Episode 48


रीमा - अभी क्या करूं बेबी अभी तो मेरी जान निकली जा रही है प्लीज धीरे धीरे करो ना इतनी तेज क्यों गांड मार रहे हो मेरी | थोड़ा स्लो स्लो करो |
जितेश - ठीक है बेबी मैं तुम्हारी धीरे-धीरे गांड मारता हूं प्लीज मुझे गांड मारने से मना मत करो | बेबी देख रहे हो मेरा लंड कितना तना हुआ है फूला हुआ है | मै चाहता हूँ मेरा फूला हुआ मोटा लंड तुमारी गांड को अच्छे से खोलकर पूरा जड़ तक तुमारी गांड में धंस जाये | तभी तुमारी वासना की आग बुझेगी |
रीमा - नहीं बेबी प्बेर लंड जाने से मैं मर जाऊंगी. . अभी इतना दर्द हो रहा है इतना दर्द मैंने कभी नहीं झेला है मेरी गांड तो ऐसा लग रहा जैसे फट गई है बहुत दर्द हो तकलीफ हो रहा है बेबी क्यों क्यों मार रहे हो मेरी गांड को . . . मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं मेरी जान निकली जा रही है मैं क्या करूं अभी |

अगर उसने कभी गिरधारी को बुलाया ही नहीं होता तो आज जितेश को दृढ़ता से मना कर सकती थी लेकिन अब वो जितेश की सेक्स स्लेव बनकर रह गयी थी | उसे दर्द हो रहा था उसे तकलीफ हो रही थी उसकी खुद की इच्छा के खिलाफ कोई उसकी गांड में लंड पेल रहा था | लेकिन किस नैतिक बल से उसको मना करें | आखिर उसने ही तो अपने आप को इस लेवल तक गिरा लिया था जहां पर वह जितेश को रोक नहीं सकती थी | अब उसके हाथों की कठपुतली बन कर के उसके हाथों में खेलना ही उसकी नियति गई थी | जितेश बेतहाशा रीमा के चूतड़ों पर धक्के लगा रहा था |

आखिरकार उसके साथ क्या हो रहा था उसको भी नहीं पता था | चौबीस घंटे के अंदर लगातार तीसरी बार जितेश उसे चोद रहा था और वह उसके हाथो की लौड़ी बनी अब उससे गांड मरवा भी रही थी | चुताड़ो और गांड पर लगती तेज ठोकरों ने रीमा के कमर और जांघो में एक नया दर्द पैदा कर दिया | गांड के सिसकते छल्ले के साथ कमर और जांघो के तिहरे दर्द से रीमा के लिए सब कुछ बर्दाश्त से बाहर हो गया | असल में वो कमर का दर्द नहीं थकावट थी जिसने उसके जिस्म को चूर चूर कर रखा था | जितेश के नीचे पड़ी रीमा पता नहीं क्यों दर्द बर्दाश्त कर रही थी इसमें भी उसे कुछ अलग सा सुख नसीब हो रहा था यह कतई आरामदायक या मजे लूटने वाले जैसी बात नहीं थी उसे गांड में अच्छा खासा दर्द हो रहा था लेकिन जितेश का मोटे लंड से लड़ते हुए उसकी गांड की गाने वाली पता नहीं कौन सा सुख मिल रहा था उसकी आंखों में आंसू थे पीछे जितेश लगातार दनादन अपनी कमर हिला कर के उसकी गांड मार रहा था रीमा की गांड का छेद पूरी तरह से खुल चुका था और उसका लंड उसकी गांड में जा रहा था |

इसके जितेश दनादन रीमा की गांड में लंड पेल रहा था लेकिन वो वासना में इतना भी अँधा नहीं था की रीमा की हालत का अंदाजा न लगा पाए | भले ही उसने गुस्से में रीमा की गांड बुरी तरह मारनी शरू कर दी हो लेकिन उसका मकसद रीमा को तकलीफ पहुचना कतई नहीं था | वो रीमा के दर्द भरे चेहरे को देखने लगा | वो समझ गया रीमा बुरी तरह से पस्त है और अपने जिस्म की ताकत बटोर कर उसकी ठोकरों का दर्द बर्दाश्त कर रही है | जितेश थम गया | उसे पिछले कुछ दिनों में ये अंदाजा तो हो गया था की रीमा जीतनी वाइल्ड है उतनी ही भावुक है और सेंसिटिव भी | भले ही वो जितेश का विरोध नहीं कर पा रही हो लेकिन इतना तो तय था वो राजी ख़ुशी से तो उसका लंड अपने गांड में नहीं ले रही थी | जितेश के वासना भरे दिमाग में पता नहीं कहाँ से ये ख्याल आ गया, कही ऐसा करके वो रीमा का दिल तो नहीं दुखा रहा | नहीं वो रीमा का दिल कैसे दुखा सकता है | नहीं उसे रुकना होगा, आखिर क्या करे | रीमा आंखे बंद किये हुए बस अपनी तकलीफों का इन्तजार कर रह थी | जिएश थम गया |
जितेश - बेबी . . |
रीमा चुप रही |
जितेश - रीमा बेबी . . . मैडम हेल्लो नाराज हो |

रीमा को झकझोरने के बाद रीमा ने आँखे खोली | थकी मादी दर्द से भरी आँखे | जितेश को रीमा को देख कर अपनी ग़लती का अहसास हुआ | क्या करे एकतरफ पस्त दर्द से कराहती रीमा दूसरी तरह उसका फुंफकारता मोटा मुसल लंड तीसरी तरफ उसकी अपने मन में गिरधारी को हराने कुचलने का मनोवैज्ञानिक युद्ध | जितेश इन तीनो से घिरा हुआ द्वन्द में फंसा था |
जितेश ने रीमा की आंखे चूम ली | रीमा ने चेहरा फेर लिया | जितेश समझ गया रीमा नाराज है |
जितेश - बेबी नाराज हो |
औरते भी अजीब होती है | नखरे भी उन्हें ही दिखाती है जो उनके नखरे बर्दाश्त करता है |
जितेश - बोलो न |
रीमा - नहीं |
जितेश - देखो अब तो मै रुक गया हूँ | आई ऍम सॉरी | मुझे माफ़ कर दो | प्लीज . . . . |
रीमा चुप रही |
जितेश - आई ऍम सॉरी प्लीज . देखो मुझे लगा जिस तरह से गिरधारी के साथ तुमने गांड में लंड लिया मुझे लगा तुमारी ख्वाइश के अरमानो में ये भी शामिल है | मै बस तुम्हे खुश देखना चाहता था | मुझे लगा तुम्हे अच्छा लगेगा कोई तुमारी दिल की दबी ख्वाइश पूरी कर रहा है | मुझे नहीं पता था तुम हर्ट हो जाओगी |
रीमा चुप रही |
जितेश - अरे बाबा सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी , ठीक है लो मै तुमारी गांड से लंड भी निकाले ले रहा हूँ और बिना तुमारी इजाजत के तुम्हे चूमुंगा भी नहीं |
रीमा का सारा गुस्सा जैसे छूमंतर हो गया | जितेश के चुताड़ो पर हाथ लगाकर उसे अपने अन्दर ही रहने का इशाराकिया |
रीमा - नौटंकीबाज, ड्रामा मत करो |
जितेश - मैडम ने सॉरी एक्सेप्ट कर ली |
रीमा - बेबी बोलो |
जितेश - सॉरी बेबी, अब तुमारी मर्जी के बिना कभी ऐसा नहीं करूंगा |
रीमा - प्रोमिस करो
जितेश - प्रोमिस बेबी प्रोमिस |

