Episode 51
सभी बैठ करके खाना खाने लगे और शाम होने का इंतजार करने लगे। अभी काफी वक्त था तो? सभी के लिए ढाबे वाला शराब के पैग बना कर दे गया और उसने वहां पर मुर्गे के कुछ टुकड़े भी रख दिए थे। जिनको भी करके शराब पीने लगे और ताश खेलने लगे। ताश खेलते शाम के 5:00 बज गया। जितेश ने गिरधारी को को फोन मिलाया लेकिन गिरधारी ने फोन नहीं उठाया। जितेश ने सोचा हो सकता वह कहीं बिजी हो घड़ी में 5:30 बजते ही जितेश और विनोद एक मोटरसाइकिल पर चुपचाप पुरानी मिल कंपाउंड की तरफ रवाना हो गए। दूसरी बाइक पर साकी , और तीसरी पर गुड्डू उनके पीछे-पीछे रवाना हो गया। रहीम ऑटो लेकर के उनके पीछे-पीछे रवाना हो गया। ऑटो के अंदर जो बड़ी देसी दुनाली बंदूक यदि जो कभी भी इमरजेंसी के वक्त काम आ सकती थी। ऑटो के अंदर रहीम ने मछलियों की टोकरियाँ रख ली क्योंकि वह इसी के सहारे मिल कंपाउंड के अंदर घुसने वाला था |
इन सब ने पहले से तैयारी कर रखी थी। उन्हें पता था कि मिल कंपाउंड के अंदर सूर्य देव के आदमियों के लिए खाना बनने के लिए सामान जाता है। उस ऑटोवाले को जितेश ने पैसे देकर उसका ऑटो ले लिया और रहीम को दे दिया था | मछली भरे ऑटो को कौन रोकता और कौन मछलियों की बदबू सूंघता | इसलिए रहीम का मिल में घुसना आसान था | लेकिन जितेश को चिंता थी कि गिरधारी का फोन क्यों नहीं उठा रहा है। जाने से पहले एक बार उसने फिर 5:30 बजे गिरधारी को फोन मिलाया, लेकिन गिरधारी का फोन अभी भी बंद था। गिरधारी ने फोन नहीं उठाया।
सब मिलकर अपने अपने प्लान के अनुसार मिल कंपाउंड पहुंचे. . . पुराना मिल कंपाउंड असल में एक शुगर मिल का कंपाउंड था, जिसके अंदर अब तीन गेहू के गोदाम बना दिए गए थे और बाकी पुरानी मिल कंपाउंड के अंदर से सारे अवैध धंधे सूर्यदेव चलाता था, जिसमें लड़कियों की तस्करी, नशे की तस्करी, कच्ची शराब का धंधा, हथियारों की तस्करी सब कुछ शामिल था। सिक्युरिटी को भी पता था लेकिन सिक्युरिटी वहां नहीं जाती थी क्योंकि उसे हर हफ्ते बिजनेस पाटनर की तरह उनका कट थाने पहुंच जाता था।
सबसे पहले रहीम मिल कंपाउंड के अंदर दाखिल हुआ। और इधर उधर पूरी तरह से घुमाते हुए जो भी रास्ता उसे नजर उस पर टहलते हुए घूम कर के वह एक जगह पर खड़ा हो गया और एक आदमी से पूछा, भाई मछली लाया हूँ कहां ले जानी है | गार्ड ने घूर कर रहीम को देखा |
गार्ड - मनोज कहाँ है और तुम कौन हो |
रहीम - जी जीजा जी आज बीमार है इसलिए मुझे भेज दिया |
गार्ड - ठीक है ठीक है
गार्ड ने रसोई का रास्ता दिखा दिया। रहीम ने ऑटो उधर ही बढ़ा दिया के चलते ही फोन मिला दिया और जितेश को रास्ता क्लियर होने की बात कह दी। जितेश रहीम का फोन आते ही अपनी बाइक के साथ में मिल कंपाउंड के गेट पर आ गया। यहां 8 गार्डन मुस्तैदी से खड़े थे।
सबने घूर कर उन्हें देखा, विनोद और जितेश ने भी घूरा। एक उसमें से चौड़ा सा लंबा सा आदमी काला आगे बढ़ा - क्या चाहिए ?
विनोद - हमें सूर्यदेव से मिलना है?
काला आदमी - कौन सूर्यदेव ?
जितेश ने बिना ही दबाव में आए - तुम्हारा बाप सूर्य देव। उसने हमें बुलाया है।
काला आदमी आखे बड़ी बड़ी करके जितेश को घूरने लगा - नाम ?
जितेश - जितेश और विनोद |
काला आदमी पीछे हटते हुए किसी से खुसुर फुसुर करने लगा | एक आदमी ने फ़ोन मिलाया | कुछ देर के इन्तजार के बाद - ठीक है, तुम जा सकते हो, लेकिन तलासी लेनी होगी ?
जितेश - अगर तलाशी लोगे तो हम अंदर नहीं जाएंगे। उसने पहले ही पिस्टल निकाल कर दिखा दी। हमारी सुरक्षा के लिए और इसके बिना हम अन्दर नहीं जायेगे |
विनोद - मै भी नहीं ।
काला आदमी अपनी पिस्टल निकालता हुआ - निकल यहाँ से |
जितेश भी उसे घूरने लगा | एक पल नहीं लगा जितेश ने भी पिस्टल तान दी | देखेते ही देखते सभी गार्ड ने अपने हथियार उठा लिए |
विनोद ने बात बिगडती देख - जितेश हम यहाँ लड़ने नहीं आये है, काले आदमी से सूर्य देव से बात कराओ अभी के अभी, वर्ना गोलिया चल जाएगी यहाँ ।
काला आदमी - गार्डो को बोला - देख क्या रहे हो, पकड़ो सालों को | सभी अपने अपने हथियार थामे उन दोनों की तरफ बढ़ने लगे |
विनोद - मै कह रहा हूँ तुम सालो गलती कर रहे हो, सूर्य देव को जो चाहिए वो हमारे पास है और हमसे पंगा लेकर तुम अपनी मौत बुला रहे हो | हमें कुछ हुआ न तो सूर्य देव तुम्हें सीधे गोली मार देगा |
काला आदमी - पीछे हटो वरना यही लाश पड़ी मिलेगी तुम दोनों की |
विनोद - कलूटे तेरे सूर्य देव टुकड़े करके कुत्तो को खिला देगा जब उसे पता चलेगा, हम मैडम की इंफॉर्मेशन लेकर आये थे और तूने हमें मिल में घुसने तक नहीं दिया |
काले आदमी के चेहरे का जैसे रंग उड़ गया | उसे पता था कुछ दिन पहले एक औरत मिल कंपाउंड से भाग गयी थी और सूर्य देव ने उस गार्ड को सबके सामने गोली मार दी थी | उसने झट से कही फ़ोन मिलाया | फ़ोन एक लड़की ने उठाया |
काला आदमी - साहब से बात कराओ |
लड़की ने फ़ोन सूर्य देव को दे दिया |
सूर्य देव - हाँ बोलो |
काला आदमी - साहब असलहा लेकर आ रहे है | इसके बिना जाने को तैयार नहीं है |
सूर्य देव - कितने आदमी है |
काला आदमी - साहब दो , कह रहे है मैडम की इनफार्मेशन है |
सूर्य देव - बात कराओ जरा |
सूर्य देव - जितेश बोलो!
