Episode 41
इससे बेखबर दोनों बहुत ही गहरी नींद में सोते रहे | रीमा को पता नहीं चला लेकिन रात में जितेश का खास आदमी आ गया | उसे कच्ची नीद में उठा दिया | हाल ही में सोया जितेश ने आंखे खोलकर देखा तो उसका खास आदमी गिरधारी था | उसने झट से रीमा को चादर के हवाले किया और अपने ऊपर भी एक चादर लपेट ली |
जितेश के बिस्तर पर एक हसीन औरत को नंगी देखकर गिरधारी की आँखों में चमक आ गयी और हैरानी से जितेश को देखता हुआ घूरता हुआ - बॉस इतना कड़क माल कहाँ से झपट मारे |
जितेश को उसके सवाल का मतलब समझ नहीं आया - क्या बकवास कर रहा है |
गिरधारी रीमा की तरफ इशारा करता हुआ - बॉस कहाँ से इस मक्खन मलाई को ले आये हो | यहाँ कस्बे में तो साला सब घटिया माल है | इतना गोरा और कसा हुआ चुस्त जिस्म, आपके किस्मत के तो दरवाजे खुल गए होंगे | कितनी बार ली है अब तक |
जितेश - काम बता बकवास न कर, क्यों आया है यहाँ इतनी रात को |
गिरधारी का ध्यान कही और ही था - साहब कितने रूपये में मानी है |
जितेश की एक तो कच्ची नीद ऊपर से गिरधारी की बकवास, उसने एक जोरदार कंटाप जड़ दिया - बोला न बकवास न कर |
गिरधारी - पहले बतावो इतना हसीन अपसरा मिली कहाँ से |
जितेश - रंडी नहीं है वो, अब बता क्यों आया यहाँ |
गिरधारी - रंडी नहीं तो. . . . क्या साहब आपको इश्क हो गया है | काहे झूठ बोल रहे है कल तक तो बिलकुल ठीक ठाक थे और अचानक एक रात में किसकी माल अपनी जांघे खोल देती है और चुदवाने को राजी हो जाती है |
जितेश गंभीर होता हुआ - तुझे समझ नहीं आ रहा, यही वो मैडम है जिनका सूर्यदेव से पंगा चल रहा है | बताया था न मैंने तुझे |
गिरधारी थोडा संशकित होता हुआ - इन्ही को सुर्यदेब के आदमी कुत्तो की तरह ढूंढ रहे है |
जितेश - हाँ |
गिरधारी - ये यहाँ बेफिक्र . (कुछ सोचता हुआ ) . लेकिन इनकी तो जान पर . . . (फिर रुककर ) बड़ी दिलचस्प औरत है लोग इसके खून के प्यासे है और ये यहाँ . (फिर कुछ रूककर जितेश को देखता ) मतलब मैडम को राजी कैसे किया . . मतलब कोई इस हालत में औरत अपनी जान बचाएगी या कपड़े उतार कर नंगी हो जाएगी . मतलब आपने मनाया कैसे चोदने के लिए |
जितेश - हो गयी तेरी बकवास खतम या मै तुझे चुप कराऊ |
गिरधारी - लेकिन बॉस . . . . ये जैकपोट लगा . . |
जितेश - बस तू ये समझ ले आज से ये तेरे बॉस की बॉस है |
गिरधारी - मतलब मैडम को आपने पटा लिया है लेकिन इतनी जल्दी वो कपड़े उतार के चुदने को राजी कैसे हो गयी | यहाँ तो साली अपनी बीबी इतना नखरा झाड़ती है की पिछले तीन महीने से हाथ से ही हिला रहा हूँ |
जितेश - मैंने बोला न अब कोई बकवास की अगर अपने बॉस के बॉस के बारे में तो तू पिटेगा |
गिरधारी बस एक आखिरी सवाल - कितनी बार चोदा है अब तक मैडम को |
जितेश - मुझे गुस्सा मत दिला |
गिरधारी को लगा मामला संगीन है | वो चादर से ढके रीमा के नंगे गोर बदन को निहारते हुए - बॉस पोलिस पता नहीं क्यों हाथ धोकर पड़ी है, अगले कॉन्ट्रैक्ट के ये ढेढ़ लाख एडवांस मिले है | एक झोपड़पट्टी में इतने पैसे कहाँ से आये, पोलिस हजार सवाल पूछती इसलिए भाग आया | इतनी रात को कहाँ जाता | आपकी तरह कोई सुरंग तो है नहीं जो बाहर से ताला लगाकर फिर उसी में घुस जाऊ |
गिरधारी जितेश के साथ ही काम करता था | जितेश से उम्र में कुछ बड़ा था लेकिन जितेश को अपना गुरु और बॉस दोनों मानता था | एक तरह से उसका दाहिना हाथ | इसी अवैध बस्ती के दुसरे छोर पर एक झुग्गी में उसका ठिकाना है | ऐसा नहीं था की वो गरीब था लेकिन कस्बे में रहकर सबकी नजरों से बचकर काम कर पाना जरा मुश्किल था | इसलिए अपने बॉस यानि की जितेश को फॉलो करता था | सूर्यदेव के आदमियों को सूंघते सूंघते पोलिस यहाँ तक आ पंहुची | आज रात इस अवैध बस्ती का एक एक घर तलाशा जायेगा | इसलिए किसी तरह से बचते बचाते यहाँ आ गया |
जितेश - पोलिस तुझे नहीं इस मैडम को ढूंढ रही है |
गिरधारी चौकता हुआ - क्या बात कर रहे है |
जितेश - हाँ |
गिरधारी - फिर तो और भी अच्छा है, मैडम को पोलिस के हवाले कर दो | सारा झंझट ही खतम हो |
जितेश - यही तो मुसीबत है | पोलिस भी तो सूर्यदेव के ही कब्जे में है | पोलिस को मैडम को देने का मतलब है इनको सूर्यदेव को सौंप देना | वही से तो जान बचाकर भागी है |
गिरधारी - फिर |
जितेश - जमीन में बिस्तर बिछा ले और सो जा | सुबह सोचते है आगे क्या करना है | और सुन बीडी मत पीना यहाँ वर्ना लात मार के बाहर निकालूँगा |
गिरधारी ने कोने में पड़ी दरी उठाई और जमीन पर बिछाकर सो गया |
जितेश भी बिस्तर पर आकर लेट गया और जितेश काफी देर तक बिस्तर लेता रहा तब जाकर उसे नीद आई | इसीलिए जितेश सुबह देर तक सोता रहा |
सुबह रीमा की आंख पहले खुल गई और सबसे पहले रीमा की नजर जितेश पर ही गई, रितेश पूरी तरह से बेखबर होकर गहरी नींद में सो रहा था | रीमा ने अपने बदन की तरफ देखा उसकी हालत अच्छी नहीं थी | बाल उलझे हुए, चेहरा रुखा सा, जिस्म में दर्द था और रीमा की जांघों चिपचिपाहट थी | जितेश के प्यार की चिपचिपाहट | रीमा समझ गई यह जितेश के लंड के मुरझाने के बाद बाहर फिसलने बाद में उसकी चूत से भरा जितेश का सफ़ेद रस रिस कर बाहर आया है | उसने न केवल उसकी जांघों को भिगोकर गीला किया है बल्कि चद्दर पर भी फैल गया था |अब तक सूख कर काफी चिपचिपा हो गया था | रीमा ने अपनी चूत पर सने उस चिपचिपे रस को एक उंगली में लेकर चाटा और फिर जितेश को देखने लगी | आखिरकार कौन सी वजह थी जो इतने कम समय में जितेश उसका इतना खास हो गया | जिसे रीमा ने अपना सारा जिस्म उसे सौंप दिया था | वो जिस्म जिसे छूना तो दूर कोई गैर देख ले ये भी उसे गंवारा नहीं था | आज वही जिस्म एक अनजान सी जगह में एक मर्द को उसने पूरी तरह सौंप दिया | जितेश ने उसके जिस्म के गहराइयों के आखिरी छोर तक का सफ़र तय कर लिया था | अगर औरत के मन की गहराई को अंतिम छोर को छूना है तो उसकी चूत की गहराई में खुद आखिर छोर तक खुद को उतार दो | दूसरी तरफ अगर कोई मर्द औरत के मन की गहराई में अन्दर तक उतर गया है तो औरत उसे अपने चूत की अँधेरी सुरंग की गहराइयों में उतार लेती है | रीमा के साथ कौन सी बात सही थी पता नहीं लेकिन रीमा की औरतपन की सुरंग की आखिरी गहराई तक दौड़ लगाकर जितेश उसके मन में गहराई तक उतर गया था |
