पर आ जाती है |
रीमा - नहीं प्लीज ऐसा मत करो |
जितेश ने रीमा को बेड पर पटक दिया और उस पर आकर छा गया | उसके इक हाथ से रीमा के दोनों हाथ पकड़कर ऊपर की तरफ कर दिए | फिर अपनी टांगे फंसा कर उसकी टांगे फ़ैलाने |
रीमा जितेश से मिन्नतें करने लगी - जितेश प्लीज ऐसा मत करो |
रीमा के दिल में सच में दहशत भरने लगी, उसे लगने लगा था अब जितेश उसको चोदकर ही मानेगा |
जितेश - ये तो अपने चूतड़ और चूत दिखाने से पहले सोचना चाहिये था | बहुत सब्र कर लिया है अब और नहीं रुका जाता |
इतना कहकर वो रीमा के चूत पर अपना लंड सटाने के लिए हाथ नीचे ले गया |
रीमा हताश स्वर में बोली - तुम भी दूसरे मर्दों जैसे ही निकले, पिचले कुछ दिनों में जहाँ इतना सहा है ये भी सही |
रीमा के एकदम से हथियार डालते ही जितेश की आक्रामकता ग्लानी में बदल गयी | क्या करे क्या न करे उसे समझ नहीं आया | अभी तो चुदने के लिए राजी थी, जांघे फैलाये मेरे लंड की राह देख रही थी फिर अचानक ऐसा क्या हो गया चुदवाने से इंकार करने लगी | मजा क्या मै अकेला लूटूँगा | फिर प्रतिरोध के बाद अचानक से सरेंडर | उफफ्फ्फ्फ़ औरत को समझ पाना बहुत मुश्किल है |
जितेश - क्या चाहती हो मैडम ? लंड अकड़कर पत्थर की तरह ठोस हो गया चोदने की ठरक दिलो दिमाग को पागल बनाये दे रही है और आप कभी हाँ कभी न वाली नौटंकी लगाये बैठे हो |
रीमा - जो करना हो कर लो मै कुछ नहीं कन्हूंगी |
जितेश - मैडम मै एक फौजी हूँ लोगो के जान लेता हूँ, जरुरत पड़े तो जान दे भी सकता हूँ | अब इससे ज्यादा मै आपके लिए कुछ नहीं कर सकता | आपको जबदस्ती नहीं चोदुंगा ये मेरे वसूलो के खिलाफ है | लेकिन फिर कह रहा हूँ आपके लिए जान जोखिम में डाली है और जरुरत पर तो जान की बाजी लगा दूंगा, लेकिन आप पर आंच नहीं आने दूंगा |
इतना कहकर जितेश उठने जा रहा था की रीमा के अपनी जांघो का क्रास उसके चुताड़ो और कमर के इर्द गिर्द जमा दिया | अपने दोनों हाथ उसकी पीठ पर जमा दिए - वादा करो जब तक हमारा साथ है बस मुझे ही प्यार करोगे और मुझे ही चोदोगे | ये चूत का सफ़र मेरे पति के अलावा बस एक बहुत ही खास आदमी ने किया है | तुम्हें उस खासियत को बरक़रार रखना होगा | तुम बस मेरे रहोगे, खास सबसे खासमखास | वादा करो |
जितेश - बस इतनी सी बात है |
रीमा भवुक होते हुए - तुमारे लिए इतनी सी बात होगी, मेरे जिस्म की गुलाबी गहराई के अंतरों का सफ़र तय करोगे लेकिन क्या फायदा जब औरत के मन को न छु पाए | चुदाई तो लोग रंडी के साथ भी कर लेते, उसके लिए बस एक चूत चाहिए | लेकिन जहाँ रिश्ता होता है वहां जिस्म से पहले मन को छूना पड़ता है | तुमारे चोदने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा अगर तुम मेरे मन की गहराई में न उतर पाए | तुमारा लंड मेरी चूत की गुलाबी सुरंग की कितनी गहराई नाप पाता है, कितनी तेज ठोकर मारता है, कितनी बार मेरी चूत का झरना बहाता, ये सब मेरे लिए बेमानी हो जायेगा |
जितेश भी गंभीर हो गया - तुम बहुत भावुक हो और नाजुक भी, मुझे पहले दिन ही इस बात का अहसास हो गया था | मुझे नहीं पता था तुम इतनी गहराई तक सोचती हो और इतनी गंभीरता से सोचती ही | मै पूरा ख़याल रखूँगा की मेरी ये कांच की गुड़ियाँ को अब खरोच भी न आये , न उसके जिस्म पर न उसके मन पर |
रीमा - मै चुदना चाहती हूँ लेकिन सिर्फ जिस्म से नहीं, मै चाहती हो जब हमारे जिस्म मिले, तुम मेरे अन्दर तक जावो तो हमारे मन भी एक दूसरे में घुल मिल जाये | हमारी आत्मा भी एक हो जाये | मै सम्पूर्णता से चुदना चाहती हूँ, सिर्फ खोखले जिस्म की भड़ास मिटाने से मेरा मन तृप्त नहीं होगा |
जितेश - मै तुम्हे दिलो दिमाग से इतना प्यार दूंगा की तुमारी पुराणी सारी प्यास बुझ जाएगी | तुमने अपना दिल खोलकर मेरे सामने रख दिया है अब इसको सहेज का रखना और तुम्हे चोदकर तुम्हे मन और जिस्म दोनों से तृप्त करना मेरी जिम्मेदारी |
रीमा को नहीं मालूम था क्यों जितेश के साथ वो इस कदर भावुक हो गयी थी | शायद उसके मन में अहसास था कही की रोहित पूरी तरह से उसका नहीं हो सकता और उसे एक मर्द चाहिए था जो बस उसका हो सिर्फ उसका | पता नहीं रीमा के मन में क्या है ये तो रीमा को भी नहीं पता था |
विलास के घर में मातम मनाया जा रहा था जग्गू का अंतिम संस्कार हो चुका था और उसके बाद के शोक कार्यक्रम चल रहे थे | अब तक मंत्री जी बाहर गए हुए थे इसलिए सिर्फ फोन पर ही शोक संदेश दे सके | आज वह वापस लौट कर आए थे और विलास से मिलने और उसके बेटे की मौत पर शोक प्रकट करने उसके घर गए हुए थे | मंत्री जी भी विलास के साथ में बिजनेस पार्टनर थे और अभी भी बिजनेस कर रहे थे हालांकि पिछले कुछ दिनों से पार्टी को चंदा देने को लेकर विलास और मंत्री जी में अनबन हो गई थी | इसीलिए विलास से उन्होंने बातचीत करना बंद कर दिया था | हालांकि उनके आदमियों का विलास के साथ जो बिजनेस में साझा था वह बदस्तूर जारी था | इसी बीच में मंत्री जी ने विलास के ही खास आदमी सूर्य देव को अपनी तरफ मिला लिया था | ताकि कल को विलास के खिलाफ एक प्रतिरोध के तौर पर उसे इस्सतेमाल कर पाए |
जिस तरह से बोलचाल बंद थी और एक फॉर्तमल सा शोक सन्रदेश फ़ोन पर दिया था उसे देखते हुए मंत्री जी का घर आना विलास को भी चौका गया क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि मंत्री जी इस तरह से उसके बेटे की मौत का शोक मनाने घर आ जाएंगे |
नेता एक अलग तरह से ही सोचते हैं जबकि जग्गू का बाप की सोच दबंग और सीधी-सादी थी | राजनीति का आदमी बहुत ही घाघ होता है उसे अंदर से जान पाना बहुत मुश्किल होता है | जग्गू के बाप के साथ भी यही समस्या थी उसको लगता था अगर कोई दोस्त है तो दोस्त है, नहीं तो दुश्मन लेकिन राजनीति का आदमी कभी इस तरह से सोचता ही नहीं | जिस तरह से विलास ने उन्हें धमकाया था और उनकी बेटी उठा लेने तक की धमकी दी थी उस कड़वाहट को भुलाकर यहाँ आना मुश्किल काम था | वो अलग बात है मंत्री जी उस समय तो शांति से चले गए थे लेकिन उसके बाद उन्होंने सूर्यदेव से हाथ मिला लिया | वो सब राजनीती पैसे और पॉवर की बाते थी | जग्गू की मौत पारिवारिक मामला था | मंत्री जी ने बडप्पन दिखाया और विलास का दुःख बाटने चले आये |
मंत्री जी - विलास तुम्हारे पुत्र के इस तरह से आकस्मिक निधन से मुझे बहुत ही गहरा आघात पहुंचा है मैं बता नहीं सकता हूं कि मैं कितना ज्यादा मानसिक सदमे में हूं |
विलास बस भावहीन चेहरे से मंत्री जी को देखता रहा |
