Episode 42
रीमा की पतली सी मीठी सी मादक आवाज उसे अपने कानो में ऐसी लगी जैसे किसी ने उसे फूल फेंककर मारा हो | वो रीमा की आवाज सुनकर अन्दर तक गनगना गया |
रीमा और जितेश फिर आपस में चिपक गए | गिरधारी ने भी रीमा और जितेश को देखकर उसने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए | रीमा कमर हिलाने लगी और जितेश भी नीचे से कमर हिलाने लगा | ऊपर से रीमा का झटका और नीचे से जितेश का, रीमा की चूत में दनादन लंड अन्दर बाहर होने लगा | दोनों की सांसो की गर्माहट फिर से उफनने लगी |
इधर कपड़े उतार कर गिरधारी भी तेजी अपने लंड को मसलने लगा | जल्दी ही उसका लंड पहले की तरह कड़क हो गया | मुठ मारते मारते वो तेज आवज में कराहने लगा | रीमा गर्दन घुमाकर उसकी तरफ देखने लगी | उसकी कमर हिलानी बंद हो गयी |
रीमा को अपनी तरफ देख गिरधारी कराहता हुआ - मैडम आप चिंता मत करो मैं हाथ से काम चला लूंगा |
रीमा ने तुरंत मुहँ घुमा लिया लेकिन उसके शब्द उसके कानो को चीरते हुए उसके दिल तक घुस गए | हाथ भले ही उसका अपंग हो गया हो लेकिन लंड में बहुत जान थी | कड़क तगड़ा लंड था | रीमा के दिमाग में पहली बार उसके लड़ का ख्याल आया | रीमा का ध्यान इस तरफ गया ही नहीं था | रीमा ने इस नजरिये से सोचा भी नहीं था | नीचे से जितेश धक्के पर धक्के लगा रहा था | रीमा की कराहे तो छुट रही थी लेकिन उसका ध्यान कही और ही चला गया | उसके दिमाग में बस बारबार एक ही वाकया गूम रहा था - आप चिंता मत करो मैं हाथ से काम चला लूंगा |
दुनिया के कितने मर्द एक खूबसूरत नंगी औरत को इस तरह से सामने चुदते हुए देख ऐसा कह सकते है | जितेश रीमा के उरोजो से खेल रहा था | नीचे से लग रहे धक्को से उसका बदन हिल रहा था लेकिन वो कही और ही खो गयी | रीमा पूरी तरह से नंगी होकर एक मर्द के सामने चुद रही थी और उसे सिर्फ इसी बात में सतोष था की वो उसके नंगे जिस्म को देख प् रहा | सच ही कहावत है छोटे आदमी का दिल बड़ा होता है और मन संतोषी | अगर वो चाहे तो क्या उसे हासिल नहीं कर सकता लेकिन अपनी हद लाघने को तैयार नहीं है | उसके लिए बस रीमा के खूबसूरत जिस्म को निहारने में ही स्वर्ग का सुख मिल जायेगा | रीमा के अन्दर उसके लिए हमदर्दी पनपने लगी |
रीमा की सेक्स में दिलचस्पी न देखते हुए आखिरकार जितेश ने पूछ लिया - क्या हुआ |
रीमा - कुछ नहीं बस ऐसे ही, कुछ सोच रही थी |
जितेश - कमाल करती हो, मेरा सारा ध्यान अपने ऊपर लगवा कर खुद किसी और के बारे में सोच रही हो |
रीमा - नहीं ऐसा नहीं है |
जितेश अब वासना के आवेग में पूरी तरह डूब चूका था |
उसने रीमा के चुताड़ो पर एक जोरदार ठोकर मारी और ठहर गया - तो फिर क्या है बताओ तो सही क्या हुआ |
रीमा - आआआआह्नह्हींह्ह कुछ नहीं बस ऐसे ही, बेबी तुम चोदो न मुझे तुम क्यों रुक गए |
जितेश - मै अकेला चोदु ? क्या चल रहा है दिमाग में बतावो न बेबी तभी तो पता चलेगा |
जितेश फिर से रीमा को चोदने लगा | रीमा सिसकारियां भरने लगी |
रीमा - जितेश क्या जो हम कर रहे हो ैं वह ठीक है मतलब मतलब वह आदमी नीचे लेटा हुआ अकेला और हम यहां पर जवानी का मजा लूट रहे हैं चुदाई कर रहे हैं क्या यह ठीक है |
जितेश बोला - मैं कुछ समझा नहीं |
रीमा - मेरा मतलब साफ है वह नीचे वहां अकेला लेटा हुआ है और हम यहां अपने अपने जिस्म की भूख और वासना में डूबे हुए हैं |
जितेश रीमा की चुताड़ो पर लगातार ठोकरे मारता हुआ - तो क्या हुआ हर कोई ऐसे ही तो करता है |
रीमा -हां लेकिन जब तीसरा आदमी होता है तब भी क्या हम ऐसे ही करते हैं |
जितेश पुरे जोश में था - पहेली मत बुझावो |
रीमा जितेश की ठोकरों को अपनी चूत की गहराई में महसूस कर रही थी लेकिन उसका दिमाग कही और ही था |
रीमा - अगर हमें पता होता कि कोई तीसरा यहां नहीं है तब तो ठीक था लेकिन जब हमें पता है वो तीसरा यही है और वह सब कुछ देख चुका है या देख रहा है तो क्यों ना हम उसे अपने खेल में शामिल कर लें |
जितेश थोड़ा हैरान होता हुआ - यह क्या बकवास कर रही हो रीमा |
तीसरे के ख्याल से ही रीमा के मन कोने में एक रोमान्च सा पैदा होने लगा | वो वासना में पूरी तरह डूब चुकी थी |
जितेश की बेतहाशा चुदाई से वो मदहोश हो चुकी थी इसलिए अब उसका विवेक भी वासना के चश्मे से ही सब सोच समझ रहा था | तीसरे का ख्याल आते ही उसके दिमाग में नूतन घूम गयी | कैसे इतनी कच्ची उम्र में वो आराम से दो लंड को एक साथ चूस रही थी | कुछ तो अलग अहसास होता होगा जिससे मै अनजान हूँ | जिस अहसास को नूतन इतनी कच्ची उम्र में अनुभव कर चुकी है उससे मै अभी तक अनजान हूँ | रीमा को लगा नूतन उससे आगे कही निकल गयी जबकि वो कल की छोकरी है, नहीं मै कैसे पीछे रह सकती हूँ | कैसे कपिल एक साथ दो लडकियों बारी बारी से चोद रहा था | आखिर वो सब कर सकते है तो मै क्यों नहीं, मै तो उनसे हर मामले में बेहतर हूँ |उसके मन की दबी लालसाओ की परते खुलने लगी थी, उसके अन्दर की दबी रीमा अपने खोल से बाहर आकर इस रीमा को निगलने लगी |
उसने रिवर लॉज में एक साथ दो औरतें देखी थी और कैसे दोनों औरतें कपिल को सारा सुख देने को आतुर थी | जब 2 औरतें एक मर्द को सुख दे सकती हैं तो क्या एक औरत दो मर्दो को सुख नहीं दे सकती | रीमा अपने ही अन्दर के छिपे जंगली रीमा के आगोश में सामने लगी | अपने मन के उस कोने में झाकने लगी थी जहाँ जाने से वो हमेशा डरती थी | जब भी उसे वासना का बुखार चढ़ता तभी उसके मन के कोने की परते खुलती थी | रीमा अपने मन को टटोलने से झिझक रही थी | पता नहीं क्या निकल कर आ जाये वो उसके सामने हजार सवाल छोड़ जाये | ऐसे ख्याल उसे आते ही तब थे जब उसके अंदर की वास्तविक वासना जग जाती थी | उसे पता था अब वह वह नहीं रहेगी जो वह खुद थी वह कोई हो जाएगी | उसके मन के कोने में बैठी हुई थी उसी की अंतर्उमन की वासना का एक रूप जिसकी परछाई से बजी वो भागती रहती थी | उसके मन में बार-बार वही शब्द घूम रहा था मैं हाथ से काम चला लूंगा | रीमा के दिमाग में बस यही चल रहा था कि आखिर उसकी क्या गलती है | रीमा की ही एक प्रतिलिपि उसके असली रूप को ढककर उसके सामने आ गया | वासना में फडफडा रही रीमा को ये रूप ज्यादा सहज लग रहा था, जहाँ उसका मन एक तरफ़ा था न कोई प्रतिरोध न कोई बंधन | सब कुछ सोचने करने के उन्मुक्त आजाद |
हमारी चुदाई देख कर ही तो उसके मन में यह ख्याल आया होगा आखिर मेरे गोरे नंगे जिस्म को देख कर तो उसका लंड खड़ा हुआ होगा इसमें उसकी क्या गलती है दो औरतें एक आदमी को एक साथ वासना का नंगा नाच कर सकती हैं तो एक औरत क्या दो आदमियों को एक साथ खुश नहीं कर सकती |
उसकी गुलाबी चूत में लग रहे जितेश के लगातार लग रहे तेज दनादन धक्को ने उसे वासना के सागर में और गहरे तक डुबो दिया |
रीमा भीषण चुदाई से कांपती आवाज में बोली - जितेश मैंने एक बार देखा था कि 2 औरतें एक आदमी को एक साथ चोद रही थी |
जितेश हांफता हुआ - तो |
रीमा - तो एक औरत दो आदमी भी तो हो सकते है |
जितेश रीमा के शब्दों को समझता हुआ - क्या बकवास कर रही हो रीमा ऐसा कैसे हो सकता है | मतलब तुमने सोचा भी कैसे |
रीमा - गुस्सा मत हो जितेश मैं सिर्फ इतना कह रही हूं | आखिर उसकी क्या गलती है मेरे गोरे नंगे जिस्म को देख कर ही तो उसके अंदर की भावनाएं जागी है और उसका लंड खड़ा हुआ है तो क्या हम उसे इसी तरह से छोड़ दें उसी के हाल पर |
जितेश के बेतहाशा लग रहे धक्के रुक गए - वह मेरा एक तरह से नौकर है और मैं जो कहूंगा वह वही करेगा | उसके साथ मै तुम्हे . . . सोचकर ही मन कसैला हो जा रहा है | वो रीमा के चूत दाने को मसलने लगा | रीमा ने भी उसके ओंठो से अपने ओंठ सटा दिए |
उसे चुमते हुए रीमा बोली - तो क्या हुआ वह तुम्हारा नौकर है तो वह भी इंसान ना | फिर इस वासना के रिश्ते में कोई छोटा बड़ा नहीं | ये रिश्ता इंसानों की दुनिया से नहीं बनता | ये रिश्ता लंड और चूत की दुनिया का रिश्ता है, यहाँ इंसानों के नहीं लंड और चूत के नियम चलते है | मैं नहीं चाहती कि वह इस तरह से अकेला बेबस होकर . . . . . . . . . . . . . . . . . . . |
जितेश - तुम अपने होश में नहीं हो |
रीमा कामुकता से जितेश की तरफ देखती हुई - पता है वो इतना वफादार क्यों है क्योंकि बहुत छोटी सी चीज से भी उसे संतोष हो जाता है | वो सिर्फ इस बात से खुस है की वो मुझे देख पा रहा है, उसने इससे ज्यादा कुछ नहीं माँगा | वरना बड़ी बड़ी हवेलियों में घर के नौकर मौका मिलने पर हवेली की मालकिन के साथ साथ हवेली की बहुओं को भी चोद डालते है | जब चूत खुद सामने जांघे फैलाकर बैठी हो तो कौन उसे सिर्फ देखकर खुश होता है |
जितेश हांफता हुआ- तुमसे जीतना तो बहुत मुश्किल है | बताओ क्या करना चाहती हो |
जितेश के दनादन धक्के लगाकर अपने लंड को जिस वासना के सुरूर में डुबोया था वो चुदाई का चढ़ा सारा नशा फिर से उतरने लगा | उसका लंड रीमा की चूत से बाहर आ गया |
रीमा - मैं चाहती हूं तुम उसे यहां पास में बुला लो |
जितेश - फिर क्या करोगी |
रीमा - मुझे भी नहीं पता नहीं मैं क्या करूंगी | लेकिन मैं चाहती हूं जिस तरह से मैं तुम्हें सुख दे रही हूं, तुम पर अपना सब कुछ लुटा रही हूँ इसी लूट की छिटकन का ही वो मजा ले ले |
जितेश - कही तुमारा दिल उसके लंड पर तो नहीं अटक गया है | कही मेरे बाद उसे चोदने के लिए अपनी चूत तो नहीं दे दोगी |
रीमा खामोश रही | उसे खुद नहीं पता था वो क्या कर रही है फिर जितेश के सवाल का जवाब कहाँ से देती |
जितेश के अन्दर रीमा की बातो इर्ष्या घर कर गयी, आखिर रीमा सिर्फ उसकी है वो आखिर रीमा को उस नौकर के साथ नहीं नहीं ये नहीं हो सकता , उसने रीमा से वादा माँगा - मुझे लगता है मेरे बाद उसे अपनी चूत चोदने के लिए दोगी, पक्का है उसके लंड को देखकर तुमारी लार टपकने लगी है , तुमारी चूत की दीवारे फड़कने लगी | उसका लंड अपनी चूत में लेने के लिए उतावली हो रही हो | चूत को चोदने के लिए तो मुझे तो रात में लाखों कसमे वादे खिला रही थी | जनम जन्मान्तर की कसमे | अब उसके लंड को देखकर तुमारा मन बेईमान हो गया है | सच बोलो, उससे चुदने की ख्वाइश जग गयी है |
रीमा मजबूती से प्रतिकार करती हुई - नहीं |
जितेश - तो फिर क्या करोगी | जब उसे कोई दिक्कत नहीं है तो तुम उसको लेकर इतनी परेशान क्यों हो रही हो |
रीमा - मैं परेशान नहीं हो रही हूं मैं बस चाहती हूं जैसे मैं तुम्हें सुख दे रही हूं अपने हुस्न और जवानी का समुन्दर तुम पर लुटा रही हूँ उसकी कुछ बुँदे उसे भी मिल जाये |
अब तक रीमा के चूत दाने को मसल रहे जितेश के हाथ भी रुक गए |
जितेश - तुम न पागल हो गयी हो |
रीमा ने फिर से जितेश का हाथ अपने चूत दाने से सटा दिया - मै तुम पर इतना भरोसा करती हूँ की सब कुछ तुम्हे सौंप दिया, तुम इतना भरोसा नहीं कर सकते |
जितेश निरुत्तर हो गया | रीमा के जवाब के आगे उसे कुछ कहते नहीं बना |
रीमा ने जितेश का बाहर झूल रहा लंड अपनी चूत में घुसेड लिया | जितेश घूर घूर कर गिरधारी को देख रहा था |
जितेश - तो बतावो क्या करना है |
रीमा - अब तुम्हें कुछ नहीं करना है जो तुम्हें करना था तुम कर रहे थे और वही करते रहो |
जितेश - क्या ?
