Episode 44


जितेश के हर धक्के के साथ रीमा की गांड के मुहाने की आगे पीछे होती सख्त मांसपेशियां, जिन्होंने गिरधारी के लंड को जकड रखा था रीमा की गांड की गुलाबी सुरंग में उसका सुपाडा घिस रही थी | आखिर गिरधारी को भी अपनी हवस बुझानी थी | उसने अपने दोनों हाथ से रीमा के नरम मांसल चुताड़ो को अपनी हथेलियों पर टिकाया और उसकी कमर और चूतड़ थोडा सा उचकाए | अपने लंड को रीमा की गांड में अन्दर तक तेजी से सरकाने लगा | उसे रीमा की कसी गांड में अपने मोटे लंड को पेलने में ताकत लगानी पड़ रही थी लेकिन वो जितेश से कमतर नहीं दिखाना चाहता था | मर्दों में चुदाई को लेकर बड़ी असुरक्षा होती है, वो भी तब जब दोनों एक ही औरत को आमने सामने चोद रहे हो | जैसे ही गिरधारी का लंड रीमा के जिस्म के अन्दर जितेश के लंड से रगड़ खाता उसके अन्दर की इर्ष्या कुलाचे मारने लगती | वो गिरधारी को घूर घूर कर देखने लगता | गिरधारी भी ये समझ रहा था बॉस उसकी बेइजत्ति करने का कोई मौका नहीं छोड़ेगें | वो रीमा के सामने मर्दाना ताकत में जितेश से कम नहीं दिखना चाहता था | उसने भी रीमा की कसी संकरी गांड को चीरना शुरू कर दिया | दोनों लंड बेतहाशा तरीके से पूरी स्पीड में दनादन दनादन सटासट सटासट गपागप गपागप धकाधक धकाधक रीमा को चोद रहे थे | दो तरफ़ा एक साथ चोद रहे थे |

जितेश भी बेतहाशा रीमा की चूत चोद रहा था | अपने जिस्म के सबसे नाजुक कोमल गुलाबी सुरंगों को इस बेदर्दी से चीरे कुचले और पेले जाने से बुरी तरह हांफती कराहती रीमा दर्द से बिलबिलाने लगी | दो लंडो की बेतहाशा पेलाई से रीमा की हालत बिगड़ने लगी | उसकी सांसे बहुत तेज थी और तेज हो गयी | वो बुरी तरह कराहने और हांफने लगी | उसका दिल जोरो से धड़क रहा था | उसे जरा सा भी अहसास नहीं था की उसके अंतर्मन की ये पाशविक वासना उसे इस कदर भीषण चुदाई के हालात तक पंहुचा देगी | अब उसे हर हाल में इन लंडो को जबदस्त ठोकरों को झेलना ही था बर्दास्त करना ही था | आखिर किस मुहँ से रोकती उन दोनों को, उसी ने तो आमंत्रित किया था अपने खूबसूरत गुलाबी नरम मांसल जिस्म के सबसे वर्जित हिस्से की दो गहरी गुलाबी संकरी सुरंगों को चीरने के लिए, चोदने के लिए, उनके अन्दर की खुजली मिटाने के लिए | अब दोनों लंड अपनी हवस के शबाब पर थे, अगर वो रोकती भी तो भी न रुकते | कैसे रुकते एक तो उनकी वासना का जोश अपने शबाब पर था ऊपर से कोकीन का असर, उन्हें अहसास ही नहीं था जिस बेदर्द तरीके से वो रीमा को चोद रहे है उसमे उनके लंड को भी नुकसान हो सकता है, उन दोनों को कुछ महसूस ही नहीं हो रहा था, न लंड का मसलना, न सुपाडे की सनसनाहट, वो दनादन बस लंड पेलने में लगे थे | यही उनकी वासना की हकीकत थी और उनसे इस तरह जानवरों की चुदना ही रीमा की वासना की परिणिति थी | आखिर उसकी वासना उसे किस मोड़ पर ले आई थी | दो मर्द उसके जिस्म को लूट रहे थे उसके गुलाबी वर्जित अंतरों को बुरी तरह से चीर रहे थे और वो असहाय थी लाचार थी उनकी दया की मोहताज थी |

उनके रहमोकरम पर थी | उसके ठोस कठोर मर्दाने जिस्म रुपी चक्की के दो पाटो के बीच पिस रही थी | उसने सपने में भी नहीं सोचा था की दोनों इस कदर उसे दोतरफा चोद डालेगे | गलती उनकी भी नहीं थी अपने होशोहवास में होते तो अब तक गिरधारी की कब की पिचकारी छुट गयी होती लेकिन वो दोनों तो खुद कोकीन के नशे में डूबे हुए थे, उन्हें अपना ही ख्याल नहीं था तो रीमा का कहाँ रखते | अब रीमा की सिर्फ एक ही तमन्ना थी जल्दी से दोनों अपने चरम पर पहुँच जाये और उसे इस तकलीफ भरी चुदाई से मुक्ति मिले | फिलहाल उसके हाथ में कुछ नहीं था | ये मुसीबत तो उसी की बुलाई थी | उसे चुदना था बेतहाशा चुदना था और अब जब अपने दबे अरमानो की तरह चुद रही थी तो पछता रही थी | लेकिन उसके पास तो अभी अफ़सोस करने का भी वक्त नहीं था, दोनों लंड हाहाकारी तरीके से दनादन उसकी चूत और गांड की कुटाई कर रहे थे | इससे उसके जिस्म का पारा बहुत बढ़ गया था | उसकी तेज सांसे और धकधक करती धड़कने कब की उसके काबू से बाहर जा चुकी थी | अब तो बस वो हांफ रही थी कराह थी |

दोनों लंड मिलकर रीमा की कसी गांड और गुलाबी चूत का कीमा बनाये दे रहे थे | इस कदर जबदस्त तरीके से रीमा को वो पेलेगे चोदेगे ये तो उन्होंने भी नहीं सोचा था | रीमा का नाजुक नरम कसा हुआ जवान बदन, उसके जिस्म से निकलती मादक गंध और रीमा को चोदने का ख्याल ही उनके लंडो को पत्थर की सख्त बनाये हुए था, ऊपर से सफ़ेद पाउडर की अनोखी ताकत का नशा | दोनों न झड़ने का नाम ले रहे थे न मुरझाने का | रीमा की बेतहाशा दोतरफा चुदाई के इस खेल में तीनो के जिस्म से निकलती गर्मी के कारन पसीने से तर बतर थे | जितेश के धक्को से रीमा की बुरी हालत हो गयी थी, उसकी चूत आग की भट्ठी बन गयी थी | जितेश के हाहाकारी लंड की भीषण ठोकरों से उसकी चूत की गुलाबी दीवारे थरथरा रही थी | जितेश के तेज झटको से कांपता रीमा का गुलाबी गोरा जिस्म गिरधारी के पेट पर फिसल रहा था | उसके सर से लेकर पाँव तक सब कुछ हिल रहा था, जितेश की एक्सप्रेस चुदाई के कारन उसकी मांसल जांघे और चौड़े चूतड़ थरथरा रहे थे | उसके उन्नत नुकीले उरोज तेजी से आगे पीछे झुला झूल रहे थे | जितेश की सांसे उखड़ने लगी | उसकी उफनती सांसे उसके काबू से बाहर हो गयी | वो तेजी से हांफता हुआ रीमा के ऊपर से हट गया | तीनो की ही हालत बुरी हो गयी थी | तीनो ही अपने अपने सांसो और धडकनों को काबू करने लगे | अब कोई भी ज्यादा इन्तजार करने को राजी नहीं था | जैसे ही धकधक करती छाती कुछ थमी, जितेश रीमा को लेकर बिस्तर पर लुढ़क गया और उसका लंड सीधा रीमा की चूत की मखमली गहराइयो में | गिरधारी भी कहाँ पीछे रहने वाला था, उसने भी अपना निशाना लगाया और एक ही झटके में आधा लंड रीमा की कसी गांड में पेल दिया |

