Episode 43
रीमा - आआआआआआआआआआआईईईईईईईईईइ प्लीज निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज हाय बहुत दर्द हो रहा है प्लीज |
रीमा - कितने बेदर्द जालिम इंसान हो, पुरे जानवर बन गए हो क्या, आखिर मेरी सुन क्यों नहीं रहे | मै कितना चीख रही हूँ चिल्ला रही हूँ और तुम दोनों मुझे चीर कर रखे दे रहो हो |
जितेश - ये गांड मरवाने के लिए गिरधारी को बुलाने से पहले सोचना चाहिए था मैडम | दो लंड घोटना वो भी एक साथ, कलेजा मुहँ को आ जाता है | मैंने बोला था तब तो डायलाग मार रही थी | अब भुगतो |
रीमा - हाय माआआआऐईईईईईईइ रिरिरिरिरिरिरिरिरिरी तो क्या जान ले लोगे मेरी, आआआआआआआआआआआईईईईईईईईईइ प्लीज निकाल लो | औरत की बात को दिल से लगा कर बैठ गए | मै जो भी बोलूंगी सब मान लोगे क्या |
जितेश - चूत में गांड में या औरत के जिस्म में घुसा हुआ लंड झड़ने के बाद ही बाहर आता है | जितेश ने एक करारी ठोकर मारी |
रीमा - आआआआआआआआह्पहीईईईईईईईईईइ र्हरिरिरिरिरिरिरिरीर्लेरीर ओओओओओओओओह्ह्हह्ह्ह्ह मेरी पहले की बात गांठ बांधकर कर रख ली तो अब मेरी बात क्यों नहीं सुन रहे हो | क्यों मेरी जान निकालने पर तुले हो |
रीमा अभी भी भीषण दर्द से गुजर रही थी लेकिन न तो अब जितेश रुकने के मूड में था न उसने गिरधारी को थमने को बोला | अब उसकी कोई सुनने वाला था ही नहीं | जितेश के जीवन की सबसे लम्बी चुदाई थी | जब भी वो चरम की तरफ बढ़ने लगता कोई न कोई अड़चन आ ही जाती | अब वो किसी भी अड़चन के लिए रुकने को तैयार नही था | रीमा बिलख रही थी, कोई बात नहीं उसे बिलखने दो | उसने अपनी ये किस्मत खुद चुनी है |
उसे दो लंडो से चुदने की हवस चढ़ी थी तो दो लंड से चुद रही है |
रीमा - हाय मै मर जाऊँगी मेरी गांड और चूत दोनों फट जाएगी, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज रुक जावो, तुम जालिमो को मुझ पर बिलकुल दया नहीं आ रही | कितने पत्थर दिल इंसान हो | एक बार लंड औरत के जिस्म में घुस पावो फिर मर्दों को कुछ नहीं दिखाई पड़ता |
जितेश अपनी बलिष्ट बाजुओं में रीमा को सख्ती से थामे उसकी चूत में लंड पेल रहा था पीछे से उसका नौकर भी रीमा की ताज़ी खुली गांड में अपने लंड को पेल रहा था | जितेश के लिए ये एक अजीब अनुभव था | एक मर्द का स्पर्श उसके लिए किसी भी तरह से सहज नहीं था | लकिन वो रीमा की जिद के आगे बेबस हो गया | शायद इसीलिए उसके मन में एक नाराजगी भी | उसे पता था रीमा दर्द से कराह रही है बिलख रही है, वो चाहता तो उसके दर्द पर मरहम लगा सकता था और उसे दर्द बर्दास्त करने का मौका दे सकता था | लेकिन जब रीमा ने ही ये दर्द चुना है तो कौन होता है उसे रोकने वाला | गिरधारी जोश में ज्यादा तेज अपने चूतड़ हिला रहा था | उसी की संगत में जितेश भी अपने चुताड़ो को तेजी से ठेलने लगा | रीमा दू बलिष्ट मर्दों के जिस्मो के पाटो के बीचे सैंडविच बनी पिस रही थी | उसकी दोतरफा ठुकाई शुरू हो गयी थी, रीमा दोतरफा चुदना शुरू हो गयी थी | वो बिलख रही थी सिसक रही थी रो रही थी कराह रही थी लेकिन वासना में अँधा इंसान अपनी नहीं सुनता दुसरे की कौन सुनेगा | उसके जिस्म की मखमली सुरंगों का नरम गरम अहसास दोनों के लंडो के खून में उबाल लाये पड़ा था ऐसे में रीमा के मखमली सुरंगों की सिसकन रुदन की किसको पड़ी थी | इस वक्त दोनों वासना के उस जोश पर थे जहाँ कोई अगर उनकी कनपती पर आकर बन्दुक लगा देता तो भी अपने लंड बाहर नहीं निकालते | औरत के जिस्म का अहसास, उसकी गुलाबी सुरंगों का अहसास, उन्हें चोदने का चीरने का कूटने का अहसास सिर्फ एक मर्द और सुका फूला हुआ लंड ही कर सकता है | ऐसे समय में मर्द को मरना मंजूर होता है लेकिन रुकना नहीं | गिरधारी और जितेश भी उसी दौर से गुजर रहे थे, रीमा के जिस्म की सुरंगों के मखमली गरम अहसास में रीमा की दर्द भरी करुण चीखे पुकारे विनातियाँ उनके कानो तक नहीं पहुँच रही थी | अगर पहुँच भी रही थी तो वो सुन नहीं रहे थे | वो तो बस दनादन रीमा के जिस्म में अपना अपना लंड पेल रहे थे |
कुल मिलाकर दो तने हुए कड़क लंड रीमा के जिस्म की सुरंगों का सफ़र तय करके उसकी वासना का भूत उसके दिलो दिमाग से उतारने में जी जान से जुटे हुए थे | अब वक्त था रीमा की पिछली सुरंग में और आगे का सफ़र तय करने का | मंद्बुधि गिरधारी तो इतने में ही खुस था लेकिन जितेश ने उसके अन्दर जोश भर - क्या बच्चो की तरह रीमा के चुताड़ो पर फुदक रहा है | मर्द की तरह चोद रीमा को | पूरा लंड पेल रीमा की गांड में | जड़ तक धंसा से अपने लंड | पूरी खोल के रख दे रीमा की गांड को | इतना तगड़ा लंड लेकर घूम रहा है और एक औरत की गांड का छेद नहीं खोल पा रहा | शर्म आणि चाहिए तुझे अपनी मर्दानगी पर |