जितेश - कैसे हो सूर्य देव मैं बढ़िया हूं तुम बताओ। जो तुम्हें चाहिए वह शायद हम तुम्हारे लिए ढूंढ सकते हैं। लेकिन तुम्हारा यह पालतू मुझे अंदर ही आने दे रहा है और बिना औजारों के हम अन्दर नहीं आएंगे। तुम्हारा कोई भरोसा नहीं। पिछली बार भी हम सच्चे थे तो भी तुमने हम पर गोलियां चलवा दी थी। किस्मत हमारी अच्छी थी। हम बच गए थे। हम तुम पर भरोसा नहीं कर सकते।
सूर्यदेव खामोश रहा |
जितेश - मैडम चाहिए तुमको या नहीं ।
सूरज ने फोन पर हाथ रख कर एक भद्दी सी गाली दी जितेश को |
सूर्यदेव गार्ड को फोन देने को बोला - ठीक है गार्ड का फोन दो।
सूर्यदेव गार्ड से - आने दो, सबको चौकन्ना कर दो | सबकी बन्दूको के निशाने पर इनकी खोपड़ियाँ रहनी चाहिये | |
जितेश और विनोद दोनों फिर से मोटरसाइकिल बैठ के अंदर घुस गए।
जितेश बाइक चला रहा था लेकिन उसकी नजरे चारो तरफ दौड़ रही थी। हर रास्ते को गौर से देख रहा था और आसपास उसकी तरफ नाल ताने खड़े आदमियों को | सूर्य देव के आदमी टकटकी लगाए उसी की तरफ घूर घूर के देख रहे थे। वो समझ गया था, कोई मौका नहीं छोड़ने वाला है।
विनोद जितेश के कान में धीरे से - साला इसने तो सारी फ़ौज ही हमारी कनपटी पर तान दी है। हमें यहां आना ही नहीं चाहिए था | कुछ गड़बड़ हुई तो चने की भून दिए जायेगे |
जितेश - सही किया जो असलहा लेकर आये है भोसड़ी वाला में कुत्ते की तरह मार डालता हैअगर हम खाली हाथ आते | चलो जो होगा देखा जाएगा। कुछ गड़बड़ करी तो भोसड़ी वाले को आज ही टपका के जाएंगे।
विनोद - वो ऐसा कुछ नहीं करेगा। जितेश निश्चिंत रहो।
जितेश - क्योंकि अगर उसने ऐसा किया। तो फिर आज उसे? विलास बोटी बोटी में काट डालेगा।
विनोद - तू ससुरा इतना कॉन्फिडेंस में कैसे है , वैसे तूने उस औरत को कहां रखा हुआ है |
जितेश - मैडम जहाँ है सुरक्षित है सही समय पर बता दूंगा , दोस्त भरोसा करो।
विनोद - भरोसा है बिटवा तभी तो हम आए हैं। वरना पैसो के लिए कोई जिंदगी तोड़े दांव पर लगाता है |
कुछ देर बाइक चलाने के बाद जितेश एक बड़े से गोदाम के गेट के सामने बाइक रोकी दोनों उतर कर अंदर गए। वहां पर गार्ड खड़ा था। गार्ड को देखते जितेश ने अन्दर जाने को बोला। गार्ड ने बिना कुछ कहे चुपचाप गेट खोल दिया। अंदर जाने के बाद एक लंबे से गलियारे में चलने के बाद में जितेश एक छोटे से केबिन के सामने पहुंच गया। केबिन के चारों तरफ से शीशे लगे हुए थे | वहां पर एक खूबसूरत सी लड़की बाहर रिसेप्शन बैठी थी। सर मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूं?
जितेश - सूर्यदेव से मिलना है जितेश नाम है मेरा |
लड़की ने फोन मिलाया उसके बाद कुछ बात करने के बाद - सर आप सोफे पर बैठिये | सर अभी बिजी है फ्री होते ही आपको बुलायेगे |
जितेश और विनोद वही सोफे पर बैठ गये। रिसेप्शन पर बैठी हुई लड़की से अपना काम करने लगी। सर आपको कुछ चाहिए कुछ खाएंगे। कुछ चाय नाश्ता |
जितेश - नहीं नहीं, हम ऐसे ही ठीक है।
थोड़ी देर बाद लड़की उठकर के अंदर की तरफ गई। लड़की पूरी तरह से फॉर्मल ड्रेस में थी , लेकिन उसकी स्कर्ट जरूरत से ज्यादा छोटी थी। तब उसकी गोरी गोरी जांघे साफ-साफ ने नुमाया हो रही थी। बालक उसकी जांघों को देखते हुए ससुरा यह साला पहले भी रंडी बाज था। अभी भी साला रंडी बाज है। ऐसी लड़कियों को साला इस खंडहर फैक्ट्री के अंदर नौकरी दे रखा है। भोसड़ी वाला हमेशा कड़क चूत को ही काम पर रखता है बिना चोदे तो साला छोड़ता नहीं होगा रात में।
जितेश और विनोद कुछ देर ऐसे ही बैठे रहे लड़की थोड़ी देर बाद आई मुस्कुराते हुए और बोली सर आपने मेरे साथ आइये । असल में सूर्यदेव कुछ कर नहीं रहा था बल्कि जितेश और विनोद को face करने की हिम्मत जुटा रहा था | भले ही सूर्यदेव अपने किले में अपनी फ़ौज के बीच में था लेकिन हिम्मत तो इंसान के जिगर में ही पैदा होती है और सूर्यदेव एक नंबर का फट्टू था शुरू से |
दोनों उस लड़की के मटकते चूतड़ देखते हुए उसके पीछे पीछे चलने लगे | लड़की ने केबिन का शीशा खोला और अंदर गई। अंदर बढ़िया ऐसी चल रहा था और उस में बहुत अच्छे-अच्छे लग्जरी सोफे पड़े हुए थे । जितेश! और विनोद को बैठने को कहा।