रीमा - एक बार बता देते तुम्हे पीछे करने की ख्वाइश है |
जितेश - कुछ चीजे बोलने की नहीं महसूस करने की होती है | तुम नहीं चाहती तो क्या ?
रीमा - क्या करू दर्द में कुछ सूझ ही नहीं रहा |
जितेश - ये दर्द भी बस इसी बार का है, अगली बार नहीं होगा |
रीमा - मुझे पता है लेकिन अभी तो बर्दाश्त से बाहर है | मेरे जिस्म में इतनी ताकत नहीं बची है की तुमारा मुसल लंड की ठोकरे झेल पाऊँ | ऊपर से गांड दुःख रहीहै सो अलग |
जितेश कुछ सोचता रहा फिर उसके दिमाग में कुछ स्ट्राइक किया | वो रीमा के ऊपर से तेजी से उठा, रीमा बिस्तर में मुहँ धसाए लेती रही | जितेश ने गिरधारी से छीनी पुड़िया उठाई और उसके अन्दर के सफ़ेद पाउडर को अपने लंड के सुपाडे पर मल लिया | उसे पता था सीदे सीधे रीमा कोकीन नहीं चाटेगी लेकिन उसके पस्त थके बदन को इस वक्त जिस चुस्ती फुर्ती की जरुरत थी वो उसे वही दे सकती थी इसलिए अपने लंड पर चुपड़ ली | उसके बाद रीमा के मुहँ के पास जाकर बैठ गया |
जितेश बेबी - चुसो न इसे |
रीमा हैरानी से - मन नहीं है |
जितेश - अरे एक बार मुहँ में लो तो सही फिर देखो सारा मूड बदल जायेगा |

रीमा ने तकिये से सर निकाल कर जितेश के लंड के फूले सुपाडे को चूमा और फिर से धीरे से मुहँ में लेकर चूसने लगी | उसे कुछ अजीब लगा लेकिन मजा आया | उसकी दिलचस्पी बढ़ गयी | इधर जितेश ने एक उँगली में कोकीन लपेट कर रीमा की गांड के दुखते छल्ले पर मलनी शुरू कर दी | जितेश का लंड चाटते चाटते रीमा के मुर्दा जिस्म में ताजगी आने लगी | वो खुद हैरान थी अचानक से इतनी चुस्ती फुर्ती कहाँ से आ गयी | इधर जितेश ने आइस्ते आइस्ते अपनी उंगली से रीमा की गांड की अच्छे से मालिश कर दी | धीरे धीरे उसकी गांड के सिसक रहे छल्ले की कराह कम हो गयी | एक तो रीमा कोकीन चटाने की वजह से जोश में आ गयी दुसरे कोकीन ने उसकी गांड के सारे दर्द को हर लिया | उसकी दीवारे कोकीन के असर से संवेदनहीन सी हो गयी | अब रीमा को मुसल लंड से चीरती गांड के दर्द का आभास भी नहीं होगा या कम होगा | कोकीन ने न सिर्फ रीमा को हाई कर दिया बल्कि उसका दर्द भी हर लिया |

रीमा - ये क्या था |
जितेश - कहाँ क्या था |
रीमा - तुमारे लंड पर, कुछ तो था चाटते ही मै तरोताजा हो गयी | रीमा को जरा सी भी देर नहीं लगी अंदाजा लगाने में - कोकीन |
जितेश - अब मजे लूटो जमकर, तुमारी गांड भी अब नहीं दुखेगी |
रीमा - नहीं ये गलत है, ये नुकसान करेगी |
जितेश - हम कौन सा रोज रोज लेने जा रहे है, एक दिन में क्या नुकसान करेगी |
रीमा - फिर भी |
जितेश - तुम सोचती बहुत हो | इधर आवो तुमको थोडा प्यार करू |
इतना कहकर उसने रीमा के ओंठो से अपने ओंठ सटा दिए | जितेश बिस्तर पर लुढ़क गया | रीमा उसके पेट पर आकर बैठ गयी | रीमा और जितेश दोनों एक दुसरे को कसकर चूमने लगे |
रीमा के जिस्म में ताजगी का असर था कि वो कसकर जितेश को चूमने लगी | जितेश भी रीमा के स्तनों को मसलने लगा | दोनों ऐसे एक दुसरे में खो गए जैसे वर्षो ने न मिले हो | जितेश को अपनी गलती का अहसास हो चूका था वो रीमा पर प्यार बरसाने में कोई कमी नहीं रखना चाहता था | रीमा उसे चुमते चुमते बिस्तर पर फ़ैल गयी |

उसकी आँखों और हरकतों से साफ़ पता चल रहा था की वो नशे से घिर चुकी है | जितेश को उसने बेड पर धकेल दिया और उसके लंड को हाथ में थाम चूमने लगी | जितेश के पास ज्यादा कुछ करने को था नहीं वो बस चुपचाप रीमा के रसीले ओंठो से अपने लंड चूसने के सुख का अनुभव करता रहा | कोकीन का असर उसके लंड पर भी हो गया था उसकी संवेदना कम हो गयी थी | रीमा बुरी तरह से उसके सुपाडे को मुहँ में मसल रही थी लेकिन उसकी तरंगे उसके दिलो दिमाग तक कम ही पहुँच रही थी | जितेश को जिस सुख की तलाश थी वो नहीं मिल रहा था | रीमा लपालप उसका लंड चूस रही थी लेकिन जितेश के लिए वो नाकाफी था |
जितेश वासना से कराहता हुआ - बेबी थोड़ा जोर लगाकर चुसो न |

रीमा गो गो करके उसके लंड को अपनी लार से भिगोने लगी | रीमा की जीभ का सपर्श जादुई था लेकिन उसे अधुरा अधुरा सा लग रहा था | इधर जितेश ने रीमा को लपकने की कोशिश की लेकिन रीमा फिसल कर उसके जांघो के बीच पहुँच गयी | जितेश रीमा दोनों नशे की ताजगी से भरे से | दोनों को कुछ जायदा चाहिए था लेकिन उनकी कोशिशो में अधूरा ही रह जा रहा था | नशे की यही कीमत होती है ज्यादा ज्यादा हासिल करने के चक्कर में सब कृत्रिम, छमता से ज्यादा हासिल करने में लग जाते है | वासना का जो प्राकृतिक रस है, जो प्राकृतिक गंध है जो स्वाद है सब ख़त्म हो जाता है | सबको कुछ ज्यादा हैसियत से ज्यादा और कृत्रिम चाहिए | रीमा ने जितेश के मुसल लंड को दोनों हाथो से थाम लिया और कसकर रगड़ने लगी |

दनादन बेतहाशा, सटासट, रीमा के हाथ उसके लंड पर वैसे ही फिसल रहे थे जैसे सुबह वो रीमा की चूत में दनादन लंड पेल रहा था | रीमा के हथेलियों की सख्त जकड़न और ऊपर नीचे होते हाथ, रीमा ने तो समां बांध दिया | जितेश इस हाहाकारी मुठीयाने को भी एन्जॉय कर रहा था | जैसे ही रीमा के हाथो की नमी सूखती, रीमा लंड की मुहँ में लेकर चूसने लगती और लंड को गीला कर देती | जितेश पीठ के बल लेता था और रीमा उसके ठीक सामने उसकी जांघे फलाये ठीक उनके बीचो बीच पेट के बल पसरी थी | उसके हाथ और ओंठ तेजी से जितेश के लंड पर दौड़ रहे थे | आखिर हो भी क्यों न, एक तो रीमा की वासना का नशा ऊपर से कोकीन का नशा, दोनों ने रीमा को एक नयी दुनिया में पहुंचा दिया था | जितेश को भी तो जोश चढ़ गया था | रीमा के दुःख दूर करने के चक्कर में उसका लंड की संवेदना कम हो गयी थी, उसके फूले सुपाडे को छूने चूमने और रगड़ने से जो अहसास होता था, उस सुख का कमजोर अहसास जितेश को बेसब्र बनाये दे रहा था | वो हैरान था रीमा उसके लंड को मसल रही है चूस रही है फिर भी वो आहे क्यों नहीं भर रहा है |

