Episode 50


रीमा अन्दर तक बुरी तरह काँप गयी | उफ्फ्फ एक पल को तो रीमा को लगा अब चुद गयी, सब ख़त्म हो गया |

गिरधारी का खून से फफकता लाल सुपाडा सीधे रीमा के गुलाबी गीले संकरे कसे मुहाने से सटा था और बस गिरधारी के कमर हिलाने भर की देर थी की रीमा का औरत के रूप में सारा वजूद ख़त्म होने की देर थी | उसके औरत होने का गर्वीला अहसास कराने वाली उसकी चूत गिरधारी के मुसल लंड से कुचली जाने वाली थी | वो सारी लाज शर्म, वो सारी कोशिशे जो उसने खुद को बचा के रखने की की थी वो सब ख़त्म हो गयी | कौन कौन नहीं था जो उसको चोदना चाहता था, उसके चाहने वालो लाखो में थे लेकिन वो मिली किसे | उसने अपने को पति के सिवा सिर्फ रोहित और अब जितेश को सौपा था | बाकि सब उसकी चूत के मुहाने तक पंहुच कर लौट आये | आज वो सारी कोशिशे ख़त्म होती दिख रही थी | एक आदमी उसकी मर्जी के बिना उसके स्वाभिमान को, उसके औरत होने के खूबसूरत अहसास को, अपने मर्दानी अभिमान से कुचलने जा रहा था | रीमा इस भयानक अहसास से सिहर गयी, अब उसके अन्दर का वो अहसास जब वो अपने जिस्म को देख देख कर फूली नहीं समाती थी और अपने को दिलासा देती थी रीमा तेरी वासना कितनी भी पागल हो लेकिन तेरी चूत इसके जाल में नहीं फंसती | आज के बाद वो ग़लतफ़हमी भी दूर हो जाएगी | कुछ ऐसा खास नहीं बचेगा जिस पर वो फूली समां सके | इस रेप के बाद वो कभी खुद से नजरे नहीं मिला पायेगी | रीमा ने पिछले कुछ समय में मुसीबतों में फंसने पर अपने जिस्म को चारा बनाया ताकि मुसीबतों से निकल सके, लेकिन अपने जिस्म की, अपने औरत होने की पहचान उसका गौरव उसकी गुलाबी मखमली चूत सुरंग में किसी ऐरे गैर को लंड नहीं गुसने दिया | जितेश के साथ रौ में बह गयी थी वर्ना वो भी रीमा की चूत को हासिल नहीं कर पाता | बस दो ही भाग्यशाली थे इस दुनिया में जो रीमा की गुलाबी सुरंग का सफ़र कर सके उसके पति के अलावा | सबसे बड़ी बात थी दोनों के साथ रीमा की सहमती थी | अपने जिस्म की गहराइयाँ छुवाने से पहले उसने मन छु लिया था | लेकिन यहाँ तो गिरधारी जग्गू से ज्यादा किस्मत वाला निकला |

अब रीमा की भयानक चुदाई का दौर शुरू होने वाला था और गिरधारी की लाटरी लग गयी थी | रीमा की चूत का मखमली गरम अहसास पाते ही जग्गू का लंड खून के उबाल से तेज तेज झटके खाने लगा | गिरधारी ने कमर का हल्का झटका लगाया लेकिन रीमा की कसी चूत ने वो ठोकर रोक ली और रीमा ने अपने चुताड़ो को तेजी से पीछे की तरफ धकेला | रीमा का कलेजा मुहँ को आ गया |

गिरधारी ने उसी रौ में पूरी कमर पेल कर झटका मारा, गिरधारी ने कमर का जोर का झटका लगाया . . | अचानक से रीमा को पता नहीं क्या हुआ उसके चूतड़ कमर सहित अपने आप ही नीचे की तरफ बिस्तर पर दब गए, रीमा का पेट पिचक गया | जिस हालत में चूत लंड लेने के लिए चूतड़ सहित कमर उचका देती है, वहां रीमा की कमर नीचे की तरफ दब गयी | पूरी ताकत से गिरधारी की कमर से लगा झटका खाकर उसका सख्त लंड रीमा की चूत की फांको के ऊपर हिस्से से टकराता हुआ, उसके चूत दाने को कसकर मसलता हुआ उसके चिकने चूत त्रिकोण पर सरपट फिसल गया | रीमा के सारे बुझे अरमान जग गए | एक दम से जैसे उसके जिस्म का खून दौड़ने लगा, दिमाग चलने लगा | रीमा के मन में पहला अहसास - बस चुदने की आखिरी सीमा छूकर समझ लो वापस आ गयी | हाय बच गयी, लाज बच गयी आज, अब न छोडूंगी इसको |

इससे पहले आगे कोई चुक हो रीमा ने गिरधारी का चाकू वाला हाथ हटाते हुए उसे पीठ के बल बिस्तर पर लिटा दिया दिया और उसका फौलादी लंड हाथ में ले मुठीयाने लगी | वासना में गोते लगता गिरधारी इससे पहले कुछ सोच पाता |
रीमा - गाड़ मारने के लिए लंड चिकना भी तो होना चाहिए, ऐसे सुखा पत्थर जैसा लंड मेरी गाड़ की गुलाबी सुरंग की मखमली दीवारों को छील के रख देगा |
गिरधारी तेजी से हांफता हुआ - हाँ हाँ हाँ मैडम गीला करो चिकना करो, फिर सटासट पेलता हूँ आपकी गांड में |