लड़की वापस बाहर चली गयी | कमरा पूरी तरह से किसी फाइव स्टार किसी मल्टीनेशनल कंपनी के ऑफिस जैसा था। बाहर से कोई भी नहीं कह सकता था कि फैक्ट्री के अंदर कोई इतना शानदार ऑफिस होगा।
सोफे काफी दूर में पड़े हुए थे जिनमें कम से 5 से 10 आदमी बैठ सकते थे। उसके सामने एक बड़ी सी मेज पड़ी हुई थी। जाहिर सी बात है।कुछ देर बाद सूर्यदेव अपने तीन आदमियों के साथ केबिन में घुसा तीनों आदमियों के हाथ में बढ़िया सी कार्बाइन वाली मल्टी बैरल बंदूक थी।
सूर्य देव - नमस्कार कैसे हो, बहुत दिनों बाद मिलना हुआ।
जितेश और विनोद ने मुस्कुराहट से जवाब दिया।
सूर्य देव - अगर मैं याद कर पा रहा हूं सही से तो तुम विनोद राम हो।
विनोद - इस नाचीज को अभी तक तो यही कहते हैं |
सूर्य देव - काफी दिन हो गए मिले।
जितेश - 7 साल 3 महीने और 2 दिन।
सूर्य देव - क्या बात है फौजी ? तुम्हें तो सब बहुत अच्छे से याद है।
जितेश - जख्म की तारीखे कौन भूलता है भला |
सूर्य देव ने एक गन्दी सी मुस्कराहट देने का प्रयास किया - तो काम की बात करें।
सूर्यदेव ने टीवी ऑन किया। उस टीवी पर एक फोटो थी ।
सूर्यदेव जितेश से - यह फोटो देख रहे हो। ( जितेश टीवी देख कर समझ गया। यह रीमा की फोटो थी) इस औरत का नाम रीना या रीमा कुछ है | ये यहाँ की नहीं है, ये विलास जी के शहर की रहने वाली है | विलास जी का नाम तो सुना ही होगा |
जितेश - हूँ सुना है |
सूर्यदेव - एक बहुत ही प्रतिष्ठित बिजनेसमैन विलास जी के लड़के का खून करके भागी है क्योंकि हमारे और विराज जी के संबंध अच्छे नहीं हैं। इसलिए विराज जी को लगता है कि उनके एक मात्र लड़के को मरवाने के पीछे मेरा हाथ है। मेरे पास खुद को निर्दोष साबित करने का जरिया सिर्फ यह औरत है। अदर वाइज विराज जी मुझे अपने बेटे का इकलौते बेटे का असल में मृत्यु का दोषी मानता। मेरी हत्या भी करवा सकते हैं। पता नहीं क्या-क्या करवा सकते हैं। तुम लोगों को तो पता होगा की वो उनका नुकसान करने वाले का क्या हाल करते है |
हितेश मुस्कुराकर रह गया | विनोद गंभीरता से - इसका मतलब तुम्हारी बहुत अच्छे से फटी पड़ी है। मेरी उम्मीद से कहीं ज्यादा।
इस समय सूर्य देव के लिए बेशर्म बनने से अलावा कोई चारा नहीं था। वह पूरी तरह से जीते सी बात को इग्नोर कर गया क्योंकि इस समय जितेश और विनोद से तू तू मै मै करके अपना ही नुकसान नहीं करना चाहता था । एक बार ये बला टले फिर इन सडकछाप गुंडों से भी निपट लेगा |
सूर्यदेव बेशर्मी से मुस्कुराता हुआ - जो भी कहो जी सच में मेरी फटी पड़ी। वक्त वक्त की बात है। . . . . . . . . (एक गहरी चुप्पी के बाद ) तो भाई लोगों यह औरत विलास जी के शहर से यहाँ कैसे आई । अभी कहाँ छुपी हुई है अब मैं उन गंदी गलियों और बस्तियों में तो जाता नहीं हूं। और मेरे आदमी इस औरत को ढूंढ पाने में नाकाम नहीं है। सिक्युरिटी भी किसी काम की नहीं है। इसीलिए तुमको याद! जो भी मैंने तुम्हारे साथ किया उसके लिए तुम मुझे जो सजा दोगे, मुझे मंजूर होगी लेकिन मुझे यह औरत लाकर दे दो। तुम जितना पैसा चाहते हो, मैं तुम्हें पैसा दूंगा।
जितेश - वह सब तो ठीक है। लेकिन क्या सच में उस औरत ने उस लड़के का खून किया है?
सूर्य देव जी के के प्रश्न पर चौक गया - मै कुछ समझा नहीं |
मतलब? मैं ऐसे पूछ रहा हूं। मतलब तुम्हें कैसे पता कि इसी औरत ने ही विराज के लड़के का खून किया है?
सूर्यदेव - यह औरत मौके वारदात पर थी जहां पर विलास जी के लड़के का खून हुआ है। मेरे आदमी इस औरत को वहीं से उठाकर लाए। उस वक्त जब इस औरत को आदमी मेरे वहां से उठाकर लाए हैं तब यह औरत सिर्फ एक झीनी सी साड़ी में थी। इसकी चूंची और चूत दोनों पर एक कपड़ा नहीं था जो थी बस साड़ी ही थी |
मुझे शंका है इस औरत का विलास जी के लड़के के साथ कोई न कोई सम्बन्ध था |, क्योंकि यह बड़ी खूबसूरत है, या यू कहे की बहुत ही बहुत ही खूबसूरत है जिस्म की मालकिन है | कसम से इतनी हसीन औरत मैंने भी पहले नहीं देखि | यकीं मानो जब मैंने पहली बार उसे देखा था, ऊपर से नीचे तक गुलाबी संगमरमर के ढांचे में ढला जिस्म | क्या ओंठ क्या छाती और उफ्फ्फ्फ़ वो गुलाबी चूत | साला मेरा तो मन उसी समय किया था एक बार जमकर चोद लू पहले फिर जो होगा देखा जायेगा | लेकिन जान के लाले पड़े थे इसलिए सोचा था सब निपटने के बाद इस बारे में सोचूंगा | साला उसका ख्याल आते ही लंड सीधा होने लगता है और किस्मत की बात देखो उसी साली ने मेरी किस्मत के लौड़े लगा दिए है | माफ़ करना दिमाग कही और ही पंहुच गया था |