रीमा अभी पिछले दर्द से साँस भी न ले पाई थी, जितेश ने चाभी भर दी | जितेश के उकसाने पर गिरधारी ने रीमा की गांड से बाहर लंड निकाला | जितेश का लंड तो पहले से ही रीमा की गांड में धंसा हुआ था गिरधारी ने पूरी ताकत लगाकर फिर से लंड रीमा की गांड में पेल दिया | रीमा की गांड का कस छल्ला अभी बभी बहुत सख्त था | गिरधारी ने पूरी ताकत झोंक दी, रीमा का सख्कित छल्सीले और कमर के भीषण दबाव के बीचे गिरधारी के लंड का सुपाडा पिस कर रह गया | आखिर रीमा की गांड का कसा गुलाबी छल्ला कब तक गिरधारी की मर्दाना ताकत के आगे टिकता उसका लंड रीमा की गांड के कसे छल्ले को फाड़ता हुआ उसकी गांड की गुलाबी गहराइयो में उतर गया | जितेश तो अपने झटके बदस्तूर लगा रहा था | ऊपर से गिरधारी का मुसल लंड सुरुआती भीषण प्रतिरोध को चीरता हुआ रीमा की गांड की गहराइयो तक धंसता चला गया | उन दोनों के लंड रीमा की दोनों गुलाबी सुरंग के अन्दर आप में कस के एक दुसरे से मसल रहे थे |
रीमा का गांड में वही जलन और वही तीखा दर्द लौट आया |
रीमा - आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह ओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह गागागागागाडडडडडडडडडड आआअह्ह्ह्ह |
गिरधारी आइस्ते आइस्ते अपने लंड को रीमा की गांड की गहराइयो में ले जा जा रहा था जिससे वो उसके सुरंग की गहराई में गोते लगा सके लेकिन उसकी पिछली सुरंग का जख्मी पहरेदार ही रीमा के लिए नासूर बन गया था और उसकी गांड के छल्ले पर घिसते लंड से रोये खड़े कर देने वाला तीखा दर्द पैदा हो रहा था | उसकी गांड में तीखी जलन होने लगी | ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसकी गांड की दीवारों में आग लगा दी हो |
रीमा अभी भी दोहरे दर्द में डूबी हुई थी और वो दोनों अपने अपने अहम् में नूरा कुश्ती शुरू कर रहे थे | जितेश और गिरधारी की इस लडाई में रीमा की ही वाट लगनी थी दोनों तरफ से |
लेकिन इस बार रीमा की तकलीफों की परवाह न तो जितेश को थी न गिरधारी को | दोनों रीमा की गुलाबी सुरंगों में अपने अपने लंड को पेलने में मशगूल थे | गिरधारी की हालत ख़राब हो रही थी | रीमा की कसी गांड ने उसकी एड़ी से चोटी तक पसीना निकाल दिया था | गांड में वो भी नयी ताज़ी गांड में लंड पेलने में इतनी ताकत लगती है उसे पता नहीं था | न केवल उसकी साँस फूलने लगी थी बल्कि उसका दम भी निकलने लगा था | कुल मिलाकर रीमा दो लंड से एक साथ चुदने लगी थी |
जितेश ने उकसाया - अबे तू तो अभी से थकने लगा भोसड़ी के, अभी तो रीमा की गांड की नथ ठीक से नहीं उतार पाया, फट के हाथ में आ गयी रीमा की गांड मारने में | अबे मर्द की तरह गांड मार के बजा रीमा को | साले दम लगा अपने जिस्म की और लंड पेल रीमा की गांड में | चला था मुझसे मुकाबला करने |
रीमा - कैसा मुकाबला |
जितेश - कुछ नहीं बेबी तुम दो लंडो को एन्जॉय कर न | मजा आ रहा है दो लंडो से चुदकर |
रीमा - बहुत दर्द हो रहा है |
जितेश - कोई नहीं बेबी बर्दार्ष्ट करो, बस कुछ देर में ही दो लंडो पर बैठकर जन्नत की सैर करोगी |
जितेश अब तक रीमा की चाहत समझ गया था | वो रीमा के साथ थोडा सख्ती से पेश आ रहा था | वो रीमा को लेकर पीठ के बल हो गया | रीमा अब उसके ऊपर आ गयी | उसने अपना लंड रीमा की चूत में घुसेड दिया और उसे चोदने लगा | पीछे से गिरधारी जमीं पर खड़ा होकर बेड के किनारे रीमा के मांसल गुदाज चुताड़ो से चिपक गया | उसने रीमा के गांड का निशाना साधा और एक ही बार में अपना लंड रीमा की कसी कमसिन गांड की गुलाबी गहराइयों में उतार दिया | रीमा दर्द से नहा गयी | उसके मुहँ से तेज चीख निकल गयी |
जितेश - ठीक से पेल लंड मैडम की गांड में वरना इनकी गांड की खुजली कैसे मिटेगी |
गिरधारी ने जोर जोर से लंड पेलना शुरू कर दिया | उसके धक्को से रीमा आगे पीछे हिल रही थी | साथ में उसके पर गिरधारी की ठोकरे कमरे में थप थप की आवाज गुंजायमान कर रही थी | रीमा के बड़े बड़े उरोज उसकी गांड की सुरंग पर पड़ते हर झटके से साथ झुला झूल रहे थे | नीचे से जितेश की कमर भी हिल रही थी | दो दो मोटे मुसल फूले हुए लंडो ने रीमा के अंतरों को पूरा का पूरा भर दिया था | अभी वो दर्द से ही बिलबिला रही थी और इस हालत में नहीं थी की कुछ महसूस कर सके | फिर भी उसे आभास था दो मांस की तगड़ी गरम सख्त मीनारे दनादन उसके अंतरों को चीर रही है | उसके जिस्म की नाजुक गुलाबी सुरंगों में रेस लगा रही है | जितेश पूरी कोशिश कर रहा था की वो रीमा की चूत में बेतहाशा लंड पेल सके लेकिन ये सौभाग्य गिरधारी के पास था | वो रीमा की गांड जमकर लंड पेलने की पोजीशन में था और वो पेल भी रहा था | रीमा सिसक रही थी कराह रही थी बिलख रही थी | उसने सपने में भी नहीं सोचा था ये इतना तकलीफदेह होगा | दर्द तो उसे तब भी हुआ था जब रोहिणी ने उसकी कुंवारी गांड की नथ उतारी थी | वो दर्द भी ऐसा ही तीखा था, तब भी वो बिलबिला कर रह गयी थी यकीन तब उसका दर्द जल्दी ही गायब हो गया था | गार्ड का लंड लेटे समय भी वो इसी दर्द से गुजारी थी लेकिन वहां भी जल्दी ही उसकी गांड ने अपने कपाट खोल दिए थे | लेकिन यहाँ तो दर्द जाने का नाम ही नहीं ले रहा | उसकी वजह थी दो दो मोटे मुसल लंड | जो उसकी गांड और चूत को एक साथ कुचल रहे थे |