रीमा ने गिरधारी का लंड मुहँ में ले लिया | वो पहले भी गिरधारी का लंड चूस चुकी थी इसलिए उसके लिए कोई बहुत नयी या अजीब बात नहीं थी | बड़े आराम से चूसने लगी |
गिरधारी भी रीमा की चुसाई से मस्त हो गया | रीमा ने कही से सीखा नहीं लेकिन लंड चूसने में उसका कोई जवाब नहीं था | ये उसका नेचुरल टैलेंट था, वो जिस भी मर्द का लंड मुहँ में ले ले, उसका थोड़ी देर में वासना में पागल होना तय था | इतनी शिद्दत से चूसती थी लंड को, सामने वाला मर्द कराह कराह के मर जाये | गिरधारी की हालत भी रीमा ने ख़राब कर दी थी | उसके बाए हाथ से चाकू छूटकर बेड पर अलग पड़ा था और वो आँखे बंद किये रीमा के जादुई लंड चुदाई के आनंद सागर में गोते लगा रहा था | रीमा ने गिरधारी का एक हाथ अपने सर पर रख लिया | गिरधारी उसके सर को पकड़ कर लंड पर ठेलने लगा | गिरधारी का लंड रीमा के मुहँ की गहराई में उतरने लगा | रीमा के मुहँ से गो गों गों गों की आवाजे निकलने लगी | भले ही रीमा गिरधारी का लंड चूस रही हो, उसके मुहँ से लार की नदियाँ बह रही हो, लंड के गले तक उतरने से उसकी आंखे लालिमा लिए पानी से भर आई हो लेकिन उसकी नजरे चाकू पर ही टिकी थी | गिरधारी ने रीमा के सर को जोर से अपने लंड पर ठेला, उसका पूरा लंड रीमा के गले तक पैबस्त हो गया | रीमा तेज फुंफकार भरी आवाज के साथ अपने जिस्म में हवा भरती हुई ऊपर उठी और एक झटके में बेड पर पड़े चाकू को उठाकर गिरधारी के लंड पर भोंकना चाहती थी लेकिन चाकू लगा गिरधारी की बायीं जांघ में | गिरधारी दर्द से चीख पड़ा | रीमा तेजी से बेड बायीं तरफ लुढकी और नीचे पहुंच गयी | नीचे लोहे की राड रखी थी | उसे उठाकर जब तक गिरधारी रीमा के इस अप्रत्याशित कदम से संभलता तब तक उसके सर पर दे मारी |
गिरधारी वही लुढ़क गया | उसके सर से खून की धार बह चली | रीमा को समझ नहीं आया वो बेहोश हुआ है या मर गया |

रीमा उसे घसीटती ही किसी तरह से बाथरूम में लायी | फिर खुद को अच्छी तरह साफ़ किया | उसका खून रीमा को लग गया था|रीमा ने जितेश कपड़ो के ढेर में से अपने लायक कपड़े निकाले और पहन लिए | हालाँकि अब उसे जितेश के कपड़ो से भी नफरत थी लेकिन बाहर नंगी तो नहीं जा सकती | पैंटी उसकी गिरधारीने काट दी थी और ब्रा वो जल्दी जल्दी में पहनना भूल गयी | आखिरकार एक टी शर्ट टाइप का कपड़ा उसने निकाला जो सुने सुडौल बड़े स्तनों के लिए नाकाफी था लेकिन फिलहाल रीमा को जिस्म ढकने से मतलब था | उसके स्तन ऊपर से तो ढके थे लेकिन नीचे से खुले थे | रीमा ने इसलिए सर से लेकर सीने तक तौलिया ढक ली |

उसने जितेश के एक बैग से नोट की दो गड्डी निकली | तौलियां को अच्छी तरह से सर को ढका | गिरधारी को बाथरूम में ही मरने के लिए छोड़कर तेजी से सामने वाले दरवाजे से ही गली में निकल कर एक तरफ चलने लगी | उसे नहीं पता था वो कहाँ जा रही है क्या होगा | लेकिन वहां रुकना अब उसके लिए खतरे से खाली नहीं था | जो हुवा है उसके बाद अब जितेश भी उसके खून का प्यासा हो जायेगा |

चारो तरफ अँधेरा छाने लगा था | गली में एक आध बल्ब टिमटिमाने लगे थे | हालाँकि बाहर सडको पर अभी रोशनी थी | रीमा बिना सोच के बस अंदाजा लगा कर आई थी और उसका अंदाजा सही निकला, वो एक नुक्कड़ पर पंहुच गयी | उसने बाज की तरह नजर दौडाई और एक रिक्शे पर जाकर बैठ गयी |
रिक्शे वाला हैरानी से - कहाँ जैबो मैडम जी |
रीमा - यहाँ आस पास कोई टैम्पो या बस स्टैंड है |
रिक्शे वाला - हाँ है मैडम जी लेकिन हम जैबो नहीं | हमको छ किमी रिक्शा चला कर गाँव पहुंचना है |
रीमा ने 5०० रुपये का नोट बढ़ाते हुए - ये लो मुझे स्टैंड तक पहुँचा दो, बहुत जरुरी है |
पैसा देखकर उस अधेड़ रिक्शे वाले की आँखों में चमक आ गयी - ठीक है मैडम जी , अब आप तो हमको इतना दे रहे हो जितना हमारा दिन का कमाई नहीं है, फिर तो जरुर चलबे करेगें |