अपनी भटकन से वापस आते हुए - तो मुझे लगता है इसने विलास जी के लड़के पर डोरे डाले होंगे | इतनी हसीन गदराई औरत पर एक सुकुमार जवानी के दरवाजे पर खड़ा लड़का फिसल ही सकता है | मुझे शक है दोनों के शारीरिक संबंध भी हो सकते हैं। हो सकता है मौका ए वारदात पर दोनों शारीरिक संबंध भी बना रहे। अब काम के सिलसिले में मेरे आदमी वहां जंगल में जाते रहते है | जब वो वहां पंहुचे तो विलास जी के लड़के की मौत हो चुकी थी और लाश नंगी जमीन पर पड़ी थी | कुछ ही दूरी [पर भागते हुए मेरे आदमियों ने इसे दबोच लिया था लेकिन अपने रूप जाल का फायदा उठाकर यहाँ से भाग निकली |
कमरे में ख़ामोशी छा गयी |
सूर्यदेव - अगर ये औरत गलत नहीं है तो आप बताओ कोई औरत ऐसे घनघोर जंगल में सिर्फ एक पारदर्शी लाल साड़ी लपेट के क्या करने जाएगी वो भी बिना ब्रा पैंटी पहने | साड़ी के ऊपर से ही उसके दूध साफ-साफ झलक रहे हैं। यहाँ तो जब आई थी तो साड़ी भी नहीं थी जिस्म पर लेकिन क्या मजाल तो १ टके की शर्म हो आँखों में | मै उससे पूछताछ करके विलास जी को जानकारी देने ही वाला था कि यह ससुरी यहां से भी भाग निकली।
बहुत बड़ी रंडी है कि जैसे विलास जी लड़के के साथ अनैतिक संबंध बना रही थी, उसी तरह से यहां पर उसने अपने हुस्न की नुमाइश कर मेरे गार्ड को फंसा लिया और गार्ड ने तुरंत अपनी पेंट खोल दी और उसे भागने में मदद कर दी। इतनी गिरी हुई औरतें भी होती हैं समाज में मुझे तो इसका यकीन ही नहीं हो रहा।
विनोद और जितेश दोनों मुस्कुराया न जाने कितनी लड़कियों को चोद चुका है। आज भी साला कुंवारी लड़की पा जाए तो कोई मौका नहीं छोड़ता है।
जितेश - ठीक है। लेकिन जब इतने लोगो के खोजने से नहीं मिल रही तो हम कैसे ढूढ़ पायेगे, फिर भी मै लगाता हूँ अपने आदमी इस काम पर | अगर कस्बे में कही भी मिलती है तो हम तुम्हें जानकारी देंगे।
सूर्यदेव - हां, वह तो ठीक है लेकिन। तुम लोग इसका कितना लोगे कुछ अंदाजा अगर बता दो . |
जितेश - यह किसी एक आदमी के बस का तो बात ही नहीं और सब को लगना पड़ेगा तो सब कुछ न कुछ चाहिए। मैंने अपने पांच आदमी से बात करी है और वह मान तो गए हैं, लेकिन जब कुछ मिलेगा तभी कुछ करेगे।
सूर्यदेव - फिर भी मोटा मोटा अंदाजा |
जितेश - अब १० लोग है और कोई भी १० लाख से नीचे तो नहीं लेगा |
सूर्यदेव - अरे ये तो बहुत ज्यादा है | अगर किसी और टाइम पर तुम दो करोड़ भी मांगते तो दे देता लेकिन अभी इस वक्त मेरा समय अच्छा नहीं चल रहा है। मैं ऑलरेडी इस साल तो करोड़ो रुपए के घाटे नहीं हूं |
जितेश - वो तुम्हारी मर्जी है उसको ढूंढने में और कहां तक लाने में कुछ हमारा भी तो टाइम खर्च होगा, हो सकता है कुछ खतरे भी है। क्योंकि अगर इसका टीवी पर गुमशुदा होने का प्रचार आ रहा है तो मतलब है कि इसके पीछे कोई बहुत ही शक्तिशाली परिवार है।
सूर्यदेव - फिर भी कुछ कम कर लो | विनोद और जितेश ने एक दुसरे की तरफ देखा |
जितेश - ठीक है 50 लाख आखिरी |
सूर्यदेव - अरे 20 में हो जाता तो ?
जितेश -अगर तुम राजी हो तो 50 लाख. . . हम भी अपना काम शुरू करें वर्ना टाइम क्यों वेस्ट?
दोनों खड़े हो गए | हम चलते है बता देना फ़ोन करके |
सूर्यदेव ने कुछ सोचा - ठीक है ठीक है हम 50 लाख दे देंगे। लेकिन तुम उसे कैसे ढूढ़ोगे इसका कुछ आईडिया तो दो |
विनोद और जितेश दोनों को पता था की ये एक नंबर का हरामी आदमी है और जैसे ही वो उसे कुछ आईडिया देगा, वह अपने आदमी उधर लगा देगा और बाद में से फूटी कौड़ी नहीं मिलेगी |
जितेश - मुझ पर भरोसा नहीं है क्या ? नहीं है तो ठीक है। किसी और से करवा लो ।
सूर्यदेव समझ गया ये कुछ नहीं बतायेगे - कोई बात नहीं भाई। नाराज मत हो, हमारे आदमी तो ढूंढ ढूंढ कर थक चुके हैं ना इसीलिए तो तुम्हें बुलाया है। फिर भी कुछ तो सोचा होगा, कहां से शुरू करोगे?
