Episode 49
जितेश सोचने लगा | गिरधारी दरवाजे को ओट से रीमा की झलक पाने की असफल कोशिश करने लगा |
जितेश गिरधारी की आदत जानता था | उसकी आँखों में देख कर ही लगता था की रीमा के जिस्म की वासना बजबजा रही है | अपना पालतू था इसलिए जितेश ने इग्नोर किया |
जितेश - ठीक है ये फ़ोन रख मैं तुझे कुछ देर बाद फ़ोन करूंगा | याद रखना इस फ़ोन से और किसी से गप्पे मत मारना | निकल यहाँ से | गिरधारी रीमा को देखने की आखिरी कोशिश करता हुआ मुहँ ढक कर वहां से निकल गया |
जितेश ने दरवाजा बंद किया और तेजी से कपड़े पहने |
जितेश - मै कुछ काम से निकल रहा हूँ | ये दरवाजा बिलकुल मत खोलना | मै बाहर से ताला लगाकर जाऊंगा | मैंने अपना फ़ोन गिरधारी को दे दिया है और तुम्हे कोई जरुरत हो तो उसे फ़ोन कर लेना | वो आसपास ही मंडराता रहेगा |
रीमा - ठीक है |
जितेश कुछ सोचकर बेड के सिरहाने से एक चाकू उठाकर - ये तुमारी सुरक्षा के लिए है अपने पास ही रखना, मुझे लौटने में आधी रात हो सकती है | और गिरधारी को ज्यादा मुहँ मत लगाना, बहुत लीचड़ इंसान है | तुम्हें देखकर उसकी लार टपकने लगती है |
रीमा - तुम कहाँ जा रहे हो, यू समझो तुमारी आजादी का टिकट लेने | इसके बाद तुम यहाँ से सीधे अपने घर |
रीमा खुद हो गयी | उसको घर की याद आने लगी | इधर जितेश उसे क्या क्या समझा रहा था उसने सुना ही नहीं | बस हूँ हाँ करती रही | जितेश ने एक बैग उठाया अपने सारे हथियार लिए और तेजी से सामने के दरवाजे से निकल गया | बाहर जाते वक्त ताला लटका गया ताकि किसी को ये शक न हो की कोई अन्दर है |
रीमा घर की यादों में खो गयी, रोहित प्रियम उसका आलीशान घर, वो सारी सुख सुविधाए | हाय कहाँ इस नरक में फंस गयी | नाश्ता कर ही चुकी थी इसलिए जितेश के जाते ही बिस्तर पर लुढ़क गयी | अपने बारे में सोचने लगी | हाय रीमा तुमने ये क्या कर डाला, जो कुछ भी उसके साथ पिछले कुछ दिन में हुआ सब कुछ | कौन है जितेश, क्या लगता है तेरा जो उससे सारा जिस्म नुचवा लिया और वो उसका गन्दा सा नौकर . . . छी रीमा छी तुम्हे अपने आप से घिन नहीं आ रही है | क्या इसी दिन के अपने जिस्म को हर मर्द की परछाई से बचाती फिरती थी ताकि यहाँ दो जंगली जानवरों के खूंटो से अपना पूरा जिस्म नुचवा लो | ऐसे तो रंडियां भी अपना जिस्म नहीं नुचवाती | उनके अन्दर भी तोडा बहुत लिहाज होता है | आगे पीछे दोनों तरफ से दोनों छेदों की दुर्गति करवा ली | नासूर की तरह दुःख रहे है दोनों अब | रीमा की आँखों में आंसू थे और मन में बहुत गहरा डिप्रेसन | रीमा उठी और एक लोशन को अपने पिछली सुरंग में भरकर फिर से बिस्तर पर लेट गयी |
आपने अतीत और वर्तमान की तुलना करते करते कब उसकी नीद लग गयी उसे पता ही नहीं चला |
जब आँख खुली तो ४ बज रहे थे | भूख लगी थी नूडल्स बनाये | बस खाने जा रही थी तब दरवाजे पर दस्तक हुई |
बाहर गिरधारी था - साईकिल का पंचर बनवा लो |
ये कोड वार्ड था | रीमा समझ गयी | दरवाजे के पास आकर - क्या चाहिए ?
मैडम सुबह से मालिक ड्यूटी पर लगा गए, पंचर तो एक नहीं बनवाने कोई आया लेकिन मै भूख के मारे पंचर हो गया हूँ |
रीमा - आगे तो ताला पड़ा है |
गिरधारी - कोई नहीं मैडम जो भी हो तैयार रखो बस मै पीछे से लेकर आ लूँगा |
रीमा - यहाँ अभी बस नुडल ही है, वो भी मेरे जरुरत भर का, उसमे तो बस मेरा पेट भरेगा|
गिरधारी - क्या ? आपने खाना नहीं बनाया क्या ?
रीमा - बनाने को कुछ है ही नहीं, तुम कही बाहर ही जाकर कुछ खा लो |
गिरधारी - मैडम दुश्मन के आदमी सुबह से मुझे ही दूंढ रहे है मेरे हुलिया के कारन मुझे अब तक नहीं पहचान पाए है वरना कब का दबोच लिया होता |
रीमा - तो मै क्या करू ?
गिरधारी - कुछ तोड़ा बहुत दे दो, पेट में कुछ पड़ जाए बस |
रीमा - अभी तो बस यही है |
उधर से कोई आवाज नहीं आई | असल में गली में किसी को आता देख गिरधारी आगे बढ़ गया था |
रीमा ने एक दो बार आवाज दी फिर लौट कर नूडल्स खाने लगी |
कोई १० मिनट बाद पीछे की तरफ से दस्तक हुई |
रीमा चौंक गयी | वो कुछ बोली नहीं डर के मारे उसका दिल धकधक करने लगा |
उधर से आवाज आई - मैडम मै पंचर वाला |
रीमा थोड़ा सा जोर डालने पर गिरधारी की आवाज पहचान गयी | वो झोपड़ी के दक्षिण पश्चिम कोने से आवाज दे रहा था | ये कोना मुख्य दरवाजे के ठीक उलट है | रीमा उस कोने के पास आई |
गिरधारी - बाहर बहुत गर्मी है पूरा हलक सुख गया है कुछ पानी और खाने को दे दो | रीमा नूडल्स चट कर चुकी थी |
रीमा - खाने के लिए कुछ नहीं है |
गिरधारी - अरे मैडम देख लो |कुछ फल फलारी काजू मेवा कुछ तो पड़ा होगा | बॉस ने कही न कही कुछ तो रखा होगा |
रीमा को ड्राई फ्रूट याद आ गए | वो एक बोतल में पानी और एक कटोरी में खजूर लेकर आई |
रीमा - लेकिन तुम लोगे कैसे ?