आखिर कौन है जितेश जिसको रीमा ने अपना सब कुछ सौप दिया और उसकी गाड़ी सफ़ेद मलाई को अपनी चूत की गहराइयों में भर लिया और अब वही चूत में भरी सफेद गाड़ी मलाई जब बाहर आकर के उसकी जांघो पर जम गयी थी | तो उसी को रीमा चाट चाट कर जितेश को देख रही थी और जितेश को देखती रही | उसके बाद उसकी नजर उसकी कमर की तरफ चली गई यह क्या जितेश का लंड पूरी तरह से तना हुआ था, उसके तने लंड का तंबू उसके ऊपर पड़ी चादर बनी हुई थी | रीमा अपनी ओंठो से उसके रस से सनी उंगली चूसती हुई काफी कामुक नजर से जितेश को देखने लगी | रात की हवस का नशा अभी भी पूरी तरह से रीमा पर छाया हुआ था | रात में उन्होंने जो चुदाई का बेमिसाल खेल खेला था, रीमा के बदन के रोम रोम में उठ रहे मादक मीठे दर्द से वही अहसास दिलो दिमाग में भरा हुआ था | अपने उन्नत नुकीले उरोजो को मसलती हुई काफी देर तक जितेश को सोते हुए देखती रही | आखिरकार उसको अपने मन को मार कर उठना पड़ा, क्योंकि उसे बाथरूम जाना पड़ा | वह बाथरूम गई और फ्रेश होकर आई | बाहर भोर की पौ फटने को थी लेकिन कमरे में अभी भी अँधेरा था | वो जितेश को लांघते हुए बाथरूम गयी थी और उसी तरफ से वापस आई | उस कमरे में उन दोनों के अलावा भी कोई है इसका उसको अहसास तक नही हुआ | वो बिसतर पर आकर लेट गयी लेकिन जितेश के तने हुए लंड को देख करके रीमा का मन बदल गया |
उसने जितेश के लंड को जो चादर से ढका हुआ था उसे खींच कर अलग कर दिया | अब उसका लंड पूरी तरह से हवा में सीधा हो गया | इतनी कसकर उसे चोदने के बाद भी शायद उसके अंदर की आग बुझने की बजाए और भड़क गई थी | उसके मन में बसी रीमा को चोदने की लालसा तो पूरी हो चुकी थी लेकिन उसकी लालसा अब कम होने के बजाय और बढ़ गई थी | वासना की आग होती ही ऐसी है जो जितना बुझाने की कोशिश करो उतना भड़कती है | शायद रीमा ने जितेश के तन बदन में वो आग और भड़का दी थी | शायद यही हालत उसके तने हुए लंड की ओर इशारा कर रही थी | वह भले ही सो रहा था लेकिन उसका लंड उसके दिलो-दिमाग के अंदर चल रहे तूफान की सारी कहानी बयान कर रहा था | रीमा ने उसके लंड को थाम लिया और बड़ी आत्मीयता से सहलाने लगी | आखिर यही तो वो लंड था जिसने रात में उसकी अधूरी हवस की आग बुझाकर तृप्ति का वह चरम सुख दिया जो जिंदगी भर नहीं भूल पाएगी | इस लंड ने जैसे उसके रोम-रोम को चोद डाला हो और उसकी पूरी चूत को भर दिया हो और उसे औरत होने के अस्तित्व को तृप्ति का नया अहसास कराया हो | उन अहसासों के लिए जिनके लिए वह सालों तक तड़पती रही , जो कल रात उसके रोम रोम से बह निकले और उसके मन में भरे वर्षो के बोझ को हल्का कर दिया | उसकी जिंदगी में भी चुदना लिखा है और तृप्त होना लिखा है | वो अधूरी प्यास लेकर नहीं मारेगी | उसे जितेश के लंड पर बड़ा प्यार आ रहा था | शायद रीमा भी अपनी वासना को भोगने की शुरुआत भर कर पाई थी और अब उसे और ज्यादा भोगने की लालसा बढ़ गई थी | उसके अंदर की हवस ख़तम होने की बजाय शायद और भड़क गई थी |
जितेश के लंड पर उसका हाथ फिसलने लगा था | उसके उन्नत उरोज अपने पूरे शबाब पर थे | उसके सीने के कसे उभार और उनकी नुकीली तनी हुई चोटियाँ ही ये बताने के लिए काफी थी की रीमा की जवानी कितना खुलकर सामने आ रही है | रात में उसकी चुदाई के हुई उसके उरोजो की मालिश ने उसके उरोजो की उठान को और ऊँचा कर दिया था | रीमा की छाती की कसावट तनाव और उठान किसी भी मुर्रीदा लंड में आग के लगाने के लिए काफी थे | मा की हरकतों से अनजान जितेश बहुत ही गहरी नींद में सो रहा था | कुछ देर तक रीमा रितेश के लंड मासलती रही, सहलाती रही और मुहँ में लेकर लोलोपोप की तरह चूसती रही | उसके बाद में वह जितेश के लंड को छोड़कर खुद के जिस्म से ही खेलने लगी | सोते हुए जितेश को परेशान करना उसे अच्छा नहीं लगा |वह अपने बड़े-बड़े उठे हुए तने हुए मांसल सुडौल स्तनों को मसलने लगी और कुछ देर बाद उसका एक हाथ उसके चूत घाटी में पहुंच गया और चूत को सहलाने लगा | कुछ देर बाद उसका दूसरा हाथ भी उसकी चूत घाटी में पहुंच गया और उसकी चूत के अंदर उंगलिया करके उसकी चूत की खुजली मिटाने लगा था जबकि दूसरे हाथ की उंगलियां उसकी चूत दाने को मसलने लगी थी उसके अंदर की भड़की हुई हवस की आग उसके मुंह से सिसकारियां बनकर निकलने लगी |
रीमा की हरकतों से शायद जितेश की नींद भी टूट गई | रीमा के मुंह से निकल रही मादक सिसकारियां की मधुर आवाजों ने शायद जितेश के सोते हुए दिलो-दिमाग को जगा दिया | जितेश वैसे भी रीमा के हुस्न के जाल में पूरी तरह डूबा हुआ था सोते हुए भी शायद उस के सपनों में रीमा के ही सपने आ रहे होंगे इसीलिए जब उसके कानों में रीमा की मादक सिसकारियां की आवाज पड़ी तो उसकी आंखे खुदबखुद खुल गई उसने देखा रीमा अपने जिस्म से खेल रही है और अपनी चूत को मसल रही है और मुंह से सिसकारियां निकल रही है | वह समझ गया कि लग रहा है रीमा अभी पूरी तरह से ठंडी नहीं हुई है और उसके अंदर हवस की आग अभी भी जल रही है | जितेश रीमा के करीब आ गया और रीमा केउठे हुए उन्नत नुकीले स्तनों को अपने मुंह में लेकर के उसका रसपान करने लगा | इधर रीमा का हाथ भी उसके लंड पर चला गया और उसके लंड को मसलने लगा | रात से इतर न तो भावनाओ का समुन्दर था, ना कोई भावना थी ना ना ही कोई आत्मीयता थी | अब बस दो जिस्मो की वासना थी और उस वासना को बुझाने के लिए दोनों फिर से एक दूसरे में गुथम गुत्था हो गए | एक तरफ जहां जितेश रीमा के बदन पर अपने होठों के जादू चला रहा था तो वहीं रीमा जितेश के लंड पर अपनी उंगलियों का जादू बिखेर रही थी | कुछ ही देर बाद जितेश ने रीमा को अपने आगोश में ले लिया और उसको जांघो को फैला कर के उसकी पहले से ही उसके लंड रस से सनी हुई चूत में अपने लंड को सटाकर के पेल दिया | रीमा के मुंह से एक लंबी सिसकारी निकल गई |