रीमा इस दो तरफा हमले से कराह कर रह गयी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ आआआआआआअमामामामामामामामा | जितेश रीमा को चूमने लगा | और उसकी कमर हिलने लगी | पीछे गिरधारी भी अपने कमर हिलाने लगा | एक पल की फुर्सत के बाद रीमा की दोनों सुरंगों में मुसल लंड फिर फिसलने लगे |

रीमा की हालात का अंदाजा जितेश को हो गया था लेकिन वो अपनी हवस में इतना डूब चूका था की अब रुकने का समय उसके पास नहीं था | कोकीन का नशा अब उसके दिमाग पर चढ़कर बोल रहा था | उसने रीमा को अपने सीने से चिपका लिया और उसकी चूत पर ठोकरे मारने लगा | गिरधारी आराम आराम से धक्के मार रहा था |
जितेश हांफता हुआ बोला - गिरधारी लगता है थक गया भोसड़ी वाला |
गिरधारी - नहीं तो |
जितेश - तो क्या लंड ने जवाब से दिया |
गिरधारी समझ गया जितेश क्या कहना चाहता है | उसने जोरदार तरीके से रीमा की गांड पर ठोकर मारी और रीमा की गांड को बुरी तरह चीरता हुआ उसकी गांड की गहराइयो तक अपना लंड पैबस्त कर दिया |
रीमा इस ठोकर की दर्द से तिलमिलाकर चीख पड़ी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ रेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरे
मामामामामामामामामामामामाररररररररररररर डाडाडाडाडाडाडालालालालालालालालालाला | ओह गॉड आराम से करो न | क्यों मेरी जान निकालने पर तुले हुए हो | हाआय्य्य्य मै मर गयी |

जितेश - मैडम आराम हराम है |
रीमा - तो क्या मेरी जान ले लोगे |
जितेश - मैडम आपके जिस्म की प्यास भी तो बुझानी है |
रीमा कुछ नहीं बोली, उसे पता था जितेश ने उसे ताना मारा है | रीमा की हालात वैसे भी अच्छी नहीं थी | जितेश की बात सुनकर उसके दिमाग में बस एक ही ख्याल आया अब क्या होने वाला है | उसे शायद आभास हो गया था जिस तरह से दोनों उसको फिर से तेजी से चोदने लगे थे | आज तो ये मेरा कचूमर निकाल कर ही दम लेगे | रीमा अब उस पल के लिए पछता रही थी जब उसने गिरधारी को अपनी मदहोशी में गांड मारने के लिए बुला लिया था | वासना की मदहोशी की वो भूल कितनी महँगी पड़ने वाली थी इसका अंदाजा शायद उसे नहीं था | गिरधारी अपने लंड को अन्दर तक ठेलने लगा | रीमा समझ गयी अब बस इन ठोकरों को बर्दास्त करने के अलावा कोई चारा नहीं है | चाहे रो रो कर बर्दास्त करू या हंस हंस कर | ये दोनों तो आपस में ही मर्दानगी की रेस लगाने लग गए है | मेरा क्या होगा किसी को परवाह ही नहीं है | गिरधारी और जितेश में गहरी और तेज ठोकरों का मुकाबला सा होने लगा |

वो भूल गए जिन सुरंगों को चीरने में वो होड़ लगा रहे है वो रीमा के हांड मांस के बने जिस्म की है | उसे तकलीफ हो रही होगी | उन्हें तो इस वक्त बस अपनी अपनी मर्दानगी की परवाह थी, उनकी मर्दानगी की मुछे नहीं लचनी चाहिए एक दुसरे के सामने, भले ही रीमा की चूत और गांड दोनों फट के चिथड़े चीथड़े हो जाये | एक तो कोकीन का नशा ऊपर से हवस की गर्मी ऊपर से रीमा का गोरा गुलाबी बदन जिस्म, उसके जिस्म की संकरी मखमली सुरंगे आखिर क्यों न वो एक्सप्रेस ट्रेन की तरह अपने लंड दौडाए ,. . . उसके ऊपर से अपनी मर्दानगी किसी से कम नहीं का तुर्रा | दोनों दनादन बिना रीमा की परवाह किये रीमा के छेदों को कुचलने लगे, दनादन लंड पेलने लगे | उनके लंड बीजली की तेजी से रीमा के जिस्म में गायब होने लगे | जितेश के भड़काने से गिरधारी कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया था | वो रीमा को कंघे से थामे हुए अपना पूरा लंड रीमा की गांड में पेले दे रहा था | रीमा की गांड पूरी तरह खुल गयी थी | आखिर गिरधारी ने रीमा की गांड के छेद को चोदने में आने वाली सारी रुकवाटे चीर के रख दी थी | उसने रीमा की गुलाबी गांड का छेद खोलकर फैला दिया था | उसका लंड सटासट रीमा की गांड की गहरइयो में गायब हो जा रहा था | जितेश में कहाँ मानने वाला था उसने भी रीमा को पेलना जारी रखा हुआ था | रीमा का आखिर दो लंडो का अरमान पूरा हो गया था | एक साथ दो लंड उसके जिस्म को चीर कर अंदर गाय
ब हो जा रहे थे |
लेकिन गिरधारी जल्दी ही हांफने लगा और उसकी स्पीड कम पड़ गयी |
जितेश रीमा की चूत में बेतहाशा ठोकर मारता हुआ - बस भोसड़ी निकल गयी सारी अकड़ |
गिरधारी ने एक बार में करारा शॉट मारा और उनका पूरा लंड रीमा की संकरी गांड में पैबस्त ही गया |
रीमा - माआआआआआआरररररररररररररररररररररररर डाडाडाडाडाडाडाडाडाडाडालालालालालालालालाल मादरचोद, आराम से मार न, क्यों फाड़ने में तुला है भोसड़ी के | गाड़ मारने के लिए दी थी मरादार्चोद चिथड़े उड़ाने के लिए नहीं | भोसड़ी के रबर की पाइप नहीं मेरी गाड़ है बहनचोद, हांड मांस की संकरी गांड | हरामी के पिल्लै ने जान निकाल दी |
गिरधारी तो अपने ही नशे में था - मैडम गांड तो ऐसे ही मारी जाती है ये तो मरवाने से पहले सोचना था |
जितेश - तो भोसड़ी के लंड पेलता क्यों नहीं, मर्दानगी मुहँ से नहीं लंड से साबित करनी पड़ती है भोसड़ी के |
गिरधारी ने फिर से रीमा की गांड की गहराइयो तक लंड पेल दिया |

रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ मममममममममाआआआआआआआआआआ रेरेरेरीरेरेरेई |
जितेश - साले मैडम की ऐसी गांड मार की जब जब मैडम का चुताड़ो पर हाथ जाए तो तेरे लंड की ठोकरे याद आ जाये |
गिरधारी ने रीमा के चुताड़ो पर एक करारी चमाट मारी - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् क्या कसी हुई गरम गरम गांड है मेरी |
रीमा तो दर्द से बेहाल थी और उसे अहसास था उसके चीखने चिल्लाने का अब उन पर कोई असर नहीं होने वाला | अपनी बेबसी लाचारी देख मायूस हो गयी | गिरधारी की ठोकरों से उसकी आँखों में आंसू आ गए | ये तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था | ऐसा लगता था गिरधारी के साथ साथ जितेश में जानवर बन गया है |