गिरधारी - मैडम बाथरूम में जिस तरह पानी निकलता है उस छेद से बोतल और खजूर पास कर दीजिये | मै कूड़े वाला हूँ कूड़ा समझ बीन लूँगा |
रीमा गिरधारी का जवाब सुनकर हैरान रह गयी | मन ही मन सोचा कैसे जीते है ये लोग |
रीमा वापस आई खजूर को अच्छे से तीन बार पन्नी में पैक किया फिर पानी की बोतल और खजूर एक बड़ी पन्नी में पैक करके उस पर रबर लगा दी | लेकिन जब बाथरूम गयी तो वहां बम्मुश्किल पानी की बोतल भर का छेद था | रीमा ने सारी पैकिंग वापस खोली और फिर एक एक कर खजूर बोतल में डाल दिए | बमुश्किल १०-१२ खजूर ही उसमे भर पाई | बाकि उसमे पानी भरा था | इसके बाद उसके ऊपर पन्नी की एक परत चिपकाकर नाली के जरिये बाहर की तरह खिसका दी | फिर दक्षिण पश्चिम कोने में आकर बोली - जाकर बोतल उठा लो |
गिरधारी - ठीक है मैडम, वैसे कुछ सब्जी वगैरह लाना हो तो बता दो, अँधेरा ढलते ही दे जाऊंगा |
रीमा - नहीं मैंने नूडल्स खा लिए है | अभी तो भूख नहीं है, अब मै नहाने जा रही हूँ | तुमारे पास नंबर तो है न, मै फ़ोन कर दूँगी |
गिरधारी - मुझे बेड के बायीं ततरफ एक सिगरेट की डिब्बी रखी है वो भी उधर ही फेंक देना छेद से | मैडम एक बात पूछु बुरा मत मानना, |
रीमा - बोलो |
गिरधारी - अभी शाम होने जा रही अभी तक आप नहाई नहीं है |
रीमा - नहीं, थोडा सुस्ती लग रही थी, शरीर भी दुःख रहा था इसलिए लेट गयी थी तो नीद आ गयी |
रीमा को सिगरेट की डिब्बी ढूढ़ने में कुछ टाइम लगा | सिगरेट की डिब्बी भी पन्नी में लपेटकर रीमा ने बाथरूम की तरफ से बाहर खिसका दी | हालाँकि जब वो उसके ऊपर पन्नी लपेट रही थी तब उसमे से लोहे की आवाज आ रही थी |
रीमा वापस उसी कोने में आकर - क्या था उस डिब्बी |
गिरधारी - कुछ नहीं मैडम बस हमारे गोला बारूद भण्डार की चाभी है | बॉस का फ़ोन आया था कुछ हथियार ले जाने है अँधेरा होते ही |
रीमा - कोई खतरे की बात तो नहीं |
गिरधारी - नहीं मैडम ये तो हमारा रोज का काम है | अब आप नहा लो | आपका जिस्म का सारा दुःख दर्द दूर हो जायेगा | वैसे मैडम इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद बदन तो दुखेगा ही, ऊपर से दो तरफा ठुकाई के बाद तो और भी हालत ख़राब हो जाती होगी | पता नहीं कैसे आप तो घंटे घंटे भर दो लंड आगे पीछे घोट लेती हो वो भी एक साथ | कमाल हो आप, यहाँ तो ससुरी औरते लंड चूत को छुवा नहीं की साली आसमान सर पर उठा लेती है इतना चीखती चिल्लाती है |
रीमा गिरधारी की बात सुनकर सन्न रह गयी, कुछ बोली नहीं | कुछ देर वही खड़ी रही | गिरधारी ने दो बार मैडम मैडम आवाज दी और फिर उसके जाने की आहट रीमा को सुनाई दी |
रीमा ने गिरधारी के जाने के बाद अपना बिस्तर सही किया फिर बर्तन धुले और फिर नहाने चली गयी | जितेश ने बोला था गिरधारी के मुहँ मत लगना इसलिए गिरधारी की बातो की रीमा ने इग्नोर करने की कोशिश की | रीमा ने बाथरूम में जाकर कपड़े उतारे और नहाने लगी | उसने दरवाजा भी ओट नहीं किया | रीमा ने खुद को खूब मल मल कर रगड़ कर साफ़ करना शुरू किया | ऊपर से नीचे तक | अपने छेदों में भी पानी भर भर कर साफ़ करने लगी | जितेश उसको बोल गया था की वो उसकी आजादी का टिकट लेने गया है | अब वो इस वासना के काले अध्याय को यही छोड़कर एक नयी शुरआत करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ने को प्रतिबद्ध थी |
तभी रीमा को सामने वाले दरवाजे पर कुछ आहट हुई | जब तक वो अपनी विचरण करती तन्द्रा को भंग कर दरवाजे की तरफ ध्यान ले जाती तब तक दरवाजा खुल चूका था | रीमा के दिमाग में जितेश का नाम आया | शायद जल्दी आ गया होगा | रीमा ने बाथरूम का दरवाजा ओट कर लिया, और दराज से झांक कर देखने लगी |
दरवाजा जिस तेजी से खुला था उसी तेजी से बंद हो गया | उस आदमी के हाथ में दो थैले थी मुहँ ढका था, एक में सब्जी और एक में फल | रीमा सतर्क हो गयी, सुबह जितेश उसे एक तेज धार वाला चाकू देकर गया था | वो सुबह से ही उसे अपने लोअर के जेब में रखे हुए थी | लेकिन चूँकि इस वक्त वो नहा रही थी इसलिए उसकी शर्ट लोअर पैंटी तीनो बाथरूम में टंगे थे | रीमा ने अपने जिस्म पर तौलिया खीच के लपेटने की कोशिश की | लेकिन जल्दबाजी में तौलिया फर्श पर जा गिरी | रीमा जब तक तौलिया उठाकर अपने जिस्म को ढकती, वो शख्स सामने खड़ा था और उसने बाथरूम के मुड़े दरवाजा पूरा खोलते हुए , अपने दोनों हाथ के थैले रीमा को दिखाते हुए |
शख्स - ये देखो मैडम जी मै ढेर सारी सब्जी और फल ले आया हूँ, आप जल्दी सी कुछ न कुछ बना दो | अरे आप तो अभी तक नहा ही रही हो, वो भी बिलकुल नंगी होकर | कोई बात नहीं मुझसे कैसी शर्म, मैने आपके जिस्म को ऊपर से ही नहीं अन्दर घुस महसूस कर लिया | मुझसे काहे की हया शर्म |
रीमा अपनी तौलिया समेटती हुई, अपनी हडबडाहट छिपाने की असफल कोशिश करती हुई - तुम कौन गिरधारी . . सामने से कैसे आ गए . . . ऊ ऊ धर तो ताला पड़ा था |
रीमा ने तपाक से जोर से बाथरूम का दरवाजा भिड़ा लिया | उसकी सांसे तेज तेज चलने लगी | कितना निश्चिन्त होकर नहा रही थी | ये कैसे अन्दर आ गया | रीमा की हालत काटो तो खून नहीं | गिरधारी ने उसे फिर से नंगा देख लिया | क्या सोचता होगा उसके बारे में | छी छी . . . . . . . . . | उसे तो लगता होगा मै . . . . . . . . (कुछ सोच नहीं पाई) |
गिरधारी बिलकुल नार्मल दिखने की कोशिश कर रहा था, हालाँकि रीमा को नंगा देखकर उसके दबे अरमान जाग गए |
गिरधारी - मैडम जी ये थैले कहाँ रख दू |
रीमा को अभी भी समझ नहीं आ रहा था आखिर ये अन्दर आया कैसे ?