रीमा - ओओओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्हह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊऊफ़्फ़्फ़ |
जितेश ने अपने होठों को रीमा के होठों से सटा दिया | जितेश रीमा कस कर के चूमने लगा उसे पता था अगर वह रीमा के होंठों को अपने होंठों में नहीं चिपका लेगा तो रीमा के मुंह से तेज तेज सिसकारियां निकलेंगी और नीचे लेटा हुआ उसका आदमी गिरधारी जो कि उसके नीचे ही काम करता था और रात में उसके पास आया था और यही सो गया था वह जाग जाएगा | उसने रीमा के होठों को कसकर अपने होठों में जकड़ लिया और चूसने लगा | इधर उसकी हिलती कमर रीमा की चूत में मुसल लंड को पेलने लगी | उसकी चूत फ़ैलने लगी और जितेश के लंड को अपने गुलाबी आगोश में लेने लगी | रीमा फिर से मुसल लंड से चुदने लगी थी | अभी तो रात बस खत्म हुई थी और सुबह फटने का समय हुआ था कुछ ही घंटों के अंदर रीमा की वासना फिर से अपने चरम पर थी | जितेश की भी ठरक अभी खत्म नहीं हुई थी इसीलिए दोनों फिर से चुदाई के नंगे खेल में जुट गए थे | एक तरफ जितेश रीमा की चूत में कमर हिला हिला के लंड को पेल रहा था तो दूसरी तरफ रीमा की चूत में उसके मुसल लंड को अपने आगोश में ले रही थी | अं न कोई प्रतिरोध था न कोई विरोध था | रीमा की चिकनी चूत की दीवारों पर सटा सट जितेश का लंड फिसल रहा था | उसके जिस्म में उठ रही हवस की लपटों की आग रीमा के मुहँ से गरम सिसकारियो के रूप में निकल रही थी और सीधे जितेश के मुहँ में जा रह थी क्योंकि जितेश ने उसके मुंह से अपने ओंठो को कसकर चिपका रखा था | अब ना केवल जितेश अपनी कमर हिला रहा था बल्कि रीमा भी अपनी कमर हिला कर के उसके लंड को गहराइयों तक लेने की कोशिश कर रही |
चुदाई का नंगा खेल फिर से शुरू हो गया था और रीमा के मुंह से निकलने वाली सिसकारियां उसके मुंह में ही घुट घुट के रह जा रही थी लेकिन जितेश के मोटे मुसल लंड की ठोकर आखिर कब तक रीमा का नाजुक बदन संभाल पता | कब तक जितेश की जोरदार ठोकरों को रीमा खामोश लबो से बर्दाश्त कर पाती | कब तक उन मादक कराहों को, उन कामुक सिसकारियां को अपने मुंह में घुट के रख पाती | जैसे ही एक मोटा तगड़ा लंड औरत की चूत के छेद में घुसता है उसका मुहँ का छेद अपने आप खुल जाता है | ये नैसर्गिक है रीमा इसको कब तक रोक सकती थी | जितेश के भीषण ठोकरों की तरंगे न केवल उसके जिस्खिम को हिलाए हुए पड़ी थी बल्रकि उनमे उसका मन भी कांप जाता था | उस कम्कापन की आवाजे आखिरकार उसके मुंह से निकलने वाली सिसकारियां के रूप में कमरे में गूंजने लगी | जितेश रीमा की चुदाई में इस कदर मशगूल हो गया था कि उसे पता ही नहीं चला कि कब उसके ओंठ रीमा के होठों से हटकर के उसी गर्दन और स्तनों पर चले गए |
रीमा की चूत पर पड़ती मुसल लंड की हर करारी ठोकर के साथ उसके मुंह से उसकी सिसकारियां निकल रही थी | उन दोनों के इस चुदाई के खेल की कामुक आवाजें आखिरकार गिरधारी के कानों तक पहुंच गई | सोते-सोते उसकी नींद टूट गई पहले तो उसे लगा जैसे वह कोई सपना देख रहा है लेकिन जब उसने नीचे जमीन से उठकर के बिस्तर की तरफ देखा तो जो नजारा उसने देखा उसे देखकर वह हैरान रह गया | रीमा और जितेश दोनों एक दूसरे की बाहों में गुथम गुत्था हुए चुदाई का नंगा हवसी खेल खेल रहे थे जिसका उसे अंदाजा तक नहीं था | जब वह यहां आया था तब उसने रीमा को देखा था, उसने जितेश से सवाल भी पुछा था लेकिन उसने टाल दिया था | जब जितेश ने जमीन वाली सुरंग का दरवाजा खोला और वो अन्दर आया तब वह पूरी तरह से चादर से ढकी हुई सो रही थी इसलिए उसे रीमा के जिस्म की झलक नहीं मिली थी | उसने बस चादर की सलवटो और उभारो से रीमा के हुस्न का अंदाजा लगाया था | उसने जितेश से सवाल जवाब भी किये लेकिन जितेश ने सिर्फ काम की बात | उसके बाद दरी बिछाकर वो वही सो गया | अब एक तरफ सूरज अपनी रोशनी बिखेरने को तैयार हो गया था और इधर बिस्तर पर वह दोनों अभी भी रात के नशे में चूर एक दूसरे के चुदाई का खेल खेल रहे थे | अपने अपने जिस्अमो में लगी आग बुझाने में लगे हुई थे | गिरधारी ने जो भी अपनी आंखों से देखा उसे अभी तक यकीन नहीं हुआ कि उसने जो देखा है वही सच है लेकिन जो उसने देखा था वही सच है ये उसे मानना पड़ा | वह क्या करें उसे खुद समझ में नहीं आया कुछ उसके सामने एक खूबसूरत सी औरत को उसका बॉस चोद रहा था | जितेश का लंड आधे से ज्यादा रीमा की चूत में धंसा आगे पीछे हो रहा था और रीमा की गोरी उंगलियाँ उसके चूत दाने के आसपास टिकी हुई थी |
उसकी तरफ रीमा की गोरी चिकनी पीठ थी | उसके मांसल बसे बसे चूतड़ थे और गुदाज मांसल जांघे जो जितेश की कमर से चिपकी हुई नब्बे डिग्री का कोण उसके जिस्म के साथ बना रही थी | उसे अपने पैरो की तरफ अपनी गर्दन झुकानी पड़ी रीमा की गुलाबी मखमली चूत के दर्शन करने के लिए | लेकिन तब भी उसके रीमा की चूत का पिछला हिस्सा ही दिख पाया | कमरे का ये रोमांचक कामुक सीन देखकर उसके भी अरमान जगने लगे | रीमा के बारे में जानने की उसकी इक्षा तो तभी शुरू हो गयी थी जब वो इस कमरे घुसा था | कौन है ये औरत जो इतनी शिद्दत से मेरे बॉस से ख़ुशी खुसी चुद रही है | आखिर ये रंडी नहीं है तो रंडी की तरह चुद क्यों रही है | लगता है मेरे बॉस मुझसे झूठ बोल रहा है | कोई शरीफ औरत किसी पराये मर्द से इस तरह से चूतड़ हिला हिलाकर थोड़े ही चुदती है | आखिर बॉस ने इतनी जल्दी इसको पता कैसा लिया | इतनी जल्दी इसको बिस्तर पर ले कैसे आये | इतनी जल्दी इसको जांघे खोलने के लिए राजी कैसे कर लिया | इतनी जल्दी इस औरत ने अपने कपड़े कैसे उतार दिए, न केवल कपड़े उतार दिए बल्कि बॉस का मुसल लंड भी घोट रही है | वो अपनी जगह से जितेश के पैरो की तरफ से जमींन पर रेंगता हुआ बेड के सिरहाने के उल्टा दिशा में बढ़ा | वो रीमा की चूत के दर्शन करना चाहता था जो अभी जितेश के लंड से अपने आगोश में लिए पूरी तरह से फैली हुई थी | आखिर कुछ दूर आगे जाने के बाद उसने सर को उचकाया और रीमा की गुलाबी मखमली चूत के दर्शन कर लिए | गुलाबी रंगत लिए हुए पतले ओंठो से घिरी उसकी चूत कितनी साफ़ और चिकनी थी | इसकी चूत पर तो बाल भी नहीं है | उसकी बीबी तो अपना जंगल कभी काटती ही नहीं |