रीमा उसे चूमती हुई - मुझे चोदो न बेबी क्या इधर उधर की बातो में पड़े हो , जमकर कसकर चोदो न|
जितेश को अभी भी संतोष नहीं हुआ उसने पूछा - तुम क्या करने वाली हो |
रीमा - कुछ नहीं बाद मोरे राजा अब मुझे चोदो . . . . . कितनी देर से तडपा कर रखा है मेरी गुलाबी मखमली चूत को , और कितना तड़पावोगे, मेरी चूत तुमारे लंड की भूखी है सिर्फ तुमारे, इसीलिए ये सिर्फ तुमारा लंड खाएगी | अभी आगे और हमेशा, अब खुश |
जितेश उसे लेकर लुढ़क गया | रीमा नीचे हो गयी और जितेश ऊपर हो गया | जितेश ने रीमा की चूत में गहरे धक्के लगाने शुरू कर दिए | रीमा को चोदते चोदते वो दाहिनी तरफ को खिसकता चला गया |
इधर रीमा को बार बार देखकर बहुत तेजी से गिरधारी अपना लंड मसल रहा था | रीमा ने एक उंगली से इशारा करके उसे अपने पास बुलाया | पहली बार में वो रीमा का इशारा समझ नहीं आया लेकिन फिर तेजी से उठाकर रीमा के बेड के पास आ गया | उसके पास आते ही रीमा बेड पर तितली की भांति फ़ैल गयी | उसका एक स्तन जितेश बुरी तरह से मसल कर उसकी चूत पर अपने मुसल लंड की जोरदार ठोकरे लगा रहा था | रीमा के बदन की गर्मी फिर बढने लगी | इधर गिरधारी के पास आते ही रीमा ने उसके लंड को हलके हाथो से थाम लिया, और उसे मुठीयाने लगी | ये देख जितेश इर्ष्या से जल उठा, उसके अन्दर का मर्दवादी अहंकार जाग गया वो खुन्नस में रीमा को जोरदार धक्के मारने लगा जिससे रीमा का पूरा बदन हिल रहा था | रीमा के मुहँ से तेज कराहे निकलने लगी - आआअह्रीह्माह्ह आआआआआ ऊऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह्हह ओओओओओओह्ह्हह्ह्ह्ह बेबी आआआअह्ह बेबी | रीमा भी समझ गयी आखिर उसकी चूत पर इतनी तेज ठोकरे क्यों पड़ रही है | लेकिन उन्ही ठोकरे से उसकी चूत में ऐसी तरंग पैदा करी की रीमा वासना के समन्दर में और गहराई तक गोते लगाने लगी | उसके मुहँ से जितेश के हर धक्के की प्रतिध्वनि निकल रही थी | रीमा का जिस्म तेजी से हिल रहा था लेकिन उसने गिरधारी के लंड को कसकर हाथ में थाम रखा था | उसके लंड को मसलते मसलते रीमा ने अपने कांपते रसीले गुलाबी ओंठ उसके अंगारे की तरह जलते लंड के सुपाडे से सटा दिए | जितेश की तेज ठोकरे उसे हिलाए पड़ी थी इसलिए वो आसनी से उसके सुपाडे को आराम से नहीं चूस पा रही थी, कभी वो उसके अनुमान से ज्यादा घुस जाता, कभी तो वो उससे दूर हो जाती | रीमा के गुलाबी ओंठो का रसीला स्पर्श और गीली जुबान का खुरदुरा रोमांचकारी स्पर्श गिरधारी तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया | ये देखकर जितेश ने पूरी ताकत लगाकर रीमा की चूत में लंड पेल दिया | उसकी ठोकर से रीमा का बदन आगे की तरफ उछाल गया | ठोकर के लगते ही रीमा न चाहते हुए भी गिरधारी का आधा लंड घोंट गयी | गिरधारी का तो जैसे जैकपोट लग गया, रीमा जैसी हसीन औरत उसका लंड चूस रही है | उसके जीवन में ये किसी चमत्कार से कम नहीं था | वो बस रीमा जैसी गुलाबी गोरी अप्सरा के लंड चूसने के ख्याल से ही रोमाचित होकर उत्तेजना के चरम पर पहुँच गया था |
रीमा की चुताड़ो पर लगने वाली ठोकरों की कराहे अब रीमा के मुहँ में ही घुट जा रही थी | उसकी तेज सांसे उसे जल्दी ही मुहँ खोलकर साँस भरने को मजबूर कर देती |
रीमा के जीवन में ये पहला मौका था जब वो एक नहीं दो दो लंडो के साथ अपनी हवस बुझाने में जुटी थी | ये सोचकर ही उसकी चूत झरने लगी | दो लंडो का ख्याल ही उसे रोमांच की पराकाष्ठा पर पंहुचाये दे रहा था | रीमा के जिस्म के दो छेद और दोनों मुसल लंडो से भरे हुए | उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके जीवन में कभी कोई ऐसा मौका आएगा | एक लंड चूत पर दनादन ठोकरे मार रहा था और उन्ही ठोकरे से हिलता जिस्म दुसरे लंड को मुहँ के आगोश में अपने आप समेट दे रहा था | रीमा का बदन अब उसके काबू से बाहर जा रहा था | वो समझ नहीं पा रही थी वो कहाँ ध्यान लगाये | एक तरफ उसकी चूत में लंड पेलता जितेश, दुसरे उसके मुहँ में फिसलता उसके पालतू का लंड | गिरधारी भी पूरी तरह मदहोश था | जितेश गुस्से जलन और वासना से भरा हुआ और रीमा इनके बीच
मचलती उछलती अपनी ही कल्पनावो की दुनिया में चली गयी | दुनिया में कितनी औरते है जिन्हें एक साथ दो लंडो का सुख नसीब होता है | वो अन्दर से बहुत खुश थी और वासना में पूरी तरह मदमस्त थी | न अब वो दिमाग पर जोर लगा रही थी न उसे कुछ सोचना था | वो बस वासना के इस बहते तुफान में तैरती रहना चाहती थी | जितेश के धक्को से आराम से गिरधारी का लंड उसके मुहँ में अन्दर बाहर हो रहा था | गिरधारी की तो ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था | उसका हाथ अपने आप ही रीमा के स्तन की तरफ बढ़ा गया | लेकिन इससे पहले वो उसको दबोच कर मसलता, जितेश ने उसे अपने काबू में ले लिया | मायूस हो वो फिर से पीछे आ गया | तभी जितेश रीमा के ऊपर तक छाता हुआ उसे आकर चूमने लगा | रीमा के मुहँ से गिरधारी का लंड निकल गया | जितेश ने रीमा को अपने चुताड़ो पर जांघे सटाने को कहाँ और उसको अपनी बांहों में भर लिया | रीमा भी उससे चिपक गयी | जितेश रीमा का कसकर चोदने लगा |
इधर गिरधारी मायूस हो गया | आखिर कार रीमा जितेश की गिरफ्त से एक हाथ निकाल कर उसके लंड को मसलने लगी |
गिरधारी के चेहरे की ख़ुशी गायब हो गयी थी | इधर जितेश को भी रीमा को चोदते हुए बहुत देर हो गयी थी | बीच बीच में रूकावटो कारन वो अभी तक झड़ा नहीं था इसलिए इस बार लगातार चोद कर निपट जाना चाहता था | रीमा पूरी तरह से उसके कब्जे में थी और उसका लंड बेतहाशा उसकी चूत में दनादन जा रहा था | रीमा और जितेश दोनों की सांसे तेज थी |
जितेश रीमा को वैसा ही चोद रहा था जैसे वो चुदना चाहती थी लेकिन फिर भी वो खुद को खुद के अहसासों को, खुद की अतृप्त ख्वाइशो को, खुद के अरमानो को जितेश के उसकी चूत पर पड़ते धक्को से जोड़ नहीं पा रही थी | उसे कुछ कम सा लग रहा था | आखिर किस चीज की कमी है, सब कुछ तो वैसा ही हो रहा है जैसा वो चाहती थी | फिर उसके मन में इतना खालीपन क्यों है | इधर गिरधारी अब रीमा के बायीं तरफ खड़ा था | रीमा बाये हाथ से उसके लंड को मसल रही थी | रीमा जितेश की बाहों में थी जो दाहिनी तरफ को लुढका हुआ उसे अपनी बांहों में समेटे था | इसीलिए उसके उठे हुए मांसल बड़े बड़े चूतड़ गिरधारी की तरफ थे और उन पर लग रही ठोकरो से हिल रहे थे | पता नहीं क्यों लेकिन शायद जितेश रीमा के चुताड़ो को उठाकर गिरधारी को करीब से ये अहसास कराना चाहता था कि औकात में रहो | रीमा और रीमा का जिस्म सिर्फ उसका है और देखो कैसे मै रीमा की चूत को हचक हचक के चोद रहा हूँ | रीमा भी कितनी ख़ुशी ख़ुशी चुद रही है |
सब कुछ गिरधारी के इतना करीब हो रहा था कि उसका हाथ अपने आप ही रीमा के चुताड़ो पर चला गया | रीमा को जितेश ने दाहिनी करवट कर खुद से चीपका लिया था | उसकी जांघो को फैलाकर उसकी चूत त्रिकोण को खुद से चिपका लिया था | रीमा का चेहरा अब गिरधारी से उलट था | जैसे ही गिरधारी ने रीमाके चुताड़ो पर हाथ रखा जितेश ने रीमा को चोदते हुए आँखों से घुड़की दिखाई, जैसे कहना चाह रहा हो तुमारी मजाल कैसे हुई रीमा के गोरे नाजुक बदन को छूने की | रीमा सिर्फ मेरी है सिर्फ मेरी, उसे सिर्फ मै चोदुंगा बल्कि मै ही चोद रहा हूँ | वो भी देखो कैसे मेरी चौड़ी छाती से चिपकी चुद रही है | उसने गिरधारी के हाथ की हटाने की कोशिश की लेकिन इससे पहले वो रीमा के एक चूतड़ को अपने हाथ में ले चूका था | इधर रीमा के हाथ से उसका लंड कब का छूट चूका था इसलिए इसने झुकते हुए दोनों हाथो से रीमाके चूतड़ थाम लिए और उनकी मालिश करने लगा | जितेश कुढ़ कर रह गया | रीमा तो जितेश की चुदाई में पूरी तरह मदहोश हो गयी थी | जितेश रीमा को एक पल भी कुछ और सोचने का मौका नहीं देना चाहता था |
गिरधारी के लिए रीमा के मांसल गोरे बदन का स्पर्श ही उसके लिए किसी जन्नत से कम नहीं था | वो तो इसी खुसी में ही दोहरा हुआ जा रहा था | रीमा के चुताड़ो पर फिसलती उंगलियाँ उसके चुताड़ो की दरार सहलाती हुई , रीमा की चूत में जा रहे जितेश के मुसल लंड के बहुत करीब पहुँच गयी | गिरधारी को रीमा के चूतड़ बहुत अच्छे लग रहे थे | वो उन्ही की मालिश में मशगूल हो गया और उसकी उंगलियाँ रेंगते रेंगते रीमा के पिछली सुरंग के मुहाने पर पहुँच गयी | रीमा ने एक सिसकारी, इससे पहले गिरधारी कुछ और करता जितेश ने अपने दोनों हाथ रीमा के चुताड़ो पर चिपका दिए और उसके कसकर चूमकर चोदने लगा |
जितेश तेज सांसो के साथ - तुम्हे मजा आ रहा है न बेबी |
रीमा - बस ऐसे ही चोदते रही |
जितेश - मै तुमको मोटे मुसल लंड से गहराई तक चोद रहा हूँ, ऐसे ही तुम चुदना चाहती थी न बेबी |
रीमा - ऊऊऊऊफ़्फ़्फ़्फ़ बेबी हाँ बिलकुल ऐसे ही | बेबी बस ऐसे ही चोदते रहो |
जितेश को पता था उसने जरा सी भी ढील दी तो गिरधारी रीमा के चुताड़ो पर कब्जिज़ा जमा लेगा इसीलिए उसने रीमा को चोदते चोदते न केवल उसके दोनों चुताड़ो को अपनी हथेलियों में ले रखा था बल्कि एक उंगली उसकी कसी गांड में घुसाने लगा ताकि उसके चिकने चुताड़ो पर अच्छी पकड़ बने | जैसे ही उसकी उंगली रीमा की गांड की कसे छल्ले को चीरती हुई अन्दर गयी |
रीमा जोर से सिसक पड़ी - ऊऊऊऊऊऊऊओईईईईईईईईईईइम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्ममाआआआआआआ |
जितेश ने जोश जोश में दो बार उंगली और अन्दर तक घुसेड़ कर अन्दर बाहर कर दी | रीमा सिसक कर जितेश से कसकर लिपट गयी - ऊऊऊऊऊऊऊओह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह गॉड सिसिसिसिसीईईईईईईईईईईईईईईइ |
इतनी देर की दनादन चुदाई का मजा एक तरफ और ये किंकी अहसास एक तरफ | रीमा के चुताड़ो की घाटी में तो जैसे किसी ने राख में दबी चिंगारी भड़का दी हो |
पिछले सुरंग की वासना अब तक अधूरी थी और बस जरा सी हवा मिलते ही भड़क गयी | जो तड़प गार्ड के लंड ने अधूरी छोड़ दी थी वो फिर से जिन्दा हो गयी | इतनी देर की चुदाई में आखिर रीमा क्या मिस कर रही थी उसका जवाब उसे मिल गया | सब कुछ था उसकी चुदाई में, मोटा मुसल तगड़ा लंड, गहरे जोरदार धक्के, उसे चूमने चाटने सहलाने वाला मर्द, उसके उरोजो को मसलने वाले हाथ और उसे क्या चाहिए था यही पहेली बनकर उसके दिमाग में घूम रहा था | जितेश की चुदाई से रीमा पूरी तरह मदहोश हो गयी थी अब उसे कुछ होश नहीं था वो कहाँ है क्या कर रही है | उसे बस इतना पता था वो जितेश की बाँहों में उसके मुसल लंड के करारे धक्के के कारन उछल रही है |
गिरधारी की नजर से रीमा की सिसकारी नहीं बच पाई - बॉस मैडम की गाड़ में उंगली करो न उन्हें मजा आ रहा है |
गिरधारी इतनी गौर से रीमा को निहार रहा है ये देखकर जितेश दंग रह गया |
जितेश गिरधारी की बातो से किलस गया - चूप रह भोसड़ी के |
गिरधारी - बॉस करो न, देखो कैसे मैडम सिसकी थी |
रीमा भी चुदाई में पूरी तरह मदहोश - करो न बेबी |
गिरधारी का जोश बढ़ा - देखो अब तो मैडम भी कह रही है |
अपनी आँखों से गिरधारी को घुड़कता हुआ जितेश - दूर हट भोसड़ी के मादरजात |
रीमा की वासना अब उसे सब कुछ भूलकर इसी में डूब जाने को कह रही थी - बेबी करो न पीछे भी करो न |
जितेश - रीमा तुम होश में नहीं हो | तुम्हे खुद नहीं पता तुम क्या बकवास कर रही हो |
गिरधारी - अरे बकवास नहीं बॉस मैडम को पिछवाडी में ज्यादा मजा आ रहा है |
जितेश - तेरी आकर गांड मारू भोसड़ी के तब पता चलेगा पिछवाडी का मजा |
रीमा जितेश से चिपकी हुई उसके कंधे पर अंध मुदी आँखों में वासना के तैरते डोरे से मदहोश - एक बार कर दो न |
जितेश - तुम पागल हो गई हो |
रीमा - मैं पागल नहीं हो गई हूं, जब आगे इतनी देर किया है तो थोड़ा पीछे कर दो |
जितेश - तुम होश में नहीं हो |
रीमा - मैं होश में नहीं हूं लेकिन मैं चाहती हूं जितना मजा मुझे आगे आया है उतना ही पीछे भी दे कोई |
जितेश - ये तुम ऐसी बहकी बहकी बाते क्यों कर रही हो | एक तरफ तो इतनी नैतिकता और संस्कारों की बातें करती हो और दूसरी तरफ यह क्या है कौन सी दुनिया में चली गई हो |
रीमा - ये वासना की दुनिया है बेबी, बस ऐसे ही चोदते रहो, इसी चुदाई के लिए बहुत तड़पी हूँ मै | काश ऐसे ही कोई पीछे की खुजली भी थोड़ी सी मिटा देता |
गिरधारी - मैडम तो एक नंबर की चुद्द्कड़ है, मै कहता न ये पूरा खेली खाई हुई है | इतना चुदने के बाद भी कैसे बिन पानी मचली की तरह तड़प रही है | इसकी प्यास एक लंड से नहीं बुझने वाली |
गिरधारी का उत्साह देख जितेश - भोसड़ी सोचना भी मत वर्ना तेरी कुत्ते से गांड मरवाउंगा |
रीमा - जितेश बेबी तुम इतनी देर से मुझे चोद रहे हो, एक बात पूंछु |
जितेश - हाँ पूछो |
रीमा - तुम बस अपने काम पर ध्यान दो, जो कर रहे हो करते रहो | मेरी सब गुलाबी सुरंगों की गहराइयों में उतर कर मेरी प्यास बुझावो |
जितेश - वही तो कर रहा हूँ लेकिन सुरंगों का क्या . . . . . . . . . ?
