Update 03
सरिता और चंचल दोनो जा कर एक टेबल पर बैठ गयी। और खाने का आर्डर करने लगी। तभी वो आदमी वहां से जल्दी से बाहर निकल गया। वो आदमी कुछ सोचता रहा । फिर मुस्कुराते हुए वहां से चला गया।
थोड़ी देर बाद चंचल और सरिता खाना खा कर रेस्टॉरेंट से घर की और जाने लगी। जब सरिता कार निकाल कर ड्राइव करते हुए चंचल के साथ जा रही थी। उस वक़्त भी एक पेड़ के पीछे से चिप कर कोई उन्हें देख रहा था।वो कोई और नहीं बल्कि वही व्यक्ति था जो उन्हें रेस्टॉरेंट में भी देख कर चोंक पड़ा था।
अब आगे.
सरिता और चंचल इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी की कोई उन पर नज़र रख रहा है। वहीं वो व्यक्ति किसी सोच में डूब गया था। तभी उस व्यक्ति के पास एक कॉल आया। जब उस व्यक्ति ने कॉल उठाया तो थोड़ा सा परेशान हुआ फिर थोड़ा सा गुस्सा आया। लेकिन अगले ही पल उसका गुस्सा और परेशानी दोनो एक हो गए। मेरा मतलब उसके आव भाव से किसी साज़िश मैं फंसे होने का किसी को भी भान हो जाये। या फिर हो सकता है वो किसी मुसीबत में हो? या फिर किसी मुसीबत की कश्ती का मांझी हो। खेर वो आदमी फोन कॉल के कट होने के बाद कब वहां से फ़ुर्र हुआ और कहां गया कोई कह नही सकता।
सरिता और चंचल घर पहुंच कर. .
चंचल: चल यार घर का दरवाजा खोलते है और अंदर चल कर आराम करते है।
सरिता : दीदी आप तो ऐसे बोल रही है जैसे आप आज पहली बार घर में प्रवेश कर रही हो?
चंचल: अरे यार सुरेश के बिना अकेले तो मैं आज पहली बार ही आ रही हूं इस घर में. . ।
चंचल और सरिता दोनो सरिता की इस बात पर हंस पड़ती है।
सरिता गेट का ताला खोलती है और दोनों साथ में घर मे घुसती है।
चंचल अपने बैडरूम में जाकर चेंज करने लगती है वहीं सरिता राज के पुराने कमरे में जहां राज शादी से पहले रहता था, वह शिफ्ट हो जाती है और अपने कपड़े बदलने लगती है।
करीब आधा घंटे बाद. .
एक फ़ोन कॉल आता है।
चंचल: हेलो. . . सुरेश?
सुरेश: हेलो चंचल? तुम सुन पा रही हो ना मुझे. . ?
चंचल: हाँ सुरेश लाउड एंड क्लियर। तुम ठीक हो ना। क्या तुम पहुंच गए।
सुरेश : नहीं सरिता । एक्चुअली हुम् लोग फिलहाल कैनडा है। कल सुबह यहां से पेरिस का है।
चंचल: ओक जान ई मिस यु अलॉट।
सुरेश: मी टू जानू, ओके लिसेन , तुम्हे काल आफिस जाना है। सीधे मेरे केबिन में। देखो तुमने कई बार जॉब करने के किये कहा। जबकि हमारे पास काफी पैसे थे फिर भी क्योंकि तुम घर पर बोर हो जाती थी। अब तुम्हे मौका मिल रहा है बॉस बनने का। घर के साथ साथ आफिस का बॉस भी अब तुम ही रहोगी।
चंचल: वो सब तो ठीक है सुरेश लेकिन बॉस तो आप ही रहेंगे ।
सुरेश: थैंक यू आका, साहेब. हा हा हा हा, अच्छा सुनो मैंने रघुनाथ को बोल दिया है कि वो तुम्हे सारा काम समझा दे। एक बात का ध्यान रखना जान हमारा कोई भी पार्टनर और नई टेंडर वाले , या फिर कोई नई क्लाइंट कोई भी नाराज ना हो। क्योंकि इसका बुरा असर हमारे बिज़नेस पर पड़ेगा। और कोई ज्यादा दिक्कत हो तो मुझे कॉल करना।
चंचल: ओके जान, कल 10 बजे तक मैं आफिस में चली जाउंगी।
सुरेश: ओके, और सरिता आ गयी?
चंचल: हाँ लेकिनsss. .
सुरेश: लेकिन क्या?
चंचल: सुरेश जब मैं आफिस चली जाउंगी तब सरिता अकेली नही पड़ जाएगी यहां घर पर?
सुरेश: हैं सो तो है, पर क्या करें।
चंचल: सुरेश क्यों ना इस एक महीने के किये कोई काम करने वाली को देख ले।
सुरेश: तुम्हारा दिमाग खराब है, अगर माँ को पता लगा तो. ?