आखिर उसकी बेसब्री का बांध टूट गया | वो रीमा की तरफ बढ़ा और उसे उलटा बेड पर झुकाते हुए उसके ऊपर चढ़ता चला गया | उसने सीधे रीमा के मुहँ के सामने जाकर अपना लंड टिका दिया | रीमा ने भी बिना देरी के अपने ओंठ खोल दिए और जितेश का लंड रीमा के मुहँ में गायब होने लगा | बात इतने से बंद जाती तो फिर बात क्या थी | दोनों की भूख अलग ही स्तर तक पंहुच गयी थी | उन्हें जो मिल रहा था उससे सब्र नहीं था | जितेश ने रीमा के बाल सख्ती से पकड़ लिए और उसके सर को कसकर अपने लंड पर ठेलने लगा | रीमा ने अपना मुहँ खोल दिया, जितेश तेजी से कमर हिलाकर उसके मुहँ में लंड पेलने लगा | पीछे से जितेश रीमाँ का सर आगे को ठेलता और आगे से अपना लंड उसके मुहँ में ठेलता | एक ही झटके में उसका मोटा लंड रीमा के मुहँ को पूरी तरह भर देता | रीमा के मुहँ से गो गो गो खो खो खो की आवाजे आ रही थी | रीमा के मुहँ से निकलती चपड़ चपड़ गो गो खो खो की आवाज जितेश की उत्तेजना को और उकसा रही थी |
जितेश जोश में - ये लो बेबी चुसो मेरा लंड, मुहँ में लो बेबी |
रीमा - गोगोगोगोग्ल्लल्ल्लिग़ स्ल्स्लस्स्स्लस्ल्ल्स खोखोखोखोहोह्फ्फ्फफ्फ्ल्लल्ल्ल्ल श्स्लस्स्लस्ल्स्ल | रीमा कुछ बोलने की हालत में थी ही नहीं न जितेश उसे मौका दे रहा था | वो तेजी से कमर हिलाए जा रहा था | रीमा को न दर्द का अहसास था न तकलीफ का | उसकी आंखे टमाटर की तरह लाल हो गयी थी | चेहरा बुरी तरह अस्त व्यस्त हो गया था | उसकी हालत देख जितेश को ही थमना पड़ गया | रीमा तो
नशे में डूबी हुई थी |

जितेश के लंड निकालते ही रीमा बिस्तर पर फ़ैल गयी | वो अपने आधे होश खो चुकी थी | उसे पता था क्या हो रहा है लेकिन उसे ये नहीं पता था कहाँ शुरू करना है कहाँ रुकना है | जितेश ने रीमा को पलट दिया | कोकीन चाटे लंड के लिए अब रीमा की गांड में ही सुकून था | जितेश ने रीमा को पलट दिया | उसकी कमर में हाथ डालकर उसको ऊपर को उचका दिया | उसने रीमा को आधी घोड़ी बना दिया था | ऐसी पोजीशन जिसमे औरते चूत में लंड लेने में घबराती है वहां वो रीमा की गांड मारने जा रहा था | रीमा जिस हालत में थी इस हालत में आदमी को दो कदम चलने को कहो तो वो 6 कदम चलाता है | रीमा को ये तो पता था की क्या होने वाला है इसलिए उसने अपने चुताड़ो को और ऊपर की तरफ उचका दिया | उसका इशारा था जब गांड में पेलना ही है तो जमकर पेलो | उसके मांसल चौड़े चूतड़ अब हवा में छत की तरफ को उठे हुए थे | ये एक ऐसी स्थिति होती है जहाँ तुम्हे सब पता होता है लेकिन डर भय किसी चीज से नहीं लगता है |
रीमा - तुम मेरी गांड मारने वाले हो न बेबी |
जितेश - हिलना बंद करो नहीं तो मुझे पकड़ना पड़ेगा |

रीमा - ऊप्प्पस्स्स तुम्हे लगता है मै नशे में हूँ, मुझे कोकीन चढ़ गयी है बिलकुल नहीं | अगर कोकीन चढ़ गयी होती तो मुझे कैसे पता होता तुम क्या करने वाले हो |
जितेश बस अपने लंड को चिकना करने में लगा रहा | उसके बाद वो रीमा की गांड की गुलाबी मुहाने को गीला करने लगा |
रीमा - बोलो बोलो सच बोलो, तुम अपना मोटा मुसल लंड मेरी गांड में घुसेड़ने वाले हो न | प्लीज आराम से करना . . |
प्लीज मझे तकलीफ मत देना, मेरी गांड बहुत नाजुक है . . |
जितेश ने रीमा के चुताड़ो को थामा , ताकि उसकी हिलती कमर को स्थिर किया जा सके | उसके बाद उसने रीमा की गांड पर एक हाथ से लंड सटाया और करारा झटका मारा | जितेश का लोहे की जलती मीनार बना हुआ लंड रीमा की पिछली सुरंग को चीरता हुआ अन्दर तक पैबस्त हो गया | इसे नशे का सुरूर कहो या उसकी गांड के छल्ले की संवेदनहीनता, रीमा को दर्द का अहसास हुआ लेकिन ऐसा नहीं की हाथ पैर पटकने लगे, दर्द से तड़पने लगे, फद्फड़ाने लगे, चीखने लगे चिल्लाने लगे | जितेश ने रीमा की गांड की गहराइयो तक लंड पेलना शुरू कर दिया, उन गहराइयो तक जिसका वो हसीन सपना कुछ देर पहले तक देख रहा था | आआआह्ह्ह्ह वो सच में रीमा की गांड मार रहा था, उस गांड को जिसको गिरधारी ने कुचल कर रख दिया था | नहीं वो ऐसा नहीं करेगा, वो हौले हौले धीरे धीरे रीमा की गांड को जमकर चोदेगा, अन्दर तक पूरा का पूरा ठोकेगा लेकिन प्यार से |

उसने रीमा को अब कमर से कसकर थाम लिया था | उसका लंड रीमा की गांड में आराम से आ जा रहा था | उसका मोटा मुसल रीमा के गद्देदार नरम मांसल चुताड़ो को चीरता हुआ रीमा के जिस्म में गायब हुआ जा रहा था | इतना मोटा इतना मुसल लंड, अपने सामान्य रूप में रीमा की चीखे उबल पड़ती | रीमा की पिछली सुरंग की गुलाबी की मालिस करता उसके लंड ने रीमा की गांड के गुलाबी छल्ले को पूरी तरह फैला दिया था | अब न कोई रोक टोक थी न कोई प्रतिरोध था, न उसके गांड के मुहाने की जिद थी न उसे लंड कुचलने को उतारू था | ऐसा लग रहा था जैसे दोनों ने आपस में तारतम्य बैठा लिया है | भाई जब आऊंगा तू फ़ैल जाना, जब वापस जाऊ फिर से अपने कपाट बंद कर लेना | न मै तुझे जोर लगाकर चीर कर फैलाऊंगा, न मै तुझे बेवजह अन्दर जाने से रोकूंगा | उसके लंड की गरम खाल रीमा के कसे छल्ले की जकड़न से बुरी तरह रगड़ खा रही थी | रीमा तो आंखे बंद कर जैसे साधना में लीन हो गयी | उसके चुताड़ो में उठ रहा मीठा दर्द और जितेश के लंड की आग उगलती लंड की मालिस उसके रोम रोम में वासना की तपिस भर रही थी | इसी आग में वो जल रही थी और इसी वासना की तपिस में वो खुद की वासना को भस्म कर रही थी | न कोई संशय था न कोई ग्लानि, न कोई अवसाद, बस अपने अंतर में आता जाता मोटा गरम मुसल का अहसास था, जो उसके चुताड़ो नाभि कमर से होता हुआ पुरे शरीर को रोमांचित कर रहा था | जितेश उसके छेद के गीलेपन का बखूबी ख्याल रखे हुए था |

उसने उसके गांड में लगातार लार भरता रहा ताकि उसके गांड में लंड फिसलने में आसानी हो | जिसकी सुख की खातिर रीमा ने इतने दर्द सहे थे आखिर उसे वो सुख देना जितेश की जिमेदारी थी | सब कुछ मीठा मीठा स्वीट स्वीट सा हो रहा था | जितेश आराम से रीमा की गांड की गुलाबी सुरंग का सफ़र तय कर रहा था, रीमा आराम से गांड में उसका लंड ले रही थी | थोड़ा बहुत दर्द उसकी गांड का था लेकिन वो पहले होने वाले दर्द के मुकाबले कुछ नहीं था | उसी मीठे दर्द में रीमा बिलकुल मस्त थी | इतने मीठे में जितेश को कुछ नमकीन का स्वाद लेने का मन हुआ | उसने जरा सा रीमा के चूतड़ उचकाए और ठीक उसके चुताड़ो के ऊपर आ गया | उसने अपने पैर फैलाये और रीमा की गांड में धक्के लगाने शुरू किये | रीमा ने भी धक्को की स्पीड से अंदाजा लगा लिया | उसने भी खुद को मजबूती से बिसतर पर टिका दिया | जॉगिंग का समय ख़त्म हो गया था, दोनों के जिस्म वासना की तपिस से झुलस रह थे | पसीने से लथपथ अपनी तेज सांसे गिन रहे थे | रीमा दो पैर सताए घुटनों को अच्छे से बिस्तर पर टिकाये थी | अब जोगिंग के बाद दौड़ने का समय था रेस लगाने का समय था | जितेश ने एक बार रीमा की गांड में लंड क्या घुसेड़ा, उसने तो एक्सप्रेस ट्रेन की स्पीड पकड़ ली | अब तो रीमा की गांड का छल्ला भी नरम होकर पूरा फ़ैल चूका था | रीमा के जिस्म की तरह ही उसकी गांड भी गरम और चिकनी थी | धकाधक धकाधक धकाधक धकाधक धकाधक रेलम पेल जितेश अपना लंड रीमा की गांड में पेल रहा था | उसकी बेतहाशा ठोकरे रीमा के चुताड़ो पर पड़ रही थी | रीमा के मांसल गद्देदार चिकने चूतड़ हर ठोकर पर उछल रहे थे, उसकी जांघे थरथरा रही थी | उसका जिस्म काँप रहा था | उसके मुहँ से मादक मीठे दर्द की कराहे निकल रही थी | जितेश अपने लंड की प्यास बुझाने को बेतहाश जुटा हुआ था | उसके लंड की सनसनाहट क्या कम हुई उसने रीमा की गांड का रेलम पेलम बना दिया |