मंत्री जी - मैं तुम्हारी स्थिति समझ सकता हूं तुम्हें न केवल खुद को बल्कि अपने परिवार को भी संभालना होगा | जब भी जरूरत पड़े मैं तुम्हारे लिए हमेशा उपलब्ध रहूंगा | किसी भी तरह की समस्या हो तुम मुझे सीधे फोन मिला दो | ना कोई सेक्रेटरी ना कोई ऑफिसर तुम सीधे मुझसे बात करोगे इतना कह कर के उन्होंने विलास को गले से चिपका लिया |विलास को रोने के लिए कन्धा देने वाला कोई बड़ा अब तक मिला नहीं था विलास भी बच्चों की तरह सिबुकने लगा | इतना बड़ा गुंडा अपने इकलौते बेटे की मौत से किस तरह से टूट गया ,काफी देर तक मत्उरी जी उसकी पीठ सहलाते रहे | बाद में जब मंत्री जी को लगा कि अब माहौल थोड़ा ठीक है तो बात आगे बढ़ाई है|
मंत्री जी धीरे से विलास के कान में फुसफुसाए- देखो विलास समय और माहौल तो इस बाती मुझे इजाजत नहीं देता कि मैं यह बात कहूं लेकिन मुझे कहनी पड़ेगी जग्गू न केवल तुम्हारा बेटा था बल्कि मेरे बेटे जैसा भी था | हमारे बीच हमारे बिजनेस को लेकर जो भी अनबन है, वो काम की प्रॉब्लम है उसका परिवार से कोई लेना-देना नहीं है तुम्हारा परिवार मतलब मेरा परिवार |
विलास के चेहरे पर सदमे के साथ ग्लानी के भाव आ गए, पता नहीं उसने उस समय नेताजी को और उनके परिवार को क्या क्या कह डाला | नेता जी तो बड़े नेकदिल निकले | नेता चालाक होते हैं लेकिन दिल के बुरे नहीं होते हैं और इस बार उसे लगा मंत्री जी की बात दिल से निकल रही थी |
मंत्री जी - मै भी हैरान हूँ आखिर ये सब कैसे हो गया यह सब किसने किया है |
विलास चुपचाप नेताजी की बात सुनता रहा |
मंत्री जी - तो तुम्हें किसी पर शक है बताओ पूरा साले का खानदान काट डालेंगे |
विलास निराश उदास स्वर में बोला - अभी तक कुछ पता चला नहीं है |
विलास क्रोध से उबलता हुआ - किस-किस को गोली मार दू | मुझे तो कुछ समझ में आ नहीं रहा है लड़ाई झगड़ा तो आप जानते ही मैंने कई साल पहले ही छोड़ दिया था मुझे पता नहीं था मेरा अतीत आकर कर मुझे इस तरह डस लेगा | एक ही तो मेरा बच्चा था |
बुरी तरह से रोने लगा मंत्री जी उसे ढाढस बंधाते रहे | कमरे के और लोगों को बाहर जाने को कहा कुछ ही देर में पूरा कमरा खाली हो गया अब कमरे में सिर्फ विलासऔर मंत्री जी थे |
मंत्री जी - तो तुम्हें किसी पर शक है |
विलास - मंत्री जी मेरा तो दिमाग ही नहीं काम कर रहा लेकिन इतना पता है मेरे बेटे को मारा गया अपनी मौत नहीं मरा है |
मंत्री जी - हां मुझे पता है मीडिया की बात , जो दिखाया जा रहा है वह तुमने ही बोला था लेकिन इतनी किस में हिम्मत हो गई जो विलास के बेटे को गोली मार सके |
विलास - पता नहीं लेकिन जो भी है उसके खानदान का आखिरी चिराग भी जिंदा तो नहीं बचेगा | उसने मेरे अंदर के सोये जानवर को फिर से जगा दिया है जो चीजें में पीछे छोड़ आया था अब वही सब करनी पड़ेगी | एक अच्छा इंसान बन के शरीफों की जिंदगी जीना चाहता था लेकिन ये दुनिया फिर से वही जानवर बना देना चाहती है |
मंत्री जी ने बात संभाली है - देखो देखो मैं तुमसे बड़ा हूं प्लीज मेरी बात मानो कुछ भी उल्टा- सीधा मत करना ठीक है | जब तक मैं हूं तुम्हे कुछ करने की जरुरत नहीं है |
विलास - मुझे रोकने का कोई फायदा नहीं , मेरा सबकुछ तो चला गया | वो जहाँ भी छिपा होगा जिस बिल में घुसकर बैठा होगा निकाल के सरे आम सड़क पर उसकी आंखें निकाल लूँगा, हाथ काटूँगा पैर काटूँगा फिर तेजाब से नह्ललाऊंगा | साला मौत की भीख मांगेगा लेकिन मौत नसीब नहीं होगी |
मंत्री जी - नहीं मेरे छोटे भाई ऐसा कुछ मत करना, नही बिलकुल नहीं कुछ भी ऐसा उल्टा सीधा मत करना जिसे तुम्हारे परिवार को और नुकसान हो कि तुम्हें पता है तुझे कोई गलत कदम उठा लिया और तुम्हें पोलिस ने पकड़ लिया गया फिर फिर सभाल पाना मुश्किल होगा |
उस पर गीलेपन की बूंद छलक आई थी |
उसके बाद में रीमा जितेश से अलग हो गई और वह जाकर के जितेश के लंड के पास बैठ गई जितेश के लंड को चूमने लगी | उसके लंड के सुपाडे पर आई प्रिकम की बूंद को रीमा ने चाट लिया और गटक गयी | लेकिन रीमा के साथ साथ जितेश भी सीधा हुआ और उसने रीमा को अपने नीचे लिटा कर के खुद उसके ऊपर छा गया | जितेश ने रीमा के दोनों बड़े बड़े उठे हुए धवल स्वेत गुलाबी उन्नत उरोजो की नुकीली पहाड़ियों को अपने हाथों में ले लिया और कसके मसलने लगा, चूमने लगा था | उसकी नुकीली चुन्चियो को मुंह में भर कर चूसने लगा था | रीमा आनंद से मस्त हो गई | उसके अरमानो की ख्वाइशे सिसकारियां बनकर मुहँ से सिसक रही थी | उसकी हवस की आग की आंच उसके नथुनों से गरम भाप बनकर निकल रही थी | उसका जिस्म उसकी हवस की आग में तपने लगा था | उसने अपनी आंखें बंद कर ली | जितेश काफी देर तक रीमा के दोनों बड़े बड़े स्तनों को बारी-बारी से चूस कर उनका रस पीता रहा | फिर उसका एक हाथ धीरे-धीरे रीमा के सपाट चिकने पेट पर से फिसलता हुआ रीमा की चिकनी बाल रहित चूत घाटी का मुआयना करने लगा | रीमा की चिकनी चूत घाटी की फिसलन को जितेश का हाथ संभाल नहीं पाया और फिसलता हुआ उसकी जांघों के बीच में स्थित उसके मखमली जिस्म के सबसे से वर्जित इलाके में पंहुच गया | उसकी उंगलिया उसकी चूत घाटी के निचले हिस्से पर उसके चूत दाने पर पहुंच गयी | रीमा कसकर सिसक उठी | ये सिसक उसकी दबी हुई अनछुई हवस की ललक की पहली दस्तक थी | जितेश रीमा की चूत दाने को रगड़ने लगा था | रीमा के तन बदन में आग लगाने के लिए पहले से ही क्या कुछ कम था जो वह चूत दाने को रगड़ने लगा था | चूतदाने पर जितेश की उंगलियों का स्पर्श पाते ही रीमा के पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया और वह वासना से पूरी तरह नहा गई | चूत से उठकर पुरे शरीर में दौड़ गयी वासना की तरंग में उसका पूरा शरीर काँप गया | जितेश ने रीमा के चूत दाने को कसकर उंगलियों से मसल्ला शुरू कर दिया था | जितेश ने रीमा के तन बदनमें आग लगा दी | उसके अन्दर उमड़ रहे वासना के समन्दर के भंवर और तेज हो गए | उसकी लहरे रीमा के मुंह से सिसकारियां बनकर फूटने फूटने लगी थी | वासना की गर्मी में तप रहा रीमा जिस्म अब आग की भट्ठी बनने की तरफ बढ़ चला | उसके मुहँ से तेज होती मादक कामुक सिसकारियां इस बात की निशानी थी की उसके अन्दर वासना की समुद्र का तूफ़ान और तेज हो रहा है |
रीमा - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई |
रीमा के मुहँ से मादक कराहे सुन जितेश का जोश भी बढ़ गया था | जितेश रीमा के उरोंजो को अपने मुंह में भर कर उनका सारा रस पी रहा था और नीचे अपनी उंगलियों से ही रीमां की चूत दाने को कस के रगड़ रहा था | रीमा अपने बदन में उठते गिरते वासना के भंवर में अपने पैर उठा गिरा रही थी | रीमा ने भी अपनी पीठ अपने हाथ जितेश की पीठ पर जमा दिए थे और उसके जिस्म से चिपक कर खुद के बदन को रगड़ने लगी थी | जितेश की उंगलियाँ किसी जादूगर की तरह रीमा के मखमली चूत इलाके में फिसल रही थी | जितेश की उंगलियों के जादू ने तो जैसे रीमा को मदहोश कर दिया | एक तरफ जितेश उसके सीने का सारा रस निचोड़े ले रहा था उसके ओंठ पूरी सख्ती से उसकी उठी हुई उन्नत नुकीली छातियों का रस निचोड़ने में लगे हुए थे | दुसरे उसकी चूत और चूत दाने पर फिसल रही उसकी उंगलियाँ उसकी चूत का सारा रस निचोड़ कर बाहर निकालने में लगी हुई थी | रीमा की सांसें बहुत तेज हो गई थी और वह मस्ती में आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह कर कराह रही थी |
जितेश ने रीमा के उन्नत उरोंजो का रस निचोड़ना छोड़कर धीरे-धीरे रीमा की गुलाबी चूत के इलाके में पंहुच गया | जितेश खुद को नीचे खिसकाता हुआ रीमा की जांघो के बीच जाकर बैठ गया | उसने अपना सर रीमा की नरम गुदाज जांघो में धंसा लिया | और कसकर उसकी जांघो को थाम लिया | उसके ओंठ रीमा की चूत घाटी के बीचो-बीच की मखमली दरार पर पहुंच गये | उसकी गीली जीभ का तीखा नम स्पर्श अपने गुलाबी जिस्म के सबसे सवेदनशील अंग पर पड़ते ही रीमा के मुहँ से जैसे सिसकारियों की बौछार निकल पड़ी |
रीमा - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई आआआआह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्ममा आआआआआआआआआआआअ |
उसने रीमा की चूत पर अपने होंठ रख दिए और रीमा की गुलाबी रसीली मखमली चूत का रस चूसने लगा, वो रीमा की चूत बिलकुल ऐसे चूस रहा था जैसे एक भौंरा किसी कली का रस चूसता है | उसकी एक उंगली चूत दाने को मालिश करने लगी | रीमा के जिस्रीम में उठने वाली वासना की मादक तरंगो ने रीमा को मदहोश कर दिया | रीमा तो जितेश की इस हरकत से अपना काबू ही खो बैठी, वो आनंद में पागल हुई जा रही थी |
रीमा जैसे अपने जिस्म में उठती वासना की तरंगो को अब संभाल नहीं पा रही थी - आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह बस करो जितेश मै मर जाउंगी |
रीमा - आआआआह्ह्ह्हआआआ आह्ह्ह्हआआआआह्ह्ह्ह ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह |
जितेश किसी समधिष्ट योगी की तरह बस अपने अधरों की रीमा की गुलाबी मखमली चूत पर फिसलाता रहा | उसकी गीली जीभ रीमा की गरम चूत पर अपनी ठंडी फुहारों की मालिश करती रही | जितेश के कानो तक रीमा की कामुक सिसकारियां और कराहे पंहुच रही थी लेकिन जितेश को पता था उसका ध्यान कहाँ रहना चाहिए | अभी रीमा की तरफ ध्यान गया तो सारी मेहनत बेकार जाएगी | जब तक फडफड़आती, तड़पती, मचलती, कराहती, सिसकती रीमा अपनी वासना की पहली फुहार नहीं छोड़ देती, तब तक उसे इसी तरह समाधिस्त रहना होगा | वासना का खेल भी किसी साधना से कम नहीं अगर सही से खेला जाये |
रीमा के मुहँ से सिसकारियां बन होने का नाम नहीं ले रही थी |
रीमा - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बबबससससससससस करो | ओह गॉड
आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् बहुत अच्छा लग रहा है . . . . . . . . . . . . . . ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऐसे चुचुचुचुचुचुचुचुसतेतेतेतेतेतेतेतेतेतेते आअहाआअहाआह्ह मेरे राराराराजाजाजाजाजाजाजाजाजा | बस चूसते रहो |
रीमा - बेबी ओओओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बेबी यस यस यस यस यस यस यस यस लाइक दैट लाइक दैट |
जितेश के कानो में जैसे रीमा शब्द पड़े ही नहीं | जितेश ने अपनी जीभ निकाली और रीमा के दोनों चूत के पलकों को फैलाया और नीचे से ऊपर तक चाट लिया रीमा | रीमा इस गीले खुरदुरे एहसास से सिहर उठी |
रीमा - ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह गागागागागागाडडडडडडडडडड ओह्ह्ह्ह माय गागागागागागाडडडडडडडडडड मार ही डालोगे क्या . . . . . . . . . . . . |
जितेश ने फिर से वही दुहराया |
रीमा - इट फील्स सो गुड मर ही जाउंगी मै ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बेबी बहुत मजा आ आया आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् |
उसके पूरे तन बदन में आग लग गई वह अपने पैर इधर-उधर हिलाने लगी | उसकी कमर झटके खाने लगी | रीमा के जिस्म में उठ रहे हवस के भंवर उसके जिस्म को हिलाने लगे थे | उसकी मखमली गुलाबी चूत बुरी तरह से पानी छोड़ने लगी | लेकिन जितेश ने उसकी जांघों को कस के पकड़ रखा था उसके बाद जितेश ने अपनी जीभ रीमा की चूत सुरंग में घुसा कर उसको अंदर तक चूसना चाटना शुरू कर दिया | वो रीमा की मखमली चूत से निकल रहे उसकी वासना के अमृत रस को उसकी चूत के बाहर निकलने से पहले ही पिए ले रहा था | रीमा के चूत रस ने तो जैसे जितेश को जोश से भर दिया | वो रीम की बहुत कसके चूसने लगा | रीमा के जिस्म में भी हवस की आग अपनी पूरी ताकत से धधक रही थी, जो उसके पुरे बदन को जलाये हुये तपाये हुए थी | रीमा उसकी वासना की आग की तपिश में बहुत तेजी से जलती हुई हवस की तरंगो में गोते लगाने लगी थी और जितेश रीमा के चुत दाने को भी कस के रगड़ रहा था रीमा का खुद पर काबू नहीं था उसके शरीर में जैसे वासना का महातूफ़ान आ गया हो रीमा खुद को संभाल नहीं पाई और बिखर गई | रीमा के बदन तेजी से ऐठ गया अकड़ गया और कांपने लगा और कांपते जिस्म के साथ वह झड़ गई | रीमा की चूत जब इतनी खूबसूरत है तो उसका रस कितना मीठा होगा ये सोचकर ही जितेश रोमांच से भर गया |
रीमा की गुलाबी चूत जैसे झरना बनकर बहने लगी | उसकी मखमली चूत के अंदरूनी ओंठ पूरी तरह फैला दिए और अपनी जीभ और ओंठो को उसकी मखमली गुलाबी चूत सुरंग के मुहाने से सटा दी, जितेश का मुहँ रीमा की झरना बनी चूत से चिपक गया | उसकी चूत से रिस रहे उसकी वासना के झरने की एक एक बूंद गटकने लगा | रीमा गुलाबी रसीली चूत का अमृत रस कौन मिस करना चाहेगा | जितेश घूँट दर घूँट रीमा की चूत का रसपान करता रहा | रीमा का बेकाबू जिस्म हिलता रहा | रीमा तो जैसे स्वर्ग में ही पहुंच गई हो उसने मुट्ठी भींच के बेड की चादर को पकड़ लिया और अपनी जांघों के बीच में उठ रही तेज वासनाओं के ज्वार को संभालने में लग गई थी हालांकि यह उसके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था | उसकी शरीर में उठने वाली वासना की तरंगे उसके मुंह से सिसकारियां बन निकलती रही |