गिरधारी भी तो इंसान था उसके अंदर भी तो भावनाएं थी और कमरे का इतना मादक कामुक माहौल देखकर वहीं भावनाएं उसकी भी भड़कने लगी थी और उसका असर सीधे उसके पजामे में सो रहे उसके लंड पर हो रहा था | ऐसी माहौल में दिमाग से ज्यादा लंड को हरकत में आना ही था और वो आने लगा | उसमें तनाव आने लगा था कुछ देर तक वो वही से अपने बॉस के लंड से रीमा की चूत की चुदाई देखता रहा | इधर उसका लंड फूलता रहा | जितेश उसका बॉस था इसलिए उसके लिए उसकी बात की अवहेलना करना मुश्किल था लेकिन रीमा की चुदाई देखकर उसका मूड बन गया था | वो धीरे धीरे खिसककर अपनी जगह पर वापस आ गया | जितेश रीमा दोनों इस बात से बेखबर आपस में ही खोये हुए हवस का खुला खेल खेल रहे थे | गिरधारी अपनी दरी पर आकर लेट गया और लम्बी लम्बी सांसे लेने लगा | लेकिन उससे रहा नहीं जा रहा था | लेटे होने की वजह से उसे बेड का कुछ भी नहीं दिख रहा था | तभी उसका हाथ उसके पेंट के ऊपर चला गया | वो हैरान था उसका लंड तो पहले ही फूल चूका है | उसने पैजामे की मोहरी खोली तो देखा उसके लंड नाथ तो पूरी तरह से तन्नाये खड़े है | अब इसका क्या करू | वो बहुत बुरी तरह फंस गया था | एक तरफ कमरे के माहौल के कारन चढ़ी ठरक थी दूसरी तरफ बॉस का डर | वो दरी पर लेटे लेटे दूसरी तरफ को करवट हो गया | अब उसकी पीठ बेड की तरफ थी उसके बाद उसने अपने पजामे में हाथ घुसेड दिया और अपने लंड को मसलने लगा | बीच बीच में गर्दन घुमाकर खुद को थोडा उचकाकर बेड की तरफ भी देख लेता | जहाँ रीमा के गोरे बड़े बड़े मांसल चूतड़ जितेश के लंड की ठोकरों से हिल रहे थे |
गिरधारी को जितेश के मोटे लंड से चुदती हुई रीमा की चूत और हिलते भारी-भरकम चूतड़ दिख रहे थे उसकी नंगी पीठ भी गिरधारी की तरफ ही थी और उसकी चूत में सटासट जाता हुआ जितेश का लंड भी उसे दिख रहा था आखिरकार उसे रहा नहीं गया वह उठ कर बैठ गया और अपनी पैंट के अंदर फूल कर तन गए लंड को देखने लगा था | काश उसकी किस्मत में भी चोदना लिखा होता | उसके दिलो दिमाग में चुदाई की ललक घुस गयी थी लेकिन किसी भी तरह से वो बॉस को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था | लेकिन रीमा के जिस्म का मादक हुस्न उसे पगलाए दे रहा था | दिलो-दिमाग पर रीमा का नशा चढने लगा था | उसको रीमा की पूरी नंगी पीठ और भारी-भरकम चूतड़ देख रहे थे और उसकी चूत में जाता हुआ जितेश का लंड भी दिख रहा था | वो उचककर रीमा जितेश की चुदाई को काफी देर तक देखता रहा | इधर जितेश का लंड की मां की चूत में सटासट जा रहा था तो उधर गिरधारी के हाथ में उसका लंड उसकी के पजामे के अन्दर तेजी से फिसल रहा था | इतनी खूबसूरत औरत को इतने करीब से चुदते हुए उसने पहली बार देखा था | उसकी आंखें फटी की फटी रह गई आखिर वह भी तो इंसान था | उसकी आंखों के सामने एक खूबसूरत हसीन गुलाबी मखमली औरत की चूत को उसका बॉस बड़ी बेदर्दी से चोद रहा था | यह देख कर वह भी पूरी तरह से मदहोश हो गया | रीमा के मुहँ से निकलती सिसकारियां उसकी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी | गजब है क्या ऐसी औरते भी होती है इस दुनिया में | उसके लिए तो रीमा अजूबा ही थी, क्योंकि जब वो अपनी बीबी को चोदता था तो वो तो हमेशा इधर उधर हाथ पाँव पटक के दर्द होने का नाटक करती थी | लेकिन मैडम तो बॉस का लंड भो घोटे ले रही है और मजे में कराह भी भर रही है | ऐसी औरत को एक बार चोदने को मिल जाये फिर तो जन्नत जाने की भी जरुरत नहीं है |
वो वापस अपने बिस्तर पर लुढ़क गया और दूसरी तरफ करवट करके लेट गया | उसने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और पजामे को नीचे खिसका दिया | उसका पूरी तरह से तना हुआ लंड अब आजाद था | उसने करवट लेटे लेटे ही अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया | तेजी से उस पर हाथ फिराने लगा |
इधर रीमा काफी देर से जितेश की बाहों में ही पड़े पड़े चुद रही थी | वह चाहती थी अब जितेश नीचे लेटे और रीमा उसके ऊपर आ जाए | वो उसके ऊपर बैठकर उसके लंड को अपनी चूत में डालकर कुछ देर घुड़सवारी करे | यही सोचकर रीमा जितेश की बाहों ने निकली | रीमा जैसे ही उठकर जितेश के ऊपर आने को हुई, उसकी नजर जमीन पर दरी बिछाये आदमी पर पड़ गयी, जिसका पैजामा उसके घुटनों का खिसका हुआ है और उसकी कमर की आड़ में उसका हाथ तेजी से हिल रहा है | वो अपने मोटे मोटे लंड को बहुत तेजी से उठा रहा था | ये देखकर रीमा सन्न रह गयी | जैसी हालत में थी वैसे ही जितेश के ऊपर झुक गयी और तेजी से अपने ऊपर चादर खीचकर डाल ली | वह कमरे में एक अनजान आदमी को वो भी इस हालत में देखकर दंग रह गयी | यह कौन है, कहां से आया, कब आया, क्या मै सपना देख रही है एकबारगी तो उसे यकीन ही नहीं हुआ | फिर उसने अपनी आंखों को मलकर देखा और तब भी उसे वो करवट के बल लेटा आदमी ही दिखाई दिया, जो तेजी से अपना लंड मुठिया रहा था | रीमा को हकीकत पर यकीन हुआ | वह जितेश से चिपक गई और उसके कान में पुछा - जितेश यह कौन है?