जितेश - सच बताऊ सॉरी अभी तक मैंने कुछ नहीं सोचा है लेकिन मुझे कुछ और जानकारी दोगे। इस औरत के बारे में कहां से आई है, क्या करती है वगैरह वगैरह . . |
सूर्यदेव - वैसे तो मुझे भी ज्यादा कुछ नहीं पता। बस यही पता है कि जिस्म कमाल का है। पति मर चुका है इसलिए चुदास कस के भरी दिखती है जिस्म में और बहुत चालू चीज है। चेहरा जितना खूबसूरत और भोला है उतनी ही अन्दर से जालिम है | एक सलाह है बच कर रहना।
जितेश मन ही मन किसको सलाह दे रहा है मै तो उसके दिल के हर कोने का सफर कर चुका हूं।
विनोद- तो ठीक है सौदा मंजूर है। अगर हम 3 दिन के अंदर तुम्हें ढूंढने में नाकाम रहे तो हम तुमसे एक पैसा नहीं लेगे |
सूर्यदेव - बहुत अच्छी बात है कि तुम अभी भी उन्हें उसूलों पर टिके हुए हो। आजकल के दौर में कौन इतने वसूलो काम करता है। मुझे बड़ी खुशी हुई कि तुम बिल्कुल नहीं बदले।
विनोद - तुम बिल्कुल नहीं बदले वही कमीना सूर्यदेव
सूर्यदेव - देखो! सफलता के बाद थोडा तो चमक दमक रखनी पड़ती है | मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे तुम लोगो की जरूरत पड़ेगी। लेकिन ठीक है। पुराने दोस्त! हो पुरानी यारी का रंग ही कुछ और होता है।
विनोद - हां सही कह रहे हो, हम पुराने दोस्त हैं और ऐसी दोस्ती जो हम जिंदगी भर मरते दम तक मैं नहीं भूलूंगा । तो अब हम चलें।
सूर्यदेव - हां हां बिल्कुल तुम अपने काम पर लग जाओ।
जिदेश और विनोद वहां से निकल लिए। जाहिर सी बात है। जितेश यह तो जान गया था कि अभी सूर्यदेव उसको हाथ नहीं लगाएगा।
इधर जैसे ही जितेश कमरे से बाहर गया,सूर्यदेव ने फोन लगाया - इस आदमी के ऊपर भूत की तरह मंडराते रहो | यह कहां जाता है, क्या करता है, कहां खाता है, कहां बैठता है इसको कुछ ना कुछ तो आईडिया है। उस औरत का वरना यह इतने कॉन्फिडेंस से मेरे पास नहीं आता बात करने को | इस हरामजादे को एक नया पैसा नहीं दूंगा। पर तुम लोग कोई गलती मत करना। कान खोल कर सुन लो। इसकी जासूसी करते रहो जैसे ही वह औरत इसके आसपास नजर जाएगी। हम उसे दबोच लेंगे और इन सालो को वही गोली मारकर लटका भी देंगे।
गंदी नाली के सूअर साले गंदी नाली का कीड़े मैं यहां का बादशाह हूं। मैं इस कस्बे का डॉन हूं। इस फौजी भोसड़ी वाले उसी गटर में दफन करूंगा, जहां यह मादरचोद रहता होगा |
जितेश और विनोद चुपचाप बाइक लेकर वहां से निकल लिए | रात के आठ बज चुके थे | गेट से बाहर आते ही सभी का ढाबे पर मिलने का प्लान था लेकिन कुछ दूर चलते ही जितेश को आभास हो गया की उनका पीछा किया जा रहा है |
जितेश ने विनोद से कहा - ये साला हरामजादा नहीं सुधरेगा, हमारे पीछे आदमी लगा दिए है |
विनोद - हूँ, ये तो होना ही था | साला अपनी फितरत से मजबूर है वो | ढाबे पर जाना सही नहीं रहेगा |
जितेश - फिर क्या करे |
विनोद - जहाँ भी उस औरत को रखा है वहां जाना भी ठीक नहीं रहेगा | जितेश ने बाइक धीमी कर दी |
जितेश - क्या करे फिर ?
विनोद - जो भी करना है बहुत सावधानी से करना होगा ? एक काम करो उस औरत की कुछ फोटो छपवा लो | हम उसे बिलकुल वैसे ही ढूढेगे जैसे सामान्यतः होता है | फोटो चिपकायेगे , लोगो से पूछेगे | जिससे सूर्यदेव के जासूस हमारी खबर उस तक पंहुचा दे, इससे उसे शक नहीं होगा |
जितेश - समझ गया, हमें इनके जासूसों को बेवखूफ़ बनाना है ताकि उन्हें ये अहसास न हो की हमारे पास रीमा की जानकारी है |
विनोद - सही समझे |
जितेश - ठीक है मै ऑटो से निकल जाऊंगा, कुछ देर बाद आप बाइक लेकर घर चले जाना | कल ढाबे की जगह नदी के दक्षिण किनारे जंगल में मशरूम वाले इलाके में मिलेगे | आप लोग नदी के उत्तर वाली बस्ती में पूछ ताछ करना फिर मौका देकर नदी पार कर दूसरी तरफ आ जाना मै वही मिल्लूँगा | कब मिलना है ये फ़ोन पर बताऊंगा | कोड रहेगा | मशरूम पानी में भिगोना है | सकी और रहीम को आप खबर कर देना | गुड्डू को अभी इससे बाहर रखो |
जितेश कुछ देर बाद बाइक रोककर उतर गया | विनोद बाइक लेकर चला गया | जितेश ने पलक झपकते एक टेम्पो में बैठ गया और अपने गंतव्य की तरफ चलने लगा | टेम्पो में बैठते ही उसने आखिरी बार फिर से एक बार गिरधारी को फोन लगाया। गिरधारी ने फोन नहीं उठाया। अब जितेश को कुछ गड़बड़ होने की शंका होने लगी।
उसने रास्ते में ही टेम्पो से उतर लिया और एक ऑटो में बैठ गया | उसे बस्ती में नहीं जाना था | उसने जंगल में एक गड्ढा बनाकर रखा हुआ था जहाँ वो रात गुजार सकता था लेकिन गिरधारी का पता लगाना जरुरी था | उसने अच्छे से अपने मुंह को बांधा, ऑटो से उतर कर अंधेरे में सड़क किनारे लगे कंटीले तारो को पार कर अँधेरे में गुम हो गया | कुछ देर बाद एक रिक्शे पर बैठकर कुछ देर चलने के बाद में उसने फिर से एक और ऑटो पकड़ा और अपनी बस्ती की तरफ चल दिया।
छुपते छुपाते जितेश को बस्ती में तक पहुंचने में 10:00 बज गए थे। उसकी बस्ती की गली में सिर्फ एक बल्ब टिमटिमाता था वहां आज जरुरत से ज्यादा रोशनी थी | जितेश सधे कदमो से आगे की तरफ बढ़ा | उसका मन किसी अनहोनी आंशका से घिर गया |
दूर से ही उसे सिक्युरिटी की जीप नजर आई | उसकी बस्ती में सिक्युरिटी उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था और सबसे हैरान करने वाली बात थी कि उसकी झुग्गी के सामने भीड़ का मेला लगा था वहां अच्छी खासी भीड़ लगी हुई थी। लोगों को हटा रही थी। जितेश छुपते छुपाते किसी तरह से उसी भीड़ का हिस्सा बनकर के पास में गया तो देखा। वहां पर एक कपड़ों से ढकी हुई जमीन पर एक आदमी लेटा हुआ है।
जितेश का मुहँ ढका हुआ था | उसने दबी आवाज में पुछा - चाची क्या हुआ है यहां |
औरत - कुछ नहीं भैया एक आदमी की लाश मिली है इसके झोपड़ी के अंदर से और बाकी सिक्युरिटी जांच रही है। दूसरा बोला - बड़ा ही खुफिया अड्डा था किसी का, साला पीछे से आने जाने के लिए सुरंग बना रखी थी। इस बस्ती में कैसे-कैसे लोग रहते हैं। भगवान जाने | जितेश जो कुछ देख रहा था उससे उसका दिमाग सुन्न हो गया था | वो गहरे शाक में था लेकिन खुद को बाहर से संभाले था |
जितेश - हाँ चाची पता नहीं कैसे कैसे लोग रहते है |
चाची - हां भैया . . सीधे दरवाजे से तो कभी ताला खुलते हमने देखा नहीं | हमें तो लगता था यहाँ कोई रहता ही नहीं है | हमेशा बंद ही देखा है इस झोपड़ी को |
जितेश - इ कौन है चाची, आदमी है या औरत . . जिंदा है या मर गया?