रिक्शे वाला उत्साह से तेजी से रिक्शा चलाता हुआ, लगभग ढेढ़ किमी दूर एक चौराहे पर पंहुचा |
रास्ते में रिक्शा वाले ने बात करने की कोशिश की लेकिन रीमा ने उसे जल्दी पहुचाने को कहकर बात बदल दी |
रिक्शे से उतर कर रीमा दुविधा में पड़ गयी |वहां ढेर सारे ऑटो थे कौन सी कहाँ जाएगी कैसे पता लगेगा |
रीमा थोड़ी दूर तक चलकर गयी, एक दो ऑटो वालो से पूचने के बाद एक नयी उम्र के ऑटो वाले से बात की - भैया ये ऑटो कहाँ कहाँ जाता है |
ऑटोवाला - आपको कहाँ जाना है मैडम |
रीमा - दूसरे शहर |
ऑटोवाला - वहां तो बस ही जाएगी यहाँ से और आखिरी बस ५ बजे निकल गयी है |
रीमा - आप चले चलो, जितना पैसा चाहिए बोलो |
ऑटोवाला - बात पैसे की नहीं है मैडम, मेरी वाइफ पेट से और उसकी ये रही दवाइयां, ये लेकर जाना जरुरी है | मै तो जा नहीं पाउँगा | दुसरे रात होने वाली है | रास्ते में जंगल पड़ता है वहां खतरा रहता है तो शायद ही कोई जाए |
रीमा निराशा से इधर उषर देखने लगी | फिर वापस उसी रिक्शे वाले के पास आ गयी |
रीमा - मुझे दुसरे शहर जाना है, यहाँ से कोई ऑटोवाला राजी नहीं है जाने के लिए | मेरे लिए किसी से बात करके एक ऑटो या टैक्सी का इंतजाम कर दोगे |
रिक्शेवाला - आपको देखते ही पहचान गए मैडम जी आप यहाँ की लगती नहीं है | हैरान ये हूँ आप इस खतरनाक इलाके में कर क्या रही है |
रीमा - मै गलती से यहाँ आ गयी हूँ और मुझे अब अपने घर जाना है |
रीमा का रुंधा सा रुवांसा गला देख उस अधेड़ का दिल पसीज गया - रोइए मत मैडम जी, मुझे पता है आप मुसीबत है और घर जाना चाहती है | आप रुकिए यही | मै आपके लिए कोई साधन ढूंढ कर लाता हूँ |

रिक्शे वाला काफी देर तक इधर से उधर चक्कर लगाता रहा फिर वापस उसी लड़के के पास आया जिसने रीमा को मना कर दिया | कुछ देर तक बात करने के बाद रिक्शे वाले ने रीमा को इशारा करके बुलाया | रीमा हलके कदमो से ऑटो के पास चलीगयी |
रिक्शे वाला - मैडम ये आपको ले जायेगा बाकि पैसे की बात आप खुद ही कर लो |
ऑटोवाला - मैडम आने जाने दोनों तरफ का पूरा किराया देना होगा |
रीमा - कितना होगा |
ऑटोवाला - 5000 |
रीमा - ठीक है |
ऑटोवाला - एक और बात मैडम जी | ये जो रोड देख रही है यही गयी है आपके शहर, हालाँकि ये मैं रोड नहीं है लेकिन ,मै इस पर आ जा चूका हूँ | इसी पर मेरा घर पड़ता है तो अपनी घरवाली को गाँव में दवा देकर फिर चलूँगा | आपको कोई दिक्कत तो नहीं |

रीमा - नहीं कोई दिक्कत नहीं |कब तक पंहुच जायेगे |
ऑटोवाला - अब ये मान के चलिए ऑटो से चल रही है तो 3 से चार घंटे तो लगेगे ही |
रीमा - ठीक है |
रीमा ऑटो में बैठ गयी | रीमा ने रिक्शेवाला का धन्यवाद किया |
ऑटो पलक झपकते ही रोड पर दौड़ने लगा |
ऑटोवाला - मैडम आप यहाँ किसी काम से आई थी क्या |
रीमा को ऑटोवाला की स्पष्टवादिता अच्छी लगी , रीमा ने अंदाजा लगाया ये भला आदमी है - हाँ आई तो किसी काम से थी, फिर मेरा बैग चोरी हो गया और मुझे कोई और समझकर कुछ गुंडे मेरे पीछे पड़ गए | उनसे बचते बचाते घर पहुचना है किसी तरह |
ऑटोवाला - वैसे बुरा न माने तो एक बात पूछु |
रीमा - हाँ बोलो |