चंचल: कम ऑन सुरेश , अगर माँ को और बातों का पता लगा तो ज्यादा मुसीबत होगी एक नोकरानी से कौनसा पहाड़ टूट पड़ेगा।
सुरेश को चंचल के शब्द एक पल को ब्लैकमेलर जैसे लगे लेकिन अगले ही पल सुरेश को भी एक नौकरानी की कमी महसूस हो गयी।
सुरेश: ठीक है चंचल , लेकिन सिर्फ एक महीने के लिए। और माँ से रेगुलर टच में रहना।
चंचल: (खुश होते हुए) स्योर सुरेश यु डोंट वरि अबाउट देट।
सुरेश : ओक बाय जान, आई लव यू।
चंचल: मूssssवाह ,लव यू टू
फ़ोन कट
दोनो आने वाले कल से बेफिक्र नींद के आगोश में चली जाती है।
सुबह जल्दी चंचल की आंख खुल जाती है। चंचल सरिता को बहुत चाहती है। सरिता चंचल के लिए एक देवरानी मात्र नहीं बल्कि उसकी एक छोटी बहन और एक सहेली की तरह है। चंचल को मालूम था कि आज उसे आफिस जाना है। इसलिए जल्दी उठ कर फटाफट घर का काम करने में लग गयी। और फिर सोचने लगी कि आखिर नौकरानी के लिए किस से बात करे? तभी उसके दिमाग मे अपनी पड़ोसन की याद आती है। उनके घर रोज सुबह और शाम को काम वाली आती है। लेकिन एक ही प्रॉब्लम है जो आती है वो घरों की बातें इधर की उधर मिर्च मसाला लगा कर जड़ती है। चंचल कुछ देर सोच विचार करके फिर एक निर्णय लेती है।
करीब आधे घण्टे मैं चंचल ने घर का काम निपटा दिया। हालांकि घर बहुत बड़ा था लेकिन चंचल को सिर्फ वही काम करना था जहां पर वो लोग रहते है। इसलिए काम जल्दी खत्म हो गया। चंचल फटाफट काम खत्म करके दो कॉफ़ी बनाती है और सरिता के रूम की और जाने लगती है।
चंचल सरिता के रूम के पास जाकर डोर नॉक करती हैं और साथ ही सरिता को आवाज भी देती है।
चंचल : सरिता. . सरिता।।।। कॉफ़ी लेलो ।।
सरिता के कानों में जैसे ही चंचल के शब्द गूंजते है तुरंत उठ खड़ी होती है। सरिता बहूत ही मीठी नींद में थी। सरिता जल्दी से दरवाजा खोलती है और कॉफ़ी लेते हुए।
सरिता : दीदी आप क्यों परेशान हो रही है। मैं कर लुंगी ये सब।
चंचल: हाँ हाँ पता है तू कर लेगी। हा हा हा हा,
चंचल हंसते हुए सरिता को नोटिस कर रही थी।
सरिता भी चंचल के इस तरह बोलने पर हंस पड़ती है। दोनों साथ कॉफ़ी पीते हुए नौकरानी और आफिस की बातें करती है। साथ ही चंचल सरिता को बताती है कि नाश्ता तैयार है। खाना बाहर खाये तो अलग बात है वरना खाना फिलहाल तो सरिता को बनाना पड़ेगा। और नौकरानी के लिए पड़ोस में आंटी को चंचल बोल देंगी। और काफी बातें चंचल सरिता को बता रही थी जिसे सरिता सुने जा रही थी। कुछ समझ रही थी तो कुछ ऊपर से जा रही थी। तभी बातों बातों में घड़ी में 9 बजने का घंटा बजा। जिसके साथ ही चंचल भी आफिस के लिए रवाना हो गयी। ऑफिस दूर है थोड़ा सा तो जल्दी जाना ही बेहतर था। और फिर आज पहले दिन ही लेट होना अच्छा नहीं हैं ना। इसलियर सरिता ने किसी को फ़ोन किया। करीब 15 मिनट के बाद एक आदमी आकर खड़ा हो गया।
ये एक ड्राइवर था।जो पहले सुरेश के लिए काम करता था। लेकिन फिर किसी कारण से इसने काम छोड़ दिया था। अब ये वापस कैसे आया ये तो बाद कि बात है। फिलहाल तो चंचल उसके साथ कार में बैठ कर आफिस जा रही है।
करीब 9. 45 बजे चंचल आफिस पहुंचती है। सारा आफिस स्टॉफ चंचल का स्वागत करता है। चंचल इस वक़्त टिपिकल सारी लुक में थी। लेकिन थी तो बॉस।
स्टॉफ की ओरी भीड़ में एक आदमी था। जो थोड़ा सा नाराज और गुस्से में था। लेकिन उसके चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी। मजे की बात ये है कि ये कोई और नहीं बल्कि वही आदमी है जिसने काल सरिता और चंचल को कल रेस्टॉरेंट में देखा था।
चंचल: (खुश होते हुए) स्योर सुरेश यु डोंट वरि अबाउट देट। माँ से तो में रेगुलेट टच में रहूंगी।
सुरेश : ओके बाय जान, आई लव यू।
चंचल: मूssssवाह ,लव यू टू
फ़ोन कट
दोनो आने वाले कल से बेफिक्र नींद के आगोश में चली जाती है।
अब आगे. . .
वहीं सुरेश भी कई ख्यालों में गुम था। सबसे बढ़कर सुरेश को लग रहा था कि पता नही चंचल बिज़नेस हेंडल कर भी पाएगी की नहीं।
( 2 हफ्ते मतलब 15 दिन का चंचल आफिस में )
पहला दिल सुबह:- सुबह चंचल जल्दी उठ कर तैयार होती है और आफिस के लिए निकल जाती है।
सरिता भी उसे विदा करते हुए विश करती है। चंचल का सभी आफिस स्टाफ फूलों से और गुलदस्तों से स्वागत करता है। करीब दस मिनट बाद चंचल के सामने एक 6 फुट का आदमी आता है। एक जबरदस्त पर्सनालिटी का आदमी। नाम रघुनाथ।
चंचल और रघुनाथ का इंट्रो होता है। इंट्रो के बाद रघुनाथ चंचल को उसका अपोइन्टमेन्ट लैटर और और एग्रीमेंट दोनों सौंप देता है। चंचल दोनों को साइन करके सुरेश को मेल करने को बोल देती है। करेब 4 से 5 दिन तक चंचल आफिस का काम समझने में लगते है। हालांकि चंचल एक बी ए की टॉप स्टूडेंट रह चुकी है जिससे भी उसे बिज़नेस समझने में कोई खास परेशानी नहीं हुई। इन्हीं 4-5 दिनों में चंचल ने एक नौकरानी भी घर में रख ली।जिसका नाम लता था।