चाची - है तो कोई आदमी है, नंगी लाश मिली है अंदर से | सिक्युरिटी तो कह रही है कि मर गया है अब पता नहीं अब ज्यादा हम पूछे नहीं।
अब जितेश वहां ज्यादा देर तक खड़ा नहीं रह सकता था | उसके पाँव कांपने लगे थे | जितेश चुपचाप वहां से निकल लिया। उसे पता था,यहां रहेगा तो खतरा है लेकिन जाते-जाते उसे एक और आदमी मिला।
जितेश - इहाँ का हुआ है भिया |
आदमी - अरे हुआ का है आदमी की लाश मिली है बिना कपड़ो की | खोपडिया पर जोरदार किसी चीज से मारा गया है और चाकू जांघ में खोपा मिला था | खोपड़ी फटने से खून निकल गया है तभी मरा है शायद | अब पता नहीं असल में एक हुआ होगा। भगवान जाने इस बस्ती में का का होता रहता है। कुछ पता थोड़ी चलता है।
जितेश - हां हां बात तो तुम ठीक है, कह रहे हो?
जितेश ने जो कुछ भी सोच रखा था। वह सब खत्म हो चुका था। यहां सिक्युरिटी है यह लाश पड़ी है आदमी की लाश है तो रीमा कहां गई थी। ये गिरधारी है या और कोई | रीमा को ले करके करके उसने सपने पाल रखे थे। जिस रीमा के ऊपर उस नेता बड़ा दांव लगा रखा था। वह सब खत्म होता दिख रहा था। अब वह क्या करें, वहां रुकने में खतरा था। सिक्युरिटी पहचान लेती तो उसको भी लपेट ले जाती हो। चुपचाप वहां से दबे पांव चला गया। उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा रहा था। वह करे तो क्या करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था तो चुपचाप जाकर के जंगल की तरफ चला गया और रातभर वही बैठा रहा। सुबह लगभग 3:00 बजे उठकर से जंगल से वापस बस्ती की तरफ आया। अब वहां ना सिक्युरिटी थी ना कोई और था उसकी झोपड़ी पूरी तरह से खाली पड़ी।
उसे चारों तरफ से अपनी पैनी निगाह से देखा भीड़ यहां से जा चुकी थी। पड़ोसी का भी अब कोई मजमा नहीं था। वहां से वह चुपचाप अंदर घुस गया और अंदर क्या हुआ होगा। इसका अंदाजा लगाने लगा। उसने देखा पैसो वाला बैग गायब है और असलहा भी नहीं है उसकी झोपड़ी पर सिक्युरिटी का लंबा सा ताला लटका हुआ था। अब सुबह वो विनोद साकी को क्या बताएगा . . उसे कुछ समझ में नहीं आता। सुरंग से निकल कर तेजी से वापस जंगल की तरफ चला गया और सुबह की पहली पौ फटते ही , उसके दिन का अँधेरा शुरू हो चूका था ।
रीमा उसी ऑटो के साथ तेजी से कस्बे के एक छोटे से सरकारी अस्पताल में पहुंची। वहाँ पर विनीत माथुर नाम का एक मल्टीपर्पज डॉक्टर काम करता था।
असल में तो वह ऑर्थो सर्जन था लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण उसे जनरल फिजिशियन और बाकी मरीजों का ईलाज भी करने पड़ते थे। उसने अपना प्राइवेट क्लीनिक भी चला रखा था। लेकिन वह अपनी ड्यूटी को लेकर काफी पाबंद था, इसलिए सरकारी काम खत्म करने के बाद ही वह जाकर के अपने प्राइवेट क्लीनिक में प्रैक्टिस करता था। वह कस्बे के सबसे अच्छा डॉक्टर था इसलिए उसके प्राइवेट क्लिनिक पर भी बहुत भीड़ रहती थी । क्लीनिक पर सारा काम उसकी सबसे भरोसेमंद नर्स प्रिया और कंपाउडर मोहन संभालते थे ।
मोहन शादी शुदा था, जबकि प्रिया और विनीत दोनों अविवाहित थे । असल मे विनीत के 45 साल का होने के बाद भी उसके शादी न करने के पीछे एक कारण था । वो मेडिकल की हायर स्टडी के लिए रूस गया था वहाँ वह एक यूक्रेनी लड़की के प्यार में फंस गया । वो उससे शादी तक करने को राजी था लेकिन लड़की असल मे ऑनलाइन न्यूड मॉडल थी और ऑनलाइन कैमरे के सामने अपने जिस्म की नंगी नुमाइश करके पैसे कमाती थी । जब विनीत को ये पता चला तो वो गहरे सदमे में चला गया । उसे यकीन ही नही हुआ जिस गुलाबी चूत को वो सिर्फ अपना समझ के चोदता है असल मे उसने उसे आधी दुनिया को दिखाया हुआ है । उसी दिन से उसने कसम खायी थी आज के बाद वो सिर्फ औरत का इस्तेमाल करेगा लेकिन भरोसा रत्ती भर नही करेगा । लेकिन वही उसे पढ़ाई के दौरान लिजेल मिली जो वहाँ नर्सिंग की पढ़ाई कर रही थी । जल्द ही दोनों अच्छे दोस्त भी हो गए और दोनों के बीच चुदाई चुसाई भी शुरू हो गयी । विनीत तो अतीत के धोखे से सबक लेकर सावधान था और बस अपने गम को कम करने को लिजले को चोदता था लेकिन लिजले इसके मोहपाश में बंध गयी । जब विनीत वापस लौटा तो वो भी घूमने के बहाने यही आ गयी । उसके बाद फिर वापस ही नही गयी । यहाँ अवैध रूप से रुकने का मतलब था खतरा, इसलिए उसने विनीत से उसको नई पहचान दिलाने को कहा । पहले तो विनीत ने छुटकारा पाना चाहा लेकिन सेक्सुअल तौर पर वो हर तरह से विनीत को खुश रखती थी इसलिए उसका नाम बदल कर प्रिया कर दिया । लिजेल अब प्रिया थी और उसका क्लिनिक संभालती थी । कुछ समय बाद विनीत बहुत बिजी रहने लगा इसलिए पिछले 9 सालों से सब कुछ प्रिया के भरोसे ही था । इसी बीच कई सारे स्टाफ आये गए लेकिन प्रिया वही की वही रही । समय के साथ प्रिया और विनीत की भी आपस मे दिलचस्पी कम हो गयी, विनीत का भी काम बढ़ गया । आखिर कब तक एक लंड एक चूत एक दूसरे को चोदते रहेंगे ।
जैसा हर मर्द और औरत के साथ होता है । दोनों की एक दूसरे के जिस्म भोगने की इक्षा मंद पड़ गयी । हालांकि अभी भी महीने में एक आध बार राउंड राउंड दोनो खेल ही लेते । शादी की न तो विनीत की कभी इक्षा हुई न लिजेल उर्फ प्रिया ने उसे कभी फोर्स किया ।
