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हाथों से शॉपिंग ट्रॉली को धकेलते हुए कर्नल दीनानाथ कब लेडीज अंडरगारमेंट के सेक्शन में पहुँच गए, उन्हें पता ही नहीं चला।

सामने की रैक में ब्रा के डिब्बे पर छपी सेक्सी टीन गर्ल के उठे हुए चूचों पर उनकी नज़र जैसे चिपक सी गयी।

उन्होंने हाथ बढ़ा कर 2 डिब्बे उठा लिए और आंखों से मॉडल की खूबसूरती का शर्बत पीने लगे।

डिब्बे पर छपी मॉडल का फिगर लगभग दीनानाथ की बेटी शालिनी जैसा था।

लाल जालीदार ब्रा में सफेद खूबसूरत चूचे तो मॉडल के थे लेकिन दीनानाथ को वहाँ चेहरा शालिनी का दिख रहा था।

पैंट में कड़कपन का अहसास होते ही दीनानाथ ने एक हाथ से लौड़ा एडजस्ट किया और दूसरे हाथ से डिब्बों का सीधा प्रसारण जारी रखा।

अपने ख्यालों में वो इतना खोये थे कि कब वहाँ 4 औरतें आ गई उन्हें पता ही न चला।

पतली और मधुर आवाज़ में 'एक्सक्यूज़ मी' सुनते ही कर्नल हड़बड़ाए और हाथ के डिब्बों को अपनी शॉपिंग ट्रॉली में फेंकते हुए आगे बढ़ गए।

"जाने क्या सोच रही होंगी वो औरत मेरे बारे में?" जैसे खयाल मन में लेकर वो कैश काउंटर पर पहुँच गए।

वहाँ भी औरतों की भारी भीड़ होने के कारण वो ब्रा के डिब्बे बाहर निकाल नहीं पाए और न चाहते हुए भी उनका बिल कटवा कर अपनी गाड़ी में आ गए।

गाड़ी में बैठ कर वापस उन्होंने वो डिब्बे हाथ मे लिए और पैंट के ऊपर से लौड़ा सहलाते हुए उन्हें देखने लगे।

रात का समय था और पार्किंग लॉट खाली था।

कोई देख नही सकता था तो दीनानाथ ने डिब्बे से ब्रा निकली और पैंट से अपना लंड निकाल कर मुठ मारने लगे।

ख्यालों में शालिनी को इस ब्रा में सोचते हुए कर्नल का हाथ सटासट चल रहा था।

कुछ देर में अमृतवर्षा कर गाड़ी का सेल्फ मार कर्नल साहब घर की तरफ चल दिये।

दरअसल दीनानाथ एक अमीर और मॉडर्न परिवार में पला बढ़ा था।

कॉलेज के तुरंत बाद एन डी ए पास कर सेना में अफसर बन गया।

बीवी डॉली भी बहुत खूबसूरत और मॉडर्न थी।

दोनों ने अपनी ज़िंदगी खूब एन्जॉय की।

छोटा परिवार रखने के लिए एक बेटी शालिनी के बाद कोई बच्चा नहीं किया।

पिछले दिनों कोरोना की चपेट में आकर डॉली चल बसी, शालिनी घर मे अकेली रह गयी तो दीनानाथ वोलंटरी रिटायरमेंट ले कर घर आ गया।

सेक्सी टीन गर्ल शालिनी अभी जवानी में कदम रख रही है।

उसका स्कूल हाल ही में खत्म हुआ है, कॉलेज में एडमिशन की तैयारी कर रही है।

खाली समय काटने के लिए पर्सनालिटी डेवलपमेंट की क्लासेज जॉइन की हैं।

मॉडर्न है तो वैसा ही पहनावा है।

मिनी स्कर्ट और शॉर्ट्स में आधे झांकते चूतड़ हर किसी का ध्यान खींच ही लेते हैं।

उसके जिस्म की बनावट माँ से इतनी मेल खाती है कि दीनानाथ भी तिरछी नज़रों से शालिनी के जिस्म की बारीकियों को नापता है।

जब दीनानाथ मॉल आया था तब शालिनी घर पर नहीं थी।

'दोस्तों के साथ बाहर होगी, आती ही होगी.' ऐसा सोचकर दीनानाथ घर से निकले और बाहर खड़ी अपनी गाड़ी में बैठ गए।

गाड़ी स्टार्ट कर के जैसे ही हेड लाइट जलाई, रोशनी सीधी सामने वाली कार के शीशे पर पड़ी।

अंदर एक लड़का और लड़की एक दूसरे के होंठों को चूसने में लगे थे.

लड़की की गुलाबी टॉप छाती से ऊपर थी जिससे लड़की के दोनों चूचे लड़के के हाथों में थे।

रोशनी पड़ते ही दोनों हड़बड़ाए और लड़की तुरंत नीचे लेट गयी।

नज़ारा देख कर भी कर्नल साहब रुके नहीं, आराम से गाड़ी निकाल कर वहाँ से निकल गए।

लेकिन वे इतना समझ गए थे कि लड़की कोई और नहीं उनकी बेटी शालिनी ही थी।

शालिनी के चूचे पहली बार देखे थे वो भी सेकंड के सौ वे हिस्से के बराबर समय के लिये।

और देखने की ललक ही दीनानाथ को ब्रा के डिब्बों तक ले आयी थी, मॉडल के चूचों में वो शालिनी के चूचे ढूंढ रहे थे।

उधर दीनानाथ के निकलते ही हड़बड़ाई हुई शालिनी विकास की कार से उतरी और सीधा घर में घुस गई।

घबराहट में वह सोच रही थी कि 'पापा ने देख लिया होगा या नहीं। देखा भी है तो बोला तो कुछ नहीं है। नहीं बोला तो क्या सोच रहे होंगे।'

शालिनी जानना चाहती थी कि पापा कहाँ गए हैं।

दीनानाथ का आई फ़ोन उनके आई पैड से कनेक्ट रहता है।

फ़ोन तो दीनानाथ ले कर गए थे लेकिन आई पैड सामने सोफे पर पड़ा था।

कौतूहलवश शालिनी ने बाप का आई पैड उठाया और लोकेशन शेयरिंग में जा कर चेक किया तो पाया कि दीनानाथ मॉल में है।