लता दिखने में थोड़ी सी मासूम थी लेकिन वास्तव में वो क्या थी ये तो वही जानती थी। लता एक नशा थी। और मुसीबतों की जड़ भी।दरअसल लता का बड़ा भाई एक दलाल था। लड़कियों को इधर से उधर करने के साथ साथ उन्हीं लड़कियों से लोगो को ठगने का काम करता था। सिक्युरिटी में लाता के भाई के खिलाफ तकरीबन 20-25 केस दर्ज थे, धोखाधड़ी, बलात्कार, चोरी, जालसाजी, ब्लैकमेलिंग, किडनेप के साथ साथ उसपर ड्रग और गाँझा बेचने का भी केस चल रहा था। लता के भाई के बारे में बाद में बताता हूँ।
लता जबसे चंचल के यहां काम करने आई थी तबसे ही लता पूरे घर का जायजा लेने में लगी थी। लता हर एक चीज को बारीकी से देखती और फिर उसी हिसाब से उस घर के आव भाव भांप लेती। इन्हीं 4-5 दिनों में लता को ये बात पता चली की चंचल और सरिता दोनों अकेली रहती है। उनका परिवार उनके साथ नहीं है। लेकिन फिर भी संभाल कर काम करना ही लता ने सही समझा। लता शायद किसी जालसाजी का हिस्सा थी। जिसके तहत वो फिलहाल उस घर का और घरवालों का जायजा ले रही थी।
करीब 7 से 10 दिन बाद चंचल अपनी कंपनी के अलग अलग पार्टनर्स और टेंडेरेर से बातें करने लगी। उन्हें कन्वेंस करने लगी और कंपनी को उसी लेवल पर मेन्टेन रखा जहां सुरेश ने छोड़ा था। इन 7-10 दिनों में चंचल ने खुद ही कई इम्पोर्टेन्ट निर्णय लिए जो कि कंपनी के बेहद फायदे मंद रहे। और कंपनी के शेयर भी नीचे नहीं गिरे बल्कि 2% ज्यादा बढ़ गए।
चंचल के दिमाग और उसकी मेहनत से प्रभावित होकर सुरेश ने अपना काम चंचल के हाथों में सौंप दिया। अब चंचल हर रोज कभी किसी पार्टनर तो कभी कोई क्लाइंट तो कभी कोई टेंडरेर से मीटिंग में व्यस्त रहने लगी। इन्हीं मीटिंग के दौरान चंचल की किसी से मुलाकात हुई। ये मुलाकात साधारण थी। लेकिन चंचल उससे काफी प्रभावित थी।
दरअसल चंचल की मिस्टर अरोड़ा के साथ एक मीटिंग थी। उनकी मीटिंग होटल सात सितारा में बुक थी। इस मीटिंग के दौरान मिस्टर अरोड़ा ने पूरी होटल में पार्टी ऑर्गनाइज करवाई थी। इसी पार्टी में चंचल की मुलाकात समीर से हुई। समीर बेहद हैंडसम और मस्कलर बॉडी का मालिक। हाथ में रेड वाइन का गिलास लेकर दूर एक कुर्सी पर हल्की मुस्कान के साथ सभी को देख रहा था। वहीं चंचल की नज़र समीर पर पड़ी।
लेकिन चंचल उससे अभी प्रभावित नही हुई थी। चंचल प्रभावित तब हुई जब उसकी बात समीर से हुई।
दरअसल चंचल और मिस्टर अरोड़ा की मीटिंग तकरीबन 2 -2. 3० घंटे चली होगी। इस दौरान चंचल और समीर की नज़र बार बार टकरा रही थी। ये बात 100% सच है कि समीर चंचल को अच्छा लगा लेकिन इतना भी नहीं कि वो अपनी मालिकाना हैसियत को छोड़ कर उससे बात करने लगे। इसलिए चंचल बस बार बार समीर की तरफ देलहति और समीर की नज़र सीधे चंचल की नज़रों से तकराती। जब मीटिंग खत्म हुई तो चंचल और मिस्टर अरोड़ा एक दूसरे से हाथ मिलाते हुए खड़े हुए। और जाने लगे। ठीक उसी समय जब चंचल ने मिस्टर अरोड़ा को अलविदा किया सरिता का फोन चंचल के फ़ोन पर आया।
सरिता: हेलो दीदी. ?
चंचल: हैं सरिता बोलो क्या हुआ?
सरिता : वो दीदी मैंने ड्राइवर को मेरे पास बुलाया है । एक्चुअली मेरी एक सहेली रेलवे स्टेशन है। वो उन्हें वह से यहाँ अपने घर छोड़ कर तुरन्त आपके पास आ जाएगा।
चंचल एक बार तो सरिता से ड्राइवर को फिर बुलाना चाहती थी । लेकिन फिर उसने सोचा कोई बात नही पूरे दिन काम कर रहें है थोड़ा रेस्ट भी हो जाएगा ।ये पार्टी एन्जॉय करते है। चंचल ने ऐसा सोच कर सरिता को बोल दिया कि ईट्स ओके।
सरिता फ़ोन रख देती है। सरिता के फ़ोन को रखते ही चंचल एक बार फिर समीर की तरफ देखती है और एक बार फिर से समीर और सरोता की नज़र एक दूसरे से टकराती है। चंचल को समीर की ये स्माइल बहुत परेशान कर रही थी। इस स्माइल से चंचल समीर से बात करने को बेचैन होने लगी। चंचल तुरंत समीर के पास जाकर. .
चंचल: एक्सक्यूज़ मी. क्या मैं आपको जानती हूँ।
समीर: (मुस्कुराता हुआ) जी नहीं आप मुझे नहीं जानती।
चंचलbananaथोड़ा उदास होते हुए) तो फिर आप मुझे कब से देख कर स्माइल कर रहै थे। ऐसा क्यों?
समीर: (मुस्कुराता हुआ) वो क्या है ना मैं भी कब से आपको देख रहा था कि आप बार बार मुझे देख रही है शायद आप मुझे जानती हो, इस लिए स्माइल कर रहा था।
चंचल: ( मन ही मन) गधा कहीं का , कोई इसे देखेगा तो जय स्माइल देगा।
समीर: बिल्कुल गधा हूँ न में।
चंचल: (चौंकते हुए) जीssss क्या मतलब,
समीरbananaरेड वाइन का एक गिलास चंचल की और बढ़ते हुए) जी आपको जाने बिना आपकी तरफ देख कर स्माइल कर दिया। बूत रीज़न आपको जानने का ही है।
चंचल: सॉरी , मैं ड्रिंक नहीं करती, और ये जानने का क्या रीज़न है।
समीर:जी मैं जानता तो नहीं हूं बूत जान तो सकता हूँ ना आपको। अगर आप की इजाजत हो तो?
चंचल: (मुस्कुरागे हुए) तो जान लीजिए।
समीर: जी जान तो लूंगा लेकिन आप बताइए कैसे जानूँ आपको, क्या मुझे आपके बारे में जानना चाहिए या आपको?