उसकी कसी गांड और गुलाबी चूत का एक साथ भुर्ता बनाये दे रहे थे | आखिर उसकी गुलाबी गांड फैलकर जाये भी कहाँ | दूसरी तरफ से फौलाद की सख्त मीनार नुमा मोटा फूला हुआ लंड उसकी क्मख्माली चूत में जो धंसा था | इन्ही दो लंडो के पाटो के बीच उसकी चूत और गांड बुरी तरह पिस रही थी | उसका कोमल जिस्म दो कठोर मर्दों के बीच में सैंडविच बनकर रह गया था | उसके हाथ में कुछ नहीं था | न वो ठीक से सोच पा रही थी वो इस हालत में भी नहीं थी की अपना दिमाग चलाये, न ही उसका शरीर पर नियंत्रण था | वो अब बस उन दोनों मर्दों के भरोसे थी | उसका पूरा जिस्म उन मर्दों के काबू में था | उसे जैसे चाहे सहलाये , चाटे, चूमे, मसले और चोदे | उन मर्दों की वासना की ठोकरों में ही अब उसका पूरा अस्तित्व हिल रहा था | उसका पूरा जिस्म उन मर्दों के मोटे मुसल लंडो की भीषण ठोकरों से कठपुतली की तरह नाच अरह था | गिरधारी जोर जोर से रीमा की गांड में दनादन लंड पेल रहा था | जितेश भी रीमा की जिद को अब पूरा करने में लगा हुआ था, वो जानता था रीमा तकलीफ में है, उसे दर्द हो रहा है लेकिन उसने अपनी नियति खुद चुनी है | रीमा अपनी जिद की कीमत आड़ कर रही थी | उसे जीवन में पहली बार अहसास हो रहा था, अपनी कामवासना की फैन्ताशी पालना, उसके मीठे मीठे सपने देखना और उसे सच में जिंदगी में जीने में कितना फर्क है | दो लंडो की चुदाई की हकीकत कितनी तकलीफदेह होगी रीमा ने सपने में भी नहीं सोचा था | अक्सर हकीकत की ठोकर खाकर सपने टूट जाते है | और जो अपने सपनो की खातिर उस हकीकत को बर्दाश्त कर जाते है वो ही असली चैम्पियन बन जाते है | रीमा पछता रही थी बिलख रही थी सिसक रही थी, दो तरफ़ा चुद रही थी |
जितेश ने रीमा की चूत में अपना लंड अन्दर तक घुसेड कर स्थिर हो गया |
जितेश ने गिरधारी को और भड़काया - क्या कर रहा है गिरधारी, ऐसे हिला हिला कर मैडम की गांड की खुजली मिटाएगा | मर्द की तरह लंड पेल मर्द की तरह | मैडम की गांड का ढंग से बाजा बजा | मैडम को कम से कम सात दिन गांड मरवाने का अहसास होते रहना चाहिए | जब चले तो मटकती गांड और हिलाते चुताड़ो में तेरे लंड की चुभन का दर्द महसूस होना चाहिए | मै होता तो अब तक चीर के रख देता |
गिरधारी अब रीमा पीठ पर झुक गया | उसने अपने लंड को रीमा को गांड में जड़ तक घुसा दिया | रीमाँ के मांसल चौड़े चूतड़, कमर पिंडलियाँ जांघे, सब उस भीषण आघात से दर्द से नहा गए |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ममामामामामामाम्मामाआआआआआआअ रररर रररर रररर रररर गयीईईईईईई रीईईईईए |
रीमा की गांड की सुरंग तो खुल गयी थी लेकिन मुसल लंड के भीषण आघातों के लिए उसका संकरा छेद नाकाफी था | चूत में धंसे लंड की वजह से कही कोई गुंजाईश बची ही नहीं थी | जितेश का मोटा लंड रीमा की चूत के गुलाबी ओंठो को बुरी तरह से फैलाकर अन्दर तक धंसा हुआ था | गांड की संकरी दीवारों को गिरधारी का लंड बुरी तरह कुचल रहा था | ऐसा लग रहा था जैसे रीमा के छेदों को ऊपर तक ठसाठस उन लंड ने भर दिया है अब उसकी सुरंगों में और जगह नहीं बची है |
रीमा - हाय हाय हाय माआआआआआआ रररर डाला तुम मर्द कितने जालिम होते हो | गांड क्या चोदने के लिए दी तुम तो मेरी जान निकाल लेने पर उतारू हो | बहुत दर्द हो रहा है |
गिरधारी - मैडम उस दर्द का मजा भी तो आप ही लूट रही हो | यहाँ तो आपकी कसी गांड ने लंड छील के रख दिया है |
जितेश - गांड मार रहा है भोसड़ी के दम तो लगेगा ही |
रीमा - धीरे धीरे दम लगावो, नहीं तो मेरी फट जाएगी . . एक दम से पेल देते हो जान निकल जाती है |
जितेश - ये तो खूंटा ठुकवाने से पहले सोचना था | अब तो हम अपने हिसाब से तुमारी चूत और गांड को बजायेगे |
रीमा - हाय हाय कितने जालिम हो, मुझे नहीं पता था तुम इतने बेरहम निकालोगे | खुद तो मेरी चूत में खूंटा गाड़े बैठे हो और भड़का उस बेचारे को रहे हो | गांड फाड़ के रख दी, हाय मुझे बहुत दर्द हो रहा , हाय मुझे न घोंटा जा रहा ये मुसल लंड, निकाल लो प्लीज |
जितेश - भला आज तक कोई गांड मरवाने से मारा है, गिरधारी मैडम की गांड की खातिरदारी में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए | आज दिखा दे तू भी असली मर्द का बच्चा है | गिरधारी ने ठोकरे मारनी जारी रखी | रीमा दर्द से कसमसाती रही बिलखती रही |