रीमा ने बोलना जारी रखा - क्या लेकिन किन्तु परन्तु लगा रखा है | दुनिया क्या सभी औरते बस चूत में ही लंड लेती है | दुनिया में बहुत सी औरतें हैं जो एक साथ दो दो लंड के साथ खेलती है एक साथ दो लंड को अपनी सुरंगों में लेती है |
जितेश - ठीक लेकिन जो रात को कसमे खिलवा रही थी उसका क्या |
रीमा - मैंने तो अपना पूरा जिस्म तुम्हे सौंप दिया है जो लूटना है लुट लो, मैंने रोका है क्या, बस मेरी प्यास बुझा दो |
जितेश - तुम सच में होश में नहीं हो , तुमसे तो बात ही करना बेकार है|
रीमा - हाँ मै होश में नहीं हूँ और होश में आना भी नहीं चाहती हूँ | यह मेरे अंदर की वासना है और कुछ नहीं है, जब तक यह नहीं मिटेगी मै होश में नहीं आउंगी | मैं इसी वासना में तिल तिल पर जलती रहूंगी |
जितेश को लगा रीमा नहीं मानेगी | आखिर वो रीमा की चूत से लंड खीच कर बाहर निकाल लिया और उसके पिछवाड़े की खुजली मिटाने की तयारी करने लगा |
रीमा - ये क्या कर रहे हो बेबी | मेरी चूत से लंड क्यों निकाल लिया, मेरी चूत को चोदो न मै कितना तड़प रही हूँ |
जितेश कुछ समझ नहीं पाया फिर रीमा के काहे अनुसार जितेश ने बिना किसी सवाल जवाब के रीमा की चूत में लंड पेल दिया और ठोकरे मारने लगा | उसने अपने हाथ रीमा के चुताड़ो पर जमा दिए और सबसे बड़ी उंगली रीमा की पिछली सुरंग धँसता चला गया | रीमा सिसकारियां भरने लगी | इधर उसका लंड और पीछे उसकी उंगली एक साथ अन्दर बाहर होने लगे |
रीमा अपनी कमुकता के समन्दर में तैरने लगी - यस बेबी यस बेबी ऐसे ही चोदो मुझे | और जोर से चोदो, और कसकर चोदो बेबी, अन्दर तक चोदो | बड़ा मजा आ रहा है | बस ऐसे ही चोदते रहो |
जितेश - बेबी मजा आ रहा है और और जोर से चोदु |
रीमा - हाँ बेबी और जोर से चोदो | मसल कर रख दो मेरी चूत को कुचल कर रख दो मेरी चूत को |
जितेश और तेज धक्के लगाने लगा | जितेश पुरे रौ में था और कसकर रीमा को चोदकर जल्दी से अपने चरम को हासिल करना चाहता था | उसे भी लग रहा था थोड़ी देर उसने इसी तरह से रीमा को और चोदता रहा तो उसका लंड सफ़ेद लावा उगलने लगेगा |
इसी चक्कर में उसकी उंगली का रीमा की पिछली सुरंग में अन्दर बाहर होना रुक गया |
रीमा - बेबी पीछे भी करो न |
गिरधारी रीमा की चुदाई देखकर वही खड़ा खड़ा लंड मसल रहा था - मैडम उंगली से कुछ नहीं होगा, मोटा मुसल जब तक गांड में नहीं जायेगा इसकी खुजली नहीं मिटेगी |
जितेश अपनी रौ में था इसलिए उसने गिरधारी की बार पर गौर नहीं किया |
रीमा इतनी ज्यादा वासना में डूब चुकी थी कि गिरधारी जितेश का फर्क नहीं जान पाई - तो मोटा मुसल घुसेड़ कर इसकी खुजली मिटा दो न बेबी, किसने रोका है तुम्हे |
जितेश और गिरधारी ने क्या सही सुना, दोनों हक्के बक्के रह गए, नहीं शायद उनसे कुछ सुनने में गलती हुई है |
गिरधारी को यकीन नहीं हुआ - क्या कहा मैडम दुबारा बोलना |
रीमा - तो घुसेड़ दो न मुसल किसने रोका है | गिरधारी की तो जैसे बांछे खिल गयी | उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा | उसक लंड जोश में आकर झटके मारने लगा |
जितेश उसे टोकता हुआ - रीमा क्या बकवास कर रही हो तुम होश में तो हो न | उसने रीमा को कसकर झिझोड़ा |
इधर गिरधारी भाग कर गया और अपने पजामे से एक पुड़िया निकाल कर उसका पाउडर चाट लिया |
असल में वो कोकीन थी | गिरधारी का लंड भले ही मुसल हो लेकिन चुदाई करते वक्त बहुत ज्यादा देर तक नहीं टिकता था | उसकी पिचकारी जल्दी ही निकल जाती थी, ऐसा नहीं था की उसने कोई कमी थी लेकिन अपना अपना स्टैमिना होता है | एक बार जब वो रंडी चोदने गया था तो जल्दी निपटने के कारन रंडी उसे ताने मारने लगी थी और फिर उसी ने ये सफ़ेद पाउडर दिया था | शुरुआत में तो सिर्फ चुदाई के लिए चाटता था लेकिन धीरे धीरे उसे इसकी आदत हो गयी अब तो बस मजे के लिए भी चाट लेता था | तब से कोकीन की एक पुड़िया वो हमेशा अपनी जेब में रखता था | उसने देखा था कैसे रीमा जितेश से जोर जोर से चुदाई की मांग कर रही थी, जबकि जितेश अपनी फुल स्पीड में रीमा को चोद रहा था | जब बॉस की चुदाई से मैडम के जिस्म की आग न बुझ रही तो मै किस खेत की मुली हूँ | गिरधारी ने अपने मन ही मन में सोचा - लगता है मैडम की चुदास बहुत तगड़ी है | जब बॉस के चोदने से इसकी चूत की गर्मी कम नहीं हो रही तो मेरी क्या बिसात है | इसीलिए उसने कोकीन चाट ली | उसने कुछ ज्यादा ही कोकीन चाट ली |
इधर जितेश रीमा को सही गलत समझाने में लगा हुआ था इसी बीच गिरधारीको कोकीन चाटता उसने देख लिया था | इसलिए वो आखे तरेरने लगा था | रीमा को भूल जितेश अपने अहम् और इर्ष्या में घिरकर रह गया |
गिरधारी को उसने अपनी तरफ बुलाया | गिरधारी उसके पास आते ही कान में फुसफुसाया - बॉस आज इस रेस में तो आपको हरा के ही मानूंगा |
जितेश - साले औकात भूल गया |
गिरधारी - तभी तो बोल रहा हूँ, आज आपको हराने के बाद ही बिस्तर से उतारूंगा | मैडम की सारी खुजली मिटा दूंगा |
जितेश को पता था गिरधारी चुदाई में उसे हराने की बात कर रहा था | वैसे भी उसके पास एडवांटेज था | जितेश इतनी देर से रीमा को चोद रहा था इसलिए उसका पहले झड़ना स्वाभाविक था जबकि गिरधारी ने तो अभी शुरुआत भी नहीं करी थी |
जितेश उसके बाल पकड़ कर अपनी तरफ खीचता हुआ - साले मै पिछले आधे घंटे से जो इस रेस में दौड़ रहा हूँ वो | तू बार बार हमारी चुदाई में उंगली न करता तो अब तक रीमा मैडम की गुलाबी चूत मेरे सफ़ेद गाढे लंड रस से लबालब भरी होती |
गिरधारी - बहाने मत बनावो, आज तो आप हारने वाले वो |
इससे पहले गिरधारी सतर्क हो पाता | जितेश ने उसके गले की हसुये में दो उंगली गडा कर उसकी मुट्ठी खोल ली और उसकी कोकीन की पुड़िया छीन ली और उसमे का पाउडर चाट लिया | उसे एक झटका सा लगा, जैसे नीद से जगा हो | उसकी थकावट एक नए जोश और फुर्ती में बदल गयी | जितेश वैसे भी गिरधारी से अन्दर से कुढा बैठा था | रीमा के आगे उसका बस नहीं चला वरना रीमा को चोदना तो छोड़ो छूने तक नहीं देता | जब उसे लगा गिरधारी ने कोकीन सिर्फ इसलिए ली है ताकि वो उसे ज्यादा जोर जोर से और देर तक चोद सके और रीमा की नजर में तारीफ हासिल कर सके | तो उसके अन्दर की इर्ष्या चरम पर पहुँच गयी | रीमा उसकी थी और उसे कोई उससे ज्यादा देर तक चोदे ये उसे कैसे बर्दास्त होता | उसने भी कोकीन चाट ली |
गिरधारी - बॉस ये चीटिंग है |
जितेश - जो तू कर रहा था वो चीटिंग है | साले दम है तो असली जिस्म के ताकत से चोदकर दिखा | ये नशा क्यों करता है |
जितेश ने पहली बार कोकीन सूंघी थी | हालाकि उसकी दीदी की छुटकी ने उसे टॉफी के साथ खूब अफीम चटाई थी, लेकिन वो बहुत पुराणी बात थी | उसके थके जिस्म में जान आने लगी |
जितेश के झिझोड़ने के बाद रीमा अपने वजूद में लौटी लेकिन तब तक देर हो चुकी थी | रीमा को उन दोनों के बीच चल रही नुरा कुश्ती से कोई मतलब नहीं था | वो अपने ही कहे गए शब्दों के सदमे में थी | आखिर उसने क्या कह दिया | वासना के गहरे सागर में गोते लागते हुए भी उसके कान सुन्न हो गए, क्या सच में उसने ही ये कहा है | अपने ही शब्दों को सोचकर वो जड़ सी हो गयी | वो खुद को कोरी गांड मराने के लिए किसी अनजान को बुला रही है | वो उसकी कोरी करारी गांड और जिस्म दोनों की दुर्दशा करेगा | एक बार उसका लंड घुसा नहीं की फिर वो उस आदमी के हाथ की लौड़ी बन जाएगी | बिलकुल सड़क छाप रंडी बनाकर उसकी गाड़ बजाएगा वो | हाय क्यों मै अपने ही जिस्खिम की दुर्रदशा करने पर उतारू हूँ | कोई खुद का सम्मान है यां नहीं उसकी वासना इतनी गहरी है, क्या उसे इस कदर जलील करेगी | उसके खूबसूरत जिस्म की ऐसी की तैसी करवाएगी |
उसकी वासना की भूख को वो बस दुसरे के हाथो का खिलौना बनकर रह जाएगी | क्या फर्क पड़ता है रीमा, ये तड़प हमेशा के लिए बुझ जाएगी | अभी कौन तेरी आरती उतार रहा है | अभी भी की हाथ की लौड़ी बनी उसकी बाहों में ही झूल झूल कर चुद रही है | फिर क्या फर्क पड़ता है दो बांहों की जगह चार हो जाएगी, एक लंड की जगह दो हो जायेंगे | एक भले दो, जल्दी से ये तड़प ख़त्म होगी | इस प्यास के लिए किस हद तक जावोगी रीमा, इस वासना को मिटाते मिटाते तुमारा खुद का वजूद ख़त्म हो जायेगा | ये वासना नहीं थी ये पाशविक वासना थी | रीमा की अंतर्मन का वो पहलू जो शायद उससे भी अनछुआ था | ये पाशविकता नहीं तो और क्या थी, एक लंड एक चूत में एक गांड में एक साथ | ये कामुकता का वहशीपन था | क्या करू इसी आग में जलती रहू, लेकिन ऐसे सड़क चलते किसी को अपने जिस्म की गहरइयो में उतार लेना कहाँ तक सही है | रीमा को अपने शब्दों पर पछतावा होने लगा लेकिन तीर तो कमान से निकल चूका था | पता नहीं कौन सी जिद थी, नहीं अब पीछे नहीं हटूंगी | जो भी होगा देखा जायेगा |
जितेश रीमा के फैसले से सन्न रह गया | उधर गिरधारी की तो जैसे लाटरी खुल गयी हो |
जितेश कोकीन चाट कर तरोताजा हो गया था, फिर भी जितेश रीमा को रोकना चाहता था - रीमा एक बार फिर सोच लो . . . |
रीमा उसकी बात काटती हुई - बस जितेश मै अब और कुछ नहीं सुनना चाहती हूँ, तुम ठीक से मेरी चूत को चोदो इतनी देर से चोद रहे हो और मेरी चूत की प्यास तो मिटा नहीं पाए | मेरे पुरे जिस्म का ठेका लेने चले हो |
रीमा ने जितेश को ललकार दिया था | जितेश को भी रीमा पर गुस्सा आ गया |
गिरधारी तो जैसे को जैसे इसी पल का इंतजार था उसने बिजली की तेजी से अपने लंड को मसलते हुए बेड पर पहुँच गया |
रीमा वैसे भी दाहिने करवट लेटी जितेश की बांहों में थी | गिरधारी रीमा के पीछे जाकर लेट बैठ गया |
रीमा बोली - मेरे पीछे आ जाओ |
उसके बाद रीमा एक हाथ से पीछे करके उसके लंड को लार से भिगोकर सानने लगी | गिरधारी को तो जैसे जन्नत मिल गई हो तो सपने में भी नहीं सोचा था कोई इस तरह से इतनी खूबसूरत औरत का पिछवाडा बजाने का सौभाग्य उसे मिलेगा | जितेश रीमा से वैसे भी गुस्सा था ऊपर से गिरधारी से थोड़ी सी जलन होने लगी थी हालांकि वह रीमा के कहे अनुसार उसकी चूत में फिर से लंड पेलने लगा लेकिन वह गिरधारी को लेकर थोड़ा सा असुरक्षा महसूस कर रहा था | क्योंकि गिरधारी एक तो उसका नौकर जैसा था दूसरे रीमा उसके सपनों की मलिका थी और उसे अपनी खुली आँखों के सामने सपनों की मल्लिका को अपने नौकर के साथ शेयर करना पड़ रहा था | उसे लगता का रीमा अब सिर्फ उसकी है, रीमा के जिस्म पर सिर्फ उसका हक़ है | रीमा की जवान और हुस्न लुटने का अधिकार सिर्फ उसका है | रीमा के जिस्म से जिस तरह से वह भोग रहा था यह चीज उसे अखर रही थी | अपने ख्वाबो की मल्लिका को कोई हाथ नहीं लगाने देता यहाँ तो उसी का नौकर उसकी के साथ उसके सपनो की रानी के जिस्म की सबसे नाजुक और कसी कोरी गुलाबी सुरंग का सफ़र तय करने जा रहा था | गिरधारी रीमा की गांड मारने जा रहा था यही सोचकर उसकी छाती पर सांप लोट रहे थे | इसे रात में ही क्यों न भाग दिया कम से कम ये सब तो नहीं देखना पड़ता | साला मेरी बराबरी करेगा इस मादरजात की इतनी औकात हो गयी | पता नहीं रीमा को कौन सा नशा हो गया है अपनी दुर्गति करवाने पर तुली है, आखिर कर भी क्या सकता हूँ जब कुछ सुनने को राजी ही नहीं है | बेटा जितेश अपनी चूत पर फोकस करो बाकि रीमा का जिस्म है वो जाने |
आखिर रीमा की जिद के आगे क्या कर सकता था वह बस चुपचाप अपने सिर को रीमा के उठी हुए उन्नत नुकीली छातियों में धंसाकर उसके छातियों का रस पीने लगा और उसको बेतहाशा चोदने लगा था | इधर रीमा ने ढेर सारी लार से गिरधारी के लंड को भिगो दिया और फिर अपनी गांड के छेद को लार से नम करने लगी |
गिरधारी तो बस रीमा के मांसल चुताड़ो को चीरता हुआ उसकी गांड में अपना लंड घुसेड़ देना चाहता था | जितेश को रीमा की फिक्र थी | वो गिरधारी के स्वभाव को भी जानता था |
जितेश - मैडम आपको बहुत तकलीफ होगी |
रीमा - तकलीफ तो हर औरत को होती है और इस तकलीफ से कहां तक डरूंगी | जवानी की दहलीज से ही दर्द की शुरआत हो जाती है | हर महीने एक बार तो वो दर्द आता ही है | जब पहली बार चुदती है तब भी तो दर्द होता है | जब नौ महीने तक दर्द नहीं होता तो ऐसा दर्द होता है की जान निकल जाती है | औरत की जिंदगी ही दर्द से भरी है |
जितेश - फिर भी पहली बार मैडम एक साथ दो लंडो को घोटना | फिल्मो की बात अलग है लेकिन हकीकत में तो यह बहुत तकलीफ दे होता है |
रीमा के वासना के नशे के आवेग में ऐसे डूबी हुई थी की जितेश की हर सही बात उसे टोकाटोकी लग रही थी - हां जानती हूँ तकलीफदेह होता है लेकिन लंड मुझे घोटना है और गाड़ तुमारी क्यों फट रही है |
गिरधारी रीमा की गांड के गुलाबी छेद पर अपना सुपाडा रगड़ने लगा | उसकी तो जैसे जन्नत की लाटरी निकल आई हो | उसके लिए तो जैसे कोई अप्सरा खुद ही अपना जिस्म उसे सौंप रही हो | रीमा की लार से उसका लंड और गांड के कसे छल्ले का बाहरी इलाका पूरी तरह गीले थे | जितेश तेजी से अपने सिरहाने की तरफ लपका और वैसलीन की डिबिया उसकी तरफ फेंकते हुए - ये ले इसे मल दे छेद पर, रीमाँ मैडम की गांड में क्या सुखा लंड पेल देगा | मैडम की सुखी कसी गांड तेरे लंड की खाल उतार लेगी | बहुत किस्मत वाला है अपनी किस्मत पर नाजकर कि तुझ जैसे लीचड़ को स्वर्ग की अप्सरा खुद अपनी गांड का छेद खोलने को आमंत्रित कर रही है |