दो लंडो से चुदने की ख्वाइश पूरी हो गयी थी | भले ही इस समय दोनों लंड अपनी आपस में चुदाई की रेस लगाकर रीमा का कचूमर बनाने पर तुले हो | रीमा बंद आँखों से बस अपनी गांड और चूत की दीवारों की मसल रहे मोटे मुसल लंडो को गरमाहट को महसूस कर रही थी | ऐसा लग रहा था जैसे कोई तेजी से उसके अन्दर आ जा रहा है | रीमा के चौड़े मांसल भारी भरकम चूतड़ और जिस्म तेजी से हिल रहा था | रीमा ने आंसू पोंछ लिए | अब उसकी कोई सुनने वाला नहीं था | उसे पता था वो नहीं रुकने वाले | अब बस उनके लंडो से पिचकारी छुटे तो उसकी जान में जान आये | यही सोच उसने मुट्ठियाँ भींच की और ठोकरे बर्दाश्त करने लगी | जबदस्त चुदाई का माहौल बना हुआ था | किसी को किसी की परवाह नहीं थी | सब बस अपनी अपनी वासना की आग की लपते बुझाने में लगे थे | रीमा की चूत और गांड की दीवारों में रगड़ रहे मोटे लंड का अहसास उसके दिलो में घर कर रहा था | ये दिन शायद रीमा कभी नहीं भूलेगी | दो दो लंडो की चुदाई से मिले दर्द से कराहती, थकावट से चूर, बुरी तरह हांफती रीमा के जिस्मों मे लांस तेजी से गायब होकर अन्दर बाहर हो रहे थे |
जितेश रीमा की चूत पर ठोकरे मरता हुआ - मैडम मजा आ रहा है |

गिरधारी कहाँ पीछे रहने वाला था - मैडम कैसा महसूस हो रहा है गांड मरवा के, मजा आ रहा है या नहीं |
जितेश गिरधारी से कुढ सा गया |
उसने रीमा को एक करारा झटका मारा - मैडम ऐसे ही तो चुदना चाहती थी न | हचक हचक के, ये लो मेरा मुसल लंड अपनी चुत् में |
रीमा जितेश की ठोकर से कराह कर रह गयी | कुछ बोलना चाहती थी उससे पहले गिरधारी ने भी तेज ठोकर मारी - ये लो मैडम मेरा पूरा लंड अपनी कसी गांड में | मैडम आपकी गांड की सारी खुजली दूर कर दूंगा |
रीमा फिर दर्द से कराह उठी | उसकी आँखों में आंसू आ गए - कहाँ फंस गयी | किसको कोसु जब अपना नसीब ही ख़राब है अपनी ही बुद्धि भ्रष्ट थी | अब तो ये दर्द झेलना ही पड़ेगा |
गिरधारी - मैडम चिंता मत करो बॉस से दमदार तरीके से आपकी गांड की मालिस अपने लंड से करूंगा | ऐसा मजा आएगा आपको जिंदगी भर नहीं भूलोगी | आपकी गांड की सारी खुजली मिटा दूंगा मैडम ये लो मेरा मुसल लंड आआआआआआआआ |

गिरधारी अपना सारा दमखम झोक कर दनादन रीमा की कसी गांड के चीथड़े उड़ाने लगा | जितेश के मुकाबले गिरधारी की ठोकरे ज्यादा जोरदार थी | वह रीमा की गांड को बड़ी निष्ठुरता से ठोंक रहा था | गिरधारी की बर्बरता भरी गांड कुटाई कुछ देर तक रीमा बर्दास्त करती रही , लेकिन उसकी कठोर तेज ठोकरे दनादन लगातार उसके चुताड़ो और गांड पर पड़ रही थी इससे उसकी पिंडलियों में दर्द होने लगा | आखिरकार रीमा चीखते हुए उस न बर्दास्त कर पाने वाले दर्द के साथ जितेश के ऊपर ही लुढ़क गयी |

जितेश अपनी पूरी रौ में रीमा को चोद रहा था इसलिए उसे कुछ समय लगा समझने में की आखिर क्या हुआ | उसने रीमा का चेहरा उठकर देखा | बंद आँखों के साथ उसके चेहरे पर असीमित दर्द झलक रहा था | रीमा को अपने ऊपर इस तरह से दर्द से बेसुध देख जितेश को थमना पड़ गया | गिरधारी की हालत जितेश से कुछ अलग नहीं थी वो रीमा की गांड में बेतहाशा धक्के लगाता रहा | आखिरकार जितेश को उसे रोकना पड़ा , तब जाकर वो थमा | फिर भी उसने लंड बाहर नहीं निकाला | जितेश का लंड भी रीमा की चूत में धंसा रहा | दोनों अपनी अपनी सांसो को काबू करने लगे |
जितेश रीमा का चेहरा थाम - रीमा मैडम रीमा मैडम आप ठीक तो हो |
रीमा दर्द बर्दास्त करती आंखे बंद किये हुए - हूँ |
जितेश - रीमा मैडम क्या हुआ |
रीमा - कुछ नहीं बस थोड़ा सा थम जाओ, साँस ले लेने दो | मुझे नहीं पता था तुम लोग इस हद तक जाकर मेरी चूत गांड के चीथड़े उड़ाओगे | बस थोड़ा सा थम जावो |
जितेश - दर्द हो रहा है रीमा बेबी | गिरधारी भोसड़ी के रबर की पाइप में लंड नहीं पेल रहा है आराम से चोद मैडम को |
गिरधारी - बॉस अब क्या दर्द, क्या तकलीफ मैडम की गांड इतना मोटा लंड घोंट गयी, अब क्या अब तो सटासट लंड जा रह है गांड में |
जितेश - भोसड़ी के तो क्या गांड फाड़कर रख देगा मराद्चोद |

गिरधारी - अभी तो मै मैडम चोद हूँ क्यों सही कहा न मैडम | मैडम आज आपकी गांड की खुजली मिटा कर ही रहूँगा भले ही सारा दम निकल जाये | ऐसी गोरी चिकनी गुलाबी कसी हुई मख्खन मलाई जैसी गांड रोज रोज मारने को कहाँ मिलती है |
जितेश - मैडम चोद तुझे समझ नहीं आ रहा है मै क्या बोल रहा हूँ |
गिरधारी - बॉस मै तो बस मैडम की गांड की खुजली मिटा रहा था |
जितेश - भोसड़ी के मै भी तेरी गांड की ऐसे ही खुजली मिटाऊ तब समझ में आएगा | बहुत हो गया तेरा अब तू हाथ हिलाकर अपनी पिचकारी निकाल | बहुत देर तूने रीमा की मक्खन मलाई जैसी गांड का सुख लूट लिया |
बॉस - ये तो सरासर ज्यायती है |
जितेश - तू साला नीच आदमी तुझे किसी चीज की क़द्र करनी आती है | साले मैडम ने अपनी गांड मारने को दी है, पता है गांड मरवाने में कितनी तकलीफ होती है | साले पिस्टन की तरह लंड पेले जा रहा है |
रीमा जितेश को रोकती हुई - उसे मना मत करो प्लीज बस थोड़ा सा थम लो | मैं इस हालात में तुम दोनों को नहीं रोकना चाहती थी लेकिन क्या करू बर्दास्त से बाहर हो गया | मुझे पता है तुम लोग अपनी पूरी रौ में हो |
जितेश - कोई बात नहीं मैडम, आपको तकलीफ और दर्द देकर थोड़े मजे लुटेगें |