'शॉपिंग कर रहे हैं मतलब मूड ठीक ही होगा। शायद कुछ देखा ही न हो। इतनी जल्दी नज़र कहाँ ही पड़ी होगी।' ऐसा सोच कर शालिनी ने राहत की सांस ली और यूट्यूब खोल कर गाने चला लिए।

गाना चलते ही आई पैड पर 'न्यू ईमेल' नोटिफिकेशन की घंटी बजी।

शालिनी ने चेक किया तो ईमेल 'गुरु जी- हॉट सेक्स स्टोरीज पिक्चर्स' नाम से था।

जिज्ञासावश शालिनी ने ईमेल खोला तो एक बाप बेटी की सेक्स स्टोरी थी।

पहले तो वो बहुत हैरान हुई लेकिन फिर कहानी पढ़ने लगी।

उसे कहानी पढ़ने में मज़ा आने लगा था।

कब उसकी टांगें खुली और पैंटी नीचे आयी, खुद शालिनी को नहीं पता।

दोनों टांगें कांच की मेज पर टिका कर सिर पीछे टिका लिया।

एक हाथ से चूत सहलाते हुए उसने हॉट सेक्स स्टोरीज पिक्चर्स डॉट कॉम की लगातार 4 कहानियां पढ़ डाली।

बाप बेटी की चुदाई में शालिनी को इंटरेस्ट आने लगा था।

और वो जान चुकी थी कि पापा को भी बेटी की चुदाई में इंटरेस्ट है।

पापा की इंटरनेट हिस्ट्री में ढूंढते हुए वो कहानी पढ़ती रही और चूत सहलाती रही।

उधर कर्नल साहब भी मुठ मार के निकले और घर पहुँच गए।

घण्टी बजाते ही शालिनी ने दरवाजा खोला।

गुलाबी टॉप देखते ही दीनानाथ के ख्याल ताज़ा हो गए; पैंट में एक बार फिर कड़कपन आने लगा।

उधर शालिनी भी अब अपने बाप को अलग नज़रों से देखने लगी थी।

बाप से सेक्स करने की चाहत शायद नहीं थी लेकिन ये बात उसे बहुत रोमांचित कर रही थी कि उसका बाप उसके साथ सेक्स करना चाहता था।

शालिनी इस ख्याल से घृणित नहीं थी, न ही डर रही थी।

वो इस सब के बारे और जानना चाहती थी।

आज खाने के समय एक अजीब सी शांति थी, कोई किसी से बात नहीं कर रहा था।

दीनानाथ चोरी छुपे शालिनी की छाती पर नज़र फिरा कर टॉप के अंदर तक झांक लेना चाहता था।

वहीं शालिनी भी जानती थी कि पापा क्या देख रहे हैं।

आज वो ज्यादा तन कर बैठी थी।

पापा देख रहे हैं इसलिए वो शेप खराब नही होने देना चाहती।

खाने के पूरे वक़्त दीनानाथ का लंड तना रहा।

अब वो जल्दी ही इसे निचोड़ कर ठंडा करना चाहता था।

खाना खाकर दोनों उठे और रोजाना की तरह शालिनी ने पापा को किस करके गुड नाईट बोला।

शालिनी बचपन से ही मम्मी पापा को होंठों पर किस करती थी; छोटी किस, माँ बाप वाली किस!

आज किस करते वक़्त शालिनी ने बाप के गाल पर हाथ भी फिरा दिया।

किस करने के लिए नजदीक आते समय शालिनी ने बाप के पैंट का उभार भांप लिया था।

शालिनी नादान नहीं थी, जवानी में कदम रख चुकी थी और सेक्स के बारे में भी जानती थी।

वह सेक्सी टीन गर्ल 4-6 बार अपने बॉयफ्रेंड विकास के साथ सेक्स कर भी चुकी थी।

बेटी से गुड नाईट करते ही दीनानाथ झटपट अपने कमरे में पहुँचा, लोअर नीचे खींच कर लंड बाहर निकाला और खाल पीछे खींच कर टोपे को हवा लगाई।

वह हाथ फैला कर लंड को मुट्ठी में भर कर धीरे धीरे सहलाने लगा।

उसने आंख बंद कर ली और हॉट सेक्स स्टोरीज की किसी अपनी फेवरिट कहानी की नायिका के रूप में शालिनी को सोच कर मुठ मारने लगा।

बाहर हॉल में खड़ी शालिनी समझ चुकी थी कि पापा का लंड खड़ा है और अंदर कमरे में क्या हो रहा होगा उसका भी उसे अंदाज़ा था।

जिज्ञासा इतनी ज्यादा थी कि अपने आप को रोक नही पाई।

उसके कदम अपने बाप के कमरे की तरफ बढ़ गए।

घर मे दरवाज़ा लॉक करने की प्रथा शुरू से ही नहीं थी।

सब एक दूसरे की निजता से सम्मान करते थे; बिना दरवाज़ा खटखटाये कोई किसी के कमरे में नहीं घुसता था।

शालिनी ने दरवाज़ा छुआ तो वो कुछ सेंटीमीटर खुल गया।

इतने में शालिनी को दीनानाथ के पेट से नीचे का हिस्सा दिखाई देने लगा था।

दीनानाथ को मुठ मारते देख वो रोमांच से भर गई।

वो वहाँ खड़ी एकटक अपने बाप को लंड हिलाते देखने लगी।

अंदर से दीनानाथ की सिसकारियों के बीच कुछ बड़बड़ाने की आवाज़ आ रही थी।

यह सीन देख शालिनी की चूत गीली हो उठी थी।

पैंटी उसने पहनी ही नहीं थी सो कच्चे आम का रस केले के तने जैसी जांघो पर बह निकला।

अचानक दीनानाथ ने लंड से हाथ हटा लिया और तेज़ तेज़ सांस लेने लगा।

शायद वो झड़ने वाला था लेकिन बेटी की ख्याली चुदाई से अभी मन भरा नहीं था इसलिए रुक गया।