उसने झटपट पैंटी पहनी और ब्रा पहनने ही जा रही थी की गिरधारी फिर से बाथरूम का दरवाजा खोल कर खड़ा था |
रीमा इस बार गुस्से से लाल हो गयी - ये क्या बतमीजी है | देख नहीं रहे हो मै कपड़े पहन रही हूँ |
गिरधारी भी थोड़ा ऊँची आवाज में- कुछ बना दीजिये, खाकर निकलना है हमको, बाद में फुर्सत से नहाती रहना | जब गया था तब से अब तक नहा ही रही हो मैडम, कमाल है वो भी पूरी की पूरी नंगी होकर | चड्ढी भी उतार देती हो नहाते वक्त | हमारे यहाँ तो औरते धोती पेटीकोट सब पहनकर नहाती है |
रीमा के पास गिरधारी की बातों का कोई जवाब नहीं था - दरवाजा बंद करो, कपड़े पहनकर आती हूँ |
गिरधारी - देखो मैडम हमको सब पता है आपके बारे में, हमको आप ये गर्मी मत दिखावो | बॉस को दिखाना, उनके साथ रात रात भर नंगी सोती हो, दिन में नंगी नहाती हो, कुछ देर हमारे सामने भी ऐसे रह जावो, क्या घट जायेगा |
रीमा - तुम बतमीजी की हद पार कर रहे हूँ | रीमा ने सिर्फ पैंटी पहनी थी ऊपर से तौलिया लपेटा था | गिरधारी की बातो से जोश में आकार बाकि कपड़े पहनना भूल गिरधारी से पिल पड़ी |
रीमा ने जोश में आकर गिरधारी को करारा झापड़ रसीद कर दिया - निकल बाहर यहाँ से मादरचोद, सुवर की औलाद गन्दी नाली का कीड़ा | तू होता कौन है मुझसे ऐसे बात करने वाला |
गिरधारी कुछ सोचकर रीमा का झापड़ बर्दाश्त कर गया |
रीमा पुरे जोश में थी, वो स्वाभिमानी रीमा जो कही कोने में दब गयी थी आज जाग गयी - निकल बाहर यहाँ से सुवर, साला तू अन्दर कैसे आया |
रीमा का चिल्लाना सुनकर गिरधारी तेजी से रीमा की तरफ भागा और उसका मुहँ हाथ से बंद कर दिया |
गिरधारी - साली कुतिया रंडी मुझ पर हाथ उठाती है | चिल्ला चिल्ला कर क्यों अपनी मौत बुला रही है | चुप हो जावो वरना सच में रंडी की मौत ही मारी जावोगी | अगर किसी को भनक भी लग गयी की इस लकड़ी के खोली में कोई है अभी सूर्यदेव के आदमी आग लगा देगें |
रीमा ने खुद को आजाद करने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुई | मैडम मै आपको नुकसान नहीं पहुचाने आया हूँ | मैडम मै तो आपकी जान की इफाजत कर रहा हूँ | अगर आप चिल्लावोगी नहीं तो मै आपको छोड़ दूंगा |
रीमा ने सहमती जताई | गिरधारी ने रीमा के मुहँ पर से हाथ हटा लिया | इस छीना झपटी में रीमा की तौलिया अलग गिरी जाकर | रीमा के उन्नत उरोज पानी की ओस की बुँदे लिए सीने पर तने खड़े थे | रीमा ने भी तौलिया उठाकर जिस्म ढकने की कोशिश नहीं की |
रीमा गुस्से में उबलती हुई - क्यों आया है यहाँ और तेरे पास चाभी कहाँ से आई | क्या देखना चाहता है जिस्म में देख ले और जा यहाँ से |
गिरधारी - अरे मैडम आप तो गुस्सा हो रही है | मै तो बस ये कह रहा था बॉस के साथ रात रात भर नंगे चिपक कर सोती है, दिन में नंगे होकर नहाती है तो थोड़ी देर और ऐसे ही रह लीजिये | कुछ घट तो नहीं जायेगा आपका | हम भी अपनी हसरत पूरी कर ले आपको निहार कर | बस इतनी सी तो ख्वाइश है | हम इतने किस्मत वाले कहाँ जो बॉस की तरह आप हमें चोदने को मिलेगी | बस आपके नंगे जिस्म को देखकर थोड़ी आँखे सेक लेगें और चले जायेगे | आपके लिए जान पर खेल रहे है इतना तो आप कर सी सकती है |
गिरधारी ने एक गन्दी से लीचड़ हंसी निकाली |
रीमा अन्दर से दहसत से भरी थी लेकिन ऊपर से मजबूत दिखने की कोशिश कर रही थी - देख लिया, अब चल फुट यहाँ से |
गिरधारी - मन तो करता है दिन भर ऐसे ही देखता रहू |
रीमा गुस्से से भड़कती हुई - जाता है यहाँ से या फिर . . . |
गिरधारी भी लपककर आगे आ गया, इतना करीब की रीमा के उरोजो की नुकीली चोटियाँ बस गिरधारी के सीने को छूने भर को रह गयी थी - देखो मैडम ज्यादा लाल पीली मत हो वरना, यही पटक के रगड़ दूंगा, मुझे तो तुमारे कपड़े भी उतारने नहीं पड़ेगे, ऊपर से नीचे तक नंगी हो ही | ज्यादा जोश दिखावोगी तो फ्री फण्ड में अभी चुद जावोगी, दो बार लंड घुसेड़ के अभी सारी जवानी चूत के रास्ते पानी बनाकर निकाल दूंगा |
रीमा तो जैसे गिरधारी की धमकी से डर से सुख गयी, मुहँ की लार मुहँ में रह गयी हलक के नीचे नहीं उतरी | उसने ये तो सोचा ही नहीं था गिरधारी उसका रेप भी कर सकता है | पहली बार उसे गिरधारी से डर महसूस हुआ और वो अन्दर तक काँप गयी |
रीमा पीछे हटकर कांपती हुई बेड की तरफ बढ़ी | जितेश का दिया चाकू कहाँ रख दिया | उसे याद नहीं आ रहा था | जिस चाकू को वो साये की तरह सुबह से चिपकाये थी वो इस वक्त उसके साथ नहीं था |
गिरधारी - चुपचाप मेरे लिए नुडल्स बना दे खाकर चला जाऊंगा | इतना कहकर उसने थैले से सेब निकाला और बिना धोये खाने लगा |
रीमा - अपने आप बना ले मै तेरी नौकरानी नहीं हूँ |
गिरधारी ने टोन बदल दी - मैंने कब कहा आप नौकरानी है | आप तो मालकिन है हमारी | और मालकिन को खुस रखना नौकर की ड्यूटी है | उस दिन सेवा में कोई कमी रह गयी हो तो बताइए अभी पूरी कर दूंगा | मेरा घोड़ा आपकी मांद में सरपट दौड़ने को तैयार है |
रीमा कुछ नहीं बोली | चुपचाप जाकर बिस्तर बैठ गयी | गिरधारी भी नूडल्स बनाने चला गया | उसके बाद उसने इत्मिनान से नुडल्स खाए, रीमा ने अपनी जिस्म को ढकने की कोशिश की लेकिन गिरधारी ने धमका दिया, फिर भी रीमा ने सीने पर तौलिया लपेट ली | गिरधारी बार बार रीमा के जिस्म को घूरता, वो आया तो रीमा के जिस्म को देखकर अपनी ठरक मिटाने | लेकिन अब उसके अन्दर रीमा को भोगने की ठरक पैदा हो गयी | जब से उसने रीमा को धमकाया तब से रीमा शांत होकर बिस्तर पर बैठ गयी | इससे उसकी हिम्मत और बढ़ गयी | हालाँकि वो रीमा के साथ जबरदस्ती नहीं करना चाहता था, वरना जितेश उसे जिन्दा काट डालता | रीमा की रजामंदी के बाद जितेश उसका बाल बांका नहीं कर सकता था |
जब पेट की भूख शांत हुई तो खुश होकर गिरधारी बोला - देखो मैडम मै भले ही छोटा आदमी हूँ लेकिन दिल का बुरा नहीं हूँ | बॉस के कहने पर दिन रात आपको बचाने में लगा हूँ | आप ही बतावो, अगर आप मेरी जगह होती तो क्या करती | मैंने तो उस दिन भी आपके साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं करी | आज भी ऐसा कुछ सोचकर नहीं आया था | भूख लगी थी सोचा कुछ ले जाकर बनवा लूँगा | आप बतावो आप मर्द होती और आपके जैसी खूबसूरत हसीन औरत अचानक से आपके सामने नंगी आ जाए आप क्या करोगे |