दोनों अपना अपना लंड रीमा के जिस्म की गुलाबी कसी सुरंगों में घुसेड़े पड़े रहे | रीमा अपनी बेलगाम सांसो और धडकनों दोनों को काबू करने की असफल कोशिश करते हुए अपनी पिंडलियों का दर्द सँभालने लगी | आखिर कार रीमा उन दोनों हाहाकारी लंडो के आगे पस्त ही हो गयी | उन लंडो ने उसके जिस्म को हरा दिया | उन लंडो ने उसको इस कदर चोदा की उसकी पिंडलियाँ जवाब दे गयी | रीमा जितेश और गिरधारी के पसीने से लथपथ जिस्मो के बीच में सैंडविच बनी हुई थी | अपने हालातों पर उसे रोना आ रहा था | अपने जिस्म की दुर्दशा देखकर मन कर रहा था जोर जोर से दहाड़ मार कर रोये | उसकी वासना ने उसे किस गर्त में धकेल दिया था | आज यहाँ एक अनजान सी गुमनाम अँधेरी बस्ती के एक छोटे से कमरे में वो अपना सब कुछ लुटाये दे रही है | नहीं जानती अपने जिस्म और जवानी को न्योछावर करने के बाद भी उसे कुछ हासिल होगा की नहीं | आखिर वो कर क्या रही है |

जिस गोरे कमसिन जिस्म की रंगत तक नहीं उतरने देती थी वो जिस्म दो मर्द भूखे भेडियों की तरह नोच रहे है | जिस चूत को इतना नजाकत से चिकना बनाकर, सबसे बचाकर रखती थी | आज उसे चूत को इस तरह लुटते पिटते कुचलते देख उसे रोना क्यों नहीं आ रहा | आखिर क्यों एक अनजान मर्द को अपनी सबसे कीमती चीज सौंप दी क्या लगता है वो तेरा | गिरधारी को तो तू जानती तक नहीं, वो तेरे जिस्म के उस हिस्से को चीर रहा है जहाँ तू अपनई उंगली घुसेड़ने से भी डरती है | ये सब क्या है रीमा, तू वासना में इतनी अन्धी हो गयी है की अपने जिस्म की दुर्दशा करवाने पर तुली हुई है | ये चुदाई नहीं है, ये तेरे जिस्म को चोद नहीं रहे है | ये गिद्ध बनकर तेरे जिस्म को नोच रहे है | बोटी बोटी नोच रहे है | गलती उनकी नहीं है | उनकी तो फितरत ही यही है, जहाँ चूत देखेगे वहां टूट पड़ेगे | इस तरह से अपने जिस्म को इन भूखे भेडियों से नुचवाने के लिए तूने खुद को इनके सामने परोस दिया है | अपनी इस हालत के लिए तू ही जिम्मेदार है | उसका बहुत तेज रोने का मन कर रहा था | तभी उसके चुताड़ो पर फिर से ठोकरे लगनी शुरू हो गयी | दनादन सटासट तेज ठोकरे |
गिरधारी - मैडम अब ज्यादा रुका नहीं जा रहा, थोड़ा बर्दाश्त कर लो, अब तो आराम से आपकी गांड में लंड जा रहा है | आआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह मैडम मै सारी दुनिया की बद्शाहत छोड़ दो ऐसी गांड के लिए | क्या गद्देदार नरम नरम चूतड़ है आपके |

रीमा - तो आराम से करो, मैंने कब रोका है, जब बेतहाशा ठोकरे मारोगे तो मेरा जिस्म भी जवाब दे जाता है |
गिरधारी - अब आराम आराम से चोदुंगा आपको | आपको तकलीफ थोड़े पहूँचानी है, बल्कि मै तो आपको गांड मरवाने का वो सुख देना चाहता हूँ जो आप जिंदगी भर न भूले | मै सच में स्वर्ग की सैर कर रहा हूँ आपके के आगे तो वहां की अप्सरा भी फ़ैल है | मैडम मै बस जिंदगी भर आपकी गांड ही मारता रहना चाहता हूँ | कितनी कोमल गुलाबी कसी गरम गांड है आपकी |
रीमा समझ गयी इसके दिमाग में वासना बुरी तरह चढ़ गयी है अब इसका अंत निकट है |

ये गिरधारी था | उससे अब और रुका नहीं जा रहा था | रीमा गर्दन घुमाकर देखने लगती है | आखिर वो रीमा की गांड जोर जोर से मारने लगा | रीमा फिर कराह उठी | जितेश भी कमर हिलाने लगा | रीमा के जिस्म में घुसते उसके जिस्म को चीरते दो लंड | रीमा के दिमाग में बस एक शब्द गूंजा - दो लंड | कितनी औरते दो लंड लेने की हिम्मत एक साथ जुटा पाती है | रीमा ने दो लंड एक साथ लिए थे | बस अपने अंतर्मन की एक आवाज पर | आखिर वो अफ़सोस क्यों करे | उसका जिस्म है, उसके जिस्म को चीरते लंड, भले ही उसकी आज दर्द से चीर कर रख दिया हो लेकिन जिस्म की में भरी हवस को भी तो बुझा डालेगे | कुछ दिन तक ये जिस्म हवस की आग में जलकर उसकी रातो की नीद नहीं ख़राब करेगा | मै क्यों शर्म करू, क्यों फालतू का सोचु | मेरे जिस्म की मखमली सुरंगों को इसलिए चीरा है इसलिए मुझे चोदा है क्योकि मै चाहती थी |

तकलीफ तो होगी ही, थोड़ा जोश में आकर कुछ ज्यादा तेज ठोकरे लगा दी लेकिन औरत का जिस्म बना ही ठोकरे खाने के लिए | क्या गलत कर रहे हो वो, मुझे चोद ही तो रहे है मेरे कहने पर चोद रहे है | अब सब कुछ मेरे मन का मेरे कहे अनुसार तो नहीं होगा | मेरी ख्वाइशे है तो उनकी भी ख्वाइशे है, मै अपनी ख्वाइशे पूरी कर रही हूँ और वो अपनी | चूत थोड़े ठोकर मारेगी, लंड ही ठोकर मारेगा, मारने दो न ठोकरे, बस उनके मुसल लंडो को अपने जिस्म के अन्दर महसूस करो, देखो न कितनी गहराई तक जा रहे है | बस उस अहसास को अपने दिल में संजोओं, दर्द तो साथ में मिलेगा ही | जब तक दर्द से भागोगी तब तक चुदाई के इस अहसास को भी नहीं जी पावोगी |
गिरधारी - अब ठीक है मैडम, इतनी आराम से आपकी गांड मारू |
रीमा - हाँ बस ऐसे ही करते रहो |
जितेश - मैडम की गांड का अच्छे से बाजा बजा, गांड से जब तक पक पक पक की आवाज न निकले तब तक लगता ही नहीं किसी की गांड मारी जा रही है |
रीमा - तुम उसे भड़का रहे हो | मेरी जान निकलवाना चाहते हो | मुझे सब पता है तुम उससे जल रहे हो |
जितेश - भला मै क्यों . . . |