हालांकि इसी बीच दो साल पहले मोहन की एंट्री हुई । जो नाबालिग उम्र में ही बाप बन गया था, लेकिन उसे अपनी मोटी बीबी से चिढ़ थी । जैसे ही उसे लिजले जैसी बॉस मिली, वो साष्टांग दंडवत करके उसको चटाने लगा । उसी चाटने की आदत लिजले को भा गयी और ये नजदीकियां बढ़ते बढ़ते एक साल के अंदर दोनों को एक बिस्तर पर ले आयी । लिजले को भी चुदाई में कुछ नयापन चाहिए था । मोहन तो लिजले की गुलाबी गोरे उरोजों, सफेद गुलाबी चूत, गोरी चिकनी जांघे और मांसल गद्देदार चुताड़ो पर भूखे भेड़िये की तरह टूट पड़ा । जो जो लिजेल के अरमान थे सब उसने मोहन से पूरे करवाये । चाहे वो छत पर सेक्स हो या पूल में और उसकी चूत तो वो ऐसे चूसता था जैसे कोई बच्चा लॉलीपॉप चूसता हो । मोहन के मोटे मूसल को घोटने में लिजले की भी हालत पतली हो जाती थी ।
उसके जरूरत से ज्यादा मोटे हथियार के कारण ही उसकी बीबी उसे कुछ करने नही देती । उसका दर्द से बुरा हाल हो जाता था । लिजले को भी उसका लंड घोटने में कलेजा मुहँ को आ जाता लेकिन उसे विनीत की रोमांटिक चुदाई से हटकर कुछ तीखा कुछ जंगली कुछ किंकी टाइप का चाहिए था । दोनों की जरूरतें एक दूसरे से पूरी होने लगी । लेकिन छुपा छिपी ज्यादा दिन चलती कहाँ है, एक दिन क्लिनिक से एक मरीज का कुछ सामान चोरी हो गया था और जब उसने सीसीटीवी देखने शुरू किए तो एक साल के उसके चुदाई सफर की सारी परते खुलकर बाहर आ गयी । विनीत मोहन को निकाल देना चाहता था लेकिन लिजले ने सारी जिमेदारी अपने ऊपर ले ली । उसके बाद उसने विनीत को थ्रीसम का आफर भी दिया । शुरुआती ना नुकर के बाद विनीत मान गया । उसके बाद विनीत और मोहन ने मिलकर लिजले को खूब चोदा । जब मोहन का मोटा लंड उसकी संकरी गुलाबी चूत को चीरता तो दहशत में उसका मुहँ अपने आप खुलकर चौड़ा हो जाता और वो एक झटके में विनीत को निगल जाती । उसको तो सांसों के लाले पड़ गए थे उस रात ।
विनीत के पास समय नही होता था लेकिन मोहन और प्रिया की हवस गाथा बदस्तूर चलती रही । विनीत को भी कोई समस्या नही थी दोनों मिलकर आखिरकार उसका क्लिनिक जो इतने अच्छे से चला रहे थे । ऊपर से विनीत के घरवाले ने उसकी न सुनते हुए भी उसकी शादी तय कर दी थी | लड़की भी डाक्टर थी | शुरूआती न नुकुर के बाद विनीत मान गया था | अपने और लिजेल के रिश्ते को उसने भी आखिरी विदाई देने की ठान ली थी | वैसे भी शादी के बाद अगर वो लिजेल के साथ चुदाई का रिश्ता जारी रखेगा तो उसकी शादी शुदा जिंदगी में समस्या आएगी | लिजेल के साथ उसने अपनी आखिरी रात को यादगार बनाने के लिए आज का ही दिन चुना था | सारी तैयारिया हो गयी थी वो बस अपना काम निपटाकर अस्पताल से जाने वाला ही था की ऑटोवाले का केस आ गया |
घायल ऑटो वाले तेजी से उतार कर के किसी तरह से इमरजेंसी रूम में ले गए थे। वहां पर उसका इलाज शुरू हो गया था। विनीत ने तेजी से कम्पाउण्डर और नर्स को उसका खून रोकने को कहा और दो इंजेक्शन लगाये | फिर कई सारी बाते बताकर वहां से निकल गया | रीमा ने अभी भी तौलिये से थोड़ा सा मुहँ ढका था | वह बाहर ही बैठी रही | विनीत ने बाहर आकर रीमा के पास आकर बोला - उसकी हालत जल्दी ही ठीक हो जाएगी आप ये दवाइयां ले आइए।
रीमा - थैंक्यू डॉक्टर |
विनीत कुछ चौका - योर वेलकम | न यहाँ की भाषा न वेश भूषा, उपर से उसकी एक्सेंट से वो ऑटोवाले की स्टैण्डर्ड की तो बिलकुल नहीं लगी |
विनीत - हाय माय नेम इज विनीत माथुर। मैं एक फिजिशियन ऑर्थो सर्जन हूं।
रीमा - जी मेरा नाम रीमा है।
चूँकि रीमा मुहँ ढके हुए थी विनीत अंदाजा लगाने लगा - मैंने आपको पहले कभी इस कस्बे में नहीं देखा |
उसने बस तुक्इका मारा था - बिकाज मै इस कस्बे से नहीं हूं। मैं यहाँ कुछ सोशल वर्क से आई हूं |
विनीत - आई सी । सो नाइस टू मीट यू मिस रीमा।
रीमा ने जवाब देते हुए - nice to meet you मिस्टर विनीत, मिसेस रीमा वुड बे बेटर |
विनीत - आई ऍम सो सॉरी ! मुझे नहीं पता था आपकी शादी हो गई है।
विनीत - आप यहाँ कैसे |
रीमा - सोशल वर्क करती हूं और मैं एक एनजीओ के साथ काम करती हूं फैमिली प्लानिंग पर | रूरल एरिया में औरतो को प्रेगनेंसी और हाय्जीन के बारे में अवेयर करती हूँ |
विनीत - thats ग्रेट | इससे पहले वो आगे कुछ कह पाता उसका फ़ोन घनघनाने लगा |
फ़ोन पर कोई महिला थी - बेबी वेयर आर यू, हनी आई ऍम वेटिंग |
विनीत - आई जस्ट कमिंग हनी, जस्ट कमिंग, लव यू हनी |
विनीत ने फ़ोन काट दिया - मुझे जाना होगा इट्स अर्जेंट, आपसे बात करके बहुत अच्छा लगा | कोई सीरियस बात नहीं है, आप ये मेडिसिन सामने के मेडिकल स्टोर से ले आइये | कोई इशू होगा तो आप कम्पाउंडर को बता देना वो मैनेज कर देगा |
विनीत तेजी से निकल गया | रीमा मुहँ ढके ढके ही मेडिकल स्टोर की तरफ चली गयी | मेडिकल स्टोर वाले ने एक बारगी रीमा का हुलिया देखा और फिर दवाये निकालने लगा |
इधर विनीत तेजी से अपने क्लिनिक आया जो आलरेडी बंद हो चूका था | ऊपर लिफ्ट से तीसरी मंजिल पर गया | जहाँ परियों की तरह तैयार होकर प्रिया उसका इन्तजार कर रही थी | उसको देखते ही एक बार को वो चौक गया | इतनी खूबसूरत |
विनीत - wow so much beautiful,you are looking gorgeous Honey .