जितेश ने माथा पीठ लिया उसके मुहँ से बस एक शब्द निकला - धत्त तेरे की इसको तो मै भूल ही गया, तुमारा हुस्न मुझे पागल कर देगा, तुमारे गोरे गुलाबी बदन की चमक के आगे इसका तो मुझे ध्यान ही नहीं रहा |
रीमा - मतलब तुम इसे जानते हो |
जितेश - हाँ तुम्हे क्या लगता है ये भूत बनकर यहाँ आ गया | रात में आया था जब तुम सो गयी थी उसके बाद, बाहर सिक्युरिटी बहुत छान बीन कर रही थी इसलिए यही लेट गया |
रीमा दबी आवाज में बिफर पड़ी - मतलब तुम इस हालत में किसी को यहाँ रुकने की इजाजत कैसे दे सकते हो | मतलब मैंने रात में भी तुमारी बाहों में पुरी की पूरी नंगी सो गयी थी |
जितेश उसकी बात कटाता हुआ - चिंता की कोई बात नहीं है रात में मैंने तुम्हे चादर में लपेट कर ढक दिया था |
रीमा - क्या चिंता की बात नहीं है | रात में नहीं देखा तो क्या हुआ अब इसने हमें सब कुछ करते हुए देख लिया है |
जितेश भी हैरान रह गया | उसने हल्का सा सर उठा कर देखा तो देखा | नीचे दरी पर लेता गिरधारी दूसरी तरफ को मुहँ घुमाये बहुत तेजी से लंड को मुठिया रहा है |
रीमा फिर से बिफर पड़ी - मतलब तुम इतने लापरवाह कैसे हो सकते हो, मुझे बताया तक नहीं | आँखों से ही इशारा कर देते |
जितेश - क्या करू, सारी बुद्धि तो तुमारे हुस्न से हर ली है | जब आंख खुली तो तुम सामने थी , अब जब तुम अपने प्राकृतिक रूप में सामने थी तो भला मुझे और कुछ कैसे याद आ सकता है |
रीमा दांत पीसती हुई बेहद धीमी आवाज में - तुम्हे मजाक सूझ रहा है मेरी यहाँ जान निकली जा रही है | उसके मेरा सब कुछ देख लिया और तुम्हे भी | उसने हमें चुदाई करते हुए भी देख लिया है | अब क्या होगा | रीमा शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी |
जितेश भी उसे दबे स्वर में - तुम बेवजह परेशान हो रही हो | कुछ नहीं होगा | वो मेरा खास आदमी है रात में वह एक नए कॉन्ट्रैक्ट के लिए पैसे लेकर आया था | चारो तरफ सिक्युरिटी तुमारे चक्कर में हर घर को सूंघ रही है इसलिए यही रूक गया | तुम परेशान मत हो अपना पालतू है ये |
रीमा - कितना पालतू है वो दिख रहा है, अगर तुम न होते यहाँ पर तो अब अपने हाथ की जगह तक मुझ पर चढ़ अपनी कमर हिला रहा होता | देख लिया कितना पालतू है |
जितेश - तुम हो ही इतनी हसीन, ऊपर से तुमारे बदन को बिलकुल उसी अवतार में देख लिया है जिस हालत में तुम पैदा हुई थी | आखिर खूबसूरत जवान नंगी औरत की जवानी का नशा से कौन बचा है, इसलिए हाथ हिला रहा |
रीमा - किसी दिन अपनी कमर मुझ पर हिला रहा होगा, तब ये शायरियां बघारना |
उधर गिरधारी के दिलोदिमाग में लाखो सवाल थे और उसका हाथ उसके तने हुए लंड पर था | आखिर ये मैडम है क्या चीज लेकिन जो भी है कमाल की चीज है | क्या कमाल की औरत है हमारे यहाँ औरते सुबह सुबह उठकर पूजा पाठ भजन कीर्तन करती है | एक ये औरत है जो सुबह सुबह लंड की पूजा करती है, मुसल लंड घोंट रही है | मन तो नहीं मान रहा लेकिन इसकी हरकतों से साफ पता चल रहा है कि यह कोई बहुत बड़ी रंडी है | सुना है बड़े शहरो की रंडियां बड़ा सज धज के रहती है बड़ी गोरी चिट्टी होती है | पक्का है बॉस इसको भी वही से लाये होंगे | क्योंकि यहाँ की रंडियां इतनी खूबसूरत कब से होने लगी | यह तो कमाल के गुलाबी गोरे सफ़ेद जिस्म की मालकिन है | इतनी गोरी औरत इतने खूबसूरत जिस्म की मालकिन रंडी कैसे हो सकती है | हो सकता है क्यों नहीं हो सकता | वहां बड़े शहर में बड़े बड़े पैसे वाले है खूब पैसा खर्च करते है | बॉस में इसे लाखो पर तय करके ही लाये होंगे | पक्का है जैसे ये चुद रही है ऐसे घरेलु औरते तो कभी लंड नहीं घोटती | घरबार वाली होती तो इतने मोटे मुसल लंड को लेकर हाथ पाँव पीठ पीट कर अब तक आधे मोहल्ले को बता चुकी होती की आज मेरी चूत फाड़ी जा रही है | मुझे तो रात में ही यकीन हो गया था की ये एक नंबर की छिनार चुदक्कड रंडी है | पैसो की मोटी मोटी गड्डियो के आगे अपनी जांघे खोलती होगी | पैसे में बहुत दम है, बॉस ने इसकी गुलाबी चूत के लिए लाखो मुहँ पर मार दिए होंगे और ये एक पल में नंगी हो गयी होगी | बॉस चकाचक इसे चोद रहा है पक्का है ये महँगी वाली रंडी है | बॉस रात भर मौज-मस्ती के लिए लाया होगा | अब सुबह होने से पहले पुरे पैसे वसूल लेना चाहता है |
इधर जब यह नजारा रीमा और जितेश ने देखा तो दोनों हक्के बक्के रह गए आखिर अब करें तो क्या करें चोरी तो उनकी ही पकड़ी गई है | इस तरह से दोनों नंगे बदन एक दूसरे को से चिपके हुए और चोदते हुए आखिर उनको एक तीसरे आदमी ने पकड़ लिया है | अब क्या करें कि रीमा तो काफी घबरा गई थी उसको तो उसकी तरफ देखने से भी शर्म आ रही थी |
जितेश ने रीमा को ढांढस बंधाया चिंता मत करो यह गिरधारी मेरा बहुत खास आदमी है या यूं कह लो एक तरह से मेरा पालतू है जब तक मैं इशारा नहीं करूंगा यह काटना तो दूर भौकेंगा तक नहीं | रीमा जितेश के सीने से सर चिपकाकर चादर ओढ़ ली | उसके अन्दर हिम्मत नहीं थी की वो उसका सामना करे |