दीनानाथ के हाथ हटाने पर उसे अहसास हुआ कि जिस विकास को वो मर्द समझती थी वो तो अभी अविकसित है। असली मर्द का लंड तो उसकी आँखों के सामने तना खड़ा था।

पापा का लन्ड देख कर उसका हाथ अपने आप ही स्कर्ट में घुसा और दाने को मसलने लगा।

दीनानाथ ने भी गर्मी थोड़ी कम होते ही लंड वापस पकड़ लिया और हिलाने लगा।

दरवाज़े के दोनों तरफ मुठ मारी जा रही थी।

अंदर बाप बेटी को सोचकर मुठ मार रहा था और बाहर बेटी बाप का खड़ा लन्ड देखकर अपनी चूत का दाना मसल रही थी।

शालिनी अब झड़ने वाली थी इसलिए झटपट अपने कमरे की तरफ भागी।

आनन फानन बेड पर गिरते हुए उसने 2 उंगलियां चूत में डाली और कमर को धनुष की तरह मोड़ कर उंगली अंदर बाहर करने लगी।

उसकी आँखों के सामने दीनानाथ का तना हुआ लंड घूम रहा था। मोटा सुपारा और खिंची हुई नसें, जैसे लन्ड के खुद के सिक्स पैक एब्स हो।

ऐसा लंड उसने जीवन मे नहीं देखा था।

अगले 30 सेकंड में वो झड़ गयी और बेदम होकर बेड पर गिरी और कुछ ही मिनटों में सो गई।

उधर अपना माल निकल कर दीनानाथ ने अपनी सांसें काबू की और कमरे से निकल कर हॉल में आ गया।

टीवी चलाकर उसने एक सिगरेट जलाई और कश खींचने लगा।

तभी उसकी नज़र पड़ी कि सोफे के नीचे कोई कपड़ा गिरा है।

उसने हाथ बढ़ा कर खींचा तो पाया ये शालिनी की पैंटी थी।

दीनानाथ सोच पड़ गया कि आखिर पैंटी यहाँ क्यों पड़ी है.

तभी उसने महसूस किया कि पैंटी में नमी थी।

"हो सकता है मेरे निकलने के बाद शालिनी अपने बॉयफ्रेंड को घर मे ले आयी हो!" ऐसा सोचते हुए दीनानाथ ने हाथ बढ़ा कर पैंटी अपनी नाक पर रख दी।

एक लंबा सांस खींचते ही उसके फेफड़े अपनी बेटी की चूत की महक से भर गए।

"क्या शालिनी चुदने लगी है?"

सिगरेट के काश के साथ 'आहह हहह'

"नहीं यार ... अभी तो छोटी है!

एक काश और 'आहह हहह!'

दीनानाथ ने हर सांस के साथ पैंटी को सूंघते हुए सिगरेट खत्म कर दी।

पैंटी को वापस उसी जगह डालते हुए वो शालिनी के कमरे की तरफ बढ़ा।

दरवाज़े को हौले से धकेलते हुए जैसे ही उसकी नज़र शालिनी पर पड़ी उसके होश उड़ गए।

उसने कमरे के अंदर दो कदम और आगे बढ़ा दिए.

शालिनी की स्कर्ट ऊपर उठ के उसके पेट पर पड़ी थी और सफेद चिकनी जाँघों के बीच सफाचट चूत हीरे सी चमक रही थी।

उसकी बेटी का टॉप भी ऊपर खिसका हुआ था जिसमें से एक चूचा पूरी तरह बाहर था।

यह नज़ारा देख दीनानाथ को जैसे सांप सूंघ गया।

वो बुत बना खड़ा एकटक नंगी सो रही अपनी बेटी के अधनंगे बदन को निहारे जा रहा था।

उसका ध्यान जब टूटा जब लंड ने अकड़ कर लोअर का टेंट बना दिया।

ध्यान टूटते ही तुरंत दीनानाथ ने यू टर्न लिया और कमरे से बाहर आ गया।

वो वहीं दीवार से लगा सोचने लगा कि आखिर करे तो क्या करे।

इस हालत में बेटी को देखना भी गलत लग रहा था और साथ ही अपने कमरे में लौट जाने को भी कदम नहीं पड़ रहे थे।

बहुत देर सोच विचार करने के बाद उसके विवेक और मर्यादा ने लंड के कड़कपन के आगे घुटने टेक दिए।

दीनानाथ वापस कमरे में घुसा और शालिनी के नज़दीक जाकर खड़ा हो गया।

उसने हौले से शालिनी को पुकारा।

बहुत धीरे ... सिर्फ इतना तेज की अगर सो रही हो तो नींद न टूटे और जग रही हो तो पता चल जाये।

लगातार 3 आवाज़ देते हुए दीनानाथ बेड पर बैठ गया।

चौथी बार आवाज़ देने के साथ उसने शालिनी के सिर पर हाथ फिरा दिया।

इतने पर भी शालिनी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया न देखकर दीनानाथ की हिम्मत बढ़ गयी।

अपने प्लान के तहत दीनानाथ ने आगे बढ़ते हुए शालिनी के पेट पर हाथ रखते हुए उसकी स्कर्ट नीचे कर दी।

कपड़े ठीक करना तो बहाना था, वो तो पूरा हाथ भर के अपनी बेटी का जिस्म सहलाना चाहता था।

खुली हथेली से उंगलियां फिराकर पूरा पेट नापते हुए दीनानाथ का हाथ ऊपर बढ़ने लगा।

गर्म मखमली नर्म चूचे को छूते ही दीनानाथ के जिस्म में जैसे करंट दौड़ गया।

उसकी धड़कन जैसे रुक सी गयी।

दीनानाथ का पूरा ध्यान शालिनी की छाती पर था।

वो इस पल को कभी भूलना नहीं चाहता था।

ऐसा मौका कभी दोबारा मिले या न मिले इसलिए वो इस हर पल को अपने ज़ेहन में कैद कर लेना चाहता था।

उसने दोनों हाथ बढ़ा कर शालिनी के एक चूचे को बहुत हल्के से पकड़ा, अंगूठे से उसके निप्पल को सहलाया।