कांपती रीमा को देखकर भी जितेश नहीं रुका | उसके चूत रस से जितेश का मुहँ भीग गया | जितेश ने रीमा की चूत से बहते झरने का सारा रस पी लिया उसके बाद भी कुछ देर तक रीमा की चूत को कसकर चूसा | एक तरफ निढाल हो रीमा अपनी सांसे काबू करना चाहती थी लेकिन जितेश कहाँ उसे पल भर की फुर्सत दे रहा था | रीमा के मुंह से मादक सिसकारियां निकलना जारी रही | रीमा के दिल के अरमान उसकी चूत से चूत रस बनकर झर झर कर बह रहे थे | उसकी अनंत ख्वाइशो में कुछ अंश की तृप्ति वो अपने अंतर्मन में महसूस कर रही थी |
रीमा अब उत्तेजना के भंवर में बुरी तरह से फंस चुकी थी | उसका बदन आनंद से सरोबार हो खुद उसके काबू में नहीं था | इधर जितेश ने रीमां की चूत के मुहाने में से उसका जूस निचोड़ने के बाद अपनी जुबान घुसा उसे अन्दर ठेलने की कोशिश करने लगा
वो जीभ से ही रीमा की चूत चोद देना चाहता था लेकिन असफल रहा | फिर उसने बारी बारी से उसके पतले चूत ओंठो को चूमा और फिर चूत दाना चूसने लगा |
उसने रीमा की चूत के दोनों ओंठ फैला दिए और उसकी चूत के अंदरूनी ओंठो पर अपनी खुरखुरी जुबान फिराने लगा | रीमा तो जैसे आनंद से पागल ही हो गई थी |
रीमा - ओओओओओओओओओओओओ नोनोनोनोनोनोनोनोनोनो जितेश अब रुक जावो प्लीज , आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मेरी जान लेकर ही मानोगे क्या ? आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज |
रीमा के मुंह से फूटती वासना की सिसकारी देखकर जितेश का जोश और बढ़ गया | जितेश की जीभ रीमा की चूत के होठों पर और उंगली रीमा की चूत के दाने पर बहुत तेजी से आगे पीछे फिसल रही थी |
उसके बाद जितेश ने अपनी एक उंगली को लार से भिगोते हुए उसे रीमा की गुनगुनी गुलाबी रसीली चूत में अंदर तक घुसेड़ दिया | रीमा एक मादक कराह से सिसक कर रह गयी |
रीमा - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज ये मत करो, पागल कर दोगे तुम मुझे, ओओह्ह्हह्ह्ह्ह जितेश प्लीज् . . |
यह अहसास उसे रोहित की याद दिला गया | रीमा पूरी तरह से आनंद से नहा गई थी उसे पता था ऐसा काम सिर्फ रोहित ने ही उसके साथ किया है | वह बिल्कुल उसी ख्वाब में फिर से डूब गई | जितेश को मतलब ही नहीं था रीमा क्या बडबडा रही है | उसे सिर्फ एक चीज पता था रीमा मैडम को जितना हो सके उतनी गहराई तक वासना के सागर में डुबो कर उन्हें चरम सुख के किनारे तक ले जावो जहाँ आजतक उन्हें कोई न ले गया हो | वो चाहता था जिस शिद्दत से रीमा ने उसका लंड चूसा है और उसे वो जन्नत दिखाई है जिसका अहसास सालो साल उसके दिलो दिमाग में जिन्दा रहेगा | उसी शिद्दत से, दिलो जान से वो रीमा के जिस्म को छुकर सहलाकर चूमकर उसे बाकि औरतो से खासमखास का अनुभव कराना चाहता है | रीमा स्पेशल है, उसका जिस्म स्पेशल है उसकी वासना हवस स्पेशल है और इसलिए जितेश दिलो जान से रीमा को हर वो सुख देना चाहता है जो शायद रीमा के मन के कोने में दबा हुआ एक अनचाहा अरमान है | लंड चूत में घुसेड़ कर तो सभी चुदाई करते है लेकिन उससे पहले का सुख और अहसास सबसे खास होता है ये अहसास ऐसा है जो सालोसाल दिलो दिमाग में जिन्दा रहेगा | वो रीमा को एक ऐसी यादगार रात देना चाहता है जो उसके जीवन में सबसे खास बन जाये | वो न केवल रीमा के रोम रोम में वासना की आग लगाना चाहता है बल्कि उसके जिस्म के रोम रोम की आग बुझाना भी चाहता है | उसे एक ऐसी वासना की तृप्ति तक पहुचाना है जिसके बाद उसके मन में कोई शिकायत न रहे |
इधर जितेश ने दूसरी उंगली भी रीमा की चूत में घुसा दी और तेजी से आगे पीछे करने लगा | रीमा तो ऐसे पागल सी हो गई थी वह अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी उसके शरीर में उठने वाली तरंगें अब काबू से बाहर हो रही थी और रीमा का शरीर में कंपन होने लगा रीमा की वासना अब टूटने लगी थी रीमा का वासना का तूफ़ान फिर से अपने चरम पर था | उसके जिस्म में जल रही वासना की आग का इधन अब खतम हो गया था | बुझाते दिए बुझाने से पहले भभकते है उसी तरह रीमा के जिस्म में हवस की आग वासना की तरंगे बनकर भभकने लगी | इन तरंगो में इतनी ताकत थी की रीमा का जिस्म कांपने लगा | आखिर रीमा के जिस्म में जल रही वासना की आग दरिया बह निकला | रीमा को जिस्म को तपाकर जलाकर रखी हुई उसकी वासना फिर से किसी पहाड़ से निकल कर बहती नदी की तरह बहने लगी थी | रीमा कांप रही थी झर रही थी बह रही थी, और बिलकुल वैसे ही तेज सिसकारियां का शोर करती हुई बह रही थी जैसे पहाड़ों के चंगुल से निकली हुई नदी तेज धार के साथ शोर मचाती बहती है |
इस बार रीमा का बदन काफी देर तक कांपता रहा हिलता रहा | रीमा झड़ती रही | रीमा के ओर्गास्म का शोर इस बार जितेश के कानो के अन्दर तक भी पंहुच गया | जितेश भी इस बार थम गया | रीमा कुछ देर तक कांपती रही उसके बाद में रीमा शांत हो गई | लेकिन जितेश को अभी कहां चैन था वह रीमा के पास आ गया और उसने रीमा के रसीले ओंठो से खुद के ओंठ सटाकर कसकर चूमना शुरू कर दिया था | उसके अन्दर धधक रही हवस की आग उसके जिस्सम को जलाये हुए थी | उसके बदन की आंच रीमा को अपने नरम पसीने से लथपथ बदन पर महसूस हो रही थी | उसने रीमा के चेहरे कान नाक आंख गला सबको चूम डाला, बारी बारी से चूमता रहा | रीमा झड़ चुकी थी, हांफ रही थी लेकिन न तो उसकी ख्वाइशो ने हार मानी थी न उसकी लालसा ने | रीमा की वासना का एक दौर उसके अन्दर से झरना बनकार बह चुका था लेकिन रीमा के जिस्म की अनंत प्यास तो अभी भी बरकरार थी | रीमा की वासना की चाहत तो अब तरुणाई पार कर जवान हो पायी थी | अभी तो रात ने भी अंगड़ाईयाँ लेना बस शुरू ही किया था | रीमा के जिस्म पर जितेश की फिसलती उंगलियों और थिरकते ओंठो से रीमा के जिस्म का रेस्पोंस बता रहा था उसके अन्रदर अभी कितनी वासना भरी हुई है इसीलिए जितेश के चुमते ही रीमा के अंदर फिर से लहरें उठने लगी और वह फिर से आनंद के सागर में गोते लगाने लगी थी |
औरत के जिस्म की यही खास बात है, वो बार बार झड़कर भी अनगिनत बार तक वासना में नहा कर अपनी जवानी की प्यास बुझाती रह सकती है | वो लगातार झड़ते हुए भी जवानी का मजा लूट सकती है | मर्द को ये सहूलियत नहीं मिली प्रक्रति से | वो एक बार झड गया तो उसे कुछ देर थमना ही होगा | जितेश को भी काफी देर हो गई थी रीमा के जिस्म से खेलते हुए उसकी चूत को चाटते हुए | अब जितेश से रहा नहीं जा रहा था तो जितेश ने अपने हाथ में ढेर सारी लार उड़ेली और अपने तने हुए गरम लंड पर मसल दी | वह अब रीमा को चोदने के लिए पूरी तरह से तैयार था | रीमा भी चुदने के लिए पूरी तरह तैयार थी या नहीं ये जानना भी जरुरी था |
कमरे में उठ रही गरम सांसो और तेज धडकनों की ख़ामोशी को तोड़ते हुए जितेश बोला - अब आगे क्या ?