रीमा फुसफुसाई - काटेगा नहीं लेकिन चोद तो सकता है आखिर हवस पर किसका जोर, वहां कोई बॉस नहीं होता | एक बार लंड खड़ा हो गया और अगर सामने चूत है तो आदमी जान पर खेलकर भी उसमे घुसने की कोशिश करता है |
इधर रितेश भी जुगत भिड़ाने लगा कि आखिर क्या किया जाए | तब तक गिरधारी खुद ही पलट का ये देखने ;लगा की अब वो लोग क्या कर रहे है | लेकिन जैसे ही उसने गर्दन घुमाई जितेश उसी की तरफ देख रहा था | रीमा उसके सीने से चिपकी पूरी तरह से खुद को चादर से ढके हुई थी | अपनी चोरी पकडे जाने से थोड़ा सा डर गया | उसके हाथ से उसका लंड छुट गया | उसने अपने तने हुए लंड को जबरन अपने पजामे में घुसेड़ने की असफल कोशिश की | खुस की आंखे मूंद कर सोने की नौटंकी करने लगा | उसे भी पता था की जितेश ने पकड़ लिया है लेकिन इंसान की फितरत होती है जब तक मजबूर न हो जाये सच से आंखे नहीं मिलाता |
जितेश भावहीन चेहरे से - क्या हो रहा है | इसी तरह का नाटक करने की जरूरत नहीं है | नौटंकी बंद कर दे |
ग्लानी और डर से भरा हुआ नजरे झुकाए - कुछ नहीं बॉस |
जितेश - कुछ नहीं |
वो चुप रहा |
जितेश सख्ती से - मैंने पुछा ये क्या हो रहा है |
गिरधारी - सब कुछ तो पता है आपको बॉस, बताइए कैसे सब्र करते |
जितेश - जब खुद की ठरक नहीं संभलती तो बाहर निकल जाता | पता है रीमा मैडम कितना डर गयी तेरी इस हरकत से |
गिरधारी - क्या बात कर रहे है बॉस, भला इतनी छोटी सी चीज से भला ऐसी औरत कभी डरती है उसके लिए तो ये रोज का काम होगा |
जितेश तेज आवाज में बोला - क्या मतलब है तेरा |
गिरधारी - क्यों मुझ पर सुबह सुबह बरस रहे है | आप अपने मजे लो, मुझे अपने मजे लेने दो | मै बिलकुल आपको डिस्टर्ब नहीं करूंगा |
जितेश - क्या बकवास कर रहा है |
गिरधारी - बॉस आप लगे रहो, जो कर रहे थे करते रहो चिंता की बात नहीं है मैं समझ सकता हूं हर किसी के साथ ऐसा ही होता है | मैं बस अपना हाथ से काम चला लूंगा आप अपने काम में लगे रहो |
जितेश - तू कपड़े पहन और निकल ले यहाँ से |
गिरधारी - ये तो ज्यायती है बॉस |
जितेश भड़कता हुआ - तू जाता है या तुझे लात मार कर भगाऊं |
गिरधारी - क्या बॉस इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो, मैंने कहाँ न मै हाथ से काम चला लूँगा | बस थोड़ीसी झलक दिखा देना बीच बीच में | आप जो कर रहे थे करते रहो | मै बस बीच बीच में थोड़ा देख लूँगा तो मेरे मन भी खुस हो जायेगा | आपको बिलकुल डिस्टर्ब नहीं करूंगा | बस मैडम की एक झलक ही काफी है मरे लिए |
जितेश - क्या बकवास कर रहा है, तेरी हरकत की वजह से कितना डर गयी है मैडम | चल भाग ले यहाँ से वरना अभी मै तुझे झलक दिखाता हूँ |
गिरधारी - बॉस बस देखने की ही तो गुजारिश कर रहा हूँ | जो कुछ खर्चा पानी हो काट लेना |
रीमा भी चादर के अन्दर से ये सारी बाते सुन रही थी | उसकी बाते सुनकर रीमा शर्म से गड गयी | उसके बारे में ऐसा आजतक किसी ने नहीं सोचा था | धरती फट जाये और वो उसमे समां जाये | हाय अब ये दिन देखने के लिए मै जिन्दा हूँ | इसने तो मुझे रंडी समझ लिया |
जितेश उसका इशारा तो समझ गया लेकिन उसके मुहँ से ही सुनना चाहता था - खर्चा पानी मतलब |
गिरधारी - हमारी औकात तो साहब 50 100 वाली ही है | आपको जितना लगे मेरे हिस्से में से काट लेना | मुझे पता है मैडम की फीस लाखो में होगी, इतनी हमारी औकात नहीं लेकिन दूर बैठ कर देखने भर की फीस तो भर ही सकता हूँ |
जितेश को गुस्सा आ गया, वो रीमा को रंडी समझ रहा था - मैंने तुझे रात में ही समझाई थी तुझे समझ न आई | मैंने बोला था तुझे दुबारा ये शब्द अपनी जुबान पर लाया तो यही तेरी लाश पड़ी होगी |
गिरधारी - क्यों गरज रहे हो साहब, जो आँखों से देख रहा हूँ उसे कैसे झुठला दू | ढील डौल और नैन नक्शों से मैडम पैसो वाली सोसाइटी की लागती है वहां कुछ और नाम से बुलाते होंगे लेकिन काम तो हर जगह एक ही होता है | रातो रात कहाँ से आपकी मासुका पैदा हो गयी | अगर ये आपकी सच्च्ची मासुका होती तो हाथ तक न लगाने देती | आप तो. . . . . . . . . . |
जितेश उसे धमकता हुआ - आखिरी बार बोल रहा हूँ चुप हो जा नहीं तो यही तुझे गोली मार दूंगा | तू अब कुछ ज्यादा बोल रहा है, अपनी हद लाँघ रहा है | रीमा मैडम के बारे में जो कुछ भी तू सोच रहा है वैसा बिलकुल नहीं है |
गिरधारी - ठीक है बॉस आपकी बात मान लेता हूँ लेकिन मेरे कुछ सवालो के जवाब तो दे दो | आखिर ये रंडी नहीं है तो रंडी की तरह चुद क्यों रही है | कोई शरीफ औरत किसी पराये मर्द से इस तरह से चूतड़ हिला हिलाकर थोड़े ही चुदती है | आखिर बॉस ये इतनी जल्दी आपसे चुदने को राजी कैसे हो गयी | इतनी जल्दी इसको आप बिस्तर पर ले कैसे आये | इतनी जल्दी इसको जांघे खोलने के लिए राजी कैसे कर लिया | इतनी जल्दी इस औरत ने अपने कपड़े कैसे उतार दिए, न केवल कपड़े उतार दिए बल्कि बॉस आपका मुसल लंड भी घोट रही है |