रीमा झुंझलाती हुई - ओफ्फ्फ तुम लोग मुझे चोदना क्या तब शुरू करोगे जब मेरी सारी हवस का नशा उतर जायेगा |
जितेश - मैडम आपकी सहूलियत का इंतजाम कर रहा था | अब बस बेतहाशा चुदोगी ही | चीखों चिल्लाओ हाथ पाँव पटको , अब तो गाड़ी एक्सप्रेस ट्रेन की तरह दौड़ेगी | कितना भी रोकने की कोशिश करोगी रुकने वाली नहीं है |
रीमा को लगा वो नाराज है - तो दौड़ा दो न अपनी ट्रेन, कितना भी चीखू चिल्लाऊ रोकना मत अपनी एक्सप्रेस चुदाई को |
जितेश - नहीं ही रुकेगी | आज आपको पता चलेगा दो लंडो की असली ठुकाई क्या होती है |
गिरधारी - सही कहा बॉस, आज मैडम को दोनों तरफ से जमकर बजाते है देखते है कौन जीतता है |
जितेश - साले तू बहुत उछल रहा है भोसड़ी के |
गिरधारी ने कसकर ढेर सारी वैसलीन अपने लंड पर मल ली और उंगली से रीमा की पिछली सुरंग का मुहाना भी चिकना बना दिया |
तब रीमा की गांड का मुहाना अच्छे से चिकना हो गया | गिरधारी अब पूरी तरह से रीमा के पीछे आ गया था |
जितेश का लंड रीमा की चूत में अच्छे से धंसा हुआ था |
रीमा और जितेश का चेहरा आमने सामने था | जितेश की ख़ामोशी रीमा ने पहचान ली - नाराज हो |
जितेश - नहीं तो |
रीमा - मुझे ये मानकर चोदो की वो यहाँ है ही नहीं, बस तुम हो और मै, बस मै | मेरी इस तकलीफदेह सफ़र के तुम्ही साथी हो | जब गिरने लगु तो थाम लेना | रीमा ने उसके ओंठो से अपने ओंठो को सटा दिया |
जितेश का गुस्सा तो जैसे छु मंतर हो गया | उफ़ ये औरत भी क्या बला है | फिलहाल अब गुस्सा प्यार में बदल गया था | जितेश ने हकीकत स्वीकार कर ली थी लेकिन गिरधारी को स्वीकार कर पाना उसके लिए संभव नहीं था | अब दो लंडो की ठुकाई पेलाई में रीमा का कचूमर निकलने पर उसे ही उसको संभालना था |
जितेश ने रीमा को खुद से चिपका लिया था, कसकर चिपका लिया था | रीमा को भी पता था ये सफ़र चूत की चुदाई से इतर तकलीफदेह होता है | रीमा ने भी अपनी जांघे जितेश की कमर पर फंसा दी | इधर पीछे गिरधारी ने अपने तने हुए मोटे लंड को रीमा की कसी हुई गांड के कसे हुए छल्ले पर लगाया और अंदर की तरफ टहलने लगा | रीमा की गांड के मुहाने की कसावट फौलादी थी | एक उंगली को तो उसकी गांड का गुलाबी छल्ला कस कर जकड़ लेता था यहाँ तो मुसल लंड | गिरधारी को रीमा की तकलीफ से ज्यादा कुछ लेना देना नहीं था | वो तो बस रीमा की गांड मराने के ख्याल से ही पगलाया हुआ था | जितेश रीमा को हलके हलके धक्के मार रह था | इधर गिरधारी तो बौराए आदमी की तरह अपने लंड को रीमा की गांड में पेलने की कोशिश करने लगा | गिरधारी ने पूरा जोर लगाकर लंड ठेलने की कोशिश करने लगा लेकिन रीमा की गांड का फौलादी छल्ला टस से मस नहीं हुआ | ये अलग बात है इस भीषण हमले से रीमा की गांड से उठा एक तीखा दर्द उसके चुताड़ो, जांघो को कांपता उसकी पिंडलियों को हिलाता हुआ उसके बदन में तैर गया |
रीमा के मुहँ से दर्द भरी कराह निकली - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ममामममामआआआआआआआआआआआअ |
रीमा की चुताड़ो की घाटी में एक तीखा सा दर्द उसकी टांगो को कंपाने लगा | रीमा ने मुहँ से ढेर सारी लार निकाली और अपने गांड के मुहाने पर मल दी | उसके बाद रीमा ने उसको बोला अब वह उसके गांड पर अपने मुसल लंड को सटाए | उतावले गिरधारी ने फिर से ठोकर लगायी और उसका लंड रीमा की गांड पर से फिसलता हुआ जितेश के लंड से जा टकराया जो हौले हौले लंड पेल कर रीमा की चूत की मालिश कर रहा था | तीसरी बार भी उसने कोशिश करी लेकिन कुछ नहीं हुआ उसका लंड रीमा की गांड के छेद से फिसल गया था |
रीमा को खुन्नस आ गयी - गांड मारने से पहले सुपाडा तो घुसा लो | अनाड़ी बनकर नौटंकी करनी है तो मेरे ऊपर से उतर जावो |
गिरधारी जोश में उचलता हुआ - मैडम इतनी खूबसूरत गांड मारना तो दूर छूने को नहीं मिली है | क्या करू मै तो खुसी से पागल हो जाऊंगा |
रीमा - गांड में लंड घुसा रहा मादरचोद मजाक नहीं चल रहा है यहाँ, साले भोसड़ी के तुझे मै यहाँ क्या हंसी ठिठोली के लिए लेती दिखाती हूँ | थोड़ी ताकत लगा तभी मेरी में गांड अन्दर जायेगा तेरा लंड |
गिरधारी - ज्यादा जोर से करूंगा तो आपको दर्द होगा |
रीमा - तो होने दो दर्द, गांड मेरी चीरेगी, तेरी क्यों फट रही है , पहले घुसावो तो सही | जो होगा बर्दास्त कर लूंगी |
जितेश के लगातार चोदने से रीमा के बदन में गर्मी बरकरार थी और उसकी वासना भी एक नए लेवल पर पहुँच गयी थी |
गिरधारी ने पूरा जोर लगाकर लंड को ठेल दिया | रीमा की गांड की दीवारों पर जबरदस्त दबाव पड़ा | रीमा दर्द से बिलबिला गयी लेकिन वासना की गर्मी तीखे दर्द के ऊपर हावी हो गयी | रीमा की पिछली सुरंग का छेद टाइट था | रीमा की गांड का छेद बहुत टाइट था इसके बाद गिरधारी ने अपने लंड पर पूरा जोर भींच दिया और रीमा की गांड का फौलादी छल्ला फैलता हुआ गिरधारी के लंड के सुपाडे के लिए जगह बनाने लगा |
गिरधारी में सब्र नहीं था वो जल्द से रीमा की पिछली सुरंग की पनाहगाह हासिल करना था | उसने जोर से ठोकर मारी और उसका रीमा की गांड के छल्ले को चीर कर अन्दर घुसता लंड फिसल कर जितेश की गोलियों पर लगा जाकर |
रीमा बहुत तेज दर्द से बिलख उठी – आआआआआऐईईईईईईईईईई मम्मामममैईई आआआआआ ईईईईईईईईईई ग्घ्ह्हह्ह्हह्ह आः ऊऊ आया ऊ ईईईईईईईईईईईइ |
रीमा की चूतड़ की घाटी में इस ठोकर के लगने से एक तीखा सा चीर कर रख देने वाला दर्द उठा | रीमा कराह उठी उसके चेहरे पर दर्द भरी लकीरे तैर गयी |
जितेश ने गिरधारी को एक झापड़ रसीद कर दिया | लंड घुसेड़ने की तमीज नहीं है भोसड़ी के और गांड मारने चला है | इस बार अगर तेरा लंड मुझे कही छुआ भी तो छुरी लेकर यही निपटा डालूँगा | इसको जड़ से पकड़ गधे और जोर डालकर पहले अन्दर घुसेड़, मैडम की गाड़ बाद में मारना |
रीमा भी दर्द से कराहती हुई बोली - पहले अपने लंड को मेरी गाड़ में तो घुसेड़ सही | अपने लंड को कसकर पकड़ और धक्के मारने की बजाय अपनी कमर का जोर लगा कर पहले मेरे गांड के छल्ले की चौड़ा कर अपने लंड के लिए जगह तो बना | जब तक तेरा लंड का सुपाडा मेरी गांड में घुसयेगा नहीं मेरी गांड में पेल कर मेरी गांड की खुजली कैसे मिलाएगा | धक्का नहीं लगाना सिर्फ सटाकर कमर का जितना जोर सारा लगा दो |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |
इस बार गिरधारी ने झटका नहीं लगाया बल्कि अपनी कमर का पूरा जोर अपने लंड पर डाल दिया | रीमा की गांड के छल्ले पर उसके सुपाडे का पूरा जोर लगाया , गिरधारी के लंड को रोकने के लिए रीमा के गांड के छल्ले ने बहुत कोशिश करी लेकिन गिरधारी की ताकत के आगे फ़ैल हो गया | रीमा की गांड की सख्त मांसपेशियां में इतना भीषण दर्द उठा जैसे लगा किसी ने चाकू से काटकर दो टुकडे कर दिए हो | ऐसा लगा जैसे किसी ने उसकी गांड में अन्दर तक नस्तर घुसेड के चीर दिया हो | रीमा की पिछली सुरंग का मुहाना खुल गया | रीमा के छल्ले का सारा प्रतिरोध धरा का धरा रह गया | उसकी गांड के मुहाने में भीषण जलन और दर्द होने लगा | रीमा की गांड का छल्ला अपनी पहरेदारी की नाकामी का वो तीखा दर्द लाया की रीमा क आँखों से आंसू लुढकने लगे | गांड के छेद को चारो ओर से घेरे छल्ले के खुलते ही रीमा को भीषण दर्द का अहसास होना शुरू हो गया | रीमा को जितेश बुरी तरह से अपनी बांहों में जकड़े था | रोहिणी और गार्ड के साथ हुए दर्द से ये दर्द ज्यादा तीखा था क्योंकि गिरधारी का लंड काफी मोटा था | उसने रीमा के गांड के छल्ले की फौलादी कसावट मटियामेट करके रख दी थी | रीमा के गांड के पहरेदार की शाहदत का दर्द रीमा को सर से लेकर पैर तक उसके जिस्म के रोम रोम में हो रहा था |
रीमा बहुत तेज दर्द से चीखने लगी – आआआआआऐईईईईईईईईईईऊऊऊऊऊऊ आआआआआ ईईईईईईईईईई ग्घ्ह्हह्ह्हह्ह आः ऊऊ आया ऊ ईईईईईईईईईईईइ, माआआआअररररररररररररर गाआआआआईईईईईईईईईईईईईईई दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |
जितेश बोला - रुक मत गिरधारी | आखिरकार रीमा ने भी तो यही बोला था | गिरधारी ने रीमा की गांड के छल्ले में फंसे अपने सुपाडे को पीछे खीचा और अपनी कमर का सारा जोर फिर से लंड पर डाल दिया | उसका लंड रीमा के छल्ले को और आगे तक चीरता हुआ उसकी गांड की गुलाबी सुरंग में धंसने लगा |
रीमा इस नए हमले के दोहरे दर्द के साथ फिर चीख उठी आआआआआआआआआआआअराराराराराराराराम्म्म्मममममममममममम स्स्से | ऊऊऊऊऊउईईईईईईईईईइ ममामाममामा ईईईईईईईईई माआआआआआअरररररररररररररररररररररररर डाडाडाडाडाआआआआअलालालालालाल |
रीमा को इस तरह दर्द से कराहता देख एक बार को गिरधारी सहम गया | जितेश -रुकना मत, वरना तेरी खैर नहीं भोसड़ी के |
गिरधारी ने फिर से लंड खीचा और पूरा जोर लगाकर रीमा कि कसी गांड में पेल दिया | रीमा की कसी गाड़ के मुहाने से रगड़ता खाता लंड बुरी तरह से उसकी सुरंग की जकड़न को चीरता हुआ आगे बढ़ने लगा |
एक के बाद एक लगातार तीन नए हमलो से रीमा की जान निकल गयी | इस नए तिहरे दर्द से रीमा बिलबिलाकर रह गयी - चीचीचीचीईईईईईईईईईईईइ रररररररररररररररररररररररररर डाडाडाडाडाआआआआ अलालालालालाल आआआआआऐईईईईईईईईईईइ ममामामामामामाममरररररररररररररररररररररररर गाआआआआआआआआआयियियियियियीय |
फाफाफाफाफाफाफाफाफाफाफाड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ डाडाडाडाडाडाडाडालीलीलीलीलीलीली मेरी गाड़ | हहहहहह्हहहहह्रिरीर्रीरिरिरिरिरीर मर गयी मै ममामाममामा ईईईईईईईईई |
रीमा की आँखों से आंसू झरने लगे | वो दर्द से दोहरी हो गयी | खुद की मुट्ठियाँ भींच कर दर्द को बर्दाश्त करने लगी | रीमा की कमर खुद बखुद आगे को खिसक गयी | रीमा गिरधारी से दूर जितेश से चिपकने लगी | , गिरधारी का सुपाडा रीमा की गांड के छल्ले की कसी जकड़न से आजाद होकर बाहर आ गया | रीमा की गांड चीरने का दर्द इतनी तेज था की उसके आँखों से आंसुओ की धार अपने आप बह चली | जितेश की सख्त जकड़न में भी रीमा अपने पैर पटकने लगी | रीमा की चूत में पहले से ही लंड धंसा हुआ था | गिरधारी ने रीमा को अभी भी नहीं छोड़ा, वो आगे खिसककर रीमा की गांड में फिर से लंड घुसेड दिया | जैसे ही जरा सा लंड रीमा की गांड में घुसा , वो एक पतली गुलाबी दीवार के अंतर से जितेश के लंड से रगड़ खाने लगा | इधर रीमा की बुरी हालत थी | अभी तक उसकी गांड का छेद पूरी तरह नहीं खुला था | इतना मोटा लंड उसे गांड में नहीं लेना चाहिए था | हलके सामान्य आकर के लंड में शायद उसे इतनी तकलीफ नहीं होती | गिरधारी की कमर का पूरा जोर उसके लंड पर ही पड़ रहा था | भीषण तीखे दर्द के के बावजूद इंच डर इंच आधा लंड गिरधारी ने रीमा की गांड में घुसेड दिया |
जितेश ने कसकर उसे थामे रखा |
रीमा - आआआआआआआआआआआईईईईईईईईईइ प्लीज निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज, मर जाउंगी मै | रीमा रोने लगी |
जितेश - घुसा हुआ लंड तो बाहर नहीं आएगा . . . मैडम रीमा जी कितना भी हाथ पाँव पटको |
जितेश गिरधारी से - रुकना मत भोसड़ी के, मैडम की गांड का अच्छे से बाजा बजाना है चूत और गांड की सारी खुजली मिटानी है |
गिरधारी - जी बॉस जैसा हुकुम |
उसके अन्दर भरी इर्ष्या और उसके अहम् को पहुंची ठेस अब अपने को संतुष्ट कर रही थी | एक तरफ वो गिरधारी को उकसा रहा था, ताकि दर्द सर तड़पती रीमा की नजरो में वो उसको विलेन बना सके और उस दर्द में उसे थामकर रखने से खुद को उसकी नजरो में हीरो साबित कर सके | जितना दर्द से रीमा तद्पेगी उतना वो जितेश पर निर्भर होगी |
जितेश उसके चूमने लगा उसे खुद के सीने से चिपका लिया, उसके स्तनों को मसलने लगा | जितेश को अहसास था, एक तो उसकी अधखुली गांड का कसा छल्ला उपर से दोहरे लंड और दोनों मुसल के मुसल, रीमा की हालत खराब होनी ही थी | जितेश को भी लगा अपनी रफ़्तार कम कर लेनी चाहिए वरना रीमा की हालत और ख़राब हो सकती है | हालत तो उसकी वैसे भी ख़राब होनी है उसने अपनी ये हालत खुद चुनी है | रीमा के जांघो के बीच की दोनों सुरंगों में दो मुसल लंड धंसे हुए थे | रीमा की आँखे आसुओं से भरी थी, चेहरा दर्द से भरा था और उसका जिस्म इस नए हमले से दहशत से भर गया था | उसके जिस्म ने ऐसा कुछ पहले कभी अनुभव नहीं किया था | जितेश ने रीमा को चूमना शुरू कर दिया ताकि उसकी दर्द भरी कराहे उसके मुहँ में ही घुट कर रह जाए |
जितेश - बस बस हो गया मेरी रीमा जान, बस अब इससे ज्यादा कुछ नहीं होना, खुद ही देख लो पूरे सुपाडे के साथ आधा लंड घोंट गयी है | अब बिलखना बंद करो, अब तो हो गया जो होना था | दो दो मुसल लंड घोंट लिए एक साथ अब और क्या बचा | अब तो बस मजे लुटने का टाइम है | गिरधारी बस नाम को कमर हिला रहा था |
जितेश - गिरधारी ऐसे मरेगा मैडम की कसी गांड | थोड़ा कमर पर जोर लगाकर हिला |
गिरधारी - मैडम को दर्द हो रहा है |
जितेश - अबे चुतियानंदन मैडम की गांड मार रहा है मालिश नहीं कर रहा है, दर्द तो होगा ही आखिर गांड मरवा रही कोई बालो में कंघी नहीं करवा रही है , मजे भी तो यही लूटेगी | जितना जयादा जोरदार तरीके मैडम की गांड बजाएगा उतनी जल्दी इसका दर्द दूर भागेगा | चल मैडम को बजाना शुरू कर, उनकी गांड मारना शुरू कर |