गिरधारी रीमा के चूतड़ पर तड़ाक से अपनी चपत लगाता हुआ - बिलकुल सही कहाँ मैडम | मै आपकी गांड मार रहा हूँ यही सोचकर बॉस की झांटे राख हुई जा रही है | ये लो मैडम मेरा मुसल लंड अपनी गांड में | इतना कहकर उसने रीमा के चूतड़ पर एक करारी चपत जमा दी |
रीमा - आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह मादरचोद गांड में लंड पेल भोसड़ी के, चूतड़ क्यों बजा रहा है चोट लगती है |
गिरधारी - इसका भी तो मजा लूटो, गांड के साथ साथ जब तक चूतड़ भी लाल ना हो जाये तब तक पता कैसे चलेगा की गांड मरवाई है | | इतना कहकर उसने फिर से रीमा के चुताड़ो पर एक चपत मारी |
रीमा बिलबिला कर रह गयी - तेरी तो साले भड़वे मादरचोद दो टके के नाली के कीड़े, हरामजादे चोट लगती है |
गिरधारी - मजा भी तो तुम्ही लूट रही हो मैडम, ये लो मेरा लंड अपनी गांड में अन्दर तक |
इतना कहकर उसने एक जोरदार करारा झटका मारा | वो फिर से रीमा के चूतड़ पर चपत मारने वाला था लेकिन जितेश ने बीच में हाथ डाल दिया इसलिए बस हलके से चपत लगी |
रीमा - तू नहीं मानेगा मादरचोद . . . . . . तेरी तो |
इससे पहले रीमा पीछे की तरफ मुड़ती जितेश ने रीमा को चूम लिया और रीमा की बात उसके मुहँ में घुट कर रह गई | जितेश ने भी रीमा के चुताड़ो पर चपत लगायी | उसकी देखादुनी में गिरधारी ने भी जारी रखा | दोनों रीमा को चोदते हुए उसके चुताड़ो को लाल करने लगे | रीमा को बड़ा रोना आया | दोनों ने उसके चुताड़ो को तबला बना दिया | वो अन्दर ही अन्दर कुढ़ कर रह गयी |

रीमा कुछ देर तक तो चुताड़ो पर पड़ रहे थप्पड़ो को बर्दाश्त करती रही फिर बोल ही पड़ी - क्या कर रहे हो तुम लोग | मेरे चुताड़ो का तबला बना दिया है |
गिरधारी - मैडम चुदाई में सिर्फ लंड पेलाई ही नहीं होती, थोड़ा मसलना कुचलना चिकोटी काटना , इन सबका भी थोड़ा सा इसका मजा लो | हम तो आपको जी जान से सारा मजा देने की फ़िराक में और आप हमसे ही शिकायते करे जा रही हो |
गिरधारी की इस बढ़ी हिम्मत पर रीमा खीझ गयी - तुमारी गांड में अभी अपना हाथ घुसेड़ के तुमारे चूतड़ लाल करूंगी तब समझ में आएगा |
गिरधारी खीसे निपोरता हुआ - करो न मैडम, आपके लिए तो जान हाजिर है, आप मेरी गांड मरोगी ये तो मेरी खुशनसीबी होगी |
रीमा झुन्झुलाती हुई - कहाँ फंस गयी मै |
गिरधारी - दो लंडो के बीच |
रीमा - ओफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ ये तो सर पर ही चढ़ा जा रहा है, तूम कुछ बोलते क्यों नहीं |
जितेश - मैंने तो पहले ही कहाँ था बहुत ही लीचड़ किस्म का इंसान है मै तो मुहँ नहीं लगाता | तुमने ही उसे चढ़ाया है तुम ही जानो |
चिकोटी से जितेश को याद आया, उसने रीमा के निप्पल मसला दिए |
रीमा - आआआआआऔऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊउचचचचचचचचचचचचचचचचचच |

इससे पहले रीमा जितेश से शिकायत करती जितेश ने तेजी से जाकर उसके चूत दाने को मसल दिया | ये टीजिंग रीमा की चुदाई में मसाले की तरह और मजा डाल रही थी लेकिन रीमा को तो इससे भी शिकायत थी भले ही उसे कितना भी मजा आ रहा हो |

तुम दोनों आपस में मिलकर मुझे परेशान कर रहे हो | मै किसी से बात नहीं करूंगी | रीमा किसल के रह गयी | वो अपनी चुदाई पर दिमाग दौड़ाने लगी | अपने जिस्म में जाते लंडो के बारे ,में सोचने लगी | आखिर क्या बुराई है दो लंडो से चुदने में | हाँ मैंने . . . . . मैंने लिए है दो लंड, मुसल लंड एक साथ, आगे भी लूंगी | जब मेरी मर्जी होगी तब लूंगी | इसी विचार के आते ही जादू की तरह उसके अन्दर से वो ग्लानी पता नहीं कहाँ फुर्र हो गयी | इसी के साथ वो खुद को अपने अंतर्समन में ही साबित करने में लग गयी | दिन रात अपनी ख्वाइशो के अरमानो में घुट घुट कर जीने से बेहतर है जब मौका मिले तो अपने मन की करना | क्या करूंगी इस खूबसूरत जिस्म का जब इसका कोई कदरदान ही नहीं होगा | क्या करूंगी इस कमसिन चूत की गुलाबी कोमलता को बचाकर जब कोई इसे चाहने वाला ही नहीं होगा | इसे कोई चाहेगा तो तब जब इसका स्वाद ले पायेगा | जब मर्द को औरत कुछ खास तरह से सुख देती है तो मर्द भी उसका दीवाना हो जाता है | ये गांड का दर्द कल को मीठे अहसास में तब बदल जायेगा, जब अपने चाहने वाले को चूत के साथ साथ गांड की सैर भी कराउंगी | सब औरते गांड नहीं मरवाती लेकिन जो मरवाती है उनके चाहने वाले उनसे कितना खुस रहते है | मर्द भी खुस हो जाते है आखिर औरत तकलीफ और दर्द बर्दास्त करके उसको एक नया सुख दे रही है | इसी दर्द में तो औरत का सारा मजा छुपा हुआ है |

गिरधारी की ठोकरे रीमा के मुहँ से कराह निकाले दे रही थी - आआआअह्ह्ह मेरी संकरी गुलाबी गांड को चीरता ये लंड मेरे जिस्म में कैसे दर्द भरी तरंगे भर रहा है | ये ऐसे ही गांड मारता रहा तो मुझे पागल कर देगा | ये अहसास अलग है रीमा, इसी दर्द के अन्दर उस अहसास को देखो, इस तुमारी चूत तुम्हे कभी नहीं दे पायेगी | उसकी दीवारों में उठने वाली तरंगे उमंगें अलग तरह की होती है लेकिन मेरी पिछवाड़े की गुलाबी दीवारे इस लंड से टकराकर कुछ अलग ही दर्द भरा मजा दे रही है | अपने इसी दर्द में, इसी कराह में डूब जावो रीमा, यही तुम्हे वासना के इस मकडजाल से बाहर निकलेगा | जमकर अपना हुस्न और जवानी लुटाओ | जितना लुटावोगी, उतना ही मजा मिलेगा | गिरधारी आराम से रीमा की गांड मार रहा था वो नहीं चाहता था पिछली बार की तरह इस बार मामला खराब हो जाये, पिछली बार रीमा की गांड में अपने पुरे लंड की भीषण ठोकरे से रीमा की पिंडलियों में दर्द होने लगा था |

तुमारे जिस्म में कुछ नहीं घटेगा, बल्कि तुम्हे चोदने वाले मर्द न केवल तुमारे बंद छेदों को खोलेगे बल्कि अपनी कीमती मलाई तुम्हे और देकर जायेगे | किस बात से डर रही हो रीमा | आज तक चुदाई से औरत का कभी कुछ घटा है | ये जिस्म ये जवानी लुटाने के लिए ही बनी है, जितना इसे लूटाओगी, उतना वासना की तृप्ति हासिल करोगी | रीमा को न जाने क्यों मुसल लंडो की लगती उन ठोकरे से उसके अन्दर एक नया विस्वास पैदा हुआ | उन दोनों की चुदाई से रीमा अपने अंतर्मन की उहापोह से बाहर आ गयी | आखिर जिस चुदाई का हौवा उसने अपने दिमाग में बना रखा था उसी ने उसके सारे डर को दूर किया |