रीमा उसकी तरफ देखने लगी, वो दो बार झड़ने से पूरी तरह मस्त थी ऊपर से जितेश ने फिर से उसके जिस्म में हवस का सूरूर भर दिया था | उसी मादकता और मस्ती में जितेश से अठखेलियाँ करती हुई बोली - अब क्या, मतलब क्या ?
जितेश अपने लार से सने लंड को मसलता हुआ बोला - मतलब आगे का क्या प्लान है |
रीमा भी अपने स्तनों को मसलते हुए - अब तो बस सोना है |
जितेश अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए - हम तो सो जायेगे और ये महाशय तो रात भर जागते रहेंगे |
रीमा - अब एक बार सुला तो दिया था |
जितेश - इन्होने कुछ ऐसा देख लिया है कि लेकिन इनको नीद नहीं आ रही |
रीमा - ऐसा क्या देख लिया |
जितेश - मखमली गुलाबी पनाहगाह |
रीमा - तो मै क्या करू, सुला दो जाकर उस पनाहगाह में |
जितेश - उसकी चाभी तो आपके पास है मल्लिकाए हुस्न |
रीमा - ये तो ज्यातती है, नीद इन महाशय को नहीं आ रही और सुलाऊ मै |
जितेश - जगाया भी तो आपने ही है |
रीमा - झूठ मत बोलो, मैंने किसी को नहीं जगाया | अपने आप ही जग रहे है मुझे देखकर |
जितेश - कितनी उम्मीद से तुमारी तरफ देख रहा है, मना मत करना बेचारे का दिल टूट जायेगा |
इतना कहकर जितेश ने अपना लंड रीमा के हाथ में थमा दिया | रीमा का हाथ अपने आप ही उस पर फिसलने लगा | रीमा को भी अहसास था की बिना मुसल लंड घोटे उसके अन्दर की भी प्यास पूरी तरह नहीं बुझेगी | लाख जतन अपना लो लेकिन असली प्यास तभी बुझती है जब लंड चूत को चीरता हुआ अन्दर तक जाता है | रीमा ने उसके लंड को मसलते हुए नीचे पीठ के बल बिस्तर पर लेट गयी और अपनी दोनों जांघे सिकोड़कर फैला दी |
रीमा ने दोनों हाथो की एक एक उंगली लगाकर अपनी चूत के ओंठो को हल्का सा फैला दिया और जितेश
के सामने एक अप्सरा की चूत थी | रीमा ने अपनी चूत को थोडा और फैलाया और उस गुलाबी सुरंग के मुहाने के सीधे दर्शन करा दिए जितेश का लंड कुछ देर में जिस पनाहगाह में आराम फरमाएगा |
रीमा की गुलाबी चूत देखकर जितेश का लंड जोर जोर से झटके मराने लगा | उसके लंड को भी शायद ये अहसास हो गया था की वो इस मखमली गुलाबी सुरंग की सैर करने वाला है | क्या चूत थी, गोरी चिकनी गीली बिल्कुल किसी स्वर्ग की अप्सरा जैसी गुलाबी चूत . . . . . उसके पतले पतले खुले हुए ओंठ और कसकर पूरी तरह से बंद उसकी चूत की गुलाबी सूरंग का मुहाना |
जितेश भी तो वासना से भरा हुआ था सिर्फ चूत देखकर ही उसका भला कहाँ होने वाला था | अब तक तो बस चूत देखि ही थी उसका अहसास करने का वक्त आ गया था | रीमा की गुलाबी चूत में अन्दर तक घुसने और उस स्वर्ग जैसी अनुभूति को दिलो दिमाग में उतारने का अहसास ही कुछ अलग होगा | उसकी कोमल मखमली चूत का सपर्श ही कितना सुखद होगा . . . . आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह् | जितेश का तो रीमा की चूत चोदने से पहले ही बुरा हाल हो गया था | इस समय उसके दिल और दिमाग में बस रीमा रीमा और रीमा की गुलाबी घुसी हुई थी | लेकिन इस स्वप्न लोक में घुमने से कहाँ काम चलने वाला था | उसे हकीकत में लौटकर उसे जीना भी तो था |
जितेश झुकता हुआ पूरी तरह से रीमा के नाजुक गुलाबी बदन के ऊपर आकर छा गया था | रीमा जांघे फैलाये नीचे बिस्तर पर लेटी हुई थी उसकी जांघें उठी हुई थी | जितेश पूरी तरह से रीमा के ऊपर था | उसने अपने एक हाथ से अपने लंड को रीमा की गुलाबी चूत के मुहाने से सटाया | रीमा ने भी खुद को पूरी तरह से उसके मुसल लंड के लिए तैयार कर लिया था | फिर रीमा जितेश को बांहों में भरते हुए अपने हाथों हाथ उसकी पीठ पर जमा दिए | रीमा भी जानती थी जितेश का लंड बहुत मोटा और तगड़ा है उसकी चीख ही निकल जाएगी इसीलिए उसने भी अपने आप को तैयार कर लिया था | उसने अपने पैरो का क्रॉस बनाते हुए उसे जितेश की कमर पर चिपका दिया | रीमा जानती थी जितेश का लंड उसकी चूत को चीर के रख देगा इसीलिए वह उसको भी बर्दाश्त करने के लिए पूरी तरह तैयार थी | आज तक रीमा सिर्फ रोहित और अपने पति के लंड से चुदी थी |