दूसरे हाथ से उसने उसका टॉप सरका कर दूसरा चूचा भी बाहर निकाल लिया।

दीनानाथ ने दोनों हाथों में एक एक चूचे को पकड़ कर आंखें बंद कर ली।

उसे अहसास हुआ जैसे शालिनी की माँ डॉली के चूचे पकड़े हों।

एक पल के लिए वो भूल गया और झुक कर उसने अपना मुंह दोनों चूचों के बीच रख दिया।

कभी दरार के बीच नाक फंसा कर उसके जिस्म की खुशबू लेता तो कभी दोनों निप्पल को सहलाता।

शालिनी के चूचे उसकी उम्र से बड़े थे।

शरीर का भराव उसकी माँ पर गया था।

पतली कमर पर 34 इंची चूचे पाकर दीनानाथ जैसे पागल हो गया था।

वो वर्तमान को पूरी तरह से भूल चुका और भूतकाल में डॉली को याद कर के कभी शालिनी के चूचे दबाता तो कभी चाटता। निप्पल को मुँह में लेकर चूसता तो कभी दांतों से चुभलाता।

ऐसा लग रहा था जैसे सालों बाद डॉली लौट आयी हो और आज दीनानाथ अपनी सारी हसरतें पूरी कर लेना चाहता हो।

शालिनी के निप्पल थूक में भीग जाने के बाद ए.सी. की हवा से सिकुड़ कर तन गए थे जिसकी वजह से दीनानाथ को और मज़ा आ रहा था।

चूचों पर लगा थूक ए.सी. की वजह से शालिनी को ठंडा लगने लगी थी और उधर दीनानाथ दीवानों की तरह शालिनी को खा जाना चाहता था।

इस सब जद्दोजहद के बीच शालिनी की गहरी नींद टूट गयी।

अपने ऊपर अचानक से किसी को इस तरह से झुका देख वो बहुत डर गई और अचानक से पलटी।

साथ ही उसे अहसास हुआ कि ये कोई और नहीं उसके पापा हैं।

उसे समझ नहीं आ रहा था वो कैसे रियेक्ट करे।

शालिनी को जैसे सांप सूंघ गया; वो लाश की तरह ऐसे ही पड़ी रही।

शालिनी के अचानक इस तरह हिलने से दीनानाथ भी बहुत डर गया था, उसके माथे पर पसीना साफ नजर आ रहा था।

जब कुछ देर शालिनी नहीं हिली तो दीनानाथ को लगा शायद नींद में ही करवट ली होगी।

उसने अपने माथे से पसीना पोंछा और शालिनी के बगल में लेट गया।

छाती के आगे रखी कोहनी को उसने आराम से उठा कर ऊपर खिसका दिया।

जिससे दोनों का फायदा हो गया।

दीनानाथ का चूचों तक पहुंचने का रास्ता साफ हो गया और शालिनी का मुँह हाथ से ढक गया।

अब दीनानाथ शालिनी के चेहरे पर आने वाले भावों को नहीं देख सकता था।

शालिनी जानती थी कि उसका बाप उसके जिस्म के उभारों को कपड़ों के ऊपर से निहारता है।

लेकिन आज वही बाप कपड़ों की दीवार हटा कर उसके उभारों से खेल रहा था।

यह ख्याल शालिनी के जिस्म को रोमांच से भर गया, उसके चूचे तन गए और निप्पल कड़क हो गए।

शालिनी का दायें वाला निप्पल करवट के नीचे आ चुका था इसलिए अब एक ही चूचे से काम चलाना था।

दीनानाथ ने आगे बढ़ कर लेफ्ट निप्पल को होंठों में पकड़ लिया।

शालिनी ने पूरी ताकत से होंठ भींच लिए और आंखें बंद कर ली।

वो ऐसी कोई हरकत नहीं करना चाहती थी जिससे दीनानाथ को पता चले कि उसकी बेटी जग रही है।

साथ ही उसके मन में कौतूहल चल रहा था कि उसका बाप ऐसा क्यों कर रहा है।

उसे लगा था पापा को बस ऐसी कहानियां पढ़ने का शौक है। उसने कभी नहीं सोचा था उसके प्यारे पापा अपनी खुद की बेटी के साथ ये सब करने की इच्छा रखते होंगे।

दीनानाथ ने लेटे हुए ही अपना हाथ बढ़ा कर शालिनी की जांघ पर रख दिया और सरकाते हुए चूतड़ तक ले आये।

स्कर्ट को रास्ते से हटाने के बाद पूरी हथेली खोल कर शालिनी के चूतड़ को हाथ मे भर लिया और निप्पल को चूसते हुए गांड की दरार के उंगली फिराने लगा।

दीनानाथ की ये हरकतें शालिनी को पागल कर रही थी साथ ही कहीं न कहीं सामाजिक बंदिशें उसे याद भी दिला रहीं थी कि कोई बाप अपनी बेटी का सोते हुए फायदा कैसे उठा सकता है।

लेकिन अब भी शालिनी फैसला नहीं कर पाई थी आखिर वो इस परिस्थिति का सामना किया प्रकार करे।

वो दांत भींचे चुपचाप अपने पापा की हरकतों का मजा लेती हुई पड़ी रही।

दीनानाथ अचानक अपनी जगह से उठा और शालिनी के पीछे आकर बैठ गया।

अब शालिनी दीनानाथ को नहीं देख सकती थी लेकिन शालिनी के भरे हुए चूतड़ों को दीनानाथ साफ देख सकता था।

दीनानाथ ने न्यूड टीन गर्ल के दोनों चूतड़ों पर हाथ फिराया और बारी बारी दोनों को चूमा।

अब शालिनी देख नहीं पा रही थी तो दीनानाथ का हर एक स्पर्श उसके लिए नया था।

शालिनी नहीं जानती थी कि दीनानाथ ने अपने जिस्म से लोअर निकाल फेंका है और उसकी गांड से आधा फुट दूर उसके बाप का लौड़ा पूरी ताकत से तना खड़ा है।

दीनानाथ ने 10-12 झटके अपने लंड पर लगाये ओर झुक कर शालिनी की नंगी कमर चूमने लगा।

चूमते हुए वो नीचे आता गया और अब लगातार अपनी जवान बेटी के दोनों चूतड़ों को चूम रहा था, दांतों से हल्का हल्का पकड़ भी रहा था।

उसने दोनों हाथों से चूतड़ों को फैलाया और दरार में अपना मुँह घुसा दिया।

दीनानाथ के ऐसा करते ही शालिनी चौंक गई।

उसने इतनी उम्मीद नहीं की थी।

उसकी हालत खराब हो रही थी, चूत से रस बह रहा था।

उसे डर था कि कहीं चूत का गीलापन उसकी पोल न खोल दे।

दीनानाथ ने एक लंबी सांस खींची और बड़े ही आनंद भरी आवाज़ में बोला- डॉली मेरी जान, आई लव यू। तेरी बेटी में तेरी हर खूबी भरी हुई है। वही चूचे, वही गांड, वही खशबू ... आह!