चंचल: ये कैसा सवाल है? जानना तो दोनों ही चाहिए।
समीर: जी बिज़नेस मैन हूँ। डील तो डील होती है।
चंचल: बिज़नेस मैन? (चंचल मन ही मन समीर से डील करने का एक नया तरीका सीखने का मन बनाती है, क्योंकि चंचल को समीर की हाजिर जवाबी पसंद आ रही थी)
चंचल:अच्छा चलो आपकी डील मंज़ूर, फिलहाल तो आप मेरे बारे में ही जान लीजिए।
अभी समीर और चंचल की बातें चलते हुए आधा घंटा ही हुआ था कि चंचल का ड्राइवर वापस आकर चंचल को कॉल करता है। चंचल तुरंत कॉल काट कर उठ जाती है।
चंचल: सॉरी टाइम अप, अब मेरा ड्राइवर आ गया मुझे जाना होगा और आपके जानने का टाइम भी खत्म हुआ अब।
समीर: जी इतने टाइम में तो मैंने आपमे बारे में से। जान लिया।
चंचल: अच्छा ! इंटरेस्टिंग, ऐसा क्या जान लिया।
समीर: जी जब आप मीटिंग में थी तब आपका ड्राइवर कहीं चला गया था। और आपके आने Sके पहले मिस्टर अरोड़ा किसी कंपनी की असिस्टेन्ट डायरेक्टर की बात कर रहे थे मतलब आप एक बिज़नेस वीमेन है । गले में मंगलसूत्र और माथे मैं सिंदूर मतलब शादी शुदा है। और आप साड़ी में है मतलब की आपकी कमपनी के बॉस या तो आपके पति है या आपमे ससुर।, या फिर आपके डैड।
चंचल:हाऊ? कैसे इतना सब कुछ।
समीर : अब तो ये ड्रिंक ले लीजिये हमारी दोस्ती के नाम? ये ड्रिंक नही है। और हां ये रहा मेरा कार्ड इसके पीछे मेरे पर्सनल नम्बर है। अगर दिल करे हमसे बात करने का तो कॉल करना। वैसे तुम हो बहुत खूब सूरत।
समीर चंचल से इतना बोलकर तुरंत वहां से निकल गया लेकिन चंचल वहीं खड़े खड़े समीर के बारे में सोचती रही। उसे एक और समीर से हुई ये पहली मुलाकात इंटरेस्टिंग लगी वही दूसरी और वो डर ही रही थी। ये तो खुद चंचल को भी पता नही था कि वो डर क्यों रही है। इसी डर के चलते चंचल कुछ भी समझ नहीं पा रही थी। चंचल ने समीर के दिये हुए कार्ड को फेंकने चाहा लेकिन उसी वक़्त उसके ड्राइवर का कॉल आ गया। ड्राइवर का कॉल देख कर चंचल ने तुरंत समीर का कार्ड अपने पर्स में रखा और ड्राइवर के साथ कार में बैठ कर आफिस गयी। करीब 2 घण्टे बाद चंचल आफिस से सीधे घर निकल गयी।
समीर : अब तो ये ड्रिंक ले लीजिये हमारी दोस्ती के नाम? ये ड्रिंक नही है। और हां ये रहा मेरा कार्ड इसके पीछे मेरे पर्सनल नम्बर है। अगर दिल करे हमसे बात करने का तो कॉल करना। वैसे तुम हो बहुत खूब सूरत।
समीर चंचल से इतना बोलकर तुरंत वहां से निकल गया लेकिन चंचल वहीं खड़े खड़े समीर के बारे में सोचती रही। उसे एक और समीर से हुई ये पहली मुलाकात इंटरेस्टिंग लगी वही दूसरी और वो डर ही रही थी। ये तो खुद चंचल को भी पता नही था कि वो डर क्यों रही है। इसी डर के चलते चंचल कुछ भी समझ नहीं पा रही थी। चंचल ने समीर के दिये हुए कार्ड को फेंकने चाहा लेकिन उसी वक़्त उसके ड्राइवर का कॉल आ गया। ड्राइवर का कॉल देख कर चंचल ने तुरंत समीर का कार्ड अपने पर्स में रखा और ड्राइवर के साथ कार में बैठ कर आफिस गयी। करीब 2 घण्टे बाद चंचल आफिस से सीधे घर निकल गयी।
अब आगे. . .
चंचल पूरे दिन की मीटिंग्स और आफिस वर्क से काफी थक गई थी इसलिए घर आते ही सबसे पहले तो चंचल नहाने के लिए वाशरूम चली गयी। नहाते वक्त जब शावर की बूंदे चंचल के बदन को स्पर्श करते हुए नीचे की और रेंगते हुए गिरने लगी तो उन पानी की बुंदिन से चंचल के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी।
चंचल आंखें मूंदे अपने शरीर के हर हिस्से को बड़ी ही नज़ाक़त से सहलाते हुए नहाने लगी।
और बस देखते ही देखते सावन में आग लग गयी। एक तो चंचल और सुरेश के बीच के शारीरिक संबंध बने हुए करीब करीब 15 दिन हो चुके थे। इन 15 दिनों में चंचल को सेक्स की बहुत जरूरत महसूस हुई लेकिन वो कर भी क्या सकती थी। लेकिन आज ये चंचल के बर्दाश्त के बाहर था।
चंचल अपने बदन को सहलाते हुए सुरेश को याद कर रही थी। तकरीबन 10 मिनट बाद चंचल वाशरूम से बाहर निकली। आते ही चंचल ने एक टॉवल अपने चारों और लपेट लिया। जो चंचल के अधकच्चे आमों से लेकर उसकी मांसल जांघों तक था। चंचल के गीले बालों से पानी की बूंदे उसके कंधो पर अपना बसेरा डाल रही थी। चंचल अपने बिस्तर पर लेट कर तुरंत अपना फ़ोन निकाला और सुरेश को कॉल कर दिया।
सुरेश कॉल पर :-
सुरेश : हेलो, डार्लिंग , कैसी हो?
चंचल: बहुत परेशान.
सुरेश: क्यों? क्या हुआ? कोई बिज़नेस प्रॉब्लम?
चंचल: नहीं तुम्हारे बिज़नेस को तो में संभाल लुंगी लेकिन मुझे कौन संभालेगा?
सुरेश: क्या मतलब? तुम्हे क्या हुआ? तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना?
चंचल: सुरेश कम ऑन, मुझे कुछ नहीं हुआ। बस तुम्हारी याद आ रही थी।
सुरेश : वह सॉरी डार्लिंग बस कुछ दिनों की बात और है फिर तो में आ ही रहा हूँ ना।
चंचल: सुरेश. . . एक्चुअली ई नीड यु नाउ!
सुरेश: क्या मतलब नाउ? मैं कैसे आ सकता हूँ अभी के अभी?
चंचल: ओह सुरेश ट्रॉय टू अंडर्सटेण्ड
सुरेश: चंचल जो भी कहना है साफ साफ कहो, तुम्हे मालूम है ना मैं अभी आफिस में हूँ। और अभी मीटिंग स्टार्ट होने वाली है।
चंचल: ओके देन लिसेन, मुझे सेक्स चाहिए।
क़रीब 2 मिनेट के सन्नाटे के बाद. .
सुरेश: ओह तो मेरी इतनी याद आ रही है। लेकिन मैं कैसे ? अभी ? जान तुम तो जानती हो ना।
चंचल: सुरेश हम फ़ोन सेक्स तो कर ही सकते है ना।
सुरेश: चंचल , कैसी बात कर रही हो? मैं आफिस में हूँ।
(सुरेश को एक लड़की उसकी मीटिंग के लिए सूचित करने आती है।
चंचल: यार थोड़ी ही देर की तो बात है और फिर. .