ऑटोवाला - यहाँ ड्रग्स का बड़ा व्यापार होता है इस बस्ती से | पहले भी कई लड़कियां ड्रग्स की तस्करी के लिए लायी जाती है, उनके प्राइवेट पार्ट्स में ड्रग्स भरकर तस्करी होती है | और जब कोई मुसीबत आती है तो उनके गुर्गे उन्हें उनके हाल पर छोड़कर रफूचक्कर हो जाते है |आपके साथ भी कही कुछ ऐसा ही तो नहीं हुआ |
रीमा - बिलकुल ऐसा ही नहीं हुआ, मै अपने बिज़नस के सिलसिले में यहाँ आई थी | जिस होटल में रुकी थी वहां ड्रग्स
और सेक्स का बिज़नस होता था | मुझे पता नहीं था | मै पहली बार आई थी | रात में पोलिस आ गयी | होटल मालिक ने सबको भाग जाने को कहा | मै भी निकल भागी | अगले दिन जब होटल पहुंची तो मेरा बैग रूम से गायब था | वही कुछ ड्रग्स का बिज़नस करने वालो को ग़लतफ़हमी हो गयी की मै उनकी ड्रग्स ले भागी हूँ |
ऑटोवाला - हाँ मैडम जी ये इलाका पहले ऐसा नहीं था | मेरे पापा बताते है यहाँ जब से सूर्यदेव ने अड्डा बनाया है तब से ये पूरा इलाका ड्रग्स के लिए बदनाम हो गया है |वो देखिये बातो बातो में मेरे गाँव को जाने वाली सड़क आ गयी |

ऑटोवाले ने ऑटो को एक कच्ची सड़क पर मोड़ दिया | लगभग दो किमी चलने के बाद ऑटोवाले का गाँव आ गया | जिस रास्ते से उसके घर को जाया जाता था वहां किसी की ट्राली का पहिया पंचर हो गया था तो रास्ता बंद था | ऑटोवाले ने गाँव के बाहर ही ऑटो खड़ा कर दिया |
ऑटोवाला - बस ५ मिनट लगेगे, दावा देकर वापस आता हूँ |
रीमा ऑटो में ही बैठकर इन्तजार करने लगी | जिस रास्ते पर ऑटो खड़ा था उसके एक तरह कपास खड़ी थी और दूसरी तरफ एक खाली खेत पड़ा था जिसमे कुछ दूरी पर दो तीन आम के पेड़ थे | जिसके नीचे पांच आदमी बैठे पंचायत कर रहे थे | रीमा को कुछ देर लगी ये समझने में की असल में वो वहां जुआ खेल रहे थे |
रीमा इधर उधर देखते देखते उन्ही जुवारियों को देखने लगी | उनमे से एक उठकर रीमा के ऑटो की तरफ आया और उसी तरफ करके पेशाब करने लगा | उसको दूर से देखकर ही पता चल रहा था वो पूरी तरह से शराब में धुत है |
रीमा ने मुहँ फेर लिया |मुतने के बाद वो वही खड़े खड़े अपना लंड हिलाने लगा - देख न, वो साली इधर देख न |
रीमा ने उनको घूर कर देखा | उसके बाद दूसरा भी वही आकर पेशाब करने लगा | रीमा को उन पर बड़ा गुस्सा आ रहा था | साले इधर उधर घूम कर पेशाब नहीं कर सकते | अपने काले लंड मुझे दिखा कर क्या मिलेगा | मैंने क्या कुछ देखा नहीं है जिंदगी में |

५ मिनट से ज्यादा हो चूका था लेकिन ऑटोवाला अभी तक वापस नहीं आया | रीमा के पास इन्तजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था |रीमा इधर उधर न देखकर अपने हाथ और उनकी रेखाए देखने लगी |क्या फटी किस्मत है मेरी | कभी खुसी और सुख एक साथ नहीं मिला | वो अपनी रेखाऔ को देखने में बिजी थी | तभी उसके सामने किसी ने धम्म से मारा |
रीमा एक दम से डर और दहशत से भर गयी | ये कौन है है कहाँ से आ गए | अरे ये तो वही दोनों शराबी है | ये यहाँ कैसे आ गए |
पहला शराबी - जाने मन कैसी हो ? सब बढ़िया |
दोनों शराब के नशे में पूरी तरह से धुत |
दूसरा - अरे बढ़िया कैसे होगा | जवान औरत का बिना लंड कही गुजारा होता है भला |
रीमा - क्या बत्तमीजी है और कौन हो तुम लोग |
पहला - हाय क्या शहद सी मीठी बोली है, सोच इसकी चूत कितनी मीठी होगी |
दूसरा - हाँ और गोरे गोरे दूध से भी शहद टपकता होगा |

दुसरे वाले ने आगे हाथ बढ़ा कर रीमा को छूने की कोशिश की | उसका हाथ रीमा के सीने तक पंहुचा ही था की - तड़ाक |
रीमा चिल्लाई - क्या बतमीजी है |
पहला वाले ने झपट आकर रीमा के बाल पकड़ लिए - तूने हमारा सामान देख लिया अब अपना दिखा |