दो मुसल लंड और दोनों गहराई तक रीमा के जिस्म में. . . . सच में यही था रीमा के दोनों अंतर पूरी तरह से भरे हुए थे | फनफनाता फूलता लंड आखिर किधर जाये | उसके उसी गहरी संकरी सुरंग को चीर कर अपना सफ़र तय करना था | ये सफ़र गिरधारी के लिए भी आसन नहीं था | लेकिन रीमाँ के लिये बेहद तकलीफदेह था | वो तड़प रही थी बिलख रही थी हाथ पैर पटक रही थी लेकिन रीमा ये तकलीफ सह भी रही थी, इतना सब होने के बावजूद उसे पता था न तो वो दोनों उसकी संकरी सुरंगों से लंड निकालने वाले है और न ही वो इसके लिए कहने वाली है | इसी दर्द तड़प से अपनी अनंत वासनाओं के ख्वाबो को पूरा कर रही थी | भले ही उसकी कीमत कुछ भी क्यों न हो | गिरधारी ने रीमा ही गांड में जड़ तक् लंड धंसाने के बाद ऊपर तक खीच लिया और फिर से उसके चुताड़ो पर भीषण ठोकर मारी | रीमा की आँखों में पानी की धार निकल आई | गिरधारी दे दनादन रीमा के पिछले छेद की संकरी गुलाबी सुरंग को चीर कर अपने लंड को सटासट उसमे पेलने लगा |
वो पूरा लंड बाहर खीच रहा था उअर पूरा लंड फिर से गांड में पेल रहा था | उसकी जोरदार ठोकरों से रीमा के मांसल चूतड़ और जांघे थलर थलर कर उछाल रहे थे | रीमा दर्द की घनघोर पीड़ा में अपनो मुठियाँ भीचे किसी तरह से उस भीषण गांड ठुकाई का दर्द बर्दाश्त कर रही थी | स्थिर होने के बावजूद गिरधारी की ठोकरों से जितेश का लंड अपने आप ही रीमा की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था |
गिरधारी की कमर रीमा की उठे हुए भरी भरकम मांसल चुताड़ो पर बार बार कसकर ठोकरे मार रही थी | उसका लंड सटासट रीमा की पिछवाड़े में गायब हो जा रहा था | रीमा की गांड का छल्ला अपनी पूरी सख्ती से लंड के चारो तरफ घेरा बनाये हुए था | रीमा जमकर चुद रही थी घनघोर तरीके से चुद रही थी उसने तो सोचा भी नहीं था ऐसे चुद रही थी | दो दो लंडो की जबरदस्त ठोकरों उसके पुरे बदन को हिलाए पड़ी थी | उसके अंतरों को चीर के रखे दे रही थी रीमा दर्द से छटपटा रही थी, बिलबिला रही थी कराह रही आंखे मूंदे मुठ्ठियाँ भींचे दर्द को बर्दाश्त कर रही थी | वो दर्द जो शायद उसकी वासना की आग पर कुछ पानी डाल सके | दो मर्द, एक औरत | दो मोटे मुसल लंड और एक कमसिन कोमल नाजुक चूत | आखिर कार दुसरे लंड ने अपना रास्ता ढूंढ ही लिया |
ऐसा नहीं था की रीमा के छेद फैले नहीं थे | सामान्य लंड होते तो शायद रीमा आराम से घोंट लेती | आखिर वो एक जवान भरी पूरी औरत थी | लेकिन उसकी गुलाबी मखमली सुरंगों के संकरे छेद थे ही इतने बड़े, वो जितना फ़ैल सकते थे वो फ़ैल चुके थे | आराम से कोई साधारण लंड उसमे सफ़र कर सकता था | जितेश और गिरधारी के मुसल मोटे लंडो के आगे रीमा के संकरे छेद अपने पूरी खिचाव में खुलने के बाद भी तंग ही रह जा रहे थे | उसके जांघो के बीच की चूत और चूतड़ घाटी की जगह कम पड़ गयी थी, इसीलिए उन लंड को अतिरिक्त दबाव लगाकर रीमा के मखमली छेदों को चीरना पड़ रहा था और यही रीमा की तकलीफ और तड़पने का कारन था | रीमा के गुलाबी छेदों के हिसाब से लंड ज्यादा हो बड़े और मोटे थे | एक कोमल सी औरत के जिस्म के दो संकरी सुरंगे | उन संकरी सुरंगों को फैलाकर उनकी गुलाबी मखमली कोमल दीवारों को चीरकर उनमे सरपर दौड़ते दो मर्दों के मोटे सख्त मुसल लंड |
रीमा का कराहना बिलखना जितेश से देखा नहीं जा रहा था | एक तरफ तो वो गिरधारी को भड़का कर रीमा को ज्यादा से ज्यादा तकलीफ देना चाहता था लेकिन रीमा के खूबसूरत मासूम दर्द भरे चेहरे को देखकर उसका अन्दर का दिल पसीज रहा था | वो रीमा की कराहों को अपने मुहँ में लेने लगा | उसने रीमा के ओंठो को खुद से कसकर सटा लिया और उसे चूमने लगा |
रीमा के जीवन का सबसे मुश्किल, सबसे कठिन सबसे तकलीफदेह लेकिन सबसे रोमाचक क्षण | उसके जिस्म के दो छेदों के संकरे मुहानों को चीर कर उनकी गुलाबी दीवारों को फैलाकर, उसके जिस्म में अन्दर तक धंसे हुए दो हाहाकारी लंड | ऐसा लग रहा था जैसे उसकी गांड और चूत के बीच का सारा पर्दा मिटाने को आतुर हो | हर धक्के के साथ न केवल दोनों उसके जिस्म के बाहर आपस में रगड़ खा रहे थे बल्कि अन्दर भी बस एक पतली गुलाबी परत के परदे से एक दुसरे को मसल रहे थे | अब तक जितेश बस रीमा की गुलाबी चूत के दोनों ओंठो को फैलाये हुए उसके मखमली सुरंग में अपना लंड घुसाए लेटा था | रीमा उसको बेतहाशा चूम रही थी | उसके हाथ रीमा की उन्नत नुकीली तनी हुए छातियो पर घूम रहे थे | गिरधारी रीमा के चुताड़ो को थाम उसके पिछवाड़े को कस कर बजाने में लगा था | गिरधारी के मुसल लंड से लगातार रगड़ खाकर रीमा की गांड की तीखी दर्द भरी जलन अब भीषण गर्माहट में बदल गयी थी, रीमा को अहसास हो रहा था एक मोटी मांस की गरम मीनार उसको चीर कर अन्दर जा रही है | इस दर्द का भी अपना मजा था, अपनी जवानी लुटाकर, रीमा उस दर्द को महसूस कर रही थी जिसे सिर्फ वही औरत महसूस कर सकती है जिसने ऐसा किया हो |