उसकी चूत में कोई तीसरा लंड आज तक गया नहीं था | पता नहीं कौन सा नशा था जितेश के व्यक्तित्व में रीमा उसके जाल में फंस कर रह गयी | उसने जितेश के लिए अपने सारे मानसिक बन्धनों को, खुद से लिए गए वादों को किनारे रख दिया | जिस चूत को वो दुनिया भर से सहेज कर रखना चाहती थी और रोहित के अलावा शायद किसी को सौपने को राजी नहीं था फिर ऐसा क्या हुआ आज रीमा एक अनजान अजनबी के आगे अपनी जांघे फैलाये लेती है | उसके लंड से चुदने को बेताब है | उसके लंड को अपनी चूत में लेने को बेताब है | शायद जितेश के बलिष्ठ शरीर और मुसल लंड को देखकर रीमा बहक गयी है या फिर ये उसकी ही लालसा थी जिसका उसे खुद पता नहीं था | रीमा की फैली जांघो में जितेश समां चूका था, अब बस लंड के चूत में घुसने की देर रह गयी थी | एक अनजाना लंड रीमा की चूत को चीर के रख देगा, फाड़ कर रख देगा | उसकी मखमली गुलाबी सुरंग में अन्दर तक जाकर धंस जायेगा | लगातार ठोकरे मरेगा, दे दनादन ठोकरे मरेगा | सटासट उसका मुसल लंड उसकी मखमली चूत की संकरी सुरंग को चीरता हुआ उसके अनगिनत फेरे लगाएगा और तब तक उसे चीर चीर कर फैलाता रहेगा जब तक पूरा का पूरा उसके अन्दर तक धंस न जाये | फिर शुरू होगा सरपट अन्धी सुरंग में रेस लगाने का सिलसिला और ये चुदाई और ठुकाई तब तक नहीं रुकेगी जब तक उस मुसल लंड से उसके सफ़ेद लावे की लपटे न निकलने लगे | तब तक रीमा उस फौजी की बलिष्ट बांहों बांहों में उसी के भरोसे झूलती रहेगी | वो रीमा को हचक हचक के छोड़ेगा, ठोकरे मरेगा, मसलेगा, कुचलेगा, उसकी कमर पर झटके मार मार कर उसे बेहाल कर देगा | उसकी गिरफ्त में वो तड़पती मछली की तरफ फडफडाती रहेगी |
आखिर क्यों वो एक अनजान मर्द के हाथो अपना सबकुछ लुटाने को तैयार है | आखिर उसकी गुलाबी चूत सुरंग के अंतर की गहराई में उतरने के बाद उसके मन का कौन सा कोना बचेगा जिसे वो अनछुआ कह सकेगी | जब उसका लंड उसकी सुरंग के अंतर के अंतिम छोर तक का सफ़र तय कर लेगा, फिर उसका अपना क्या रह जायेगा, किस बात पर वो गर्व कर पायेगी | किस बात को लेकर वो शीशे में अपनी आँखों में आंखे मिला पायेगी | उसका वजूद ही क्या रह जायेगा | क्या उसका वजूद बस एक गुलाबी चूत सुरंग भर का है, क्या उसका वजूद बस मर्द की जांघ के नीचे लेती औरत भर का है | क्या इस तरह से चुदना ही उसकी नियति है, क्या औरत की बस यही नियति है | जितेश का लंड घोटने के बाद रोहित को क्या मुहँ दिखाउंगी, आखिर क्यों प्रियम के गिडगिडाने के बाद भी उसे अपनी चूत नहीं चोदने दी | आखिर फिर जग्गू को क्यों मना किया | प्रियम जग्गू या बाकि मर्दों से जितेश में क्या अलग है | सबके पास लंड है और सभी मुझे चोदना चाहते थे | जैसे जितेश का लंड अभी मेरी चूत में जायेगा वैसे ही बाकि सबका लंड भी तो मेरी चूत जाता फिर मैंने उन्हें क्यों मना किया | आखिर ये दोगलापन नहीं है तो क्या है | जितेश में ऐसा क्या है जो प्रियम राजू या जग्गू में नहीं था | उसका बाप भी मुझे चोदना चाहता था आखिर जितेश जैसे ही पराये तो थे | फिर जितेश को अपने जिस्म की सबसे अनमोल धरोहर क्यों लूटने दे रही हूँ | नहीं मेरी चूत बहुत खास है इस पर रोहित जैसे मेरे अपने का ही हक़ है |
जितेश ने अपने तने लंड को पकड़ कर उस पर हाथ दो-चार बार आगे पीछे किया और उसकी खाल को खींचकर पीछे कर दिया था | जितेश ने अपने लंड से रीमा की चूत की दरार और दाने पर दो चार बार रगडा, जिससे रीमा की चूत के ओंठ दोनों तरफ को फ़ैल गए | फिर जितेश ने अपने लंड के फूले लाल सुपाडे को रीमा की चूत के गुलाबी ओंठो के बीच सटा दिया | रीमा सिसक उठी | एक अनजान मर्द का मोटा लंड उसके जिस्म के सबसे नाजुक हिस्से को चीरने जा रहा था | नहीं ये कैसे हो सकता है |
जितेश के तने लंड के सुपाडे का अगला सिरा रीमा की गुलाबी गरम चूत की नरम ओंठो को बस छुआ ही था कि तब तक रीमा प्रतिरोध करके जितेश को पीछे ठेलने लगी | जितेश को कुछ समझ नहीं आया, कहाँ वो रीमा की चूत पर लंड सटाकर उसे चोदने का अरमान पूरा करने जा रहा था यहाँ रीमा ने पूरा जोर लगाकर उसे पीछे धकेल दिया - नहीं ये नहीं हो सकता |
रीमा के इस बर्ताव से हैरान सा जितेश - क्या नहीं हो सकता |
रीमा वासना के नशे में उलझन से भरी हुई - मै तुम्हे ये नहीं करने दे सकती |
जितेश झुन्झुलाता हुआ - क्या नहीं करने दे सकती क्या नहीं हो सकता ?
रीमा - नहीं जितेश ये सही नहीं है |
जितेश - क्या हुआ कुछ बोलोगी भी, अभी तो ख़ुशी खुसी जांघे फैलाकर लेट गयी थी |
रीमा - मै आवेश में बह गयी थी लेकिन ये गलत है |
जितेश - क्या गलत है कुछ खुलकर बताओगी |
रीमा - तुम मुझे नहीं चोद सकते |
जितेश झुंझलाता हुआ - ठीक है नहीं चोदुंगा तुम्हे लेकिन हुआ क्या ये तो बता दो , आखिर मेरी गलती क्या है ?
रीमा - तुम्हे अहसास है चूत औरत के जिंदगी का कितना अहम् हिस्सा होती है | चूत की औरत की जिंदगी के क्या कीमत है | उसकी चूत से उसका पूरा अस्तित्व इज्जत भविष्य पूरी जिंदगी जुडी होती है |
जितेश - हाँ इतना जानता हूँ मै |
रीमा - तो तुम्हे ये भी मालूम होगा, जब औरत अपना जिस्म किसी को सौपती है तो कितना भरोसा करती होगी |
जितेश - आगे बोलो |
रीमा - मेरी जिंदगी की सबसे खास चीज मै तुम्हे नहीं लुटने दे सकती | ये चूत ही तो है जिसके कारन सर उठाकर सम्मान से जीती हूँ | वो तुम लूट लोगे फिर मेरे पास क्या रह जायेगा गर्व करने के लिए |
जितेश - मतलब ?