दनादन दनादन दनादन दनादन दनादन सटासट सटासट सटासट सटासट सटासट सटासट सटासट घपाघप घपाघप घपाघप घपाघप घपाघप घपाघप रीमा की गांड में लंड पेले पड़ा था | इसके आगे तो गिरधारी की एक्सप्रेस चुदाई की स्पीड कुछ नहीं थी | रीमा कराह रही थी, गांड के दर्द से नहीं, जितेश को भीषण ठोकरों से, जितेश की सुपर फ़ास्ट चुदाई से | रीमा सिसक रही थी इन ठोकरों के प्रहार से, अपनी कामुकता के ज्वार से, अपनी जबरदस्त गांड की होती ठुकाई से, जितेश की उसकी गांड की जबदस्त बाजा बजवाई से | पता नहीं ये सब रीमा की वासना की आग को कितना ठंडा कर पायेगा लेकिन आज उसे रिवर लाउन्ज की मालविका याद आ रही थी | तब रीमा उसे देखकर कितना हैरान हुई थी | आखिर कैसे कोई औरत इतना मोटा लंड अपनी गांड में घोंट सकती है | क्या उसे तकलीफ नहीं होती होगी | क्या उसे दर्द नहीं होता होगा, उसकी तो एक उंगली भी गांड में जाते वक्त अहसास कराती है की कहाँ जा रही है, ये औरते इतने मोटे मोटे लंड कैसे घोंट लेती है अपनी गांड में | उस समय अपनी केबिन से झांकती रीमा को आज शायद उन सवालो के जवाब मिल गए होगे | आज शायद उसे पता चल गया था कैसा महसूस होता हो मुसल लंड घोंट के | जो भी तकलीफ थी अब वो रफूचक्कर हो गयी थी |

अब तो बस एक अलग सा अहसास था, एक अलग सी सनसनाहट थी एक गांड में उठती तरंग थी जो उसके दबे मन में म्रदंग बजाये हुए थी | उसे कई सवालो के जवाब इस लकड़ी के छोटे से कमरे में मिल गए, जो उसे अपनी आलिशान कोठी में शायद ही कभी मिलते | सबसे बड़ी आत उसे यहाँ जितेश मिल गया, अगर जग्गू उसे किडनैप नहीं करता तो शायद वो कभी जितेश से मिल भी नहीं पाती, कहाँ वो एक चाहने वाले के लिए तरसती थी आज तो दो दो है | एक समय वो एक अदने से लंड के लिए रात रात भर मचलती रहती थी | आज उसके पास न केवल जितेश का मोटा लंड है अपनी चूत की प्यास बुझाने को बल्कि रोहित का तगड़ा लंड है | दोनों मिलकर उसकी चूत को कभी प्यासा नहीं रहने देगें | हाय ये मै क्या सोच रही हूँ | क्या मै जितेश को धोखा दूँगी | नहीं मै जितेश को धोखा कैसे दे सकती हूँ | लेकिन रोहित का क्या, जिंदगी के सबसे मुश्किल दिनों में उसी ने तो मेरा ख्याल रखा है | वो भी तो मुझे चाहता है | हाय मै क्या करू, किसे प्यार करू किसे इंकार करू | रीमा दुविधा में फंस गयी | ड्रग के नशे में वासना की गर्मी में और अपनी गांड की होती जबरदस्त ठुकाई के तिहरे नशे में रीमा अपनी ही स्वप्नलोक की दुनिया में तैर रही थी | नहीं मै दोनों में से किसी को भी नहीं छोड़ सकती, क्यों मैं दोनों को एक साथ प्यार नहीं कर सकती | दोनों मेरे है मै दोनों को एक साथ ही रखूगी अपने दिल के पास | लेकिन जो दोनों न माने तो | कैसे नहीं मानेगे, अगर दोनों मुझसे प्यार करते है तो मेरी बात बिलकुल मानेगे | दोनों को मै अपने दिल में छुपा कर रखूंगी, सबसे छुपाकर, बस अपना बनाकर |

जितेश बुरी तरह हांफने लगा था | जीतनी ज्यादा स्पीड उतनी जल्दी थकावट | जितेश पसीने से तर बतर होकर रीमा की पसीने से भीगी पीठ पर ही सुस्ताने लगा |
जितेश हांफता हुआ - कुछ मेहनत तुम भी करोगी, या बस मजे लूटोगी |
रीमा अपनी सेक्स फैंटसी जी रही थी वो स्वप्न लोक की दुनिया में थी | एक बार में उसे समझ नहीं आया जितेश क्या बोला |
रीमा - क्या कहा रुक क्यों गए ?
जितेश अपना माथा पीटता उसके पीछे से हटा - तुम हो कहाँ, किस दुनिया में घूम रही हो लगता है तुम्हे कोकीन ज्यादा चढ़ गयी है |
रीमा - ऐसा कुछ नहीं है |
जितेश - तो थी कहाँ |
रीमा - कंही नहीं बताओ न क्या करना है |
जितेश - क्या करना है ये भी बताना पड़ेगा, बस मै ही सारी मेहनत करू और तुम बस मजे लूटो |

रीमा समझ गयी लेकिन उसे ये नहीं पता था किस पोजीशन में उसे रहना है | उसको दुविधा में देख जितेश पीठ के बल आराम से लेट गया | रीमा उछल कर आकर उसके ऊपर बैठ गयी | फिर क्या था किस बात की देरी थी | जितेश का मोटा मुसल लंड उसने अपने नरम हथेली में थामा और उसे अपने गांड के खुले मुहाने से सताया और अपनई कमर का जोर नीचे की तरफ ठेला | गप्प से जितेश का मोटा मुसल लंड रीमाँ की गुलाबी चिकनी गांड में | बस फिर क्या था रीमा की कमर हिलने लगी | जितेश ने जानबूझकर अपने हाथ दोनों मोड़कर सर के नीचे लगा लिए | जो करना था अब रीमा को करना था | अपने दम पर करना था अकेले करना था | रीमा थोडा सा आगे को झुकी खुद का संतुलन बनाया और फिर लगी हिलाने अपने चौड़े मांसल गद्देदार चूतड़ | उसकी कमर का जोर पड़ते ही जितेश का मोटा मुसल लंड रीमा की संकरी गांड में अन्दर बाहर होने लगा | उसकी चढ़ी आंखे बता रही थी वो अभी भी नशे में है लेकिन इसका उसकी हिलती कमर पर कोई असर नहीं दिख रहा था | रीमा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की कोई ऐसा दिन भी आएगा | उसे रोहित के साथ अपनी वो चुदाई याद आ गयी जब रोहित ने नीचे लेटकर रीमा को ऊपर कर दिया था और खुद उसका लंड अपनी चूत में लेकर खुद को ही चोदने को कहा था | कितनी हिचक थी उसके अन्दर, कितनी शर्म थी और कितनी बुद्धू थी की उसने असल जिंदगी में चुदाई के बारे में कितना कम अनुभव किया था | उसे वो हिलती कमर और रोहित का सटासट चूत में जाता लंड याद आ रहा था | यहाँ भी तो कुछ ऐसा ही माहौल था | जितेश नीचे लेता था और रीमा उसके ऊपर | उसका गोरा दमकता बदन, उसकी चिकनी पीठ धीरे धीरे ऊपर नीचे हिल रहे थे | उसके चौड़े गुलाबी गद्देदार नरम मांस से भरे चूतड़ अपनी पूरी ताकत के साथ ऊपर नीचे उछल रहे थे और उसी के साथ उसकी सुरंग में अन्दर बाहर हो रहा था जितेश का फूला हुआ तना हुआ मोटा मुसल लंड | रीमा की कमर उठाते ही उसके चुताड़ो का मांस ऊपर को उछल जाता , उसकी नरम गुदाज जांघो का मांस थल्थला जाता, उसकी कसी गांड से जितेश का लंड बाहर आ जाता | रीमा फिर अपनी कमर नीचे को ले जाती और जितेश का पूरा लंड रीमा के जिस्म की पिछली सुरंग में समाता चला जाता |