रीमा तो जैसे कुछ सुन समझ पाने की हालत में ही नहीं थी | जितेश की बातो का रीमा पर कोई असर नहीं हो रहा था | उसे लग रहा था वासना के जोश में आकर उसने गलती कर दी | रीमा को दर्द से ही होश नहीं था, उसकी आँखों से झर झर आंसू फुट रहे थे | वो दर्द के कारन रोये जा रही थी | बार बार गिरधारी से लंड को बाहर निकालने की गुहार कर रही थी | गिरधारी बार बार जितेश की तरफ देखता | जितेश तो गिरधारी को और भड़का रहा है |
जितेश उसे थामे वैसे ही लेटा रहा पीछे गिरधारी रीमा के जिस्म से चिपका कमर हिलाता रहा | रीमा की गाड़ का मुहाना जलन और दर्द से जलता रहा, जैसे ही लंड जरा सा आगे पीछे होता रीमा की चुताड़ो की घाटी तीखे दर्द से नहा जाती | जितेश थमा हुआ था लेकिन उससे रीमा का दर्द कम नहीं हुआ | जितेश ने रीमा का हाथ उसके चूत दाने पर रखा लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ | जितेश ने ही फिर रीमा के चूत दाने को मसलना शुरू कर दिया | काफी देर तक उसे चूमता सहलाता रहा और दोनों के दोनों लंड उसकी दो गुलाबी सुरंगों में गुसेड़े उसे थामे रहा |
इसके बाद उसने गिरधारी को रीमा की गांड को लंड आगे पीछे करकर मारने का इशारा कर दिया, अब तक बस गिरधारी की हिलती कमर के कारन रीमा की गांड का छल्ला उसके लंड के साथ आगे पीछे हो रहा था लेकिन लंड आगे पीछे गांड में नहीं दौड़ रहा था | गिरधारी लम्बी पींगे के साथ अपनी कमर हिलाने लगा |
कुछ पल के लिए उसका थमा दर्द फिर से उसे चीरने लगा | रीमा - बहुत दर्द हो रहा है प्लीज अपने मुसल लंड को बाहर निकाल लो, वरना मै मर जाऊँगी | ह्हाआआआआआ प्लीज | मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा है |
रीमा का इतना कहना था गिरधारी ने अपने धक्के तेज कर दिए |
रीमा - ह्हाआआआआआ ममामाममामा ईईईईईईईईई प्लीज क्यों मेरी गांड को फाड़ कर रख देने पर तुले हुए हो | हाय मै मर जाउंगी कितने पत्थर दिल हो जरा भी दया नहीं आती मुझ पर | गांड मारने को क्या दे दी मेरी जान ही ले लोगे क्या |
जितेश ने भी अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी थी | दो लंड एक साथ रीमा की दो गुलाबी सुरंगों में एक ही समय में | जितेश और गिरधारी के लंड रीमा की गुलाबी सुरंगों के अन्दर आपस में रगड़ खा रहे थे |
रीमा और जितेश फिर आपस में चिपक गए | गिरधारी ने भी रीमा और जितेश को देखकर उसने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए | रीमा कमर हिलाने लगी और जितेश भी नीचे से कमर हिलाने लगा | ऊपर से रीमा का झटका और नीचे से जितेश का, रीमा की चूत में दनादन लंड अन्दर बाहर होने लगा | दोनों की सांसो की गर्माहट फिर से उफनने लगी |
इधर कपड़े उतार कर गिरधारी भी तेजी अपने लंड को मसलने लगा | जल्दी ही उसका लंड पहले की तरह कड़क हो गया | मुठ मारते मारते वो तेज आवज में कराहने लगा | रीमा गर्दन घुमाकर उसकी तरफ देखने लगी | उसकी कमर हिलानी बंद हो गयी |
रीमा को अपनी तरफ देख गिरधारी कराहता हुआ - मैडम आप चिंता मत करो मैं हाथ से काम चला लूंगा |
रीमा ने तुरंत मुहँ घुमा लिया लेकिन उसके शब्द उसके कानो को चीरते हुए उसके दिल तक घुस गए | हाथ भले ही उसका अपंग हो गया हो लेकिन लंड में बहुत जान थी | कड़क तगड़ा लंड था | रीमा के दिमाग में पहली बार उसके लड़ का ख्याल आया | रीमा का ध्यान इस तरफ गया ही नहीं था | रीमा ने इस नजरिये से सोचा भी नहीं था | नीचे से जितेश धक्के पर धक्के लगा रहा था | रीमा की कराहे तो छुट रही थी लेकिन उसका ध्यान कही और ही चला गया | उसके दिमाग में बस बारबार एक ही वाकया गूम रहा था - आप चिंता मत करो मैं हाथ से काम चला लूंगा |
दुनिया के कितने मर्द एक खूबसूरत नंगी औरत को इस तरह से सामने चुदते हुए देख ऐसा कह सकते है | जितेश रीमा के उरोजो से खेल रहा था | नीचे से लग रहे धक्को से उसका बदन हिल रहा था लेकिन वो कही और ही खो गयी | रीमा पूरी तरह से नंगी होकर एक मर्द के सामने चुद रही थी और उसे सिर्फ इसी बात में सतोष था की वो उसके नंगे जिस्म को देख प् रहा | सच ही कहावत है छोटे आदमी का दिल बड़ा होता है और मन संतोषी | अगर वो चाहे तो क्या उसे हासिल नहीं कर सकता लेकिन अपनी हद लाघने को तैयार नहीं है | उसके लिए बस रीमा के खूबसूरत जिस्म को निहारने में ही स्वर्ग का सुख मिल जायेगा | रीमा के अन्दर उसके लिए हमदर्दी पनपने लगी |
रीमा की सेक्स में दिलचस्पी न देखते हुए आखिरकार जितेश ने पूछ लिया - क्या हुआ |
रीमा - कुछ नहीं बस ऐसे ही, कुछ सोच रही थी |
जितेश - कमाल करती हो, मेरा सारा ध्यान अपने ऊपर लगवा कर खुद किसी और के बारे में सोच रही हो |
रीमा - नहीं ऐसा नहीं है |
जितेश अब वासना के आवेग में पूरी तरह डूब चूका था |
उसने रीमा के चुताड़ो पर एक जोरदार ठोकर मारी और ठहर गया - तो फिर क्या है बताओ तो सही क्या हुआ |
रीमा - आआआआह्नह्हींह्ह कुछ नहीं बस ऐसे ही, बेबी तुम चोदो न मुझे तुम क्यों रुक गए |
जितेश - मै अकेला चोदु ? क्या चल रहा है दिमाग में बतावो न बेबी तभी तो पता चलेगा |
जितेश फिर से रीमा को चोदने लगा | रीमा सिसकारियां भरने लगी |
रीमा - जितेश क्या जो हम कर रहे हो ैं वह ठीक है मतलब मतलब वह आदमी नीचे लेटा हुआ अकेला और हम यहां पर जवानी का मजा लूट रहे हैं चुदाई कर रहे हैं क्या यह ठीक है |
जितेश बोला - मैं कुछ समझा नहीं |
रीमा - मेरा मतलब साफ है वह नीचे वहां अकेला लेटा हुआ है और हम यहां अपने अपने जिस्म की भूख और वासना में डूबे हुए हैं |
जितेश रीमा की चुताड़ो पर लगातार ठोकरे मारता हुआ - तो क्या हुआ हर कोई ऐसे ही तो करता है |
रीमा -हां लेकिन जब तीसरा आदमी होता है तब भी क्या हम ऐसे ही करते हैं |
जितेश पुरे जोश में था - पहेली मत बुझावो |
रीमा जितेश की ठोकरों को अपनी चूत की गहराई में महसूस कर रही थी लेकिन उसका दिमाग कही और ही था |
रीमा - अगर हमें पता होता कि कोई तीसरा यहां नहीं है तब तो ठीक था लेकिन जब हमें पता है वो तीसरा यही है और वह सब कुछ देख चुका है या देख रहा है तो क्यों ना हम उसे अपने खेल में शामिल कर लें |
जितेश थोड़ा हैरान होता हुआ - यह क्या बकवास कर रही हो रीमा |
तीसरे के ख्याल से ही रीमा के मन कोने में एक रोमान्च सा पैदा होने लगा | वो वासना में पूरी तरह डूब चुकी थी |
जितेश की बेतहाशा चुदाई से वो मदहोश हो चुकी थी इसलिए अब उसका विवेक भी वासना के चश्मे से ही सब सोच समझ रहा था | तीसरे का ख्याल आते ही उसके दिमाग में नूतन घूम गयी | कैसे इतनी कच्ची उम्र में वो आराम से दो लंड को एक साथ चूस रही थी | कुछ तो अलग अहसास होता होगा जिससे मै अनजान हूँ | जिस अहसास को नूतन इतनी कच्ची उम्र में अनुभव कर चुकी है उससे मै अभी तक अनजान हूँ | रीमा को लगा नूतन उससे आगे कही निकल गयी जबकि वो कल की छोकरी है, नहीं मै कैसे पीछे रह सकती हूँ | कैसे कपिल एक साथ दो लडकियों बारी बारी से चोद रहा था | आखिर वो सब कर सकते है तो मै क्यों नहीं, मै तो उनसे हर मामले में बेहतर हूँ |उसके मन की दबी लालसाओ की परते खुलने लगी थी, उसके अन्दर की दबी रीमा अपने खोल से बाहर आकर इस रीमा को निगलने लगी |
उसने रिवर लॉज में एक साथ दो औरतें देखी थी और कैसे दोनों औरतें कपिल को सारा सुख देने को आतुर थी | जब 2 औरतें एक मर्द को सुख दे सकती हैं तो क्या एक औरत दो मर्दो को सुख नहीं दे सकती | रीमा अपने ही अन्दर के छिपे जंगली रीमा के आगोश में सामने लगी | अपने मन के उस कोने में झाकने लगी थी जहाँ जाने से वो हमेशा डरती थी | जब भी उसे वासना का बुखार चढ़ता तभी उसके मन के कोने की परते खुलती थी | रीमा अपने मन को टटोलने से झिझक रही थी | पता नहीं क्या निकल कर आ जाये वो उसके सामने हजार सवाल छोड़ जाये | ऐसे ख्याल उसे आते ही तब थे जब उसके अंदर की वास्तविक वासना जग जाती थी | उसे पता था अब वह वह नहीं रहेगी जो वह खुद थी वह कोई हो जाएगी | उसके मन के कोने में बैठी हुई थी उसी की अंतर्उमन की वासना का एक रूप जिसकी परछाई से बजी वो भागती रहती थी | उसके मन में बार-बार वही शब्द घूम रहा था मैं हाथ से काम चला लूंगा | रीमा के दिमाग में बस यही चल रहा था कि आखिर उसकी क्या गलती है | रीमा की ही एक प्रतिलिपि उसके असली रूप को ढककर उसके सामने आ गया | वासना में फडफडा रही रीमा को ये रूप ज्यादा सहज लग रहा था, जहाँ उसका मन एक तरफ़ा था न कोई प्रतिरोध न कोई बंधन | सब कुछ सोचने करने के उन्मुक्त आजाद |
हमारी चुदाई देख कर ही तो उसके मन में यह ख्याल आया होगा आखिर मेरे गोरे नंगे जिस्म को देख कर तो उसका लंड खड़ा हुआ होगा इसमें उसकी क्या गलती है दो औरतें एक आदमी को एक साथ वासना का नंगा नाच कर सकती हैं तो एक औरत क्या दो आदमियों को एक साथ खुश नहीं कर सकती |
उसकी गुलाबी चूत में लग रहे जितेश के लगातार लग रहे तेज दनादन धक्को ने उसे वासना के सागर में और गहरे तक डुबो दिया |
रीमा भीषण चुदाई से कांपती आवाज में बोली - जितेश मैंने एक बार देखा था कि 2 औरतें एक आदमी को एक साथ चोद रही थी |
जितेश हांफता हुआ - तो |
रीमा - तो एक औरत दो आदमी भी तो हो सकते है |
जितेश रीमा के शब्दों को समझता हुआ - क्या बकवास कर रही हो रीमा ऐसा कैसे हो सकता है | मतलब तुमने सोचा भी कैसे |
रीमा - गुस्सा मत हो जितेश मैं सिर्फ इतना कह रही हूं | आखिर उसकी क्या गलती है मेरे गोरे नंगे जिस्म को देख कर ही तो उसके अंदर की भावनाएं जागी है और उसका लंड खड़ा हुआ है तो क्या हम उसे इसी तरह से छोड़ दें उसी के हाल पर |
जितेश के बेतहाशा लग रहे धक्के रुक गए - वह मेरा एक तरह से नौकर है और मैं जो कहूंगा वह वही करेगा | उसके साथ मै तुम्हे . . . सोचकर ही मन कसैला हो जा रहा है | वो रीमा के चूत दाने को मसलने लगा | रीमा ने भी उसके ओंठो से अपने ओंठ सटा दिए |
उसे चुमते हुए रीमा बोली - तो क्या हुआ वह तुम्हारा नौकर है तो वह भी इंसान ना | फिर इस वासना के रिश्ते में कोई छोटा बड़ा नहीं | ये रिश्ता इंसानों की दुनिया से नहीं बनता | ये रिश्ता लंड और चूत की दुनिया का रिश्ता है, यहाँ इंसानों के नहीं लंड और चूत के नियम चलते है | मैं नहीं चाहती कि वह इस तरह से अकेला बेबस होकर . . . . . . . . . . . . . . . . . . . |
जितेश - तुम अपने होश में नहीं हो |
रीमा कामुकता से जितेश की तरफ देखती हुई - पता है वो इतना वफादार क्यों है क्योंकि बहुत छोटी सी चीज से भी उसे संतोष हो जाता है | वो सिर्फ इस बात से खुस है की वो मुझे देख पा रहा है, उसने इससे ज्यादा कुछ नहीं माँगा | वरना बड़ी बड़ी हवेलियों में घर के नौकर मौका मिलने पर हवेली की मालकिन के साथ साथ हवेली की बहुओं को भी चोद डालते है | जब चूत खुद सामने जांघे फैलाकर बैठी हो तो कौन उसे सिर्फ देखकर खुश होता है |
जितेश हांफता हुआ- तुमसे जीतना तो बहुत मुश्किल है | बताओ क्या करना चाहती हो |
जितेश के दनादन धक्के लगाकर अपने लंड को जिस वासना के सुरूर में डुबोया था वो चुदाई का चढ़ा सारा नशा फिर से उतरने लगा | उसका लंड रीमा की चूत से बाहर आ गया |
रीमा - मैं चाहती हूं तुम उसे यहां पास में बुला लो |
जितेश - फिर क्या करोगी |
रीमा - मुझे भी नहीं पता नहीं मैं क्या करूंगी | लेकिन मैं चाहती हूं जिस तरह से मैं तुम्हें सुख दे रही हूं, तुम पर अपना सब कुछ लुटा रही हूँ इसी लूट की छिटकन का ही वो मजा ले ले |
जितेश - कही तुमारा दिल उसके लंड पर तो नहीं अटक गया है | कही मेरे बाद उसे चोदने के लिए अपनी चूत तो नहीं दे दोगी |
रीमा खामोश रही | उसे खुद नहीं पता था वो क्या कर रही है फिर जितेश के सवाल का जवाब कहाँ से देती |
जितेश के अन्दर रीमा की बातो इर्ष्या घर कर गयी, आखिर रीमा सिर्फ उसकी है वो आखिर रीमा को उस नौकर के साथ नहीं नहीं ये नहीं हो सकता , उसने रीमा से वादा माँगा - मुझे लगता है मेरे बाद उसे अपनी चूत चोदने के लिए दोगी, पक्का है उसके लंड को देखकर तुमारी लार टपकने लगी है , तुमारी चूत की दीवारे फड़कने लगी | उसका लंड अपनी चूत में लेने के लिए उतावली हो रही हो | चूत को चोदने के लिए तो मुझे तो रात में लाखों कसमे वादे खिला रही थी | जनम जन्मान्तर की कसमे | अब उसके लंड को देखकर तुमारा मन बेईमान हो गया है | सच बोलो, उससे चुदने की ख्वाइश जग गयी है |
रीमा मजबूती से प्रतिकार करती हुई - नहीं |
जितेश - तो फिर क्या करोगी | जब उसे कोई दिक्कत नहीं है तो तुम उसको लेकर इतनी परेशान क्यों हो रही हो |
रीमा - मैं परेशान नहीं हो रही हूं मैं बस चाहती हूं जैसे मैं तुम्हें सुख दे रही हूं अपने हुस्न और जवानी का समुन्दर तुम पर लुटा रही हूँ उसकी कुछ बुँदे उसे भी मिल जाये |
अब तक रीमा के चूत दाने को मसल रहे जितेश के हाथ भी रुक गए |
जितेश - तुम न पागल हो गयी हो |
रीमा ने फिर से जितेश का हाथ अपने चूत दाने से सटा दिया - मै तुम पर इतना भरोसा करती हूँ की सब कुछ तुम्हे सौंप दिया, तुम इतना भरोसा नहीं कर सकते |
जितेश निरुत्तर हो गया | रीमा के जवाब के आगे उसे कुछ कहते नहीं बना |
रीमा ने जितेश का बाहर झूल रहा लंड अपनी चूत में घुसेड लिया | जितेश घूर घूर कर गिरधारी को देख रहा था |
जितेश - तो बतावो क्या करना है |
रीमा - अब तुम्हें कुछ नहीं करना है जो तुम्हें करना था तुम कर रहे थे और वही करते रहो |
जितेश - क्या ?