रीमा ने से मुक्का मार कर खुद को छुड़ाने की कोशिश की लेकिन उसने कस कस बाल खीच लिए | रीमा बिलबिलाकर रह गयी | रीमा ने उसे लात मारने की कोशिश की लेकिन सही जगह लगी नहीं |
तब तब बाकि तीनो भी उसके साथी आ गए |
उनमे से एक ने पुछा - क्या हुआ यार |

पहला वाला - देख साली रंडी है, मैंने बोला दूध दिखा दे तो हाथ पाँव चलाने लगी |
दूसरा शराबी - भाई दूध देने वाली गाय लात तो मारती ही है इसका मतलब ये थोड़े ही है की दूध दुहना छोड़ देगे |
एक ने लपक कर रीमा के स्तन को दबोच लिया | रीमा ने पीछे सीट पर जोर डालते हुए उसके चेहरे पर लात मारी | निशाना सटीक था और किक पड़ते ही उसकी नकसीर बह चली | वो जमीन पर लुढ़क गया |

तभी उसमे से एक चिल्लाया - पकड़ साली तो दोनों तरफ से इसको अभी यही इसी ऑटो में चोदते है | ये साला पक्का रंडी है |
दो शराबी एक तरफ से दो शराबी दूसरी तरफ से रीमा पर हावी होने की कोशिश करने लगे | एक ने रीमा के मुहँ पर हाथ रख दिया |
पहला वाला चिल्लाया - कसकर पकड़ साली को बहुत हाथ पाँव चलते है साली | जिसकी नाक टूटी थी उसी से - चल खोल साली के कपड़े और चोद इसको |
वो अपनी नाक संभालता हुआ - मार साली कुतिया को, मादरजात नाक तोड़ दी रंडी ने |इतना कहकर उसने रीमा की टीशर्ट पकड़कर खींच दी | रीमा की शर्ट फटती चली गयी | चूँकि नीचे रीमा ने कुछ पहना नहीं था इसलिए उसके गोल उन्नत सफ़ेद गुलाबी स्तन हवा में झूलने लगे |
रीमा के स्तन देखकर चारो की आँखों में चमक दोगुनी हो गयी |
एक चिल्लाया - साली के दूध तो देखो, कित्ते गोरे है, बहुत मजा आएगा इसको चोदने में | चल इसकी पेंट उतार देख चूत भी इतनी गोरी है क्या |
सब कुछ इतनी जल्दी हुआ की रीमा को संभलने का मौका ही नहीं मिला |
एक शराबी रीमा के स्तन दबाता हुआ - हाय हाय क्या मक्खन मलाई दूध है |
दूसरा - अबे साले दूध मत चूस, पेंट खोल |

पहला - भाई मै कल ही जेल से बाहर आया हो कुछ दिन तो बाहर रहने दो
दूसरा - हट साले फट्टू, मुझे पता है तेरा खड़ा नहीं, चोदेगा क्या ख़ाक |
रीमा एक मुसीबत से निकली दूसरी में फंस गयी - क्या बिगाड़ा है मैंने तुम लोगो का, क्या मेरा रेप करने जा रहे हो | खुद को समेटने की असफल कोशिश करती हुई रोने लगी |
एक बोला - साली जब मै मूत रहा है तो घूर घूर के लंड देख रही थी | जब लंड चूत में लेने की बारी आई तो रोने लगी |
क्यों मेरा लंड तो देख लिया, अपनी चूत भी तो दिखा | तुम साला औरतो की इज्जत होती, तो हम मर्दों की भी इज्जत होती है |
रीमा रोते हुए - मैंने कुछ नहीं देखा, मै एक शरीफ औरत हूँ |
एक बोला - साला शरीफ इतनी है की शर्ट पेंट पहन कर घूम रही है | मर्दों वाले कपड़े | ऊपर से अन्दर कुछ नहीं पहना है | पक्का है इसने चड्ढी भी नहीं पहनी है |
दूसरा बोला - मै बोल रहा हूँ साला रंडी है | जहाँ किसी ने पैसे फेंके वही चुदवाना शुरू | ज्यादा कपड़े पहनेगी तो ज्यादा उतारना पड़ेगा न |
एक बोला -चल बोल कितना लेगी | लेकिन हम सब तुझे चोदेगे और वो भी दो बार |

रीमा जोर से चिल्लाई - मै रंडी नहीं हूँ मादरचोदो |
रीमा बुरी तरह से हाथ पाँव चलाने लगी लेकिन चारो की सयुंक्त ताकत के आगे बेबस हो गयी |इससे पहले की कोई अनहोनी हो भागता हुआ ऑटोवाला ऑटो तक पंहुच गया | वहां का नजारा देख उसका पारा चढ़ गया | वो एक शराबी को पकड़कर पीछे फेंक दिया | ये देख बाकि तीनो रीमा को छोड़ कर उस ऑटो वाले पर पिल पड़े | इधर हंगामा सुनकर कुछ गाँव वाले ऑटो की तरफ बढ़े | ऑटोवाला दो शराबियो से भिड गया लेकिन आखिर में पांचो मिलकर उस पर टूट पड़े | रीमा बदहवास सी थी | उसे समझ नहीं आया क्या करे | उसका टी शर्ट टॉप फट गया था | उसकी छाती खुली हुई थी |