इतना कह कर दीनानाथ फिर झुका और गांड के छेद पर अपनी जीभ टिका दी।

शालिनी के लिए बाप के हमले अब बर्दाश्त के बाहर थे। शालिनी अपना आपा कभी भी खो सकती थी।

दीनानाथ लगातार उसकी गांड की पूरी दरार में जीभ फिरा रहा था।

वो दोबारा भूल गया था कि उसकी बेटी सो रही है; वो डॉली के नशे में चूर लगातार चाटे जा रहा था।

शालिनी को लगा कि अगर अब ये नहीं रुके तो किसी भी पल वो झड़ जाएगी और सारा भंडा फूट जाएगा।

वो अब तक भी फैसला नहीं कर पाई थी कि इस परिस्तिथि में कैसे पेश आया जाए।

जब उसे कुछ नहीं सूझा तो उसने अचानक खांसने की एक्टिंग चालू कर दी जैसे सोते सोते खांसी उठी हो।

शालिनी की इस हरकत से दीनानाथ को होश आया।

उसे लगातार खांसती देख कर दीनानाथ को लगा अब वो पकड़ा जाएगा और बहुत गड़बड़ हो जाएगी।

दीनानाथ ने अपना लोअर उठाया और वो नंगा ही कमरे से बाहर निकल गया।

उन्हें भागता देख शालिनी को पता लगा कि पापा नंगे थे उसके पीछे!

'पापा नंगे क्यों थे?'

"क्या पापा मुझे चोदने वाले थे?"

'नहीं नहीं, मुठ मार रहे होंगे मुझे नंगी देख कर!'

शालिनी के पापा थोड़ी देर पहले उस के बगल में नंगे बैठ कर उसकी गांड चाट कर मुठ मार रहे थे।

यह ख्याल उसको पागल कर रहा था।

उसकी चूत पहले से ही बह रही थी।

उसने फिर दो उंगली अपनी चूत में डाली और पानी निकाल दिया।

जिस्म को ठंडा करने के बाद शालिनी को ख्याल आया कि 'पापा मेरी गांड चाटते समय मम्मी का नाम ले रहे थे।'

'पापा मम्मी से बहुत प्यार करते हैं।'

'मम्मी के मरने के बाद पापा अकेले हो गए हैं।'

'मैं मम्मी जैसी लगती हूँ इसीलिए पापा मेरे करीब आते हैं।'

अब शालिनी को अपने बाप पर दया आने लगी थी।

उसकी नज़र में जो 2 -- 4% दीनानाथ गलत था अब उसकी कोई गुंजाइश नहीं थी।

इन्ही सब ख्यालों में शालिनी को नींद आ गयी।

उधर दीनानाथ भी अपने लन्ड को ठंडा कर ओर अपनी आज की बेवकूफी के लिए खुद को कोस कर सो गया।

सुबह पहले दीनानाथ उठा, तब तक शालिनी सो रही थी।

दीनानाथ ने एक सिगरेट जलाई और 2 कप कॉफ़ी तैयार की।

कॉफ़ी बना कर उसने शालिनी को आवाज़ लगाई और बालकॉनी में जाकर कॉफ़ी के साथ सिगरेट का आनंद लेने लगा।

दीनानाथ कॉफ़ी खत्म कर वापस लौटा तो शालिनी अब तक भी नहीं उठी थी।

दीनानाथ ने शालिनी के कमरे का दरवाजा बजाया और शालिनी को उठने को बोल कर नहाने चला गया।

शालिनी उठी तो रात की खुमारी अब भी थी।

दीनानाथ के बारे में सोच कर मुस्कुराई और फिर खराब हो चुकी स्कर्ट को देखा. सबसे पहले उसने कपड़े बदले।

'आज पापा के लिए कुछ सेक्सी पहनूँगी!' सोच कर कपड़े चुने और पहन कर बाहर आई कॉफ़ी पी और नाश्ता बनाने लगी।

कुछ ही देर में दीनानाथ नहाकर सिर्फ तौलिये में अपने रूम से निकला।

गीले कच्छे बनियान उसके हाथ मे थे जिन्हें बालकनी में सूखने डालने जा रहा था।

किचन में नाश्ता बना रही शालिनी पर जैसे ही उसकी नज़र पड़ी, वो ठिठक से गया।

शालिनी ने नारंगी रंग की, ब्रा से थोड़ी बड़ी बैकलेस टॉप पहनी थी और नीचे शॉर्ट्स से भी छोटे शॉर्ट्स जो कि पैंटी से थोड़े ही बड़े थे।

80 प्रतिशत नंगी बेटी को देख कर रात का पूरा वाकिया दीनानाथ के जेहन में दौड़ गया।

दीनानाथ चुपचाप बालकनी में गया और कपड़े फैला कर वापस लौटा तो शालिनी की नज़र दीनानाथ पर पड़ी।

"हाई डैड, गुड मॉर्निंग!" चहकते हुए शालिनी बाप की तरफ बढ़ गयी।

अपनी तरफ बढ़ती शालिनी दीनानाथ को स्लो मोशन में दिख रही थी।

जब शालिनी बिल्कुल करीब आ गयी तब दीनानाथ को होश आया।

"गुड़...गुड़ मॉर्निंग बेटा!" कहकर दीनानाथ ने शालिनी की तरफ हाथ फैलाये और सुबह की किस के लिए थोड़ा झुक गया।