रीमा उसे चूमती हुई - मुझे चोदो न बेबी क्या इधर उधर की बातो में पड़े हो , जमकर कसकर चोदो न|
जितेश को अभी भी संतोष नहीं हुआ उसने पूछा - तुम क्या करने वाली हो |
रीमा - कुछ नहीं बाद मोरे राजा अब मुझे चोदो . . . . . कितनी देर से तडपा कर रखा है मेरी गुलाबी मखमली चूत को , और कितना तड़पावोगे, मेरी चूत तुमारे लंड की भूखी है सिर्फ तुमारे, इसीलिए ये सिर्फ तुमारा लंड खाएगी | अभी आगे और हमेशा, अब खुश |
जितेश उसे लेकर लुढ़क गया | रीमा नीचे हो गयी और जितेश ऊपर हो गया | जितेश ने रीमा की चूत में गहरे धक्के लगाने शुरू कर दिए | रीमा को चोदते चोदते वो दाहिनी तरफ को खिसकता चला गया |
इधर रीमा को बार बार देखकर बहुत तेजी से गिरधारी अपना लंड मसल रहा था | रीमा ने एक उंगली से इशारा करके उसे अपने पास बुलाया | पहली बार में वो रीमा का इशारा समझ नहीं आया लेकिन फिर तेजी से उठाकर रीमा के बेड के पास आ गया | उसके पास आते ही रीमा बेड पर तितली की भांति फ़ैल गयी | उसका एक स्तन जितेश बुरी तरह से मसल कर उसकी चूत पर अपने मुसल लंड की जोरदार ठोकरे लगा रहा था | रीमा के बदन की गर्मी फिर बढने लगी | इधर गिरधारी के पास आते ही रीमा ने उसके लंड को हलके हाथो से थाम लिया, और उसे मुठीयाने लगी | ये देख जितेश इर्ष्या से जल उठा, उसके अन्दर का मर्दवादी अहंकार जाग गया वो खुन्नस में रीमा को जोरदार धक्के मारने लगा जिससे रीमा का पूरा बदन हिल रहा था | रीमा के मुहँ से तेज कराहे निकलने लगी - आआअह्रीह्माह्ह आआआआआ ऊऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह्हह ओओओओओओह्ह्हह्ह्ह्ह बेबी आआआअह्ह बेबी | रीमा भी समझ गयी आखिर उसकी चूत पर इतनी तेज ठोकरे क्यों पड़ रही है | लेकिन उन्ही ठोकरे से उसकी चूत में ऐसी तरंग पैदा करी की रीमा वासना के समन्दर में और गहराई तक गोते लगाने लगी | उसके मुहँ से जितेश के हर धक्के की प्रतिध्वनि निकल रही थी | रीमा का जिस्म तेजी से हिल रहा था लेकिन उसने गिरधारी के लंड को कसकर हाथ में थाम रखा था | उसके लंड को मसलते मसलते रीमा ने अपने कांपते रसीले गुलाबी ओंठ उसके अंगारे की तरह जलते लंड के सुपाडे से सटा दिए | जितेश की तेज ठोकरे उसे हिलाए पड़ी थी इसलिए वो आसनी से उसके सुपाडे को आराम से नहीं चूस पा रही थी, कभी वो उसके अनुमान से ज्यादा घुस जाता, कभी तो वो उससे दूर हो जाती | रीमा के गुलाबी ओंठो का रसीला स्पर्श और गीली जुबान का खुरदुरा रोमांचकारी स्पर्श गिरधारी तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया | ये देखकर जितेश ने पूरी ताकत लगाकर रीमा की चूत में लंड पेल दिया | उसकी ठोकर से रीमा का बदन आगे की तरफ उछाल गया | ठोकर के लगते ही रीमा न चाहते हुए भी गिरधारी का आधा लंड घोंट गयी | गिरधारी का तो जैसे जैकपोट लग गया, रीमा जैसी हसीन औरत उसका लंड चूस रही है | उसके जीवन में ये किसी चमत्कार से कम नहीं था | वो बस रीमा जैसी गुलाबी गोरी अप्सरा के लंड चूसने के ख्याल से ही रोमाचित होकर उत्तेजना के चरम पर पहुँच गया था |
रीमा की चुताड़ो पर लगने वाली ठोकरों की कराहे अब रीमा के मुहँ में ही घुट जा रही थी | उसकी तेज सांसे उसे जल्दी ही मुहँ खोलकर साँस भरने को मजबूर कर देती |
रीमा के जीवन में ये पहला मौका था जब वो एक नहीं दो दो लंडो के साथ अपनी हवस बुझाने में जुटी थी | ये सोचकर ही उसकी चूत झरने लगी | दो लंडो का ख्याल ही उसे रोमांच की पराकाष्ठा पर पंहुचाये दे रहा था | रीमा के जिस्म के दो छेद और दोनों मुसल लंडो से भरे हुए | उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके जीवन में कभी कोई ऐसा मौका आएगा | एक लंड चूत पर दनादन ठोकरे मार रहा था और उन्ही ठोकरे से हिलता जिस्म दुसरे लंड को मुहँ के आगोश में अपने आप समेट दे रहा था | रीमा का बदन अब उसके काबू से बाहर जा रहा था | वो समझ नहीं पा रही थी वो कहाँ ध्यान लगाये | एक तरफ उसकी चूत में लंड पेलता जितेश, दुसरे उसके मुहँ में फिसलता उसके पालतू का लंड | गिरधारी भी पूरी तरह मदहोश था | जितेश गुस्से जलन और वासना से भरा हुआ और रीमा इनके बीच
मचलती उछलती अपनी ही कल्पनावो की दुनिया में चली गयी | दुनिया में कितनी औरते है जिन्हें एक साथ दो लंडो का सुख नसीब होता है | वो अन्दर से बहुत खुश थी और वासना में पूरी तरह मदमस्त थी | न अब वो दिमाग पर जोर लगा रही थी न उसे कुछ सोचना था | वो बस वासना के इस बहते तुफान में तैरती रहना चाहती थी | जितेश के धक्को से आराम से गिरधारी का लंड उसके मुहँ में अन्दर बाहर हो रहा था | गिरधारी की तो ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था | उसका हाथ अपने आप ही रीमा के स्तन की तरफ बढ़ा गया | लेकिन इससे पहले वो उसको दबोच कर मसलता, जितेश ने उसे अपने काबू में ले लिया | मायूस हो वो फिर से पीछे आ गया | तभी जितेश रीमा के ऊपर तक छाता हुआ उसे आकर चूमने लगा | रीमा के मुहँ से गिरधारी का लंड निकल गया | जितेश ने रीमा को अपने चुताड़ो पर जांघे सटाने को कहाँ और उसको अपनी बांहों में भर लिया | रीमा भी उससे चिपक गयी | जितेश रीमा का कसकर चोदने लगा |
इधर गिरधारी मायूस हो गया | आखिर कार रीमा जितेश की गिरफ्त से एक हाथ निकाल कर उसके लंड को मसलने लगी |
गिरधारी के चेहरे की ख़ुशी गायब हो गयी थी | इधर जितेश को भी रीमा को चोदते हुए बहुत देर हो गयी थी | बीच बीच में रूकावटो कारन वो अभी तक झड़ा नहीं था इसलिए इस बार लगातार चोद कर निपट जाना चाहता था | रीमा पूरी तरह से उसके कब्जे में थी और उसका लंड बेतहाशा उसकी चूत में दनादन जा रहा था | रीमा और जितेश दोनों की सांसे तेज थी |
जितेश रीमा को वैसा ही चोद रहा था जैसे वो चुदना चाहती थी लेकिन फिर भी वो खुद को खुद के अहसासों को, खुद की अतृप्त ख्वाइशो को, खुद के अरमानो को जितेश के उसकी चूत पर पड़ते धक्को से जोड़ नहीं पा रही थी | उसे कुछ कम सा लग रहा था | आखिर किस चीज की कमी है, सब कुछ तो वैसा ही हो रहा है जैसा वो चाहती थी | फिर उसके मन में इतना खालीपन क्यों है | इधर गिरधारी अब रीमा के बायीं तरफ खड़ा था | रीमा बाये हाथ से उसके लंड को मसल रही थी | रीमा जितेश की बाहों में थी जो दाहिनी तरफ को लुढका हुआ उसे अपनी बांहों में समेटे था | इसीलिए उसके उठे हुए मांसल बड़े बड़े चूतड़ गिरधारी की तरफ थे और उन पर लग रही ठोकरो से हिल रहे थे | पता नहीं क्यों लेकिन शायद जितेश रीमा के चुताड़ो को उठाकर गिरधारी को करीब से ये अहसास कराना चाहता था कि औकात में रहो | रीमा और रीमा का जिस्म सिर्फ उसका है और देखो कैसे मै रीमा की चूत को हचक हचक के चोद रहा हूँ | रीमा भी कितनी ख़ुशी ख़ुशी चुद रही है |
सब कुछ गिरधारी के इतना करीब हो रहा था कि उसका हाथ अपने आप ही रीमा के चुताड़ो पर चला गया | रीमा को जितेश ने दाहिनी करवट कर खुद से चीपका लिया था | उसकी जांघो को फैलाकर उसकी चूत त्रिकोण को खुद से चिपका लिया था | रीमा का चेहरा अब गिरधारी से उलट था | जैसे ही गिरधारी ने रीमाके चुताड़ो पर हाथ रखा जितेश ने रीमा को चोदते हुए आँखों से घुड़की दिखाई, जैसे कहना चाह रहा हो तुमारी मजाल कैसे हुई रीमा के गोरे नाजुक बदन को छूने की | रीमा सिर्फ मेरी है सिर्फ मेरी, उसे सिर्फ मै चोदुंगा बल्कि मै ही चोद रहा हूँ | वो भी देखो कैसे मेरी चौड़ी छाती से चिपकी चुद रही है | उसने गिरधारी के हाथ की हटाने की कोशिश की लेकिन इससे पहले वो रीमा के एक चूतड़ को अपने हाथ में ले चूका था | इधर रीमा के हाथ से उसका लंड कब का छूट चूका था इसलिए इसने झुकते हुए दोनों हाथो से रीमाके चूतड़ थाम लिए और उनकी मालिश करने लगा | जितेश कुढ़ कर रह गया | रीमा तो जितेश की चुदाई में पूरी तरह मदहोश हो गयी थी | जितेश रीमा को एक पल भी कुछ और सोचने का मौका नहीं देना चाहता था |
गिरधारी के लिए रीमा के मांसल गोरे बदन का स्पर्श ही उसके लिए किसी जन्नत से कम नहीं था | वो तो इसी खुसी में ही दोहरा हुआ जा रहा था | रीमा के चुताड़ो पर फिसलती उंगलियाँ उसके चुताड़ो की दरार सहलाती हुई , रीमा की चूत में जा रहे जितेश के मुसल लंड के बहुत करीब पहुँच गयी | गिरधारी को रीमा के चूतड़ बहुत अच्छे लग रहे थे | वो उन्ही की मालिश में मशगूल हो गया और उसकी उंगलियाँ रेंगते रेंगते रीमा के पिछली सुरंग के मुहाने पर पहुँच गयी | रीमा ने एक सिसकारी, इससे पहले गिरधारी कुछ और करता जितेश ने अपने दोनों हाथ रीमा के चुताड़ो पर चिपका दिए और उसके कसकर चूमकर चोदने लगा |
जितेश तेज सांसो के साथ - तुम्हे मजा आ रहा है न बेबी |
रीमा - बस ऐसे ही चोदते रही |
जितेश - मै तुमको मोटे मुसल लंड से गहराई तक चोद रहा हूँ, ऐसे ही तुम चुदना चाहती थी न बेबी |
रीमा - ऊऊऊऊफ़्फ़्फ़्फ़ बेबी हाँ बिलकुल ऐसे ही | बेबी बस ऐसे ही चोदते रहो |
जितेश को पता था उसने जरा सी भी ढील दी तो गिरधारी रीमा के चुताड़ो पर कब्जिज़ा जमा लेगा इसीलिए उसने रीमा को चोदते चोदते न केवल उसके दोनों चुताड़ो को अपनी हथेलियों में ले रखा था बल्कि एक उंगली उसकी कसी गांड में घुसाने लगा ताकि उसके चिकने चुताड़ो पर अच्छी पकड़ बने | जैसे ही उसकी उंगली रीमा की गांड की कसे छल्ले को चीरती हुई अन्दर गयी |
रीमा जोर से सिसक पड़ी - ऊऊऊऊऊऊऊओईईईईईईईईईईइम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्ममाआआआआआआ |
जितेश ने जोश जोश में दो बार उंगली और अन्दर तक घुसेड़ कर अन्दर बाहर कर दी | रीमा सिसक कर जितेश से कसकर लिपट गयी - ऊऊऊऊऊऊऊओह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह गॉड सिसिसिसिसीईईईईईईईईईईईईईईइ |
इतनी देर की दनादन चुदाई का मजा एक तरफ और ये किंकी अहसास एक तरफ | रीमा के चुताड़ो की घाटी में तो जैसे किसी ने राख में दबी चिंगारी भड़का दी हो |
पिछले सुरंग की वासना अब तक अधूरी थी और बस जरा सी हवा मिलते ही भड़क गयी | जो तड़प गार्ड के लंड ने अधूरी छोड़ दी थी वो फिर से जिन्दा हो गयी | इतनी देर की चुदाई में आखिर रीमा क्या मिस कर रही थी उसका जवाब उसे मिल गया | सब कुछ था उसकी चुदाई में, मोटा मुसल तगड़ा लंड, गहरे जोरदार धक्के, उसे चूमने चाटने सहलाने वाला मर्द, उसके उरोजो को मसलने वाले हाथ और उसे क्या चाहिए था यही पहेली बनकर उसके दिमाग में घूम रहा था | जितेश की चुदाई से रीमा पूरी तरह मदहोश हो गयी थी अब उसे कुछ होश नहीं था वो कहाँ है क्या कर रही है | उसे बस इतना पता था वो जितेश की बाँहों में उसके मुसल लंड के करारे धक्के के कारन उछल रही है |
गिरधारी की नजर से रीमा की सिसकारी नहीं बच पाई - बॉस मैडम की गाड़ में उंगली करो न उन्हें मजा आ रहा है |
गिरधारी इतनी गौर से रीमा को निहार रहा है ये देखकर जितेश दंग रह गया |
जितेश गिरधारी की बातो से किलस गया - चूप रह भोसड़ी के |
गिरधारी - बॉस करो न, देखो कैसे मैडम सिसकी थी |
रीमा भी चुदाई में पूरी तरह मदहोश - करो न बेबी |
गिरधारी का जोश बढ़ा - देखो अब तो मैडम भी कह रही है |
अपनी आँखों से गिरधारी को घुड़कता हुआ जितेश - दूर हट भोसड़ी के मादरजात |
रीमा की वासना अब उसे सब कुछ भूलकर इसी में डूब जाने को कह रही थी - बेबी करो न पीछे भी करो न |
जितेश - रीमा तुम होश में नहीं हो | तुम्हे खुद नहीं पता तुम क्या बकवास कर रही हो |
गिरधारी - अरे बकवास नहीं बॉस मैडम को पिछवाडी में ज्यादा मजा आ रहा है |
जितेश - तेरी आकर गांड मारू भोसड़ी के तब पता चलेगा पिछवाडी का मजा |
रीमा जितेश से चिपकी हुई उसके कंधे पर अंध मुदी आँखों में वासना के तैरते डोरे से मदहोश - एक बार कर दो न |
जितेश - तुम पागल हो गई हो |
रीमा - मैं पागल नहीं हो गई हूं, जब आगे इतनी देर किया है तो थोड़ा पीछे कर दो |
जितेश - तुम होश में नहीं हो |
रीमा - मैं होश में नहीं हूं लेकिन मैं चाहती हूं जितना मजा मुझे आगे आया है उतना ही पीछे भी दे कोई |
जितेश - ये तुम ऐसी बहकी बहकी बाते क्यों कर रही हो | एक तरफ तो इतनी नैतिकता और संस्कारों की बातें करती हो और दूसरी तरफ यह क्या है कौन सी दुनिया में चली गई हो |
रीमा - ये वासना की दुनिया है बेबी, बस ऐसे ही चोदते रहो, इसी चुदाई के लिए बहुत तड़पी हूँ मै | काश ऐसे ही कोई पीछे की खुजली भी थोड़ी सी मिटा देता |
गिरधारी - मैडम तो एक नंबर की चुद्द्कड़ है, मै कहता न ये पूरा खेली खाई हुई है | इतना चुदने के बाद भी कैसे बिन पानी मचली की तरह तड़प रही है | इसकी प्यास एक लंड से नहीं बुझने वाली |
गिरधारी का उत्साह देख जितेश - भोसड़ी सोचना भी मत वर्ना तेरी कुत्ते से गांड मरवाउंगा |
रीमा - जितेश बेबी तुम इतनी देर से मुझे चोद रहे हो, एक बात पूंछु |
जितेश - हाँ पूछो |
रीमा - तुम बस अपने काम पर ध्यान दो, जो कर रहे हो करते रहो | मेरी सब गुलाबी सुरंगों की गहराइयों में उतर कर मेरी प्यास बुझावो |
जितेश - वही तो कर रहा हूँ लेकिन सुरंगों का क्या . . . . . . . . . ?