सुरेश: (चंचल की बात काट ते हुए) सॉरी चंचल आई हैव टू गो। और तुम ना ठंडे पानी से नहाओ वरना परेशान होती रहोगी। इन 15 दिनों में बहुत बदमाश बाते तुम्हारे दिमाग मे आने लगी है।
सुरेश चंचल पर हंसते हुए फ़ोन काट देता है और चंचल सुरेश सुरेश करते रह जाती है। बड़े बुझे मन से चंचल अपने बिस्तर पर कपड़े बदल कर लेट जाती है लेकिन आज उसका शरीर उसके बस में नहीं था। चंचल की चूत किसी भट्टी की तरह टप रही थी। चंचल इस वक़्त अपने पति के साथ के लिए तड़प रही थी और उसका पति उसकी परवाह किये बिना उस पर हंसते हुए फ़ोन काट देता है। चंचल ऐसे विचारों से घिर कर सुरेश पर गुस्सा कर रही थी।
सारी रात चंचल बिस्तर पर इधर उधर करवटें बदलती रही। नींद तो जैसे कोशों दूर थी। शरीर की गर्मी में तड़पते हुये चंचल को कब सुबह हो गयी उसे पता तक नही चला। कमरे में लगी एयर कंडिशनर तक चंचल के शरीर के ताप को कम न कर सके।
सुबह चंचल उठी तो जल्दी जल्दी तैयार होने लगी। तैयार होते हुए चंचल बार बार सुरेश की बेरुखी को कोस रही थी।
चंचल हालांकि सुरेश से बहुत प्यार करती है लेकिन फिलहाल वो उन हालतों से गुज़र रही है जिन में उसके लिए कुछ सोच पाना तक मुमकिन नहीं हो पा रहा। चंचल तैयार होने जे साथ ही जब आफिस के लिए जाने लगी ठीक उसी वक़्त नौकरानी लता भी घर मे आ जाती है। चंचल एक बार सरिता के रूम की तरफ जाने लगती है लेकिन फिर कुछ सोच कर वापस घर के बाहर निकलती है।
चंचल का ड्राइवर चंचल का ही इंतजार कर रहा था। चंचल के आटे ही उसने गाड़ी का दरवाजा खोला और चंचल के बैठते ही गाड़ी आफिस की और दौड़ा दी। चंचल गाड़ी की विंडो से बाहर की और देखते हुए कुछ सोच रही थी।
चंचल अपनी सोच में कुछ इस तरह से उलझ गयी कि उसे पता तक नही चला कि वो कब आफिस पहुंच गई। करीब दो मिनेट तक चंचल का ड्राइव चंचल के उतरने का वैट करता रहा लेकिन जब चंचल गाड़ी से नहीं उतरी तो मजबूरन उसे चंचल को पुकार कर उसके ख्यालों से बाहर लाना पड़ा। चंचल जैसे ही ख्यालों से बाहर आती है तुरंत खुद को मानसिक तौर पर आफिस के काम काज के लिए तैयार करती है और आफिस में चल देती है। आफिस में करीब 2-3 मीटिंग पुराने टेंडेरेर और एम्प्लोयी के साथ थी जिन्हें पूरा करने के बाद चंचल कुछ सोचने लगती है।
चंचल कुछ देर सोच कर मुस्कुराकर के सुरेश के पास कॉल लगाती है। करीब 2 बार पूरा फ़ोन करने के बाद भी सुरेश की तरफ से कोई जवाब नही मिलता जिस से चंचल और झुंझला जाती है। चंचल का सर दुखने लगता है। चंचल तुरन्त अपने पर्स से सर दर्द की दवा ढूंढने लगती है। लेकिन दवा की जगह चंचल के हाथ मे समीर का विजिटिंग कार्ड आ जाता है।
चंचल अपनी सोच में कुछ इस तरह से उलझ गयी कि उसे पता तक नही चला कि वो कब आफिस पहुंच गई। करीब दो मिनेट तक चंचल का ड्राइव चंचल के उतरने का वैट करता रहा लेकिन जब चंचल गाड़ी से नहीं उतरी तो मजबूरन उसे चंचल को पुकार कर उसके ख्यालों से बाहर लाना पड़ा। चंचल जैसे ही ख्यालों से बाहर आती है तुरंत खुद को मानसिक तौर पर आफिस के काम काज के लिए तैयार करती है और आफिस में चल देती है। आफिस में करीब 2-3 मीटिंग पुराने टेंडेरेर और एम्प्लोयी के साथ थी जिन्हें पूरा करने के बाद चंचल कुछ सोचने लगती है।
चंचल कुछ देर सोच कर मुस्कुराकर के सुरेश के पास कॉल लगाती है। करीब 2 बार पूरा फ़ोन करने के बाद भी सुरेश की तरफ से कोई जवाब नही मिलता जिस से चंचल और झुंझला जाती है। चंचल का सर दुखने लगता है। चंचल तुरन्त अपने पर्स से सर दर्द की दवा ढूंढने लगती है। लेकिन दवा की जगह चंचल के हाथ मे समीर का विजिटिंग कार्ड आ जाता है।
अब आगे. . .
समीर के दिये हुए विजिटिंग कार्ड को चंचल तकरीबन पांच मिनट तक देखती रहती है। चंचल ये निर्णय नहीं ले पा रही थी कि आखिर वो क्या करे? समीर से बात करे कि नहीं? चंचल को समीर से बात करके अच्छा लगा था लेकिन समीर का बात करने का अंदाज़ बहुत एडवांस और फ्लिर्टी था। जिस कारण से चंचल फिलहाल इस अवस्था मे बात नहीं करना चाहती थी जहां उसकी मनोदशा केवल ओर केवल अपने पति सुरेश के संपर्क को चाहती है।
चंचल एक बार फिर से सुरेश को कॉल लगाती है लेकिन फ़ोन लगने के साथ ही सुरेश चंचल का फ़ोन काट देता है। अब चंचल के लिए ये सब बर्दाश्त के बाहर था। चंचल कुछ देर सोचती है। और समीर के कार्ड को अपने होंठों पर फिराते हुए विचार करने लगती है। कुछ ही क्षणों में चंचल मानसिक तौर पर समीर से बात करने को तैयार हो जाती है और समीर को कॉल लगा देती है।
वहीं दूसरी और समीर अपने कमरे में बैठा हुआ रेड वाइन पी रहा होता है।
समीर जिस कमरे में रह रहा था वो किसी फाइव स्टार होटल से कम नही था। ये समीर का फार्म हाउस था। जैसे ही चंचल का कॉल समीर के फ़ोन पर आता है समीर कुछ देर तक फ़ोन को देखता रहता है। फिर उस फ़ोन को अपने सामने पड़ी टेबल पर से उठा कर कॉल अटेंड करने ही वाला होता है कि समीर कुछ सोच कर मुस्कुरा देता है और फ़ोन को वापस टेबल पर रख देता है। करीब 4 से 5 मिस्ड कॉल लगातार वो भी चंचल की और समीर उस कॉल को देख कर मुस्कुराता रहता है।
समीर अब काफी देर बाद एक गिलास में रेड वाइन डाल कर फिर से पीने ही वाला प है कि फिर से चंचल की कॉल आती है लेकिन समीर इस बार भी अटेंड ना करके मुस्कुराता हुआ रेड वाइन पिने लगता है। तभी जोर से समीर के कमरे का दरवाजा खुलता है।
समीर पीछे की तरफ घूम कर देखता है तो मुस्कुरा पड़ता है।
समीर: अरे आईये आईये मैडम चंचल. आप? यहां? यूँ अचानक? सब खैरियत तो है ना? (मुस्कुराते हुए)
चंचलbananaमील जुले भावों से) तुमने कॉल क्यों नही अटेंड किया।
समीर: वो क्या है ना मेरा दिल नही कर रहा था किसी से भी बात करने का तो.