जितेश उसके सवालो से सन्न रह गया | उसकी ख़ामोशी बता रही थी की उसके पास कोई जवाब नहीं है | उसके संयम की सारी हदे टूट चुकी थी | पता नहीं कैसे अब तक खुद को रोके हुए था |
गिरधारी - है कोई जवाब आपके पास बॉस |
जितेश का गुस्सा अब काबू से बाहर चला गया | वो बेड से उतरा और गिरधारी को लातो घूंसों से पीटने लगा - बोल रहा हूँ चुप हो जा नहीं तो आज यहाँ से जिन्दा नहीं जायेगा | बिस्तर पर लेती हर औरत मर्द के सामने रंडी ही होती है | बिना रंडी बने अपने मर्द को वो कोई सुख नहीं दे पायेगी | तेरी बीबी भी तेरे सामने हर रात को रंडी बनती है ताकि तू खुश रह सके | दुनिया की हर औरत इसलिए रंडी बनती है ताकि उनके मर्दों की प्यास बुझा सके और उन्हें खुश रख सके | (उसे झिन्झ्कोरता हुआ ) तू बता क्या तेरे सामने तेरी बीबी रंडी नहीं बनती | बिना उसके रंडी बने ही तू उसे चोद लेता है | जिनकी बिबिया बिस्तर पर रंडी नहीं बनती उन घरो के मर्द बाहर मुहँ मारते फिरते है |
गिरधारी को पीट पीट कर उसकी हालत ख़राब कर दी |
रीमा अपनी लाज शर्म छोड़ नंगी ही बीच बचाव को आ गयी नहीं तो शायद जितेश उसे पीट पीट कर अधमरा ही कर डालता |
रीमा - छोड़ दो जितेश | जितेश की ताकत के आगे रीमा का क्या बस था लेकिन रीमा ने उसके ओंठो अपने ओंठ चिपका दिए | जितेश को ठेलती हुए किसी तरह से गिरधारी से दूर बिस्तर पर लायी |
रीमा - हे जितेश मेरी तरफ देखो मेरी तरफ , सिर्फ मेरी आँखों में |
उसका चेहरा थामकर चूमने हुए , उसकी आँखों में आंखे डालते हुए - दुनिया में किस किस का मुहँ बंद करोगे, मेरी तरफ देखो | तुम क्या सोचते हो मेरे बारे में मेरे लिए बस वही मायने रखता है | बाकि दुनिया की परवाह किसको है |
रीमा ने उसके हाथ को अपनी नरम छातियों पर ले आई | वो जितेश का पूरा धयान खुद पर केन्द्रित करवाना चाह रही थी |
रीमा - मेरी आँखों में देखो जितेश, अगर तुम्हे बुरा लगा है तो खुलकर वो सब करो जिसका डर तुम्हे दुनिया दिखा रही है | मै हमेशा ऐसे ही सोचती हूँ | मै तुमारे लिए रंडी बनने के लिए तैयार हूँ | आज तुम मुझे रंडी की तरह ही चोदो | देखती हूँ देख लेने उसके बाद तुम्हे ये शब्द इतने तीखे नहीं लगेगे | उस पर की बजाय मुझ पर ध्यान दो |
जितेश का गुस्सा काफी हद तक कम हो गया था | वो फिर से रीमा की मादकता में खोने की कोशिश करने लगा | रीमा उसे चूमती रही | वो रीमा के जिस्म को मसलता रहा | उसके बाद जहाँ गाडी रुकी थी वही से फिर से शुरू करना था | देखते ही देखते रीमा जितेश के ऊपर आ गयी | अभी तक वो गिरधारी से खुद के जिस्म को छिपा रही थी लेकिन इस लडाई ने वो पर्दा भी ख़त्म कर दिया |
रीमा ने जितेश के लंड पर ढेर सारी लार उड़ेली और उसे अपनी गुलाबी चूत के मुहाने पर सटाकर बैठती चली गयी | जितेश का तना सख्त लंड रीमा की चूत की दीवारों को चीरता हुआ, भीषण रगड़न के साथ अन्दर तक समां गया | रीमा ने तीन चार बार कमर हिलाई और जितेश के लंड के लिए अपनी चूत में जगह बनायीं | उसके बाद आराम से कमर हिलाकर उसका लंड पानी चूत में सटासट लेने लगी |
इधर गिरधारी जितेश से पिटने के बाद जमीन पर ही फ़ैल गया और रोने लगा - और मारो और मारो |
गिरधारी जमीन पर अपनी छाती पीट पीट रो रहा था | रीमा को पहले पहले लगा वो नौटंकी कर रहा है लेकिन उसके आँखों के निकले आंसू लगा, सच में वो रो रहा है |
गिरधारी - भाग क्यों गए, आवो और मारो, और पीटो, बॉस जो हो | दिन रात लगा रहता हूँ पीछे पालतू कुत्ते की तरह उसका यही सिला दिया है | आज तक कभी चु तक नहीं करी | जो दे देते हो रख लेता हूँ |
जितेश उसकी नौटंकी से परेशान हो रहा था लेकिन इससे पहले जितेश कोई प्रतिक्रिया से रीमा ने झुककर उसके ओंठो को अपने आगोश में ले लिया | रीमा जितेश के कान में फुसफुसाई - तुम्हें चिंता करने की कोई बात नहीं है, उसे बडबडाने दो |
इतना कहकर उसने अपनी नुकीली पहाड़ियों की चोटियों को जितेश के मुहँ से सटा दिया | जितेश में किसी छोटे बच्चे की तरह उन्नत उरोजो की पहाड़ियों से बह रहे रस का रस स्वादन करने लगा |
रीमा जितेश का ध्यान गिरधारी की नौटंकी से हटाने में लगी थी लेकिन उसका खुद का ध्यान अब उसी की तरफ चला गया |
ऐसा लग रहा था वो सच में बहुत दुखी है - और पीटो आकर मुझे, मै तो तुमारा कुत्ता हूँ न | जब मन करेगा रोटी का टुकड़ा फेक दोगे जब मन करेगा दुत्कार दोगे | कितनी जल्दी भूल गए जिस गोली पर तुमारा नाम लिखा था उसे मैंने अपने कंघे पर झेला था | लेकिन आखिर कुत्ता तो कुत्ता होता है |
जितेश फिर से वासना की मस्ती में डूबने लगा था | कुछ ही पलो में उसका गुस्सा जैसे फुर्र हो गया | रीमा ने उसकी तरफ सवलिया नजरो देखा | उसने पलके बंद कर इशारा किया, जैसे वो गिरधारी की बातो को सहमती दे रहा हो |
गिरधारी रोता हुआ - क्या कुछ नहीं किया हाय इस पालतू ने अपने मालिक के लिए | तीन चाकू मारे थे हाथ में लेकिन उफ़ जो मैंने अपने मालिक को छोड़ा हो | जो कुछ मिलता है सब तुमारे चरणों में लाकर रख देता हूँ फिर भी ये सिल दिया मुझे | वो भी एक औरत के लिए |