उसने जल्दी से अपने सर की तौलिया निकाल अपनी शर्ट समेटते हुए सीने पर तौलिया कस ली और तभी उसकी नजर पीछे डिग्गी में रखे लोहे के राड पर गयी | जो पंचर बनाने के समय ऑटो उठाने के काम आता है | फिर क्या देर थी बिजली की तेजी से रीमा वो राड लेकर उन शराबियो पर टूट पड़ी |एक का सर फूटा दुसरे का कन्धा चटका, तीसरे की पसली | तब तक गाँव वाले आ गए | सब ने मिलकर बाकि बचे दो नशेड़ियो को खूब धुना |
इधर ऑटोवाले का सर भी एक शराबी ने ईंट से फोड़ दिया था |रीमा को ऑटो चलाना नहीं आता था | असल में ऑटो वाला जब दवाइयां देने गया तो वहां खाना भी बंधवाने लगा क्योंकि हो सकता है उसे रात ज्यादा हो जाये या उसे वही रुकना पड़ जाए | इसी चक्कर में थोड़ी देर हो गयी और इधर मौका पाकर शराबी रीमा को छेड़ने लगे |
रीमा - इसे जल्दी से हॉस्पिटल ले जाना होगा |किसी को ऑटो चलाना आता है |
तब तक ऑटोवाले का भाई भी आ गया था | उसने ऑटो को चलाने की कमान संभाली | रीमा ने उसके सर पर कपड़ा बंधा | ऑटो में उसकी माँ को लेकर तीनो तेजी से कस्बे की तरफ बढ़ गए | कहाँ रीमा अपने घर जा रही थी लेकिन नियति उसे एक बार फिर कस्बे में पहुचाये दे रही थी |

इधर जितेश अपना मनी ऑर्डर करने के बाद में जाकर एक ढाबे पर बैठ गया। असल में वो ढाबा उसका स्पेशल अड्डा था। सड़क के किनारे बना ढाबा वैसे तो राहगीरों आने जाने वाले ट्रक और बसों के ड्राइवरों को खाना खिलाने के लिए बना था। लेकिन इसके पीछे दो खुफिया आहते थे। जहां से सारे गलत काम करने वाले लोग आ करके अपनी मीटिंग में करते थे और ढाबे वाला का भी उसमें हिस्सा होता था। जितनी पीछे जा कर के अपने हाथों में जाकर बैठ गया था। कुछ देर बाद उसके बाकी (रहीम, साकी , गुड्डू , विनोद) साथी भी आ गए। इन सबमे विनोद सबसे बड़ा था | बाकि सब जितेश के हमउम्र ही थे |

आते ही साकी ने पूछा बताओ जितेश क्या बात है इतना अर्जेंट क्या है जो बुला दिया?

जितेश बोला - पहले साँस तो ले ले | एक लड़के की तरफ इशारा करते हुए - गुड्डन 4 बना के ले आ |
जितेश बोला - जैसा कि तुम सबको ही पता है कि हम यहां किसलिए इकठ्ठा हुए हैं, एक औरत है। जिस को ढूंढने के लिए सूर्य देव ने दिन रात एक कर दिया है, लेकिन वह औरत को से नहीं मिली है और वह औरत सूर्यदेव के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अब सूर्य देव चाहता है कि इस औरत को ढूंढने में हम उसकी मदद करें। तो साथियों तुम लोग क्या कहते हो, क्या हमें उसकी मदद करनी चाहिए या नहीं?

साकी - हम उसकी मदद तो कर देंगे लेकिन समस्या यह है कि उसने जो भी हमारे साथ क्या हम उसे कैसे भुला दें?
जितेश बोला - तुम सही कह रहे हो साकी , लेकिन फिर भी सोच लो। अच्छा खासा पैसा सूर्यदेव दे रहा है।
साकी - हां, वह बात तो ठीक है जितेश लेकिन क्या सिर्फ पैसे के लिए ही हम अपनी जान से से जोखिम में डाल दें। अगर सूर्यदेव का बस चलता तो आज हम जिंदा ही नहीं होते और अब तुम चाहते हो कि हम उसी सूर्यदेव से समझौता कर ले नहीं नहीं।
जितेश बोला -मैं ऐसा कुछ नहीं कह रहा। मैं सिर्फ यह कह रहा हूं कि हमें मौके का फायदा उठाना चाहिए। हम अपना बदला ले सकते हैं।
विनोद गंभीरता से - तुम कहना क्या चाहते हो जितेश साफ-साफ कहो।
जितेश बोला -मेरा कहने का मतलब है देखो सूर्यदेव ने हम सब को धोखा दिया। सूर्यदेव ने हम सब के साथ हम सब को जान से मारने की कोशिश भी करी, ठीक है, लेकिन उसके बावजूद हम सब बच गए और सब अपनी अपनी दुनिया में चले गए। अभी सूर्यदेव की जान सांसत में है। असल बात यह है कि वह औरत एक लड़के का कत्ल कर के भागी है और वह लड़का किसी छोटे मोटे आदमी का लड़का नहीं है, वह भी विलास डॉन का लड़का है।
तुम्हें तो पता ही है विलास मंत्री जी का कभी दाहिना हाथ हुआ करता था वो अलग बात है आजकल दोनों की बन रही हो लेकिन फिर भी! |
साकी और रहीम की आंखे फ़ैल गयी - वह विलास . . . . वह बड़ा माफिया डॉन |
जितेश - हां वही विलास माफिया डॉन।
रहीम की विलास का नाम सुनते ही फट गयी - तब तो भाई अपन को इस लफड़े में नहीं पड़ना है। पता चला कुत्ते की मौत मारे जाएंगे। साला सिक्युरिटी का चक्कर और होगा सो अलग |
गुड्डू को ज्यादा दीन दुनिया से मतलब नहीं था | उसे जो काम बोला जाता था बस वो करके अपनी दुनिया में | उसे राजनीती और इस अँधेरी दुनिया के मायाजाल से कोई लेना देना नहीं था |