रीमा कुछ नहीं बोली |
गिरधारी - मैडम आपको दुःख पहुचाने के बारे मै तो सपने में भी नहीं सोच सकता | हाँ थोडा मुहँ फट हूँ | अब मैडम जो हुआ है उसे न आप नकार सकती हूँ न मै | किसी भी मर्द का लंड खड़ा हो जायेगा आप जैसी औरत का हसींन नंगा जिस्म देखकर | इसमें मेरी गलती क्या ? आप हो ही इतनी खूबसूरत | भगवान ने आपको बनाया ही फुर्सत में है |
रीमा उसकी बातो को सुन ही नहीं रही थी | उसे जितेश की बात याद थी | ऊपर से उसे रोहित की बात याद आ गयी |
वो भावनावो में डूबने की बजाय दिमाग से सोच रही थी |
रीमा - वो सब तो ठीक है, लेकिन तुम अन्दर कैसे आये |
गिरधारी - अरे मैडम आप भी कितनी भोली है, आप ही ने तो चाभी दी थी सिगरेट के डिब्बे में | उसमे दो चाभियाँ थी | जब मैंने उसे खोला तो देखना हथियारों के संदूक के अलावा भी एक चाभी है | तभी तो मै फल सब्जी लेने चला गया | सोचा कुछ खा पीकर निकल जाऊंगा बॉस को हथियार पंहुचाने है |
रीमा - ठीक है तो अब खा पी चुके हो तो जावो अब |
गिरधारी - ठीक है मैडम जी जैसा आपका आदेश | चला जाता हूँ |
गिरधारी ने अपना मुहँ ढका और तेजी से बाहर निकल गया |
रीमा ने उसके जाते ही ऊपर की तरफ देखकर एक लम्बी साँस ली | वही बिस्तर पर निढाल हो गयी | इससे पहले वो सुकून की दो साँस ले पाती, दरवाजा तेजी से खुला और बंद हो गया |
गिरधारी धीमी आवाज में - बाहर कुछ आदमी घूम रहे है अभी जाने में खतरा है | इतना कहकर उसने दरवाजे को अच्छे से सांकल लगाकर बंद कर दिया |
रीमा अपनी तौलिया सही करती हुई उठकर बैठकर |उसे लग रहा था ये मुसीबत चली गयी लेकिन वो फिर उसके गले आन पड़ी | रीमा बिस्तर पर से उठी और पानी लेने चली |
गिरधारी - अच्छा मैडम जी नाराज न हो तो एक बात पूछु |
रीमा का उससे बिलकुल बात करने का मन नहीं वो कुछ नहीं बोली | कुछ सोचकर रीमा - पूछो |
गिरधारी - देखो मैडम जी मै जाहिल गंवार, गलती माफ़ कर देना लेकिन मैंने अपनी जिंदगी में ऐसा कुछ देखा सुना नहीं इसलिए पूछ रहा हूँ |रीमा की ख़ामोशी देखकर - गुस्सा होंगी तो नहीं पूछुंगा |
रीमा ने मन मजबूत कर लिया, वैसे भी गिरधारी के बाहर जाने से वो एक बात को लेकर निश्चिन्त हो गयी थी गिरधारी उसके साथ जोर जबदस्ती नहीं करेगा | तुम्हे चोदने के ख्वाब देखने वाला ये पहला इंसान तो नहीं है रीमा, फिर इतना टची क्यों हो रही हो, उसे बस एक फालतू लंड समझो, जिसको तुमारी ख्वाइश है | देखने दो ख्वाब |
रीमा - पूछो जो पूछना है |
गिरधारी - देखो मैडम जी मै वही अटक गया हूँ | मैंने वैसा जिंदगी में कभी नहीं देखा, न कभी सोचा था | मतलब आप जैसी हसीन जिस्म की मालकिन की गांड मारने का मौका मिलेगा, सिर्फ मौका ही नहीं मिला भरपूर मौका मिला | मतलब बिलकुल निचोड़ लिया एक एक बूँद अन्दर से | मै तो बिलकुल जन्नत का सफ़र किया, आपको कैसा लगा, मतलब मेरा पहली बार था जब मै किसी औरत की गांड मार रहा था | जोश में कही तो कुछ नहीं कर गया | कैसा लगा आपको मेरा लंड और उसका गांड मारना | मतलब आपको मजा आया |
रीमा के लिए ये एक्सपेक्टेड था - कभी गांड मरवाई है |
गिरधारी - नहीं |
रीमा - मरवा के देखो खुद पता चल जायेगा |
गिरधारी - मुझे इतना तो मालूम है दर्द होता है, लेकिन आप तो दो दो लंड एक साथ घोट रही थी, आपको तो बहुत दर्द हो रहा होगा |
रीमा - तुमारे पास घुमा फिर कर बस यही है पूछने को |
गिरधारी - हाँ मैडम इस लीचड़ सी जिदगी की बस इतनी ही कमाई है की आप जैसी औरत की गांड मारी है | अभी भी दुःख रही है क्या ? कुछ ज्यादा तेज ठोकरे मारी थी क्या ?
रीमा - चुदाई में ठोकरे तो पड़ती है, चाहे आगे से पड़े चाहे पीछे से |
गिरधारी - मजा आया मैडम, मेरा मतलब दर्द तो होता है तकलीफ भी होती है लेकिन कुछ मजा तो आता ही होगा न वरना काहे कोई मरवाने लगेगा |
रीमा - जब आदमी वासना के नशे में हो तो सब दुःख दर्द भूल जाता है |वो तो सब बाद में पता चलता है |
गिरधारी - अच्छा मेरी सेवा कैसी लगी |
रीमा - मतलब ?
गिरधारी - अच्छा मैडम मान लीजिये, मतलब सिर्फ मान लीजिये की आपका फिर से कभी मन हुआ गांड मरवाने का तो इस नाचीज को एक मौका दीजियेगा, बिलकुल निराश नहीं करूंगा |
रीमा ताव में - तुमारा दिमाग ख़राब है |
गिरधारी - क्यों मैडम, जब बॉस से चूत की प्यास कभी न कभी तो बुझवाएगी, तो पीछे के छेद लिए इस नाचीज को याद कर लीजियेगा | मैडम इतना बुरा भी नहीं हूँ चोदने में | शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा |
रीमा - नहीं ये अब नहीं होने वाला |
गिरधारी - क्यों मैडम ?
रीमा - मैंने कहाँ न, जो हो गया सो हो गया |
गिरधारी जिस तरह की बाते कर रहा था और जिस अंदाज में रीमा के जिस्म को घूर रहा था, उसके लंड में तनाव आ चूका था | रीमा को चोदने की चाहत जिसको वो बड़ी मुश्किल से दबाये बैठा अब फनफना कर अपने असली रूप में आ चुकी थी |
रीमा बेड पर पैर लटकाए बैठी थी और गिरधारी वही पर जमीन पर पसरा था |
गिरधारी - क्यों नहीं हो सकता मैडम, मै इस बार आपको पिछली बार से भी ज्यादा मजा दूंगा |
रीमा ने उसको घूर कर देखा | गिरधारी बात को सँभालते हुए - मतलब अगर आपकी ख्वाइश होगी तो |
गिरधारी - गलती के पहले ही माफ़ी मैडम , लेकिन एक बार मैडम, बस एक बार आपकी गांड मारने की तम्मना है | कोई जोर जबरदस्ती नहीं बस इस गरीब की ख्वाइश है | जो आप कहेगी वो करूंगा | आपको बचाने के लिए अपनी जान पर खेल जाऊंगा | जिंदगी भर के लिए अपना गुलाम बनाकर रखना, गले में कुत्ते वाला पत्ता पहनाकर रखना | बस इक बार मेरी ये ख्वाइश पूरी कर दीजिये | इतना कहकर उसने रीमा की जांघ के उपरी हिस्से पर दांया हाथ रख दिया |
रीमा चौंक गयी लेकिन भड़की नहीं - हाथ हटाओ, ख्वाइश तो बहुत होती है सब पूरी थोड़े न होती है |
गिरधारी अपना हाथ पीछे खीचता हुआ - मैडम मै आपसे कुछ ऐसा नहीं मांग रहा हूँ जो आप दे न सके |
रीमा - मेरे लिए अब दुबारा उसके बारे में सोचना भी पाप है |