शालिनी ने भी रोज़ की तरह अपने प्यारे पापा के गले मे बांहें डाली और पंजों पर उठ कर होंठों से होंठ मिला दिए।

रोज़ाना का यही नियम था ... लेकिन आज कुछ अलग था।

आज शालिनी रोज़ की तरह आधे सेकंड में अलग नहीं हुई।

न ही दीनानाथ ने खुद को पीछे खींचा।

रात की यादों से निकलने की कोशिश करते दीनानाथ के हाथ जब शालिनी की नंगी कमर पर पड़े तो वो जैसे सब कुछ भूल ही गया।

वो मूर्ति की तरह जम गया था।

उधर शालिनी अपने प्यारे पापा को आराम पहुंचाने के लिए दीनानाथ के करीब जा रही थी।

उसने दीनानाथ के बालों में उंगलिया कसीं और अपने होंठ खोल दिये।

शालिनी के होंठ खुलते ही दीनानाथ के होंठ भी अपने आप खुल गए।

यह गुड़ मॉर्निंग किस अपनी हदें पार कर चुकी थी।

अनजाने में ही दीनानाथ का लंड उठने लगा था।

बेटी बाप के होंठ चूस रही थी।

जल्दी ही दीनानाथ का लंड पूरे शवाब पर खड़ा था और शालिनी के पेट पर ठोकरें मार रहा था।

पापा का लौड़ा पेट पर महसूस करते ही बिटिया ने अपनी जीभ पापा के मुँह में सरकाई और आगे बढ़ कर अपने चूचे बाप की छाती से सटा दिए।

शालिनी के जीभ सरेंडर करते ही दीनानाथ ने उसे अपने कब्जे में लिया और पूरी तन्मयता से चूसने लगा।

दीनानाथ की जीभ भी अब अपनी बेटी के पूरे दांत गिन रही थी।

जोश इतना बढ़ चुका था कि दीनानाथ ने शालिनी की नंगी कमर पर हाथ फिराते हुए उसके जिस्म को कस के अपने से चिपका लिया।

पेड़ू पर पापा के फौलादी लंड का दबाव महसूस करते हुए शालिनी उचकने लगी।

वो लंड का दबाव अपनी चूत पर महसूस करना चाहती थी।

बाप के गले से लटक के खुद को ऊपर खींचने की कोशिश करती शालिनी दीनानाथ के पैरों पर चढ़ गई और जितना हो सका लंड के करीब चूत लगाकर कमर हिलाने लगी।

दीनानाथ ने हाथ बढ़ा कर अपनी बेटी के चूतड़ों पर रखे और शालिनी को गोद में उठा लिया।

अब शालिनी दीनानाथ के लेवल पर थी।

पूरे जोश में पापा के होंठ चूसती हुई शालिनी ने पैर पापा की कमर पर लपेट लिए और लंड पे चूत टिका कर कमर चलाने लगी।

दीनानाथ ने भी शालिनी के दोनों चूतड़ हथेलियों में भरे और उन्हें भींचते हुए अपनी बेटी के होंठ चूसते रहे।

बेटी की लय में लय मिला कर दीनानाथ ने भी कमर हिलाना चालू कर दिया था।

बाप बेटी आनंद की लहरों में ऐसा खोये कि उन्हें पता ही नहीं चला कि कब दीनानाथ की तौलिया खुल कर गिर गयी।

शालिनी निपट नंगे दीनानाथ से किसी बेल की भांति लिपटी थी।

बाप के नंगे चूतड़ों पर बेटी के ऐड़ियां फंदा बना कर खुद को लन्ड पर संभाले हुए थी।

दोनों की नंगी कमर का कोई हिस्सा नहीं बचा था जो एक दूसरे ने न सहलाया हो।

आंखें बंद कर के एक दूसरे के होंठो में ऐसे खोये थे दोनों जैसे चाहते हो समय यहीं रुक जाए।

"टिंग टिंग"

माइक्रोवेव की घंटी से बाप बेटी की काम तपस्या भंग हुई।

उन्हें अपनी अपनी अवस्था का अहसास हुआ।

दीनानाथ ने झट से शालिनी को नीचे उतारा।

ज़मीन पर पैर पड़ते ही शालिनी 4 कदम पीछे हट गई।

दोनों ही समझ नहीं पा रहे थे आखिर उनके साथ ये हुआ क्या?

शालिनी ज़मीन में नज़रें गड़ाए खड़ी थी, बाप की तरफ देखने की हिम्मत नहीं थी।

दीनानाथ भी अपनी बेटी से नज़र मिलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।

'फ़क बहनचोद ... ये क्या हो गया! अभी तो सब ठीक था, अचानक ये क्या हुआ? अब क्या बोलूं ... क्या कहूँ? क्या करूँ?'

शालिनी की नज़र पापा की तौलिया पर पड़ी जो नीचे ज़मीन पर पड़ी थी।

उसने कुछ ऊपर नज़र उठायी तो पाया कि दीनानाथ बिल्कुल नंगा खड़ा है। उसका 8 इंच का लन्ड एकदम कड़क शालिनी की तरफ सलामी दी रहा था।

दीनानाथ ने शालिनी की नज़रों का पीछा किया तो उछल पड़ा, झटपट तौलिया उठाया और अपने कमरे की तरफ भाग गया।

15-20 मिनट कोई हिम्मत नहीं जुटा पाया एक दूसरे के सामने जाने की।

फिर शालिनी ने नाश्ता 2 प्लेट में किया और पापा के कमरे की तरफ चल दी।

कमरे का दरवाजा खटखटाने के बाद वह अंदर गयी तो देखा दीनानाथ की आंखों में आंसू थे।

नाश्ता मेज पर रख शालिनी दीनानाथ के बगल में बैठी और पूछा- क्या हुआ पापा, आप रो क्यों रहे हैं?