समीर के इस तरह के जवाब से चंचल की आंखों से आंसू छलक आये लेकिन फिर भी कैसे जैसे चंचल उन आंसुओं को छिपाने में सफल हो जाती है। समीर को भी इस बात की भनक पड़ गयी थी लेकिन समीर बिना चंचल की तरफ देखे उसे अपने सामने वाले सोफे पर बैठने का आग्रह करता है।
लेकिन चंचल के पैर तो अब हिल भी नहीं रहे थे। चंचल एक बार फिर से ख्यालों में गुम थी। चंचल को ये समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो समीर के पास क्यों आयी है? और यहां एक अनजान शख्स के पास आकर इस तरह इमोशनल होने का क्या मतलब निकला? मैं कैसे उसे अपना कॉल अटेंड करने के लिए फ़ोर्स कर सकती हूं?
चंचल अभी ख्यालों में गुम थी कि समीर अपनी सीट से उठ कर चंचल की तरफ बढ़ता है। समीर हौले से चंचल के पास जाकर फुसफुसाता हुआ चंचल के कान में बोलता है।
समीर: तो आपको हमारी दोस्ती मंज़ूर नही थी। फिर आप यहां क्यूँ आयी।
(चंचल अब समीर की फ्लर्टी बात पर मुस्कुरा पड़ती है)
चंचल: वो क्या है ना अब वो अनजान शक़्स हमे दोस्त नज़र आता है।
समीर: नो वे, अब मुझे उसकी दोस्ती मंज़ूर नहीं।
चंचल: (चोंकते हुए) व्हाट? पर क्यों? मैंने क्या गलत किया?
समीर: यु हर्ट माय इगो। इसलिए अब मुझे आपकी दोस्ती मंज़ूर नहीं।
चंचलbanana मुस्कुराते हुए) तो अब हमारा दोस्त हमसे क्या चाहता है।
समीर: मेडम चंचल मैंने कहा ना मुझे किसी से दोस्ती नही करनी। और जो मैं चाहता हूं वो आप नही कर सकती सो लीव इट। चलिए ये बताईये चाय लेंगी आप या कॉफी , ठंडा वगैरा।
चंचल: अपने दोस्त को मनाने के लिए जो करना पड़ा वो करूँगी।
समीर: क्यों ज़िद कर रही हो तुम चंचल ये तुम्हारे बस की बात नहीं है। एक तो तुम अमीर परिवार से हो, ऊपर से बिज़नेस वुमन हो।
चंचल: मैं अपनी दोस्ती के लिए कुछ भी कर सकती हूं।
समीर: सोच लो फिर मुकर मत जाना।
चंचल: सोच लिया जब इतनी दूर आयी हूँ तो दोस्ती तो लेकर ही जाउंगी।
समीर: एक बार और सोचलो।
चंचल: अरे बाबा सोच बोलो क्या करना है।
समीर: तुम्हे मेरी ग़ुलाम बनना है। आई वांट यू एज़ माय स्लेव।
चंचल समीर की मुह से निकली बात को सुनकर चोंक जाती है और वही की वही खड़ी रह जाती है। चंचल के मोह से बोल नही फुट रहे थे।
समीर: क्या हुआ? अब नही करनी दोस्ती। अब जाओ अपना बिज़नेस संभालो।
समीर वापस अपने सोफे की तरफ जाने लगता है तभी पीछे से चंचल बोलती है।
चंचल: मुझे मंज़ूर है।
समीर: आर यू स्योर?
चंचल: यस
समीर: देखलो एक बार मेरी स्लेव बनने के बाद तुम्हारे लिए सबसे ज़रूरी सिर्फ में रहूंगा कोई और नहीं।
चंचल: (कुछ देर सोचते हुए) मुझे मंज़ूर है।
समीर सोफे के पास पड़े एक डिब्बे से हाथ पर बांधने वाला बेंड निकालता है और उसे चंचल के हाथ पर पहना देता है।
समीर: ये तुम्हारा मेरी स्लेव होने का प्रूफ है । वादा करो तुम इसे कभी नहीं उतारोगी।
चंचल: ठीक है नहीं उतारूंगी, लेकिन ये मेरे लिए बहुत चीप नही है।
समीर: वो तो वक़्त बताएगा। अभी तुम आफिस जाओ। जब तुम्हारे मालिक को तुम्हारी ज़रूरत होगी तुम्हे कॉल कर दूंगा। और हां आज के बाद तुम्हे हर काम के लिए मुझसे परमिशन लेनी होगी। खाना खाना हो या नहाना धोना हो, कपड़े बदलने से लेकर क्या पहनना है यहां तक भी।
चंचल: व्हाट?