रीमा - हर औरत का गहना होती है ये चूत | इस गहने को औरत तभी उतारती है जब कोई उसकी जिंदगी का गहना बनने को तैयार हो जाये | जब औरत चुदती है तो उसका चाहने वाला या उसका पति उसका गहना बन जाता है | जिस पर वह गर्व करती है फूली नहीं समाती | कम से कम मन में संतोष तो रहता है उसकी चूत न सही उसको लूटने वाला तो उस पर जान छिडकता है | जिसको उसने अपना जिस्म सौपा है वो हर पल उसका साया बनकर उसके साथ रहेगा | उसकी अपनी से ज्यादा चाहेगा और उसके सुख के लिए खुद सारे दुःख उठाएगा |
जितेश चूत रहा और रीमा की बात को समझने की कोशिश करने लगा |
रीमा - खामोश क्यों हो, न तो तुम मेरे आशिक हो , न चाहने वाले हो, मुझे चोदकर मेरा सब कुछ लूट लोगे बदले में मुझे क्या मिलेगा, तुमारे महाशय की पिचकारी का जूस |
जितेश को अभी भी समझ नहीं आय लेकिन ख़ामोशी गलत दिशा में जा सकटी थी - क्या चाहती हो ये भी बता दो |
रीमा - मै कोई रंडी नहीं हूँ, न मै छिनार हूँ जो हर जगह मुहँ काला करवाती फिरू | मै माडर्न हूँ लेकिन इतनी भी नहीं की कही भी किसी से चुदवाती फिरू |
जितेश - फिर वो गार्ड के साथ वाला किस्सा |
रीमा - क्या करती मै, सड़ती रहती सूर्यदेव के चंगुल में | वैसे भी उसने पीछे लंड घुसेड़ा था |
जितेश - वो तो अब समझ में आया पीछे करवाने में प्रॉब्लम नहीं है, चूत चुदवाने में ईगो हर्ट हो रहा है, तुमारी ऐसी की तैसी |
इतना कहकर वो रीमा की तरफ लपका और झपट्टा मार कर रीमा को बाहों में जकड लिया |
रीमा उसकी सख्त मजबूत बांहों में कसमसाने लगी - छोड़ो मुझे |
जितेश - छोड़ो नहीं चोदो मुझे कहना चाहिए |
रीमा - नहीं जितेश तुम ऐसा नहीं कर सकते |
जितेश - इस समय तुम मेरे रहमोकरम पर हो और मै कुछ भी कर सकता हूँ |
रीमा उसके चंगुल से खुद को छुड़ाती हुई - तुम मेरा रेप करोगे |
जितेश भी उसे सख्ती से जकड़ते हुए - अगर नहीं मानी तो सख्ती तो करनी पड़ेगी न |
रीमा - तुम तो बेहद शरीफ इंसान हो तुम ऐसा कैसे कर सकते हो |
जितेश - जब शरीफ इंसानों का लंड खड़ा होता है तो उनकी शराफत भी लंड पर आ जाती है |
रीमा - नहीं प्लीज ऐसा मत करो |
जितेश ने रीमा को बेड पर पटक दिया और उस पर आकर छा गया | उसके इक हाथ से रीमा के दोनों हाथ पकड़कर ऊपर की तरफ कर दिए | फिर अपनी टांगे फंसा कर उसकी टांगे फ़ैलाने |
रीमा जितेश से मिन्नतें करने लगी - जितेश प्लीज ऐसा मत करो |
रीमा के दिल में सच में दहशत भरने लगी, उसे लगने लगा था अब जितेश उसको चोदकर ही मानेगा |
जितेश - ये तो अपने चूतड़ और चूत दिखाने से पहले सोचना चाहिये था | बहुत सब्र कर लिया है अब और नहीं रुका जाता |
इतना कहकर वो रीमा के चूत पर अपना लंड सटाने के लिए हाथ नीचे ले गया |
रीमा हताश स्वर में बोली - तुम भी दूसरे मर्दों जैसे ही निकले, पिचले कुछ दिनों में जहाँ इतना सहा है ये भी सही |
रीमा के एकदम से हथियार डालते ही जितेश की आक्रामकता ग्लानी में बदल गयी | क्या करे क्या न करे उसे समझ नहीं आया | अभी तो चुदने के लिए राजी थी, जांघे फैलाये मेरे लंड की राह देख रही थी फिर अचानक ऐसा क्या हो गया चुदवाने से इंकार करने लगी | मजा क्या मै अकेला लूटूँगा | फिर प्रतिरोध के बाद अचानक से सरेंडर | उफफ्फ्फ्फ़ औरत को समझ पाना बहुत मुश्किल है |
जितेश - क्या चाहती हो मैडम ? लंड अकड़कर पत्थर की तरह ठोस हो गया चोदने की ठरक दिलो दिमाग को पागल बनाये दे रही है और आप कभी हाँ कभी न वाली नौटंकी लगाये बैठे हो |
रीमा - जो करना हो कर लो मै कुछ नहीं कन्हूंगी |
जितेश - मैडम मै एक फौजी हूँ लोगो के जान लेता हूँ, जरुरत पड़े तो जान दे भी सकता हूँ | अब इससे ज्यादा मै आपके लिए कुछ नहीं कर सकता | आपको जबदस्ती नहीं चोदुंगा ये मेरे वसूलो के खिलाफ है | लेकिन फिर कह रहा हूँ आपके लिए जान जोखिम में डाली है और जरुरत पर तो जान की बाजी लगा दूंगा, लेकिन आप पर आंच नहीं आने दूंगा |
इतना कहकर जितेश उठने जा रहा था की रीमा के अपनी जांघो का क्रास उसके चुताड़ो और कमर के इर्द गिर्द जमा दिया | अपने दोनों हाथ उसकी पीठ पर जमा दिए - वादा करो जब तक हमारा साथ है बस मुझे ही प्यार करोगे और मुझे ही चोदोगे | ये चूत का सफ़र मेरे पति के अलावा बस एक बहुत ही खास आदमी ने किया है | तुम्हें उस खासियत को बरक़रार रखना होगा | तुम बस मेरे रहोगे, खास सबसे खासमखास | वादा करो |
जितेश - बस इतनी सी बात है |
रीमा भवुक होते हुए - तुमारे लिए इतनी सी बात होगी, मेरे जिस्म की गुलाबी गहराई के अंतरों का सफ़र तय करोगे लेकिन क्या फायदा जब औरत के मन को न छु पाए | चुदाई तो लोग रंडी के साथ भी कर लेते, उसके लिए बस एक चूत चाहिए | लेकिन जहाँ रिश्ता होता है वहां जिस्म से पहले मन को छूना पड़ता है | तुमारे चोदने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा अगर तुम मेरे मन की गहराई में न उतर पाए | तुमारा लंड मेरी चूत की गुलाबी सुरंग की कितनी गहराई नाप पाता है, कितनी तेज ठोकर मारता है, कितनी बार मेरी चूत का झरना बहाता, ये सब मेरे लिए बेमानी हो जायेगा |
जितेश भी गंभीर हो गया - तुम बहुत भावुक हो और नाजुक भी, मुझे पहले दिन ही इस बात का अहसास हो गया था | मुझे नहीं पता था तुम इतनी गहराई तक सोचती हो और इतनी गंभीरता से सोचती ही | मै पूरा ख़याल रखूँगा की मेरी ये कांच की गुड़ियाँ को अब खरोच भी न आये , न उसके जिस्म पर न उसके मन पर |
रीमा - मै चुदना चाहती हूँ लेकिन सिर्फ जिस्म से नहीं, मै चाहती हो जब हमारे जिस्म मिले, तुम मेरे अन्दर तक जावो तो हमारे मन भी एक दूसरे में घुल मिल जाये | हमारी आत्मा भी एक हो जाये | मै सम्पूर्णता से चुदना चाहती हूँ, सिर्फ खोखले जिस्म की भड़ास मिटाने से मेरा मन तृप्त नहीं होगा |
जितेश - मै तुम्हे दिलो दिमाग से इतना प्यार दूंगा की तुमारी पुराणी सारी प्यास बुझ जाएगी | तुमने अपना दिल खोलकर मेरे सामने रख दिया है अब इसको सहेज का रखना और तुम्हे चोदकर तुम्हे मन और जिस्म दोनों से तृप्त करना मेरी जिम्मेदारी |
रीमा को नहीं मालूम था क्यों जितेश के साथ वो इस कदर भावुक हो गयी थी | शायद उसके मन में अहसास था कही की रोहित पूरी तरह से उसका नहीं हो सकता और उसे एक मर्द चाहिए था जो बस उसका हो सिर्फ उसका | पता नहीं रीमा के मन में क्या है ये तो रीमा को भी नहीं पता था |