"मुझे माफ़ कर दो बेटा, आई एम सॉरी!" कहते हुए दीनानाथ फूट फूट कर रोने लगे।

अपने बाप को इस तरह रोता देख शालिनी का दिल टूट गया।

उसने दीनानाथ को गले लगाते हुए कहा- रोइये मत पापा, आपकी अकेले की गलती नहीं है। मेरी भी उतनी ही गलती है।

अपना सांस संभालते हुए दीनानाथ बोला- तुम तो छोटी हो, मुझे तो कंट्रोल करना चाहिए था। सब मेरी गलती है।

"नहीं पापा, मैं छोटी नहीं हूँ। 19 साल की हो चुकी हूँ और सब समझती हूँ।" बाप को समझाते हुए शालिनी बोली- मैं जानती हूँ कि ममा के जाने के बाद आप कितने अकेले हो गए हो, आप माँ को बहुत याद करते हो न! मैं जानती हूँ कि मैं आपको माँ की याद दिलाती हूँ। इसीलिए ये सब हुआ। इसमें किसी की कोई गलती नहीं है। गलती हमारे खराब वक़्त की है बस!

शालिनी के मुँह से ऐसी बातें सुन के दीनानाथ को थोड़ा सब्र हुआ।

उसके आंसू पोंछते हुए शालिनी उठी और बेड पर चढ़कर दीनानाथ की गोद में बैठ गयी।

दोनों पैर दीनानाथ के दोनों तरफ निकाल कर दीनानाथ की तरफ मुँह कर के उसने दीनानाथ को अपने सीने से लगा लिया और बोली- आप रोया मत करो पापा, मैं आपको रोते हुए नहीं देख सकती। माँ के जाने के बाद आपने मेरा ख्याल रखा। अब मैं आपका ख्याल रखूंगी। आपने मेरे लिए माँ की कमी पूरी की। अब मैं आपकी ..."

इतना कह कर शालिनी के शब्द थम गए।

दीनानाथ भी पीछे हट कर शालिनी के मुँह की तरह देखने लगा।

"ये क्या कह रही हो बेटा, ये सही नहीं है।"

"सही तो इस तरह घुट घुट के जीना भी नहीं है पापा!"

"अरे ... किसी को पता चला तो ज़माना क्या कहेगा?"

"आप अपने और माँ के बीच की बातें किसी को बताते थे?"

"नहीं बेटा, क्यों?"

"जब आप नहीं बताओगे, मैं नहीं बताऊंगी तो ज़माने को क्या पता चलेगा पापा?"

दीनानाथ ने शालिनी का चेहरा अपने हाथों में थाम लिया और कहा- सच में इतना प्यार करती है तू अपने पापा से?

"जितना माँ आपसे करती थी उतना ही और वैसा ही!"

यह सुन कर दीनानाथ के चेहरे पर मुस्कान आ गयी और उसने आगे बढ़ कर अपनी बेटी का माथा चूम लिया- लेकिन मैं तुझे डॉली से ज्यादा प्यार करूँगा बेटा। अपनी माँ से ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी है तू बेटा!

यह सुन कर शालिनी मुस्कुरा दी और आंखें बंद कर ली।

दीनानाथ ने अगले 5 मिनट तक अपनी बेटी का पूरा मुँह चूम डाला, कोई जगह बाकी नहीं थी जहाँ दीनानाथ के होंठों ने नहीं छुआ।

शालिनी आँखें बंद किये इंतेज़ार कर रही थी बाप के होंठ चूसने का!

लेकिन जल्दी ही शालिनी समझ गयी कि दीनानाथ को तड़प बढ़ाने में ज्यादा आनंद आता है।

शालिनी ने दीनानाथ के बालों में हाथ फिराया और अपने होंठों को पापा के हवाले कर दिया।

अपनी बेटी शालिनी के होंठों का रस चूसते हुए दीनानाथ ने बीच बीच में उसके चूचे दबाने चालू कर दिए।

बेटी को कुछ जल्दी थी या बाप की इच्छा का सम्मान करते हुए शालिनी ने हाथ बढ़ा कर अपनी टॉप निकाल दी और अपने 34 के सुडौल चूचे आज़ाद कर दिये।

दीनानाथ ने भी झटपट अपनी टीशर्ट उतार फेंकी और खुश होता हुआ बोला- बेटा तेरी माँ के चूचे भी बिल्कुल ऐसे ही थे।

उसने बेटी के कड़क स्तनों को दबाया, सूंघा, चाटा, फिर बोला- और खुशबू भी तेरी जैसी ही थी।

"हा हा हा ... हाँ पापा मालूम है। मैं बिल्कुल माँ जैसी हूँ इसीलिए नीचे से मुझे कुछ चुभ भी रहा है।" इतना कहकर शालिनी ने हँसते हुए दीनानाथ का सिर अपने चूचों में छुपा लिया।

दीनानाथ ने शालिनी को अपनी गोद में उठाया और बेड पर पटक दिया, उसके सामने घुटनों पर खड़ा हो गया।

"रुक तुझे दिखाता हूँ क्या चुभ रहा है। तेरी माँ को भी बहुत चुभता था ये!" इतना कहते हुए दीनानाथ ने जीन्स और कच्छा एक साथ ही खोल कर निकाल फेंके।

पैंट उतरते ही दीनानाथ के नंगे जिस्म के साथ लोहे जैसा फौलादी लंड सलामी देने लगा।

शालिनी ने इतने करीब से पापा का लौड़ा पहली बार देखा था।

अब कोई डर या शर्म जैसी बात भी नहीं थी इसलिए शालिनी उठ कर बैठ गयी और लन्ड को नजदीक से निहारने लगी।

"ऐसे क्या देख रही है शालिनी, हाथ में पकड़। अब तेरा गुलाम है ये!" कहकर दीनानाथ ने शालिनी का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया।

पापा के लंड की तनी हुई नसों पर हाथ फिरा कर शालिनी बहुत खुश थी।

उसने दूसरा हाथ भी इस्तेमाल किया और दीनानाथ की गोटियान पकड़ ली।

दीनानाथ एक लंबी आह भरता हुआ बोला- बिल्कुल अपनी माँ की तरह लंड से पहले गोटियां कब्ज़े में करती है ... ओऊऊऊ!