रहीम ही नहीं दहशत तो विनोद और साकी के दिलो में भी घर कर गयी थी | विलास था भी तो पूरा कसाई | एक बार एक आदमी की गलती से विलास की 50 लाख की अफीम पकड़ी गयी थी फिर क्या था पुरे गैंग के सामने उसके दोनों हाथ काट दिए | तब से अब तक उससे भीख मंगवाकर वसूली कर रहा है | विलास के कारनामे जिसने भी सुने थे उसे पता था वो पूरा का पूरा जल्लाद है |
विनोद - हम ठीक ठाक कमा लेते है, शाम को जमकर दारू पीते है और टांगे नोचते है और फिर टांगे फैला कर चूत पेलते है | सुकून की जिंदगी है | मतलब भर का खाना, पैसा और चूत तीनो है अपनी जिंदगी में | तुम चाहते हो हम सब ये ऐसो आराम छोड़कर कुत्ते की मौत मरे |
जितेश - ऐसा कुछ नहीं है ताकि तुम बिना वजह डर रहे हो |
विनोद जितेश की बात काटता हुआ - मैंने तुमसे ज्बायादा दुनिया देखि है | पांच गोली लगने के बाद भी जिन्तदा बच गया था | डर की बात मुझसे मत करो | बात है अपना नुकसान देखने की, विनोद जिंदगी के इस पड़ाव पर किसी नए लफड़े में नहीं पड़ना चाहता। मेरी वाली मेरी फाड़ के रख देगी अगर जान पायी | वो हर रात इसी शर्त पर तो चोदने देती है की कोई गलत काम न करू मै | जैसे ही उसे पता चलेगा, चूत तो हाथ से जाएगी ही ऊपर से साला लात मार कर अपनी जिंदगी से भी बाहर कर देगी |
साकी - बुढाऊ को इश्क हो गया है |
विनोद - साला क्या करू, चूत चीज ही ऐसी है |
जितेश - बात सही है तुमारी |
साकी - अबे ठरकी तू तो प्यार की बात ही मत कर |
जितेशबोला - काम की बात करते है देखो तुम लोग समझ नहीं रहे हो। जो भी पैसे हैं वो हम सब आपस में बराबर बराबर बांट लेंगे और उसके बाद वह लड़की हमें सूर्यदेव को देनी होगी |