एक औरत की वजह से मुझ पर हाथ उठा दिया | मेरी इतने दिनों की दिन रात की सेवा का भी ख्याल नहीं आया |
जीत तो तुमसे सकता नहीं, आपाहिज जो हूँ इसलिए और पीट लो | मालिक जो हो, मेरा भाग्य तुमारे हाथ में जो है |
रीमा भी कामुकता के नशे में उतारने लगी थी लेकिन गिरधारी की बकवास अब उसे परेशान कर रही थी |
रीमा जितेश के कान बुदबुदाती हुई - कितना नौटंकी बाज है |
जितेश - मैंने पहली बार हाथ उठाया है | उसके बाये हाथ में तीन बार चाकू से वार हुआ था और मै तीस फीट से ज्यादा ऊँचाई से लटक रहा था लेकिन इसने मुझे पकडे रखा, नहीं तो आज शायद मै जिन्दा नहीं होता |
रीमा ने एक करारा झटका नीचे की तरफ मारा | उसके मांसल चूतड़ जितेश की जांघो से जाकर टकराए और उसका पूरा लंड रीमा की गुलाबी मखमली सुरंग में | जितेश और रीमा दोनों के मुहँ से मादक कराह एक साथ निकल गयी |
दोनों एक साथ कामुकता के जोश में कराह उठे - आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् |
रीमा - उफ्फ्फफ्फ्फ़ आआआह्ह्ह्ह बेबी तुमारा लंड कितना बड़ा है . . . . . . . . मेरी पूरी चूत भर गयी है |
गिरधारी की बडबडाना रीमा के कामुक माहौल में खलल डाल रहा था |
रीमा - ओओ फोफोफ़ जितेश अब ये चुप कैसे होगा |
रीमा के लयबद्ध कमर हिलाने से जितेश तो स्वर्ग की सैर करने लगा था | मादक कराह के साथ - आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् पता नहीं |
रीमा - मुझे देखने की ही इजाजत मांग रहा था, देखने दो न | अब कौन सा पर्दा बचा है वैसे भी उसने सब कुछ तो देख लिया है | अभी भी देख ही रहा है
जितेश - मै उसके साथ चार सालो से काम कर रहा हूँ, उंगली पकड़ कर पन्हुचा पकड़ने वालो में से है | बहुत ही लीचड़ और बेह्शर्म किस्म का इन्सान | मेरे काम धंधे में ऐसे आदमी की जरुरत पड़ती है इसलिए पाल रखा है | लेकिन मुहँ नहीं लगाता हूँ |
रीमा - ऐसा भी क्या जोंक है, हम दोनों को इस तरह नंग धढंग देखकर अरमान जाग जाग गए होंगे, हिलाने दो न अपने हाथ से |
रीमा जितेश के उपर जोरो से उछलती हुई - गलती हमारी ही है | अब क्या करे |
जितेश और रीमा के दिलो दिमाग पर वासना का नशा पूरी तरह से हावी हो चूका था | अब दुसरी तरफ ध्यान लगाने की हालत में नहीं थे | दोनों एक दुसरे में खो से गए |
गिरधारी उधर जमीन पर अपनी छाती पीटता रहा | उसकी कर्कश आवाज उन दोनों के कामुक मादक माहौल को ख़राब कर रही थी |
जितेश से रीमा अनुरोद्ध करती हुई - इससे कुछ बोलो न बेबी | इतनी मेहनत से फोकस आता है ये सारा मूड ख़राब कर रहा है | ये हमारी इंटिमेसी को डिस्टर्ब कर रहा है |
रीमा की कामुक आवाज और तेज उफनती सांसो के बीच निकले शब्द जैसे जितेश के दिल में उतर गए |
जितेश हांफता कांपता कड़क आवाज में बोला - चुप हो जा, देख ले जितना देखना है मैडम |
गिरधारी की आवाज बंद हो गयी | जब उसने ऊपर सर उठा कर देखा तो हैरान रह गया | औरत मर्द पर चढ़ी बैठी है | क्या ऐसा भी होता है | उसकी आंखे फटी की फटी रह गयी | पहली बार वो रीमा के हुस्न का दीदार खुली आखो से भरपूर कर रहा था | कितनी गोरी है, कितने बड़े बड़े दूध है और कैसे फूटबाल की तरह उछाल रहे है |वो हैरान था उसने हमेशा औरत को मर्द की जांघ के नीचे ही देखा था | जिस तरह से खुद को उछाल उछाल कर जितेश का लंड रीमा अपनी चूत में घोंट रही थी वो देखकर गिरधारी तो बस रीमा के गोरे गुलाबी बदन का उछलना ही देखता रहा | उसका रोना धोना सब बंद हो चूका था लेकिन अंदर से वो दुखी था क्यूंकि जितेश ने उस पर हाथ उठाया |
गिरधारी - मुझे मारा क्यों ?
जितेश को ये खलल बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था - गलती हो गयी अब आगे से नहीं होगा |
गिरधारी - लेकिन मुझे मारा क्यों ?
जितेश गरजते हुए - बोला न गलती हो गयी |
बड़ी मुश्किल से दोनों कामुकता में डूबने का माहौल बना पा रहे थे और वो एक पल में ही उसकी ऐसी की तैसी करे दे रहा था |
गिरधारी कुछ देर तक रीमा के हुस्न को घूरता रहा | उसका लंड फिर से तनने लगा | उसे रीमा बहुत अच्छी लग रही थी | इतनी अच्छी की उसके लिए सीने पर गोली खा ले |
जितेश रीमा आपस में अपने जिस्मो की आग की ताप बढ़ाने में लगे हुए थे |
जैसे ही वो दोनों फिर से वासना की रौ में पंहुचे गिरधारी ने फिर एक सवाल पूछ लिया -तुमने मुझे मैडम के लिए मारा है, आगे फिर नहीं पीटोगे इसकी क्या गारंटी है |
जितेश का लंड रीमा चूत में पूरा का पूरा धंसा हुआ था, दोनों अब जमकर चुदाई करना चाहते थे लेकिन बीच में गिरधारी अड़चन बनकर उनके सारे मूड का सत्यानाश कर देता | रीमा और जितेश दोनों के लिए ये मंद्बुधि अब झेला नहीं जा रहा था | मन कर रहा था उसे उठाकर बाहर फेंक दे |
जितेश कुछ बोलता उससे पहले रीमा ने उसके मुहँ पर हाथ रखकर - अब ये तुम्हे कभी नहीं मारेगे | मेरी कसम | तुमने कहाँ था तुम हमें डिस्टर्ब नहीं करोगे | अब तुम अपना काम करो हमें अपना करने दो |