विलास के घर में मातम मनाया जा रहा था जग्गू का अंतिम संस्कार हो चुका था और उसके बाद के शोक कार्यक्रम चल रहे थे | अब तक मंत्री जी बाहर गए हुए थे इसलिए सिर्फ फोन पर ही शोक संदेश दे सके | आज वह वापस लौट कर आए थे और विलास से मिलने और उसके बेटे की मौत पर शोक प्रकट करने उसके घर गए हुए थे | मंत्री जी भी विलास के साथ में बिजनेस पार्टनर थे और अभी भी बिजनेस कर रहे थे हालांकि पिछले कुछ दिनों से पार्टी को चंदा देने को लेकर विलास और मंत्री जी में अनबन हो गई थी | इसीलिए विलास से उन्होंने बातचीत करना बंद कर दिया था | हालांकि उनके आदमियों का विलास के साथ जो बिजनेस में साझा था वह बदस्तूर जारी था | इसी बीच में मंत्री जी ने विलास के ही खास आदमी सूर्य देव को अपनी तरफ मिला लिया था | ताकि कल को विलास के खिलाफ एक प्रतिरोध के तौर पर उसे इस्सतेमाल कर पाए |
जिस तरह से बोलचाल बंद थी और एक फॉर्तमल सा शोक सन्रदेश फ़ोन पर दिया था उसे देखते हुए मंत्री जी का घर आना विलास को भी चौका गया क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि मंत्री जी इस तरह से उसके बेटे की मौत का शोक मनाने घर आ जाएंगे |
नेता एक अलग तरह से ही सोचते हैं जबकि जग्गू का बाप की सोच दबंग और सीधी-सादी थी | राजनीति का आदमी बहुत ही घाघ होता है उसे अंदर से जान पाना बहुत मुश्किल होता है | जग्गू के बाप के साथ भी यही समस्या थी उसको लगता था अगर कोई दोस्त है तो दोस्त है, नहीं तो दुश्मन लेकिन राजनीति का आदमी कभी इस तरह से सोचता ही नहीं | जिस तरह से विलास ने उन्हें धमकाया था और उनकी बेटी उठा लेने तक की धमकी दी थी उस कड़वाहट को भुलाकर यहाँ आना मुश्किल काम था | वो अलग बात है मंत्री जी उस समय तो शांति से चले गए थे लेकिन उसके बाद उन्होंने सूर्यदेव से हाथ मिला लिया | वो सब राजनीती पैसे और पॉवर की बाते थी | जग्गू की मौत पारिवारिक मामला था | मंत्री जी ने बडप्पन दिखाया और विलास का दुःख बाटने चले आये |
मंत्री जी - विलास तुम्हारे पुत्र के इस तरह से आकस्मिक निधन से मुझे बहुत ही गहरा आघात पहुंचा है मैं बता नहीं सकता हूं कि मैं कितना ज्यादा मानसिक सदमे में हूं |
विलास बस भावहीन चेहरे से मंत्री जी को देखता रहा |
मंत्री जी - मैं तुम्हारी स्थिति समझ सकता हूं तुम्हें न केवल खुद को बल्कि अपने परिवार को भी संभालना होगा | जब भी जरूरत पड़े मैं तुम्हारे लिए हमेशा उपलब्ध रहूंगा | किसी भी तरह की समस्या हो तुम मुझे सीधे फोन मिला दो | ना कोई सेक्रेटरी ना कोई ऑफिसर तुम सीधे मुझसे बात करोगे इतना कह कर के उन्होंने विलास को गले से चिपका लिया |विलास को रोने के लिए कन्धा देने वाला कोई बड़ा अब तक मिला नहीं था विलास भी बच्चों की तरह सिबुकने लगा | इतना बड़ा गुंडा अपने इकलौते बेटे की मौत से किस तरह से टूट गया ,काफी देर तक मत्उरी जी उसकी पीठ सहलाते रहे | बाद में जब मंत्री जी को लगा कि अब माहौल थोड़ा ठीक है तो बात आगे बढ़ाई है|
मंत्री जी धीरे से विलास के कान में फुसफुसाए- देखो विलास समय और माहौल तो इस बाती मुझे इजाजत नहीं देता कि मैं यह बात कहूं लेकिन मुझे कहनी पड़ेगी जग्गू न केवल तुम्हारा बेटा था बल्कि मेरे बेटे जैसा भी था | हमारे बीच हमारे बिजनेस को लेकर जो भी अनबन है, वो काम की प्रॉब्लम है उसका परिवार से कोई लेना-देना नहीं है तुम्हारा परिवार मतलब मेरा परिवार |
विलास के चेहरे पर सदमे के साथ ग्लानी के भाव आ गए, पता नहीं उसने उस समय नेताजी को और उनके परिवार को क्या क्या कह डाला | नेता जी तो बड़े नेकदिल निकले | नेता चालाक होते हैं लेकिन दिल के बुरे नहीं होते हैं और इस बार उसे लगा मंत्री जी की बात दिल से निकल रही थी |
मंत्री जी - मै भी हैरान हूँ आखिर ये सब कैसे हो गया यह सब किसने किया है |
विलास चुपचाप नेताजी की बात सुनता रहा |
मंत्री जी - तो तुम्हें किसी पर शक है बताओ पूरा साले का खानदान काट डालेंगे |
विलास निराश उदास स्वर में बोला - अभी तक कुछ पता चला नहीं है |
विलास क्रोध से उबलता हुआ - किस-किस को गोली मार दू | मुझे तो कुछ समझ में आ नहीं रहा है लड़ाई झगड़ा तो आप जानते ही मैंने कई साल पहले ही छोड़ दिया था मुझे पता नहीं था मेरा अतीत आकर कर मुझे इस तरह डस लेगा | एक ही तो मेरा बच्चा था |
बुरी तरह से रोने लगा मंत्री जी उसे ढाढस बंधाते रहे | कमरे के और लोगों को बाहर जाने को कहा कुछ ही देर में पूरा कमरा खाली हो गया अब कमरे में सिर्फ विलासऔर मंत्री जी थे |
मंत्री जी - तो तुम्हें किसी पर शक है |
विलास - मंत्री जी मेरा तो दिमाग ही नहीं काम कर रहा लेकिन इतना पता है मेरे बेटे को मारा गया अपनी मौत नहीं मरा है |
मंत्री जी - हां मुझे पता है मीडिया की बात , जो दिखाया जा रहा है वह तुमने ही बोला था लेकिन इतनी किस में हिम्मत हो गई जो विलास के बेटे को गोली मार सके |
विलास - पता नहीं लेकिन जो भी है उसके खानदान का आखिरी चिराग भी जिंदा तो नहीं बचेगा | उसने मेरे अंदर के सोये जानवर को फिर से जगा दिया है जो चीजें में पीछे छोड़ आया था अब वही सब करनी पड़ेगी | एक अच्छा इंसान बन के शरीफों की जिंदगी जीना चाहता था लेकिन ये दुनिया फिर से वही जानवर बना देना चाहती है |
मंत्री जी ने बात संभाली है - देखो देखो मैं तुमसे बड़ा हूं प्लीज मेरी बात मानो कुछ भी उल्टा- सीधा मत करना ठीक है | जब तक मैं हूं तुम्हे कुछ करने की जरुरत नहीं है |
विलास - मुझे रोकने का कोई फायदा नहीं , मेरा सबकुछ तो चला गया | वो जहाँ भी छिपा होगा जिस बिल में घुसकर बैठा होगा निकाल के सरे आम सड़क पर उसकी आंखें निकाल लूँगा, हाथ काटूँगा पैर काटूँगा फिर तेजाब से नह्ललाऊंगा | साला मौत की भीख मांगेगा लेकिन मौत नसीब नहीं होगी |
मंत्री जी - नहीं मेरे छोटे भाई ऐसा कुछ मत करना, नही बिलकुल नहीं कुछ भी ऐसा उल्टा सीधा मत करना जिसे तुम्हारे परिवार को और नुकसान हो कि तुम्हें पता है तुझे कोई गलत कदम उठा लिया और तुम्हें पोलिस ने पकड़ लिया गया फिर फिर सभाल पाना मुश्किल होगा |