रीमा दर्द से कराहती हुई अब अपने होशो हवास में लौटने लगी थी | गिरधारी भी बुरी तरह से रीमा की गांड पेल के हांफने लगा था | वो अपनी उखड़ी सांसे काबू करने लगा | हालाकि उसका लंड अभी भी रीमा की संकरी गुलाबी गांड में सटासट आगे पीछे फिसल रह था | उसके लंड का सुपाडा अभी भी रीमा की गाड़ की गहराइयो में था और हफाने के कारन वो हलके हलके बस अपनी कमर हिला रहा था | रीमा को भी इसीलिए दम लेने का मौका मिल गया था वर्ना जब से गिरधारी ने लंड घुसेड़ा था उसका दर्द से बुरा हाल था | दो लंड की भीषण पेलाई से उसकी धड़कने वैसे भी अपने चरम को छु रही थी | इसीलिए जब गिरधारी थमा तो रीमा ने भी राहत की साँस ली | चूमा चाटी, सहलाना, मसलना चिकोटी काटना अब बस इसी सब का दौर चल रहा था | गिरधारी रीमा के मांसल नरम नरम गद्देदार चुताड़ो को मसल रहा था तो जितेश उसके स्तनों को मसल रहा था |
गिरधारी - आआआअह्हह्हह्हह्ह आपकी गाड़ बहुत कसी है मैडम और आपके चुताड़ो के क्या कहने, कितने नरम और चिकने है |
जितेश - साले जिस काम के लिए मैडम ने बोला है सिर्फ वो कर, उनकी गांड मार, चुताड़ो को हाथ भी मत लगाना |
गिरधारी रीमा के बड़े बड़े चुताड़ो को मसलता हुआ - बॉस तो मुझसे जलते है आआआह्ह क्या गद्देदार नरम चिकने चूतड़ है, मन कर रहा है इनकी तकिया बनाकर सो जाऊ | मैडम इतने चिकने गोरे नरम नरम चूतड़ कैसे रखती है, कौन सी क्रीम लगाती है |
रीमा - तुम्हे अच्छे लगे मेरे चिकने चूतड़ |
गिरधारी उन पर चपत लगता हुआ - तड़ाड़ाड़ाड़ाड़ाक |
रीमा - आआआआऊऊऊऊउचचचचचचचचचचचचचच ऐसा मत करो प्लीज|
गिरधारी - मजा आया |
रीमा - नहीं प्लीज ऐसा मत करो, चोट लगती है |
इससे पहले रीमा के चूतड़ पर फिर से गिरधारी स्लैप करता . . जितेश उसे लेकर दायी करवट लुढ़क गया | गिरधारी रीमा के पीछे आया और उसकी कसी संकरी गुलाबी गांड में अपना लंड घुसेड़ अपनी कमर हिलाने लगा | रीमा दो मर्दाने जिस्मो के बीच पिसने लगी | आगे से जितेश और पीछे से गिरधारी एक साथ रीमा की चूत और गांड में लंड पेलने लगे | कुछ पल की राहत फुर्र हो गयी रीमा फिर से अपनी गाड़ की जलन और दर्द से बेहाल होने लगी थी |
रीमा दर्द और कराहों से फिर सिसकने लगी | दोनों तरफ से मुसल लंडो का रीमा के गुलाबी गोरे जिस्म में घुसना बदस्तूर जारी था | रीमा दर्द से सिसक रही थी, दो तरफ़ा ठोकरों से कांप रही थी और पूरी तरह अपने नियंत्रण से बाहर थी |
जितेश ने उसका ध्यान बटाने के लिए उसके कड़े तने हुए निप्पलो को कसकर मसलने लगा | रीमा इस मसलन से चिंहुक उठी | पहले ही क्या कम तकलीफ से गुजर रही जो जितेश और ज्यादा दर्द देने लगा | वो इस नए दर्द से और तेजी से कराहने लगी |
रीमा - आआआआआआआआआआआअऊऊऊऊऊऊऊचचचचचचचचच सिसिसिसिसीईईईईईईईईईईईईईईइ |
जितेश - क्या हुआ |
रीमा - मुझे तकलीफ देने में बड़ा मजा आता है |
जितेश - ये सवाल खुद से पूछो तो बेहतर है |
रीमा - तुम सब मर्द एक जैसे होते हो | औरत को नोचना खसोटना और दर्द देना जानते हो बस . . कुछ नहीं जानते तो वो है प्यार करना |
जितेश - अच्छा अब इसमें भी हमारी गलती है |
रीमा - और नहीं तो क्या, तुमारे इशारे पर ही तो उसने मेरा कचूमर निकाल दिया |
जितेश - मै तो वही कर रहा था जो तुमने कहा था |
रीमा - क्या कहा था मैंने |
जितेश - कितना भी चीखू चिल्लाऊ हाथ पैर पटकू अपनी एक्सप्रेस गाड़ी मत रोकना |
रीमा - कितने जालिम होते हो तुम मर्द, औरत को दर्द देकर कितना खुश होते हो | जरा भी तरस नहीं आया मुझ पर कितना चीख चिल्ला रही थी | कितना दर्द हो रहा था मुझे और तुम गिरधारी को भड़काने में लगे थे |
जितेश - मैंने क्या किया है, तुमारी गाड़ का भुर्ता तो उसके लंड ने बनाया है |
रीमा - मुझे सब पता है तुम्ही उसे उकसा रहे थे |
जितेश - लो जी अब सारी गलती मेरी है | गांड में तुमारे खुजली हो रही थी, गांड में तुम्हे मरवानी थी, मुसल लंड तुम्हे घोटना था | एक नहीं दो दो मुसल लंड घोटने थे, गाड़ तुमारी उसने फाड़ी और गलती सारी मेरी है | ये सही है तुम औरते तो कभी गलती करती ही नहीं | सब गलती मर्दों की ही होती है |
रीमा - मुझे क्या पता था, दो लंडो को एक साथ घोटने से जान निकल जाती है, गार्ड का लंड पतला था आराम से घुस गया था इसका तो मुसल है मुसल, ऊपर से इतनी बेदर्दी से पेला है सच में इसने गांड ऐसा चीर कर रख दी की पूछो मत | पता नहीं कब तक ये जलन दुखती रहेगी |
जितेश - मजा आया |