समीर: चंचल का हाथ पकड़ कर उसे दरवाजे के बाहर धकेल देता है । अब जाओ और आज पहली गलती थी इसलिए माफ किया। अगली बार पनिशमेंट दूंगा। और सुनो अगर मेरे कहे अनुसार नही किया तो तुम मेरी स्लाव नहीं मैं तेरा मालिक नहीं। उस दिन के बाद से तुम मुझसे कोई बात नहीं करोगी।
चंचल कुछ बोलना चाहती लेकिन समीर ने उसके मुंह पर दरवाजा बंद कर दिया। चंचल काफी कोशिश करती है समीर से बात करने की लेकिन समीर चंचल से कोई बात नही करता। चंचल बन्द दरवाजे से अपने ऑफिस की और चली जाती है।
करीब 2 से ढाई घंटे तक चंचल ये विचार करती रहती है कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं। क्या समीर की स्लेव बनना?? मैंने ऐसा कैसे कर दिया? और क्यों? ओह शिट अब क्या करूँ। चंचल का एक मन तो समीर के प्रपोजल को स्वीकार कर चुका था लेकिन एक मन उसे अभी भी रोक रहा था। चंचल थक हार कर अपने घर की और निकलने लगती है कि तभी चंचल के पास एक पार्सल लेकर कोई लड़की आती है और चंचल को देकर वापस चली जाए है पार्सल पर समीर का नाम लिखा हुआ था और साथ ही एक चिट्ठी भी थी।
चंचल जल्दी से पार्सल को हाथ मे लेकर अपनी गाड़ी में बैठ जाती है और घर निकल जाती है। रात का खाना सबके साथ खा कर चंचल अपने कमरे में जाति है। बार बार चंचल की नज़र उस पार्सल पर जाती है जो कि समीर ने चंचल के लिए भेजा था। चंचल डरे हुए मन से उस पार्सल को उठती है और उसपर लगी चिट्टी को पढ़ने लगती है।
चिट्ठी:-
चंचल तुमने मेरी स्लेव होने का जो निर्णय किया है , में देखना चाहता हूं कि तुम उसके लायक भी हो या नहीं। इसलिए तुम्हे ये पार्सल भेज रहा हूँ । अगर काल तुम ऑफिस में ये कपड़े पहन कर आओगी तो में समझूँगा तुम पूरी तरह से मेरी स्लेव बनने के लायक हो और अगर नहीं पहना तो इस बात को यहीं खत्म कर दूंगा। ना में तुम्हे जानता हूँ और ना ही तुम मुझे।
चंचल चिट्ठी को पढ़ कर पार्सल को खोलती है तो चोंक जाती है। पार्सल में मॉडर्न कपड़े थे। जो कि अभी तक चंचल पहन कर आफिस में नहीं गयी थी। न ही उसके घर मे ये सब जायज थे। चंचल विचार करती है कि वो ये सब नहीं करेगी। अपने मन को पक्का कर के मन ही मन कहती है वो सिर्फ सुरेश की ग़ुलाम है और किसी की नही।
चंचल सुरेश को कॉल करती है करीब 3 कॉल काटने के बाद सुरेश चंचल की कॉल रात को 1 बजे अटेंड करता है।
सुरेश: क्या यार चंचल कितना परेशान करने लगी हो तुम। जब एक बार कॉल काट दिया तो समझ नही आ रहा कि मैं बिजी हूँ।
चंचल: प्लीज सुरेश ऐसे मत बात करो। तुम जानते हो न मैं तुम्हे कितना प्यार करती हूं। तुम्हे बहुत याद करती हूँ।
सुरेश: तो क्या करूँ काम धाम छोड़ कर चढ़ जाऊं तुम पर। अगर इतनी ही आग है तू किसी और को चढ़ा लो। मुझे काम के वक़्त परेशान करना भगवान के लिए बंद करो।
चंचल: सुरेश बकवास बैंड करो। मैं तुम्हारी बीवी हूँ। और तुम किस बात का गुस्सा मुझ पर उतार रहे हो। क्या एक बीवी अपने पति को कॉल भी नही कर सकती।
सुरेश: ( अपनी गलती का एहसास करते हुए) देखो चंचल.
चंचल: बस बहुत हुआ मिस्टर सुरेश, में आपकी पत्नी हूँ कोई ग़ुलाम नहीं।
सुरेश: चंचल. सुनो तो।
चंचल गुस्से में फ़ोन काट देती है और बिस्तर पर उल्टी लेट कर रोने लगती है। सुरेश के एक एक शब्द चंचल के सीने को छल्ली कर रहे थे। रोते रोते कब सुबह हो गयी चंचल को भी पता नहीं चला। चंचल ने जब अपना मोबाइल देखा तो उसमें सुरेश की तकरीबन 10 से 12 मिस्ड कॉल थी। चंचल गुस्से में फ़ोन को बिस्तर पर पटक कर बाथरूम में नहाने चली जाती है।
सुरेश: ( अपनी गलती का एहसास करते हुए) देखो चंचल.
चंचल: बस बहुत हुआ मिस्टर सुरेश, में आपकी पत्नी हूँ कोई ग़ुलाम नहीं।
सुरेश: चंचल. सुनो तो।
चंचल गुस्से में फ़ोन काट देती है और बिस्तर पर उल्टी लेट कर रोने लगती है। सुरेश के एक एक शब्द चंचल के सीने को छल्ली कर रहे थे। रोते रोते कब सुबह हो गयी चंचल को भी पता नहीं चला। चंचल ने जब अपना मोबाइल देखा तो उसमें सुरेश की तकरीबन 10 से 12 मिस्ड कॉल थी। चंचल गुस्से में फ़ोन को बिस्तर पर पटक कर बाथरूम में नहाने चली जाती है।
अब आगे.
चंचल नहा कर एक टॉवल अपने बदन पर लपेट कर अपने बेडरूम में आ जाती है।
अपना हेयर ड्रायर निकाल कर अपने बालों को सुखाते हुए बार बार सुरेश के रवैये के बारे में सोच रही थी। और उसी सोच में चंचल को कभी रौना आ रहा था तो कभी सुरेश पर गुस्सा।
चंचल अपने बाल सूखा कर जैसे ही अपने कपड़ों के ड्रॉर को खोलती है तो उसकी नज़र उस पार्सल पर पड़ती है जो कल समीर ने चंचल को दिया था। चंचल करीब पांच मिनट तक उस पार्सल को देखती रहती है लेकिन फिर उस पार्सल को उठा कर वो कपड़े पहनने लगती है।
कुछ ज्यादा मॉडर्न कपड़े तो थे नही न ही छोटे थे जिन्हें पहनने में चंचल को कोई आपत्ति होती। एक पेंसिल स्कर्ट और टॉप था।
चंचल ने उसे पहना और थोड़ा सा मेकअप किया फिर खुद को एक बार फिर से आईने में देखा तो चंचल शर्मा कर रह गयी। दर असल चंचल अपने मासूम चेहरे के कारण 21-22 साल की लड़की लग रही थी। लेकिन अपने फिगर के कारण वो 25 - 26 साल की कॉलेज गर्ल लग रही थी जिसकी शादी की उम्र हो। और इस मॉडर्न ड्रेस में चंचल बहुत ग्लैमरस लग रही थी। चंचल अपने बेडरूम से बाहर निकलती है तो देखती है सरिता और बाहर खाने पर उसका इंतजार कर रही थी। और उसकी नौकरानी घर का काम। सरिता की नज़र जैसे ही चंचल पर पड़ती है तो सरिता एक बार तो देखते ही रह जाती है।
सरिता: वाव दीदी यु लुक सो अमेज़िंग आमद सो ब्यूटीफुल।
चंचल: हट पगली, कब मुझे सताएगी तू।
दोनो बहने मिलकर हसने लगती है।
सरिता: लेकिन दीदी आज अचानक मॉडर्न ड्रेस कैसे? मैंने आपसे कहा था तब तो.