अभी दीनानाथ अपनी बात खत्म भी नहीं कर पाया था कि शालिनी ने पापा के सुपारे पर जीभ फिरा दी।

दीनानाथ की जान गोटियों में आ गयी जो उसकी बेटी के नाज़ुक हाथों में थी।

शालिनी ने गोटियों को सहलाते हुए लंड चूसने की कोशिश की।

हालांकि उसने विकास का लंड कई बार चूसा था लेकिन दीनानाथ का लन्ड ज्यादा बड़ा होने की वजह से वो पूरा मुँह में नहीं ले पा रही थी।

उसने लंड छोड़ गोटियों को मुँह में लिया और चूसने लगी, लंड को हाथों से लगातार सहलाती जा रही थी।

शालिनी कभी गोटियों को चूसती तो कभी लंड का टोपा गालों में दबा लेती।

दीनानाथ के लौड़े की सर्विस लगातार हो रही।

वैसे भी दीनानाथ अपनी बेटी का इस कदर दीवाना था कि शालिनी के गुलाबी होंठों पर लंड छुआने के ख्याल भर से झड़ जाए।

बेटी के होंठों ने बाप के जिस्म में इस कदर गर्मी बढ़ाई की दीनानाथ अपना आपा खो कर शालिनी के मुँह में धक्के मारने लगा।

उसने दोनों हाथों से शालिनी के बाल पकड़ लिए और पूरी ताकत से उसके गले तक लंड पेलने लगा।

8-10 तगड़े झटके देने के बाद उसने पूरी ताकत से लंड गले में उतार दिया।

दीनानाथ के लंड से निकली गर्म मलाई सीधा शालिनी के पेट में जा रही थी।

शालिनी की आँखें चढ़ चुकी थी, सांस रुक गयी थी.

लेकिन दीनानाथ को कोई होश नहीं था; वो आँखें बंद कर के रुक रुक के तब तक धक्के देता रहा जब तक आखिरी बूंद तक माल शालिनी के पेट में नहीं पहुँच गया।

झड़ने के बाद जैसे ही दीनानाथ ने अपनी पकड़ ढीली की, शालिनी ने पूरी ताकत से उसे पीछे धकेला और खांसते हुए बेड पर गिर गयी।

दीनानाथ ने देखा कि उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे, वो लंबे लंबे सांस लेने की कोशिश कर रही थी साथ ही खांस भी रही थी।

अब दीनानाथ को अहसास हुआ कि अपने मज़े चक्कर में उसने शालिनी को बहुत दर्द दिया है।

वो शालिनी के सामने बैठ कर उसे समझने लगा और माफी मांगने लगा।

दीनानाथ ने उसके आंसू पोंछे और पीठ सहलाई।

करीब 5 मिनट में जाकर शालिनी की हालत नार्मल हुई।

अब शालिनी दीनानाथ पर गुस्सा करने लगी।

दीनानाथ शालिनी को मनाने के चक्कर में हाथ बढ़ाता और शालिनी उसका हाथ झटक देती।

शालिनी उसे छूने ही नहीं दे रही थी, खूब गुस्सा कर रही थी- अपने मज़े के चक्कर में किसी की जान निकल दोगे क्या पापा आप? अरे आपकी सगी बेटी हूँ, कोई बाज़ारू रंडी नहीं। इतनी बुरी तरह कोई करता है क्या? मम्मी के साथ भी ऐसे ही करते थे क्या आप?

दीनानाथ ने समझाया- बेटा तेरी माँ का मुंह बड़ा था और वो पूरा लंड अंदर ले पाती थी। इसलिए कभी दिक्कत नहीं हुई। तू तो जानती है कि तुझे सामने देख के मुझे तेरी माँ याद आ जाती है। बस उसी के ख्यालों में खो गया और भूल गया कि तुझे परेशानी हो रही है। मुझे माफ़ कर दे बेटी!

शालिनी कुछ नहीं बोली बस मुँह बनाये बैठी रही।

"अच्छा इधर आ, मुझे मेरी गलती की भरपाई करने का मौका तो दे।" कहते हुए दीनानाथ ने शालिनी को अपने नज़दीक खींचा और होंठों पर एक चुम्बन जड़ दिया।

उसने शालिनी को अपने सामने खड़ा किया और दूसरी तरफ घुमा दिया।

अब दीनानाथ के मुँह के आगे शालिनी की गांड थी।

दीनानाथ ने हौले से उसकी शॉर्ट्स का बटन खोला और जाँघों से होते हुए शॉर्ट्स अलग निकाल दी।

अब दीनानाथ के ख्यालों की मल्लिका उसकी खुद की बेटी उसके आगे मादरजात नंगी खड़ी थी।

नज़ारा देख दीनानाथ का लंड फिर उठने लगा था लेकिन फिलहाल दीनानाथ का प्लान कुछ और ही था।

उसने पीछे से ही शालिनी के चूतड़ फैला कर गांड चाटना चालू कर दिया।

2 मिनट गांड का छेद जीभ से कुरेदने के बाद उसने शालिनी को आगे झुकने को कहा तो उसने दीवार के सहारा लेकर अपने पैर फैला लिए और गांड बाहर निकाल कर खड़ी हो गयी।

इस पोज़ में खड़ी अपनी बेटी को 30 सेकंड निहार कर मन में उस जवानी की दाद देने के बाद दीनानाथ ने आगे बढ़ कर शालिनी की चूत पर जीभ रख दी।

नन्ही सी चूत दीनानाथ के होंठों में पूरी तरह ढक गयी।

दाने पर जीभ की रगड़ पड़ते ही शालिनी सीत्कार उठी।

दीवार से उसके हाथ सरक गए और हल्की धम की आवाज़ के साथ उसका सिर दीवार से टकराया।

आवाज़ सुन कर दीनानाथ ने अपना मुँह हटाया और शालिनी का हाल पूछा.

जिस पर शालिनी ने सिस्कारते हुए वापस चाटते रहने का हुक्म दिया और दोनों हाथों में अपने चूचे पकड़ कर मसलने लगी।

बेटी की बेचैनी और तड़प देख दीनानाथ मन ही मन मुस्कुराया और वापस शालिनी की चूत चाटने लगा।

वो दोनों चूतड़ों को फैला कर बारी बारी से चूत और गांड चाट रहा था।

शालिनी को मानो स्वर्ग का आनंद मिल रहा हो!​
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