जितेश अब और रुकने या थमने को तैयार नहीं था | उसे पता था जब तक रीमा उसके ऊपर पड़ी है और गिरधारी दनादन रीमा की गाड़ में लंड पेलता रहेगा उसे रीमा की चूत को गहराई से चोदने का मौका नहीं मिलेगा | आखिरकार रीमा की दो गुलाबी सुरंगे थी तो एक ही जिस्म का हिस्सा | जब चूत में मोटा लंड जाता है तो चूत चारो तरफ को फ़ैल जाती है | जब गांड के छल्ले को चीर कर गांड में मुसल लंड जाता है तो गांड की दीवारे भी अन्दर फ़ैल जाती है | लेकिन यहाँ तो दोनों तरफ से लंड घुसा पड़ा था | अब गाड़ की और चूत की दीवारे फैलकर कहाँ जाये | इसलिए दो लंड लेने में औरत का कलेजा मुहँ को आ जाता है | गिरधारी को पोजीशन रीमा की गांड को बेतहाशा पेलने के लिए सही थी | वो ज्यादा ताकत लगाकर झटके मार सकता था और मार रहा था | ये एडवांटेज जितेश के पास नहीं था | एक तो उसे रीमा के जिस्म को भी संभालना था और नीचे से कमर हिलाने की एक सीमा थी | ऊपर से उसके लंड पेलने मे सबसे बड़ी ठोकर तो गिरधारी का रीमा की गांड में धंसा हुआ लंड था | दोनों रीमा के जिस्म के अन्दर आप में बेतहाशा रगड़ रहे थे | ऐसा लग रहा था जैसे बाहर जितेश और गिरधारी की मर्दानगी की कुश्ती चल रही हो और रीमा के जिस्म के अन्दर उनके लंड आपस में लड़ रहे हो | इस दोनों की नूरा कुश्ती में पिस तो रीमा ही रही थी | आखिर कार जितेश रीमा को हटाकर उसके ऊपर आ गया | गिरधारी रीमा के नीचे जाकर लेट गया | रीमा को गिरधारी की शक्ल ही नहीं पसंद थी भले ही वो उसकी गांड मार रही हो | उसे पता था ये कितना लीचड़ इंसान है पक्का उसे चूमने चटाने की कोशिश करेगा और रीमा को उससे घिन आएगी | इसीलिए रीमा भी जितेश की तरफ मुहँ करके अपने चूतड़ गिरधारी के पेट पर सटा दिए | पलक झपकते ही दोनों के लंड रीमा के जिस्म में गायब हो गए |

जितेश रीमा को चोदने लगा | गिरधारी भी अपनी कमर हिलाने लगा | अब बस चुदाई ही चुदाई हो रही थी | चुदाई के दौर पर दौर बीतते जा रहे थे लेकिन मजाल है जो किसी के लंड से पिचकारी छूटना शुरू हुई हो | रीमा को अब तक तो दर्द के मारे ही होश नहीं था | अब तक वो इतनी लम्बी दोतरफा चुदाई से बुरी तरह थककर पस्त हो चुकी थी | अब उसके हाथ और पैरो में जान नहीं बची थी | वो बस चुदे जा रही थी चुदे जा रही थी | दोनों उसके जिस्म में अपना लंड पेले जा रहे थे पेले जा रहे थे | गिरधारी ने अपना लंड बाहर खीचा था, उसी वक्त रीमा की उंगलियाँ जितेश की गोलियों को सहला रही थी | उसकी उंगलियाँ अपनी खुली गांड की सुरंग को टटोलने लगी | इससे पहले वो मुयाना कर पाती गिरधारी ने फिर से लंड पेल दिया |

तभी रीमा को ख्याल आया आखिर ये लोग इतनी देर से उसे चोद रहे है फिर झड़ क्यों नहीं रहे है | इतनी मर्दाना ताकत वाले लंड तो उसने पहली बार अपनी जिंदगी में देखे थे | उसका चुदवा चुदवा के बुरा हाल हो गया था | उसकी गांड बुरी तरह दुःख रही थी लेकिन गिरधारी का लंड पेलना ख़तम ही नहीं हो रहा था | गिरधारी के लंड ने उसकी गांड की चीथड़े कर दिए थे | उसकी गांड का छेद पूरी तरह चिर कर फ़ैल गया था | जितना मोटा गिरधारी का लंड था इतनी चौड़ी उसकी गांड की सुरंग हो गयी थी | मन ही मन बडबडा रही थी कितनी कसी हुई गांड थी मेरी, इसने चोद चोद कर कैसी सुरंग बना दी है | इतनी कसी गांड को इतनी देर तक बिना थके ये लंड कैसे पेल रहा है | अब तो सटासट इसका लंड जा रहा है, धीरे धीरे मार मेरी गांड मादरजात | अब खुल गयी है तो पूरा एक्सप्रेस ट्रेन बनकर दौड़ रहा है | हाय धीर धीरे ठोकर मार हरामी के लंड मेरी गांड को और कितना दुखायेगा | हरामजादे दर्द हो रहा है | जब तेरी गांड मरूंगी तब पता चलेगा |

अभी जितेश भी तो नहीं थक रहा है | कब से मुझे चोदना शुरू किया था, उसके लंड ने भी मेरी चूत का कूट कूट के बुरा हाल कर दिया था | अब तो चूत की दीवारे भी पस्त हो गयी, उन्होंने भी जितेश के लंड से चिपकना छोड़ दिया है और एक चौड़ी सी सुरंग बना दी है |
चूत के ओंठ ठोकर खा खा कर लाल हो गए है |फिर भी न तो इसका लंड मुरझा रहा है न इसमें से पिचकारी छुट रही है न ये थकावट महसूस कर रहा है | आखिर हो क्या रहा है | जितेश बहुत जोर से रीमा की चूत की कुटाई कर रहा था | उसकी कमर पुरजोर लगाकर रीमा की चूत में लंड पेल रही थी | उसके करारे जोरदार गहरे झटको की पीड़ा रीमा के चेहरे पर साफ़ देखि जा सकती थी |
हाय मेरी कमर दुखाने लगी है तेरे झटके झेल झेल कर आखिर कब तक झेलू इस मर्द के करारे झटके, ऐसा क्या हो गया है, रात में तो सही टाइम पर पिचकारी फुट पड़ी थी अब क्या हो गया है | रीमा के लिए दोनों का इस तरह बिना रुके बिना थके चोदना किसी पहेली से कम नहीं था | उसने पहले भी चुदाई की थी उसे पता था ताकतवर से ताकतवर मर्द भी इतनी देर में निपट जाता है |