रहीम - लेकिन भाई जान सबसे पहला सवाल लाख टके का है कि वह औरत है कहां ? हमें कैसे मिलेगी | कैसे हम सूर्यदेव से बात करने जा सकते है जब तक हमें लड़की की जानकारी न हो |
जितेश - यह समझ लो औरतों में मिल जाएगी। अब बस बात पैसे की करनी है और अपनी शर्तों पर करनी है।
विनोद - तुम कहना क्या चाहते हो जितेश?
विनोद - वह औरत क्या चलकर हमारे पास आएगी कि चलो मुझे सूर्यदेव के पास ले चलो। जो कुछ कहना है साफ-साफ बताओ।
विनोद - कहीं तुमने उस औरत का पता तो नहीं लगा लिया है।
जितेश ने बात पलट दी - नहीं नहीं, ऐसा नहीं है। उस औरत को मुझे भी ढूंढना है, लेकिन मेरे पास कुछ सूत्र है जिससे शायद हमें उस औरत को ढूढ़ने में आसानी होगी |
साकी - यह कौन सा सूत्र है, मैं भी जानना चाहूंगा?
जितेश - अच्छा ठीक है साथियो . . . चलो, मैं तुम्हें सच बता देता हूं | वो औरत मेरे कब्जे में है |
चारो की आंखें चमक पड़ी।
साकी - अरे वाह, तब तो समझ लो, लॉटरी हमारे हाथ में है।
जितेश - इसीलिए तो दोस्तों मैं यहां आया हूं। लाटरी हमारे हाथ में है। हमें बस उसे भुनाना बाकी है और हम मनमाना पैसा वसूल करेंगे। सूर्य देव से, क्योंकि सूर्य देव को औरत हर हाल में चाहिए, लेकिन हम पैसा लेने के बाद चंपत हो जाएंगे।
विनोद - चम्बापत हो जायेगे मतलब नहीं नहीं नहीं यह अपने धंधे का वसूल नहीं है। भाई अगर हम कीमत पूरी लेते हैं तो हम पूरा काम भी करते हैं। तुम जो कह रहे हो उस से मैं सहमत नहीं हूं। सूर्य देव भले ही बहुत ही घटिया आदमी हो लेकिन हम उसके साथ धोखा क्यों करें? अपना ईमान धरम नहीं ख़राब करना |
जितेश - मैं धोखा करने को नहीं कह रहा हूं। मैं सिर्फ इतना कहना हम उस औरत को नहीं देंगे क्योंकि वह औरत बहुत भली है। और उसे अगर सूर्य देव को हमने दे दिया तो सूर्य देव उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा।
साकी - तू साला फिर से कब से चूतों के चक्कर में पड़ने लगा? पिछले चूत के मिले धोखे अभी तक भुला नहीं और तूने नयी पकड़ ली |
विनोद - बेटा शादी कर ले इधर-उधर की सड़क छाप तो चक्कर में रहेगा ना तो साला ऐसे कुत्ते की मौत मारा जाएगा। इसलिए मैं बता रहा हूं।
जितेश - नहीं ऐसा नहीं है। मैं बता रहा हूं ना बहुत बहुत ही भली औरत है।
रहीम - तू कब से औरत की चक्कर में पड़ गया | कही इश्कबाजी तो शुरू नहीं कर दी |
जितेश - नहीं ऐसा नहीं है।
बिनोद - मुद्दे की बात करते हैं।
साकी- मेरा भी यही ख्याल है कि मुद्दे की बात करते हैं। उस औरत से तूने साला क्या सेटिंग कर रखी है? हमें से मतलब नहीं है।
बिनोद - जैसा कि तूने बताया, औरत तेरे कब्जे में है तो अब आगे क्या करें?
जितेश - हमें सूर्य देव से मिलना पड़ेगा |
विनोद - बिना असलहा मै वहां नहीं जाऊंगा |
जितेश - मेरे पास २ है और कुछ कारतूस |

विनोद - मुझे लगता है इतना काफी नहीं होगा।

जितेश - मैंने गिरधारी को फोन करके शाम को और असलहा कारतूस लाने को कहा था। तुम लोग भी थोड़ा बहुत अपना के साथ में चलो। हम सिर्फ पांच हैं और वहां का तो पता ही होगा, सूर्य देव के कुत्तों की तरह कितने आदमी लगे होंगे?
विनोद - मेरे पास तो कुछ रहा नहीं। मैंने तो दुनिया ही छोड़ दी थी।
साकी - ठीक है, कोई बात नहीं, मैं इंतजाम कर दूंगा , जितेश तेरे पास कितने कारतूस है।
जितेश - मेरे पास अभी 12 कारतूस है। दो पिस्टल और एक चाकू है। गिरधारी से मैंने एक और पिस्टल और कम से कम 20 कारतूस लाने को कहा है |
जितेश - अगर गोलाबारी शुरू हुई तो मान के चलो इतनी जल्दी तो नहीं छोड़ेंगे | राइफल को लेकर छुपा के चलना बड़ा मुश्किल है और सिक्युरिटी की नजर पड़ गई तो सूर्य देव के अड्डे पर पहुंचने से पहले ही धरे जाएंगे।

रहीम - तो फिर कुछ ना कुछ और तो करना पड़ेगा। बिना राइफल के मैं नहीं जाने वाला हूं। सिर्फ पिस्टल से क्या होगा?
साकी - हां, मैं भी इसकी बात से सहमत हूं। हम पिस्टल से उनके आदमी का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। अगर बात बिगड़ी तो हमें सब को अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा।
विनोद - बात तो सही कह रहे हो तो क्या किया जाए? तो वैसे सूर्य देव ने कहां बुलाया वही उसका पुराना अड्डा मिल्क पुराना मिल कंपाउंड!
जितेश - ठीक है। क्या प्लान है?
विनोद - हमें एक साथ नहीं जाना चाहिए और कोशिश करो एक दो और आदमी का इंतजाम कर सकते हो तो कर लो।
विनोद -प्लान के हिसाब से मै और जितेश दोनों सूर्य देव से बात करने जायेगेऔर बाकी सब लोग सपोर्ट के लिए मिल के अंदर और बाहर रहेंगे।
विनोद - मिल का नक्शा हो तो ठीक रहेगा। गुड्डू को हम गेट के पास रख देंगे ताकि आसपास के मूवमेंट की खबर होती रहे और साकी पिछले गेट पर पहरा देना | रहीम ऑटो से मछली लेकर अन्दर जायेगा और सीट के नीचे रायफल या बन्दुक जो हो सके वो रख लेना | जैसे ही किसी को भी खतरा लगे तो सबको तुरंत आगाह करना | यह हमारा साथ में आखरी काम है। इसके बाद हम और कोई काम नहीं करना और जितेश तुम्हारे एक सलाह है। औरत के चक्कर में मत पड़ो, चूत बहुत कुत्ती चीज होती है मेरी सलाह मानो दूर रहो दूर रहो। कुत्ते की तरह मारे जाओगे, मैं बता रहा हूं।
Next page: Episode 51
Previous page: Episode 49