गिरधारी - क्या पाप पुण्य मैडम, एक बार तो वो पाप आप कर ही चुकी है एक बार और सही, कुछ घटेगा तो नहीं है | ऊपर से इस बार गांड का छेद भी ढीला होगा, पेलने में भी आसानी रहेगी, आपको भी दर्द कम होगा | खूब सारी चिकनाई लगाकर आपकी गांड मारूंगा मैडम | आपको कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा | आपको सिर्फ मजे से कराहोगी, दर्द से नहीं ये मेरी गारंटी है |गिरधारी ऊपर से ही अपने लंड को सहलाने लगा |
रीमा को गुस्सा आ गया, उसे लगा अब गिरधारी उसके सर पर चढ़ा जा रहा है - मै कुछ कह नहीं रही हूँ तो सर पर चढ़े जा रहे हूँ | पीछे हटो |
गिरधारी अपनी ही वासना की रौ में था - देखो न मैडम अब तो आपने मेरा लंड भी खड़ा कर दिया है |
रीमा - बकवास बंद करो और निकलो यहाँ से फटाफट |
गिरधारी ने आव देखा न ताव, उसे पता था अभी नहीं तो कभी नहीं | वो खड़ा हुआ और अपनी पतलून से लंड निकाल कर रीमा के ठीक सामने हवा में झुल्ला दिया |
रीमा इससे पहले संभल पाती, गिरधारी ने उसकी तौलिया खीच ली जो बस हल्की से गाँठ से उसके उन्नत उरोजो की ऊँचाइयों पर टिकी हुई थी | रीमा के जिस्म पर अब बस कुछ सेमी size की पैंटी रह गयी थी | बाकि उसका सारा गुलाबी जिस्म गिरधारी के सामने नंगा था |
गिरधारी रीमा पर चढ़ने की कोशिश करने लगा | रीमा - पीछे हटो गिरधारी, वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा |
गिरधारी रुक गया | अपने हाथ में लंड लेकर मसलने लगा - क्या दिक्कत है मैडम, कोई पहली बार न तो आप हमारा लंड देख रही है न हम आपकी छाती | हम आपको छु चुके, आप हमको छु चुकी है | क्या दिक्कत है | पिचली बार अगर आपको दर्द हुआ था तो इस बार नहीं होगा, हम ख्याल रखेगे इसका |
रीमा लगभग गुर्राते हुए - पीछे हटो मैंने कहाँ |
लगभग एक फीट पीछे हटते हुए - लो जी मैडम जी आपका कहना मान लिया | क्या दिक्कत है मैडम ? अब तो बता दो, कुछ तो तरस खावो इस पर, ( अपने मसलते लंड की तरफ इशारा करके ) आपकी ही लगायी आग में जल रहा है | इसे तो पता भी नहीं था पिछली सुरंग का स्वाद कैसा होता है | आप ने ही तो चखाया है | क्या दिक्कत है मैडम, पहली बार आपकी गाड़ मारने जा रहा होता तो अलग बात होती, आप तो मुझसे गाड़ मरवा चुकी हो फिर किस बात की झिझक है | अब तो जो भी इज्जत लुटनी थी लुट चुकी है अब क्या बचा है जो बचाने की कोशिश कर रही हो | जिस्मो के छेद खुल चुके है | अब तो बस मजा लूटो | ये देखो मेरा लंड कैसा लोहे की तरह सख्त हो गया है |
रीमा जानती थी गिरधारी सही कह रहा है उसके पास कोई जवाब नहीं था गिरधारी के सवालो का |
गिरधारी - इतना क्या सोच रही हो मैडम, देखो कितनी लालसा से आपकी तरफ देखकर फुदक रहा है | मुझे तो पता भी नहीं था की किसी औरत की गांड कैसे मारते है, आपने तो इसे अपने हाथो से अपनी गांड पर सजाया था और फिर गुलाबी सुरंग की राह दिखाई थी | मुझ अनाड़ी को आपने एक ही रात में खिलाडी बना दिया और अब आप पीछे हट रही है | क्यों मैडम क्यों मैडम |
गिरधारी की बातो से रीमा विवेक शुन्य हो गयी | क्या सही क्या गलत सारे पैमाने ध्वस्त हो गए | क्या जवाब से गिरधारी को रीमा | रीमा को जड़वत देख गिरधारी - कहाँ खो गयी मैडम, बस एक बार चोद लेने दीजिये मैडम उसके बाद बेशक मुझे गोली मार देना |इतना कहकर गिरधारी रीमा की तरफ बढ़ा | रीमा के ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगा |
रीमा ने प्रतिरोध किया | दोनों के बीच हाथापाई होने लगी | दोनों जिस्म गुथम गुठा हो गए | गिरधारी रीमा को बिसतर पर पीठ या पेट के बल गिराना चाहता था ताकि उसकी पैंटी उतार कर उसकी जांघो के बीच अपनी जांघे फंसा कर रीमा को चोद सके |
रीमा भी पूरी ताकत से गिरधारी को पीछे धकेलने में लगी थी | गिरधारी ने रीमा के बाल पकड़ लिए तो रीमा ने गिरधारी को काट लिया और कसकर मुक्का रसीद कर दिया | गिरधारी ने पूरी ताकत से रीमा को कंधे से पकड़ कर बिस्तर पर धकेल दिया | और उसके ऊपर चढ़ आया | रीमा गिरधारी के नीचे छटपटाने लगी | गिरधारी ने एक हाथ से रीमा के दोनों हाथो की कलाइयों को थाम कर और उसके बालो को भी उसी में कसकर फंसा कर उसके हाथ उसके सर के ऊपर बिस्तर में दबा दिए | दुसरे हाथ से रीमा की पैंटी खिसकाने लगा |
गिरधारी - मैडम जी राजी खुसी मान जावो, क्यों जबरदस्ती करवा रही हो |
रीमा - छोड़ मुझे साले हरामजादे, अभी तेरा मुहँ तोड़ के न रख दिया तो |
गिरधारी - चुदोगी तो है ही हर हाल में बा बिना चोदे तो नहीं छोडूंगा मैडम जी आपको , चाहे राजी खुसी से चुदो या जबरदस्ती करनी पड़े | इतनी देर से गिडगिड़ा रहा हूँ, अभी भी तुमारा दिल नहीं पसीजा, तो यही सही |अभी तक तो सिर्फ मान मुन्न्वल से गांड ही मांग रहा था तुम तो मार पीट पर उतर आयी | अब तो तुमारे दोनों छेद चोदे बिना तुम्हे नहीं छोडूंगा |
रीमा ने जोर लगाया लेकिन उसके दोनों हाथ गिरधारी की गिरफ्त में थे | कमजोर हाथ से वो रीमा की पैंटी उतारने की असफल कोशिश कर रहा था | इसी बीच रीमा को छटपटाता देख उसने अपने दोनों पैर फंसा कर रीमा की जांघे फैला दी | उसकी पेंट से बाहर झूलता लंड अब रीमा की चूत के मुहाने के बिलकुल ठीक सामने था और दोनों के बीच बस एक झीनी कपड़े का पर्दा था | गिरधारी अपने लंड को रीमा की जांघो के बीच चूत त्रिकोण पर रगड़ने लगा | रीमा द्वारा हिलने डुलने से कभी उसका लंड रीमा की दाई जांघ पर रगड़ खाता कभी बायीं और कभी जाकर उसकी चूत के रसीले फांको से टकराता |
रीमा गिरधारी की गिरफ्त में कसमसा रही थी |
गिरधारी - मैडम ये मर्द की ताकत है, कितना भी कसमसा लो थककर चूर हो जावोगी लेकिन पंजा नहीं छुड़ा पावोगी | गिरधारी रीमा के उन्नत उरोजो की नुकीली चोटियों का रस पीने लगा |
रीमा के अन्दर का प्रतिरोध लगातार जोर मार रहा था | उसका शरीर हथियार डालने को राजी था लेकिन रीमा नहीं | वो गिरधारी जैसे लीचड़ से अपनें जिस्म को भोगे जाने के ख्याल से ही घिन से भर गयी थी | गिरधारी की पकड़ मजबूत थी | न तो रीमा अपने हाथ छुड़ा पा रही थी न ही पैर | मर्दाना ताकत के आगे बेबस सी हो गयी थी | अन्दर से रोना आ रहा था | अपनी किस्मत अपनी नियति को कोसने लगी | उसके हाथ पाँव ने जोर मारना बंद कर दिया | उसका शरीर ढीला पड़ गया | उसका प्रतिरोध स्वाहा हो गया | गिरधारी जैसे इंसान से भी चुदना लिखा है क्या ? यही सोचकर निराशा में डूब में गयी | उफ्फ्फ्फ़ रीमा इससे अच्छा तू मौत को गले लगा ले | क्या करेगी ऐसा जीवन जीकर |