इतनी लम्बी चुदाई के बाद अब तो रीमा की चूत की दीवारे भी सुख गयी थी | इसीलिए रीमा की चूत में लंड पेलने को जितेश को ताकतवर झटके मारने पड़ रहे थे | नीचे से गिरधारी ऊपर से जितेश, आखिर और कितना चुदेगी रीमा | कब ये दोनों झडेगें | कब इस दर्द और तकलीफ से छुटकारा मिलेगा | कोई नहीं रीमा जब तक चुद रही हो जवानी के मजे लूटती रहो | अभी तो तुमारे बदन में बहुत जान है | अभी तो घन्टे दो घन्टे लगातार ठोकरे बर्दास्त कर सकती हो | रीमा की कराहे जितेश का जोश और बढ़ा रही थी | जितेश तो रीमा को चोद रहा था लेकिन गिरधारी अपना लंड गांड में थामे बस कमर ही हिला पा रहा था | रीमा को लगा अगर ऐसे ही चलता रहा तो सुबह की शाम हो जाएगी, दोनों में से जब एक मुझे चोदेगा तो दूसरा थमा रहेगा | जब दूसरा चोदेगा तो पहला थमा रहेगा | आखिर ये कब तक चलेगा | ऐसे तो दोनों में से कोई झाड़ेगा ही नहीं | दोनों मिलकर मेरा कचूमर निकालते रहेंगे | लंड तो मेरी चूत और गाड़ में जा रहे है, इन्हें तो बस पेलने से मतलब है, हर करारी ठोकर पर दीवारे तो मेरी मखमली गुलाबी चूत और कसी गांड की छिल रही है | इन्हें क्या है दे ठोकर पर ठोकर लंड पेले जा रहे है | ठोकर तो मेरी पिंडली पर लग रही है | कमर तो दर्द से मेरी सीधे नहीं होगी | गाड़ की दीवारों की जलन अभी कम नहीं हुई है इन्होने चूत को भी चोद चोद कर सुखा डाला है | अब ऐसे सुखी सुरंगों में लगातार धक्के मारते रहेंगे तो मेरी चूत और गांड तो आज ही शहीद हो जाएगी | यही सोचकर रीमा बिना कुछ कहे एक करवट झुकने लगी | उसे घूमता देख जितेश भी उससे आकर चिपक गया | रीमा को अपने चूत में भी जलन महसूस होने लगी थी | उसने ढेर सारी लार निकल कर जितेश के लंड पर मल दी | इधर गिरधारी ने ये देख अपनी ही लार रीमा की गांड के खुले छेद में भर दी | फिर से रीमा की पेलाई का सिलसिला शुरू हो गया | दोनों के चेहरो के हाव भाव बता रह इथे अब उनकी मजिल दूर नहीं है बशर्ते कोई व्यवधान न आये |

रीमा - मुझे अब एक साथ चोदो लगातार, रुकना नहीं | मै इस थोडा आगे थोड़ा पीछे पेलाई चुदाई के खेल से थक गयी हूँ | मुझे आगे पीछे दोनों जगह एक साथ लंड चाहिए | तेज तेज चोदो, जमकर चोदो | जो कुछ होगा देखा जायेगा | अब किसी भी कीमत पर रुकना नहीं | मै नहीं पूरा दिन इस दर्द से गुजर कर नहीं चुदती रहना नहीं चाहती हूँ |
जितेश - ठीक है मैडम जैसा आपका आदेश | ये लो घोटो मुसल लंडो को | इतना कहकर उसने जबरदस्त ठोकर लगायी | उसका लंड रीमा की चूत में पैबस्त हो गया |
रीमा - आआआआआआआआआआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्ह |
गिरधारी - ये लो मैडम | इतना कहकर उसने भी अपना लंड घुसेड दिया |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ मममममममाआआआआआआआ |

दोनों के लंड रीमा के जिस्म की गहराइयो में फिसलने लगे | ठोकरे जबरदस्त थी दर्द को बर्दास्त करने को रीमा ने मुट्ठियाँ भीच ली | उसकी गांड का दर्द और जलन तो अब जैसे उसके जिस्म का हिस्सा बन गए थे | उसकी जलती गांड की गुलाबी सुरंग पर पड़ती हर ठोकर रीमा को दर्द से कराहने पर मजबूर कर देती | आखिर क्या करे गांड मरवाने पर दर्द तो बोनस के रूप में मिलता ही है | आखिर इतना ही आसान होता तो हर औरत ख़ुशी ख़ुशी अपनी गांड न मरवा लेती | लेकिन उसके साथ तो नियति कुछ ज्यादा ही निष्ठुर हो गयी थी | एक तो उसे मुसल लंड मिला उपर से झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा | उसके गाड़ के दर्द और जलन के जाने का इन्तजार अंतहीन हो गया | आखिर कब तक मुसल लंड उसकी गांड को कूटते रहेंगे | उसकी गांड को कब सुकून मिलेगा लेकिन जीतनी देर तक उसकी गाड़ की कुटाई होगी उतना ही दर्द से भरा मजा भी तो वो लुट रही है, वो गांड की दीवारों से रगड़ खाता उसका मोटा लंड और उसकी सनसनाहट | जितेश भी तो मेरी चूत की दीवारों का कचूमर बनाये दे रहा है | मेरी चूत इतनी देर तक कभी नहीं चुदी | अब शायद महीने 6 महीने चुदाई नहीं मांगेगी | ये दर्द भरी कराहटे ही तो उसके आनंद की निशानी है |

आखिर कब तक इस दर्द में जीकर मजा लेती रहेगी, अपनी वासना की तड़प में ये मत भूल तेरे जिस्म की सुरंगे तेरे ही बदन का हिस्सा है | जब ये हवस की आग शांत होगी, तो इन लंडो से मिले जख्मो को तुझे ही सहलाना होगा | ठीक करना होगा | अभी तो ख़ुशी ख़ुशी गांड मरवाकर, दो दो लंड लेकर उसका दर्द झेलकर मन ही मन खुश हो रही है लेकिन जब तेरी गांड और चूत की दीवारों की गर्मी शांत होगी, तो यही गांड और चूत तुझे इन लंडो से मिले झटको को याद दिलाएगी | परपराएगी, नासूर की तरह दुखेगी, फिर मलहम लगाती हुई इधर उधर कूदती रहना | क्योंकि इतनी कुटाई के बाद तुझे ये शांति से एक जगह तो बैठने नहीं देगी | उठते बैठे, दुखेगी, परपराएगी, इन लंडो की ठोकरों के जख्मो का अहसास कराएगी, अपनी जलती दीवारों की जलन महसूस कराएगी | गांड मरवाने का अहसास सिर्फ गांड मरवाने तक ही सीमित नहीं रहेगा | पुरे बदन को वो दर्द महसूस होगा |

उनकी ठोकरों से कराहती रीमा अपने में ही खोयी थी उधर दोनों के लंड उसकी गांड और चूत की गहराइयों में तेजी से फिसल रहे थे और उनके फिसलने की गर्मी से उसके पूरे तन बदन में आग लगी हुई थी दो 2 लौंडो की चुदाई की भीषण गर्मी से रीमा को भले ही अभी उतना दर्द का एहसास ना हो रहा हो और भले ही अभी वह वासना में नहाई हुई तो दो लंडो को बड़ी आराम से अपनी जिस्म की सकरी कसी हुई सुरंगों में ले रही हो लेकिन उसे भी पता था जब जिस्म ठंडा होगा तब उसे इस मजे की कीमत का एहसास होगा उसके जिस्म का रोया रोया दूखेगा और उसे दर्द का अहसास कराएगा |