रीमा ने बोलना जारी रखा - क्या लेकिन किन्तु परन्तु लगा रखा है | दुनिया क्या सभी औरते बस चूत में ही लंड लेती है | दुनिया में बहुत सी औरतें हैं जो एक साथ दो दो लंड के साथ खेलती है एक साथ दो लंड को अपनी सुरंगों में लेती है |
जितेश - ठीक लेकिन जो रात को कसमे खिलवा रही थी उसका क्या |
रीमा - मैंने तो अपना पूरा जिस्म तुम्हे सौंप दिया है जो लूटना है लुट लो, मैंने रोका है क्या, बस मेरी प्यास बुझा दो |
जितेश - तुम सच में होश में नहीं हो , तुमसे तो बात ही करना बेकार है|
रीमा - हाँ मै होश में नहीं हूँ और होश में आना भी नहीं चाहती हूँ | यह मेरे अंदर की वासना है और कुछ नहीं है, जब तक यह नहीं मिटेगी मै होश में नहीं आउंगी | मैं इसी वासना में तिल तिल पर जलती रहूंगी |
जितेश को लगा रीमा नहीं मानेगी | आखिर वो रीमा की चूत से लंड खीच कर बाहर निकाल लिया और उसके पिछवाड़े की खुजली मिटाने की तयारी करने लगा |
रीमा - ये क्या कर रहे हो बेबी | मेरी चूत से लंड क्यों निकाल लिया, मेरी चूत को चोदो न मै कितना तड़प रही हूँ |
जितेश कुछ समझ नहीं पाया फिर रीमा के काहे अनुसार जितेश ने बिना किसी सवाल जवाब के रीमा की चूत में लंड पेल दिया और ठोकरे मारने लगा | उसने अपने हाथ रीमा के चुताड़ो पर जमा दिए और सबसे बड़ी उंगली रीमा की पिछली सुरंग धँसता चला गया | रीमा सिसकारियां भरने लगी | इधर उसका लंड और पीछे उसकी उंगली एक साथ अन्दर बाहर होने लगे |
रीमा अपनी कमुकता के समन्दर में तैरने लगी - यस बेबी यस बेबी ऐसे ही चोदो मुझे | और जोर से चोदो, और कसकर चोदो बेबी, अन्दर तक चोदो | बड़ा मजा आ रहा है | बस ऐसे ही चोदते रहो |
जितेश - बेबी मजा आ रहा है और और जोर से चोदु |
रीमा - हाँ बेबी और जोर से चोदो | मसल कर रख दो मेरी चूत को कुचल कर रख दो मेरी चूत को |
जितेश और तेज धक्के लगाने लगा | जितेश पुरे रौ में था और कसकर रीमा को चोदकर जल्दी से अपने चरम को हासिल करना चाहता था | उसे भी लग रहा था थोड़ी देर उसने इसी तरह से रीमा को और चोदता रहा तो उसका लंड सफ़ेद लावा उगलने लगेगा |
इसी चक्कर में उसकी उंगली का रीमा की पिछली सुरंग में अन्दर बाहर होना रुक गया |
रीमा - बेबी पीछे भी करो न |
गिरधारी रीमा की चुदाई देखकर वही खड़ा खड़ा लंड मसल रहा था - मैडम उंगली से कुछ नहीं होगा, मोटा मुसल जब तक गांड में नहीं जायेगा इसकी खुजली नहीं मिटेगी |
जितेश अपनी रौ में था इसलिए उसने गिरधारी की बार पर गौर नहीं किया |
रीमा इतनी ज्यादा वासना में डूब चुकी थी कि गिरधारी जितेश का फर्क नहीं जान पाई - तो मोटा मुसल घुसेड़ कर इसकी खुजली मिटा दो न बेबी, किसने रोका है तुम्हे |
जितेश और गिरधारी ने क्या सही सुना, दोनों हक्के बक्के रह गए, नहीं शायद उनसे कुछ सुनने में गलती हुई है |
गिरधारी को यकीन नहीं हुआ - क्या कहा मैडम दुबारा बोलना |
रीमा - तो घुसेड़ दो न मुसल किसने रोका है | गिरधारी की तो जैसे बांछे खिल गयी | उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा | उसक लंड जोश में आकर झटके मारने लगा |
जितेश उसे टोकता हुआ - रीमा क्या बकवास कर रही हो तुम होश में तो हो न | उसने रीमा को कसकर झिझोड़ा |
इधर गिरधारी भाग कर गया और अपने पजामे से एक पुड़िया निकाल कर उसका पाउडर चाट लिया |
असल में वो कोकीन थी | गिरधारी का लंड भले ही मुसल हो लेकिन चुदाई करते वक्त बहुत ज्यादा देर तक नहीं टिकता था | उसकी पिचकारी जल्दी ही निकल जाती थी, ऐसा नहीं था की उसने कोई कमी थी लेकिन अपना अपना स्टैमिना होता है | एक बार जब वो रंडी चोदने गया था तो जल्दी निपटने के कारन रंडी उसे ताने मारने लगी थी और फिर उसी ने ये सफ़ेद पाउडर दिया था | शुरुआत में तो सिर्फ चुदाई के लिए चाटता था लेकिन धीरे धीरे उसे इसकी आदत हो गयी अब तो बस मजे के लिए भी चाट लेता था | तब से कोकीन की एक पुड़िया वो हमेशा अपनी जेब में रखता था | उसने देखा था कैसे रीमा जितेश से जोर जोर से चुदाई की मांग कर रही थी, जबकि जितेश अपनी फुल स्पीड में रीमा को चोद रहा था | जब बॉस की चुदाई से मैडम के जिस्म की आग न बुझ रही तो मै किस खेत की मुली हूँ | गिरधारी ने अपने मन ही मन में सोचा - लगता है मैडम की चुदास बहुत तगड़ी है | जब बॉस के चोदने से इसकी चूत की गर्मी कम नहीं हो रही तो मेरी क्या बिसात है | इसीलिए उसने कोकीन चाट ली | उसने कुछ ज्यादा ही कोकीन चाट ली |
इधर जितेश रीमा को सही गलत समझाने में लगा हुआ था इसी बीच गिरधारीको कोकीन चाटता उसने देख लिया था | इसलिए वो आखे तरेरने लगा था | रीमा को भूल जितेश अपने अहम् और इर्ष्या में घिरकर रह गया |
गिरधारी को उसने अपनी तरफ बुलाया | गिरधारी उसके पास आते ही कान में फुसफुसाया - बॉस आज इस रेस में तो आपको हरा के ही मानूंगा |
जितेश - साले औकात भूल गया |
गिरधारी - तभी तो बोल रहा हूँ, आज आपको हराने के बाद ही बिस्तर से उतारूंगा | मैडम की सारी खुजली मिटा दूंगा |
जितेश को पता था गिरधारी चुदाई में उसे हराने की बात कर रहा था | वैसे भी उसके पास एडवांटेज था | जितेश इतनी देर से रीमा को चोद रहा था इसलिए उसका पहले झड़ना स्वाभाविक था जबकि गिरधारी ने तो अभी शुरुआत भी नहीं करी थी |
जितेश उसके बाल पकड़ कर अपनी तरफ खीचता हुआ - साले मै पिछले आधे घंटे से जो इस रेस में दौड़ रहा हूँ वो | तू बार बार हमारी चुदाई में उंगली न करता तो अब तक रीमा मैडम की गुलाबी चूत मेरे सफ़ेद गाढे लंड रस से लबालब भरी होती |
गिरधारी - बहाने मत बनावो, आज तो आप हारने वाले वो |
इससे पहले गिरधारी सतर्क हो पाता | जितेश ने उसके गले की हसुये में दो उंगली गडा कर उसकी मुट्ठी खोल ली और उसकी कोकीन की पुड़िया छीन ली और उसमे का पाउडर चाट लिया | उसे एक झटका सा लगा, जैसे नीद से जगा हो | उसकी थकावट एक नए जोश और फुर्ती में बदल गयी | जितेश वैसे भी गिरधारी से अन्दर से कुढा बैठा था | रीमा के आगे उसका बस नहीं चला वरना रीमा को चोदना तो छोड़ो छूने तक नहीं देता | जब उसे लगा गिरधारी ने कोकीन सिर्फ इसलिए ली है ताकि वो उसे ज्यादा जोर जोर से और देर तक चोद सके और रीमा की नजर में तारीफ हासिल कर सके | तो उसके अन्दर की इर्ष्या चरम पर पहुँच गयी | रीमा उसकी थी और उसे कोई उससे ज्यादा देर तक चोदे ये उसे कैसे बर्दास्त होता | उसने भी कोकीन चाट ली |
गिरधारी - बॉस ये चीटिंग है |
जितेश - जो तू कर रहा था वो चीटिंग है | साले दम है तो असली जिस्म के ताकत से चोदकर दिखा | ये नशा क्यों करता है |
जितेश ने पहली बार कोकीन सूंघी थी | हालाकि उसकी दीदी की छुटकी ने उसे टॉफी के साथ खूब अफीम चटाई थी, लेकिन वो बहुत पुराणी बात थी | उसके थके जिस्म में जान आने लगी |
जितेश के झिझोड़ने के बाद रीमा अपने वजूद में लौटी लेकिन तब तक देर हो चुकी थी | रीमा को उन दोनों के बीच चल रही नुरा कुश्ती से कोई मतलब नहीं था | वो अपने ही कहे गए शब्दों के सदमे में थी | आखिर उसने क्या कह दिया | वासना के गहरे सागर में गोते लागते हुए भी उसके कान सुन्न हो गए, क्या सच में उसने ही ये कहा है | अपने ही शब्दों को सोचकर वो जड़ सी हो गयी | वो खुद को कोरी गांड मराने के लिए किसी अनजान को बुला रही है | वो उसकी कोरी करारी गांड और जिस्म दोनों की दुर्दशा करेगा | एक बार उसका लंड घुसा नहीं की फिर वो उस आदमी के हाथ की लौड़ी बन जाएगी | बिलकुल सड़क छाप रंडी बनाकर उसकी गाड़ बजाएगा वो | हाय क्यों मै अपने ही जिस्खिम की दुर्रदशा करने पर उतारू हूँ | कोई खुद का सम्मान है यां नहीं उसकी वासना इतनी गहरी है, क्या उसे इस कदर जलील करेगी | उसके खूबसूरत जिस्म की ऐसी की तैसी करवाएगी |
उसकी वासना की भूख को वो बस दुसरे के हाथो का खिलौना बनकर रह जाएगी | क्या फर्क पड़ता है रीमा, ये तड़प हमेशा के लिए बुझ जाएगी | अभी कौन तेरी आरती उतार रहा है | अभी भी की हाथ की लौड़ी बनी उसकी बाहों में ही झूल झूल कर चुद रही है | फिर क्या फर्क पड़ता है दो बांहों की जगह चार हो जाएगी, एक लंड की जगह दो हो जायेंगे | एक भले दो, जल्दी से ये तड़प ख़त्म होगी | इस प्यास के लिए किस हद तक जावोगी रीमा, इस वासना को मिटाते मिटाते तुमारा खुद का वजूद ख़त्म हो जायेगा | ये वासना नहीं थी ये पाशविक वासना थी | रीमा की अंतर्मन का वो पहलू जो शायद उससे भी अनछुआ था | ये पाशविकता नहीं तो और क्या थी, एक लंड एक चूत में एक गांड में एक साथ | ये कामुकता का वहशीपन था | क्या करू इसी आग में जलती रहू, लेकिन ऐसे सड़क चलते किसी को अपने जिस्म की गहरइयो में उतार लेना कहाँ तक सही है | रीमा को अपने शब्दों पर पछतावा होने लगा लेकिन तीर तो कमान से निकल चूका था | पता नहीं कौन सी जिद थी, नहीं अब पीछे नहीं हटूंगी | जो भी होगा देखा जायेगा |
जितेश रीमा के फैसले से सन्न रह गया | उधर गिरधारी की तो जैसे लाटरी खुल गयी हो |
जितेश कोकीन चाट कर तरोताजा हो गया था, फिर भी जितेश रीमा को रोकना चाहता था - रीमा एक बार फिर सोच लो . . . |
रीमा उसकी बात काटती हुई - बस जितेश मै अब और कुछ नहीं सुनना चाहती हूँ, तुम ठीक से मेरी चूत को चोदो इतनी देर से चोद रहे हो और मेरी चूत की प्यास तो मिटा नहीं पाए | मेरे पुरे जिस्म का ठेका लेने चले हो |
रीमा ने जितेश को ललकार दिया था | जितेश को भी रीमा पर गुस्सा आ गया |
गिरधारी तो जैसे को जैसे इसी पल का इंतजार था उसने बिजली की तेजी से अपने लंड को मसलते हुए बेड पर पहुँच गया |
रीमा वैसे भी दाहिने करवट लेटी जितेश की बांहों में थी | गिरधारी रीमा के पीछे जाकर लेट बैठ गया |
रीमा बोली - मेरे पीछे आ जाओ |
उसके बाद रीमा एक हाथ से पीछे करके उसके लंड को लार से भिगोकर सानने लगी | गिरधारी को तो जैसे जन्नत मिल गई हो तो सपने में भी नहीं सोचा था कोई इस तरह से इतनी खूबसूरत औरत का पिछवाडा बजाने का सौभाग्य उसे मिलेगा | जितेश रीमा से वैसे भी गुस्सा था ऊपर से गिरधारी से थोड़ी सी जलन होने लगी थी हालांकि वह रीमा के कहे अनुसार उसकी चूत में फिर से लंड पेलने लगा लेकिन वह गिरधारी को लेकर थोड़ा सा असुरक्षा महसूस कर रहा था | क्योंकि गिरधारी एक तो उसका नौकर जैसा था दूसरे रीमा उसके सपनों की मलिका थी और उसे अपनी खुली आँखों के सामने सपनों की मल्लिका को अपने नौकर के साथ शेयर करना पड़ रहा था | उसे लगता का रीमा अब सिर्फ उसकी है, रीमा के जिस्म पर सिर्फ उसका हक़ है | रीमा की जवान और हुस्न लुटने का अधिकार सिर्फ उसका है | रीमा के जिस्म से जिस तरह से वह भोग रहा था यह चीज उसे अखर रही थी | अपने ख्वाबो की मल्लिका को कोई हाथ नहीं लगाने देता यहाँ तो उसी का नौकर उसकी के साथ उसके सपनो की रानी के जिस्म की सबसे नाजुक और कसी कोरी गुलाबी सुरंग का सफ़र तय करने जा रहा था | गिरधारी रीमा की गांड मारने जा रहा था यही सोचकर उसकी छाती पर सांप लोट रहे थे | इसे रात में ही क्यों न भाग दिया कम से कम ये सब तो नहीं देखना पड़ता | साला मेरी बराबरी करेगा इस मादरजात की इतनी औकात हो गयी | पता नहीं रीमा को कौन सा नशा हो गया है अपनी दुर्गति करवाने पर तुली है, आखिर कर भी क्या सकता हूँ जब कुछ सुनने को राजी ही नहीं है | बेटा जितेश अपनी चूत पर फोकस करो बाकि रीमा का जिस्म है वो जाने |
आखिर रीमा की जिद के आगे क्या कर सकता था वह बस चुपचाप अपने सिर को रीमा के उठी हुए उन्नत नुकीली छातियों में धंसाकर उसके छातियों का रस पीने लगा और उसको बेतहाशा चोदने लगा था | इधर रीमा ने ढेर सारी लार से गिरधारी के लंड को भिगो दिया और फिर अपनी गांड के छेद को लार से नम करने लगी |
गिरधारी तो बस रीमा के मांसल चुताड़ो को चीरता हुआ उसकी गांड में अपना लंड घुसेड़ देना चाहता था | जितेश को रीमा की फिक्र थी | वो गिरधारी के स्वभाव को भी जानता था |
जितेश - मैडम आपको बहुत तकलीफ होगी |
रीमा - तकलीफ तो हर औरत को होती है और इस तकलीफ से कहां तक डरूंगी | जवानी की दहलीज से ही दर्द की शुरआत हो जाती है | हर महीने एक बार तो वो दर्द आता ही है | जब पहली बार चुदती है तब भी तो दर्द होता है | जब नौ महीने तक दर्द नहीं होता तो ऐसा दर्द होता है की जान निकल जाती है | औरत की जिंदगी ही दर्द से भरी है |
जितेश - फिर भी पहली बार मैडम एक साथ दो लंडो को घोटना | फिल्मो की बात अलग है लेकिन हकीकत में तो यह बहुत तकलीफ दे होता है |
रीमा के वासना के नशे के आवेग में ऐसे डूबी हुई थी की जितेश की हर सही बात उसे टोकाटोकी लग रही थी - हां जानती हूँ तकलीफदेह होता है लेकिन लंड मुझे घोटना है और गाड़ तुमारी क्यों फट रही है |
गिरधारी रीमा की गांड के गुलाबी छेद पर अपना सुपाडा रगड़ने लगा | उसकी तो जैसे जन्नत की लाटरी निकल आई हो | उसके लिए तो जैसे कोई अप्सरा खुद ही अपना जिस्म उसे सौंप रही हो | रीमा की लार से उसका लंड और गांड के कसे छल्ले का बाहरी इलाका पूरी तरह गीले थे | जितेश तेजी से अपने सिरहाने की तरफ लपका और वैसलीन की डिबिया उसकी तरफ फेंकते हुए - ये ले इसे मल दे छेद पर, रीमाँ मैडम की गांड में क्या सुखा लंड पेल देगा | मैडम की सुखी कसी गांड तेरे लंड की खाल उतार लेगी | बहुत किस्मत वाला है अपनी किस्मत पर नाजकर कि तुझ जैसे लीचड़ को स्वर्ग की अप्सरा खुद अपनी गांड का छेद खोलने को आमंत्रित कर रही है |
रीमा झुंझलाती हुई - ओफ्फ्फ तुम लोग मुझे चोदना क्या तब शुरू करोगे जब मेरी सारी हवस का नशा उतर जायेगा |
जितेश - मैडम आपकी सहूलियत का इंतजाम कर रहा था | अब बस बेतहाशा चुदोगी ही | चीखों चिल्लाओ हाथ पाँव पटको , अब तो गाड़ी एक्सप्रेस ट्रेन की तरह दौड़ेगी | कितना भी रोकने की कोशिश करोगी रुकने वाली नहीं है |
रीमा को लगा वो नाराज है - तो दौड़ा दो न अपनी ट्रेन, कितना भी चीखू चिल्लाऊ रोकना मत अपनी एक्सप्रेस चुदाई को |
जितेश - नहीं ही रुकेगी | आज आपको पता चलेगा दो लंडो की असली ठुकाई क्या होती है |
गिरधारी - सही कहा बॉस, आज मैडम को दोनों तरफ से जमकर बजाते है देखते है कौन जीतता है |
जितेश - साले तू बहुत उछल रहा है भोसड़ी के |
गिरधारी ने कसकर ढेर सारी वैसलीन अपने लंड पर मल ली और उंगली से रीमा की पिछली सुरंग का मुहाना भी चिकना बना दिया |
तब रीमा की गांड का मुहाना अच्छे से चिकना हो गया | गिरधारी अब पूरी तरह से रीमा के पीछे आ गया था |
जितेश का लंड रीमा की चूत में अच्छे से धंसा हुआ था |