रीमा - हाय हाय हाय कितने पत्थर दिल हो मेरी दर्द से जान निकल गयी है तुम्हे मजे की पड़ी है |
जितेश - उस दर्द को पिया भी तो मैंने है |
रीमा - मतलब |
जितेश - तुमारी आँखों से बहते हर आंसू की बूंद को घुट बनाकर पीता रहा हूँ |
रीमा - तुम्हे मजाक सूझ रहा है |
जितेश - सच्ची में, तुमारी तकलीफों का एक भी आंसू बेड पर नहीं गिरने दिया | तुमारी सारी तकलीफे पी गया |
रीमा - चलो हटो बदमाश कही के |
जितेश - अभी कैसे हट जाऊ, अभी तो तकलीफों भरी राहो का सफ़र शुरू हुआ है | अभी तो बहुत कुछ बाकि है |
इतना कहकर उसने रीमा को गोदी में उठा लिया और जमीन पर खड़ा हो गया | एक पोजीशन में लगातार चोदने से थकावट आ जाती थी इसलिए जितेश जल्दी जल्दी पोजीशन बदलने लगा | इससे उन दोनों को अपनी सांसे काबू करने का मौका मिल जायेगा और रीमा को भी एक नया अनुभव मिल सकेगा | रीमा जितेश की गोद में थी | उसका लंड रीमा की चूत में | पीछे से गिरधारी आ गया और रीमा के नरम चूतड़ थाम लिए | रीमा जितेश की हाथों में लटकी उसके जिस्म से चिपकी थी | गिरधारी ने रीमा की जलती संकरी गांड में बिना देर के लंड घुसेड़ दिया और कमर हिलाने लगा | रीमा की गांड की तीखी जलन अभी भी बरक़रार थी लेकिन अब वो बर्दास्त करने लायक थी लेकिन उसकी गांड का कसा छल्ला पूरी तरह फैलाकर भी अभी तक गिरधारी के लंड को अपनी कसावट में बुरी तरह जकड़े था | उसका सुपाडा उसकी हिलती कमर के साथ रीमा की गांड की चिकनी गुलाबी मखमली दीवारों पर घिसने लगा | वो अहसास ही कुछ और था | गिरधारी तो अपने सफ़ेद पाउडर के नशे में था लेकिन रीमा के वासना के नशे के आगे वो कुछ भी नहीं था | दो दो लंडो से चुदने का नशा, लंड भी मुसल मोटे तगड़े हाहाकारी |
जितेश रीमा को अपनी बांहों में थामे खुद की कमर हिलाने लगा | हवा में लटकी रीमा की नाजुक संकरे गुलाबी छेदों पर दो तरफ़ा हमला होने लगा | रीमा के जिस्म में दो मोटे लंड उसके अंतर की गहराइयो में धंसने लगे | रीमा दो लंडो के बीच पिस कर दो तरफ़ा एक साथ लगातार चुद रही थी | इस तरह से दोतरफा उसकी कभी किसी ने नहीं बजाई थी | रीमा बार बार जितेश की गर्दन में हाथ डालकर खुद को संभालती लेकिन नीचे उसकी चूत और गांड पर पड़ती तने सख्त लंडो ठोकरों की ठोकरों से उसका संतुलन बिगड़ जाता | ऐसे खड़े खड़े रीमा के जिस्म में लंड पेलना आसान नहीं था | इस तरह की खड़े खड़े चुदाई करना आसान नहीं था | लेकिन जब दिलो दिमाग पर हवस और सिर्फ हवस हावी हो और उसकी गर्मी से जिस्म भरे हुए हो तो कुछ भी संभव था |
जितेश के लिए ये सब आसान नहीं था | एक तरफ वो रीमा को संभाले था और दूसरी तरफ उसकी गुलाबी चूत भी चोद रहा था | उसके जिस्म पर दोहरा दबाव पड़ रहा था लेकिन वो भी फौलादी मिटटी का बना हुआ था | मजाल उसके चेहरे पर इस बात की शिकन हो |
इस पोजीशन में कोई भी सहज नहीं था लेकिन रीमा की चुदाई में कोई कमी नहीं थी, रीमा की ठुकाई में कोई कमी नहीं थी | दोनों तरफ से रीमा की चूत और गांड का भरपूर जोरदार तरीके से बाजा बजाया जा रहा था | ऐसी चुदाई रीमा की कभी नहीं हुई थी | दोनों मिलकर उसे भरपूर जोरदार तरीके से पेल रहे थे | रीमा के चुताड़ो पर दो तरफ़ा ठोकरे दाना दनादन बरस रही थी | जितेश कुछ ज्यादा ही जोश में था | उसे रीमा की चूत चोदते हुए एक घंटे से ज्यादा हो गया था लेकिन जैसे ही वो अपनी स्पीड पकड़ पाता था कोई न कोई बाधा आकर उसकी चुदाई में खलल डाल देती थी | वो लगातार बार बार पड़ने वाली रूकावटो से खीझ गया था | एक घंटे में बमुश्किल सब मिलाकर पंद्रह बीस मिनट ही वो ठीक से रीमा की चूत में मन मुताबिक अपना लंड पेल पाया था | जैसे ही वो स्पीड पकड़ता था किसी न किसी वजह से उसको रुकना पड़ता था या बस हलके फुल्के धक्के लगाकर रीमा को चोदना पड़ता था ताकि उसे ज्यादा तकलीफ न हो | बार बार पड़ने वाले खलल से उसका जोश और लंड का कड़ापन दोनों नरम हो जाते थे | रीमा की वासना बुझाने की और उसका ख्याल रखने की भी जिम्मेदारी उसी की थी | वो जानता था रीमा तो कामवासना में पागल हो गयी है लेकिन उसके जिस्म को, उसके नाजुक अंगो को कही कोई नुकसान न पहुंचे इसका ख्याल उसे रखना था | उसको ध्यान रखना था की रीमा की ठीक से जमकर जोरदार चुदाई भी हो. लेकिन उसके नाजुक कोमल गांड और चूत को कोई चोट भी न पहुंचे |