रीमा को चोदते चोदते उन दोनों का भी दम निकल गया था लेकिन उनकी कमर थी कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी और लंड झड़ने का नाम नहीं ले रहा था वह दोनों भी अपनी जवानी और कोकीन के नशे में दनादन रीमा के चूतड़ों पर आगे पीछे दोनों तरफ से ठोकरें मारे जा रहे थे आगे से जितेश और पीछे से गिरधारी दोनों रीमा के चौड़े नरम चूतड़ों और कमर को कस के थामे हुए रीमा के जिस्म की कसी हुई गुलाबी सुरंगों में उतरे हुए जा रहे थे | अपनी जिस्म की हवस की भूख मिटा रहे थे और उनके जिस्म की आग थी कि बुझने का नाम भी नहीं ले रही थी | अपने जिस्म पर पड़ रही है लगातार दो लंडो की ठोकरें का दर्द भरा अहसास अब उसके तन के साथ-साथ उसके मन में भी बसने लगा था | उसे लगने लगा था अब उसके जिस्म ने जवाब देना शुरू कर दिया है |

रीमा को अहसास होने लगा कही ज्यादा लम्बी चुदाई के चक्कर में उसकी चूत और गांड का वाट न लग जाये | ऐसा ना हो कहीं लंड दनादन ठोकरें मारकर उसकी दोनों गुलाबी मखमली से रंगों को छील कर रख दे और उन से खून निकाल दे हालांकि उसकी गुलाबी रंग के अभी भी वासना की गर्मी से भरी हुई थी और मोटे मुसल जैसे लंडो को अपनी सुरंगों के अंतर में जितना ले सकती थी ले रही थी लेकिन इतनी देर से चुदाई हो रही थी इतनी देर तक कभी उन्होंने लंड की ठोकरे बर्दाश्त नहीं करी थी रीमा इतनी देर तक कभी नहीं चुदी थी इसीलिए उसकी चूत की दीवारों की सहनशक्ति खत्म हो रही थी | अपनी कसी करारी कोरी गांड में तो उसने बस दूसरी बार लंड लिया था इसीलिए उसकी गांड की दीवारें तो पहले से ही दर्द और जलन से हाथ खड़े किये हुए थी रीमा को भी अब इस बात का अहसास होने लगा था कि अगर इसी तरह उसकी चूत और गांड लंड बरसते रहे तो शायद वह उठने के काबिल भी नहीं रहेगी उसको लगने लगा था कि अब तक इन लंडो को झ ड़ जाना चाहिए था

रीमा के दिमाग में बस एक ही सवाल आया - आखिर ये लोग झड़ क्यों नहीं रहे है, आखिर इनकी सफ़ेद मलाई क्यों नहीं निकला रही |
आखिर उसने अपने सवाल को फिर से अपने दिमाग में दोहराया और हैरानी से चुदाई से उसका ध्यान उन लोगों के झड़ने पर चला गया एक पल सोचने के बाद उसने सोचा क्यों ना इन्ही से पूछ लो आखिर ऐसा आज क्या हो गया है | मर्योद तो तो गरम गुलाबी कसी हुई चूत पाकर दनादन चोदते हैं जल्दी से झड़ जाते हैं यहां इन दोनों का यह हाल है कि पहली बार ही मेरी गांड और चूत मार रहे हैं और उसके बावजूद भी झड़ने का नाम नहीं ले रहे हैं | जितेश तो मुझे लग रहा है घंटे भर से ज्यादा हो गया | रात में इतना वक्त तो नहीं लगाया था | इस तरह से चोदते हुए इन दोनों का भी दम निकल गया होगा और इसकी कमर धक्के मारते मारते टेढ़ी नहीं हो गई होगी लेकिन यह दोनों रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं आखिर ऐसा क्या हो गया है

थकी हारी रीमा कमजोर आवाज में बोली - आखिर तुम लोग इतनी देर से दनादन मेरे जिस्म में लड़ पेल रहे हो फिर भी झड़ने का नाम नहीं ले रहे हो आखिर माजरा क्या है |
गिरधारी रीमा की गांड में लंड पेलता हुआ खीसे निपरोने लगा - मैडम को अब याद आई | लगता है चुदते चुदते थक गयी |
रीमा - थक गयी का क्या मतलब है चुदाई का एक टाइम होता है इतनी देर में तो आदमी 5 बार झड़ जाता है और तुम लोगों की एक बार भी पिचकारी नहीं छुट्टी है |
गिरधारी फिर खीसे निपोर कस हंसने लगा |
रीमा बिलकुल मरी हुई आवाज में धीरे से बोली - अच्छे से अच्छा हट्टा कट्टा मर्द भी आधे घंटे से ज्यादा नहीं चोद पाता है और तुम लोगों को चोदते हुए आधे घंटे से काफी ज्यादा हो गया है आखिर तुम लोग झड़ क्यों नहीं रहे हो | ठोकरे खा खा कर मेरी कमर दुखने लगी है, गांड छिल गयी है और चूत सूजने की कगार पर है |

गिरधारी ही ही ही ही करके हंसता हुआ हंसने लगा उसको हंसता देख रीमा हैरान हो गई | तभी जितेश ने गिरधारी के मुंह पर हाथ लगा दिया और उसे चुप रहने को बोला | दोनों ने दनादन रीमा की गांड और चूत में लंड डालने की स्पीड और बढ़ा दी अब उनके ऊपर भी वासना का सुरूर है जमकर तांडव कर रहा था | दोनों जल्दी से जल्दी रीमा की गहरी गुलाबी सुरंगों में झड़ जाना चाहते थे क्योंकि दोनों रीमा को चोदते चोदते खुद भी बुरी तरह से थक गए थे | सोचो जब चोदने वालो की हालत बुरी हो गयी थी तो रीमा की क्या हालत होगी इसका तो उन्हें अंदाजा भी नहीं था | बस अब वह दोनों भी झड़ना चाहते थे | इसीलिए रीमा की जिस्म को कसकर थामे दोनों तरफ से उसके जिस्म की सुरंगों में अपनी मुसल लंडो के पेल रहे थे |
रीमा उनकी ठोकरों से कराहती हुई - आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओह्ह्ह्हह आखिर कोई कुछ मुझे भी बताएगा |
गिरधारी कुछ बोलने को हुआ | जितेश गिरधारी के मुंह पर हाथ लगा कर चुप करता हुआ बोला - कुछ नहीं बेबी बस हम भी अब झड़ने वाले है |
गिरधारी और जितेश दोनों ही दनादन पूरी तेजी के साथ अपनी कमर रहे थे और उनके मुसल हाहाकारी लंड रीमा की सुरंगों में अंदर बाहर हो रहे थे |

रीमा - अब बर्दास्त नहीं हो रहा है | मेरी चूत गांड कमर जांघे सब दुखने लगी है | कितनी देर और चोदोगे मुझे |
जितेश उसे सांत्वना देते हुए बोला - बस थोड़ा सा और बर्दाश्त कर लो | मुझे पता है तुम थक गई हो काफी देर से हम दोनों तुम्हें चोद रहे हैं | तुम्हारी जगह कोई और औरत होती तो शायद बेहोश हो गया होती लेकिन तुम कमाल की रीमा, इतनी भीषण ठोकरे खाने के बाद इतने मोटे मोटे मुसल दो दो लंड एक साथ घोटने के बाद अब तक हमारा साथ दे रही ही | इतनी देर से चोदने के बाद हमारा लंड अपनी चूत में ले रही ही | दो दो लंडो से इतनी देर तक एक साथ चुदवाने के बाद भी पूरे होशो हवास में इस तरह से हमारे साथ राजी खुशी ख़ुशी चुद रही हो | यह किसी चमत्कार से कम नहीं है तुम ना केवल राजी खुशी चोद रही हो अपनी कमर उचका उचका कर हमारे दोनों को एक साथ अपनी चूत और गांड की गुलाबी मखमली गहराई तक ले रही हो | हम किस्मत वाले हैं जो इस तरह से तुम्हे चोदने का मौका मिला है |
Next page: Episode 45
Previous page: Episode 43