चंचल: वो क्या है ना अब आफिस में मुझे हर तरफ़ से एक्टिव रहना होगा ना। अंगार हर बार साड़ी में जाउंगी तो मेरे अपने आफिस वाले मुझे ओल्ड फैशनड नहीं समझेंगे।
सरिता: वो तो है दीदी। लेकिन क्या एक ही ड्रेस रोज रोज पहनोगे या फिर और भी लायी है आप।
चंचल: (कुछ सोच कर) अरे नहीं नहीं एक ही ड्रेस क्यों और भी है। और कम पड़ी तो तू है ना ले आना।
एक फिर से दोनों मुस्कुरा पड़ी। चंचल अपना खाना खत्म करके आफिस की और निकल पड़ती है। आज पहली बार ड्राइवर ने चंचल को इन कपड़ो में देखा था। लेकिन ड्राइवर ने तुरंत अपनी नज़रें फेर ली। चंचल का इस बात पर कोई खास ध्यान नही था।
चंचल कार में बैठे बैठे समीर को कॉल करती है लेकिन समीर कॉल अटेंड नहीं करता बल्कि चंचल का कॉल काट देता है। करीब पांच मिनट बाद चंचल के फ़ोन पर एक मैसेज आता है। ये समीर का मैसेज था। चंचल तुरन्त मैसेज को पढ़ती है।
मैसेज:-
देर चंचल मैंने तुम्हें जो पार्सल दिया था यदि तुम वो कोड़े पहन कर आई हो तो सीधे आफिस निकल जाना। मैं वही पर मिलूंगा। अगर उन कपड़ों में तुम नहीं आयी हो तो में तुम्हारे आफिस से बिना तुमसे मिले निकल जाऊंगा।
चंचल वो मैसेज पढ़ कर एक बार तो बहुत कन्फ्यूज्ड होती है लेकिन अगले ही पल चंचल खुद को समझा लेती है। ड्राइवर कार को आफिस के सामने रोक देता है। कार के रुकते ही चंचल उतर कर अपने आफिस में जाने लगती है। जैसे ही चंचल आफिस में एंटर करती है सारा स्टाफ चंचल को गुड मोर्निंग विश करता है साथ ही चंचल का लुक देख कर सरप्राइज भी होता है। हक़ीक़त तो ये थी कि सारा स्टॉफ चंचल को अब तक ओल्ड फैशनड समझने लगा था लेकिन आज का लूके देख कर आफिस स्टाफ का पॉइंट ऑफ व्यू बदल गया।
करीब 15 या 20 मिनट के चंचल के केबिन में रघु आता है।
रघु: हेलो मैडम, अभी मिस्टर समीर का अपॉइंटमेंट है।
चंचल: समीर . ओके. उन्हें मेरे केबिन में भेज दो।
रघु: जी मेडम.
रघु बाहर जाकर समीर को चंचल के केबिन में भेज देता है।
समीर: गुड मॉर्निंग मेडम
चंचलbananaमुस्कुराते हुए) गुड मॉर्निंग माय मास्टर समीर. .
समीर: अरे नहीं नहीं मैडम मैं आपका अभी मास्टर नहीं हुआ हूँ । ये कपड़े पहन कर तो आपने अभी तक ये साबित किया है कि आप दिल से मेरी स्लेव बनना चाहती है। लेकिन अभी तो आपको ये साबित करना है कि क्या आप मेरी स्लाव बनने के लायक है भी की नहीं।
चंचल: और वो सब साबित करने के लिए मुझे क्या करना होगा।
समीर: मेरे चार काम करने होंगे आपको। और वो ऐसे काम होंगे जो केवल मेरी पक्की स्लेव कर सकती है जिसके लिए मैं भी कुछ भी कर सकता हूँ।
चंचल: अच्छा बोलो क्या करना है।
समीर: ये लो (एक पैकेट चंचल की तरफ बढ़ाते हुए) इस आफिस से बाहर निकल कर ये कपड़े पहनना और सीधे मेरे फार्म हाउस पर आ जाना। और हाँ चंचल के कान के पास जाकर । नो इनरवेयर ओनली ड्रेस। याद रखना वरना वही से वापस लौट जाना और मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना।
समीर बिना चंचल की बात सुने मुस्कुराता हुआ चंचल के केबिन से बाहर निकल जाता है।
चंचल ने समीर के पहले पैकेट को स्वीकार करके ये साबित कर दिया था कि वो जल्दी से समीर को किसी बात के लिए इनकार नहीं कर सकती
चंचल: समीर समीर (समीर को चंचल रोकने का असफल प्रयास करती है)
अब चंचल के लिए ये नई मुसीबत थी। लेकिन चंचल को ये पता नहीं था कि वो क्या करे। समीर ने उसे कैसे कपड़े दिए है। आखिर समीर चाहता क्या है?
करीब चार घंटे बाद समीर का कॉल चंचल के पास आता है।
समीर: अगर मेरी स्लेव बनना है तो आ जाओ, अभी
चंचल: लेकिन समीर (फ़ोन काट)
चंचल फ़ोन को एक टक देखती रहती है। उसे समीर का सुरेश की तरह फ़ोन काटना बिल्ककुल पसंद नहीं आता। चंचल कैसे - जैसे हिम्मत करके आफिस से बाहर निकलती है। और पास के बने मॉल में जाकर चेंजिंग रूम में घुस जाती है। चेंजिंग रूम में चंचल समीर का दिया हुआ पैकेट खोलती है। चंचल के लिए सब बिल्कुल सामान्य नहीं था। कल जो पैकेट दिया था उसमें और आज के पैकेट में बहुत अंतर था। इस तरह के कपड़े चंचल ने ना तो कभी पहने थे ना ही वो पहन सकती थी। इस तरह के कपड़े केवल और केवल अंग प्रदर्शन और अश्लीलता को भड़काने के काम आते है।
ये एक टॉप था जो कि बैकलैस था। लेकिन चंचल ने फिर भी पता नही क्या सोच कर उस कपड़े को पहनने का निर्णय ले लिया। चंचल चेंजिंग रूम में वो कपड़े पहन कर बाहर अपने को सामने लगे आईने में निहारती है। चंचल इस वक़्त वाकई में ऐसी लग रही थी जैसे कई पुरुषों को आकर्षित करने के उदेश्य से उसने अपने जीवन मे पहली बार सेक्सी कपड़ो को पहना है। चंचल वो कपड़े पहनने के बाद एक तरफ एक्साइटेड थी तो दूसरी तरफ थोड़ा घबरा भी रही थी।
चंचल कपड़े बदल कर फिर से समीर के फार्महाउस की और निकल पड़ती है। चंचल कुछ देर बाद समीर के फार्महाउस पर जाकर डोर बेल बजाती है। समीर खुद आकर डोर खोलता है। समीर की नज़र जैसे ही चंचल पर पड़ती है समीर मुस्कुरा पड़ता है।
समीर: आज से तुम मेरी स्लेव हुई। अब तुम्हे वो हर काम करना होगा जो मैं तुमसे कहूंगा। मंज़ूर है।
चंचल: जब तुम्हारी स्लाव बन ही गयी हूँ तो मुझे सब मंज़ूर है।
समीर: आओ अंदर आओ। आज तुम्हे में तुम्हारे मालिक की असली दुनिया से रूबरू करवाता हूँ। याद रखना यहां इस दुनिया मे आने वाला वापस अपनी दुनिया मे तब तक नहीं जा सकता जब तक वो खुद मालिक बनने की औकात नहीं रखता।
चंचल: मंज़ूर है। (चंचल समीर के साथ फार्महाउस में अंदर जाती है।)