रीमा को खुद यकीन नहीं था की वो ये कर पायेगी | लेकिन वो न केवल कर पा रही थी बल्कि बिलकुल परफेक्ट तरीके से कर पा रही थी | उसे अपने अन्दर के टैलेंट पर ही शक था लेकिन उसे खुद पर गर्व था और हैरानी भी | उसे फिर से प्लास्टिक के लंड पर उछलती मालविका याद गयी | कितना मोटा लंड घोंट रही थी मुई अपनी गांड में, रबर का था तो क्या हुआ लेकिन था तो लंड ही | हाय तब कैसे मै आंखे फाड़े उसे घूर रही थी उससे नफरत करने की कोशिश कर रही थी | आज मै तो सच्ची मुच्ची का असली लंड घोंट रही हूँ | हाय कितना मोटा लंड है जितेश का और मै अपनी गांड में पूरा का पूरा लंड घोटे ले रही हूँ | हाय मुझे जरा सी भी शर्म हया नहीं रह गयी है | हाय मै कितनी बेशर्म बेहया हो गयी हूँ | ऐसा तो कोई रंडी भी नहीं करती होगी | भला कौन औरत होगी जो मर्द की छाती पर बैठकर उसका लंड अपनी गांड में घोटेगी | सच्ची में तू बहुत बेशर्म हो गयी है रीमा, हाय तुझे जरा सी भी शर्म नहीं आती | क्यों शर्माऊ जब इत्ता मजा आ रहा है | हाय गांड मरवाने का मजा तो अब आ रहा है अब तक तो प्राण सूखे जा रहे थे | अब पता चला रिवर लाउन्ज में मालविका और कामिनी क्यों अपनी गांड मरवा रही थी | हाय इसमें कित्ता मजा आता है, मै तो कभी चूत में लंड न लू |

रीमा के ख्याली ओर्गास्म होते रहे, उसकी कमर हिलती रही और उसकी गांड जितेश का लंड मसलती रही | रीमा ने उम्मीद से ज्यादा देर तक जितेश का लंड अपनी कमर हिलाकर घोंटा था | अब जितेश को सुरूर चढ़ने लगा था | उसे पता था रीमा किसी गांड किसी भी वक्त उसके जिस्म की आग को पिचकारी में बदल सकती थी | ये थी रीमा की कसी गांड का जादू, जो जितेश जैसे मर्द को भी लंड पर कोकीन चुपड़ने के बावजूद समय पर झड़ने को मजबूर किये दे रही थी | जितेश अब और सब्र करने के मूड में नहीं था | उसने रीमा को बांहों में भरा और बिस्तर पर पटक दिया | फिर से उसके पीछे आ गया | उसने रीमा को पीछे से कसकर दबोच लिया | उसके हाथ रीमा की दोनों उन्नत उठाई छातियों को मसल रहे थे | उसने रीमा की जांघो में अपने पैर फैलाकर उसकी जांघे फैला दी और लगा दनादन चोदने | रीमा की गांड की कुटाई उसी अंदाज में शुरू हो गयी | ऐसा लग रहा था जहाँ से जितेश ने उसकी गांड मारना छोड़ा था वही से फिर शुरू कर दिया | वही अंदाज वही स्पीड. . . अंतर था तो सिर्फ पोजीशन का | इस बार रीमा का पूरा जिस्म उसकी गिरफ्त में था |

शायद वासना का असर था जो वो रीमा के पुरे जिस्म को दबोचे था | उसके ताकतवर जोरदार धक्को का अहसास रीमा के जिस्म के कोने कोने तक वो कराना चाहता था | रीमा जितेश की अथाह ताकत के आगे बेबस थी | अब उसे जो मिलना था जितेश की इस एकाधिकार वाली चुदाई से मिलना था | फिलहाल अगले कुछ पलो के लिए उसका कोई अस्तित्व नहीं था | वो जितेश के लंड की दासी थी | जितेश पूरी तरह से जानवर बन गया था | भीषण गहरे जोरदार धक्के रीमा की गांड ही नहीं उसके पुरे अस्तित्व को हिलाए पड़े थे | धक्के उसकी गांड पर पड़ रहे थे और कलेजा उसका मुहँ को आ रहा था इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है जितेश कितनी ताकत से रीमा को चोद रहा था | आखिर उसके करारे लंड के बेतहाशा धक्के भी रीमा की कसी गांड को नहीं हरा पाए | रीमा की गांड भले ही चौड़ी हो गयी, भले ही फ़ैल गयी लेकिन उसने जितेश के लंड के आगे समर्पण नहीं किया | रीमा की कसी नरम गांड ने जितेश के अकड़े लंड की सारी अकड़ निकाल दी | जितेश के लंड की घटी सनसनाहट का असर था उसे पता ही नहीं चला कब उसकी गोलियां सफ़ेद गरम लावा उगलने लगी | वो बेतहाशा धक्के लगाये जा रहा था और इसी बीच पिचकारियाँ छुटने लगी | जितेश रीमा की जलती गांड को अपने लंड की छूटती ठंडी फुहारों से सीचने लगा | रीमा की गांड उसके सफ़ेद गरम गाढे रस से भरने लगी |

रीमा कुछ देर तक उसी तरह कुतिया की पोजीशन में टिकी रही, फिर पीछे की तरफ पैर फैलाते हुए पेट के बल ही बिस्तर पर पसर गयी | जितेश भी उसकी गांड में धंसे लंड के साथ उसकी पीठ पर पसर गया | रीमा और जितेश दोनों निढाल हो गए |

दोनों अपनी उफनती सांसे काबू करने लगे | वैसे भी जितेश भी काफी थक चुका था | इस बार वासना के जोश में भले ही रीमा की गांड मार गया हो लेकिन उसके अंदर भी दम नहीं बचा था | रीमा कुछ देर तक उसी तरह से कुत्तिया की पोजीशन में बनी फिर वह पीछे की तरफ पैर खिसकाती हुई उसी तरह से उल्टा लेट गई | कोकीन में हाई रीमा अब ठंडी होने लगी थी | जितेश के लंड का रस अभी भी रीना के गांड में भरा हुआ था और उसकी गांड में भी दर्द हो रहा था | उसके गांड में हो रहे दर्द का अहसास को वह जितेष को नहीं दिखाना चाहती थी इसलिए उसने बिस्तर से मुंह छिपा लिया | शायद जितेश द्वारा उसकी गांड उसकी मर्जी के खिलाफ बिना उससे पूछो मारने से वो अन्दर तक हिल गयी थी | चुदाई का दौर खतम हो गया था इसलिए रीमा की सोचने समझने की शक्ति लौट आई थी | रीमा सोचने पर मजबूर हो गई थी आखिर क्यों हुआ और कैसे हुआ क्या आगे भी ऐसा ही होता रहेगा जब उसकी मर्जी की कोई कीमत नहीं होगी और वह सिर्फ मर्दों को अपनी वासना पूर्ति का जरिया बनकर रह जाएगी और उसका पूरा अस्तित्व ही मर्द की बस वासना को बुझाने तक सीमित रह जाएगा | जितेश अपनी लम्बी लम्बी सांसे भरता हुआ - क्या कमाल की चीज हो | फौलादी मर्द को भी निचोड़ डालती हो | आअहाआअहाआह्ह सारा दम निकाल लिया जानेमन |
उसके चुताड़ो पर चपत लगता हुआ - लंड को जमकर निचोड़ना तो कोई तुमसे सीखे जानेमन |
इतना कहकर मुस्कुराता हुआ वो बिसतर से उठा और फिर उठकर के कुछ खाने पीने चला गया |