रीमा के प्रतिरोध को शिथिल पड़ता देख गिरधारी की हिम्मत और बढ़ गयी | अब वो रीमा को काबू करने की बजाय उसको चोदने पर अपनी उर्जा लगाना चाहता था | उसने पैरो की ग्रिप थोड़ी ढीली करी और रीमा के उरोजो को हलके हाथ से मसलने लगा | रीमा ने भी प्रतिरोध करने की बजाय अपने जांघे और फैला दी | गिरधारी और खुस हो गया, उसने सुन रखा था चोदने से पहले औरते नखरे दिखाती ही है लेकिन एक बार काबू में आने के बाद राजी ख़ुशी चुदती है खूब चूतड़ उछाल उछाल कर चुदती है | गिरधारी ऊपर ऊपर से कमर हिलाकर रीमा के चूत त्रिकोण के पास पैंटी में लंड फंसा कर रीमा के जिस्म से रगड़ रहा था | रीमा आइस्ते से अपना बांया पैर ऊपर की तरफ खींचा, और अपने छाती को उठाकर गिरधारी के मुहँ के पास कर दिया | गिरधारी की रीमा के हाथो पर पकड़ थोड़ी से ढीली हुई और रीमा ने पूरा जोर लगाकर गिरधारी के लंड पर बायीं लात का प्रहार किया | गिरधारी उसी वक्त रीमा की चूंची चूसने के लिए नीचे की तरफ खिसका था | रीमा की लात गिरधारी की नाभि के नीचे लगी जाकर | रीमा ने उसी वक्त अपने दांत गिरधारी के उस हाथ में गडा दिए जो उसके बाल और हाथो को पकड़े हुए था | गिरधारी इस दो तरफ़ा हमले से रीमा से छिटक कर दूर हो गया और रीमा उसकी गिरफ्त से आजाद हो गयी | रीमा तेजी से बिस्तर से उठी और पास पड़ा बर्तन उठाने चली | गिरधारी ने रीमा के पैर में तगड़ी मार दी वो मुहँ के बल गिरते गिरते बची | उसने नुडल वाला पैन उठाया और तेजी से गिरधारी की तरफ फेंक के मारा | गिरधारी जब तक इससे संभलता तब तक रीमा बाथरूम में घुस गयी | और दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया |
गिरधारी अपना सर और पेट सहलाते हुए उठा - साली कुतिया रंडी मादरचोद, एक चूत और एक गांड के लिए इतने नखरे वो भी जिसको पहले राजी ख़ुशी खुद ही चुदवा चुकी है |
रीमा के बाथरूम में पहुचते ही उसे याद आया की सुबह जितेश का दिया चाकू तो उसके लोअर में है जो नहाते वक्त उसने बाथरूम में टांग दिया था | रीमा ने झट से वो चाकू निकाला और उसे हाथो में थामकर गिरधारी का सामना करने के लिए खुद के अन्दर हिम्मत बटोरने लगी |
गिरधारी बाथरूम के दरवाजे पर जोर जोर से हाथ मार कर रीमा को धमकाता हुआ - निकल बाहर रंडी साली कुतिया, आज तेरी चूत को चोद चोद चीथड़े न किये, निकल बाहर मादरचोद रंडी |
रीमा तेजी से बाथरूम का दरवाजा खोलते हुए - पीछे हट मादरजात , पीछे हट (हवा में चाकू लहराते हुए) | नहीं तो मार दूँगी |
गिरधारी के लिए चाकूबाजी कोई नयी बात नहीं थी लेकिन रीमा के तेवर देख उसने पीछे हटने में भलाई समझी |
रीमा - साला नाली का कीड़ा रीमा को चोदेगा, आधा शहर मुझे देख आहे भरता है लेकिन उनको मेरे जिस्म की एक झलक नहीं मिलती | तू साला गन्दी नाली का सुवर, तेरा लंड का क्या गांड में ले लिया बिलकुल सड़क छाप समझ बैठा मुझे | मादरजात अपनी ख़ुशी के लिए लंड घोटती हूँ | मर्द को सुख पहुचाने के लिए नहीं | मेरी चूत है मेरी गांड है जिसका मर्जी लंड घोटू | तू कौन होता है मुझे रंडी कहने वाला | तुम साले १० जगह मुहँ मारते फिरते हो, तुम साले भडवे नहीं हुए | हट पीछे साले नहीं तो चीर कर रख दूँगी |
गिरधारी थोड़ा नरम पड़ता हुआ - ठीक है मैडम ठीक है, गरम मत हो | नहीं चुदवाना मत चुदवाओ, नुकसान तुमारा है | हमें क्या है हाथ से भी पिचकारी निकाल लेगें |
रीमा चाकू लहराकर - साले समझ नहीं आ रहा इसी चुरी से काट लूंगी जिस लंड पर इतना फूल रहा है उसी को |
गिरधारी हँसने लगा - मैडम शांत हो जावो, ये बच्चो का खिलौना नहीं है, लग जायेगा तो जिस्म फट जायेगा | इसे मुझे दे दो | मत चुदवाओ, मुझे क्या तुम तरसोगी लंड को | लेकिन ये मुझे दे दो |
रीमा - तुझे मजाक लग रहा है, साले इसी से चीर के रख दूँगी पीछे हट |
गिरधारी - क्या मैडम, इससे डरा रही हो | हम हर हफ्ते इससे फील्ड में असली खिलाडियों के साथ खेलते है | ये छुटकी बजाते हमारे हाथ में होगा |
रीमा - तू ऐसे नहीं मानेगा | रीमा ने हवा में गिरधारी की तरफ वार किया |
गिरधारी भी होशियार था | वो पीछे की तरफ झुकते हुए बांयी तरफ पलटा और पल झपकते ही रीमा के दाए हाथ को अपने दोनों हाथो की हथेलियों में फंसा कर चाकू को झटक कर जमीन पर गिरा दिया | फिर तेजी से चाकू को जमीन से उठा लिया |
गिरधारी ने रीमा के बालो को भीचते हुए उसकी गर्दन पर चाकू रख दिया - चल साली छिनार तेरा बहुत नाटक देख लिया, अब तो तुझे बिना किसी रहम के चोदुंगा | चल चुपचाप बिस्तर पर |
पल भर में क्या हो गया रीमा को पता ही नहीं चला | इससे पहले वो कुछ सोचती करती, गिरधारी ने उसको बेड पर धकेल दिया और धमकाने लगा - अगर बिस्तर से हिली तो जगह से इस गुलाबी जिस्म को खोल कर लाल कर दूंगा, समझी क्या |
रीमा डर गयी, उसे पता था गिरधारी की बात न मानने पर वो उसको नुकसान पंहुचा सकता है | गिरधारी ने एक झटके में अपने कपड़े उतार फेंके | अब रीमा को चोदने के बीच कोई रोड़ा नहीं था लेकिन इस लडाई झगड़े में गिरधारी का लंड मुरझा गया था | वो बेड पर चढ़ गया | रीमा के जिस्म से सटकर एक हाथ में चाकू लेकर रीमा की गर्दन से सटा दिया और दूसरे हाथ से अपना लंड मसलने लगा |
रीमा डर के मारे अनुनय विनय करने लगी - मेरे रेप मत करो प्लीज |
फिर उठकर बैठ गया और अभी तक रीमा की झीनी पैंटी में छुपी चूत को बेपर्दा करने लगा | गिरधारी रीमा को धमकाते हुए - चुप कर रंडी साली, वरना अभी इसी चाकू से चीर कर चूत पेट तक फैला दूंगा | इतना कहकर उसने चाकू के आगे की तेज नोक
को सीधे रीमा की चूत के ओंठो की दरार के सामने पैंटी में अड़ाया, तेज धार चाकू झीनी पैंटी को चीर कर अन्दर चूत के ओंठो तक पंहुच गया |
गिरधारी - साली बहुत नखरे दिखाए है तूने, अब चु चपड़ करी तो ये पूरा का पूरा चाकू इसी तेरी गुलाबी चूत में उतार दूंगा |
रीमा लगभग रोते हुए - प्लीज मुझे कोई नुकसान मत पहुचाओ तुम जो कहोगे वो करूंगी | जैसे चोदना चाहते हो चोद लो मुझे | प्लीज लेकिन ये चाकू हटा हो |