रीमा और जितेश का चेहरा आमने सामने था | जितेश की ख़ामोशी रीमा ने पहचान ली - नाराज हो |
जितेश - नहीं तो |
रीमा - मुझे ये मानकर चोदो की वो यहाँ है ही नहीं, बस तुम हो और मै, बस मै | मेरी इस तकलीफदेह सफ़र के तुम्ही साथी हो | जब गिरने लगु तो थाम लेना | रीमा ने उसके ओंठो से अपने ओंठो को सटा दिया |
जितेश का गुस्सा तो जैसे छु मंतर हो गया | उफ़ ये औरत भी क्या बला है | फिलहाल अब गुस्सा प्यार में बदल गया था | जितेश ने हकीकत स्वीकार कर ली थी लेकिन गिरधारी को स्वीकार कर पाना उसके लिए संभव नहीं था | अब दो लंडो की ठुकाई पेलाई में रीमा का कचूमर निकलने पर उसे ही उसको संभालना था |
जितेश ने रीमा को खुद से चिपका लिया था, कसकर चिपका लिया था | रीमा को भी पता था ये सफ़र चूत की चुदाई से इतर तकलीफदेह होता है | रीमा ने भी अपनी जांघे जितेश की कमर पर फंसा दी | इधर पीछे गिरधारी ने अपने तने हुए मोटे लंड को रीमा की कसी हुई गांड के कसे हुए छल्ले पर लगाया और अंदर की तरफ टहलने लगा | रीमा की गांड के मुहाने की कसावट फौलादी थी | एक उंगली को तो उसकी गांड का गुलाबी छल्ला कस कर जकड़ लेता था यहाँ तो मुसल लंड | गिरधारी को रीमा की तकलीफ से ज्यादा कुछ लेना देना नहीं था | वो तो बस रीमा की गांड मराने के ख्याल से ही पगलाया हुआ था | जितेश रीमा को हलके हलके धक्के मार रह था | इधर गिरधारी तो बौराए आदमी की तरह अपने लंड को रीमा की गांड में पेलने की कोशिश करने लगा | गिरधारी ने पूरा जोर लगाकर लंड ठेलने की कोशिश करने लगा लेकिन रीमा की गांड का फौलादी छल्ला टस से मस नहीं हुआ | ये अलग बात है इस भीषण हमले से रीमा की गांड से उठा एक तीखा दर्द उसके चुताड़ो, जांघो को कांपता उसकी पिंडलियों को हिलाता हुआ उसके बदन में तैर गया |
रीमा के मुहँ से दर्द भरी कराह निकली - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ममामममामआआआआआआआआआआआअ |
रीमा की चुताड़ो की घाटी में एक तीखा सा दर्द उसकी टांगो को कंपाने लगा | रीमा ने मुहँ से ढेर सारी लार निकाली और अपने गांड के मुहाने पर मल दी | उसके बाद रीमा ने उसको बोला अब वह उसके गांड पर अपने मुसल लंड को सटाए | उतावले गिरधारी ने फिर से ठोकर लगायी और उसका लंड रीमा की गांड पर से फिसलता हुआ जितेश के लंड से जा टकराया जो हौले हौले लंड पेल कर रीमा की चूत की मालिश कर रहा था | तीसरी बार भी उसने कोशिश करी लेकिन कुछ नहीं हुआ उसका लंड रीमा की गांड के छेद से फिसल गया था |
रीमा को खुन्नस आ गयी - गांड मारने से पहले सुपाडा तो घुसा लो | अनाड़ी बनकर नौटंकी करनी है तो मेरे ऊपर से उतर जावो |
गिरधारी जोश में उचलता हुआ - मैडम इतनी खूबसूरत गांड मारना तो दूर छूने को नहीं मिली है | क्या करू मै तो खुसी से पागल हो जाऊंगा |
रीमा - गांड में लंड घुसा रहा मादरचोद मजाक नहीं चल रहा है यहाँ, साले भोसड़ी के तुझे मै यहाँ क्या हंसी ठिठोली के लिए लेती दिखाती हूँ | थोड़ी ताकत लगा तभी मेरी में गांड अन्दर जायेगा तेरा लंड |
गिरधारी - ज्यादा जोर से करूंगा तो आपको दर्द होगा |
रीमा - तो होने दो दर्द, गांड मेरी चीरेगी, तेरी क्यों फट रही है , पहले घुसावो तो सही | जो होगा बर्दास्त कर लूंगी |
जितेश के लगातार चोदने से रीमा के बदन में गर्मी बरकरार थी और उसकी वासना भी एक नए लेवल पर पहुँच गयी थी |
गिरधारी ने पूरा जोर लगाकर लंड को ठेल दिया | रीमा की गांड की दीवारों पर जबरदस्त दबाव पड़ा | रीमा दर्द से बिलबिला गयी लेकिन वासना की गर्मी तीखे दर्द के ऊपर हावी हो गयी | रीमा की पिछली सुरंग का छेद टाइट था | रीमा की गांड का छेद बहुत टाइट था इसके बाद गिरधारी ने अपने लंड पर पूरा जोर भींच दिया और रीमा की गांड का फौलादी छल्ला फैलता हुआ गिरधारी के लंड के सुपाडे के लिए जगह बनाने लगा |
गिरधारी में सब्र नहीं था वो जल्द से रीमा की पिछली सुरंग की पनाहगाह हासिल करना था | उसने जोर से ठोकर मारी और उसका रीमा की गांड के छल्ले को चीर कर अन्दर घुसता लंड फिसल कर जितेश की गोलियों पर लगा जाकर |
रीमा बहुत तेज दर्द से बिलख उठी – आआआआआऐईईईईईईईईईई मम्मामममैईई आआआआआ ईईईईईईईईईई ग्घ्ह्हह्ह्हह्ह आः ऊऊ आया ऊ ईईईईईईईईईईईइ |
रीमा की चूतड़ की घाटी में इस ठोकर के लगने से एक तीखा सा चीर कर रख देने वाला दर्द उठा | रीमा कराह उठी उसके चेहरे पर दर्द भरी लकीरे तैर गयी |
जितेश ने गिरधारी को एक झापड़ रसीद कर दिया | लंड घुसेड़ने की तमीज नहीं है भोसड़ी के और गांड मारने चला है | इस बार अगर तेरा लंड मुझे कही छुआ भी तो छुरी लेकर यही निपटा डालूँगा | इसको जड़ से पकड़ गधे और जोर डालकर पहले अन्दर घुसेड़, मैडम की गाड़ बाद में मारना |
रीमा भी दर्द से कराहती हुई बोली - पहले अपने लंड को मेरी गाड़ में तो घुसेड़ सही | अपने लंड को कसकर पकड़ और धक्के मारने की बजाय अपनी कमर का जोर लगा कर पहले मेरे गांड के छल्ले की चौड़ा कर अपने लंड के लिए जगह तो बना | जब तक तेरा लंड का सुपाडा मेरी गांड में घुसयेगा नहीं मेरी गांड में पेल कर मेरी गांड की खुजली कैसे मिलाएगा | धक्का नहीं लगाना सिर्फ सटाकर कमर का जितना जोर सारा लगा दो |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |
इस बार गिरधारी ने झटका नहीं लगाया बल्कि अपनी कमर का पूरा जोर अपने लंड पर डाल दिया | रीमा की गांड के छल्ले पर उसके सुपाडे का पूरा जोर लगाया , गिरधारी के लंड को रोकने के लिए रीमा के गांड के छल्ले ने बहुत कोशिश करी लेकिन गिरधारी की ताकत के आगे फ़ैल हो गया | रीमा की गांड की सख्त मांसपेशियां में इतना भीषण दर्द उठा जैसे लगा किसी ने चाकू से काटकर दो टुकडे कर दिए हो | ऐसा लगा जैसे किसी ने उसकी गांड में अन्दर तक नस्तर घुसेड के चीर दिया हो | रीमा की पिछली सुरंग का मुहाना खुल गया | रीमा के छल्ले का सारा प्रतिरोध धरा का धरा रह गया | उसकी गांड के मुहाने में भीषण जलन और दर्द होने लगा | रीमा की गांड का छल्ला अपनी पहरेदारी की नाकामी का वो तीखा दर्द लाया की रीमा क आँखों से आंसू लुढकने लगे | गांड के छेद को चारो ओर से घेरे छल्ले के खुलते ही रीमा को भीषण दर्द का अहसास होना शुरू हो गया | रीमा को जितेश बुरी तरह से अपनी बांहों में जकड़े था | रोहिणी और गार्ड के साथ हुए दर्द से ये दर्द ज्यादा तीखा था क्योंकि गिरधारी का लंड काफी मोटा था | उसने रीमा के गांड के छल्ले की फौलादी कसावट मटियामेट करके रख दी थी | रीमा के गांड के पहरेदार की शाहदत का दर्द रीमा को सर से लेकर पैर तक उसके जिस्म के रोम रोम में हो रहा था |
रीमा बहुत तेज दर्द से चीखने लगी – आआआआआऐईईईईईईईईईईऊऊऊऊऊऊ आआआआआ ईईईईईईईईईई ग्घ्ह्हह्ह्हह्ह आः ऊऊ आया ऊ ईईईईईईईईईईईइ, माआआआअररररररररररररर गाआआआआईईईईईईईईईईईईईईई दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |
जितेश बोला - रुक मत गिरधारी | आखिरकार रीमा ने भी तो यही बोला था | गिरधारी ने रीमा की गांड के छल्ले में फंसे अपने सुपाडे को पीछे खीचा और अपनी कमर का सारा जोर फिर से लंड पर डाल दिया | उसका लंड रीमा के छल्ले को और आगे तक चीरता हुआ उसकी गांड की गुलाबी सुरंग में धंसने लगा |
रीमा इस नए हमले के दोहरे दर्द के साथ फिर चीख उठी आआआआआआआआआआआअराराराराराराराराम्म्म्मममममममममममम स्स्से | ऊऊऊऊऊउईईईईईईईईईइ ममामाममामा ईईईईईईईईई माआआआआआअरररररररररररररररररररररररर डाडाडाडाडाआआआआअलालालालालाल |
रीमा को इस तरह दर्द से कराहता देख एक बार को गिरधारी सहम गया | जितेश -रुकना मत, वरना तेरी खैर नहीं भोसड़ी के |
गिरधारी ने फिर से लंड खीचा और पूरा जोर लगाकर रीमा कि कसी गांड में पेल दिया | रीमा की कसी गाड़ के मुहाने से रगड़ता खाता लंड बुरी तरह से उसकी सुरंग की जकड़न को चीरता हुआ आगे बढ़ने लगा |
एक के बाद एक लगातार तीन नए हमलो से रीमा की जान निकल गयी | इस नए तिहरे दर्द से रीमा बिलबिलाकर रह गयी - चीचीचीचीईईईईईईईईईईईइ रररररररररररररररररररररररररर डाडाडाडाडाआआआआ अलालालालालाल आआआआआऐईईईईईईईईईईइ ममामामामामामाममरररररररररररररररररररररररर गाआआआआआआआआआयियियियियियीय |
फाफाफाफाफाफाफाफाफाफाफाड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ डाडाडाडाडाडाडाडालीलीलीलीलीलीली मेरी गाड़ | हहहहहह्हहहहह्रिरीर्रीरिरिरिरिरीर मर गयी मै ममामाममामा ईईईईईईईईई |
रीमा की आँखों से आंसू झरने लगे | वो दर्द से दोहरी हो गयी | खुद की मुट्ठियाँ भींच कर दर्द को बर्दाश्त करने लगी | रीमा की कमर खुद बखुद आगे को खिसक गयी | रीमा गिरधारी से दूर जितेश से चिपकने लगी | , गिरधारी का सुपाडा रीमा की गांड के छल्ले की कसी जकड़न से आजाद होकर बाहर आ गया | रीमा की गांड चीरने का दर्द इतनी तेज था की उसके आँखों से आंसुओ की धार अपने आप बह चली | जितेश की सख्त जकड़न में भी रीमा अपने पैर पटकने लगी | रीमा की चूत में पहले से ही लंड धंसा हुआ था | गिरधारी ने रीमा को अभी भी नहीं छोड़ा, वो आगे खिसककर रीमा की गांड में फिर से लंड घुसेड दिया | जैसे ही जरा सा लंड रीमा की गांड में घुसा , वो एक पतली गुलाबी दीवार के अंतर से जितेश के लंड से रगड़ खाने लगा | इधर रीमा की बुरी हालत थी | अभी तक उसकी गांड का छेद पूरी तरह नहीं खुला था | इतना मोटा लंड उसे गांड में नहीं लेना चाहिए था | हलके सामान्य आकर के लंड में शायद उसे इतनी तकलीफ नहीं होती | गिरधारी की कमर का पूरा जोर उसके लंड पर ही पड़ रहा था | भीषण तीखे दर्द के के बावजूद इंच डर इंच आधा लंड गिरधारी ने रीमा की गांड में घुसेड दिया |
जितेश ने कसकर उसे थामे रखा |
रीमा - आआआआआआआआआआआईईईईईईईईईइ प्लीज निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज, मर जाउंगी मै | रीमा रोने लगी |
जितेश - घुसा हुआ लंड तो बाहर नहीं आएगा . . . मैडम रीमा जी कितना भी हाथ पाँव पटको |
जितेश गिरधारी से - रुकना मत भोसड़ी के, मैडम की गांड का अच्छे से बाजा बजाना है चूत और गांड की सारी खुजली मिटानी है |
गिरधारी - जी बॉस जैसा हुकुम |
उसके अन्दर भरी इर्ष्या और उसके अहम् को पहुंची ठेस अब अपने को संतुष्ट कर रही थी | एक तरफ वो गिरधारी को उकसा रहा था, ताकि दर्द सर तड़पती रीमा की नजरो में वो उसको विलेन बना सके और उस दर्द में उसे थामकर रखने से खुद को उसकी नजरो में हीरो साबित कर सके | जितना दर्द से रीमा तद्पेगी उतना वो जितेश पर निर्भर होगी |
जितेश उसके चूमने लगा उसे खुद के सीने से चिपका लिया, उसके स्तनों को मसलने लगा | जितेश को अहसास था, एक तो उसकी अधखुली गांड का कसा छल्ला उपर से दोहरे लंड और दोनों मुसल के मुसल, रीमा की हालत खराब होनी ही थी | जितेश को भी लगा अपनी रफ़्तार कम कर लेनी चाहिए वरना रीमा की हालत और ख़राब हो सकती है | हालत तो उसकी वैसे भी ख़राब होनी है उसने अपनी ये हालत खुद चुनी है | रीमा के जांघो के बीच की दोनों सुरंगों में दो मुसल लंड धंसे हुए थे | रीमा की आँखे आसुओं से भरी थी, चेहरा दर्द से भरा था और उसका जिस्म इस नए हमले से दहशत से भर गया था | उसके जिस्म ने ऐसा कुछ पहले कभी अनुभव नहीं किया था | जितेश ने रीमा को चूमना शुरू कर दिया ताकि उसकी दर्द भरी कराहे उसके मुहँ में ही घुट कर रह जाए |
जितेश - बस बस हो गया मेरी रीमा जान, बस अब इससे ज्यादा कुछ नहीं होना, खुद ही देख लो पूरे सुपाडे के साथ आधा लंड घोंट गयी है | अब बिलखना बंद करो, अब तो हो गया जो होना था | दो दो मुसल लंड घोंट लिए एक साथ अब और क्या बचा | अब तो बस मजे लुटने का टाइम है | गिरधारी बस नाम को कमर हिला रहा था |
जितेश - गिरधारी ऐसे मरेगा मैडम की कसी गांड | थोड़ा कमर पर जोर लगाकर हिला |
गिरधारी - मैडम को दर्द हो रहा है |
जितेश - अबे चुतियानंदन मैडम की गांड मार रहा है मालिश नहीं कर रहा है, दर्द तो होगा ही आखिर गांड मरवा रही कोई बालो में कंघी नहीं करवा रही है , मजे भी तो यही लूटेगी | जितना जयादा जोरदार तरीके मैडम की गांड बजाएगा उतनी जल्दी इसका दर्द दूर भागेगा | चल मैडम को बजाना शुरू कर, उनकी गांड मारना शुरू कर |
रीमा तो जैसे कुछ सुन समझ पाने की हालत में ही नहीं थी | जितेश की बातो का रीमा पर कोई असर नहीं हो रहा था | उसे लग रहा था वासना के जोश में आकर उसने गलती कर दी | रीमा को दर्द से ही होश नहीं था, उसकी आँखों से झर झर आंसू फुट रहे थे | वो दर्द के कारन रोये जा रही थी | बार बार गिरधारी से लंड को बाहर निकालने की गुहार कर रही थी | गिरधारी बार बार जितेश की तरफ देखता | जितेश तो गिरधारी को और भड़का रहा है |
जितेश उसे थामे वैसे ही लेटा रहा पीछे गिरधारी रीमा के जिस्म से चिपका कमर हिलाता रहा | रीमा की गाड़ का मुहाना जलन और दर्द से जलता रहा, जैसे ही लंड जरा सा आगे पीछे होता रीमा की चुताड़ो की घाटी तीखे दर्द से नहा जाती | जितेश थमा हुआ था लेकिन उससे रीमा का दर्द कम नहीं हुआ | जितेश ने रीमा का हाथ उसके चूत दाने पर रखा लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ | जितेश ने ही फिर रीमा के चूत दाने को मसलना शुरू कर दिया | काफी देर तक उसे चूमता सहलाता रहा और दोनों के दोनों लंड उसकी दो गुलाबी सुरंगों में गुसेड़े उसे थामे रहा |
इसके बाद उसने गिरधारी को रीमा की गांड को लंड आगे पीछे करकर मारने का इशारा कर दिया, अब तक बस गिरधारी की हिलती कमर के कारन रीमा की गांड का छल्ला उसके लंड के साथ आगे पीछे हो रहा था लेकिन लंड आगे पीछे गांड में नहीं दौड़ रहा था | गिरधारी लम्बी पींगे के साथ अपनी कमर हिलाने लगा |
कुछ पल के लिए उसका थमा दर्द फिर से उसे चीरने लगा | रीमा - बहुत दर्द हो रहा है प्लीज अपने मुसल लंड को बाहर निकाल लो, वरना मै मर जाऊँगी | ह्हाआआआआआ प्लीज | मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा है |
रीमा का इतना कहना था गिरधारी ने अपने धक्के तेज कर दिए |
रीमा - ह्हाआआआआआ ममामाममामा ईईईईईईईईई प्लीज क्यों मेरी गांड को फाड़ कर रख देने पर तुले हुए हो | हाय मै मर जाउंगी कितने पत्थर दिल हो जरा भी दया नहीं आती मुझ पर | गांड मारने को क्या दे दी मेरी जान ही ले लोगे क्या |
जितेश ने भी अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी थी | दो लंड एक साथ रीमा की दो गुलाबी सुरंगों में एक ही समय में | जितेश और गिरधारी के लंड रीमा की गुलाबी सुरंगों के अन्दर आपस में रगड़ खा रहे थे |