रीमा उसी तरह से बिस्तर में घुसी हुई अपने मुंह को छिपाए हुए अपने दुखी अंतर्मन को अपने ही अंदर खोजने की कोशिश करती रही | जितेश ने उसकी गांड मार के उसके पूरे अंतर्मन को भी झकझोर कर रख दिया था | अब रीमा को एक नए सिरे से खुद को खोजना था, उसकी भीषण ठोकरों से उसका जिस्म तो थरथरा के शांत हो गया लेकिन उसके बिखरे वजूद और मन को कैसे समेटे | पता नहीं खुद को कैसे समेट पायेगी, समेट पायेगी भी या नहीं या फिर हमेशा के लिए बिखर जाएगी |

पता नहीं वह खुद को खोज पाएगी खुद के अंदर देख पाएगी खुद की नजरों से नजरें मिला पाएगी या फिर बस अपनी वासना की दासी बनकर इसी तरह से एक गौरवहीन सम्मान विहीन दोहरी जिंदगी जीने को अभिशप्त होगी | यह तो वक्त ही बताएगा क्या होगा लेकिन अभी जो भी हुआ वह रीमा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा | उसे लगा ये सब उसके अपने उन सिद्धांतों और विचारों के बिलकुल खिलाफ था जिनके लिए वह अब तक खुद से संघर्ष करती आई थी | एक ही बार में जितेश ने उसके पूरे अस्तित्व को झकझोर के रख दिया था लेकिन रीमा अभी भी नहीं समझ पा रही थी कि आखिर गिरधारी के गांड मारने में और जितेश के गांड मारने में अंतर क्या है | गिरधारी से तो उसने खुशी-खुशी गांड मरवा ली जबकि वो गिरधारी को जानती तक नहीं | जितेश को तो अपना सब कुछ सौंप चुकी है उसे अपनी हदों तक अपना चुकी है जो उसकी गुलाबी गहराइयों के अंतर में उतर चुका है उसको अपना वो सब कुछ सौंप चुकी है तो उसे अपनी गांड देने में क्या बुरा है | जब वो मेरी चूत चोद सकता है तो गांड भी मार सकता है | जैसे उसने हवस में अंधे होकर अपनी गांड मरवा ली वैसे हो सकता है जितेश भी वासना में अँधा हो गया हो | अभी उसका हाल ठीक नहीं था | उसका शरीर दुख रहा था |

जितेश वापस आया और वह रीमा की पीठ सहलाने लगा था | रीमा की ख़ामोशी देख उसे लगा कुछ गड़बड़ है | उसने रीमा का चेहरा बिस्तर से निकाला, उसके लटके अवसाद से भरे चेहरे को देखा तो उसे देखकर हैरान रह गया | उसे अपनी गलती का एहसास हुआ उसने रीमा को तुरंत अपनी बाहों में भर लिया और खींच कर अपने सीने से चिपका लिया |
उससे माफी मांगने लगा - रीमा मुझे माफ कर दो मैं क्या करूं तुम्हें तो पता ही है वासना एक ऐसी चीज होती है जब खुद पर काबू कर पाना बहुत मुश्किल होता है | मैं समझ गया तुम्हें बहुत चोट पहुंची है इसकी भरपाई करने के लिए जो हो सकेगा वह करूंगा मुझे माफ कर दो |

इतना कहकर वह रीमा के चुताड़ो को सहलाने लगा और उसकी गांड में हो रहे हल्के हल्के दर्द का आभास उसे फिर से होने लगा काफ़ी देर तक जितेश रीना के चूमता सहलाता रहा और उसके बदन से चिपका उसके आंसुओं को पोछता रहा उसके ओंठो को चूमता रहा और उससे माफी मांगता रहा |
रीमा क्या करे क्या न करे | वो जितेश से बहुत नाराज थी | ऐसा तो उसके साथ कभी नहीं हुआ | कोई उसकी मर्जी के बिना उसके जिस्म की जवानी लूटता रहे | जिसने जवानी लुटी है उसी ने बांहों में भी भर रखा है | हाय मै क्या करू | क्या जितेश की बांहों में सब कुछ भूलकर सिमट जाऊ | कैसे माफ़ कर दू जितेश को इसने कितनी तकलीफ दी है |
जितेश रीमा की ख़ामोशी पढने की कोशिश करने लगा - देखो रीमा बेबी, हो सकता है तुम मुझसे नाराज हो लेकिन अगर मै ये नहीं करता तो तुम खुद से ज्यादा नाराज होती |
रीमा उसकी तरफ देखने लगी उसे जितेश की बात समझ नहीं आई |

जितेश - मुझे नहीं लगता तुम इस सदमे से कभी निकल पाती की तुमने वासना में अंधे होकर गिरधारी जैसे इंसान से अपनी गांड मरवा ली | मुझे पता था तुमारी आंख खुलते ही तुम्हे पहला सदमा यही लगता | इसलिए मैंने तुम्हे उस सदमे में जाने से बचा लिया | अब तुम उस बात के लिए कभी खुद को नहीं कोसोगी क्योंकि वो बात कही से भी अलग या अनोखी नहीं रह जाएगी तुमारी जिंदगी में |
जितेश ने खुद को जस्टिफाई करने की कोशिश की | उसे पता था वो बाते बना रहा है लेकिन शायद उसका काम बन जाये |
रीमा - क्या कहना चाहते हो तुम |
जितेश - तुम सिर्फ इस पर फोकस करो की किसने तुम्हे कितना मजा दिया | बजाय इसके किसने तुमारे जिस्म को कितना लूटा |
जितेश की पहेलियाँ उसकी समझ से बाहर थी |
जितेश - देखो मुझे पता है तुमारा स्वाभाव कैसा है | जोश जोश में तुमने भले ही गिरधारी को बुला लिया था लेकिन अगर वह तुम्हे दुबारा चोदने की कोशिश करे तो उसे क्या तुम ऐसा करने दोगी |

रीमा - नहीं कभी नहीं |
जितेश - यही मेरा पॉइंट है | तुम मेरी हो और मै नहीं चाहता तुम उस गलती को याद रखो और खुद को कोसती रहो | अब तुमारा पिछवाडा किसने बजाय ये बात उतनी मायने नहीं रखती जीतनी की मेरे गांड मारने से पहले थी | सही कहा न, जब बार बार लंड चूत गांड में जाने लगते है तो किसका लंड है ये याद नहीं रहता बस उससे मिलाने वाला अहसास याद रहता है |
जितेश - तुम्हे मजा आया |
रीमा चुप रही |
जितेश - मतलब कोकीन चटाने के बाद |
रीमा - बकवास मत करो, ये भी सब बोलने की बाते होती है क्या |
जितेश हँसता हुआ - मतलब मैडम को मजा आया |
जितेश गंभीर हो गया - मै नहीं चाहता था तुम गिरधारी के दिए झटको के सदमो में चली जाओ | वो कोई गलती नहीं थी | इसलिए मैंने तुमारी गाड़ जान बूझकर मारी | मुझसे गुस्सा करो मुझसे नाराज हो | मै तुमारी मिन्नतें करूंगा , तुम्हे मनाऊंगा और जरुरत होगी तो फिर तुमारी गांड मारूंगा | इसी बहाने तुम गिरधारी वाली गलती तो भूल गयी |
रीमा को लगा जितेश सही कह रहा है, अगर उसने उसकी गांड नहीं मारी होती तो रीमा गिरधारी वाली बात को लेकर खुद को कितना कोस रही होती |

रीमा सोच में पड़ गयी | क्या करे खुद को जितेश को सौंप के खुद निश्चिंत हो जाए | सब कुछ तो वैसे भी जितेश देख चूका था भोग चूका था | उसकी सुरंगों के अंतिम छोर तक का सफर कर चुका था उसके शरीर में इतनी गहरी तक जा चुका था कि अब उसे उसको निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा था | आखिर रीमा जितेश से चिपक गई और उसके सीने पर सर रखकर के खुद आंखें बंद करके जितेश के हवाले कर दिया था |