गिरधारी - जब तब तू चुदेगी ये चाकू तब तक तेरे जिस्म से ही सटा रहेगा | तेरा भरोसा नहीं कब पलट जाये | इतना कहकर धीरे धीरे गिरधारी हल्के हाथों से चाकू को रीमा की चूत दरार से ऊपर की तरफ रेगाने लगा | उसने पूरा ध्यान रखा कही चाकू रीमा की चूत के आस पास लग न जाये | उसका मकसद सिर्फ रीमा को डराना था, कौन बेवखूफ़ होगा जो इतने खूबसूरत गुलाबी चिकने जिस्म और गुलाबी मखमली रसीली चूत को नुकसान पंहुचाएगा |
धीरे धीरे वो चाकू रीमा की पैंटी की इलास्टिक के पास आकार रुका |ऊपर से लेकर चूत के मुहाने तक पैंटी में चीरा लग चूका था और रीमा की वासना का रिमोट कण्ट्रोल गुलाबी चूत दाना उस दरार से बाहर झांक रहा था | दुसरे हाथ से गिरधारी लंड मुठीयाने में लगा था लेकिन पेट पर लात पड़ने से उसे वहां अभी भी दर्द हो रहा था |
गिरधारी - चल पैंटी उतार, फिर खुद ही मना करता हुआ - अच्छा रुक, ये चाकू किस दिन काम आयेगा | न तेरी पैंटी होती न इतना बवाल होता | अब तुझे दुबारा चोद रहा होता | चुदाई का आधा जोश तो कपड़े उतारने में ही चला जाता | तेरे जिस्म पर पैंटी न होती तो तुरंत ही लंड तेरी गांड में डाल देता | इतना कहकर उसने रीमा रीमा को पलटने का इशारा किया | रीमा पेट के बल हो गयी |
गिरधारी - क्या चूतड़ है मैडम, साला मजा आ जायेगा तुमारी गाड़ मारने में | अब इस बांस को हमेशा के लिए काट देता हूँ ताकि आगे कोई बांसुरी न बने | इतना कहकर उसने पैंटी की इलास्टिक में चाकू फंसाया और उसे काट कर दो टुकड़े कर दिया |
अब रीमा पूरी तरह नंगी थी | उसके जिस्म की दो गुलाबी सुरंगे बिलकुल बेपर्दा हो चुकी थी |
गिरधारी - अभी तक गांड का छल्ला सुजा हुआ है, मेरे बाद भी किसी से गांड मरवाए हो क्या |
रीमा कुछ नहीं बोली | गिरधारी उसके मांसल उठे हुए चिकने चुताड़ो पर चाकू फिसलता - कही बॉस तो नहीं चोद दिए | है वो बहुत हरामी, पक्का उनसे रहा नहीं गया होगा | जलते है मुझे, जरा भी ख्याल नहीं किया दुखती परपराती गांड का आपकी | क्यों मैडम मेरे जाने के आपकी गांड मारे थे क्या बॉस |
रीमा बिलकुल मरी आवाज में बोली - हाँ |
गिरधारी चौड़ा होता हुआ - हमको साला पता था उनको हजम नहीं हुआ होगा की गिरधारी साला उनका नौकर कैसे मैडम की चोद लिया | ससुरा हमसे बहुत जलते है | बतावो पहले से चुदी, सूजी कराहती गांड का बाजा बजा दिए, एको बार नहीं सोचा की अगले 15 दिन तक ये कित्ता दुखेगी | दुसरे के दुःख दर्द से कोई मतलब ही नहीं है | आधा घंटा पैतालीस मिनट से कम चोदते भी नहीं है | सारी पोजीशन बना बना कर चोदे होंगे, क्यों मैडम, कचूमर निकाल दिया आपकी गाड़ |
गिरधारी के लंड में वो सख्ती अभी भी नहीं आ पा रही थी | रीमा के चुताड़ो पर हाथ फेरते फेरते उसने एक अँगूठा रीमा की गाड़ में घुसा दिया | रीमा का छल्ला इतना भी नरम नहीं था | उसे थोडा जोर लगाना पड़ा और अंगूठा रीमा की पिछली गुलाबी सुरंग के आगोश में समां गया | रीमा के मुहँ से एक दर्द भरी सिसकारी फुट गयी | कुछ देर तक गिरधारी अँगूठा अन्दर बाहर करता रहा फिर दो उंगलियाँ घुसेड दी | उंगलिया घुस तो गयी लेकिन रीमा के मुहँ से कराह भी निकाल गयी | गिरधारी रीमा के ऊपर आ गया | उसने अपने सुपाडे को रीमा के गांड के गुलाबी छेद पर हलके हलके रगड़ना शुरू किया | रीमा के सामने कोई विकल्प नहीं सिवाय गिरधारी को अपनी मनमानी करने देने के |
रीमा मन ही मन बहुत पछता रही थी | उसका बस चले तो वो गिरधारी को गोली मार दे | गोली से याद आया की जितेश सारी पिस्टल तो अपने साथ ले गया है | एक ले दे के चाकू है वो गिरधारी के साथ में है गिरधारी तो अब उसकी किसी भी सुरंग में लंडपेलेगा | जो मर्जी होगी वो करेगा कोई रोकने टोकने वाला तोड़े है | इतनी बेबस वो कब हुई थी आखिरी बार | इसी बात ने रीमा को रोहित की वो बात फिर से याद दिला दी | हर हाल में दिमाग का इस्तेमाल करो और कभी हिम्मत न हारो |
गिरधारी का लंड इतना सख्त नहीं था की रीमा की गांड को चीरता हुआ उसमे घुस जाये | कुछ देर तक रीमा के चुताड़ो की दरार में अपना लंड फिसलाने के बाद - चलो सीधी हो जावो मैडम | आपकी गांड की हालत ठीक नहीं है, मै बॉस की तरह बेदर्द नहीं हूँ | मै आपकी चूत चोदूंगा |
रीमा - याद रखना गिरधारी मेरी मज़बूरी का फायदा उठाकर तुम ज्यादा दूर जा नहीं पावोगे |
गिरधारी - चल हट साली रंडी छिनार, रात रात भर मेरे बॉस से चुदवाती है तब कुछ नहीं | मैंने जरा सी गांड क्या मांग ली, चरित्रवान होने का नाटक करती है | चुपचाप चुदवा लो वरना तेरी चूत की इतनी छीछा लेदर करके चोदूंगा, साली जिंदगी भर के लिए चुदने लायक नहीं रहेगी |
रीमा - तुझे जितेश का भी डर नहीं, जब उसे सच पता चलेगा तो तुझे जिन्दा काट डालेगा |
गिरधारी - तुझे क्या लगता है रंडी मैडम तेरे जैसी छिनार चूत के लिए बॉस अपने इस वफादार कुत्ते को गोली मार देगे | बहुत भोली हो तुम मैडम जी |अरे तेरी चूत बॉस ने 7 दिन पहले देखि है हम 7 साल से एक साथ जिंदगी मौत की लडाई लड़ रहे है |
तुम्हे लगता है तेरी उस गुलाबी चूत और गांड के लिए बॉस मुझे छोड़ देगे |
रीमा - आने दो जितेश को सब बताउंगी |
गिरधारी - क्या बतावोगी मैडम, बॉस सूर्यदेव से तुमारा ही सौदा करने गया है | आगे पीछे ऊपर नीचे चारो तरफ से तुम्हे चोद तो चूका ही है अब चुदी हुई चूत गाड़ के दस पन्द्रह लाख मिल जाये तो क्या बुराई है |
रीमा के लिए ये गिरधारी की उसको चोदने की ख्वाइश से बड़ा झटका था | उसे यकीन नहीं हुआ |
रीमा - तुम झूठ बोल रहे हो |
गिरधारी - सामने गुलाबी चूत है उसको चोदने जा रहे लंड की कसम मै क्यों झूठ बोलूँगा | जो झूठ बोले उसका लंड जिंदगी भर के लिए न खड़ा हो |
रीमा के लिए ये ज्यादा बड़ा सदमा था | अब गिरधारी अगर उसे चोद भी ले तो कोई फर्क नहीं पड़ता | जितेश उसके साथ ये करेगा ये उसने सपने में भी नहीं सोचा था | जिसको अपना सब कुछ दे दिया | जिस पर अपना सब कुछ लुटा दिया वो उसी का सौदा करने गया है | हाय मै कितनी बड़ी बुद्धू हूँ | रीमा जड़ सी हो गयी | उसके लिए सच झूठ भरोसा धोखा सही गलत सब बेमानी लगने लगे | आखिर किस पर भरोसा करे | रोहित कहाँ हो तुम, तुम्हे के सच्चे मर्द हो जो मेरे जिस्म से नहीं मुझ से प्यार करते हो |