लिजेल - थैंक्यू |
विनीत - ओह माय गॉड, यू लूकिंग टू टू टू मच ब्यूटीफुल why ??
लिजेल - थिस इस आवर लास्ट नाईट before योर शादी |
विनीत - ओह माय डार्लिंग, यू आर सो nice, आई ऍम सो सॉरी आई मै तुमसे शादी कर सकता |
लिजेल - आई डोंट वांट हसबैंड, I want friend with benefits |
विनीत लिजेल के चुताड़ो में हाथ फंसा कर कमर सहित ऊपर उठाता हुआ, एक लम्बा किस करने के बाद - व्हाट काइंड ऑफ़ बेनेफिट्स you want |
लिजेल - ओह्ह हनी, यू आर सो नाटी . . . . |
विनीत - tell me |
लिजेल - आई वांट योर डिक इन माय पुसी एंड फ़क me टिल मोर्निंग |
विनीत - oh my god honey you are expecting too much, I can't erected all night |
लिजेल - I want multiple round whole night fuck, slow and deep fuck fill my pussy with your hard cock , fuck me whole night, screw me till my body collapsed completely, tired wholely |
विनीत फिर से किस करता हुआ - ओह हनी यू आर सो होर्नी सो होर्नी |
असल में लिजेल को भी पता था ये आखिरी रात है जब विनीत उसको चोदेगा इसके बाद उसकी जिंदगी बदल जाएगी | इसलिए उसने भी खास तैआरी की थी | उसने पुरे शरीर की वैक्सिंग की थी और चूत पर तो दो बार रेजर चलाया था इसलिए वो किसी गुलाबी संगमरमर की तरह दमक रही थी | उसने विनीत की उम्मीदों से ज्यादा प्लान कर रखा था | वो चाहती थी विनीत की ये रात हमेशा के लिए यादगार हो जाये | कई सरप्राइज विनीत के उसने प्लान कर रखे थे | दोनों ही मन से इस रात को ऐसे जीना चाहते थे जैसे ये उनकी जिंदगी की साथ साथ आखिरी रात हो | विनीत लिजेल को गोदी में लेकर बेतहाशा चूमने लगा | लिजेल ने भी उसकी कमर पर अपने पांव चिपका दिए | चूमा चाटी करते करते दोनों बेड पर आ गए | लिजेल बेड पर पीठ के बल लेट गयी और विनीत की शर्ट खोलने लगी | विनीत ऊपर से लिजेल के दोनों गुलाबी उरोजों को मसलने लगा | विनीत ने अपने पैरो से दोनों जूते उतार दिए | लिजेल पलटकर विनीत के ऊपर आ गयी | विनीत बेड पर पीठ के बल लेट गया | लिजेल ने उसकी शर्ट निकाल दी और पेंट की बेल्ट खोलकर उसकी जिप खोलकर चड्डी से उसका आधा तना लंड बाहर निकाल लिया और हाथ से सहलाने लगी | विनीत उसकी झीने सफ़ेद गाउन उसकी जांघो पर से खिसकाते हुए ऊपर तक ले आया | लिजेल थोड़ा सा आगे को झुकी और सफ़ेद लम्बा गाउन उसके जिस्म से जुदा हो गया | वो सिर्फ पैंटी ब्रा में रह गयी | उसने तेजी से विनीत के लंड को अपने चुताड़ो और जांघो के संधि क्षेत्र में लेकर तेजी से गोल गोल कमर घुमाने लगी | उसने भी ब्रा के ऊपर से उसके उरोजो को मसलना जारी रखा | कुछ देर बाद लिजेल ने विनीत की पैंट और चड्डी दोनों खिसकाकर उसके जिस्म से अलग कर दी | विनीत छरहरे बदन का मालिक था जिसका लंड औसत दर्जे का था इसलिए रोमांस वाले सेक्स में उसकी कोई सानी नहीं थी | औरते उसकी चुदाई की दीवानी हो जाती थी | बिना किसी जोर अजमाइश के बिना किसी दर्द तकलीफ के उसका लंड आराम से औरतो की गहराई में समाकर उसकी चूत की दीवारों की आचे से मालिश करता था | डॉक्टर होने के नाते उसे औरते की जिस्म उसकी ख्वाइशो सबके बारे में पता था | तभी तो एक चेक मूल की रसियन 9 सालो से उसकी दीवानी बनी हुई थी | सच तो यही था विनीत को पता था कब किस औरत को कितना चोदना है कैसे चोदना है | यही बात थी जो उसे बाकि मर्दाना ताकत वाले मर्दों से अलग करती थी | औरत उससे चुदकर प्यास ही नहीं बुझाती थी बल्कि पूरा एन्जॉय भी करती थी वो भी बिना किसी एक्स्ट्रा तकलीफ के |
विनीत पूरी तरह नंगा हो चूका था | उसका स्लिम चिकना जिस्म अब लिजेल के हवाले था | लिजेल ने भी बिना देर किये अपने ब्रा पैंटी उतार फेंके |
विनीत - बेबी you seem in too much hurry |
लिजेल - don't waste time baby, let fuck baby, hard fuck deep fuck . . . We enjoy fuck later. Now just fuck me with full speed .
इतना कहकर उसने विनीत का सुखा लंड हाथ में थामा और उस पर दो चार स्ट्रोक लगाये और उसके सुपाडे का निशाना सीधे अपनी चूत के छेद पर और उसी पर बैठती चली गयी | हल्की सी शिकन के साथ लिजेल ने 7 इंच का पूरा लंड घोट लिया - let's fuck me baby |
इतना कहकर उसकी कमर उछालने लगी | विनीत का सुखा लंड लिजेल की चूत की तरावट से गीला होने लगा और सटासट लिजेल के झटको से अन्दर बाहर होने लगा |
विनीत - आह बेबी यू आर सो टाइट, आह इट फील सो गुड | बेबी हमने कंडोम नहीं लगाया |
लिजेल - ओह्ह कॉमन फ़क इट बेबी, इ वांट तो फ़क यू विथोउट | स्किन तो स्किन फ़क , नो वाल नो लेयर्स | आई कैन फील योर cock बेबी |