जितेश - एक बार बोल दो न मजा आया | कम से कम जब मेरे ऊपर बैठकर गपागप अपने अन्दर ले रही थी | ऐसा लग रहा था जैसे कोई वैक्यूम पाइप मेरे लंड को अंदर खीच रहा हो |
रीमा - शट उप, तुम मर्दों को बस यही गन्दी गन्दी बाते ही आती है |
जितेश - करने में बुराई नहीं तो बोलने में क्या बुराई है |
रीमा - रोहित भी ऐसी ही बकवास करता रहता है तुम सब मर्द एक जैसे ही होते हो |
जितेश - अच्छा , लगता है वो भी दिल के काफी करीब है |
रीमा - हाँ बहुत |
जितेश - मुझे उससे जलन महसूस करनी चाहिए |
रीमा - हाँ बिलकुल . . . . . . . . . कम से कम जो तकलीफ वो देता है वो ही उसे दूर करता है | जब तक मेरा पिछवाड़ा दुखता रहेगा मै तुम्हे कभी माफ़ नहीं करूंगी |
जितेश अब क्या करे जिससे रीमा की तकलीफ दूर हो सके वो उसे माफ कर सके |
जितेश ने खुद ही पूछ लिया - जब तुम्हारा शरीर दुखता है तो तुम क्या करती हो बताओ मैं अपनी गलती सुधारने के लिए हर कोशिश करूंगा इससे तुम्हें अच्छा लगे | मैं अपना पश्चाताप करना चाहता हूं मैं जानता हूं मुझसे गलती हो गई है तुम्हें तकलीफ हो रही थी लेकिन फिर भी तुमने उस तकलीफ को बर्दाश्त किया मेरी खुशी के लिए अब मैं तुम्हारे उस दुख और दर्द को खुशी में बदलना चाहता हूं मुझे क्या करना होगा |

रिमो को कुछ समझ में नहीं आया आखिर वह क्या बोले | उसे याद था एक बार जब उसका शरीर चुदाई की थकावट से चूर चूर हो गया था तो रोहित ने उसकी मालिश करी थी |
रीमा बोली - मैं पूरी तरह से पस्त हो गई हूं और मेरे शरीर में बिल्कुल भी जान नहीं बची है मेरा रोम रोम दुख रहा है मेरी चूत और चूत से ज्यादा मेरी गांड दुख रही है तुम्हें तो पता है इतनी बुरी तरह से तुम लोगों ने इसे पेला है | कुछ सेवा करना चाहते हो तो मालिश कर दो इसकी थकावट दूर कर दो रोम रोम का दुखना खत्म कर दो बस और क्या चाहिए | और मेरा सर भी दुःख रहा है |

जितेश के पास न तो सर दर्द की दवाई थी न मालिश का तेल | उसने रीमा के लिए पानी गरम किया और पीने को दिया | फिर आराम से बिसतर पर लिटा दिया | रीमा ने आंखे बंद कर ली | बाहर अँधेरा हो गया था | जितेश ने कपड़े पहने और बाहर निकल गया | एक घंटे बाद वो कस्बे से दवाईया, दारू और तेल ले आया था |
उसको खुद भी थकान चढ़ी हुई थी |
पहले उसने रीमा को सर दर्द की दवा खिलाई | फिर एक पैग लगाया | रीमा को भी बहुत थकावट महसूस हो रही थी | हालाँकि इससे पहले उसने सस्ती वाली शराब कभी भी नहीं थी लेकिन जिस्म के सुकून के लिए उसने भी एक पैग मार लिया | फिर एक घन्टे तक रीमा के हाथ पाँव और जिस्म की मालिस करी | मालिस करवाते करवाते रीमा गहरी नीद में चली गयी |

अगले दिन जितेश जल्दी उठ गया | उसे कुछ काम करना था इसलिए जल्दी से उसने नाश्ता बनाया, नहाया और खाकर कपड़े पहनकर तैयार हो गया | जाने से पहले उसने रीमा को जगाया जो अब तक सो रही थी | सूरज बस निकलने ही वाला था | उसकी लालिमा चारो तरफ फ़ैल चुकी थी | रीमा को आंख खोलते ही ऐसा लगा जैसे सालों की थकावट के बोझ तले से निकल कर आई हो | जितेश उसे देखता ही मुस्कुराया | रीमा भी मुस्कुरा दी |

जितेश - नाश्ता तैयार कर दिया है , जब भूख लगे खा लेना | फिर देखता हूँ आगे क्या करना है |

जितेश को एक जरूरी कॉन्ट्रैक्ट का काम करना था इसलिए जाने से पहले उसने रीमा को अच्छे से बाकी सारी बातें समझा दी और अपने काम से बाहर निकल गया था | इधर रीमा ने अपने आप को संभाला , बाथरूम में गयी अच्छे से नहाया धोया और उसके बाद में उसने अपनी शकल को आईने में देखा | उसने कसम खा ली थी वासना के चक्कर में आज के बाद वह अपने शरीर की दुर्गति कभी नहीं करेगी | उसने कसम खाई थी कि आज के बाद कभी ऐसा नहीं करेगी इसके बाद उसने जितेश का बना नाश्फता खाया | फिर बिस्तर में लेट गई और सोचने लगी आखिर कब तक इस कमरे में बंद रहेगी | जाने से पहले जितेश उसे भरोसा देकर गया था कि वह जल्द से जल्द ही यहां से आजाद कराकर उसके घर पहुंचा देगा आखिरकार जितेश के भरोसे ही वहां पर निश्चिंत बैठ गई थी | इस बार जितेश ने रीमा को अच्छे से समझा दिया था कि बाहर से आने वाले किसी भी आदमी को चाहे वो गिरधारी ही क्यों न हो वह दरवाजा ना खोले | जितेश को शक था कि गिरधारी रीमा को परेशान कर सकता है इसलिए उसने सख्उत हिदायत दी थी कि गिरधारी को वो जवाब भी न दे अगर वो बाहर असे आवाज लगाये | इधर गिरधारी ने रात को जोश जोश में कुछ ज्यादा ही कोकीन चाट ली थी और अपनी झोपड़ी से अपने घर चला गया था | वो बीबी के साथ नहीं रहता था | बीबी के साथ वहां उसकी हाथापाई हुई और उसने बीबी को जमकर पीटा, फिर उसकी जमकर चुदाई करी | उधर रात भर हाय तोबा मचाने के बाद सुबह सुबह उसकी बीबी को उसकी जेब टटोलने का मौका मिल गया | उसकी जेब में पांच सौ की एक गड्डी निकल आई | बीबी की तो बांछे खिल गयी | वो शाम की सारी मार पिटाई भूल गयी | कोकीन का नशा अगली सुबह तक उतर गया था लेकिन बीबी ने उसे पकड़ लिया और दिन भर इधर उधर के घर के काम कराती रही | जब शाम को उसने फिर से अपने कपड़े पहने तो उसमे पैसे नहीं थे | उसने बीबी से पैसो के बारे में पुछा, तो उसने फिर से अपना पेटीकोट उठा दिया और बोली - चोदना हो तो फिर से चोद लो लेकिन उसमे से एक पाई नहीं लौताउंगी |

गिरधारी ने माथा पीट लिया, आखिर वो घर आया ही क्यों | उसका मूड ऑफ हो गया था | उसे पता था लड़ने झगड़ने का कोई फायदा नहीं, इसी रकम के लिए तो उसकी बीबी उसे बर्दाश्त कर रही है | उसका मन कसैला हो चूका था वो वहां से जाना चाहता था लेकिन बीबी ने नहीं जाने दिया | शाम को सजधज के उसे पकड़ बाजार चली गयी खरीदारी करने | वहां से वापस आने के बाद गिरधारी काम का बहाना मार कर वहां से निकलना चाहता था लेकिन उसकी बीबी उसे लेकर बिस्तर पर लुढ़क गयी | गिरधारी उसे नहीं चोदना चाहता था उसके खयालो में तो रीमा थी लेकिन मजबूरी थी | आखिर उसे अपनी बीबी की बात माननी ही पड़ी | इसी सब उधेड़बुन में वो जितेश को कालू की बात बताना भूल गया |

जितेश अपना काम ख़तम करके देर रात लौटा | साथ में खाना बाहर से ही पैक करा लाया था | उसे पता था रीमा ने दिन में सिर्फ फल फ्रूट से काम चलाया होगा |

इधर शाम होते-होते सूर्यदेव काफी निराश हो गया था, जितेश की तरफ से कोई जवाब नहीं आया था, ऊपर से उन चारो ने भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी | उसे लग रहा रीमा मिलेगी नहीं लेकिन वह हार माने वालों में से नहीं था | उसके उम्मीदे धूमिल हो चुकी थी लेकिन फिर भी उसे कोशिश जारी रखनी थी |

अगले दिन जितेश को कस्बे में कुछ काम था इसलिए जल्दी से तैयार होकर बाहर जाने की तयारी करने लगा | रीमा अभी तक सो रही थी | अब वो पहले से बहुत बेहतर थी |