रीमा उधर सदमे में थी तो इधर गिरधारी को उसके लंड की नरमी परेशान किये हुई थी | इसी वजह से उसने रीमा की गांड मारने का इरादा छोड़ दिया | असल में ऐसा करके गिरधारी अपनी कमजोरी छिपाना चाहता था | उसका लंड इतना सख्त नहीं था की रीमा की गांड के छल्ले को आसानी से चीर सके और इस वक्त रीमा के सामने जैसे वो शेर बना हुआ था ऐसी हालत में अगर वो एक बार में रीमा की गांड में लंड नहीं घुसा पाया तो उसकी बहुत बेज्जती हो जाती | इसलिए उसने रीमा के चूत चोदने का प्लान बनाया | चूत में तो आधे मुरझाये लंड भी कई बार सफ़र कर आते है | रीमा चूत चोदने की बात सुनकर और टूट गयी | जैसी पेट के बल निढाल पड़ी थी वैसी ही पड़ी रही |
गिरधारी बाल पकड़कर गर्दन पर चाकू लगाता हुआ - सुना नहीं क्या मैडम जी | मैंने इरादा बदल दिया है |
रीमा जितेश की हकीकत से रूबरू हुए सदमे से निकलने की कोशिश करती हुई, गिरधारी की धमकी बेमन से पलट कर सीधी हुई | उसे पता था गिरधारी उसे चोदे बिना मानेगा नहीं | इस चुदाई और अपमान से बचने की उम्मीद बिलकुल न के बराबर थी अब तो जितेश की उम्मीद नहीं थी इसलिए रीमा ने अपने अतीत को याद किया, उसी भरोसे उसने एक आखिरी कोशिश करने अपने दम पर करने की ठानी | शायद उम्मीदे उसे कमजोर बनाये हुए थी | अब कोई उम्मीद नहीं ज्यादा से ज्यादा रेप ही करगा मेरा लेकिन अगर इसे नहीं रोका तो भी तो ये रेप ही करेगा मेरा | बस मन में एक कसक रहेगी काश एक कोशिश की होती शायद गिरधारी से चुदने से बाख जाती | रीमा फौलादी इरादे से, न केवल गिरधारी को सबक सीखना है बल्कि अब यहाँ से जितना जल्दी हो सके निकलना है |
रीमा - क्या कहा था तुमने, तुम मेरी गांड नहीं मरोगे, मैंने ठीक से सुना नहीं था |
रीमा ने गिरधारी के आधे कड़क लंड की तरफ देखकर हँसते हुए - तुम्हे मेरी गांड मारनी है तो तुम मेरी गांड ही मारो , लेकिन प्लीज इस चाकू को मुझसे दूर रखो, मुझे बहुत डर लगता है, तुम जो कहोगे वो करूंगी | मुझे पता है तुमने मेरी गांड मारने का इरादा क्यों बदल दिया | अगर तुम इस चाकू को मुझसे दूर कर दो मै अभी फट से तुमारा लंड फौलाद की तरह सख्त कर दूँगी |
गिरधारी - ये चाकू मेरे हाथ से दूर नहीं होगा | उसकी चूत पर टिकाते हुए - ज्यादा नौटंकी करोगी तो यही एक दूसरा छेद भी खोल दूंगा |
गिरधारी ने रीमा की गर्दन से चाकू सटा दिया और रीमा के जिस्म के ऊपर छाने लगा |
रीमा को लगा ये चाकू तो दूर करने से रहा फिर क्या करू | मै इस लीचड़ से अपनी चूत तो नहीं चुदवाउंगी |
रीमा - ठीक है तुम चाकू नहीं दूर करना चाहते तो कोई बात नहीं लेकिन अब मेरी गांड ही मारो | इतना ठुकने के बाद भी इसकी खुजली अभी मिटी नहीं है | प्लीज मेरी गांड भी मारो |
रीमा को भी लग रहा था की अगर ये प्लान भी फ़ैल हुए तो सिर्फ गांड ही मरवानी पड़ेगी | गिरधारी पहले भी उसकी गांड चोद चूका है तो नैतिक रूप से वो खुद को जवाब देने लायक रहेगी |
रीमा ने खुद ही गिरधारी का लंड अपने गांड के मुहाने पर लगा दिया हालाँकि वो जानती थी आधा मुर्छित लंड किसी भी हाल में उसकी गांड के अन्दर नहीं जायेगा |
गिरधारी खुश था की रीमा साथ देने को राजी हो गयी लेकिन रीमा की लात इतनी जोरदार थी पेडू के दर्द की वजह से लंड अपने पुराने फौलादी कठोरता को हासिल नहीं कर पा रहा था | गिरधारी एक हाथ से रीमा की गर्दन पर चाकू लगाये था | दुसरे से अपने जिस्म का वजन संभाले था | उसका लंड अब बस उसकी कमर के लगते झटको के भरोसे था |
रीमा ने आगे बढ़ कर उसके लंड को अपने हाथ में थाम लिया, और मसलने लगी | रीमा के ऊपर लदा गिरधारी बिलकुल चोदने के अंदाज में अपने कमर हिलाकर रीमा के जिस्म से अपना लंड रगड़ कर उसे सख्त करने की कोशिश कर रहा था | रीमा को डर था कही कमर के झटके जरा ऊँच नीच हो गयी तो लंड सीधे उसकी चूत में पैबस्त हो जायेगा | वासना के इस खेल में अब उसके और गिरधारी के बीच कोई पर्दा तो बचा नहीं था | सब कुछ तो हो रहा था या हो चूका था जो चुदाई में होता है सिवाय लंड के चूत की गुलाबी सुरंग में घुसने के | वैसे भी बिना लंड के चूत में घुसे चुदाई पूरी भी नहीं मानी जाती |
इसलिए रीमा ने अपनी चूत को गिरधारी के लंड से सुरक्षित करने के लिए उसके लंड को अपने हाथो में छल्ला बना थाम लिया | अब हर धक्के के साथ गिरधारी का लंड रीमा की चूत के फांको को छूता हुआ रीमा के हाथ से मालिश कराता हुआ उसके चूत त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था | कमर के झटको के हिसाब से कभी लंड रीमा की चूत के ओठो को रगड़ता हुआ निकलता कभी ऊपर ही ऊपर चूत दाने को रगड़ता हुआ | गिरधारी के लंड में खून का दौरान बढ़ने लगा था | रीमा की दिल की धड़कने तेज थी | इस वक्त वही समझ सकती थी की उसकी क्या हालत है | एक जरा सी चुक और गिरधारी उसकी चूत की कोमल सुरंग के अन्दर | रीमा बहुत सतर्क थी और अपने नियंत्रण में भी | इतना सब कुछ होने के बाद भी उसके जिस्म में वासना का नाममात्र का नामोनिशान नहीं था | वो खुद हैरान थी | ऐसी हालत में उसकी चूत झरना बन जाती थी और उसके जिस्म में वासना की चींटियाँ रेगने लगती थी | फिलहाल अभी ऐसा कुछ नहीं था | रीमा हर हाल में गिरधारी से जुगत पाने की कोशिश कर रही थी | रीमा के कोमल हाथों का सख्त छल्ला अब गिरधारी के लंड में खून भरने लगा |
कभी कभी रीमा गिरधारी के लंड के ऊपर अपने हाथ की सख्त जकड़न छोड़कर उसको सहलाने लगती | ऊपर से उसकी चूत के नरम ओंठो की गरम गीली गर्माहट, कुल मिलाकर गिरधारी के लंड में फिर से जान आ गयी | जब रीमा अपने चूत त्रिकोण मुहाने पर फिसलते लंड को अपने नरम हाथो से सहला रही थी तभी बीच गिरधारी ने जोश में एक जोरदार झटका मारा जिसे रीमा का हाथ संभाल नहीं पाया और लंड फिसल कर सीधे रीमा की चूत के मुहाने पर जा लगा | जिसका रीमा को डर था वही हो गया | लंड की ठोकर से रीमा के चूत के गुलाबी गीले ओंठ पूरी तरह फ़ैल गये और उसकी गुलाबी सुरंग के मुहाने ने गिरधारी के लंड के फूले सुपाडे का स्पर्श कर लिया | रीमा ने तेजी से अपनी कमर पीछे को ठेली ताकि लंड को अंदर घुसने से रोक सके | रीमा का डर और दहशत में मुहँ फ़ैल गया | मन में पहला ख्याल यही आया - अब तो चुद गयी मै | सब खत्म हो गया | गिरधारी ने चुदाई का आखिरी ब्रेकर भी पार कर लिया |
रीमा अन्दर तक बुरी तरह काँप गयी | रीमा का कलेजा मुहँ को आ गया