इन्ही सब में वो कभी चोदने पर पूरा ध्यान लगा ही नहीं पाया | रीमा की गांड में अभी भी जलन भरा दर्द हो रहा था लेकिन उसका संकरा छेद अब गिरधारी के लंड को कसकर रगड़ देता हुआ अन्दर जाने दे रहा था | रीमा की गांड के छेद ने बाहर से आये इस मुसल हाहाकारी लंड के लिए अपने दरवाजे खोल दिए थे | रीमा अभी भी कराह रही थी लेकिन उसके जिस्म में वासना की गर्मी चढ़ी हुई थी, अब वो दो लंड की दनादन ठोकरों से मदहोश हो गयी थी | जितेश ने रीमा की कराहों की परवाह किये बिना उसकी चूत में दनादन लंड पेलना शुरू कर दिया जैसे वो रीमा को चोदना चाहता था | उसे पता था अब रीमा का हवस की गर्मी से तपता बदन आराम से उसके लंड को घोंट लेगा | गिरधारी के लिए इस तरह से सटासट लंड पेलना आसन नहीं था | वो कमर पर जोर डालकर अपना लंड रीमा की कसी गुलाबी गांड में खिसका रहा था | इस तरह से खड़े खड़े किसी औरत को चोदना आसान नहीं था फिर भी रीमा के नरम गुलाबी गोरे जिस्म, उसकी मादकता, उसकी मदहोश करने वाली गन्ध में दोनों मदहोश हो गए थे | रीमा के नरम बदन की गुलाबी गर्मी लगातार दोनों के जिस्मो में जोश भर रही थी | रीमा की गरम मखमली चूत और कसी गुलाबी गांड को चोदने का जोश दोनों के खून में लगातार उबाल बनाये हुए था | अपने सपनो की मल्लिका के अप्सरा जैसे हुस्न के सपनीले जोश पर हकीकत जल्द ही भारी पड़ गयी | चुदाई का जोश अपनी जगह था और रीमा के बदन की संकरी गुलाबी सुरंगों की सहनशक्ति अपनी जगह, चुदाई के जोश पर हकीकत की सच्चाई भारी होने लगी | रीमा दो लंड की बेतहाशा ठोकरे झेल नहीं पाई | रीमा की हालत देखकर जितेश - गिरधारी थोडा थम जा, वरना मैडम बेहोश हो जाएगी |
जितेश - बेड पर चले बेबी |
रीमा - हूँ |
रीमा बस इतना ही बोली | वो बुरी तरह जितेश से चिपकी हुई थी |
आखिर जितेश को उसे लेकर बेड पर आना पड़ा | जब से गिरधारी ने रीमा की गांड में लंड पेला था जितेश को रीमा की चूत जमकर चोदने का मौका नहीं मिला था | दुसरे गिरधारी भी पस्त होने लगा था |
जितेश - बस निकल गयी सारी मर्दानगी |
गिरधारी - क्या करू बॉस मैडम की गांड बहुत कसी है नरम होने का नाम ही नहीं ले रही |
जितेश - अभी भी वक्त है हार मान ले |
गिरधारी - बॉस बस जरा सा थम लेने दो, सांसे काबू कर लू फिर देखते है |
जितेश - चल तू भी क्या याद रखेगा, लेता जा नीचे | गिरधारी बेड पर लेट गया | उसके बाद रीमा को बाहों में लिए जितेश उसके ऊपर आ गया | रीमा के चूतड़ गिरधारी की कमर पर टिक गए |
इस बार जितेश रीमा के ऊपर था और गिरधारी नीचे | जितेश अपने तने लंड और चढ़े जोश को नहीं गवाना चाहता था | जैसे ही गिरधारी ने रीमा की गांड में लंड घुसेड़ा , तुरंत ही जितेश ने भी रीमा की चूत में अन्दर तक अपना लंड पेल दिया और हचक हचक के उसे चोदने लगा |
रीमा दो दो लंडो की ठोकरों के दर्द से कराह रही थी | उसका बदन उसके नियंत्रण से बाहर था | वो दोनों पूरी तरह से अपने जिस्म की सारी ताकत लगाकर उसे चोद रहे थे | रीमा और उसकी संकरी सुरंगे दो लंडो के दया के भरोसे पर थी, लेकिन उनसे दया की उम्मीद करना इस समय बेमानी थी | न तो अब वो उसकी आवाज सुनने वाले थे न दर्द को महसूस करने वाले , वो तो अपने जिस्म में जल रही आग को रीमा के जिस्म की गुलाबी अंतरों में उतार देने को आतुर थे |
दो लंडो की लगातार एक साथ पेलाई ने उसे पस्त कर दिया था ऊपर से उसकी गांड का जलन भरा भीषण दर्द | रीमा की गांड शुरू से ही लगातार ठोकी जा रही थी | उसकी गांड का छल्ला चीरने के बाद भी उसे ज्यादा सुस्ताने का मौका नहीं मिला | गिरधारी सफ़ेद पाउडर के नशे में अपने लंड को पूरी तरह से तन्नाये हुए था इसलिए उसके कठोरता में कोई कमी नहीं थी | दो तरफ़ा ठोकरों से रीमा अब पस्त होने लगी थी | उसके जिस्म की ताकत तो नार्मल ही थी उसने कोकीन तो चाट नहीं रखी थी जो थकावट ही न महसूस हो | गांड चीरने के दर्द बाद अब दो तरफ़ा मुसल लंड की ठोकरों का दर्द भी उसकी पिंडलियों को दुखाने लगा था | रीमा के अन्दर इतनी ताकत नहीं बची थी की वो कुछ कर सके | उसके जिस्म ने पहले ही हथियार डाल रखे थे | दो मर्दों की बाहों में झूलते जिस्म पर पड़ती ठोकरों से कराह रही थी और जितना कुछ लुटा सकती थी लुटा रही थी | रीमा के जिस्म को दोनों जमकर लूट रहे थे | उसकी जवानी को उसके कसे गुलाबी जिस्म को उसकी कामुक मादकता भरी गंध को, सब कुछ लुटे ले रहे थे | रीमा भी अपना सर्वस्व लुटाकर अपने जिस्म की वासना को ठंडा करने में लगी थी | अपने अपने लंडो को रीमा के छेदों में पेल कर वो रीमा का जिस्म और हुस्न दोनों लूट रहे थे और रीमा लुट रही, जमकर लुट रहीथी | न तो वो उन्हें रोक सकती थी न रोक पाने की हालत में थी और न ही वो उन्हें रोकना चाहती थी | वो चाहती थी उसके जिस्म में जब तक ताकत बची रहे तब तक वो उसे बेतहाशा चोदकर निचोड़ते रहे | वो भी निचुड़ निचुड़ कर बार बार बरसना चाहती थी ताकि उसके जिस्म की लगी आग बुझ सके | लेकिन रीमा को कहाँ पता था जिस्म की हवस की जीतनी बुझाने की कोशिश करो ये उतना ही और भड़कती है | वो चुदकर जीतना ज्यादा अपनी चूत की खुजली मिटाना चाहती थी उसकी चूत की प्यास उतनी ही बढ़ती जा रही थी |