जितेश रीमा को जगाता हुआ - मुझे कुछ काम है, मुझे पैसे भिजवाने है माँ बाप को तो मै पोस्ट ऑफिस से मनी आर्डर करके आता हूँ | मै दोपहर तक आ जाऊंगा |

जितेश बाहर जाने से पहले अपना सामान इकठ्ठा करने लगा | तभी दरवाजे पर दस्तक हुई | सामने से दरवाजे पर दस्तक, इस वक्त कौन हो सकता है | जितेश के कान खड़े हो गए | रीमा ने खुद को सर से ढक लिया | जितेश दरवाजे के पास गया |

धीमी आवाज में बोला - कौन |

उधर से आवाज आई - आसमान से गिर खजूर में अटके, लेकिन खजूर पक गए है |

ये आवाज गिरधारी की थी | जितेश का अपने आदमियों को पहचानने और बातचीत करने का एक तरीका था | दरवाजा खोलने से पहले जितेश ये तसल्ली कर लेना चाहता था की गिरधारी अकेला ही आया है |

जितेश - कितने खजूर पके है |

गिरधारी - हुजुर अभी केवल १ ही खजूर पका है |

जितेश - रंग क्या है |

गिरधारी - लाल है हुजुर |

लाल रंग का मतलब था कोई अर्जेंट काम है |

उसने आइस्ते से दरवाजा खोला और बाहर निकल गया |

गिरधारी - बॉस अन्दर ही चलकर बात करते है न |

जितेश - नहीं अन्दर मैडम सो रही है | जल्दी बक क्या अर्जेंट काम है और इससे पहले हमें कोई देख ले फुट ले यहाँ से |

गिरधारी - सूर्यदेव आपसे मिलना चाहता है |

जितेश - क्यों ?

गिरधारी - मैडम को लेकर |

जितेश - क्या बकवास कर रहा है |

गिरधारी - उसका आदमी आया था, बोला आपकी बात करा दो, ये नंबर दिया है | इस पर बात कर लेना | दो दिन के अन्दर मैडम को ढूंढ के लाने वाले को पैसे भी देगा , कल आपके पास आ नहीं पाया बीबी जोंक की तरह चिपक गयी थी |

जितेश - उन्हें पता कैसे चला रीमा मैडम मेरे यहाँ है |

गिरधारी - बॉस वो मैडम को ढूढ़ने में आपकी मदद चाहते है लेकिन वो आपके पास है ये उन्हें नहीं पता है |

जितेश - तुझे कैसे पता |

गिरधारी - उनकी बातो से लग रहा था सूर्यदेव की फटी पड़ी है | १० लाख देने को तैयार है | मुझे विनोद, रहीम का संदेसा भी आया था | साकी और गुड्डू का पता नहीं लेकिन कालू उनसे भी यही बात कर रहा है | कुछ सीरियस मामला है मुझे तो लगता है बॉस आपको एक बार सोचना चाहिए |

जितेश - नहीं मै रीमा को किसी खतरे में नहीं डालूँगा |

गिरधारी - बॉस एक बार सोचो तो सही, १० लाख के लिए हमें चार पांच लोगो को मौत के घाट उतारना पड़ेगा |

जितेश - बकवास करेगा तो पिटेगा फिर से | साले १० लाख के लिए मै मैडम को उस जानवर के हवाले कर दू |

गिरधारी भी झल्लाता हुआ - मैडम को किसने कहाँ देने को | बॉस उसने हरामी ने आपकी जान लेने की कोशिश की थी बदला लेने का अच्छा मौका है |

जितेश ने गिरधारी की तरफ घूर कर देखा - कही तूने मैडम के बारे में तो जबान नहीं खोली |

गिरधारी - बॉस आप मुझ पर शक कर रहे हो | नहीं बॉस कैसी बात करते हो मर जाऊंगा लेकिन जुबान नहीं खुलेगी | मेरी वफादारी पर मत शक करो | आप जानते हो मुझे |

जितेश - हम सूर्यदेव के पचड़े में क्यों पड़े | विलास उसकी मरेगा तो मारे |

गिरधारी - बस आपको नहीं लगता सूर्यदेव को मजा चखने का सही वक्त है ऊपर से 10 लाख मिल रहे हैं एक बार सोच लो ठंडे दिमाग से सोचो | और मारना मत मुझे |

जितेश - मुझे वजह पता होनी चाहिए आखिर वह मुझसे मिलना क्यों चाहता है इसके बिना मैं मुझसे मिलने नहीं जाऊंगा ठीक है |

गिरधारी - बॉस तो वो नंबर है न कालू से बात कर लेते है |

ठीक है तू पीसीओ पंहुच मै आता हूँ | ज्यादा देर तक यहाँ खड़े होना ठीक नहीं है |

जितेश, विनोद, रहीम, साकी और गुड्डू पिछले कई सालों से सूर्यदेव के लिए काम करने थे | सूर्यदेव के लालच और अविश्वास और कुछ अपने व्यक्तिगत कारणों से पांचो बहुत ही बेहतरीन आदमी उसका साथ छोड़ गए थे | हालाँकि सूर्यदेव ने बारी बारी से उन पर हमला कराकर बात को और बिगाड़ दिया था | अब वो सब बेहद सतर्क रहते थे |

इधर जितेश नाश्ता करने लगा | रीमा उठकर बाथरूम में चली गयी | जितेश पोस्ट ऑफिस का काम पहले निपटाना चाहता था | इसलिए उसे गिरधारी की बात में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी |

जितेश ने नाश्ता खतम ही किया था | गिरधारी ने दुबारा दरवाजे पर दस्तक दी है |

गिरधारी - हुजुर खजूर तोड़ लाया हूँ, आकर खा लीजिये |

जितेश ने फटाफट दरवाजा खोल कर बाहर आ गया |

जितेश - क्या अपडेट है |

गिरधारी बोला - बॉस मामला मैडम का ही है असल में सूर्यदेव की फट के हाथ में आ गई है सुना है कोई एक विलास नाम का माफिया है जो शहर में रहता है और उसके बेटे की अभी कुछ दिन पहले मौत हो गई थी और उसमें उसके लिए उसने सुरुज देव को जिम्मेदार ठहराया है लेकिन उसकी मौत में और मैडम के बीच कुछ कनेक्शन है इसीलिए सूर्यदेव को लगता है कि मैडम ने उस लड़के को मारा है और इसीलिए वह चाहता है कि जल्दी से जल्दी वह मैडम को ढूंढकर विलास के हवाले कर दो समस्या यह है कि मैडम कहां है यह किसी को नहीं पता वह बहुत हैरान है कि आखिर मैडम ऐसे कैसे गायब हो गई उन्हें जमीन निगल गई या आसमान खा गया इसीलिए उसने पिछले कुछ दिनों से दिन-रात करके अपने सारे आदमियों को लगा रखा है लेकिन मैडम का पता नहीं चला है क्योंकि वह तो मेरे बॉस के कब्जे में है अब वह आपसे मिलना चाहता है |

जितेश - लेकिन उसे कैसे पता कि मैडम मेरे कब्जे में है |

गिरधारी - बॉस मैंने पता लगाया है वहीं इसलिए नहीं मिलना चाहता है कि उसे पता है कि मैडम आप के कब्जे में है वह इसलिए मिलना चाहता है क्योंकि उसके आदमी मैडम को ढूंढ नहीं पा रहे हैं इसलिए वह अपने उन पुराने बेहतरीन आदमियों को फिर से बुला रहा है इसमें से आप भी शामिल है बाकी चार को तो आप जानते ही होंगे |

जितेश - अच्छा वह सब भी आ रहे हैं|

गिरधारी - उनको भी उसने बुलाया हुआ है उसकी फटी पड़ी है बॉस | वो आयेगें या नहीं ये तो पता नहीं |

गिरधारी - मुझे तो लगता है आपको जाना चाहिए 10 लाख कमाने का अच्छा मौका है और बदला लेने का अच्छा मौका है इस बार सब मिलकर उसे सबक सिखाते हैं उसकी वजह से मेरा हाथ अपाहिज हो गया | रही बात मैडम की जो आपका फैसला होगा वह मुझे मंजूर होगा मैं उसमें आपके साथ हूं |

जितेश सोचने लगा | गिरधारी दरवाजे को ओट से रीमा की झलक पाने की असफल कोशिश करने लगा |
Next page: Episode 49
Previous page: Episode 47