जितेश रीमा के जिस्म को भोगते भोगते, उसके जवानी का रस पीते पीते उसी में रम गया था | जितना ज्यादा उसका लंड रीमा की गरम गुलाबी मखमली चूत का सफ़र तय करता उतना ही जितेश का जोश और बढ़ता जाता | उसके मुसल लंड के हर धक्के से रीमा अपनी वासना की एक नयी मंजिल तय कर रही थी | रीमा की गुलाबी मखमली गरम चूत में जितना ज्यादा जितेश अपने लंड को पेल रहा था, उतना ही गहराई तक रीमा उसके दिलो दिमाग में घुसती चली जा रही थी | ऐसा लग रहा था वो रीमा की चूत को नहीं चोद रहा है उसकी गीली गुलाबी गहराइयो को नहीं तय कर रहा बल्कि रीमा की गरम गुलाबी हुस्न की झील की गहराई में डूबता चला जा रहा है | रीमा की चूत पर पेलते हर धक्के के साथ उसे रीमा से इश्क होने लगा | क्या बदन है, क्या हुस्न है, क्या रंग है क्या बनावट है क्या कसावट है, कैसे बताऊ रीमा तुम ऊपर से नीचे तक हुस्न परी हो | जो तुम्हे देख ले उसकी रातों की नीद उड़ जाये यहाँ तो मै साक्षात तुम्हे चोद रहा हूँ तुमारे रसीले गुलाबी अधरों का रसपान कर रहा हूँ, तुमारे उन्नत गुलाबी गोरे उरोजो को मसल रहा हूँ, उसकी नुकीली चोटियों से तुमारी छाती का रस चूस रहा हूँ | तुमारी गुलाबी मखमली रसीली गीली गरम चूत को चोद रहा हूँ आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह रीमा कैसे बाताऊ तुम क्या चीज हो |
उसे रीमा पर कितना प्यार आ रहा था ये शायद वो बता नहीं सकता था | इतनी कमाल की औरत इतनी कमाल की चूत उसने अपने जीवन में नहीं देखि थी | ऐसी औरत की गरम गुलाबी गीली चूत की गहराई में उतर कर उसे चोदना आआअह्ह्ह जैसे उसका जीना सफल हो गया | उसका लंड कितना खुशनसीब था जो रीमा की चूत उसे चोदने को मिली थी | अब वो सारी जिंदगी इसी चूत में पड़े पड़े कटाना चाहता था | वो चाहता था ये पल कभी खतम ही न हो | रीमा उसकी बाँहों में ऐसे ही सिमटी रहे और वो उसे ऐसे ही चोदता रहे | रीमा उसकी सीने से चिपकी बस चुदती रही |
दूसरी तरफ से गिरधारी भी बस रीमा की गांड में लंड डाले हिलाता रहा | जितेश ने रीमा की चूत की जोरदार ठुकाई करी | जितेश हांफने लगा था | रीमा का भी बुरा हाल हो गया था | पहले गिरधारी अब जितेश ने उसके जिस्म की टाइट गुलाबी सुरंगों को सुपरफास्ट स्पीड से चीर कर रख दिया था | उसे तो अपनी उफनती सांसो को काबू करने का मौका ही नहीं मिल पा रहा था | वो बुरी तरफ से हांफ रही थी कराह रही थी | उसने ऐसी चुदाई की कभी कल्पना भी नहीं की थी | उसका जिस्म बिलकुल पस्त हो चूका था | जितेश था जो उसे संभाले था वर्ना कब का बिखर गयी होती | अब तो निढाल सी वो दो मर्दों के चौड़ी छाती के बीच पिस रही थी | उसके हाथो ने जितेश की पीठ की पकड़ छोड़ दी थी | जितेश ने उसकी जांघे हवा में उठा दी | रीमा की जोरदार पेलाई के कारन बुरी तरह हांफते जितेश ने एक लम्बी साँस खीची और फिर रीमा के जिस्म को छोड़कर उसकी एक जांघ पकड़कर फिर से उसे पेलने लगा |
रीमा को तो अपनी साँस भी सँभालने का मौका नहीं मिला | जितेश भी अपने जिस्म की सारी ताकत उड़ेल देना चाहता था | वो बुरी तरह हांफ रहा था लेकिन कुछ था जो उसे रुकने नहीं दे रहा था | शायद उसका मर्दाना अहंकार, कोकीन का असर या गिरधारी से हो रहा उसका मुकाबला, कौन जोरदार तरीके से रीमा का बाजा बजा पाता है आखिर गिरधारी के सामने वो कैसे हार मान ले, वो एक फौजी है, हट्ठे कट्टे जिस्म का मालिक और मुसल लंड, वो तो ऐसे दिनभर रीमा को चोदता रहा सकता है | बार बार लगातार, गिरधारी भला उसका मुकाबला क्या करेगा |
रीमा तो दो लंडो को घोट रही है | बुरी तरह थक चुकी है, पस्त हो चुकी है | जिस्म में अब ताकत नहीं बची है, निढाल पड़ी है लेकिन मजाल है जो चुदाई रोकने को बोल दे, दो दो लंडो की ठोकरे अब उसके जिस्म के बर्दास्त सीमा से बाहर जा रही है, अपनी पिछली सुरंग के दर्द की कराह अभी भी बंद नहीं हुई लेकिन फिर भी रीमा चुद रही है | फिर वो कैसे थम सकता है |
जब रीमा औरत होकर चुदते चुदते नहीं थकी तो वो मर्द होकर कैसे थक सकता है | उसकी नाजुक मखमली चूत की दीवारे मुसल लंड से बेतहाशा कुचले जाने के बाद भी उफ़ नहीं कर रही है तो उसका लंड कैसे सुस्ता सकता है | उसे रीमा को चोदते रहना होगा | शायद वो ऐसे ही चुदना चाहती है यही उसकी दिली ख्वाइश थी | दो दो लंड से हाहाकारी चुदाई, भीषण चुदाई, दनादन लगातार चुदाई जब तक उसका जिस्म जवाब न दे जाये | नीचे गिरधारी के लिए ज्यादा कुछ करने को था नहीं जितेश के धक्को के साथ ही रीमा की कसी गांड में अटका उसका लंड थोड़ा सा आगे पीछे हो रहा था | रीमा की गांड का छल्ला अभी भी इतना कसा था की जब तक जोर लगाकर लंड को न घुसेड़ो, रीमा की गांड में लंड नहीं जाने दे रहा था |